Made with  in India

Buy PremiumDownload Kuku FM
Chapter 32 in  | undefined undefined मे |  Audio book and podcasts

Chapter 32 in Hindi

Share Kukufm
587 Listens
AuthorNitin Sharma
अंतर्द्वंद्व जावेद अमर जॉन के पिछले उपन्यास ‘मास्टरमाइंड' का सीक्वल है। मास्टरमाइंड की कहानी अपने आप में सम्पूर्ण अवश्य थी पर उसकी विषय-वस्तु जो जटिलता लिये थी उसे न्याय देने के लिये एक वृहद कहानी की आवश्यकता थी और प्रस्तुत उपन्यास उसी आवश्यकता को पूर्ण करने हेतु लिखा गया है। writer: शुभानंद Author : Shubhanand Voiceover Artist : RJ Hemant
Read More
Transcript
View transcript

जावेद और जॉन ओसाका के आश्रम के मुख्यद्वार से अंदर प्रवेश होते चले गए । मुख्यद्वार के द्वारपाल उन्हें रोकने की कोशिश भी ना कर सके क्योंकि वह तेजी से अंदर चलते चले गए और सीधे आश्रम के प्रांगण में पहुंचकर ही रुके । उन्हें चारों तरफ अपने कार्यों में व्यस्त मोटर और मोटी भी दिखाई दिए । सभी चौकर उनकी तरफ देखने लगे । द्वारपाल दौड कर उनके पास पहुंचा । उनमें से कुछ जो हिंदी जानते थे, वो बोले आपको यहाँ किस से कम है, कौन हैं आप लोग? यहाँ पर इस तरह से बिना पूछे अंदर आना मना है । जावेद और जॉन ने तुरंत अपने आईडी कार्ड दिखाए । हम सीक्रेट सर्विस से हैं । जावेद बोला, हमारे गुरु ओसाका से मिलना है, पर इस वक्त वो पूजा मिली नहीं है । उनकी पूजा बाद में भी हो सकती है । जॉन सख्त स्वर में बोला, मामला बेहद गंभीर, उनसे कहिए । तुरंत हम से मिले । द्वारपालों के पसीने छूटने लगे । उनमें से दो भाग का ओसाका के कमरे की तरफ गए । कुछ देर में ओसाका कमरे से बाहर निकला और हाथ फैलाकर उनका स्वागत करने लगा और इशारे से उन्हें अपने कमरे में बुलाने लगा । आप लोग कृपया यहाँ जाएँ । उसने अपने शिष्यों की तरफ हाथ उठाकर इशारा किया । चिंता की कोई बात नहीं है । आप सभी अपने काम में लगे रहे । हम सीक्रेट सर्विस वालों से बात कर लेंगे । जावेद और जॉन तेज कदमों से ओसाका के कमरे में पहुंचे । गुरु ऐसा का अंदर आते ही जावे । बोला आपको हमारे साथ अभी दिल्ली चलना होगा । दिल्ली तो क्यों? मेरा वहाँ क्या काम? बाकी बातें वहीं पर होंगे । फिलहाल आप को पूछताछ के लिए ले जाया जा रहा है । ओसाका चिंतित मुद्रा में शून्य में देखने लगा । क्या जानना चाहते हैं कि इस बारे में जानना चाहते हैं । आपको जो पूछताछ करनी है, आप यही करिए । मैं सब कुछ बताने के लिए तैयार हूँ । तभी दरवाजे के पत्ते, तेज आवाज के साथ खुले चौखट पर भगवे वस्त्रों में एक लंबा शिष्य दिखाई दिया । वो सिर झुकाकर तेज नजरों से जावेद और जॉन की तरफ देख रहा था । उसके चेहरे पर गुस्सा था । जावेद और जॉन में उसकी तरफ देखा । उन्हें दो पल लगे, पर फिर वो उसे पहचान गए । वो अमर था एक नए अवतार में । ओसाका के शिष्य के अवतार में हम लोग यहाँ क्या कर रहे हो? अमर ने वही खडे खडे सवाल दागा । जावेद उसकी तरफ पालता और एक ये सवाल तो हमें तुमसे पूछना चाहिए कब से गायब? आखिर में