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श्री राम भाग से नंबर को उठाकर ले जाने का समाचार बोल देव लोग में फैल गया । कुबेर हम लोग में ब्रॅान्ज पहुंचा और लम्बा के अपहरण का पूर्ण व्रतांत बताकर कहने लगा किसका अधिकार होना चाहिए? ब्रह्मा ने मुस्कुराते हुए पूछता हूँ थानाध्यक्ष तुम लंका छोड कर किस लिए चले आए थे । पिताजी कहते थे कि राज्य जैसे तुम वस्तु के लिए भाई भाई में युद्ध ठीक नहीं होगा और अब एक अप्सरा के लिए देव लोग में आग लगाना चाहते हो परंतु भगवान है विषय अबदेव लोग के नियमों पे नियमों को हो गया है । देव लोग में स्त्रियों पर बलात्कार नहीं होता । देवता इस घटना पर लंका दीप्ति से युद्ध नहीं करेंगे । इस पर भी मैं चाहता हूँ कि देवताओं को अपने भविष्य पर विचार करना चाहिए । एक देवसभा बुलाई जाए और उसमें देव लोग की वर्तमान स्थिति पर विचार किया जाएगा । तो महाराज आप हमारे पुरोहित है । आप बुलाइए, ठीक है । मैं देवसभा इंद्रा के प्रसाद में बुलाऊंगा । तुम भी आना अपने साथ हुए अन्याय का वर्णन करना । सभा में केन्द्र में पूछ लिया क्या दस गाली आपकी राज्य में सेना लेकर आया था? नहीं मैं अपने विमान में अकेला आया था । कुबेर का आपके पास भी तो भी मालूम था । आपने उसका पीछा क्यों नहीं किया है? यदि आप या नल कोवर्ट विमान लेकर उसका पीछा करता तो उसे लंका पहुंचने से पहले पकडा जा सकता था । आपके पास उस पर विमान था जो उससे कई गुना अधिक गति से उड सकता है । देखिये धनाध्यक्ष आप आपने मूर्खतापूर्ण उन लोगों के लिए देव लोग को युद्ध में घसीटना चाहते हैं या नहीं होगा । केन्द्र के निराशाजनक कथन से सब देवता निरूत्साह हो रहे थे । हम यह जानते थे कि वास्तविक तक क्या थी । मैं बोले वास्तविक बात यह है कि इस समय देवताओं में कोई नहीं जो दस ग्रीन से युद्ध कर सके, कुबेर किया और केंद्र क्या सब अपनी दुर्बलता को छुपाने के लिए नियुक्तियां दे रहे हैं । ये वास्तव में युक्तियां नहीं है । प्रतियोग आपने दुर्बलता छुपाने के लिए उत्तर है । एक साल था जब देवता अपने को भूमंडल में धर्म और न्याय के संरक्षक मानते थे । तब देव और मानव समाज एक था नियम सभी के लिए एक समान थे और उन का उल्लंघन सामाजिक अधिकारों का आनंद माना जाता था । देवराज और उसकी सेना अधिकारों का उल्लंघन करने वाले को तुरंत दंड देते थे । मैं ऐसा प्रबंध करते थे कि भविष्य में उन्हें ऐसा न हो । अब तो तुम्हारे अपने देश में एक पापा सारी आकर अपहरण कर चला जाता है और तुम उसको दंड देने की सामर्थ्य नहीं रखते हैं । तुम लोग मस्त विश्व में मुझे जाते थे और अब अपनी असमर्थता को प्रकट करने के लिए एक दूसरे को कोस रहे हो । मैं रद्द हो रहा हूँ और तुम सब के दोस्तों को जानता हूँ । तुम लोग आलसी, विलासी हो रहे हो इसलिए जानता हूँ कि तुम अब दसवीं का कुछ नहीं बिगाड सकते हैं । तुम्हारी रक्षा तो अब कोई सेंस मानव ही कर सकेगा । इस कारण अब तुम कुछ ऐसा प्रयत्न करो कि जिससे कोई मानव तुम्हारी रक्षा करने को तैयार हो । मुझे पता चला कि कौशल राज्य की राजधानी अयोध्या में एक यज्ञ किया जा रहा है । वहाँ का राजा दशरत उत्तर की कामना हेतु पुत्रेष्ठि यज्ञ कर रहा है । राजा दशत इस समय विश्व में सबसे स्मर्च राजा है । वह देवताओं की सहायता के लिए कई युद्ध करके जीत चुके हैं । उनकी सेना में दस ग्रीव से युद्ध का सामर्थ्य है परन्तु मैं स्वयं अधेड हो चुके हैं और संतान होने से हताश है । यहाँ राजवैद्य और सुनी कुमार बैठे हैं । उनको चाहिए कि महाराज दशरथ की इसमें सहायता कर दें । वे यहाँ से राजा रानियों के लिए विशेष पोशाक बनाकर भेजे तो वीर राजा के घर में जो संतान जम ले वह अति सुन्दर और बलवान शरीर वाली तथा मेधावी और साहसी हो । यदि वे ऐसा प्रबंध करते तो कोई परमात्मा की सेहत विभूति से युक्तात्मा उस कलेवर में चली जाएगी । समय भविष्य लगेगा परंतु वीर राजा की वह संतान निश्चय ही धर्म स्थापना के लिए इस असूर संस्कृति के पोषक ट्रस्ट ग्रीव का वध कर भू बाहर को हल्का कर सकेंगे । ब्रह्मा की सम्मति पर कार्य करने के लिए देवता लोग परस्पर परामर्श करने लगे और अश्विनीकुमारों को पोषक पाक तैयार करने के लिए कह दिया गया । यह समाचार मुनि भी शुरुआत के आश्रम में भी पहुंचा की देवता लोग दस दिन से अधिक शक्ति सहेली मानव के जन्म की योजना बना रहे हैं जो उसके को समाप्त कर सके । आवश्यकता पडने पर उसका वध भी किया जा सके । इस समय बाजार से दस ग्रीन की माता कैकसी को भर लग गया । उसने अपने पति से कहा महाराज क्या देवताओं की योजना सफल होगी? अवश्य होनी चाहिए, क्यों ना हो इस कारण की दस गिरी आपका पुत्र ब्रह्म लोग से वेद विद्या में शिक्षित है । कुशल योध्या का प्रमाणपत्र प्राप्त है और लाखों सैनिक उसके संकेत मात्र पर लड जाने वाले उसके पास है । इस पर भी देवी पाती है और पार्टी का विनाश होगा ही तो कुछ उपाय नहीं है । उपाय तो है कोई बात नहीं जिसका की प्रायश्चित न हो परंतु निरंकुश है मेरी मानेगा नहीं । मैं अपना अपमान नहीं करवाना चाहता हूँ । कैसी निराश नहीं हुई । इन दिनों कुबेर आश्रम में ही रह रहा था । अलकापुरी में नलकों ओवर राज्य करता था । ऍफ सी कुबेर के पास पहुंची और बोली कोबेद मुझे ज्ञात हुआ है कि देवता ब्रह्माजी दसग्रीव के विरुद्ध हो गए हैं । उन्होंने ऐसा आयोजन करने का निश्चय किया है कि महाराज दसरथ के घर में तुम्हारे भाई दस ग्रीव से अधिक विद्वान और शक्ति शाली योद्दा उत्पन्न हो जो दसवी को समाप्त कर सके । माताजी उसने सिस्टर जनों के व्यवहार का उल्लंघन कर दिया । रहे युवा है, बलवान है और अमित साहस रखने वाला है परंतु अपनी शक्ति का दुरुपयोग कर पापाचार कर रहा है । किसी गुरूजन की मानता नहीं । बहु बेटी का नाता नहीं मानता । इस कारण उसके पापों का निराकरण करने के लिए गुणों में उससे टेस्ट वीर योद्धा तैयार करने का आयोजन है । यह ठीक है उसको ऐसा करना ही चाहिए । परन्तु मैं यह चाहती हूँ कि तुम बडे हो । विद्वान, बुद्धिमान, दयालु और परिवार वालों से इसने रखने वाले हो तो मैं अपने परिवार के