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Chapter 4

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अंतर्द्वंद्व जावेद अमर जॉन के पिछले उपन्यास ‘मास्टरमाइंड' का सीक्वल है। मास्टरमाइंड की कहानी अपने आप में सम्पूर्ण अवश्य थी पर उसकी विषय-वस्तु जो जटिलता लिये थी उसे न्याय देने के लिये एक वृहद कहानी की आवश्यकता थी और प्रस्तुत उपन्यास उसी आवश्यकता को पूर्ण करने हेतु लिखा गया है। writer: शुभानंद Author : Shubhanand Voiceover Artist : RJ Hemant
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वर्तमान समय इंडियन एयरलाइंस कार्यालय लखनऊ अतीत के भवन से निकलते हुए जावेद ने चौक कर उसे देखा । शहर पानी हाथ में ट्रेन लिए हुए एक बैरे ने मुस्कुराकर कहा । जावेद ने पानी का ग्लास ले लिया । वो जॉन के साथ इस वक्त इंडियन एयरलाइंस के ऑफिस में मौजूद था और वो दोनों उन के एक उच्च अधिकारी का इंतजार कर रहे थे । जावेद के हाथों में प्लास्टिक के जिपलॉक के अंदर सुरक्षित फोटो थी जिससे पिछले महीने से वो अनगिनत बार देख चुका था । दिन में रात में सोते हुए उसकी नजरें अपनी बीवी और बेटी के साथ पीछे बहते समुद्र पर भी थी । वहाँ की रेत पर थी, दूसरे इंसानों पर थी । वो चाहता था कि कोई टोकलो मिले जिससे उनकी लोकेशन के बारे में कुछ पता चल सके । तुम दोनों जिंदा हूँ, तुम्हारे पास दूसरा कोई ऑप्शन नहीं । कुछ कहा । जॉन ने अपने फ्रेंड लिस्ट कश्मीर को नाक पर चढाते हुए पूछा । जावेद ने इंकार में सिर हिलाया हूँ । मैं शर्त लगाने को तैयार हूँ । अभी और फलक एकदम ठीक ठाक होंगे । जावेद ने हामी भरी है । आम तौर पर उसे अपनी काबिलियत और अपने काम के लिए कभी किसी दूसरे के आश्वासन की जरूरत नहीं पडती थी । पर इस मामले में वाकई तो मन से चाहता था कि हर कोई उसे ये आश्वासन दें कि उसकी बीवी सरीना और बेटी फलक ठीक ठाक होंगे । इतने सालों से उनके दोबारा मिलने की आशाएं पूरी तरह से खो चुकने के बाद पिछले महीने सोहनगढ माइन्स में आईएसआई के के नेता खलीली के दिए इस फोटो और जानकारी के बाद उसके जीवन में फिर से उम्मीद जाग उठी थी । चीफ अजय कुमार भी बखूबी इस बात को समझता था और उसने जावेद को पूरी छूट दी थी कि किसी भी और केस पर ध्यान न दें और फिलहाल लापता फ्लाइट तीन सौ एक के केस पर पूरी तरह से लग जाए । आना की ये कि सिर्फ जावेद के लिए व्यक्तिगत महत्व नहीं रखता था बल्कि ये पूरे विश्व के लिए एक बहुत बडी मिस्ट्री थी क्योंकि पूरा का पूरा एयरप्लेन गायब हो गया था । वो भी एक नहीं दो बार पहले मलेशिया का एक विमान और कुछ ही दिनों बाद भारत का दोनों का ही कोई भी सुराग आज तक कभी किसी को नहीं मिला था । सभी तरह की टेक्नोलॉजी प्रयोग कर ली गई । पूरे समुद्र को छान मारा गया लेकिन नतीजा सिर्फ और सिर्फ सिर्फ निकला पर अब खाली की दी हुई जानकारी से ये तो साबित हो गया था कि कम से कम वो भारतीय प्लेन क्रैश तो नहीं हुआ था । अन्यथा जावेद की बीवी और बच्चे जिंदा कैसे होते हैं । किसी समुद्र तट पर खडे कैसे होते हैं । ये फोटो कोई ऐसी भी नहीं थी कि जिससे पता चले कि टेक्नोलॉजी यूज करके कृतिम फोटो बनाई गई हो क्योंकि जावेद उसमें सरीना और फलक के भाव देख सकता था । फलक की बढी हुई उम्र देख सकता था । कहने को तो ये भी टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल से किया जा सकता था पर फिर भी एक बहुत दूर का शौक था जिस पर विश्वास करना मुश्किल था । आसान यही था की खलीली ने जो कहा था वो सच था । एयर प्लेन का युग गायब हो ना इत्तेफाक नहीं था वो एक साजिश थी और वह साजिश क्या थी जानना बहुत जरूरी था । ये सिर्फ जावेद की बीवी और बच्चे के लिए ही नहीं था बल्कि उन तमाम पैसेंजर्स के लिए था जो दुर्भाग्यशाली फ्लाइट में सवार थे । साथ ही ये देश की सुरक्षा का मामला था क्योंकि अब इस मामले में आतंकवादियों के शामिल होने की संभावना प्रबल हो गई थी । पर फिर भी ये रहस्य समझ में नहीं आ रहा था की अगर प्लेन हाईजैक किया गया तो उसके बदले में कोई मांग क्यों नहीं की गई । अगर टेरेरिस्ट प्लॉट के तहत किया गया तो किसी ऑर्गनाइजेशन ने इसकी जिम्मेदारी क्यों नहीं ली । तो क्या ये हाईजैकिंग किसी और बडी साजिश का हिस्सा थी जो कि खाली द्वारा रचित मास्टरमाइंड ट्रैन से संबंधित थी या ये कोई और ही साजिश थी? बहरहाल सच किया था इस पर सिर्फ अटकलें लगाई जा रही थी सबूत कुछ भी नहीं मिला था । पिछले कई दिनों से अब है जावेद और जॉन के बीच निरंतर मीटिंग हो रही थी और इस केस पर आगे बढने के बारे में रणनीति बनाई जा रही थी । तो अब शुरुआत यहाँ से हुई थी कि पता किया जाए कि फ्लाइट के दो पायलट कौन थे । उनका बैग्राउंड कैसा था । इसी काम के लिए आज जावेद और जॉन इंडियन एयरलाइंस के ऑफिस पहुंचे थे तभी ऑफिस में वो उच्चधिकारी प्रविष्ट हुआ । उसने एक नजर जावेद और जॉन की तरफ डाली और फिर उन्हें इशारा कर के अपने कैबिन की तरफ बढ गया । जावेद और जॉन उसके पीछे कैबिन में दाखिल हुए हैं तो अधिकारी जिसका नाम श्रीपत था । औपचारिकता निभाने के बाद जल्दी से बोला देखिए एक बहुत पुराना कैसे और इस से पहले ही बहुत हाईलाइट किया जा चुका है । मीडिया परेशान करती रही हैं । इसकी छानबीन भी की जा चुकी है । मुझे समझ नहीं आ रहा है अब इतने सालों बाद में आपको क्या नया बता सकता हूँ । देखिए, मैं समझ सकता हूँ कि इस केस को लेकर आप को काफी परेशानी हुई है । जावेद बोला, पर इसे फिर ओपन इसलिए किया गया है क्योंकि अब हालात बदल चुके हैं । अभी तक तो ये माना जाता रहा था कि प्लेन क्रैश हुआ होगा । पर कुछ नए सबूत सामने आए हैं जिनसे पता लगा है कि प्लेन के कई यात्री किसी अज्ञात जगह सुरक्षित उतारे गए थे और वो शायद अभी भी जिंदा है । इसका मतलब ये है कि ये एक सोची समझी साजिश थी ना कि कोई दुर्घटना । अब जबकि ये साबित हो चुका है तो इन्वेस्टिगेशन एक नए सिरे से शुरू करना बेहद जरूरी है । श्रीपद्म जनता जबसे जावेद की तरफ देखा मैं ये तो वहाँ कई चौंका देने वाली बात पता लगी है । जावेद ने जेब से वह फोटो निकाल कर सामने टेबल पर रखती है । श्रीपद्म गौर से फोटो को देखा जावेद बोला इस फोटो में फ्लाइट के पैसेंजर हैं कुत्ता जबसे फोटो देखने लगा रिपोर्ट हम कई बार पढ चुके हैं पर फिर भी की आप हमारी नॉलेज के लिए एक बार फिर वह क्या बता सकते हैं । जॉन बोला समझे बिल भी हेल्पफुल भाई जो आप पढ चुके हैं उसके अलावा कुछ भी नया में शायद ही बता सकते हैं । अब तेईस मार्च दो हजार तेरह को दोपहर ढाई बजे फ्लाइट लखनऊ से मुंबई पहुंची और फिर वहाँ से कतर के लिए शाम छह बजे रवाना हुई । सात बजकर छह मिनट पर एयर ट्रैफिक कंट्रोल से उसका लास्ट कम्युनिकेशन हुआ था । उसके दस मिनट बाद अचानक