भागने की क्या जरूरत थी? मेरे आम जॉन बोला ये क्या हुलिया बना रखा है तो यहाँ पर साधु बन गया । हमें तो लगा नेगी के खिलाफ इन्वेस्टिगेशन कर रहा होगा । मैं मुक्त इंसान हूँ । मेरे मन में जो आएगा मैं वही करूंगा । अरे ऐसे की बात कर रहे तो हम लोगों से जॉन बोला हमने तेरे लिए कभी गलत नहीं सोचा । तुझे पकडने का इरादा लियोन के दबाव के कारण चीज के ऊपर आया था । फिर भी हम लोग हमेशा तेरी साइड लेकर बात करते रहे । जानकर अच्छा लगा । पर फिलहाल जिस तरह से तुम यहाँ पर मेरे गुरु ओसाका से बात कर रहे हो, उस बारे में क्या कहना चाहोगे? क्या तुम लोग मुझे ढूंढते हुए यहां पहुंचे? एक पंथ दो काज जावेद बोला मेन वजह तो तुम्हारे गुरु हैं । वैसे तो मैंने अब अपना गुरु बोलना बंद करो, वही तुम्हारे लिए अच्छा होगा । इनको दिल्ली ले चलते हैं । सारा मामला साफ हो जाएगा मैं मेरे खयाल से तुम्हारे ऊपर जो वारंटी शुरू होने वाला है वो भी कैंसिल हो जाएगा । तो मैंने किस इल्जाम में ले जाना चाहते हो? इल्जाम तो फिलहाल कुछ नहीं है पर हमें पूछताछ करनी है । क्योंकि इतना तो हमें पता चल गया है कि इन का लिंक ऐसी जगहों पर है जहाँ आम तौर पर किसी धर्म गुरु का नहीं होता । क्या कोई सबूत है? तुम्हारे पास? नहीं? फिलहाल तो कोई सबूत नहीं, फिर तो मैंने नहीं ले जा सकते । हो रही मुझे अमर निर्णायक भाव के साथ बोला मेरे खयाल से अब तुम लोगों को यहाँ से चले जाना चाहिए । सीक्रेट सर्विस का यहाँ कोई काम नहीं बता । जॉन बोला देख रहा हूँ तुम्हारा राग एकदम बदल गया । चार देनी आश्रम में क्या रहे लिए? पूरी थिंकिंग ही बदल गई तुमने खुद क्या सीक्रेट सर्विस में सिर्फ सबूत के बल पर काम किया है जावे । चुनौतीपूर्ण स्वर में बोला शक होते ही तुमने भी लोगों पर हर डाला है कि नहीं अमर्ष ये तो तुम्हारी फितरत में हमेशा से रहा है रहा था । मैं सीक्रेट सर्विस छोड चुका हूँ । चीफ ने ऐसा कुछ बताया तो नहीं कि तुम्हें कोई रेजिग्नेशन लेटर दिया हूँ । नहीं तुम्हें निकाला गया है तो टेक्निकली तुम अभी भी सीक्रेट सर्विस में हूँ । सीक्रेट सर्विस अपने ही एजेंटों को पकडने का हो काम नहीं देती और अगर देती है तो ऐसी जगह मुझे काम नहीं करना । अरे मेरे आम जनों से समझाने की भरसक कोशिश करते हुए बोला हूँ ये सब अपना अंदर का मामला है । यहाँ डिस्कस करना आराम से बैठकर सुलझा लेंगे । तेरह पर कोई खतरा नहीं है । मुझे सब पता है । मैं तुम लोगों के साथ ही काम करता था । यहाँ तुम कुछ भी बोलो की और वहाँ जाकर मुझे फंसा होगे और गुरु ओसाका को भी फालतू के पचडे में फंसा हो गई । तुम तो ऐसे कह रहे हैं जैसे सीक्रेट सर्विस बेईमानी से काम करती है । भले ही हमने कई दांवपेच खेले हो, पर अंत में हमारी अरेस्ट सबूतों के बेसिस पर ही होती रही तो जाओ पहले सबूत लेकर आओ और फिर हमें अरेस्ट करूँ कहकर अमर भारी कदमों से चलते हुए अंदर आया और फिर गुरु ओसाका और जावेद जॉन के बीच आकर खडा हो गया । जावेद का पारा चढने लगा था । उसने जबडा सख्ती के साथ भेज रखा था । जॉन अभी भी अमर को समझाने के मूड में था । पर तभी जावेद के मुख से जैसे अंगारे निकले । अमर दोनों और ओसाका दोनों अभी हमारे साथ चलोगे नहीं चलेंगे अमर भी पूरी । जिसके साथ बोला नहीं चलोगे अपनी मर्जी से नहीं चलोगे । ठीक है हम तो मैं जबरदस्ती ले चलेंगे कहकर जावेद ने आगे बढकर अमर की कलाई थाम ले । अमर ने अचानक ही दूसरे हाथ से जावेद की कलाई पकडी और उछलकर उसे एक तरफ गिरा दिया । जावेद जमीन पर गिर गया और आश्चर्य से अमर को देखने लगा । क्या देख रहे हो? जो हो रहा है तो उनका समझते थे । अमर तुमसे कमजोर है, सबसे ताकतवर तो नहीं हो तुम आर्मी के दांवपेच जानते हो तो मेरी भी सीक्रेट सर्विस में ट्रेनिंग हुई है । मार्शल आर्ट में ब्लैक बेल्ट हूँ तो बोल रहे हैं क्योंकि ये कला कभी तुम पर नहीं आजमाई इसलिए तुम्हें कभी सोचा नहीं । मेरी ताकत के बारे में जावेद मुस्कुराते हुए उठा मानना पडेगा । कभी सोचा भी नहीं था की तो मुझ पर हाथ उठाओगे और मुझे उसका जवाब देना पडेगा । कहते हुए अचानक ही जावेद अमर पर तेजी से जब आता है अमर ने चालाकी से एक तरफ फटना चाहा पर जावेद ने भी उसी हिसाब से दिशा बदली और फिर अमर को अपनी आगोश में लिए कमरे के दूसरे कोने की तरफ तेजी से बढा । उसने अमर की पीठ कमरे की लकडी की दीवार से बढा दी । जोरदार आवाज हुई ऐसा लगा जैसे दीवार चटक गई हूँ । जावेद में अमर को लगभग हवा में उडाते हुए दीवार पर पडता था होकर जबरदस्त हुई थी और इसके कारण अमर की पीठ पर बुलेट के गांव में अत्यंत पीडा उभरने लगी थी । इसे एक ही बार से अमर को अपना आधा दम निकलता हुआ लगा । जावेद पीछे आता और एक बार फिर गुस्से से उभरते हुए अमर को रहने के लिए उसकी तरफ पढा । ऐन मौके पर अमर एक तरफ हट गया । जावेद कसर दीवार में भीड गया । वो एक तरफ गिर गया । दूसरी तरफ अमर गिरा पडा कराह रहा था । कुछ पल दोनों खुद को संयमित करते रहे । फिर दोनों धीरे धीरे उठने की कोशिश करने लगे । ओसाका किंकर्तव्यविमूढ व्यवस्था में खडा उन्हें देख रहा था । जॉन कुछ बोल रहा था पर शायद जावेद और अमर को कुछ सुनाई नहीं दे रहा था । अपने पैरों पर खडे होते ही अमर ने घुसा जावेद के पेट में मार दिया । जावेद के पत्थर जैसे ठोस ऍफ पर उसका कुछ असर नहीं हुआ । उसने खा जाने वाली नजरों से अमर को देखा और अपना घुसा उसके मूंग की तरफ कुमार शर्तिया अगर वह घूस अमर के ऊपर पडता तो उसके एक दो दांत बाहर आने निश्चित थे । पर अमर ने फुर्ती से खुद को झुकाया और गोल घूम कर मार्शल आर्ट स्टाइल में एक केक जावेद के घुटने पर बीमारी ये बार कमाल का था । जावेद घुटनों के बल बैठ गया । चोट सीधे हड्डियों के जोड पर जो लगी थी । दोस्त के साथ लडने में यही फायदे और नुकसान है । अमर बोला हमें एक दूसरे की कमजोरियाँ अच्छे से पता है । अमर अभी भी रुक जा ये तमाशा बंद कर देते हैं । जावेद हिंसक ढंग से हो जाते हुए बोला वरना मैं तुझे जान से मार दूंगा । जावेद के चेहरे से लग रहा था की अब उसके क्रोध की अति हो गई है और अब वह कुछ भी कर सकता था जान से