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ऍम लाख जतन करके हार गए । पर नमिता की आंखों से लीन को सौ दूर थी । वो मन ही मन बुदबुदाने लगी । दीदी अपने मेरी आंखों से बहते आंसू तो पूछती है लेकिन मेरे कानों में गूंजती आपकी सांस की आवाज को कैसे मोटापा हो की उस आवास से मुझे परेशान करके मेरी नींद ही उडा दी है । आप क्या थी दीदी और क्या हो गई? मैं समझनी पारी हूँ की सूजन भरी राह में चलने के लिए आप की कैसे मदद करो । आपकी उलझन को कैसे सुलझा हूँ । देर रात तक नमिता रोते हुए इसी उधेडबुन में रही कि आखिर दीदी के दुख का अंत कैसे होगा । अशोक टहलने के लिए बालकनी में निकला तो देखा कि किसी के सिसकने की आवाज आ रही है । गैस्ट्रो उनकी खिडकी को खोलकर देखा तो घुटने पर से रखकर नमिता हो रही है । नमिता को रोते देख अशोक से रहा नहीं गया कौन? दरवाजे से आवाज आने पर नमिता ने पूछा मैं शोक दरवाजा खोल ली । आंसू पूछ कर दरवाजा खोलते हुए नमिता ने कहा इतनी रात को आप यहाँ सब ठीक हैं? हाँ, सब ठीक है । बस तू में रोते हुए देखा तो खुद को रोक नहीं पाया । क्या हुआ तुम रो क्यों रही थी? किसी ने कुछ कहा क्या? अशोक ने पूछा नहीं मुझे बना यहाँ कोई क्या कहेगा? नमिता ने कहा तो फिर यासों क्यों? अशोक ने पूछा इनासियो को क्या करूँ? इनका तो कम ही बहना है । जब बहना शुरू होते हैं तो रुकने का नाम ही नहीं लेते हैं । वफाई तो कोई नासो से सीखी जो मन में उठे दर्द कर साथ ही नहीं छोडते हैं क्या हुआ मुझे नहीं पता होगी । अशोक ने कहा कुछ नहीं बस ऐसे अब जाकर सो जाइए । नमिता से ऐसी गंभीर बातें सुनकर अशोक अपने आप को रोकना सका । उसने कहा अनुमति हो तो तुम्हारी इन जैसों को पूछता हूँ और ऍम नमिता अशोक पसंद तो करती है फिर भी इतनी रात के कमरे में आना और आंसू पूछने के लिए हाथ बढाना । उसे अच्छा नहीं लगा तो उसने कहा तुम इस समय यहाँ से चले जाओ । शोक नहीं तो मैं दीदी को आवाज लगाउंगी । अशोक को नमिता से ऐसी उम्मीद नहीं थी । निराशा के भवन में गोते लगाते हुए उसने कहा तो मुझे अपना दुख बांटने के लायक नहीं समझती तो कोई बात नहीं । वैसे भी इतनी रात के मुझे इस तरह नहीं आना चाहिए था । गलती मेरी है तुम्हारी जगह मैं होता तो मैं भी शायद यही कहता हूँ पर सच कहता हूँ । इस समय मुझ पर मेरा बस ही नहीं चला और तुम्हें होते देखकर खुद को रोक नहीं पाया । हो सके तो मुझे माफ कर देना । नमिता और ये बात भाभी को नहीं बताना नरसल तुम्हें समझने में मैं चूक क्या मैं इस गलतफहमी में था? कितनी बार मिलने से तो मेरी भावनाओं को समझ गई होगी । शायद तुमने मुझे समझने की कोशिश नहीं की । मैं तुम्हारी हर बात की कद्र करता हूँ । अच्छा मैं चलता हूँ । रुको । अशोक कहते हुए नमिता तेज कदमों से उसकी ओर बडी और जाते हुए अशोक की पीट से डाली थी । अशोक बोलने लगा तो वो बोली नहीं अशोक ऐसे ही खडे रहो । और बेकाबू होकर धडकते हुए मेरे दिल की धडकनों को सुनो जो सिर्फ तुम्हारे लिए ही धडकता है । आज चुप रह गई तो शायद कभी कह नहीं पाओंगे मैं तो मैं और तुम्हारी भावनाओं को अच्छी तरह से जानती हूँ । तुम्हारी आंखों से छलक पे प्यार को मैं महसूस करती हूँ । मैं नहीं जानती कि कब मुझे तुमसे प्रेम हो गया और इसी प्रेम को छुपाने की कोशिश में तुमसे बात करने से परहेज कर रही थी । वैसे तो आज में बहुत दुखी हूँ । लेकिन अब मैं उससे भी ज्यादा खुश हूँ कि आज मुझे मेरा प्यार मिल गया है । नमिता के प्रेम निवेदन से अशोक भावविभोर हो गया । उसने पलट कर अपने हाथों को धाम लिया और कहने लगा मैं भी तुमसे बहुत प्रेम करता