उसका रुख दक्षिण की तरफ हो गया । इस बीच एयर ट्रैफिक कंट्रोल से कई बार मैसेज भेजे गए, पर कोई जवाब नहीं मिला । जोडते हुए मालदीव के ऊपर से गुजरा । ग्यारह बजे वहाँ के रेडार स्क्रीन से गायब हो गया । उसके बाद भारतीय नेवी का रेडार उसे हिन्द महासागर की तरफ ट्रैक करता रहा । रात बारह बजकर चालीस मिनट पर वह नेवी के रेडार से भी गायब हो गया । उसके बाद से आज तक ऑफिशियली तौर पर प्लेन को कभी नहीं देखा गया । नहीं उसकी लोकेशन का पता चला थैंक्स जॉन ने का । हम चाहते हैं कि आप हमें उस फ्लाइट के पायलट के बारे में ज्यादा से ज्यादा जानकारी दें । देखिए अगर आप फिर से पायलट पर शक कर रहे हैं तो मैं आपको बता दूँ कि पिछली बार भी खुफिया इंटेलिजेंस को पायलट के खिलाफ कुछ भी नहीं मिला था । अगर आप फिर से पायलट पर शक कर रहे हैं तो मैं आपको बता दूँ कि पिछली बार भी खुफिया एजेंसी इसको पायलट के खिलाफ कुछ भी नहीं मिला था । विक्रम और अजय दोनों का बैग्राउंड क्लीन था और उनकी मानसिक हालत भी एकदम ठीक थी । उनके खिलाफ कुछ भी पता नहीं चला था । मैं आपको और क्या नहीं जानकारी तो सब कुछ तो पहले बताया जा चुका है । मानसिक हालत तो ठीक ही होगी क्योंकि अब पता चला है कि ये साजिश थी न कि किसी पायलट का सुसाइड मिशन । इसका मतलब पायलट के बॉल होने की संभावना नकारी नहीं जा सकती । जॉन ने कहा मंच को नहीं लगता श्रीपद ने नकारात्मक ढंग से सिर हिलाते हुए कहा । पर जावेद उसकी बात बीच में ही काटते हुए बोला जैसा कि आप ने कहा कि प्लेन ने जैसे ही अपनी दिशा बदली, एयर ट्रैफिक कंट्रोल से उसका कॉन्टेक्ट टूट गया था । हाँ सही है ऐसा पायलट्स ने जानबूझकर क्या हो सकता है । हाईजैकर्स ने भी क्या हो सकता है, पायलट से जबरदस्ती करवाया हो सकता है या तकनीकी खराबी भी हो सकती है । मैं समझ सकता हूँ आप अपने पायलट का पक्ष ले रहे हैं । मैं दोनों से परिचित हूँ इसलिए ऐसा पूरे कॉन्फिडेंस के साथ कह रहा हूँ और जब सीबीआई को भी उनके खिलाफ कोई सबूत नहीं मिला तो मेरा ये विश्वास यकीन में बदल गया था । जावेद ने फोटो जिपलॉक सहित अपनी शर्ट की ऊपरी जेब में रखा और कहा अगर ये सच है तो वह दोनों पायलट्स ही आज बाकी पैसेंजर्स के साथ कैद होंगे । मामला और भी संगीन हो चुका है क्योंकि अब हमारे सामने चुनौती है इन सभी को सुरक्षित वापस लाने की । पर अगर ये सभी जिंदा है तो अभी तक इनके लिए कोई फिरौती क्यों नहीं मांगी गई? ये भी एक रहस्य है । हो सकता है वह किसी मुकम्मल वक्त का इंतजार कर रहे हैं । हमें ये सब पता करना है और हम शुरुआत कर रहे हैं । पहले पायलट बेगुना हूँ पर उनकी खोजबीन सेन रहस्यों से पर्दा उठ सकता है । मैं समझ सकता हूँ मैं आप का पूरा साथ दूंगा क्योंकि अमर बहुत दिनों बाद ऑफिस आया था । फिलहाल उसके पास कोई काम नहीं था । चीफ अजय कुमार ने उससे फोरी तौर पर एक मुलाकात की और हालचाल लिया । ये भी कहा कि जब तक पूरी तरह से ठीक नहीं लगे ऑफिस ना आए पर अमर ने कहा वाह ठीक है और नियमित रूप से ऑफिस आएगा । अमर फिलहाल किसी नए की इसमें हाथ डालने के मूड में नहीं था । हाल में हुए वाकई अभी तक उसके अंतर्मन को झंझोड रहे थे । खाली के मास्टर प्लान के बाद से काफी लोगों का यही हाल था । भारत की सभी खुफिया एजेंसी अब पहले से बेहद ज्यादा सजग थी । रिक्रूटमेन्ट बढा दिया गया था । फिर चाहे वह बाहर देशों