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अंतर्द्वंद्व जावेद अमर जॉन के पिछले उपन्यास ‘मास्टरमाइंड' का सीक्वल है। मास्टरमाइंड की कहानी अपने आप में सम्पूर्ण अवश्य थी पर उसकी विषय-वस्तु जो जटिलता लिये थी उसे न्याय देने के लिये एक वृहद कहानी की आवश्यकता थी और प्रस्तुत उपन्यास उसी आवश्यकता को पूर्ण करने हेतु लिखा गया है। writer: शुभानंद Author : Shubhanand Voiceover Artist : RJ Hemant
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वर्तमान समय से सात साल पहले सन दो हजार बारह इंडस्ट्रियल एरिया ऍम दिल्ली के इंडस्ट्रियल क्षेत्र के कोने में स्थित वो इमारत की गुजरे जमाने में फैक्ट्री हुआ करती थी । पर आज की तारीख में वह वीरान थी और लोग उसे प्रेत ग्रस्त समझते थे । आस पास के गांव वाले तो उसके आस पास भी भटकने की जरूरत नहीं करते थे । खास कर के अंधेरा ढलने के बाद । और इस वक्त इमारत के अंदर एक कोने में तीन शख्स मौजूद थे । उनमें से एक जमीन पर बैठा था । उसकी आंखों पर पट्टी थी और मुझे ऊपर डाॅ का हुआ था । बाकी दो शख्स उसके सामने मौजूद थे जो कि इमारत के अंधेरे में किसी प्रेत की तरह प्रतीत हो रहे थे । उनमें से एक ने लाइटर चलाया जिससे उसका चेहरा दृष्टिगोचर हुआ । उसकी आंखें गड्ढों में धंसी हुई थी । जैसे उसे चैन की नींद महीनों से नसीब नहीं हुई है । चेहरे पर सख्त भाव थी, वो धीरज नहीं था । उसने सिगरेट सुलगाई और अपने साथी को बंधक की तरफ बढने का इशारा की । वो आगे बढा और चुप कर बोला, मैं तुम्हारा मुंह खोले जा रहा हूँ । हम बस तुम से बात करना चाहते हैं । अगर तुमने चीखने चिल्लाने की कोशिश की तो हमारे पास साइलेंसर युक्त रिवॉल्वर है । यहाँ तुम्हारी लाश में खोजने कोई नहीं आएगा समझाएँ । बंधक ने हामी भरी, उसने उसके मुंह से दक्षिण में बता दिया । बराक आँखों की पत्ती हटाने का कोई उपक्रम नहीं किया । यू खोलते ही वो बोला मुझे इस तरह यहाँ लाने का क्या मतलब? तो मैं जवाब मिलेंगे । पहले हमें कुछ जवाब दो । सिगरेट का कश लेते हुए ने कि नहीं कहा बंधक ने अपना चेहरा उसकी तरफ पडता है तो मुझे क्यों मारना चाहता हूँ? कितना किसी मैं किसी को नहीं मानना चाहता हूँ । क्या बात करें? आप देखोगे हम कोई पुलिस वाले नहीं । इतना ही कानून के अंदर रक्षक तो हम जो करना चाहते हो, ऐसा नहीं पर हम उसे आसान बना सकते हैं । बशर्ते हमें तुम्हारा मंतव्य समझाए तो तुम लोग विधायक जोगेंद्र कुमार के अभी होना । वो गुस्से से बोला नहीं देखो मैं तो किसी सवाल का जवाब नहीं हो । नहीं की नहीं । गहरी साथ ही और सिगरेट अपने साथी को पास की । फिर बंधक के सामने झुककर उसके चेहरे के नजदीक आकर बोला । दो साल पहले विधायक जोगेंद्र कुमार के साले जोगिन्दर ने तुम्हारी बीवी को अगवा करवाया था और फिर एक फॉर्म हाउस पर एक हफ्ते तक उसके साथ सामूहिक बलात्कार