मारेगा । अमर ने जांच चल रही है । अपने आप को समझता क्या है कहते हुए अमर जावेद पर झपटा अमर ने सीधे उसका गला पकड लिया । उसके दोनों हाथों में भी जावेद का गला पूरी तरह पकड में नहीं आ पा रहा था । हालांकि अमर की पकड बेहद मजबूत थी । किसी शिकंजे की तरह उसने उसे जकड रखा था । जावेद होतो छुडाने की कोशिश कर रहा था पर न जाने अमर में इतनी ताकत कहाँ से आ गई थी । जावेद का चेहरा लाल होने लगा और फिर अचानक ही उसने हिम्मत बटोरी और घुटने से अमर के पेट में प्रहार किया । अमर की पकडा छूट गई । जावेद होते से पागल हो गया था । उसकी हालत किसी बिगडैल सांड जैसी थी । उसने ओसाका की पूजा की, कुर्सी उठाई और अमर पर फेंक दी । अमर एक तरफ हट गया । इस बार अमर अपना मार्शल आर्ट का पूरा जलाल दिखाने के मूड में था । वो एक पैर पर उचला और तेजी से हवा में घूमने लगा । घूमते घूमते ही उसकी किक जावेद पर बडी जावे । दूसरी तरफ जा गिरा मुझे अरेस्ट करेगा मैं अपराधियों साले मैंने हमेशा अपने देश के लिए ईमानदारी से सेवा की है तो मुझे रेस करेगा । बडबडाते हुए वो जावेद की तरफ पड रहा था कि अचानक जावेद ने उछलकर अमर पर कोहली से वार किया जो उसके सीने पर लगी । अमर पीछे गिरा और ओसाका कि मेरे से जा टकराया । इस बार जावेद ने जेब से पिस्टल निकाली और अमर की तरफ तांदी । तभी जॉन दौडता हुआ आया और अमर के सामने खडा हो गया ऍम जॉन तीखा जब तो घोषणा हूँ क्या कर रहे हो हमें ये मसला सुलझाना है और उलझाना नहीं होश में आओ । अगर अमर जुनूनी हो गया है तो इसका मतलब ये नहीं है कि तुम भी उसको बैठो जावे । जोर जोर से हाफ रहा था और खा जाने वाली नजरों से अमर को देख रहा था । फिर जैसे वो खुद को संयमित करने लगा उसने अपने कस बाल ढीले छोड दिए है । जॉन ने अमर को उठाया जो की भारी पीडा में था क्योंकि बुलट का जख्म इस बार मेज के कोने से टकराया था और फिर से ब्लीडिंग शुरू हो गई थी । अमर लडखडाते हुए उठ खडा हुआ तो यही जहाँ जाना हम कायदे से सबूत सहित तेरे गुरु को अरेस्ट करें । जॉन बोला तो ऐसा होगा अब हम सबूत के साथ आएंगे । पर अमर ये जान ले के सिर्फ मंडे तक का समय । इस बीच अगर धीरज ने कि आतंकवादी साबित नहीं हुआ तो फिर तेरे नाम का भी अरेस्ट वॉरंट निकल जाएगा । क्या बोल रहे जॉन जावेद ने उसे झिडका अभी से ऑर्डर हमार को पकडने का पकडने का एॅफ करने का तो नहीं है ना? ऑफिशियली होममिनिस्टर मंडे ही बोलेगा जब रिपोर्ट नहीं आएगी कि अमर को अरेस्ट करो । अगर लियोन को बात करनी है तो हम उसी वक्त अमर कुमार रेस्ट करेंगे तो मजा कर रहे हो । जब भी बोला इतने दिनों से भाग रहा है । आज छोड दिया तो दोबारा में मिलेगा कि नहीं, इसकी क्या गारंटी है? जॉन अमर की तरफ पालता मेरा नाम मैं तो उस पर खुद से ज्यादा भरोसा करता हूँ । मैं जानता हूँ तो इन्वेस्टिगेशन कर रहा होगा । हम भी कर रहे हैं । क्या मंडे से पहले कुछ हो सकता है? इस बार अमर दृढ स्वर में बोला मुझे नहीं पता क्या हो सकता है । पर अगर मंडे से पहले में ये साबित नहीं कर सका तो मैं