की हरकतों पर नजर रखने वाली रहो या फिर अंदरूनी मामलों को संभालने वाली सीक्रेट सर्विस, सीबीआई, आईबी आदि । अमर ने जॉन को कॉल किया और उसने कॉल रिसीव नहीं की । उसके मन में खाली ली और उसके प्लान से जुडे कई सवाल कौन रहे थे और उस बारे में किसी के साथ बात करना चाहता था । कुछ देर बाद उसे जॉन का मैसेज आया कि वह केस के सिलसिले में जावेद के साथ अभी दिल्ली की फ्लाइट पड रहा है । उसने कुछ देर व्हाट्सऐप पर आए मैसेज को देखा । फिर जॉन की प्रोफाइल पिक देखने लगा जो उसने हाल ही में बदली थी । उसमें वो सफेद टीशर्ट पहने था और सामने देखते हुए मुस्कुरा रहा था । अमर उसे देखकर मुस्कुराया । उसने सोचा कि वाकई वह बहुत खुशकिस्मत है जो उसे जॉन जैसा दोस्त मिला । उसके हर गलत कदम से पहले ही अक्सर जॉन उसे आगाह कर देता था । मुसीबत का कोई भी ऐसा पल नहीं होगा जब वो उसके साथ खडा ना रहा हूँ । उसने कहा था रिंकी के चक्कर में मंदिरा जैसी भली लडकी को नागवार क्या वो ठीक कह रहा था? आखिर में कैसे इतनी आसानी से रिंकी के प्यार में पड गया? मुझे हुआ क्या था? क्या वाकई वो प्यार था या वो किसी सम्मोहन के वर्ष में था? आखिर रिंकी ने उससे प्यार क्यों किया? उसके साथ नजदीकियां बढाने में रिंकी का ही स्वार्थ था । उसे किसी तरह से सीक्रेट सर्विस के सहारे खाली तक पहुंचना था और वो इसमें सफल भी हूँ । पर फिर वक्त से पहले ही क्यों अपने राज उसने हम पर खोल दी है? क्यूँ आपने भूत की दिल दहला देने वाली कहानी सुनाते वक्त उसने मेरा सहारा लिया । उसकी आंखों में उन्होंने वो भाव तो प्यार और अपनापन नहीं, वो झूठ नहीं तभी फोन की घंटी ने उसे आकर्षित किया । उसने मोबाइल की स्क्रीन देखी । मंदिरा का नाम दिखा अमर स्क्रीन को देखता रहा । कॉल बस्ती रही, फिर कुछ देर में बंद हो गई । अमर ने फोन एक तरफ रख दिया और फिर सिर पर हाथ रखकर कुर्सी में रिलेक्स होकर बैठ गया । तभी अब है उसकी डेट्स पर पहुंचा अमर उसे देख कर एकदम से चौका इस तरह है किसी एजेंट की डेस्क पर खुद चलकर आए । ये कभी कभार ही होता था । अमर वो उतावलेपन के साथ बोला हमें दिल्ली चला होगा । दिल्ली हाँ, तुम फिलहाल कुछ कर रहे हो । नहीं, कुछ भी नहीं तो चलो अभी सीधे एयरपोर्ट चलते हैं । ठीक है लेकिन हुआ क्या? सर सीबीआई ने तलब किया है । खाली संबंधित कुछ पूछताछ करना चाहते हैं । हालांकि हम लोग अभी रिपोर्ट पर काम कर ही रहे हैं और उसमें काफी वक्त लगने वाला है । पर कुछ ऐसे मसले हैं जिन पर वो इंतजार नहीं कर सकते हैं । कुछ ऐसे सवाल हैं जो अंतरराष्ट्रीय फोरम पर पूछे गए हैं । इसलिए उन का तुरंत जवाब देना जरूरी हो गया है । इस मिशन में तुम्हारी अहम भूमिका थी इसलिए तुम्हारा चलना महत्वपूर्ण होगा । चलिए कहकर अमर उठ खडा हुआ । दोनों तेज कदमों से बढते हुए हैड क्वाटर्स से बाहर निकले । हम अमर और अब है नई में लोधी रोड स्थित सीबीआई के हेड क्वार्टर में इंटरपोल ऑफिस पहुंचे । उन्हें सिर्फ दस मिनट इंतजार करना पडा और फिर मीटिंग रूम में उनकी मुलाकात इंटरपोल ऑफिस के इंचार्ज एसपी राज निकेतन और एक एक्सपर्ट मनोज रामचंद्रन से हुई । चारों मीटिंग रूम में पडी विशाल का इमेज के आमने सामने बैठ गए । हमारे आग्रह पर तुरंत यहां पहुंचने के लिए थैंक सब है नंबर राज ने कहा अब और अमर ने सिर्फ सिर हिलाया । आप समझ सकते हैं कि खाली के प्लान