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chapter 28 in Hindi

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AuthorNitin Sharma
अंतर्द्वंद्व जावेद अमर जॉन के पिछले उपन्यास ‘मास्टरमाइंड' का सीक्वल है। मास्टरमाइंड की कहानी अपने आप में सम्पूर्ण अवश्य थी पर उसकी विषय-वस्तु जो जटिलता लिये थी उसे न्याय देने के लिये एक वृहद कहानी की आवश्यकता थी और प्रस्तुत उपन्यास उसी आवश्यकता को पूर्ण करने हेतु लिखा गया है। writer: शुभानंद Author : Shubhanand Voiceover Artist : RJ Hemant
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वर्तमान समय हिमाचल प्रदेश अचानक ही जावेद ने चौक कर रखी खोली । वो प्लेन की सीट पर था । जॉन उसकी तरफ चिंतित मुद्रा में देख रहा था । उसका हाथ उसके कंधे पर था । जावेद ने दो पल उसकी तरफ अचरज से देखा । फिर अपने चेहरे पर हाथ फेरा तो ठीक हूँ । जॉन ने पूछा, जावेद ने हामी भरी । जॉन समझ सकता था आजकल जावेद के मन में क्या चल रहा है? किस तरह के स्वप्न उसे व्याकुल कर रहे हैं । दोनों इस वक्त प्लेन में थे और वह कुछ ही देर में धर्मशाला पहुंचने वाले थे । मैकलोडगंज में धर्मगुरु सुजुकी का आश्रम था । जावेद ने दिल्ली से ही आश्रम में फोन करके वहाँ आने की इच्छा व्यक्त कर दी थी । उसे वहाँ से सकारात्मक उत्तर मिला । उनके साथ विशाल भदौरिया नामक इंटरप्रेटर भी था, जो कि सीनों भाषा में दक्ष था । धर्मशाला के एयरपोर्ट पर लैंड करने के बाद टैक्सी करके वो लोग सीधे आश्रम पहुंचे । आसाराम के अंदर उन्हें कुछ देर इंतजार करने को कहा गया । आश्रम में चारों तरफ भव्य कपडे पहने शिष्य और पुजारी दिखाई दे रहे थे । पूरा आश्रम लकडी से बना हुआ लग रहा था । वहाँ एक मनमोहक सुगंध व्यापक थी और माहौल में मन शांत करने का प्रवाह था । आखिरकार सूजूकी के कमरे का दरवाजा खुला और वो लोग अंदर आ गए । उनके सामने जमीन पर बिछी चटाई पर बैठा एक साल का सीना मूल का वृद्ध बैठा था । उसके चेहरे पर बेहद मनमोहक भाव थे । कोठों पर विद्यमान बरबस मुस्कान से हुए प्रसन्नचित इंसान प्रतीत हो रहा था । उसके सामने लकडी की एक चौखट थी, जिसपर कोई बडी से किताब खुली थी । उसने उन तीनों को अपने सामने विषय कालीन पर बैठने का इशारा किया और उनके साथ आए शिष्यों को वापस जाने का निर्देश दिया । हमें मिलने का समय देने के लिए आपका शुक्रिया जॉन बोला तो विशाल ने अपनी जॉब शुरू कर दी । उसने सीनों में उसका अनुवाद करके गुरु सोनू की को बताया । सुजुकी ने भी पराया उत्तर में उनसे मिलने की खुशी उजागर की । अम् इंडियन एयरलाइंस के एक लापता विमान की खोजबीन में लगे हैं । हमारी जानकारी के मुताबिक आप और आपके चार शिष्य ने भी इस फ्लाइट में बुकिंग कराई थी । पर अंतिम समय में अपने वो फ्लाइट बोर्ड नहीं की । हम उस बारे में जानना चाहते हैं । सूजुकी ने पूछा, आप लोग कब की बात कर रहे हैं? कहाँ से कहा की फ्लाइट थी? करीब छह साल पहले लखनऊ से कतर की फ्लाइट और क्या जाया काम उस वक्त लखनऊ में थे और वहाँ से मुंबई जाने वाले थे । सुजुकी ने बताया, यहाँ ये फ्लाइट लखनऊ से मुंबई और फिर मुंबई से कतर जाने वाली थी । आपकी बुकिंग मुंबई तक का था । आपकी