भूल कर रहे सदस्य को समझाना चाहिए । मेरी है कामना है कि तुम उसे अपने व्यवहार को सुधारने की ठीक दो । परन्तु माता जी उस ने आज तक मेरी मानी है । क्या जो हम मानेगा नहीं मानेगा तो मैं कोई अन्य विधि सोच होंगी । तुम्हारा तो कल्याण होगा क्योंकि तुम अपने परिवार के एक प्राणी को दूसरे तुम्हारे ऊपर चलना छोड देने की संबंधित हो गए और शांति का प्रयास तो करोगे हैं । कुबेर मान गया कि वह दिशा में यह तो करेगा । उसने अगले ही दिन एक दूर अपने एक पत्र के साथ रावण के पास भेज दिया । देहरादून कुबेर का पत्र लेकर लंका पहुंचा और वहाँ पहले विभीषण के पास गया । विभीषण को उसने वहाँ अनेक अपना उद्देश्य बताया । विभीषण दूध को लेकर रावण के प्रसाद में जा पहुंचा । सूचना भेजने पर रावण ने इनको अपनी भरी सभा में ही बुला लिया । कुबेर का दूध विभीषण के साथ सभा में पहुंचा । विभीषण ने कहा महाराज यहाँ हमारे बडे भाई धनाध्यक्ष कुबेर का भेजा हुआ दूध है । यह उनका एक संदेश लेकर आया है । मैं इसे यहाँ ले आया हूँ, जिससे यह शिवम संदेश आपको सुना सके । रावण ने भाई को बैठने के लिए भी नहीं । उसने तुरंत दूध को संबोधन कर कहा, बताओ मैं क्या कहता है महाराज दूध का मैं आप के बडे भाई महाराज धनाध्यक्ष कुबेर का दूध हो । मुझे आज्ञा हुई है कि आपसे निवेदन करूँ कि आपने जब से राज्य संभाला है तब से अनेक व्यक्तियों के साथ अत्याचार किया है । आपने अनगनित स्त्रियों से बलात्कार की है और इस समय आपने लंका से लेकर विन्ध्याचल पर्यंत सामान्य प्रजा को भी दुखी कर रखा है । धारा अध्यक्ष महाराज का यह कहना है कि आप अपने आप को सुधारें । पिताजी की प्रेरणा से यह राज्य आपके बडे भाई ने आपको दिया है । इस कारण उनका अधिकार है कि आपको कहें कि आप अपने व्यवहार में सुधार करें और यदि मैं उनकी बात मैं मानु तो तो देवता लोग यह या तंग कर रहे हैं कि नए केवल आपका जीवन समाप्त कर दिया जाए । वरना यह भी कि आपका नाम अनंतकाल तक भले लोगों में तिरस्कार पर घृणा का पात्र बना रहे हैं, तो यह तो मुझे साहब दे रहे हो । महाराज, इसमें मैं कहाँ से आ गया । मैं तो केवल एक दूध होने के नाते वही कह रहा हूँ जो आपके बडे भाई ने आपको कहने के लिए मुझे भेजा है । बहुत दस पता कर रहे हो तुम इसको हम सहन नहीं कर सकते । इस व्यक्ति का सिर्फ शरीर से पृथक कर दो और इसके की कोई समझे कि क्या हो रहा है । राहत ने तुरंत अपना खड निकाला और दूध का सिर्फ डाला । सभी राक्षस लंकाधिपति रावण की जयजयकार कर उठे और विभीषण एक भी सब अधिक कहे बिना वहाँ से चला गया । कुछ दिन पश्चात दूध का सिर्फ एक कपडे के थैले में लिपटा हुआ थानाध्यक्ष के निवास स्थल पर आगे रहा । कुबेर दूध के सिर को पहचान सब समझ गया । उस सिर को लेकर कुबेर अपनी भी माता के पास जा पहुंचा और सिर्फ दिखाकर उसने बता दिया की है उस दूध का सिर्फ है जिसे मैंने आपके कहे अनुसार संदेश देकर दस ग्रीव के पास भेजा था । टैक्सी चुप कर रही हैं । नहीं
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