हूँ । नमिता इन हाथों को थामे हुए मैं जीवन के पद पर चलने का सपना संजोए बैठा हूँ । नमिता के आंखों से फोन आवासों की धारा बहने लगी । तुम फिर रो रही हूँ । अशोक ने कहा ये आंसू खुशी के हैं । नमिता शोक से अलग होते हुए बोली तो लडकियाँ भी अजीब होती हूँ । जब चुकी होती हूँ तब तो गंगा जमुना बहुत ही खुशी में भी रोने लगती हूँ । तो मेरी तारीफ कर रहे हो या बुराई? ललिता ने कहा बुराई करने की हिम्मत हमने कहा हम तो वह खुशनसीब है जिन्हें अपनी चाहत मिली है । पर एक बात है कि तुम रोते हुए बिल्कुल भी अच्छी नहीं लगती हूँ । अच्छा नमिता मुस्कुराओ थे सिस्टर ये है नमिता कि जिन आंखों को देख कर मैं खुद को भूल जाता हूँ, उन आंखों में आंसू बहा में कैसे देख सकता हूँ । जिन आंखों में मेरे लिए चाहत बस्ती है वहाँ मैं सो नहीं आने दूंगा । मैं नहीं जानता कि आज तुम क्यों रो रही थी । लेकिन हाँ इतना जरूर जानता हूँ कि आज के बाद तो भारत हर दुख मेरा और मेरा सब सुख तुम्हारा होगा । नया तुमसे जीवन भर का साथ मांगता है और जीवन भर साथ निभाने का वादा भी करता हूँ । मरते दम तक अपना वादा निभाऊंगा नहीं । अशोक मिलन की स्टेला में मरने की बात मत करूँ । तुम तो मेरी जिंदगी हो । मौत को तुम तक पहुंचने से पहले मुझ से होकर गुजरना पडेगा तो मेरा प्यार हो और मुझे भगवान पर भरोसा है कि वे मेरी मोहब्बत को मुझ से कभी नहीं छोडेंगे । प्यार तो उनके आशीर्वाद का प्रतिफल होता है । मौत में भी इतनी ताकत नहीं कि दो प्रेमी को अलग कर सके । पहली मिलन की इस घडी में अवेशवर से ये दुआ मांगे की हमारा प्यार भी दीदी जीजाजी की तरह फूल ले और क्या हुआ? नमिता तुम चुपके हो गई कुछ नहीं अशोक पहले तो क्या बात है मुझे ऐसा क्यों लग रहा नमिता की तो मुझे कुछ छुपा रही हूँ प्लीज बताऊँ मैं कह रही थी कि हमारा प्यार भी दीदी जीजा जी की तरफ खुले और पहले फिर चुप हो गई कि दीदी का प्यार फूला तो है पर फल नहीं पाया । मतलब अशोक ने पूछा हूँ देखो ना हूँ दीदी की शादी हुए । चार साल हो गए लेकिन संतान का सुख नहीं मिलता है । उनकी गोद अब तक सुनी है । देरी भी चाहती है कि उनकी बढिया में कोई फूल खिले जिससे सारा घर महकता रहे । लेकिन यदि ऐसा नहीं हो पाया तो उसमें दीदी की गलती है । दीदी दोषी है क्या? शोक तुम्हें बताऊँ, लंका अचानक ही भूल गई । ये तो क्या कह रहे हो? नमिता भाभी को कौन दोषी मान रहा है । मैं जितना जानता हूँ भावी को इस संबंध में कोई कुछ नहीं कहता । भैया भाभी के बीच में आज भी वही प्यार है और फिर भैया काम में इतना व्यस्त रहते हैं क्योंकि ऐसे फालतू बातों के लिए समय ही नहीं मिलता है । फिर ऐसा कौन है जो भाभी के लिए ऐसी बातें करता है छोडो इन बातों को कुछ और बातें करते हैं । नमिता ने कहा देखो नमिता बातों को अलग मोरना तो प्लीज मुझे बताओ की भाभी के साथ इस तरह के वाहियात बातें किसने की है? किसने मेरी भाभी को मुजरिम कहा है बताओ? नमिता बताओ तो मेरी कसम है ये तूने क्या किया शोक इतनी छोटी सी बात के लिए कसम देकर तुम्हें अच्छा नहीं किया । अब तो मुझे चेहरे से पर्दा उठाना ही होगा । इस को दे दी छुपाती आई है । मगर इससे पहले मुझे एक वादा करना होगा कैसा था? अशोक ने पूछा यही की तुमने कुछ नहीं कहोगे जो दीदी को बच्चे न होने के लिए ताने देते हैं । चाहे वो कोई भी हूँ ठीक है चलो मैंने वादा किया अब तो बता दूँ । अशोक ने कहा अशोक तोमर जीजा जी दोनों ही इस बात से अनजान हो कि तुम्हारी माँ अकेले में दीदी को बांध होने का ताना देते हुए जीजा जी की दूसरी शादी करने की धमकी देती रहती है । अब