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Chapter 6 in Hindi

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AuthorNitin Sharma
अंतर्द्वंद्व जावेद अमर जॉन के पिछले उपन्यास ‘मास्टरमाइंड' का सीक्वल है। मास्टरमाइंड की कहानी अपने आप में सम्पूर्ण अवश्य थी पर उसकी विषय-वस्तु जो जटिलता लिये थी उसे न्याय देने के लिये एक वृहद कहानी की आवश्यकता थी और प्रस्तुत उपन्यास उसी आवश्यकता को पूर्ण करने हेतु लिखा गया है। writer: शुभानंद Author : Shubhanand Voiceover Artist : RJ Hemant
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वर्तमान समय नहीं दिल्ली इंडियन एयरलाइंस के गुमशुदा पायलट विक्रम सिंह का घर दिल्ली के राजौरी गार्डन में था । दिल्ली पहुंचते ही जावेद और जॉन उसके घर पहुंचे । इस समय दोपहर का वक्त था और विक्रम के माता पिता घर पर मौजूद थे । उनसे बात करके पता चला कि विक्रम उस वक्त सिर्फ छब्बीस साल का था जब विमान गायब हुआ था । अभी उसकी शादी भी नहीं हुई थी । विक्रम उनकी अकेली संतान थी और आज भी वो उसके वापस आने की उम्मीद लगाए हुए थे । गुमशुदा फ्लाइट तीन सौ एक के कई सवारियों के परिवार वालों की तरह पिछली जांच में विक्रम की गर्लफ्रेंड का जिक्र था । उसका नाम कंचन था और विक्रम के माता पिता उसे कुछ खास वाकफियत नहीं रखते थे । उनसे बात करते हुए उन्हें कोई नई जानकारी नहीं मिल पा रही थी । विक्रम की छवि एकदम साफ प्रतीत हो रही थी । उन्हें उम्मीद है कि उसकी गर्लफ्रेंड और दोस्तों से बात करके शायद को एक काम की बात पता चले । उन्होंने उसकी गर्लफ्रेंड कंचन को फोन किया । इत्तेफाक से वो दिल्ली में ही मौजूद थी और फिलहाल कनॉट प्लेस स्थित अपने ऑफिस में थी । पहले तो उसने वर्किंग डे और बहुत सारा काम होने की दुहाई दी । पर फिर विक्रम के दोबारा मिलने की उम्मीद पर वो जॉन और जावेद से मिलने के लिए तैयार हो गई । वो लोग कनॉट प्लेस में कॉफी शॉप में मिले । कंचन के सामने जॉन और जावेद बैठे थे । तीनों का ऑर्डर भी मेज पर मौजूद था । वो पच्चीस छब्बीस साल की सुंदर नैन नक्ष वाली करियर ओरियंटेड लडकी देख रही थी । उसने स्लेटी रंग की पैंट और सफेद कमीज पहनी हुई थी । मेहंदी की रंगत लिए बाल कंधों तक लटके हुए थे और चेहरे पर अच्छा खासा । मैं कब था? देखिए विक्रम से अब की पहली बार मुलाकात कब हुई थी । जॉन ने पूछा कोई आज से चार साल पहले एक फ्रेंड की मध्य पार्टी में हूँ । कंचन अतीत के खयालों में खो गई ही बहुत सो स्माॅल । हम दोनों के बीच फोन नंबर एक्सचेंज हुए और वो किस तरह का इंसान था । यानी वेल अगर आपको उसकी पर्सनालिटी चंद शब्दों में बयां करने को कहा जाए । जावेद बोला काफी कॉन्फिडेंट, फुल ऑफ एक्साइटमेंट ऍम और साथ ही बहुत कैरी और फॅमिली कंचन विक्रम को याद करते हुए जैसे गुजरे वक्त की गैर कर रही थी । आमतौर पर विक्रम का उठना बैठना किन लोगों के बीच था । उसके फ्रेंड सर्कल में मेरे साथ ज्यादा समय तो उसका ऑनर ही रहता था । आप उसके साथ देश विदेश ट्रेवल करती होंगी । वो थोडा झिझकी देखिए, जो भी है खुलकर बताइए आपकी पर्सनल बातें हम से आगे कहीं नहीं जाने वाले । हम इनके द्वारा विक्रम को समझने की कोशिश कर रहे हैं । उसने हामी भरी फिर वहाँ से स्वर में बोली हूँ । मैं कई बार उसके साथ गई थी । मुझे अभी भी उम्मीद है कि वह एक दिन वापस आएगा हूँ । वो वापस आएगा । उन्हें लगा वह होने वाली है जावे । जल्दी से बोला देखिए उम्मीद पर कायम रही हैं । हमें कुछ ऐसे क्लू मिले हैं जिनसे पता चला है कि तो फ्लाइट के कुछ लोग जिंदा है हूँ । सच हाँ, इसीलिए तो हम पूरे जोर शोर से फिर से इन्वेस्टिगेट कर रहे हैं । अच्छा कहाँ होंगे वो लोग? इस समय ऍम यही तो सबसे बडी पहेली है । लोकेशन अगर उनमें से कोई भी मिल जाए तो बहुत कुछ पता चल जाएगा और इतने सालों से किसी की कोई खोज खबर नहीं । इससे पता चलता है कि वह सभी कहीं एक साथ कैद हैं । पर भला कोई उन सबको कैद क्यों करेगा? ये भी अभी सिर्फ एक सवाल है और इसका जवाब किसी के पास नहीं है । जॉन ने कहा आपको थोडा ब्रेन के न्यूरोन्स को दौडाना है और विक्रम के साथ बताए हर पल को याद करना है कोई भी थोडी सी अजीब बात जो आपके मन में स्ट्राइक की हो । विक्रम से संबंधित कोई भी अजीब वाकया या अजीब इंसान से मुलाकात जो मन में स्ट्राइक की हो अमेजॅन कंचन सोच में पड गई उसके हाव भाव से लगा वाकई वो पुरानी यादें ताजा करने की पूरी कोशिश में है । अच्छा हाँ, अगर विक्रम की लाइफ से जुडी अजीब चीजों के बारे में सोचती हूँ क्यूँ मुझे उसका एक अजीब सा दोस्त याद आता है कौन? निक ने कौन है बहुत ही अजीब सा लडका था कम कद का बॉडी बिल्डर जैसा छोटी छोटी आंखें सिर पर एक भी बार नहीं । बात बात पर जापानियों की तरह सिर झुकाता रहता था कहते हुए वो हँसी चिंकी था । जावेद ने पूछा हाँ जापानी ही तो नहीं ना । जॉन ने पूछा करीब नहीं नहीं कहाँ से था विच स्टेट दिल्ली का था ये तो पता नहीं ओरिजनली कहाँ से था । पर हिंदी एकदम हम लोगों की तरह ही बोलता था और बहुत अजीब अजीब आतें करता था कहते हुए उसके चेहरे पर मुस्कान आ गई । जैसे कभी विक्रम को पायलट की नौकरी छोडकर कुछ बिजनेस शुरू करने का आईडिया देता था तो कभी कहता था कि किसके रॉक बैंड में शामिल हो जाए । क्योंकि उसका ऍम हाँ कुछ तो मुझे तो उसके सिर दर्द म्यूजिक में कोई दिलचस्पी नहीं थी, पर विक्रम ना जाने की उसकी तारीफ करता रहता था । मुझे आज तक समझ नहीं आया कि उसका दोस्त बना कैसे, कब से दोस्त था वह विक्रम का तो ये तो नहीं पता पर मुझे पहले से जानता था वो विक्रम को कहाँ पाया जाता है या नहीं । जावेद ने पूछा दिल्ली में ही रहता है तो मुझे नहीं पता और फोन नंबर है कहकर उसने अपने फोन में देख कर नंबर उन्हें दिया । फिर बोली विक्रम के यू गायब होने के बाद अक्सर उससे बात होती थी । हम दोनों ने एक दूसरे को वादा किया था कि विक्रम के बारे में कोई भी जानकारी मिलते ही फोन करेंगे । पर फिर ऐसा कोई मौका ही नहीं । उसके चेहरे पर मासूमियत छा गई, कभी मुलाकात नहीं हुई । नहीं विक्रम का कोई और खास दोस्त कहने को तो बहुत थे पर निक के अलावा अजय ही उसका खास व्यवस्था जो कि उस की तरह ही पायलट था । शायद आप जानते ही होंगे जो उसी फ्लाइट दूसरा पायलट जॉन ने अपना चश्मा अजस्ट करते हुए पूछा । हाँ, उन दोनों की दोस्ती के बारे में बताई है । जैसे कि विक्रम ने मुझे बताया था । दोनों पहली बार फ्लाइंग स्कूल में मिले थे । फिर वहाँ से उन्होंने इससे मैं लाइन्स जॉन्की । काफी फ्लाइट्स । अक्सर उन्होंने साथ में उडाई । अजय के घर आना जाना और उसका विक्रम के घर आना जाना होता ही होगा । हाँ, हम लोग अक्सर मिला करते थे अजय के बारे में और बताइए । अजय अकेला था । उसकी कोई गर्लफ्रेंड भी नहीं थी । बातें बहुत करता था । घूमने फिरने का शौकीन था । अलग अलग ग्रुप के साथ न जाने कहाँ कहाँ घूमता