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फॅर कल ही जाना है तो तुमने मुझे पहले क्यों नहीं बताया? किशोर मुझे अंदाजा नहीं था माँ की कल ही जाना पड सकता है । पर हाँ मैंने मौसी से बात कर ली है तो कल सुबह की फ्लाइट जा रहे हैं । ठीक है लेकिन अब मुझे कल का कार्यक्रम आज ही करवाना होगा । कैसा कार्यक्रम? किशोर ने पूछा तुम्हारे पापा बनने की खुशी में मैंने छोटी सी पार्टी देने का फैसला किया है । मैंने कहा हूँ अभी इस की क्या जरूरत है । मैं बचाने के बाद ये सब करते तो अच्छा होता । जरूरत है किशोर जरूरत है । मैं सबके सामने पूनम से माफी मांग कर उसे दिए हुए उलाहनों और अपनों का प्रायश्चित करना चाहती हूँ । मैंने कहा लेकिन मैं नहीं चाहती माँ क्या पैसा करें बोल हमने कहा पूनम तू मैंने उनसे कहा कि ऐसे समय में बार बार सीढी चढना उतरना ठीक नहीं है । माने पूनम को पकडकर सोफे पर बिठाते हुए आगे कहा मैंने सच में बहुत तकलीफ से दी है । पूनम तो वे सब के सामने बार बार बेज्जत किया है इसलिए मैं खेलता हूँ आपने मुझे बेटी मना है और आप मेरे लिए मां के समान ही है । इसलिए कह रही हूँ की माँ बेटी के रिश्ते में कोई माफी ये आप राष्ट्रीय वाली बात नहीं होनी चाहिए । पूनम ने कहा ठीक है पूनम तुम जैसा कह रही हूँ वैसे ही होगा । अब तो मेरे पोते के आने के बाद ही जश्न होगा और ऐसा होगा कि पूरा शहर याद करेगा । आज तो सच मुझे उल्टी गंगा बाहर दिमाग । अशोक ने कहा आजा बेटा तेरे ही कमी थी पर ही उल्टी गंगा वाली बात क्यों कही तुमने? मैंने कहा वो इसलिए माँ की भैया के कहने पर नहीं मानी पर भावी के कहने पर पार्टी रोग भी और ऐसा इस घर में पहली बार हुआ है । भले ही तो हमेशा की तरह मुझे ताना दे रहा हूँ । अशोक पर ये सच है । वो एक लडकी का ससुराल उसका घर तभी बनता है जब माँ बनती है छोडो नाम आप अशोक तो मजा करने की आदत है । आज मुझे आपके हाथ से बनी कढी खानी है । आज तो मैं सिर्फ कडी और चावल खाऊंगा ताकि उसका स्वास्थ्य अगले नौ महीनों तक भूलना सकूँ । किशोर ने कहा क्या करे किशोर मतलब मेरा पोता विदेश में पैदा होगा हम । मैं सोचता हूँ कि पूनम मेरे साथ जारी है तो बार बार आने जाने का जोखिम क्यों लें? इकट्ठा एक ही साथ आएंगे । अच्छा तुम्हारा सोचना भी सही है । बेटा मैं अपनी बहन को रोक लेंगे तो वैसा ही करना जैसा सोचा है और नमिता को अपने साथ ही रखना । ऐसे समय में किसी महिला का साथ होना जरूरी है । ठीक है हाँ, नमिता को भी साथ में ही रखेंगे । वैसे भी बाबू जी की नहीं रहने से अब नमिता भी हमारे ही जिम्मेदारी है । हम उसे कहीं छोड भी तो नहीं सकते । किशोर के मन मुताबिक बात होने पर वो उत्साह था । दूर खडी पूनम किशोर और माँ की बातें सुन रही थी । अचानक ही उसके होठों पर मुस्कुराहट बिखर गई । कैसी है ये दुनिया? उसके मन में आया की झूठी ही सही पर माँ बनने की खबर से ही उसके जीवन में ऐसी करवट बदली की दुख की जगह सुख दुराव की जगह लगाओ और अपमान की जगह सम्मान ने ले ली है । हर बात परेश्वर की शपथ लेने वाले लोग भगवान के दिए हुए सच को स्वीकारने के स्थान पर झूठ नहीं अभी खुश होते हैं । लोग सच्ची कहते हैं कि कष्ट के समय एक दिल्ली एक युग के समान ही लगता है जबकि खुशियों के वर्ष दिन के सामान हो जाते हैं । दूर देश