तो बात इतनी बढ गई है कि आपकी माने दीदी के हाथों से बना हुआ खाना खाने से भी मना कर दिया है । और ये सब आज मैंने अपनी आंखों से देखा है । आज आपने यहाँ आई तो तुम्हारी माँ को दीदी को डाटते हुए हम दुर्व्यवहार करते हुए देखा । यही कारण है कि तुम्हारे आने के समय मुझे रोना आ रहा था । मुझे तुम्हारी बातों पर आश्चर्य हो रहा नमिता हाँ, अशोक यदि आज में देरी के साथ होने वाले दुर्व्यवहार को नहीं देखती तो मैं भी सच्चाई संजान ही रहती है । लेकिन स्वर्ग का सपना लेकर इस घर में आने वाली दीदी नरक भोग रही है । लेकिन दीदी है कि सब दुख चुपचाप सहते रहना चाहती है । अब तुम ही बताओ । दीदी की इस फैसले के बाद मैं सुनने के अलावा और क्या कर सकती हूँ । बस नमिता और कुछ मत बोलो । अब और सुनने की हिम्मत नहीं है । मुझे ये बात तुम्हारे अलावा कोई और कहता तो मुझे विश्वास भी नहीं होता । लेकिन आज मुझे मालूम पड गया है कि माँ कैसी है और मैं भाभी को दुख पहुंचाने वाले किसी को भी माफ नहीं कर सकता । चाहे मेरी माँ ही क्यों ना हो । माने भाभी जैसे नहीं दिल इन्सान को चोट पहुंचाई है । इसकी सजा उन्हें जरूर मिलेगी । परिणाम चाहे जो भी हो, लेकिन आज ही मुझे भैया से बात करनी होगी । कहकर अशोक जाने लगा रुको शोक तूने अभी अभी मुझसे वादा किया था कि किसी से संबंध में कुछ नहीं कहोगे । मैं जानती थी कि तुम इस बात को सहन ही पाओगे । इसलिए नहीं बता रही थी । सोचो अशोक इस समय आधी रात को यदि तुम जीजा जी या माँ को जगह होंगे तो वे लोग हमारे बारे में क्या सोचेंगे? कहीं ऐसा ना हो की माँ की नाराजगी से साथ साथ जीने का हमारा सपना भी टूट जाए और दीदी मुझसे नाराज हो जाएगा । यही तो मैं ऐसा चाहती हूँ की मिलते ही हम पिछड जाए तो जब मैं तुम्हें नहीं रोक होंगी और होती भी कौन हो रोकने वाली कहकर नमिता ने अशोक की ओर पीठ कर ली । ठीक है नमिता तुम जो चाहूँगी वैसा ही होगा । मैं किसी से कुछ नहीं कहूंगा फिर गालों पर लुढकते । नमिता के आंसू को समझाते हुए अशोक ने कहा हमारी खुशी में ही मेरी खुशी है । यदि तुम चाहती हूँ की भावी आंसू पीते हुए मुस्कुराती रही तो यही सही । सच तो यह है नमिता की तुम्हारी आंसू के समंदर को लांघने की अनुमति मेरा हिल गया कभी नहीं देगा और मैं ऐसा कोई काम नहीं करूंगा जो हमारे प्रेम को प्रभावित करें तो निश्चिंत रहो । मैं किसी से तब तक कुछ नहीं कहूंगा जब तक तुम नहीं चाहूँ कि अब तो हस्ती तो नमिता ने अशोक की नजरों में झाकते हुएकहा । इन निगाहों में अपने लिए असीम प्यार देखकर अब मुझे विश्वास हो गया है कि दीदी के साथ होने वाले अन्याय को तुम ही रोक हो गए और अब अपनी खुशी भी तुम्हारे हवाले करते हो । मैं खुश हूँ कि तुम मेरी भावनाओं की कद्र करते हो और अच्छे और बुरे को भी समझते हो । मैं तुमसे जितनी बातें करती हूँ, मैं तुमसे जितनी बातें करती हूँ उतना ही और तुम्हारी और खेती चले जाती हूँ । लेकिन इस समय हमें कोई साथ में देखे ये मैं बिल्कुल नहीं चाहूंगी । इसलिए मुझे लगता है कि इस वक्त और ज्यादा देर तक तुम्हारा मेरे कमरे में रुकना ठीक नहीं है । ठीक है तुम्हारी आदेश को तो मानना ही पडेगा । पर सच्चे प्रेमी को इस तरह भगाना प्रेम की तौहीन है नमिता जी । अशोक ने मुस्कुराते हुए कहा हो, फिर तो मजनू में आपको धक्के मारकर निकालना होगा । कहते हुए प्रेम से धकियाते हुए नमिता ने अशोक को बाहर धकेलकर दरवाजा बंद करके उससे पीठ टिकाए प्रेम से सराबोर अशोक के प्यार भरे सपनों के सागर में डुबकी लगाने लगी ।
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