बुकिंग मुंबई तक की थी । सही का आपने? जॉन बोला मुझे याद है अंतिम समय में हमारा प्लैन चेंज हो गया था । आप लोग मुंबई के सिलसिले में जा रहे थे । एक सभा थी तीनों और भारत के संबंधों पर उसमें हमें आमंत्रित किया गया था । फिर आप लोग क्यों नहीं गए? कुछ कारणों से हमें आश्रम वापस आना पडा । हमारे मुख्यपुजारी की तबियत काफी बिगड गई थी । कौन है वो की हम जान सकते हैं क्या वो अभी भी आश्रम में नहीं । वो स्वास्थ्य के करीब एक महीने बाद ही उनकी मृत्यु हो गई थी । तो ये तो बहुत बुरा हुआ । कोई बीमारी थी क्या? उन्हें एक तरह से ये समझ लीजिए की धरती पर उन का समय पूरा हो गया था और परंपरा महेश्वर ने उन्हें बुला लिया । सुजुकी ने संजीदगी के साथ जवाब दिया क्या उम्र क्योंकि साल ओके जॉन चुप हुआ तो जावेद ने पूछा आप भारत में कब से हैं । करीब दस साल हो गए । तीनों में आप क्या करते थे? वहाँ भी हम धर्म गुरु थे और हमारा आश्रम था । हम अपने धर्म का प्रचार करते थे लेकिन तीनों सरकार को हमारे विचार पसंद नहीं आते थे । हमारी उनके साथ तल्खी स्तर पर पहुंच गई थी कि वो हमें मृत्युदंड देना चाहते थे । इसलिए हमें भारत में शरण लेनी पडी । भारत एक महान देश और तरह के धर्म का सम्मान करता है । लेकिन हमारे देश तीनों में ऐसा नहीं है कि आपको बाद में पता चला कि उस प्लेन का हाईजैक हो गया या फिर लापता हो गया और आज तक उस विमान के बारे में कुछ पता नहीं चला जो हमने पूछा । हाँ, हमें ये समाचार मिला था । उसके बाद हमने आश्रम में विशेष पूजा आयोजित की थी । विमान के वापस मिलने और पैसेंजर्स की सकुशल वापसी के लिए आज की आपकी पूजा भगवान ने सुनी होती । जॉन ने गहरी सांस छोडते हुए कहा परमेश्वर की मर्जी के आगे तो किसी की नहीं चलती । आप लोग ने काम कर रहे हैं । शायद कुछ बडी वजह होगी कि आपको ये काम मिला और अब उस विमान को खोने का रहस्य खोलेगा तो जरूर उससे मानवता का भला होगा । हमारी कोशिश तो यही है । जावेद बोला, वैसे आप के आश्रम में और कौन पुजारी है? देखिए हम कुछ और लोगों से बात करना चाहते हैं । आप के साथ जो चार शिष्य उस विमान में बैठने वाले थे उनसे भी बात करना चाहते हैं । आशा करते हैं वो चारों अभी भी आश्रम में ही होंगे था । वो चारों यहीं पर है । आपको उन चारों से आश्रम में किसी से भी बात करने के लिए पूरी छूट है । आप बिलकुल ना हिचकें चाहिए तो आश्रम में ही कुछ दिन बता सकते हैं । आपको यहाँ रहकर अच्छा लगेगा । हो सकता है परंपरा पेशवर आपका मार्गदर्शन करें । मुझे आप के साथ बैठकर पूजा करने में भी खुशी होगी । आपके विचार काफी महान है । जावेद बोला पहले हम चार लोगों से मिल लेते हैं । सूजूकी ने हामी भरी और फिर घंटी बजाई । कुछ ही देर में एक शिष्य अंदर आ गया । सुजुकी नहीं । उसे अपनी भाषा में निर्देश दिया । फिर कहा या कौन चारों से मिलवाने ले जाएगा । उसके अलावा भी अगर आप किसी से बात करना चाहें तो ये आपकी मदद करेगा । कोई भी परेशानी हो तो आप मुझे आकर बता सकते हैं । आपका बहुत बहुत शुक्रिया । जावेद ने कहा, फिर वो तीनों उठ खडे हुए और कृतज्ञता के साथ सुजुकी का सिर झुकाकर अभिवादन करके उस शिष्य के साथ उस कमरे से बाहर निकल आए । कुछ ही देर में आश्रम