Made with in India
ऍम पिता की मौत को नमिता अभी भुला भी नहीं पाई थी । आंसू सूखे भी नहीं थे कि अनूप की मौत ने उसे सब और निशक्त कर दिया । जबकि सब कुछ तो उसे पहले से ही पता था कि बाबूजी का जीवन ईश्वर की मेहरबानी पर चल रहा था और अनूप के साथ से भी तो भगवान की विशेष कृपा की मोहताज थी । परंतु मौत का सच इतना भयानक होता है इसकी तो उसमें कल्पना तक नहीं की थी । तेरह के साथ ही मृत्यु संस्कार भी पूर्ण हो गया । सहानुभूति के साथ धीरज बनाने वाले लोग भी चले गए । वो लम्बी पति और सास के साथ फिर से आने का वादा करके चली गई । घर में डेरा जमाए सन्नाटों के बीच बार बाढ नमिता की आंखों के सामने वो पल आकर ठहर जा रहे थे कि जब माँ के आँचल कि जगह बाबू जी की कुत्ते का किनारा थामकर उनके पीछे पीछे चला करती थी । ललिता जानती है कि हर पल उसकी भलाई के लिए सोचने वाले बापूजी अब इस दुनिया में नहीं रहे । फिर भी नमिता को ऐसा लग रहा था जैसे बाबू जी कहीं गए हुए हैं जो कि शीघ्र ही लौट आएंगे । लेकिन दुनिया से जाने वाले पता नहीं कहाँ चले जाते हैं कि उनकी एक झलक मिल पाना भी संभव नहीं होता है । सिर को हाथों में और हाथों को घुटने पर टिकाई नमिता के कंधे पर जाने पहचाने किसी के इस वर्ष हैं । जैसे से नींद से जगह दिया हूँ । उसने सिर उठाकर देखा तो डर गई । कमरे में गणगौर अंधेरा था । ऍम कहते हुए बिजली के बटन की ओर बढने से इस से टकरा गई और बटन दबाने से कमरे में रोशनी फैल गई । आप नमिता ने आश्चर्य से पूछा खालें तुम मेरे इस वर्ष को भी भूल गई । नाम बता अशोक तडफ उठा पर आप तो दीदी जीजाजी के साथ घर जा रहे थे तो मैं अकेला छोडकर कैसे चले जाता ना मेरा । अशोक ने आगे कहा मैं उन्हें वो तक छोडने गया था । अपने माँ को बताया कि आप मेरे पास लौट रहे । ललिता ने अशोक से दूर सोफे पर बैठे हुए कहा मैंने तुमसे प्यार माँ से पूछ कर नहीं किया है । नाम था और तुम मुझसे इस तरह दूरी बनाकर मुझ से दूर हो सकती हूँ । मैंने अभी तक तो उनसे बात ही नहीं की । नमिता चुकी मैं तुमसे बात करना ही नहीं चाहता था । अशोक ने कहा फिर क्यों हो । नमिता ने निगाहें नीची कर ली क्योंकि मैं जानता हूँ कि बात करने से कोई फायदा नहीं होने वाला है । कहते हुए अशोक ने नमिता का हाथ पकडकर उठाते हुए सीने से लगा लिया और आगे कहा, इस तरह सीने से लगाकर मैं तुम्हारे सारे दुखों को बाहों में समेट लेना चाहता हूँ । तुम तो जानती हूँ कि अशोक अनुमिता दो नाम भले ही है पर हमारे सूतक अलग नहीं हो सकते हैं । मतलब तो मुझ से नाराज नहीं हूं । नमिता ने किसी बच्चे की तरह अशोक के सीने में वो छुपाकर भूत फूटकर रोते हुए कहा कैसी बातें करती हूँ । नमिता तभी नहीं समझती । अपने अशोक को कोई अपनी सांसों से नाराज हो सकता भला? हाँ दुखी जरूर था कि मेरी नमिता मेरे सिवा और किसी के साथ विवाह करने का सोच भी कैसे सकती है? में खबरा गई थी । अशोक अकेली पड गई । मुझे तुमसे कोई सफाई नहीं चाहिए । लगता हूँ जिस रिश्ते को हमने शिव जी के आशीर्वाद से शुरू किया है उस रिश्ते में दूरियां तो संभव ही नहीं है । अब तो दुनिया को चलाने वाले अनदेखी अन जानेश्वर पर भरोसा और भी गहरा हो गया है । बाबू जी की मौत का कारण में ही वो खुद को अशोक से अलग करते हुए नमिता ने कहा नहीं नमिता ऐसा सोचकर खुद पर कोई बोझ मत डालो । नमिता के आंसू पहुंचकर सोफे पर बैठाते हुए अशोक ने आगे कहा, तो तुम्हें बहुत आज सुबह ले नमिता हूँ और मुझे इस बात को मानने में कोई हिचक नहीं है की तुम्हारी नासू का कारण सिर्फ मैं हूँ । मैंने तुम्हें