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बयान आज वीरेंद्र सिंह चंद्रकांता से मीठी मीठी बातें कर रहे हैं । चपला से तेजसिंह उलझ रहे हैं । चंपा विचार इन लोगों का मूत आ रही है । अच्छा है कि काला कलूटा आदमी सिर से पैर तक आबनूस का कुंदा लाल लाल आंखें लंगोटा कैसे उछलता कूदता । इन सब के बीच में आ खडा हुआ । पहले तो ऊपर से नीचे के नीचे दाद खोल तेजसिंह की तरफ दिखाया । तब बोला खबरि भाई राजा को तुम्हारी सुनो गुरूजी में रहे । इसके बाद चलता पूछता चला गया जाती दफा चंपा की टांग पकड थोडी दूर घसीटता ले गया आखिर छोड दिया । ये देख सब हैरान हो गए और डर गए कि ये प्रशास कहाँ से आ गया? जंपा बिचारी तो चिल्ला उठी मगर तेज सिंह फौरन खडे हुए और वीरेंद्र सिंह का हाथ पकड के बोले चलो जल्दी उठो, अब बैठने का मौका नहीं । चंद्रकांता की तरफ देखकर बोले हम लोगों की जल्दी चले जाने का सिस्टम मत करना और जब तक महाराज यहाँ ना आए इसी तरह सब की सब बैठे रहना । चंद्रकांता ने कहा इतनी जल्दी करने का सबका क्या है? और ये कौन था जिसकी बात सुनकर भागना पडा । तेजसिंह जल्दी से बोला आप बात करने का मौका नहीं रहा । ये कहकर वीरेंद्र सिंह को जबरदस्ती उठाया और साथ ले कमंड के जरिए बाप के बाहर हो गए । चंद्रकांता को वीरेंद्र सिंह का इस तरह चला जाना बहुत बुरा मान आंखों में आंसू पर चपला से बोली ये क्या तमाशा हो गया कुछ समझ में नहीं आता उस प्रशासको देखकर मैं कैसी डर ही मेरी कल इसी पर हाथ रखकर देखो । अभी तक घर चला रहा है तुम्हें क्या ख्याल क्या जब लाने का कुछ ठीक समझ में नहीं आता । हाँ इतना जरूर है कि इस समय नरेंद्र सिंह की यहाँ आने की खबर महाराज को हो गई है तो जरूर आते होंगे । चंबा बोलेगी ना मालूम को मुझ से क्या दुश्मनी थी । चंबा की बात पर चपला को ऐसी आ गई मगर हैरान थी कि ये क्या खेल हो गया । थोडी देर तक किसी तरह की ताज्जुब परी बातें होती रही । इतने में ही बाकी चारों तरफ शोरगुल की आवाज यानी चपला ने कहा रंग बुरे नजर आने लगे । मालूम होता है बात तो सिपाहियों ने घेर बात पूरी बिना हो पाई थी कि सामने महाराज आते हुए दिखाई पडी । देखते ही देखते सबकी सबकुछ खडी हुई । चंद्रकांता ने बढकर पिता के आगे सर चुका है और कहा इस समय आप की का एक आने इतना कहकर चुप हो रहे हैं । जयसिंह ने कहा सोचना ही तो मैं देखने को जी चाहा इसलिए चले आए । अब तुम भी महल में जाओ यहाँ क्यों बैठी हूँ । ओस पडती है तुम्हारी तबियत खराब हो जाएगी । ये कहकर महल की तरफ रवाना हुए चंद्रकांता चपला और चंपा भी महाराज के पीछे पीछे महल में नहीं । जयसिंह अपने कमरे में आये और मन में बहुत शर्मिंदा होकर कहने लगे देखो हमारी भोली भाली लडकी को करोड सिंह झूठ मोड पर नाम करना है ना मालूम नहीं है कि जी में क्या समाई है । बेधडक कुछ बिचारी को ऐड लगा दिया । अगर लडकी सुनेंगे तो क्या कहेगी ऐसे शैतान का तो मुन्ना देखना चाहिए बल्कि सजा देनी चाहिए जिससे फिर ऐसा कमीना बनना करेंगे । ये सोच हरी सिंह नाम के एक चोपदार को उपमा दिया कि बहुत जल्द करोड सिंह को हासिल करें । हरीसिंह क्रूड सिंह को खोजता हुआ और पता लगता हुआ बाप के पास पहुंचा जहाँ वो बहुत से आदमियों के साथ खुशी खुशी बात को घेरे हुए । हरी सिंह ने कहा चलिए महाराज ने बनाया है जरूर सिंह घबराओ आपकी महाराज ने क्यों बोला क्या चोर नहीं मिला? महाराज तो मेरे सामने महल में चले गए थे । हरिसिंह से पूछा महाराज क्या कह रहे हैं? उसने कहा अभी महल से आए गुस्से से भरे बैठे हैं । आपको जल्दी बुलाया है । ये सुनते ही क्रूर सिंह की