के आंगन में वह चार शिष्यों के साथ बैठे थे । आसाराम के बाकी लोग उन्हें ध्यान से देख रहे थे, पर उस लंबी शिष्य के इशारे पर वह लोग वहाँ से चले गए । उन लोगों ने उन चारों शिष्यों से कुछ सवाल पूछे, पर उन्हें ऐसी कोई नई बात नहीं पता चली जो सुजुकी ने पहले ही न बता दी हो । फिर जावेद और जॉन ने किसी पुजारी से मिलने की इच्छा जाहिर की । उन्हें पुजारी से मिलवाया गया । उसका नाम जो हमारा था हुए कम कद का वृद्ध था । उसकी लंबी सी नुकीली सफेद आ रही थी और पतली पतली । मुझे थी कि आप मुख्य पुजारी को जानते थे, जिनकी मृत्यु कुछ समय पहले हुई । जॉन ने पूछा, हाँ, बिलकुल जानता था । उन का नाम लिया था । वो एक महान इन्सान थी । मैंने उनसे काफी कुछ सीखा था । तो आपको याद होगा जिस दिन गुरु सुजुकी और उनके चार शिष्य फ्लाइट से मुंबई जाने वाले थे, क्या उसने नचाना की लियांग को कुछ हुआ था? पोस्टेन उस दौरान उनकी तबियत काफी खराब चल रही थी । हम सभी जानते थे वो किसी भी पल परम परमेश्वर की ओर कूच कर जाएंगे । गुरु सुजुकी को शायद अंदेशा था कि कुछ अनिष्ट होने वाला है इसलिए वो वापस आ गए । यानी वापस आने से पहले भी लियांग की तबियत खराब थी । थांग उनकी तबियत काफी समय से खराब चल रही थी । क्या कोई डॉक्टर उन्हें देख रहा था? हमारी वैदेही देख रही थी । अंग्रेजी दवाइयाँ और इलाज हमारे यहाँ कोई लेता नहीं तो क्या उस देना चाहता? कुछ हुआ था दिल का दौरा या बेहोशी या कुछ और? वो लगातार बिस्तर पर ही थे । बहुत ही कमजोर हो गए । नहीं उठ भी नहीं पा रहे थे । आप शायद समझ नहीं रहे । जॉन हाथों का प्रयोग करते हुए अपनी बात समझाने का प्रयास कर रहा था क्योंकि उसे लग रहा था कि हिंदी से तीनों भाषा में सही मैसेज शायद पहुंच नहीं पा रहा था । मैं ये जानना चाहता हूँ की उस दिन अचानक की उनकी तबियत को क्या हुआ की सूजूकी अपना सारा प्लैन कैंसिल करके दौडे दौडे वापस आ गए । विशाल नहीं सवाल को उपयुक्त तरह से सीनों में प्रस्तुत करने की पुरजोर कोशिश की । यू हामा ने ना में सिर हिलाया विशाल बोला सही कह रहे हैं कि इन को नहीं पता वो तो मुझे भी देखा है । जॉन खींचते हुए बोला, पर इसका मतलब क्या हम यह समझें कि उनकी सेहत पर अचानक से कोई प्रभाव नहीं पडा था । उनकी तबियत पहले भी खराब थी और बाद में भी खराब थी । यहाँ कोई ऐसा डॉक्टर भी नहीं था जो ठीक से बता सके कि उनकी डायग्नोस किया सिम्टम्स क्या थे सर, मुझे तीनो की प्राचीन चिकित्सा पद्धति के बारे में थोडी बहुत जानकारी है । लेकिन मानी वो इतनी पिछली भी नहीं जितनी प्रतीत हो रही है । विशाल बोला ऐसा करते हैं कि वैद्य को बुला लेते हैं । जावेद ने सुझाव दिया कन्फर्म हो जाएगा । फिर एक शिष्य को वैद्य को बुलाने के लिए भेज दिया गया । कुछ देर में वैद्य वहाँ पहुंच गया । अब योकोहामा और वैद्य दोनों सामने थे । जॉन ने पूछा आप गुरू लियान को देख रहे थे । ऐसा उनको क्या हुआ था कि गुरु सुजुकी को अपनी ट्रिप कैंसिल करके वापस आना पडा । उनकी तबियत बेहद खराब हो रही थी । स्वास्थ्य निरंतर गिर रहा था और ये तो गुरु सुजुकी को जाने से पहले भी पता होगा ना । जॉन कुछ तेज आवाज में बोला जॉन्की तेज आवाज ने आश्रम के बाकी लोगों को अपनी