खुद तुम लोगों के पास चल कराऊंगा तो लोग मुझे रेस्ट कर लेना । लोग ठीक ना जॉन जावेद की तरफ पालता हो गया । फैसला ये कोई खेल नहीं है । जब भी बोला हमें ओसाका को तो ले ही चलना होगा । अमर बोला इनके खिलाफ ऐसे सबूत प्रस्तुत करो जिससे इनकी अरेस्ट जस्टीफाई हो सके । कोई ऐसा सबूत दिखा मुझे जावेद निरुत्तर हो गया । ठीक है? जावेद जॉन बोला अमर सही कह रहा है आखिर हम सीक्रेट सर्विस से हैं । सबूत जुटाना हमारे लिए बहुत बडी बात नहीं है । हमें लिंक तो मिल ही गया है । अब हम इन दोनों को आॅस्कर नहीं वापस आएंगे । जावेद बेमन से उठा और खा जाने वाली नजरों से अमर और ओसाका की तरफ देखने लगा । फिर अमर की तरफ उंगली दिखाकर बोला अगर तुम फिर से गायब हुए हैं तो मैं मान लूंगा की तो मैं कायर इंसान हो जिससे जीवन की मुश्किलें झेलना नहीं आता । हाँ, यही समझ लेना जीवन की सारी मुश्किलें तो तुमने जले ना । अमर पलट कर बोला अब बस करो तुम दोनों जन । पहली बार गुस्से से जी का अब सभी लोग अपना अपना काम करेंगे । हम लोग जा रहे हैं । फिर जॉन जावेद के पास पहुंचा और ध्यान से उसकी आंखों में देखने लगा । जावेद ने जाने से पहले कडी नजरों से एक बार अमर और ओसाका को देखा । फिर वो दोनों वहाँ से निकल गए । कमरे में ओसाका, सौम्या, अमर और वैद्य मौजूद थे । अमर पेट के बल बिस्तर पर लेता था । वैद्य उसके बुलेट के जख्म पर लेप लगा रहा था । सौम्या एक तरफ गंभीर मुद्रा में खडी थी । उसमें अपने सिर से हुड हटा ली थी । उसके बाद इस वक्त जोडे में बंधे हुए थे । उसके चेहरे पर चिंता की लकीरे थी । ओसाका कुर्सी पर बैठा हुआ था । अमर की तरफ देख रहा था । मुझे यकीन नहीं होता तो में अपने ही साथियों पर हाथ उठाया । सौम्या बोली तो मेरे साथ ही नहीं ऐसी संस्था से मेरा कोई लेना देना नहीं जो अपने ही जासूसों को सपोर्ट नहीं करती । सरकारी दबाव में आकर उन्हीं अरेस्ट करने के लिए तैयार हो जाती है । आप ही बताइए गुरु हो जाएगा कि कौन सी बात होती है कि कोई दूसरा देश दबाव डालेगा और जैसा बोले आप वैसा करते जाओ । क्या आपके पास रीड की हड्डी नहीं? क्या आप जवाब नहीं दे सकते कि भाड में जाओ । ये हमारा जासूस है और हमारे देश की भूमि पर हुई घटना हमारा मसला तुम्हारा इससे कोई लेना देना नहीं है । तुम्हारा गुस्सा जायज है हमारा पर एक देश के दूसरे देश के साथ के रिश्ते डिप्लोमेटिक टाइप होते हैं जिन्हें मद्देनजर रखते हुए कुछ सख्त फैसले करने पडते हैं । लेकिन ये वाकई अफसोसजनक है कि देश अपने ही जासूसों की रक्षा नहीं कर पा रहा । आए दिन अक्सर ऐसा होता ही रहता है । देश के जासूस दूसरे देश में पकडे जाते हैं और फिर देश उन्हें अपने देश का मानने से ही इंकार कर देता है । एकदम सही उदाहरण दिया आपने तुम्हारा गुस्सा जायज अहमद पर एक देश के दूसरे देश के साथ के रिश्ते डिपलोमेटिक टाइप होते हैं जिन्हें मद्देनजर रखते हुए कुछ सख्त फैसले करने पडते हैं । लेकिन ये वाकई अफसोसजनक है की देश अपने ही जासूसों की रक्षा नहीं कर पा रहा । आए दिन अक्सर