को विफल करने में आप और आपकी एजेंसी की अहम भूमिका रही है । एस प्लान की चर्चा आदेश विदेश के हर फोरम पर आजकल हो रही हैं । हमारी आपकी एजेंसी के साथ विदेश की खुफिया एजेंसियां भी हैरान परेशान है कि इतनी बडी साजिश कैसे किसी की नजर में नहीं आई । थोडा बहुत नजर आए भी तो इसके इतना खतरनाक होने का अंदाजा कैसे नहीं लगा । मतलब न्यूक्लियर वेपन । वही ड्रोन पर कमा मिलिट्री भी अभी तक ऐसी तकनीक पर काम नहीं कर सकी है और ये आतंकवादी खैर इन सभी मसलों पर छानबीन चल रही है और आप भी उसका हिस्सा है । पर आज आपको यहाँ इसलिए बुलाया गया है ताकि इंटरपोल से आ रहे सवालों पर उत्तर दिया जा सके । उन्हें अभी तक यही कहकर डाला जा रहा था की रिपोर्ट बन रही है । अभी समय लगेगा पर वो होम मिनिस्ट्री से दबाव जलवा रहे हैं । मुझे लिया उनसे रोज होना रहे हैं । आयोग अब मेरी पोजीशन समझ सकते हैं । बखूबी समझ सकते हैं । मिस्टर आज । इसलिए तो मैं यहाँ मार के साथ तुरंत पहुंचा हूँ । ऐसे खतरनाक मिशन रोज नहीं होते हैं । सिर्फ भारत ही नहीं पूरे विश्व में इसके बाद बहुत कुछ बदलने वाला है । पूछे जो भी घोषणा बस इसमें कैबिनेट रहेगा कि इसे प्रीलिमनरी जवाब माना जाए । कैसे प्रीलिमनरी जवाब ही माना जाए । अंतिम उत्तर तो सीबीआई और सीक्रेट सर्विस की जांच पूरी होने के बाद ही भेजा जाएगा । बिल्कुल है हमारे उत्तर में ये लाइनें पहले ही बोल मैं लिख दी जाएंगे । अब आप दोनों को मुद्दे पर लाता हूँ । आप जानना चाहेंगे कि क्यों इंटरपोल इंतजार नहीं कर पा रहा । क्यों हमारी सरकार पर तुरंत जवाब देने का दबाव बना रहा है तो उसका जवाब है धीरज नहीं की । वो एक इंटरपोल अफसर था और वो इनलैंड का सिटीजन था । वो भारत में आतंकी हरकतों की जानकारी लेने आया था । राम तौर पर ऐसा नहीं देखा गया कि इंटरपोल का कोई ऑफिसर किसी मिशन पर काम करे या फिल्म ोत्र अब है । बोला, आप ने बिलकुल सही कहा । फील्ड वर्क करना इंटरपोल का काम नहीं । वो सिर्फ एक नेटवर्क है जो सिर्फ देशों को ज्यादातर इस तरह के क्राइम में मददगार साबित होता है । जहाँ अपराधी देश छोडकर दूसरे देश भाग गया हूँ । ऐसे केस में वो देश इंटरपोल से उस अपराधी के खिलाफ रेड नोटिस जारी करवाने की मांग कर सकता है । जैसा की आप जानते ही हैं कि खाली के खिलाफ कई देशों ने रेड नोटिस जारी करवा रखा था । फिर धीरज ने की किस कपैसिटी में भारत आया था? क्योंकि मामला ऍम का था, उसे यहाँ भेजा गया था । इसके लिए हमारी गवर्नमेंट से विशेष अनुग्रह किया गया था । इसमें किसी का नुकसान नहीं था तो उसे आने दिया गया । तो क्या ये पहले से मालूम था कि खाली भारत में है, ये आने वाला है? देखिए सिर्फ एक अनुमान था बहुत हल्का साइंट । ऐसा कोई बडा प्लान है, इसकी कोई भनक नहीं थी । फिर नेगी कैसे खाली के गुप्त अड्डे पर मौजूद था? अचानक अमर बोला, मैं बस उसी मुद्दे पर पहुंच रहा हूँ । राज हल्की सी मुस्कान के साथ बोला वेल धीरज ने की । करीब सात साल पहले भारत आया था । जैसा कि इंटरपोल करता है । उसका काम सिर्फ टेस्ट वर्क था । ऍम जानकारियाँ इकट्ठा करना । वो यही इसी ऑफिस में बैठा था । यहाँ बिल्कुल इंटरपोल ऑफिसर के लिए । यही तो ऑफिसर भारत में आई नो । अब मैंने कहा यानी फील्ड पर काम करना । वैसे भी उसके जेडी में नहीं था बिल्कुल और उसका तो पर्सनल एजेंडा था । अमर भेदभरी मुस्कान