तरफ आकर्षित किया । एक शिष्य होते से उसे देखने लगा । विशाल ने जॉन को शांत रहने का इशारा किया । जॉन होठों पर जबरन मुस्कान लाते हुए बोला, देखिए मैं बस ये जानना चाहता हूँ कि किन परिस्थितियों में गुरु सुजुकी को आनन फानन वापस आने के लिए बाधित कर दिया । जहाँ तक मेरी समझ में आ रहा है, गुरु लियांग को अचानक ही कुछ नहीं हुआ था । काफी समय से उन की तबियत खराब थी और निरंतर खराब हो रही थी । मैं ठीक समझता हूँ ना । वैद्य ने स्वीकृति में सिर हिलाया और कहा आप शायद समझ नहीं पा रहे हैं । हम लोग कभी कभी अनिष्ट को भांप लेते हैं । आप इसे टेलीपैथी समझ सकते हैं । गुरु सुजुकी को जरूर एहसास हुआ होगा कि कुछ गडबड होने वाली है इसलिए अपनी ट्रिप कैंसिल करके वो वापस आ गई । ऐसा अक्सर होता है कि हमारे पास किसी प्रियजन के साथ कुछ बुरा घट जाता है और आपको बिना किसी के बताया ही इसका आभास हो जाता है । मैं मानता हूँ ऐसा होता है । जॉन बोला और उस वक्त से पहले भी वह बीमार ही थे और उस घटना के एक महीने बाद गुरु लियांग की मौत हुई यानी एमरजेंसी जैसा कुछ नहीं था जो मरणासन थी । वैद्य बोला तबियत ऊपर नीचे होती ही रहती थी । ऐसे में कब क्या होगा कुछ नहीं कह सकते । किसी धर्म संकट की वजह से गुरु सूजूकी वापस आ गई थी । मैं समझ गया । जॉन बोला आप सभी का शुक्रिया । उसके बाद वो लोग सुजुकी के कमरे में वापस पहुंचे । जावेद बोला गुरूजी हम लोग अभी कुछ दिन धर्मशाला नहीं है । अगर जरूरत पडी तो आपसे दोबारा मिलने आएंगे । आशा करते हैं आपको हमारी इस मुलाकात से ज्यादा कष्ट नहीं हुआ होगा । मेरे दोस्त सूजूकी खडे होकर बोले, आप जैसे महान लोगों के यहाँ आने से हमें कभी कष्ट नहीं हो सकता । आप लोग ने एक और देश भक्त हैं, ये आपके हावभाव से ही मुझे पता चल रहा है । आप जब चाहें यहाँ सकते हैं । मैं तो अभी भी बोलता हूँ । आप आश्रम में ही कुछ दिन बताइए, आपको अच्छा लगेगा । आपके इस आमंत्रण के लिए शुक्रिया । पर कुछ वजह है जिसके कारण हमें धर्मशाला में ही रहना पडेगा । धन्यवाद । जावेद ने कृतज्ञ भाव से कहा बहुत बहुत धन्यवाद । जॉन बोला । उनका अभिवादन करके वहाँ से निकले जावेद और जॉन धर्मशाला में स्थित सरकारी गेस्ट हाउस में रुके थे । अभी वो लोग खाना खाने बैठ रही थी कि जॉन को एक फोन आया और फोन पर बात करने के बाद वो जावेद से मुखातिब हुआ । क्या हुआ? जावेद ने पूछा एक ब्रेक थ्रू मिला है क्या? जावेद ने उत्साहित होते हुए पूछा कंचन याद ना वो पायलट विक्रम की? गर्लफ्रेंड हाँ, वही उसे किसी ने विदेश से कॉन्टेक्ट किया है । किस लिए लगता तो उसका बॉयफ्रेंड विक्रम हैं । कंचन का फोन विजल पर रखने का फायदा हुआ । आज ही उसे मोंटेनीग्रो से फोन आया । ऍम तो विक्रम मोंटेनीग्रो में छिपा बैठा है । लगता तो ऐसा ही है । जॉन बोला, पर अब बस ये पता चल जाए कि वह जिंदा है तो अब बस उसे पकडने के दे रहे हैं । पर दूसरे देश से किसी भगोडे को वापस बुलाने के लिए तो लम्बी प्रक्रिया हो जाती है । वो बात भी ठीक है । जॉन बोला अगर ऑफिशियल रास्ते से जाएंगे तो बहुत समय लगेगा । उनका प्लान अब ये है कि उसने फोन पर उनका प्लान अब ये है कि उसने फोन करके कंचन को मोंटेनीग्रो आने को कहा है । उन का प्लान अब ये है कि उसने फोन करके कंचन को मोंटेनीग्रो आने को कहा है । वहाँ पर टूरिस्ट वीजा पर जाएगी और ये महाशय वहाँ उससे शादी करके उसे वहाँ का सिटीजन बना लेंगे । ऐसा पूरा प्लान बनाया हुआ है । एक कंचन भी बेहद चालाक निकली । मेरे खयाल से वो तब से उसके टच में होगा और अब कुछ सालों के अंतराल के बाद उसे लग रहा होगा कि अब मामला ठंडा हो गया । अब पर्सनल लाइफ पर ध्यान दिया जाए । यानी ये तो साफ है कि विमान गायब होने में पायलट की मिलीभगत थी । जावेद अपनी थोडी सहलाते हुए बोला यानी ये तो साफ है कि विमान गायब होने में पायलट की मिलीभगत थी । जावेद अपनी थोडी सहलाते हुए बोला अगर ये विक्रम ही है तो हाँ लेकिन अजय का क्या रोल था ये जानना भी बाकी है । वो भी मिला ही होगा । उसमें कैसा क्या है? जावेद पूरे आत्मविश्वास के साथ बोला नहीं जरूरी नहीं है । प्लेन हाईजैक करने के लिए एक पायलट का मिला होना भी काफी है । विक्रम को मिला लिया होगा । बाद में भले ही अजय को बेहोश या मार के एक तरफ डाल दिया हो और विक्रम से प्लेन गायब करवा लिया होगा । जो भी हो लेकिन हम समझ रहे हो ना । जावेद की आंखों में अनोखी चमक थी । इसका मतलब प्लेन कहीं ना कहीं सकुशल लैंड हुआ है तभी उसमें बैठा पायलट विक्रम अभी तक जिंदा है । इसका मतलब मेरे भाई मुझे पूरा यकीन है । जॉन मुस्कुराकर बोला जावेद के चेहरे पर आई प्रसन्नचित मुस्कान हर रोज नहीं दिखाई देती थी । वो बोला अब हमें आगे क्या करना है? मेरे खयाल से विक्रम को जल्द से जल्द पकडना होगा । उस से काफी कुछ पता चल सकता है । तुम ठीक कह रहे हो पर ये काम बहुत ध्यान से करना होगा । ऑफिशियल तरीके से बहुत लंबा समय लगेगा क्योंकि अब तक तो वहाँ का सिटिजन बन गया होगा । हाईजैकिंग के लिए उसे जरूर बडी रकम मिली होगी जिसके सहारे उसने एक नए देश में नए काम से एक नई जिंदगी शुरू की होगी । मेरे खयाल से इसके लिए हम में से किसी को मोंटेनीग्रो जाना चाहिए तो फिर मैं जाता हूँ । जावेद तत्पर्ता के साथ बोला, मुझे लगता है ये काम मैं बखूबी कर पाऊंगा । देखो भाई मोंटेनीग्रो क्रिश्चियन कंट्री है और मैं क्रिशन । मुझे वहाँ ज्यादा दिक्कत नहीं आने वाली । मैं अपने असली पासपोर्ट पर भी आराम से जा सकता हूँ और तुम्हारे लिए इस मिशन में काफी रेस्ट्रिक्शन हो सकती हैं । मैंने कुछ गलत कहा हो तो माफ करना नहीं । तुम प्रैक्टिकल बात कर रहे हैं और उसमें कुछ भी गलत नहीं है । लेकिन मैं जाना चाहता हूँ देखो भारत में भी मोर्चा संभाला जरूरी है और फिलहाल सुजुकी पर भी नजर रखने के लिए कोई ना कोई तो चाहिए । अभी काम हम दोनों में से किसी एक को करना ही होगा तो अच्छा होगा । मैं आसानी से मोंटेनीग्रो जाकर काम कर सकता हूँ तो मैं चला जाता हूँ । यहाँ का काम तुम संभालो । कुछ देर इसी तरह विचार विमर्श करके यही सहमती बनी कि जॉन मोंटेनीग्रो जाएगा और जावेद फिलहाल भारत में ही रुकेगा । चीफ अब वैसे भी बात हो गई और वो इसके लिए सहमत हैं । तुम यहाँ क्या कर रहे हो? अमर उसकी दिलकश आवाज तुरंत पहचान गया । उसने धीरे धीरे आंकी खोली तो उसे अपने सामने पाया क्योंकि भारतीय नहीं हूँ । इतनी जल्दी कैसे भूल पा होगी । तुम यहाँ क्या कर रही हूँ? अमर