ऐसा होता ही है । देश के जासूस दूसरे देश में पकडे जाते हैं और फिर देश उन्हें अपने देश का मानने से ही इंकार कर देता है । एकदम सही उदाहरण दिया आपने । अमर रोज स्वर में बोला यही होता है और आज भी यही हो रहा है । जासूस ने अपना कर्तव्य निभाया, देश के लिए काम किया और जब वक्त आया कि देश उसके लिए कुछ करें तो उन्होंने अपने हाथ पीछे खींच लिए । जिस डोर के सहारे वह बंदा था उसे ही कार्ड दिया है । मगर बच्चों के बीच खुला छोड दिया कहकर वो चुप हो गया । कुछ देर कमरे में शांति छाई रही जिससे फिर अमर नहीं थोडा और कुछ भी हो जाए । गुरु ऐसा का मैं उन लोगों को आप पर कोई झूठा इल्जाम नहीं लगाने दूंगा । शून्य में घूम रहा था मैं जानता हूँ उन लोगों को अब पर शक हुआ । अभी तो कैसे? ये बात तो मैं अपने दोस्तों से ही क्यों नहीं पूछते हैं । गुरु ओसाका से ये सब पूछने का क्या मतलब है? सौम्या होते से बोलिए मैं कोई इल्जाम नहीं लगा रहा हूँ । दीपिका अमर समझाने वाले भाव के साथ बोला अपना ये समझाना चाहता हूँ कि उनके दिमाग में इनके खिलाफ शक का कीडा किसने डाला? हम अच्छी तरह से जानते हैं । ओसाका बोला ये काम सुजुकी के अलावा और किसी का नहीं हो सकता । जी गुरु जी आप ने सही कहा । वैद्य भी पट्टी बांधते हुए बोला ये जो कि बहुत ही धूर्त हैं, किसी को भी अपनी बातों में ले आता है । इन जासूसों को भी उसी ने आपके खिलाफ भडकाया होगा । भडकाने से क्या होता है? अमर बोला जावेद या सीक्रेट सर्विस का कोई भी एजेंट आप पर तब तक हाथ नहीं डाल सकता जब तक आप के खिलाफ कोई सबूत ना मिले । इसी बात की तो चिंता है हमें ओसाका बोला क्या मतलब? मतलब ये है की सीटों सरकार गुरूजी पर अब आप ये सब क्या बोल रहे हैं? वैद्य ने उसे रोकने की कोशिश की । बोली तो हमें अब अमर से ये सब बातें छुटाकर । क्या फायदा किसी का फायदा नहीं है । जावेद और जॉन को भी मैं यही बातें बताता पर मौका ही नहीं मिला । मतलब अमर रहस्य से बेचैन हो रहा था । दरअसल आज से कुछ साल पहले हमारी ये गुप्त मीटिंग हुई थी । सीनों के नए प्राइम मिनिस्टर के साथ नई प्राइम मिनिस्टर मतलब जो छह साल से प्राइम मिनिस्टर है । वहीं अमर ने पूछा हाँ वही पर वो तो ऑफिसियली भारत दौरे पर आए थे । तुम सही कह रहे हैं । उस दौरे पर पहली बार किसी सीन ओपीएम ने भारत की शरण में रह रहे ओसाई धर्मगुरुओं से मिलने की इच्छा जताई थी । हमारी ऑफिशियल मीटिंग हुई और उसके बाद हम दोनों के साथ अलग से एक अनऑफिशल मीटिंग रखी गई । मैंने उस मीटिंग में ये सोच कर भाग लिया कि शायद शांति को लेकर कोई अच्छा कदम होगा । जब बात शुरू हुई तो उन्होंने यही कहा कि पुरानी बातें भुला दी जाएं और एक नई शुरुआत हो । प्राइम मिनिस्टर सीनों में हम सभी धर्मगुरुओं पर लगे सभी तरह के बैन हटाना चाहते थे तो हमारे फैलाए धर्म को वापस तीनों में लाना चाहते थे और इसके लिए उनको हमारे सपोर्ट चाहिए था । कैसा सपोर्ट? भारत के खिलाफ जासूसी में सपोर्ट, भारत के खिलाफ मिशन में साथ देने का सपोर्ट । तीनों अपना