हुआ और फिर हत्या । वो एक सीधी सादी औरत थी जिसने घर से निकलकर नौकरी करके अपने परिवार को सपोर्ट करने की हिमाकत की थी । क्या ये उसकी गलती थी? या फिर उसने अपने कार्यालय में दबंगई करते हुए जोगिन्दर उसके गुर्गों को शांत रहने के लिए आग्रह किया । ये उसकी गलती थी । गिरीश का गला भर आया था तो तो सब या उसकी गलती थी कि वह एक औरत ही खूबसूरत थी । रात में भी अकेले ट्रेवल करने की हिम्मत रखती थी । ऐसे होने देंगे अगर वो रात को अकेले निकलती है । इसका मतलब वह खोला शिकार है जिस पर कोई भी अपना खेल खेल सकता है । ऍम हो जाओ वो लडकी डाउट था । ये उसकी गलती है कि एक औरत होकर उसने ऐसा दुस्साहस किया । उसे सिर्फ सिर झुकाकर सिर पर पल्लू डालकर घर की चारदीवारी के अंदर रसोई और बैड रूम के अंदर कैद रहना चाहिए था । पर उसे तो मॉर्डन होने का हुआ था । अकेले घूमने फिरने की हिम्मत रखने लगी थी । इसका तो यही मतलब है कि वह किसी भी मर्द के लिए अवेलेबल थी, हूँ ऍम हूॅं गिरीश चीख पडा फिर रोने लगा । वो ऍम तो हो तो वो जो के लिए हूँ हूँ । उसने उसका कंधा थपथपाया तो हम दो साल से केस लड रहे हूँ । पहले छह गवाह है, अब सिर्फ एक बच्चा हैं वो भी कुछ दिनों में पीछे हट जाएगा । जोगेंदर और उसके दोस्तों को क्लीनचिट मिल जाएगी । ऐसा तो नहीं चाहते हो गया हूँ कानून के अलावा और कहाँ किससे न्याय मांगूं । जब कानून न्याय ना दे सके तो तुम खुद कानून बन जाओ अपने हाथों से उसे सजा तो तो अभी तुम है । सही मायने में तृप्ति मिलेगी क्या? तो मैं लगता है मैंने ऐसा सोचा नहीं । दिन रात उठते बैठते थे, बस मन करता है कि जानता हूँ । मन तो काफी हद तक बना चुके हो तो क्या मतलब उसको मुस्कुराया । जब हमें इतना कुछ तुम्हारे बारे में जानते हैं तो क्या तो मैं नहीं लगता तुम्हें हाल में जो ट्रेनिंग शुरू की है उसके बारे में हमें खबर नहीं होगी । गिरीश सिर झुकाकर बोला मैं थक गया हूं । कोर्ट के चक्कर लगा लगाकर मेरी नौकरी भी चली गई क्योंकि मैं ऑफिस में काम पर ध्यान नहीं दे सका । तो तुम्हें लगता है तुम जोगेंदर के घर के सामने खडे रहोगे और उसके निकलते ही उसे अपने देसी तमंचे से शूट कर दोगे और वह मर जाएगा । वो निषद हो गया । जो तमंचा तुमने खरीदा है कभी उस से चलाकर देखा है उसका निशाना सटीक नहीं होता और कई बार तो गोली निकलते ही नहीं, तमंचे के अंदर ही फट जाती है । जरा सोचो जोगिंदर अपनी कार से बाहर निकला तो मैं उसे देखकर गोली चलाई । गोली अंदर यह नहीं वह तो मैं देख रहा है । फिर गोली तुम्हारे हाथ में ही फट गई । जोगिंदर तो ऊपर हंस रहा है हैं । तुम चाहते हो फॅालो मैं तुम्हें न्याय दिलाना चाहता हूँ । तुम है अपनी बीवी के साथ हुए अमानवीय कर्मों का बदला लेते देखना चाहता हूँ मैं चाहता हूँ तुम जोगेंदर और उसके गुर्गों को तडपा तडपाकर मारो पर आप ये क्यों सुनो गिरी है अब तक तुम समझ गए होगे