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37. Vibhishana Pahunche Shri Ram Ke Paas in Hindi

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6 K Listens
AuthorNitin
श्री राम Producer : Saransh Studios Author : गुरुदत्त Voiceover Artist : Ramesh Mudgal
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ऍम श्री नाम बहुत छत्तीस । जो भी सेना और युद्धसामग्री चेतू से इस पार पहुंची । राम ने सुग्रीव और अंदर सेनानायकों की सभा बुलानी । राम का विचार था कि लंका दूर पर आक्रमण की योजना बनाई जाए । यह दूर अजय समझा जाता था । इस कारण इसे तोडफोडकर भीतर गए । बिना पिता का उद्धार संभव प्रतीत नहीं होता था । कुछ एक सेनानायकों का विचार था की बाली सुग्रीव के युद्ध की भर्ती यहाँ भी रावण राम का द्वंद युद्ध हो जाए । इस समय सभा में अनुमान सूचना लाया महाराज रावण का भाई विभीषन आपसे भेंट करने के लिए आया है तो ग्रीन ने कहा यह किसी प्रकार की छलना खेलने आया है । अनुमान ने कहा जब मैं महारानी सीताजी की खोज में लंका में घूम रहा था तो मुझे रिलेशन के प्रसाद को देखने का अवसर मिला । उनका प्रसाद यज्ञ के सुगंधित दूर से सुवासित हो रहा था और प्रसाद के भीतर एक आगार से वेद मंत्रों की धनी आती सुनाई दे रही थी । लंका में लोग इन्हें धर्मात्मा व्यक्ति मानते हैं । इस कारण मेरा अनुमान है कि ये अपने भाई रावण से लडकर चलाया । रावण को अनुमान की सूझबूझ पर बडा विश्वास था । इस कारण उसने रेडिएशन को उसी सभा में बुलवा लिया और परिचय के उपरांत आने का प्रयोजन पूछा । विभीषन ने कहा मैं चाहता था कि यह भयंकर युद्ध नहीं हो । इस युद्ध को टालने का मैंने भरसक की । यह काम क्या है? परंतु मेरी सम्मति ऍम ने कभी नहीं मानी । वहाँ सभा में आपको और मुझे भी जली कटी सुनाई गई और राजा सुग्रीव वो उनके सेनानायकों को वानर घोषित कर यह निश्चय किया है कि आपसे युद्ध किया जाए इस कारण नहीं । लंका का त्याग करके आ गया हूँ तो आप हमें युद्ध के लिए मना करने आए हैं । नहीं श्री राम मैं ईश्वर भक्ति आस्तिक हूं । मैं सीताहरण का विरोधी हूँ तो मैं युद्ध में न्याय का पक्ष लेने आया हूँ । मैं आपकी शरण में आया हूँ । यह कहा जाता है कि भले लोगों की शरण में रहने से कभी एक कल्याण नहीं होता । इस पर भी मैं इस युद्ध को रोकने के लिए एक प्रयास करने के लिए कहूँ । क्या चाहते हैं वही जो सभी सब लोग करते हैं । लंका पर आक्रमण से फूल शांति के लिए एक दूध बिजी है । आप की शुभकामना लंका निवासियों के प्रति लेकर जाए और जाकर कहे कि उस शुभकामना का फल प्राप्त करने के लिए लंकाधिपति चीता को मान सहित यहाँ पहुंचा दे और अपना आचरण सुधारें तो अभी भी आशा है कि रावण भले लोगों के मार्ग पर आ सकता है । ये ग्रीव का प्रसिद्ध था महाराज । आशा किंचित मात्र भी नहीं, इस पर भी इससे आपकी शोभा है और कीर्ति अनंतकाल तक होती रहेगी हूँ । नरसंहार से पहले सब लोग उससे बचने का प्रत्येक उपाय करते हैं । इसमें मेरा भी स्वार्थ है । मेरे भाई बंधु वहाँ लंका में है । वहाँ भी भले विचार के लोग हैं । यद्यपि वहाँ के राज्य प्रपंच के अधीन उनका और सुनाई नहीं पडता । यदि वे लोग बच सके तो मुझे प्रसन्नता होगी । राम ने कुछ विचार किया और तदंतर अपना निर्णय बता दिया । उसने कहा हाईवे बेशन ठीक कहते हैं । हमें शांति दूत रावण की सभा में भेजना चाहिए । उसे अंतिम अवसर अपने आपको तथा अपने देश वासियों