के साथ बोला, अचानक ही राजकीय आंखों में चमक उभरी । बस यही वजह है जिसके कारण मैंने अभय को कहा कि तुम्हें साथ लेकर आए । अमर ने सहमती में सिर हिलाया । मैं समझ रहा हूँ सोहनगढ माइन्स में उसने अपना राज्य अगला था । उस वक्त में भी वहाँ था । और और अब वहाँ मौजूद लोगों में सिर्फ मैं जिंदा हूं । बोलता है राज उत्साह के साथ बोला । अब समझा है क्यों आपको अपने ब्रेस्ट मैन में गिनते हैं? अभय गर्व के साथ हमार की तरफ देखा सब है सर से ही सीखा है । अमर बोला तो फिर देगी नहीं । यहाँ कितना समय निकाला मुश्किल से छह महीने । उसके बाद अमर ने पूछा वो अपने देश वापस चला गया । अमर के चेहरे पर शातिर मुस्कान आ गई यानि सिर्फ पेपर पर । हाँ, अपने देश और काम पर वापस ना पहुंचने पर इंटरपोल ने उसे ढूँढा नहीं । बिल्कुल होना और उसका कुछ पता नहीं चला । उसने लंदन का टिकट निकाला हुआ था । इमिग्रेशन का स्टैम्पिंग भी करवाया हुआ था । उसके बावजूद भी वो असल में भारत से कभी नहीं निकला । अब समझा उसने कहा था कि उसने चार साल आईएसआई का एजेंट बनने में लगाए थे । मुझे राज ने पूछा और उसके इशारे पर मनोज ने अपने लैप्टॉप पर टाइप करना शुरू किया । फिर आईएसआई ने उसे गुप्त मिशन पर लगा दिया । वो मिशन था सोहनगढ माइंड का निर्माण । यानी एक तरह से वो खाली ले के लिए काम करने लगा था का और उसे खलीली के मिशन की जो भी जानकारी मिलती थी वह से पुनीत सहानी और नूरमोहम्मद के साथ शेयर करता रहा । रिंकी से भी उसके बारे में जानते थे । अमर ने गहरी सांस ली और फिर कहा रिंकी किस तरह से उसके साथ बॉल थी । मुझे लगा हम नेगी के बारे में बात करने वाले हैं अमर राज और फिर अब है की तरफ देखते हुए बोला सब इंटरलिंक है यू नो हाॅट राजनीति हाथ फैलाए । रिंकी पुणे सहानी की बहन थी और दोनों मिलकर खाली से बदला लेना चाहते थे । अमर बोला होगा । उनकी बैक स्टोरी के बारे में पता चला । काफी इंटरेस्टिंग लगा तो ये दोनों भाई बहन नेगी की मदद ले रहे थे का अब हम बात है ये जानना कि नेगी के क्या इरादा है । रो खलीली के प्लान को फेल करके अपना प्लान लागू करना चाहता था । वो क्या था देश को प्रस्तुत गवर्मेंट से मुक्ति दिलाना अमर ने बहुत है, उसका कर कहा और ऐसा वह खलीली के ही उपकरणों के इस्तेमाल से करना चाहता था । हाँ, अब हमें इन सभी बातों को प्रमाणित करने के लिए कुछ सबूत भी पेश करने होंगे । अब है तुरंत बोला हम बोल सकते हैं । अभी इन्वेस्टिगेशन चल रही है । फिलहाल जो सीक्रेट सर्विस से जवाब मिला है उसके आधार पर उत्तर दिया जा रहा है क्या? वो तो बोल रही है और मैं फिलहाल ये समझने की कोशिश कर रहा हूँ कि कि क्या उस दौरान हमें उसके खिलाफ कोई प्रमाणिक तथ्य मिला था । उसके कन्फेशन के अलावा मुझे उम्मीद तो नहीं कि हमने उसके कन्फेशन की कोई रिकॉर्डिंग की । उसने आशापूर्ण निगाहों से अमर को देखा । अमर ने इंकार में सिर हिलाया फिर कुछ सोचते हुए अमर बोला । वो पुनीत, सानिया और रिंकी के टच में था तो उसके फोन, ईमेल आदि से शायद कुछ पता चल वो ऑन गोइंग इन्वेस्टिगेशन का हिस्सा है । अब बोला ओके राज बोला मनोज निरंतर टाइप कर रहा था । अब खाली के कंट्रोल रूम में हुए उन लोगों में पहुंचते हैं । जब नेगी उसे अपने अधीन लेने की कोशिश कर रहा था । उस वक्त के बारे में बताइए । मेगी मालिक चाचा के रूप में खरीद ली के संगठन