में रहते हुए माँ की पूनम किशोर और नमिता शोक से लगातार बातें होती रहती हैं और मां पूनम से पल पल का हिसाब लेते हुए उसे सावधानी और उचित खानपान की सलाह देते हुए प्रेम का सागर बहती रहती और पूनम इस दरिया के बहाव को नमिता की ओर मोड देती । आखिर बोपल आ ही गया जिसका पूरे परिवार को इंतजार था । क्या हुआ है सिस्टर कुछ प्रॉब्लम नहीं है । सिस्टर के पीछे पीछे जाते हुए अशोक ने पूछा खुशखबरी लेकर आई हूँ । मिठाई मंगवाई लडका हुआ है । सिस्टर ने मुस्कुराते हुए कहा माँ और बेटा कैसे हैं? अशोक ने आतुरता से पूछा । दोनों स्वस्थ हैं, आप लोग उनसे मिल सकते हैं । और हाँ कोई एक मेरे साथ आइए । माता पिता का नाम पंजीकृत करना है । मैं बाबी आप लोग नमिता के पास चाहिए । सिस्टर के साथ जाता हूँ । कहते हुए अशोक सिस्टर के पीछे चला गया । पिता का नाम बताइए सिस्टर ने पूछा किशोर कुमार? अशोक ने जवाब दिया माता का नाम पूनम । लेकिन अभी अभी आपने नमिता कहकर संबोधित कर रहे थे । सिस्टर ने लिखना छोडकर पूछा जीवन के बचपन का नाम है अशोक ने हडबडाहट में किंतु शालीनता से कहा ठीक है सारे मैंने तो ऐसे पूछ लिया था । वैसे इंडिया में टाइम कॉमन है । आप भी कह रही है बधाई हो पूलम धन्यवाद देता हूँ । तुलिस खानदान को कुलदीपक दे दिया बस बेटा, अब जल्दी आ जाओ इस वीडियो कॉलिंग में पोते को देखकर मन नहीं भर रहा है । मैं फोन पर कह रही थी हाँ बस देखते हैं और फिर आपका पोता आपकी गोद में होगा । उन्होंने कहा भी के पूनम अपना और मेरे पोते का ख्याल रखना । तुम लोगों के स्वागत के लिए मुझे बहुत सारी तैयारी भी करनी है । तो अब मैं फोन रखती हूँ । मेरी सहली ठीक कहती थी कि सारी दुनिया की खुशियों पर पोते को गोद में उठाने की खुशी भारी पडती है । पोते को वो उठाते हुए मैंने कहा किशोर इस अनमोल पल में कभी खुशी से सराबोर अपनी माँ को देखता तो कभी चारों ओर नजरे घुमाकर अपने बेटे के स्वागत में दुल्हन की तरह सजे हुए घर को देखता हूँ । नमिता, अशोक किशोर, पूनम और उसके बेटे को आए हुए आज पांचवा दिन हो रहा है पर मिलने वालों का भी तांता लगा हुआ है । इन पांच दिनों में बहुत सारे लोगों का आना हुआ पर प्रताप अब तक नहीं आया । भाभी इस खुशी के मौके पर मैं तो उसका नाम भी नहीं सुना चाहती । सविता किशोर की मैंने कहा अब प्रताप के लिए सागर यहाँ भी मुझे तो अपने कानों पर विश्वास ही नहीं हो रहा है । क्यों मेरे जख्मों को कुरेद रहो? सविता मैंने कहा कि लेकिन प्रताप के प्रति अचानक के बदलाव क्यों भागी? सविता ने पूछा मैं तो उस दिन को याद करके अभी शर्मिंदा हो जाती हूँ । सविता जब मैं प्रताप के कहने पर क्या वहाँ भी अच्छी हो गई? उसका व्यक्ति मुझसे कहा कि ये पूनम तो आपके किशोर से जो की तरह जब की हुई है, जबकि इसके रहते किशोर कभी भी दूसरी शादी के लिए राजी नहीं होंगे । इस तरह किशोर को आप कभी भी पिता बनती नहीं देखता होगी । तो आप उस की बात मान । वही तो न सिर्फ बात बल्कि पूनम को घर से निकालने के लिए उसकी घृणित योजना का भी हिस्सा बन गई । कैसे सविता ने आश्चर्य से पूछा । प्रताप ने पुलम की इज्जत पर हाथ डालने की कोशिश की और सोनम ने जब मुझे ये बात बताई तो मैंने उल्टा डांट डपट कर किशोर को कुछ भी लाभ बताने की चेतावनी दी और इस तरह पुलम को हम लोगों