बॉर्डर भारत के अंदर बढाना चाहता था । ये सब सुनकर मेरा माथा ठनक । मैं तुरंत उस मीटिंग से उठ गया । सुजुकी भी उठ गया । हम दोनों ने ही उसे बोला कि वो हम लोगों को क्या समझते हैं । हम लोग शांति के दूत हैं और अपने ही रक्षक देश को धोखा नहीं दे सकते । इस तरह वो मीटिंग खत्म हुई । लेकिन उसके बाद सुजुकी की अकेले में प्राइम मिनिस्टर के साथ बात हुई और वहाँ सब उल्टी बात हुई । उसने हमारे सामने दिखावा किया, पर प्राइम मिनिस्टर के मिशन में शामिल हो गया । सोचो कि को नए खाद जो देख रहे थे, तीनों में दोबारा एंट्री के अपना धर्म फैलाने का मौका और भारत में जो भी नई टेरिटरी सीनों के अधिकार में आने वाली थी, वहाँ भी सूजूकी ही धर्मगुरु स्थापित किया जाता है । इसलिए सुजुकी ने प्राइम मिनिस्टर की साजिश में शामिल होना स्वीकार कर लिया । अमर का मुंह खुला हुआ था, वो एक्टर को साका को देखे जा रहा था । आप जानते हैं आपने कितनी बडी बात कह दी जानता हूँ और ये भी जानता हूँ कि सूजूकी के पास गुप्त मीटिंग के कुछ रिकॉर्डिंग और सबूत मौजूद है और वो उनको इस तरह पेश कर सकता है जिससे सिर्फ ये साबित होता है कि मैं कैसे प्राइम मिनिस्टर से मिलने गया और उन्होंने क्या प्रलोभन दिया । उसके आगे की रिकॉर्डिंग को नहीं सुनाएगा, क्योंकि इतने में ही मेरे ऊपर शक के लिए पर्याप्त मटेरियल मिल जाएगा । क्योंकि आगे जो कुछ साजिश चल रही है उससे फिर मुझसे कनेक्शन आराम से जोडा जा सकता है हूँ पर आपको क्या पता उसने ऐसी कोई रिकॉर्डिंग की है और वो इस तरह से आपको ब्लैकमेल करेगा? मुझे पता है क्योंकि वो पहले भी ऐसा कर चुका है तो मैं बाकायदा वो रिकॉर्डिंग सुन चुका हूँ तो उसके बदले में आपने क्या किया? मैं चुप रहा हो सका । आत्मग्लानि भरे स्वर में बोला यही मेरा सबसे बडा अपराध है । मैं चुप रहा । भारत के खिलाफ हो रही साजिश में उसकी भागीदारी के बारे में जानते हुए भी मैं चुप रहा । अमर जैसे सकते की हालत में आ गया था और उसका दिमाग तेजी से दौड रहा था । मानो हवा में उड रहा है । उसे पुरानी सभी घटनाएं याद आने लगी । तो क्या खलीली का पूरा प्लैन्स तीनों द्वारा कौनसा किया गया था? उसके मुंह से निकला ऐसा ही लगता है । कोई सबूत तो नहीं है पर हमें यकीन है कि सीटों के सपोर्ट के बिना यह मुमकिन नहीं कि आपके पास ऐसा कोई सबूत है जिससे सुजुकी पकडा जा सके । बदकिस्मती से हमने कभी सुजुकी की बात ही चला कि नहीं सीखी, कोई बात नहीं । सबूतों जैसा कि हम लोग भी लडते वक्त बोल रहे थे, जोडे जा सकते हैं । फिलहाल इटली तो मिला है । हाँ, जहाँ तक हमें मालूम हैं उनके शिष्य निक्की बहुत पहले से इस प्लानिंग में हिस्सेदारी है और उसका किसी बडे मिनिस्टर के साथ गठबंधन भी था । यानी कोई इंडियन मिनिस्टर भी इस प्लान में शामिल था इसकी संभावना बहुत अधिक है । और जहाँ तक मुझे पता है खाली के प्लैन फेल होने के बावजूद ये लोग अभी किसी प्लान बी पर काम कर रहे हैं । अमर उठ खडा हुआ उसने अपनी शर्ट पहनी और फिर ओसाका गुरु के सामने बैठ गया