ने चारों तरफ देखा वो एक हॉस्पिटल में था । बगल में नर्स और एक डॉक्टर भी था । दूसरी तरफ था वे कपडों में एक सीन गुरु खडा था ये सवाल मैंने तुमसे क्या है? पहले तुम जवाब दो, तुम यहाँ क्या करने आया हूँ? देखिए कुछ सवालों के जवाब ढूंढता हुआ यहां पहुंचा था । अभी तो तुम्हें कई और सवालों के जवाब खोजने हैमर्स अभी तो मैं बहुत इम्पोर्टेन्ट काम कर रहे हैं । किसी पर भी आसानी से विश्वास मत करना ये साजिश बहुत बडी है । इसमें ऐसे लोग भी शामिल हो सकते हैं जिनकी तुम कल्पना भी नहीं कर सकते हैं । अमर ने स्वीकृति में सिर हिलाया तो उसे निहारने लगा । उसने रिंकी के चेहरे की तरफ हाथ बढाया । उसके गाल कुछ हुआ । रिंकी ने उसका हाथ चूम लिया । तुम कैसी हो मैं तो मैं बहुत मिस करता हूँ । तुम्हारे बिना जीना बहुत मुश्किल है । रिंकी मुस्कुराई, मुस्कुराते हुए वो एकदम छोटी बच्ची लगने लगी । अमर उसे देखकर भावविभोर हो गया तो भी मुझे बहुत याद आती हो । पर मैं कोशिश करती हूँ तो मैं काम याद करूँ, याद करती रहूंगी तो फिर तुम्हारा जीना मुश्किल हो जाएगा । इसलिए अब अकेले रहने की आदत डालनी है । देखो मैं एक दिन तो हम दोनों का मिलना तय है पर अभी नहीं तो मैं भी देश के लिए बहुत कुछ करना है । लेकिन तुम्हारे बिछडने का गम वक्त के साथ काम ही नहीं होता बल्कि बढता ही जा रहा है । कितना भी मन को मनाता हूं मानता ही नहीं । मुझे दिल से जो प्यार करते हो तो हम हर जन्म के साथ ही इसीलिए मेरे बिछडने का हम मत करो । हमें आगे कई कई जन्मों में साथ रहना है । एक दूसरे के प्रति जो प्रेम है उसकी वजह से हमें अपना कर्म खराब नहीं करना है । तुम्हारा जोकर में उसे पूरा करो । बहुत प्रवचन देने लगी । हो हूँ । आजकल यहाँ सत्संग में ड्यूटी लगी हुई है । अमर हस्तिया अब तुम अपनी ड्यूटी पर जाओ । बहुत मजाक हो गया । अचानक अमर जोर जोर से हाफने लगती क्या हो रहा है ये क्या करेंगे? घर कुछ नहीं सब ठीक हो जाएगा उसे । रिंकी धीरे धीरे किसी प्रतिबंधों में बदलकर हवा में तेजी से उड रहे चक्रवात में सम्मिलित होती हुई नजर आई हूँ और फिर अचानक अमर उठकर बैठ गया । वो पूरी तरह से हाफ रहा था । उसने कंधे पर किसी का हाथ महसूस किया तो ठीक हो वो सौम्या थी । वहाँ एक डॉक्टर और नर्स भी मौजूद हैं । वो लोग एक हॉस्पिटल के कमरे में थी । क्या हुआ था मैं कहाँ पर? अमर बेचैन स्वर में बोला तुम्हारे गम ठीक हो और अभी हॉस्पिटल में हूँ । गोली पीठ पर लगी थी । डॉक्टर बोला देखिए जख्म गहरा है पर आपके वाइटल ऑर्गन्स बच गए । गोली थोडी भी इधर उधर होती तो भारी गडबड हो सकती थी । हमने पुलिस को इत्तिला कर दी है । अभी आप आराम करो, वो लोग बाद में आपका बयान ले लेंगे । मैं पुलिस को बयान दे सकता हूँ । उन का पकडा जाना जरूरी है । अमर वैगरह स्वर में बोला तो फिक्र मत करो । मैंने पुलिस को पहले ही सब कुछ बता दिया है । सौम्या बोली अब आराम कीजिए कहकर डॉक्टर चला गया । अमर ने पूछा तुमने पुलिस को मेरे बारे में क्या बताया? मैंने यही कहा कि तुम हमारे आश्रम में रहते हो । ओसाका गुरु के शिष्य अच्छा क्या कोई पकडा गया? अमर ने पूछा नहीं उस वक्त वो लोग मेरे पीछा रहे थे । तुम्हारी जख्मी होने के बाद मैंने तो