यानी आईएसआई के के बीच काफी लोकप्रिय था । उसे विश्वास था कि खाली की मौत के बाद उसे उन का लीडर बनने में ज्यादा दिक्कत नहीं आएगी । तो अगर ये कहा जाए कि वह खुद आईएसआई के का लीडर बनना चाहता था तो कुछ गलत नहीं होगा । अमर ने कुछ सोचते हुए कहा हाँ पर उसके इरादे । हाँ, वो कुछ क्रांति लाना चाहता था, वो भी आतंकवादी बन कर । सब बकवास क्या तो नहीं मानते । वो सिर्फ बकवास कर रहा था । अारक्षण का शिकार तसर बदले की भावना ने उसे भटका दिया था । राज मनोज से कहा, ये मतलब ना फिर आगे झुककर व्यंगात्मक भाव के साथ अमर से बोला हमारी फील्ड में इमोशन की, वो भी क्रिमिनल के लिए कहाँ कुछ अहमियत होती है हमारे? हाँ मैं बस ये नहीं राज सख्ती से उंगली उठाकर बोला । फिर अब है की तरफ पालता अम् जी आप बोलिए । अभय चुप रहा । देखिए अगर हम आतंकवादी से उसके बनने की परिस्थिति और उसके हालत समझने में लग गए, उसके साथ हमदर्दी रखने लगे तो फिर हमारा काम हो चुका है । अमिन मेरा वो मतलब नहीं था । अमर तेजी से बोला तो एजेंट अमर वो तेज स्वर में बोला मुझे सिर्फ सीधे जवाब दीजिए । मुझे ये रिपोर्ट बनाकर होममिनिस्टर को दिखानी है और उसके बाद लियोन और ब्रिटिश गवर्नमेंट की रिपोर्ट पहुंचानी है और उसके बाद लियोन और ब्रिटिश गवर्नमेंट की रिपोर्ट पहुंचने वाली है । आप इसकी अहमियत समझ रहे ना । अमर ने सहमती में से नहीं लाया नहीं शायद आप इस मामले की गंभीरता समझ नहीं रहे । यहाँ हमारा देश इस बात का जवाब दे रहा है कि इंटरपोल का एक अवसर भारतीय जासूस के हाथों क्यों मारा गया । इसलिए हमें ये नहीं बताना है कि वह जो कुछ करने जा रहा था उसके पीछे उसका कोई बहुत बडा मानवता भरा मंतव्य था । यहाँ सिर्फ ये बताना है कि कैसे वो एक आतंकवादी था । कैसे उसके इरादे हमारे देश के लिए बेहद खतरनाक थे । कैसे वो देश के लिए खाली की तरह ये घातक टेरेरिस्ट था । समझ रहे हो ना? अमर ने हामी भरी गार्ड इसी में आप की हमारी और हमारे देश की भलाई है । हम दूसरे देश से ये नहीं कह सकते की एक अंतरराष्ट्रीय एजेंट को हमने बिना सबूत बिना सोचे समझे मार दिया । इसलिए आपकी इन्वेस्टिगेशन में और किसी के खिलाफ पुख्ता सबूत उभरना उभरे लेगी के खिलाफ जरूर भरने चाहिए । हम इसका पूरा ध्यान रखेंगे । राज अब बोला मनोज राज बोला तो मैं कुछ पूछना है अमर का ध्यान मनोज की तरफ गया जो कि गोल फ्रेम का चश्मा लगाए था । उसके बाद तेल से चिपके हुये थे जिससे कि वो एक सीबीआई अफसर से ज्यादा पढा को विद्यार्थी दिख रहा था । उसकी भूमिका अभी तक सिर्फ टाइपिस्ट की रह गई थी । पर अब अपना चश्मा ठीक करते हुए वो बोला मैं आपसे ये जानना चाहता था कि लेगी पर गोली चलाने के अलावा क्या कोई और विकल्प मौजूद था । अमर संभलते हुए बोला मुझे नहीं लगता है चिंता मत कीजिए, राज बोला होगा ये बात आगे नहीं जाने वाली । हम दूसरे देश को ऐसा कोई इशारा नहीं देने वाले जिससे आप या हम मुश्किल में पड जाए । वो न्यूक्लियर वेपंस एलोडी ड्रोन पार्लियामेंट के लिए लॉन्च करने जा रहा था । इस बार अमर कुछ तेज स्वर में बोला उसे तुरंत रोकने के लिए मुझे उस वक्त यही तरीका समझाया । उससे पहले वो काम खाली करने जा रहा था । उसे भी रोकने के लिए यही करना पडता हूँ । मेरी जगह होते तो क्या करते हैं । बिल्कुल वही करता हूँ । राज बोला हूँ । मनोज तुरंत बोला हूँ आपने शक्तियां