फिरता था । वो कहाँ रहता था । त्रिवेणी में फॅस घर में कहकर उसने अपनी घडी की तरफ देखा । मुझे ऑफिस चलना चाहिए । एक मीटिंग अभी याद आया । जरूर आपने हमारी मदद के लिए जो समय निकाला उसके लिए थैंक्स जॉन मुस्कुराकर बोला । यकीनन आप से मिली जानकारी बहुत मददगार साबित होगी । जावेद बोला आयोग आई चु ली हो, आपके पास मेरा नंबर है । कुछ और जानकारी चाहिए हो तो फिर कुछ और जानकारी चाहिए हो तो फील । फ्री टू कॉल मी कुछ और जानकारी चाहिए हो तो फिर फ्री टू कॉल मी यार । उसके बाद कंचन ने उनसे विदा ली । उसके जाते ही हम भी चले । जॉन ने वेटर को बिल लाने का इशारा करते हुए पूछा, हाँ चलो चलते हैं नहीं को फोन करता हूँ । चलो चलते चलते निक को फोन करता हूँ । दोनों बिल चुकता कर कॉफी शॉप से निकले । सीबीआई हेडक्वॉर्टर से अमर और अब है । सीधे एयरपोर्ट के लिए निकले टैक्सी में अमर ने अभय से पूछा जॉन और जावेद भी दिल्ली में है ना? एयर प्लेन इन्वेस्टिगेशन के सिलसिले में? ऍम हाँ, ये तो है । अब बोला क्या मुझे उन को जॉइन करना चाहिए तो हम उनके साथ लौटना चाहो तो मुझे कोई दिक्कत नहीं है । लेकिन मुझे लगता नहीं है कि इस काम में तीन लोगों की जरूरत है । वो दोनों भी एक दो दिन में वापस आई जाएंगे । ओके लेकिन अब इतनी दूर आये हैं तो सोचता हूँ कि उन से मिलूँ । काफी समय हो गया मिले । मुझे कोई ऐतराज नहीं । वैसे भी अभी तुम्हारे पास कोई केस नहीं बोलो । कहाँ छोडा जाए तो बस अगले स्टॉपर उतर जाता हूँ । मैं वहाँ से बस या टैक्सी ले लूंगा । ठीक है अगले बस स्टॉप पर । अब मैंने टैक्सी रुकवाई और फिर अमर ने उस से विदा ली और अपना कैरी बैग लेकर उतर गया । अमर ने वहाँ से सरोजनीनगर जाने वाली बस पकडी । बस बीस मिनट में सरोजनी नगर पहुंच गई । वहाँ से एक रिक्शा लेकर वह श्री विनायक मंदिर पहुंचा । वह मंदिर के बाहर एक कोने में खडा हो गया । उसकी नजरें लगातार अपने फोन पर थी । अपनी लोकेशन उसने मैसेज करके उसे बता दी थी जिससे वहाँ मिलने वाला था । कुछ ही देर में उसे एक युवक उस तरफ फायदा हुआ नजर आया । अमर पर एक सरसरी नजर डाल कर वह तेजी से मंदिर के अंदर प्रवेश कर गया । अमर भी कुछ देर में मंदिर के अंदर आ गया । उसे वह युवक भगवान की प्रतिमा के सामने हाथ जोड के खडा आंखे बंद किए हुए पूजा करता दिखाई दी । अमर उसकी बगल में आकर खडा हो गया और उसी की तरह हाथ जोडकर खडा हो गया । फिर धीरे से बोला ऍम वह युवक आंखे बंद करे ही बोला मेरे फ्लैट पर चलना है । पूजा की थाली में चाबी रखूँ तो मैं से लेकर पहुँच मैं कुछ देर में पहुँचता हूँ । ठीक है । युवक ने पूजा की थाली में पांच रुपये के सिक्के के साथ एक चाबी रखती है । अमर ने भी जेब से सिक्का निकाला और पूजा की थाली में रखते हुए चाबी उठा ली । युवक ने उसे आंखों से जाने का इशारा किया । अमर भगवान के सामने नतमस्तक हुआ और फिर मंदिर की घंटी बजाकर बाहर निकल गया ।

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अंतर्द्वंद्व जावेद अमर जॉन के पिछले उपन्यास ‘मास्टरमाइंड' का सीक्वल है। मास्टरमाइंड की कहानी अपने आप में सम्पूर्ण अवश्य थी पर उसकी विषय-वस्तु जो जटिलता लिये थी उसे न्याय देने के लिये एक वृहद कहानी की आवश्यकता थी और प्रस्तुत उपन्यास उसी आवश्यकता को पूर्ण करने हेतु लिखा गया है। writer: शुभानंद Author : Shubhanand Voiceover Artist : RJ Hemant
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