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chapter 26 in Hindi

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AuthorNitin Sharma
अंतर्द्वंद्व जावेद अमर जॉन के पिछले उपन्यास ‘मास्टरमाइंड' का सीक्वल है। मास्टरमाइंड की कहानी अपने आप में सम्पूर्ण अवश्य थी पर उसकी विषय-वस्तु जो जटिलता लिये थी उसे न्याय देने के लिये एक वृहद कहानी की आवश्यकता थी और प्रस्तुत उपन्यास उसी आवश्यकता को पूर्ण करने हेतु लिखा गया है। writer: शुभानंद Author : Shubhanand Voiceover Artist : RJ Hemant
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वर्तमान समय नई दिल्ली जावेद और जॉन पुरानी दिल्ली के दरियागंज पुलिस स्टेशन पहुंचे । वहाँ मौजूद ऐसे जो जगजीत पंत को अपना परिचय देने के बाद जॉन बोला, ऐसा जो साहब हमें कुछ साल पहले दर्ज एक मॉडर के बारे में जानना है । जरूर जा नाम के इसके बारे में कुछ बताइए । मैं फाइल निकल जाता हूँ । अच्छा शमशेरसिंह नामक एक आदमी को उसके घर में जिंदा जलाकर मार दिया गया था के साथ से करीब पांच साल पहले का होगा । तब तक तो मैं इस जगह पोस्टेड भी नहीं था और फाइल तो मिल ही जाएगी । बहुत ऐसे चोपन तनी एक कर्मचारी को बुलाकर निर्देश दिया । फाइल ढूंढने में करीब आधा घंटा लग गया । फाइल के आते ही वो उसका अध्ययन करने लगे । पता चला कि शमशेरसिंह कोल रात के वक्त पता चला की शमशेरसिंह को रात के वक्त उसके घर के अंदर किसी ने जला दिया था । अपराधी आज तक पकडा नहीं गया पर इस बात की पुष्टि हुई थी कि वहाँ दो आदमी आए थे और उन्होंने पेट्रोल का प्रयोग कर उसे चलाया था । पढते हुए जो हम सोच में पड गया, पेट्रोल से जलाया आखिर क्यों? सुनकर तो दुश्मनी का केस लग रहा है । इतनी बेदर्दी से तो कोई दुश्मनी निकालने के लिए ही मार सकता है । पंत ने सुझाव दिया नेगी के पिता को भी जलाकर माना गया था जून जावेद की तरफ देखते हुए बोला शमशेरसिंह जावेद ने फोन निकाला और गूगल में सर्च करने लगा । कुछ देर बाद बोला तो मैं एकदम सही पकडा । उसके ऊपर कई साल पहले एक आईएएस अफसर को जलाकर मारने का केस चला था, जिसमें हाईकोर्ट से उसे क्लीन चिट मिल गई थी । यानी नेगी ने अपने पिता की मौत का बदला लिया । ऐसा लग रहा है । जावेद बोला मैं उसका घर देखना चाहता हूँ । जॉन बोला, लेकिन अभी पांच साल बाद वहाँ क्या मिलेगा? पंत ने कहा, कभी कभी सबूत के अलावा भी कुछ ऐसी बातें पता चल जाती हैं जिनसे कुछ रहते सुलझाया जा सकते हैं । चलो फिर चला जायेगा कहकर जावेद उठा इस फाइल की कॉपी निकलवा दीजिए । कुछ देर में वह दोनों पंत और एक कांस्टेबल के साथ कबूतर मार्केट पहुंचे, जहां शमशेरसिंह का घर हुआ करता था । मार्केट में जगह जगह मुर्गे, बकरे, खरगोश और न जाने कौन कौन से किस्म के जानवर और पक्षी बिक रहे थे । शमशेरसिंह का घर दुकानों के ऊपर एक दो कमरे की जगह थी । जहां भी कसाई अपने परिवार के साथ रह रहा था । पुलिस को देखकर कसाई और उसका परिवार डर गया । पर फिर पंत ने उन्हें समझाया कि वह किस वजह से वहाँ आए थे । सुनकर वो भी स्तब्ध रह गया क्योंकि उसे भी पांच साल पहले हुए उस हादसे के बारे में कोई जानकारी नहीं थी । वो लोग कमरे में जा खडे हुए जो कि वही बेडरूम था जहाँ शमशेरसिंह की मौत हुई थी । जॉन और जावे चारों तरफ ध्यान से देखने लगे । कमरे से निकलकर वो छोटी सी बॉलकनी में पहुंचे । बॉल्कनी बगल वाले घर से जुडी हुई थी । दोनों के बीच बस एक छोटी सी रेलिंग थी तो सर रिपोर्ट के हिसाब से शमशेरसिंह बालकनी का दरवाजा खोलकर हो रहा था और कातिल बॉलकनी के जरिए पहुंचे थे तो ये बगल वाला घर किसका सालों से खाली पडा है । मालिक ने अभी तक जगह बेची नहीं और नहीं रैनोवेट करने के बारे में विचार किया । यानी अंदर आना कोई बडी बात नहीं थी । जावेद बोला शमशेर करता क्या था जो हमने पूछा पाँच फाइल देखकर बोला तो इसी मार्केट में पालतू पक्षी बेचता था । कपिल की प्लानिंग के लिए कातिल ने जरूर उसके घर और दुकान विजिट की होगी । वो अकेला काम करता था या उसके साथ कोई और था । इस तरह के काम में कोई न कोई साथ तो होगा ही जावे । बोला पाँच बोला इसमें