की मैं कोई कानून का रक्षक नहीं । पर अगर तो मुझ पर विश्वास करोगे तो मैं भी तुम पर करूंगा और तुम पर कोई आंच नहीं आने दूंगा । पर मैं ये काम तुम्हारे लिए फ्री में नहीं करूंगा । पर मेरे पास नॅशनल पैसे तब तुम चिंता मत करूँ । मुझे तुमसे पैसे नहीं उससे भी बडी चीज चाहिए । मैं चाहता हूँ तुम हमारे मिशन में सात तो ऍम मिशन अंतर तुरंत ये क्या है? अंतर्द्वंद यानी आंतरिक संघर्ष या इंग्लिश में डिनर कॉन्फ्लिक्ट । एक ऐसा मिशन जिसमें हमें अपने देश में का अंदरूनी लडाई, लडनी, करप्शन को जड से उखाड फेंकना है । लोगों में ऐसी दहशत पैदा कर देनी है कि कोई भी गलत काम करने से पहले उसे डर रहे । पुलिस और कानून से अगर बच गया तो मिशन अंतर्द्वंद वाले उसे नहीं छोडेंगे । तो क्या आप मुझे नहीं जरूरी नहीं तो मैं इसके लिए पेशेवर हत्यारा ही बन जाना पडेगा । किसी भी मिशन में बहुत से काम होते हैं जो की ब्लॅक ट्यूशन में विभाजित होते हैं तो मन में से अपना पसंदीदा काम उठा सकते हो । जब भी कोई काम होगा तो मैं ईमेल आएगा और गुप्त रूप से किसी लोकेशन पर आने के लिए कहा जाएगा जहाँ तुम्हें मिशन संबंधित निर्देश दिए जाएंगे । कहने की जरूरत नहीं है की तो मैं इस बारे में कभी भी किसी को कुछ बता सकते हो, नहीं, इसका दुरुपयोग कर सकते और साथ ही तुम इसका दुरुपयोग भी नहीं कर सकता । अगर तो मैं कहीं कोई ऐसा टारगेट मिलता है तो तुम ईमेल करोगे, उसे जांचा परखा जाएगा । फिर प्लानिंग के साथ काम होगा । कभी कोई काम घुसते में आवेश में नहीं किया जाएगा । अरे एक्शन सोच समझ कर लिया जाएगा । हमें ये मिशन बहुत आगे तक ले जाना है । इसमें लोगों को जोडते जाना है । इसलिए कोई भी ऐसा कदम नहीं उठाना जिससे मिशन खतरे में आ जाए हूँ । बनना चाहोगे इस मिशन का हिस्सा देखिए मुझे सोचने के लिए कुछ समय चाहिए । जो समय है अभी है तुम्हारे पास । यहाँ से निकलने के बाद तुम फिर कभी हमारे बारे में नहीं सुनोगे । क्या चाहते हो तुम अपनी लडाई खुद से लडते रहना या फिर हमारे मिशन में शामिल होकर तो में है जॉइनिंग बोनस में जोगेंदर मिलेगा एक कमरे में निहत्था तो हमारे अधिकार में तो है । जो हथियार चाहिए हो मिलेंगे तो उस पर जो कहर गिरना चाहोगे, गिरा सकोगे दोनों गिरीश कुछ पहले असमंजस में मौनधारण किये रहा । फिर दृढ स्वर में बोला मुझे मंजूर है ।

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अंतर्द्वंद्व जावेद अमर जॉन के पिछले उपन्यास ‘मास्टरमाइंड' का सीक्वल है। मास्टरमाइंड की कहानी अपने आप में सम्पूर्ण अवश्य थी पर उसकी विषय-वस्तु जो जटिलता लिये थी उसे न्याय देने के लिये एक वृहद कहानी की आवश्यकता थी और प्रस्तुत उपन्यास उसी आवश्यकता को पूर्ण करने हेतु लिखा गया है। writer: शुभानंद Author : Shubhanand Voiceover Artist : RJ Hemant
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