को बचाने का देना चाहिए । परंतु कौनो मानव पक्षियों के सम्मुख जाएगा । इस बार पाली के पुत्र अंगद ने जाना स्वीकार किया । अंगद जब रावण की सभा में उपस् थित किया गया तो रावण ने उसे अपने मित्र का पुत्र घोषित कर एक उच्च आसन पर सुशोभित कर फॅमिली के पुत्र हूँ । बाली मेरा मित्र था डाॅन तो मेरे पुत्र सवाल हो तो मुझे वनवासियों के जाल में कैसे फंस गए हो । मैंने सुना है कि तुम्हारे पिता को इस वनवासी ने छुप कर बाढ द्वारा घायल किया था थे । उनकी मृत्यु हो गई थी । भला तुम ऐसे छल्ली की सेना में क्या कर रहे हो? अंगद ने विनम्र भाव में कहा आप पिताजी के मित्र है, इस कारण ही आपकी सेवा में आया हूँ । पिताजी तो अपने दुष्कर्मों के कारण यौवनावस्था में ही स्वर्ग सिधार गए । आपके पिताजी के पद के अनुसरण कर रहे हैं । इस कारण वैसे परिणाम से आपको बचाने के लिए मैं आपकी सेवा में व्यवस्थित हुआ हूँ और मैं सबसे छोटा हूँ परन्तु मेरी बात ध्यान देकर सुने । जब तक जीवन है आप सदस्य लोग तो को ही ध्यान समझते हैं । इन्हीं सुखों के लिए ही आप अपना जीवन लंबा करें । पीता माता के लिए अपने जीवन को समय से पूर्व छोडना बुद्धिमता की बात नहीं । मुझे भेजा गया है कि मैं आपको युद्ध के भयंकर परिणामों से बचाने का या तो युद्ध में फैसलों, युवक मारे जाएंगे, देश में युवकों का अभाव हो जाएगा । मृतकों की पत्नियां विधवा हो जाएगी । उन विधवा स्त्रियों का जीवन नरक तुल्य हो जाएगा । जीवन की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए वे दूसरे पत्तियों की खोज में भटकेंगी अथवा यदि चार का मार्ग स्वीकार करेंगे । इससे शेष पुरुष वर्ग भी पतन की ओर चल पडेगा । इस प्रकार पूर्ण जाती पतन को प्राप्त होगी तो तुम यह कहने आए हो की मैं भूमि चाटता हुआ राम की सभा में पहुंच जाऊँ और हाथ जोडकर नमस्कार करूँ और कहूँ मुझे क्षमा करें और यदि केवल यही तीन अच्छा मुझे जमा करें बोलने से आपका जीवन लक्ष्य भोगविलास आपको प्राप्त होता रहे तो क्या हानि है । देखो वाला रावन ने स्पष्ट कहा मैं ऐसा कुछ भी नहीं करूंगा । तुम जाकर अपने पिता के हत्यारे को कह दो कि यहाँ चलना से काम नहीं चलेगा । यहाँ तो युद्ध होगा उसकी और मेरी सेना के भीतर राज्य सेना अपार है । उसका पार पाने के लिए कोई देवता भी सक्षम नहीं । भला पत्नी के लिए विलाप करता वन वन में बढने वाला छुद्र वानरों की सेना से सूत्र जीव क्या युद्ध करेगा? उसे कह दो कि वह जाकर अभि तपस्या करेंगे । मैं राजनीति जानता है और मैं युद्धनीति । अंगद ने विनम्रता के भाव से कहा मैं आपका संदेश सुना दूंगा परंतु आपके पिताजी से विशेष को स्मरण का मैं अपनी ओर से है । दो सब कहना चाहता हूँ कि जो बोल पिताजी ने की थी वही आप नये करें । उन को यह सूचना मिली थी कि राम महाबली और दिव्यास्त्रों से युक्त है । इस कारण राम से शत्रुता नहीं करे और अपने छोटे भाई राजा सुग्रीव को प्रसाद में स्थान दे क्या हुआ है? अभी एक लंबे काल के लिए राज्य हो सकेंगे । उन्होंने इस बात को नहीं माना और जब मरनासन्न भूमि पर पडे थे तब भी श्रीराम पर दोषारोपण लगाने लगे थे कि उन्होंने तो कैसे उस पर बाढ छोडा है । श्री राम ने उन्हें यही उत्तर दिया था की एक दूसरे और चरित्रहीन व्यक्ति को देने का अधिकार नहीं । जीवन सुख लेना है तो अपने और अपने साथियों के कल्याण को भलीभांति समझे । इस कारण हे ता मैं आपको समझाने आया हूँ कि युद्ध में आपकी विजय नहीं होगी, धर्म