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28. Shurpanakha Ki Padi Ram Par Nazar in Hindi

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7 K Listens
AuthorNitin
श्री राम Producer : Saransh Studios Author : गुरुदत्त Voiceover Artist : Ramesh Mudgal
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श्री राम बहुत सत्ताइस रावण के निर्देशानुसार जहाँ एक ओर राक्षस श्री राम की कोटिया की ओर उपद्रव करने नहीं आते थे, वहाँ राम भी अपने वचनानुसार कारण किसी पर शास्त्र उठाना नहीं चाहते थे, परंतु होनी अति प्रबल है । संयोग वर्ष रावण की विधवा बहन शूर्पणखा जो घर के साथ उसके जन्म स्थान में रहती थी । एक दिन वन में भ्रमण करती हुई राम की कोटिया की ओर आपको कौनसी राम और सीता चिल्लाओ पर बैठे गोदावरी नदी की शोभा देख रहे थे कि रावण की बहन की दृष्टि उन पर पड गई । देशी कन्या होने के कारण रूपला वनडे में चोर पंखा एक सुंदर स्त्री थी । उसे राम एक अति सुन्दर और ओजस्वी पुरुष प्रतीत हुआ । चूर था सीता और राम के सम्मुख आकर खडी हो गई । राम ने उठकर उसका सत्कार क्या और उसका परिचय पूछा दूर पंखा ने बताया मैं लंकाधिपति रावण की विधवा बहन शूर्पणखा हूँ । आप इस निर्जन वन में किस कारण घूम रही है? मैं समीति राक्षस जान स्थान में रहती हूँ । आज इस वन तथा नदी की शोभा देखने यहाँ आई हूँ । राम ने फल फूल से उस स्त्री का सम्मान किया, परंतु तो ऊपर खा के मन को राम एक इच्छित वर समझ आया । क्या बोली मुझे आप बहुत ही सुंदर प्रतीत हो रही हैं । यह ईश्वर की महिमा है । जगत कि सब सुंदर और श्रेष्ठ वस्तुएं उसी की बनाई हुई है । आप दो पुरुषों के साथ एक स्त्री को देखकर जिसमें होता है, इसमें इसमें करने के लिए स्थान नहीं है । मेरा छोटा भाई लक्ष्मण हम दोनों अयोध्या के भूतपूर्व नरेश महाराज दशरथ के पुत्र है । यह है सीता । मेरी धर्मपत्नी यह है जिसे राज जनक की पुत्री है । आप मुझसे विवाह कर लें परन्तु हमारी परंपरा में अनावश्यक दूसरी पत्नी वर्जित शूर्पणखा लक्ष्मण की ओर भूमि उसे मैं राम से भी अधिक सुंदर और युवा प्रतीत हुआ है । उसके पास जब मौसी लक्ष्मण एक पात्र में जल लिए फूलों की क्यारियों को सीज रहा था, फॅमिली दस्ती से देखने लगा । शूर्पणखा ने उसे अपने वहाँ आने का प्रयोजन बता दिया । लक्ष्मण ने कह दिया, मैं नहीं है व्रत लिया हुआ है कि जब तक मैं वन में रहूंगा, धर्म चाहिए का पालन करूंगा । इस कारण मैं विवाद नहीं करूंगा परन्तु क्या मुझ जैसी सुंदर स्त्री भी आपके व्रत को भंग नहीं कर सकती? तुम सुंदर अवश्य हो, परंतु व्रत तो व्रत है । मैंने एक पत्नीव्रत लिया है और मैं उसको भंग नहीं करना चाहता । यह पाप हो जाएगा । निराज शुरू का उन्हें राम को आग्रह करने लग गई । परंतु राम ने कहा मैं विवाहित हूं थी । मैं कारण एक से अधिक पत्नियां रखना ठीक नहीं समझता । इस कारण मैं अपनी प्रिय पत्नी से वचनबद्ध हो कि मैं उसके अतिरिक्त किसी स्त्री को पत्नी के रूप में नहीं देख होगा । दूर पड खाने विचार किया कि यदि वह सीता को मार डाले तो राम उससे मुक्त हो जाएगा और फिर उससे विवाह कर लेगा । सीता राम के समीप एक अन्य शिला पर बैठी थी, छोटा था उस की ओर लाभ की और उसे दांतों तथा नाखूनों से नोचने लगी । अचानक हुए इस हमले से सीता चीखें मार थी । शीला से गिर पडी लक्ष्मण अपना काम छोड भागता हुआ आया और सीता को छुडाने लगा । राम ने कह दिया इस इस तरी को आठ पढाना चाहिए कि हमारी ये लोगों में जीवन पद्धति वह नहीं जो राक्षसों में है । लक्ष्मण के हाथ में उसको की क्यारियों में से घासनी हारने के लिए हंसिया पकडा हुआ था । उसके मन में आया कि इस स्त्री का गला कार्ड देना चाहिए । परन्तु एक स्थिति की हत्या से अधिक कठोर दंड यह समझ आया कि इसे कुरूप कर दिया जाएगा । एक स्त्री के लिए उसे कुरूप कर देना मृत्युदंड से भी अधिक भयंकर था । लक्ष्मण कोई ऐसा विचार करने में देर नहीं लगी । उसने अपने हाथ में पकडी हंसिया से चोर पढा था के कान और नाक काट दिए । नाक और कान कटने पर तो सुन पंखा ऊंचे स्वर में अपने भाई घर को पुकारती हुई जान स्थान की ओर भाग गई । लक्ष्मण ने कहा भैया! हत्या के पाप से बचने के लिए मैंने यह क्या है? इसने मार डाले जाने योग्य अपराध किया था । ये है बात भी की हत्या करने का यात्रा कर रही थी । इसका प्रतिकार हत्या ही था, परंतु मैंने उसे पश्चाताप करने के लिए जीवन दान दे दिया है । राम ने मुस्कुराते हुए कहा यह ठीक किया परन्तु लक्ष्मण अब इस वन में शांतिपूर्वक जीवन सुनना कठिन हो जाएगा । यह नकदी अपने भाई के पास गई है और मैं इसकी दुर्दशा देख बिना इसका कारण पता किए हमारी हत्या करने आएगा तो क्या हम उसका विरोध करने की क्षमता नहीं रखते? मैं समझता हूँ कि हमारा वन के इस भाग में आने का प्रयोजन सिद्ध हो रहा है ।

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Sound Engineer

श्री राम Producer : Saransh Studios Author : गुरुदत्त Voiceover Artist : Ramesh Mudgal
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