नानी मर गई । डरता का अब तक रोडसिंह महाराज के पास होना चाहिए । महाराज ने क्यूँ सिंह को देखते ही कहा कि वो बैक रूप प्रचारी । चंद्रकांता को इस तरह सूटबूट बदनाम करना और हमारी इज्जत में बता लगाना यही तेरा काम है । ये कितने आदमी जो बात को घेरे हुए हैं अपने जी में क्या कहते होंगे? नालायक गधा पाजी तुम्हें कैसे कहा की मैं नरेन्द्र हैं हमारे गुस्से के महाराज जयसिंह के होट काँप रही थी आखिरी लाल हो रही थी ये कैफियत एक रूट सिंह की तो जान सूख गई । खबर आकर बोला मुझको तो ये खबर नाजीम ने पहुंचाई थी जो आजकल महल के पहले पर मुकर्रर है । यह सुनते ही महाराज ने मार दिया । बताओ ना जी को थोडी देर में नाजीम भी हासिल किया गया । गुस्से से भरे हुए महाराज के मुझसे साफ आवाज नहीं निकलती थी । टूटे फूटे शब्दों में नसीम से पूछा क्या मैं तूने कैसी खबर पहुंचाई? उस वक्त डर के मारे उसकी क्या हालत थी वही जानता होगा । जीने से नाउम्मीद हो चुका था । डरता हुआ बोला मैंने तो अपनी आँखों से दिखाता हूँ शायद किसी तरह भाग गया होगा जयसिंह से गुस्सा बर्दाश्त हो सका तुकबंदियां पचास कोडे क्रूर सिंह को और दो सौ कोडे नाजीम को लगाए जाएंगे । मस्जिद में ही छोड देता हूँ आगे फिर कभी ऐसा हुआ तो सर उतार लिया जाएगा । क्रूर तो वसीर होने के लायक नहीं है । आप क्या लगे दो तरफ भी कोने पडने उन लोगों की चिल्लाने से महल कोई झूठा मगर महाराज का स्थान आ गया । जब दोनों पर कोडे पढ चुके हैं तो उनको महल के बाहर निकलवा दिया और महाराज आराम करने चले गए । मगर मारे गुस्से के रात भर नहीं नींद राय क्रूर सिंह और नाजीम दोनों खराब है और एक जगह बैठकर लगे जगह नहीं क्रूर नाजीम से कहने लगा तेरी बदौलत आज मेरी जेब मिट्टी में मिल गई । कल दीवान होंगे ये उम्मीद देना रही मार खाई उस की तकलीफ मैं ही जानता हूँ ये तेरी ही बदौलत हुआ । नाजीम कहता था मैं तुम्हारी बदौलत मारा गया नहीं तो मुझको क्या काम था । जहन में जाती चंद्रकांत और वीरेंद्र मुझे क्या बडी जीजू देखा था ये दोनों आपस में योगी पहाडों झगडते रहें । अंत में क्रूर सिंह ने कहा हम तुम दोनों पर लाना चाहिए अगर इतनी सजा पाने पर भी वीरेंद्र को गिरफ्तार नहीं किया था ना । चीन ने कहा, इसमें कोई शक नहीं कि वीरेंद्र रोज महल में आया करेगा क्योंकि इसी वास्ते वो अपना डेरा सरहद पार ले आया है । मगर अब कोई काम करने का हौसला नहीं पडता । कई फिल्में देखो और खबर करने वो दोबारा निकल जाए तो जरूर ही जान से मारा जाऊंगा । क्रूर सिंह ने कहा, तब तो कोई ऐसी तक की करनी चाहिए जिससे जान भी बच्चे पर वीरेंद्र सिंह को अपनी आंखों से महाराज जयसिंह महल में तो एक भी थे । बहुत देर सोचने के बाद नाजीम ने कहा चुनारगढ महाराज । शिवदत्त सिंह के दरबार में पंडित जगन्नाथ नामी छोटी सी है जो नॉर्मल भी बहुत अच्छा जाते हैं । उनके रमल देखने में इतनी तेजी है कि जब चाहो पूछ लो कि फलाना आदमी इस समय कहा है क्या कर रहा है या कैसे पकडा जाएगा । वो फौरन बदला लेते हैं । उनको अगर मिलाया जाये और वो यहाँ पर और कुछ दिन रहे कर तुम्हारी मदद करें तो सारे काम भी हो जाएंगे । चुनारगढ यहाँ से बहुत दूर भी नहीं है कुल तीस कोर्स है चलो हम तुम चले और जिस तरह बन पडे उन्हें ॅ । आखिर करोड सिंह ने बहुत से हीरे जवाहरात अपनी कमर में पांच दो तेज घोडे मंगवाना आजीम के साथ सवार हो उसी समय चुनारगढ की तरफ रवाना हो गया और घर में सब से कह गया की अगर महाराज के यहाँ से कोई आए तो कह देना की क्रूर सिंह बहुत बीमार है ।
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