की कभी पराजय नहीं होती, दूर जान पीछे अपनी पराजय के बहाने ढूंढा करते हैं और परमात्मा पर दोषारोपण करते हैं परन्तु दूर बल्कि जीत होगी क्या? रावण ने पूछा धर्म कभी दुर्बल नहीं होता । कुछ धर्मात्मा मूर्ख होते हैं जो धर्म के विधि विधान को न समझते हुए अपने को अधर्म के पंजे में निस्सहाय डाल देते हैं ताकि धर्म मोहन सकती है । उसका एक छोटा सा दर्शन मेरे बडे भाई सवाल अनुमान आपको पहले करा गई है आपकी कोटि कोटि तू भट्टों से भरी नगरी उस एक परमात्मा के भक्त का बाल भी बांका नहीं कर सकी । होना है आपकी सुंदरनगरी को बहुत पानी पहुंचा गए हैं । मैं भगोडा युद्ध करने की सामर्थ्य नहीं रखता । हुआ पीठ दिखा गया था । जाते जाते वायॅस अपनी कूद भाव से निर्दलों के जो अपनों को आग लगाकर फिर पर पावरकाॅम भाग गया था । नया बागा होता तो मेरे योद्धा उसके हाथ पांव बांधकर उसका वध कर देते हैं । अंगद ने हसते हुए कहा हम वानरों के हाथ और पापा भी हमारे हथियार हैं । आप की सभा को मैं चुनौती देता हूँ । मैं सिर पर पांव रखकर नहीं भाग होगा । मैं यहाँ तब वहाँ के मध्य में खडा होता हूँ और आपको आपके इस तथाकथित योद्दाओं का बाल दिखाना चाहता हूँ कि यदि आपका कोई योद्धा मेरे इस को मिलाकर भी दिखा दे तो मैं मान जाऊंगा कि आपके योद्दा बडे सामर्थ्यवान है क्या कहा उठाने की बात तो मैं हम एक मक्की की बात थी । उठाकर समुद्र पार फेक सकते हैं । साथ ऐसे नहीं आप की सभा में कोई योद्धा हो तो उसे कहे कि मेरे इस पैर को खिला देंगे । इतना कहते कहते अंगद ने अपने आसन से ओर दबा के मध्य में अपना पांव जमा दिया । रावण उस देर तो मुस्कुराता रहा परंतु उस विचार कर एक सौ वर्ड से बोला दोनों इस वानर के बच्चे वो उठाकर समुंद्र में से एक दो दोनों उठा और अंगद की टांग को पकडो उठाने लगा । जब दाल नहीं उठा सका तो उसकी कमर में हार डाल उस स्थान से हिलाने का यापन करने लगा । उसे कुछ ऐसा समझ आया कि अंगद एक दृढ लोस तब की बात ही खडा है जो हिल नहीं सकता । दुर्मुख को अपने कार्य में सफल होते देख गावंडे अन्य योद्धाओं से यह कार्य करने को कहा । एक एक कर फिर दो दो कर तदंतर कई इकट्ठे मिलकर भी जब अंगद के पांव को खिला नहीं सके तो आवंट रोज से पागल हूँ तो हम अंगद का पांव को उठाने के लिए उठ खडा हुआ । जब रावण झुककर अंगद की टांग को छोडने लगा तो अंगद ने पापा उठाकर पीछे कर लिया और कहा मेरे पास पढने से छुटकारा नहीं हो सकता । यदि पहुँच होना है तो चलो श्रीराम के पांव पकडो और मैं अपने पिता के मित्र की सहायता कर दूंगा कि वह आपके दोस्तों को जमा करते हैं । इस पर रावण लज्जित अनुभव करने लगा । एक चीज गया और बोला, देखो अंगद, अब तुम यहाँ से जाओ और अपने स्वामी से जाकर कह दो कि लंका में मोर वानर नहीं बचते हैं । यहाँ अदिति के वंशज और स्वर्ण लोग के विजेता राक्षस रहते हैं । यदि उसे अपना जीवन है तो वो वापस लौट जाएगा । युद्ध उसके मान का नहीं है । देव लोग विजयी रावण को एक वनवासी लाखों वानरों के झुंड के साथ मिलकर भी पराजित नहीं कर सकेगा । अंगद तो पहले ही आशा करता था, परंतु विभीषण के सुझाव पर श्रीराम ने यह अंतिम प्रयास किया था, जिसे युद्ध जैसा भयंकर का हो ।

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Sound Engineer

श्री राम Producer : Saransh Studios Author : गुरुदत्त Voiceover Artist : Ramesh Mudgal
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