मैं वहीं पर छोडा और दौड कर शहर की तरफ पहुंची । कुछ ही दूरी पर मुझे गश्ती पुलिस मिल गई जिनकी सहायता से मैंने तो मैं हॉस्पिटल पहुंचाया । थैंक्यू तुम थैंक्स माँ तो तो मेरी जान बचाई और फिर मेरी वजह से ही तुम इस मुसीबत में पड गए । पर आखिर क्या वजह है जो ये तुम्हारे पीछे पडे हैं । क्या ये नेगी के दुश्मन अभी तुम आराम करो, ज्यादा मत बोलो । फिर नर्स ने हमार को एक इंजेक्शन दिया । अब मैं चलती हूँ । सौम्या ने हल्के से अमर का हाथ दबाया और वहाँ से रुखसत हुई । अमर की आंखों के सामने सौम्या का इस यू से बाहर निकलता हुआ अब धान दिलाता चला गया । दूसरे दिन जॉन मोंटेनेग्रो का वीजा निकलवाने के लिए दिल्ली चलाया । जावेद सुबह से ही सुजुकी के फोन नंबर की सारी हिस्ट्री खोलकर जांच पडताल में लगा हुआ था । आखिरकार दोपहर तक उसे कुछ आगे बढने लायक जानकारी हासिल हुई । एक बार फिर विशाल के साथ सुजुकी के आश्रम पहुंचा । वो एक बार फिर विशाल के साथ सुजुकी के आश्रम पहुंचा । इस बार सुजुकी से मिलने के लिए ज्यादा कठिनाई नहीं हुई । उसके कमरे में पहुंचकर सबसे पहले जावेद ने उसे दोबारा कष्ट देने के लिए माफी मांगी । इसमें कष्ट की कोई बात नहीं है । सुजुकी ने कहा, गुरु जी मैं एक बार फिर आपसे उस वक्त की बात करना चाहता हूँ जब विमान गायब हुआ जिसमें आप और आपकी शिष्य बैठने वाले थे । सुजुकी ने मुस्कुराते हुए सिर को हल्की सी जुंबिश थी । उस वक्त आपको कुछ फोन कॉल्स आए थे । आपके आश्रम के एक नंबर से कई बार और एक और दिल्ली से किसी मोबाइल फोन से हाँ काफी फोन आए थे । उस वक्त हम दिल्ली से आए थे, वहाँ हमारे शिष्य हैं । फिर मुंबई से भी जहाँ हम जा रहे थे । दिल्ली में आपके किसी शिष्य का नाम नहीं था । सूजूकी सोच में बढ गए । जावेद ने फोन निकाला और उसमें निक्का फोटो निकाल कर सूजूकी को दिखाया । सूजुकी ने इंकार में सिर हिलाया । फ्लाइट तीन सौ की बोर्डिंग से मात्र दस मिनट पहले आपको किसी का फोन आया था और आपकी बात सिर्फ दस सेकंड हुई थी, शायद हुई थी । पर मुझे याद नहीं क्या बात हुई थी । सुजुकी ने विशाल की मदद से कहा, देखिए आपको याद करना होगा क्योंकि ये आदमी हमारे लिए वॉन्टेड है । इसलिए आप पता कर के बताइए, इसका आपके साथ क्या कनेक्शन रहा है? जावेद जोर देते हुए बोला, और फिर उसने अपना पैर दूसरे पैर पर इत्मीनान से चढा लिया । जैसे कि जवाब लेने के लिए उसके पास पूरा समय था । मुझे उसका नंबर और फोटो भेज दो, मैं पता कर के बताता हूँ । सूजुकी ने कुछ सोचने के बाद कहा ठीक है तो मैं इस मामले के बारे में पूछताछ करने के लिए कल दोबारा हूँ । अभी ज्यादा दीजिए आपको कष्ट देने के लिए । एक बार फिर से क्षमा जावेद खडे होते हुए बोला सुजुकी ने मुस्कुराते हुए अपने सिर को हल्की सी जुंबिश अमर को होश आ चुका था, अब पहले से बेहतर महसूस कर रहा था । उसने पुलिस को बयान दिया कि वह अपनी आश्रम की दोस्त सौम्या के साथ त्रियूंड घूमने गया था और वहाँ कुछ लडकों ने उसके साथ छेडछाड करने की कोशिश की । वो लोग वहाँ से सकुशल निकल गए, पर वापसी के दौरान उन पर फायरिंग हुई । अमर ने अपनी नकली आइडी की बदौलत खुद का नाम अमन शर्मा बताया, जो कुछ समय से ओसाका के आश्रम में रह