ललित नाम के किसी बंदे का बयान है तो उसके बिजनेस में साथ ही था । उसका ड्रेस दिया है । यही पास का है । बढिया जॉन बोला उससे मिलने चलते हैं । वहाँ से वो लोग ललित के एड्रेस पर पहुंचे । वहाँ पता चला वह किसी और जगह शिफ्ट हो चुका था । उसके नए पते पर पहुंचकर पता चला कि वह फिलहाल मार्केट में ही काम पर निकला था । उस की दुकान पर पहुंचकर उन्हें ललित मिला । वहाँ कई पिंजरे थे, जिसमें तरह तरह के खरगोश गए थे । ललित चालीस के लपेटे में पहुंचा । एक नाटा सा आदमी था । उसकी दाढी बढी थी । उसने बनियान और पैंट पहन रखी थी तो तुम खरगोश बेचते हो । पाँच पिंजरों को देखते हुए बोला, जी, कई सालों से बेचना होगा । कोई गलती हो गई । मालिक पुलिस को देखकर वह घबरा गया था । तब नहीं । जॉन बोला तुम पहले शमशेर के साथ काम करते थे । शमशेर का नाम सुनकर उसके चेहरे पर कई रंग बदले । सालों पुरानी याद दिला दी साहब अपने जी हाँ, हम दोनों साथ में काम करते थे । इसी मार्केट में, पर शमशेर मेरे को जॉन ने अपने फोन पर कई फोटो दिखाई । वो एक और नेगी की असली और रजा मालिक के भेज में थी । वो सर को जाने लगा । ध्यान से देखो, आराम से देखो पांच साल पहले तुम्हारी दुकान पर जरूर आएंगे । शायद अकेले या साथ में किसी और रूप में हो सकता अच्छे कपडे पहने हूँ । जॉन ने उसे फोन पकडा दिया । वो फोटो बदल बदलकर बार बार देखने लगा । शमशेर की हत्या से शायद कुछ दिन पहले आए होंगे । जावेद बोला उसने नेगी की रजा मालिक के भेष वाली फोटो दिखाते हुए कहा मुझे लग रहा है ये आदमी आया था । दो दिन पहले इसमें खरगोश खरीदा था और सवाल बहुत पूछ रहा था । इसलिए मुझे अभी तक याद है कुछ नहीं तो इसने आधा घंटा बिता दिया था । मेरे और शमशेर के साथ दुकान पर बहुत बढिया कहते हुए जॉन्की नजरे जावेद से मिली । वो दोनों समझ सकते थे कि नेगी के खिलाफ ये पहला पुख्ता सबूत था । उन्होंने बच्चों को उसे थाने ले जाकर उसका लिखित बयान लेने को कहा और फिर वहाँ से निपटने के बाद उन्होंने अभय को फोन किया । बोलो जॉन सर, हमें नेगी के खिलाफ एक बॉर्डर का सबूत मिला है । पूरी बात सुनने के बाद अब बोला लीड तो अच्छा है पर अभी वह कातिल साबित नहीं हुआ है । अग्री पर सर, साथ ही इंटरपोल को उसके आतंकवादी होने के सबूत चाहिए । कातिल होने से कुछ खास फर्क नहीं पडने वाला । बट ॅ उसके आईएसआई में शामिल होने के पुख्ता सबूत मिलना भी कुछ काम आ सकता है । हमारा एक मॉल उसकी जानकारी निकाल रहे पर सबूत करेगा । कुछ फोटो रिकॉर्डिंग ये सब उसके मरने के बाद निकालना मुश्किल है । पर अगर ऐसा कुछ मिल सके तो ये हमारे लिए कामयाबी होगी सर । इस तरह तो सोहनगढ माइनस में उसकी प्रेजेंट खुद ही बडा सबूत हैं । आखिर इंटरपोल की जानकारी के बगैर वो किस कपैसिटी में वहाँ मौजूद था? फिर वहाँ आतंकवादियों के साथ ही के तौर पर मौजूद था । देखो जन ये दलील तो पहले भी दी जा चुकी है, पर बात फिर वहीं आकर रुक जाती है न कि उसे मारने के लिए हमारे पास क्या वजह थी और उस वजह का सबूत दिया था । इसलिए अगर उसके आईएसआई में भर्ती होने का सबूत भी मिल सके तो अच्छा रहेगा । डीजर कोशिश कर रहे हैं और क्या चल रहा है? धर्मशाला कब जाने वाले हो । यहाँ कुछ काम बने फिर वहाँ जाने मेरे खयाल से अभी जहाँ का लीड मिल रहा है, उधर आगे बढना चाहिए । इसमें बॉर्डर पर पुलिस को काम संभालने दो और आईएसआई में अपने मूल को काम करने तो सबूत जुटाने दो तो लोग धर्मशाला में आगे बढो ऍम का क्या रहा तो सिर्फ चार लोगों की टीम काम कर रही है । कुछ ब्रेकरों मिलते ही तुम लोगों को इतना करते हैं तो केसर

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अंतर्द्वंद्व जावेद अमर जॉन के पिछले उपन्यास ‘मास्टरमाइंड' का सीक्वल है। मास्टरमाइंड की कहानी अपने आप में सम्पूर्ण अवश्य थी पर उसकी विषय-वस्तु जो जटिलता लिये थी उसे न्याय देने के लिये एक वृहद कहानी की आवश्यकता थी और प्रस्तुत उपन्यास उसी आवश्यकता को पूर्ण करने हेतु लिखा गया है। writer: शुभानंद Author : Shubhanand Voiceover Artist : RJ Hemant
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