ने कई बार परेशान किया । पर्वतो किशोर की दीवानी ठहरी हर दुख सहकर भी उससे दूर नहीं गई और ईश्वर की इस पर कृपा देखो कि किशोर के प्यार में आखिर उसके जीवन को रंगों से भर दिया और हम ये खुशियाँ मना रहे हैं । मैंने प्रताप को उसका हिस्सा लेकर हमेशा हमेशा के लिए घर का दरवाजा बंद कर दिया है । मैंने कह दिया है कि पूनम के साइड से भी दूर रहना । सासु माँ की बात सुनकर उतने खडी पोलन की आंखे भराई उसका आज भी कोई अस्तित्व नहीं है । ये प्यार और सम्मान जो मिल रहा है तो इस घर के बारिश की माँ के लिए था । सोनम कि जी में आया कि वो इसी समय सच उगल देते हैं और अपनी अंतरात्मा को झूठ के बोझ तले दबने से बचा ले । बहन के प्यार और बलिदान का सम्मान करते हुए उस से मिली संतान की महत्व बनी रहे । पर सारी दुनिया को यह बताकर इसकी जन्म दाता वो नहीं है । पूनम ने सबके सामने सच बताने के लिए आगे बढने की कोशिश की तो पहला कदम उठाते ही पांव के नीचे उसने किशोर को देखा जो कह रहा था तुम अपनी अंतरात्मा को बोझ मुक्त करने के लिए मेरी इज्जत समाज में मेरा सम्मान और मैं रिक्शाओं के साथ ही मेरी खुशियों को रौंदोगे पूनम नहीं किशोर तुम्हारी खुशी के लिए तो मेरा सब कुछ समर्पित हैं और तुम्हारी खुशी में ही मेरी खुशी है । पर इस बात को मैं कभी नहीं भूलता हूँ कि कि ये सारा सम्मान एवं अपनापन मेरा नहीं बल्कि एक माँ का है । यहां केले में किससे बात करियो? पूनम भावी हाँ नहीं तो अशोक कुछ भी तो नहीं । पूनम हर बडा गई भैया और नमिता ऊपर कमरे में आपको बुला रहे हैं । क्यों? अशोक कुछ विशेष बात है क्या आप खुद ही चलकर देखने जवाबी क्या वह किशोर पूनम ने प्रवेश करते हुए पूछा नमिता से पूछ लो पूनम नमिता को चुप देखकर किशोर ने आगे कहा, माँ चाहती हैं की हमारे बच्चे की पार्टी के दिन अशोक और नमिता के विवाह की तारीख तय हो जाए पर नमिता मना कर रही है क्यों? पूनम को भी आश्चर्य हुआ तो इसलिए दीदी की मैं पवित्र अग्नि में फेरे लेने के लायक नहीं हो । आप समझाइए भावी अशोक की बातों के बीच में ही नमिता ने आगे कहा, हमें गलती पहले ही कर चुके हैं, नहीं थी कि पौराणिक परंपरा को तोडते हुए एवं सामाजिक मान्यताओं को ठेंगा दिखाते हुए विवाह से पहले ही संपूर्ण रूप से एक दूसरे के हो चुके हैं, क्योंकि आप लोगों से भी छुपा नहीं है । बाबू जी कहा करते थे कि विवाह की प्रत्येक रस्मी मंत्रोचार लडकी, लडकी को दूसरे के साथ जोडते हुए समर्पण के साथ पेरों में उन्हें मानता है । जबकि ईश्वर को साक्षी मानकर हमने मन और तन पहले ही समर्पित कर दिया है तो सात फेरे लेकर में अग्नि देवता का अपमान नहीं करना चाहती । विवाह की सुंदर और याद का रस्म से हम वंचित रहे, यही हमारा प्रायश्चित होगा । क्यों ना हम मंदिर में वरमाला बदलकर सार्वजनिक रूप से पति पत्नी नमिता सही तो कह रही है । उन्होंने कहा मैं भी अपने पिता की बातों से सहमत हूँ अभी और मुझे अगर वह नमिता पर और आप दोनों के संस्कारों पर लेकिन हाँ माँ की चिंता तो मुझ पर छोडना । शोक मैं उन्हें किसी बहाने से मनाए होंगे । उन्होंने आत्मविश्वास के साथ कहा हाँ भाई आजकल तो वही करती है जो पूनम कहती है । किशोर ने कहा वह तो है । अशोक ने मुस्कुराते हुए कहा
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