रहा था । पुलिस ने बयान लिया और कहा कि कुछ दिन में वह कुछ सस्पेक्ट ढूंढकर शिनाख्त के लिए उन्हें थाने बुलाएंगे । अमर और सौम्या नी सहमती जताई हॉस्पिटल से डिस्चार्ज के बाद अमर किसी होटल में रुकना चाहता था, पर सौम्या के आग्रह पर वो ओसाका के आश्रम में आ गया । ओसाका के आश्रम के पीछे बर्फीले पर्वतों का खूबसूरत नजारा था, जिसका दीदार अंतर्मन में एक सुखद अहसास दिला रहा था । आश्रम में प्रवेश करते हुए अमर को बेहद अच्छा लगा । वहाँ का माहौल ही कुछ ऐसा था । चारों तरफ लाल कपडे धारण किए शिष्य घूम रहे थे, जिनके सिर पर मात्र छोटी छुट्टियाँ भर के बाल थे । सभी उसका झुककर अभिवादन कर रहे थे । शायद नए मेहमान का सभी इसी तरह स्वागत करते थे । वो लोग सीधे गुरु ओसाका के कमरे के बाहर रुके । कुछ देर में द्वारपाल ने अंदर जाने की अनुमति दी । अंदर उन्हें ओसाका के दर्शन हुए । वर्षीय सपाट वाक, कांतिमय चेहरा, छोटी आंखें, सिर पर एक भी बाल नहीं माथा बेहद चौडा था । इतना कि चेहरे का आंखों से नीचे का हिस्सा माथे से छोटा लगता था । अमर को देखते ही वो उठा और फिर झुककर अभिवादन करने के बाद उसने अमर को गले लगाया । फिर साफ हिंदी में बोला, आपका श्रम में स्वागत है । आपने एक मोदी जी की रक्षा की । आप हमारे लिए ईश्वर के अवतार सामान है । आसाराम की शिष्या मोदी जी कहलाती हैं और शिष्य मोदी । सौम्या ने अमर को बताया, अमर मुस्कुराया और उसने हाथ जोडे । मैंने कोई महान काम नहीं किया है । गुरु जी आप मुझे यहाँ रहने के लिए जगह दे रहे हैं । ये मेरे ऊपर एहसान हैं । उसने अमर के हाथ थाम लिए । ऐसा मत कही । ईश्वर के अवतार का यहाँ रोकना हम सभी का इंसान है । आप यहाँ जितना अधिक समय व्यतीत करेंगे, उतना ही अधिक हम पुण्य कमाएंगे । इससे अपना ही घर समझे जरूर । उसके बाद सौम्या अमर को एक छोटे किंतु आरामदायक कमरे में ले गई । तुम यहाँ आराम करो । मैं कुछ देर में वैद्यजी को भेज दी । उनकी दवा और यहाँ की आबोहवा से देखना तो बहुत जल्दी ठीक हो जाओगे । अमर मुस्कुराया चलो तुम्हारी मदद करने का यह फायदा तो मिला हूँ तो मैं भी मुस्कुरा दी । फिर वो चली गई । अमर ने अपना बैग एक कोने में रख दिया । कमरे में जमीन पर दरी बिछी हुई थी और एक कोने में गद्दा लगा था । अल्मारियों में अधिकतर धार्मिक किताबें थी । सामने एक और दरवाजा था जिसे खोलकर अमर निकला तो राहदारी आ गई । जिसके आगे रेलिंग थी । रेलिंग के सामने पहाडी नजारा था । अमर ने झांककर देखा । रेलिंग के नीचे कुछ दूरी पर पहाड खत्म हो रहा था और उसके आगे गहरी खाई थी । अमर रेलिंग के सहारे खडा होकर काफी देर उन नजारों से सम्मोहन सी अवस्था में खोया रहा ।

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अंतर्द्वंद्व जावेद अमर जॉन के पिछले उपन्यास ‘मास्टरमाइंड' का सीक्वल है। मास्टरमाइंड की कहानी अपने आप में सम्पूर्ण अवश्य थी पर उसकी विषय-वस्तु जो जटिलता लिये थी उसे न्याय देने के लिये एक वृहद कहानी की आवश्यकता थी और प्रस्तुत उपन्यास उसी आवश्यकता को पूर्ण करने हेतु लिखा गया है। writer: शुभानंद Author : Shubhanand Voiceover Artist : RJ Hemant
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