देश को भारी विपत्ति से बचाने के लिए जो भी कदम उठाए वो सराहनीय है । आपके साहस की बदौलत हजारों लोग आज भी सांसे ले रहे हैं । आप नेशनल हीरो है ऍम और जब इन्वेस्टिगेशन रिजल्ट पेश किए जाएंगे तो हमें इस तरह के सवालों का जवाब देने के लिए तैयार रहना होगा । फाइटिंग कमर ये बात समझता है । अब बोला इसलिए उन परिस्थितियों के बारे में बता रहे हैं । खाली लिया कोई भी अगर उस वक्त देश पर न्यूक्लियर बम गिराने की साजिश में भाग ले रहा होता तो उसे रोकने के लिए यही मुनासिब कदम था । ऍम मनोज बोला, हम सब एक ही साइड हैं, पर इंटरपोल को जवाब देने के लिए हमारे पास माइनस में नेगी ने जो कुछ किया, उसका कोई सबूत नहीं है । कम से कम फिलहाल तो नहीं है और वहाँ आर्मी रेड और बॉलिंग के बाद तो और भी मुश्किल है इसलिए उसके खिलाफ माइंस के बाहर सबूत मिलने बहुत जरूरी है । ऐसी अब ये बोला ऍम तो चल रही है और देगी से संबंधित सबूत भी ढूंढने जाएंगे क्योंकि उससे जुडे और लोग अभी भी खुले घूम रहे हो सकते हैं । ये सिर्फ इंटरपोल की जवाबदेही के लिए ही जरूरी नहीं है बल्कि अगले किसी ऐसे मिशन को रोकने के लिए भी जरूरी है । बाकी रही बात सोहनगढ माइनस में वो वाकई की तो आप लोगों कोई लिखना जरूरी है कि भारत उस वक्त युद्ध के हालातों में था, एमरजेंसी में था और युद्ध में दुश्मन को मारने के लिए ज्यादा सोचा नहीं जाता । ऐसे राज ने बोलना चाहा पर अभय ने इस बार उसे मौका नहीं दिया । मैं समझ सकता हूँ हम सिर्फ यह कहकर पल्ला नहीं जा सकते पर हमें उन्हें वह परिस्थिति बतानी जरूरी है जिससे अमर को उसे शूट करना पडा । आई अग्री विडियो अब है । राज ने कहा, पर आप समझ सकते हैं कि इस जवाब के बाद ये जांच खत्म नहीं होने वाली है । जब तक की लियोन और लंडन दोनों सेटिस्फाइड नहीं हो जाते ये जारी रहेगी । ऍम फिर कुछ देर बाद अमर नहीं । उन्हें सोहनगढ माइन्स में घटी घटनाओं और हालातों का विवरण दिया । नेगी और साहनी के बीच पार्टनर्शिप के बारे में बताया । जहाँ तक संभव हुआ रिंकी के बारे में वो एक सकारात्मक छवि ही प्रस्तुत करता रहा । शाम सात बजे मुलाकात कांड हुआ । मीटिंग रूम की टेबल पर चाय कॉफी के कई खाली कप इकट्ठा हो गए थे । इलाज मनोज अब और अमर उठ खडे हुए थे । राज्य वैसे प्राइवेट में कुछ बात करने के लिए उसे कोने में ले गया । अमर ने मनोज की तरफ देखा । मनोज बोला आपका नंबर मिल सकता है । मिस्टर अमर लगता है । मेरे बयान से आप अभी भी संतुष्ट नहीं अमर बोला लेकिन कहकर उसने अपना नंबर बताया । मनोज ने उसका नंबर अपने मोबाइल पर अंकित किया और फिर उसकी तरफ देकर रहस्यमय स्वर में बोला मैं आपको कॉल करूंगा । अमर ने कुछ सोचते हुए हामी भरी । उसे मनोज की आंखों में कुछ अजीब स्वभाव दिखा । ऐसा लग रहा था जैसे वो उसे कोई संकेत देना चाह रहा है ।

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अंतर्द्वंद्व जावेद अमर जॉन के पिछले उपन्यास ‘मास्टरमाइंड' का सीक्वल है। मास्टरमाइंड की कहानी अपने आप में सम्पूर्ण अवश्य थी पर उसकी विषय-वस्तु जो जटिलता लिये थी उसे न्याय देने के लिये एक वृहद कहानी की आवश्यकता थी और प्रस्तुत उपन्यास उसी आवश्यकता को पूर्ण करने हेतु लिखा गया है। writer: शुभानंद Author : Shubhanand Voiceover Artist : RJ Hemant
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