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chapter 27 in Hindi

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AuthorNitin Sharma
अंतर्द्वंद्व जावेद अमर जॉन के पिछले उपन्यास ‘मास्टरमाइंड' का सीक्वल है। मास्टरमाइंड की कहानी अपने आप में सम्पूर्ण अवश्य थी पर उसकी विषय-वस्तु जो जटिलता लिये थी उसे न्याय देने के लिये एक वृहद कहानी की आवश्यकता थी और प्रस्तुत उपन्यास उसी आवश्यकता को पूर्ण करने हेतु लिखा गया है। writer: शुभानंद Author : Shubhanand Voiceover Artist : RJ Hemant
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रात्रि का समय था । हिंद महासागर में गजब का तूफान आया हुआ था । रह रहकर बिजली कडक रही थी । निरंतर बारिश हो रही थी । लहरें कई कई फीट ऊंची उठ रही थी । ऐसे मौसम में वाकई वह स्टीमर काबिले तारीफ था जो कि किसी तरह उन लहरों में भी पलटने और डूबने से बचाए हुए था । शायद ये उसके चालक की कुशाग्रता थी । लहरों में उठने से पहले ही उन्हें भाग कर वो स्टीमर को नेविगेट कर रहा था । अचानक स्टीमर की लाइट में उसे समुद्र में कुछ चमका । वो एक प्लेट रन कि धातु से बनी कोई चीज थी । उसने स्टीमर को उसकी ओर क्या, पास आने पर उसे उस चीज का बेहतर दीदार मिला तो उसे पहचान गया । वो प्लेन का फीस इलाज था । तो क्या दिन के अंदर गया और जब कुछ देर बाद बाहर आया तो उसके शरीर पर स्कूबा डाइविंग की पोशाक थी । उसने बाहर ही कोने में रखी वह जैकेट पहन ली जिस पर गैस सिलेंडर लगे हुए थे । फिर उसने मास्क धारण किया और नाक की जगह मुंह से सांस खींचने लगा । उसके बाद वो स्टीमर पर लगी सीढियों से समुद्र में उतर गया तथा काले पानी के अंदर वो करता चला गया । उसके मास्क के ऊपर लगी लाइट उसे पानी के अंदर देखने में सहायक अवश्य थी । पर फिर भी रात के इस अंधेरे में कुछ भी देख पाना काफी कठिन था । कुछ और फिट नीचे उतरने के बाद उसे मछलियां नजर आई जो इस आगंतुक को देखकर कुछ भर भी थी । कुछ देर प्रयास करते रहने के बाद भी उसे कुछ खास नजर नहीं आया तो वह सतह की तरफ अग्रसर हुआ । ऊपर आने के बाद उसने देखा वो बोर्ड से कुछ दूर आ गया था । उसने समुद्र की सतह पर दूर दूर तक देखने का प्रयास किया । फिर एक तरफ से कुछ चमका । कुछ कह रहा था । वो उस तरफ बढ गया । कुछ देर तैरने के बाद वहाँ पहुंचा । उस वस्तु के नजदीक पहुंचने के बाद वह हैरान रह गया । वो पानी में तैरते एक लाश थी । उसने ध्यान दिया । उसके बाद लम्बे थे । वो एक बच्ची थी । उसने लाइफ जैकेट पहनी हुई थी, इसलिए वह डूबी नहीं थी । उसने उसका चेहरा अपनी तरफ लटकाया । उसका चेहरा देखते ही वह सकते में आ गया तो अलग नहीं । मेरी बच्चे क्या हो गया, तुझे वो उसके गाल थपथपाने लगा । मैं तुझे कुछ भी नहीं होने दूंगा । मेरी जान उसे खींचते हुए बोर्ड की तरफ करने लगा । कुछ देर बाद वो उसे लेकर बोर्ड पर पहुंच गया । बुरी तरह हफ्ते हुए । उसका शरीर बोर्ड पर लेटा दिया । उसका पूरा शरीर एकदम सफेद पडा था । मानव पूरा खून जल चुका हूँ पर वो उसे जिन्दा करने पर आमादा था । वो उसकी छाती पर हाथों से स्पंदन करने लगा । लडकी के शरीर में काफी पानी भरा था । जो उसके मुंह से निकलने लगा । उससे मेरी जान फलक मेरी बच्ची देखते देखते रेड्डी ने तुझे ढूंढ लिया । उस जब बच्ची तभी पीछे से उसके कंधे को किसी ने थपथपाया । ये मर चुकी है । हौसला रखो, मेरे भाई ऐसे कैसे मार सकती है । अभी तो इसमें ढंग से जिंदगी भी नहीं कुछ नहीं होगा । ऐसे देखना अभी उठकर बैठेगी । वो उसी तरह निरंतर उसकी छाती, पर्स, बंधन करते हुए बोला क्या हुआ? क्या हुआ है तो मैं वो उसे झकझोरते हुए बोला

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अंतर्द्वंद्व जावेद अमर जॉन के पिछले उपन्यास ‘मास्टरमाइंड' का सीक्वल है। मास्टरमाइंड की कहानी अपने आप में सम्पूर्ण अवश्य थी पर उसकी विषय-वस्तु जो जटिलता लिये थी उसे न्याय देने के लिये एक वृहद कहानी की आवश्यकता थी और प्रस्तुत उपन्यास उसी आवश्यकता को पूर्ण करने हेतु लिखा गया है। writer: शुभानंद Author : Shubhanand Voiceover Artist : RJ Hemant
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