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38. Lanka Mein Hone Lagi Yuddh Ki Taiyaari in Hindi

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5 K Listens
AuthorNitin
श्री राम Producer : Saransh Studios Author : गुरुदत्त Voiceover Artist : Ramesh Mudgal
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श्री राम बहुत सैंतीस अंगद केएस सफल नोट आने पर युद्ध अवश्यंभावी हो गया । वैसे सुग्रीव इत्यादि तो अंगद के जाने से पूर्व भी यह समझ रहे थे कि युद्ध अब्दल नहीं सकता । अंगद का भेजा जाना तो विभीषन की प्रेरणा का परिणाम । जब अंगद ने रावण की मानसिक अवस्था का चित्रण किया तो राम और लक्ष्मण अपने आसन से वोट आपने धनुष मान को ठीक करने लगे हैं परन्तु तो गरीब में हाथ जोड कहा महाराज, अभी आप बैठे उन्होंने हमें वानर का है तो जिस तरह वानर मधुमक्खियों को उनके सबसे से निकाल कर सकते है, अधिकार करते हैं, उसी तरह हम उन्हें लंका से बाहर निकालने का आयोजन करेंगे । क्या अभिप्राय लंका में सुरक्षित बैठे राक्षसों को प्राप्त करने में तो वर्षों लग जाएंगे । हमें चाहिए कि लंका में इतनी गर्मी उत्पन्न कर दी जाए कि राक्षस अपना सुरक्षित स्थान सो दूर से बाहर आ जाएगा । एक बार रावण बाहर युद्ध के मैदान में आ जाएगा तो उसको मार डालने पर युद्ध समाप्त हो जाएगा । सेना को आज्ञा हो गई कि लंका दूर की प्राचीर को तोड फोड दो । साथ ही साथ लंका की प्राचीर के बाहर रहने वाले तथा घूमने फिरने वाले राक्षसों को जीवित अथवा मृत दीवार के भीतर कर दो । अब वानर सेना टिड्डी दल की बात ही लंका दूर पर नमक पडी । दो दिन के घमासान युद्ध के उपरांत भर के राक्षस लाखों की संख्या में लंका दूर के भीतर अपनी रक्षा जहाँ पहुंचे पूरी के बाहर उद्यान, भवन मार्ग और जल के स्रोतों पर अधिकार कर लिया गया । लंकापुरी में भर के लोग सामान नहीं सकते थे । नागरिकों और सेना में छुटपुट झडपें होने लगी । विवस सेना हम श्रीलंका के द्वार खोल बाहर मैदान में आकर लडने को तैयार होगी । घमासान युद्ध आरंभ हो गया । वानर सेना उत्साह से भरी हुई थी और राक्षस सेनापति अनुमान अंगद के शक्ति प्रदर्शन से भयभीत हो चुके थे ।

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Sound Engineer

श्री राम Producer : Saransh Studios Author : गुरुदत्त Voiceover Artist : Ramesh Mudgal
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