था । मेरे ख्याल से जावेद और जॉन को आपके खिलाफ रिकॉर्डिंग वाला सबूत मिल ही जाएगा । कोई बात नहीं । हमने कोई गलत काम नहीं किया है । उन्हें हमें अरेस्ट करने तो पूछताछ में हम सब कुछ बता देंगे । अब जब पानी गले तक आ गया है तो हमें चिंता नहीं भले ही हमारे देश की बदनामी हो, हम सब सच बोल देंगे । अब सच तो पता चल ही गया है । आप दोबारा बोलने के लिए क्यों फंसे हो? मेरे खयाल से आपको भारत छोड देना चाहिए । क्या बोल रही हूँ मैं अच्छा हम भारत छोडकर कहाँ जायेंगे? सीनों छोडने के बाद अब यही हमारा घर है । हमेशा के लिए छोडने के लिए नहीं कह रहा हूँ । कुछ समय के लिए चले जाइए । एक बार सुजुकी हाथ में आ जाएगा तो मामला रफा दफा हो जाएगा । पर हम क्यों भागे? हमने क्या किया है? आप सीनों से भी तो भागे थे । वहाँ भी तो आपने कोई गलत काम नहीं किया था । ओसाका निरुत्तर हो गया । सौम्या चहलकदमी करते हुए बोली, अमर ठीक कह रहा है गुरु जी, इन हालात में अभी आपको चले जाना चाहिए, वरना सीक्रेट सर्विस का तो ठीक है । यहाँ पर इंटरपोल वगैरा कभी इनरॉलमेंट वो लोग किसी के भी पीछे हाथ धोकर पड जाते हैं । पर अगर मैं यहाँ से भाग जाऊंगा तो तो हर कोई यही कहेगा कि मैं ही गलत था । वो तो आपके रहते हुए भी लोग यही कहेंगे । अब आप ज्यादा मत सोचिये । अमर बोला । अब सुबह की फ्लाइट से कहीं मलेशिया, सिंगापुर वगैरह किसी ऐसी जगह निकल जाइए जहाँ कोई तीनों धर्म का प्रोग्राम होने वाला हो या ना भी हो तो आप करा सकते हैं । तो कहने को भी हो जाएगा की आप धार्मिक काम के लिए गए । जब सब ठीक हो जाए तब आप वापस आ जाना । ओसाका ने तनावयुक्त ढंग से पहलू बदला । वो कभी सौम्या हाँ और कभी अमर की तरफ देख रहा था । रात के एक बच्चों की थी । अमर आश्रम के बाहर घूम कर वापस आया । आसाराम के आंगन में सौम्या वैद्य और ओसाका के दो खास शिष्य बैठे । विचार विमर्श कर रहे थे । वो सा का अपने कमरे में चला गया था । अमर गहरी सोच के साथ बोला आसाराम से निकलना ऐसा नहीं होगा । गेट के आसपास रोड की । दोनों तरफ सादे लिबास में पुलिस का पहरा है । इसका मतलब अगर हम निकले तो हमें रोकेंगे तो नहीं पर पीछा जरूर करेंगे । तो मैं बोली कह नहीं सकते, रोक सकते हैं । पर हमारे खिलाफ उनके पास अभी कोई अरेस्ट वारंट नहीं होगा । अमर सोच रहा था । फिर वो बोला हमें गुप्त रूप से निकलने का प्लान बनाना होगा तो की तुम जासूस हो । तुम्हें कुछ सुझाव कुछ देर अमर विचारमग्न होकर आंगन में चहलकदमी करता रहा । तिरु उन सब की तरफ पालता और अपना प्लान समझाने लगा ।

Details

Sound Engineer

अंतर्द्वंद्व जावेद अमर जॉन के पिछले उपन्यास ‘मास्टरमाइंड' का सीक्वल है। मास्टरमाइंड की कहानी अपने आप में सम्पूर्ण अवश्य थी पर उसकी विषय-वस्तु जो जटिलता लिये थी उसे न्याय देने के लिये एक वृहद कहानी की आवश्यकता थी और प्रस्तुत उपन्यास उसी आवश्यकता को पूर्ण करने हेतु लिखा गया है। writer: शुभानंद Author : Shubhanand Voiceover Artist : RJ Hemant
share-icon

00:00
00:00