जी जान से प्यार तो क्या पर जब तो मेरी सबसे ज्यादा जरूरत थी तब मैं तुम्हारे पास नहीं था और उससे भी बडे दुख कि बात तो ये है कि शायद मेरे प्यार में कोई कमी रही होगी जिसकी वजह से तो मुझ पर विश्वास नहीं कर पाई और मुझे इस लायक भी नहीं समझा कि मुश्किल की घडी में मुझसे बात की जाए । ऐसी बात नहीं हो । मुझे समय जो ठीक लगा मैंने वही किया । मैं बाबू जी को खुश और जीवित देखना चाहती थी पर हार गई । मेरा मानना है नमिता की हर इंसान के लिए जीवन मृत्यु और विवाह ईश्वर द्वारा पूर्वनिर्धारित रहता है और जो लगी से जाने समय हमारे भीतर पाल रही है वो वो भी तो हम दोनों को ईश्वर के अनुपम सौगात है । कहते हुए अशोक ने नमिता के चेहरे को हथेलियों से किसी गुलाब की तरह उठा लिया । अशोक से निगाहें चार होते ही नमिता का चेहरा फीका पड गया । उसकी नजरें झुक गई और उसने कहा तो मैं किसने बताया ये बात तो सिर्फ तो मैं उन लोग के अलावा किसी को नहीं पता ही नहीं लगता बनो आपने खाना मिलता तुम्हारे दोस्त से तुम्हारा दुख सहन नहीं हो पा रहा था । इसलिए तुम से किया हुआ वादा तोडते हुए मुझे सारी बातें बता दी की तुम्हारी भगवान की कैसी लीला है । शो की तरफ देवीपुर निःसंतान होने के कारण दुख और अपमान झेलना पड रहा है । वहीं दूसरी ओर माँ बनने के कारण मुझे मो छुपाने के लिए मरते हुए व्यक्ति से विवाह करने का निर्णय लेना पडा । ये हम इंसानों की करतूत, नमिता और हमें कोई हक नहीं बनता है कि अपनी कमजोरी और इंसानी गलती का दोष भगवान को देख हम इंसानों को ईश्वर से प्रेम की सबसे अप्रतिम जो सौगात मिली है उस पर विश्वास न करके हम पूर्वाग्रह से ग्रसित क्यों होते हैं? ऐसा मत का हुआ शोक मुझे तुम पर पूरा भरोसा था, है और रहेगा । इसलिए तो तुमसे बात करने से बच रहे थे तो उनसे दूर रहने का फैसला लेकर मैंने सोचा था कि दीदी को सम्मानजनक जीवन और बाबू जी को खुशियाँ ले पाओंगे पर बाबू जी ने अलोक की बीमारी के बारे में जानकारी अपनी जान करवा दी कहकर फिरसे रो पडी प्लीज नमिता शांत हो जाऊँ लोग थोडा जूस पी लूँ नहीं अशोक कुछ भी खाने पीने की इच्छा नहीं है आपने लेना सही हमारे बच्चे के लिए तो पीलो जूस पिलाते हुए अशोक ने आगे कहा हमारी शादी के लिए मैं वहाँ से फिर बात करूंगा । अब तो माँ के पास मना करने का कारण भी नहीं रहेगा । मतलब नमिता ने पूछा तो कह रही थी कि भाभी के निःसंतान होने के कारण माँ हमारी शादी नहीं कराना चाहती थी तो माँ को जब हम बताएंगे कि हमारी संतान होने वाली है तो वो खुशी से फूले नहीं समाएंगे नहीं अशोक हमें ऐसा नहीं कर सकते । क्यों नमिता चुकी उचित नहीं होगा । एक तो छोटी और ऊपर से सीना जोरी हो जाएगी और ये बात जब फैलेगी तो मैं समाज का सामना कैसे करूंगी? ये सब बेकार की बातें मत सोचो । नमिता मैं हो ना तुम्हारे साथ और फिर हालत में अब तो में अकेला नहीं रहना होगा । मैंने सोच लिया है कि कल ही हम घर जाकर सबको सारी बातें बता देंगे । प्लीस अशोक मुझ पर ऐसा जुल्म मत करो, बाबू जी की आत्मा कलंकित हो जाएगी । चाहे जो भी हो पर तुम्हें मेरे साथ चलना ही होगा । तभी ने भी कहा है कि किसी भी तरह से बनाकर मैं तो मैं घर लिया हूँ और यदि तो मेरे घर नहीं जाना चाहती तो हमारे रहने का मैं कहीं और इंतजाम कर लूंगा । अशोक नमिता का हाथ थामकर कहा नहीं अशोक हम कहीं और नहीं तुम्हारे घरे जाएंगे । मैं भी कुछ दिन देरी के साथ रहना चाहती हूँ पर जब तक मैं ना कहूँ हमारे बच्चे का जिक्र किसी से मत करना । ठीक है नाम बता । अशोक ने कहा ।
Producer
Sound Engineer