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नमस्कार मैं वो शिवांग और आप सुन रहे हैं कोई ऍम सुने जो मंचा है और ये हैं इस कहानी का अंतिम भाग यानी की वाॅटर तो चलिए शुरुआत करते हैं । चेतन और सारे का इंडिया केशव का सही प्रकार से अंतिम संस्कार करना चाहते थे लेकिन वह गैरकानूनी रूप से उसे बाहर नहीं निकालना चाहते थे । दूसरा वहाँ घोषाल बाबू को भी उनके किए की सजा दिलाना चाहते थे । उन लोगों ने एक प्लान बनाया । मोहन पर इन सबका असर न हो इसके लिए उन लोगों ने उसे कुछ दिनों के लिए उसकी बुआ नंदनी के घर भेज दिया । उन्होंने एक मजदूर को हरसिंगार के नीचे एक गढ्ढा खोदने को कहा । उनका कहना था कि वहाँ यहाँ प्राकृतिक खाद बनाने के लिए सूखी पत्तियाँ फल व सब्जियां चलके डालेंगे । वहाँ जानते थे की खुदाई में बिंदिया का काम काल निकलेगा । जब मजदूर ने उन्हें डरते हुए इस बात की सूचना दी तो उन्होंने फौरन पुलिस को सूचित कर दिया । पुलिस बिंदिया के कंकाल को जांच के लिए ले गई । पूछताछ में उन लोगों ने बताया क्या विला उन लोगों ने कुछ महीनों पहले खुशहाल बाबू से खरीदा था । पुलिस ने घोषाल बाबू को ऑस्ट्रेलिया से बुलाकर इस बारे में तब देश की पुलिस के सवालों के आगे कौशल बाबू अधिक समय टिक नहीं पाए । वहाँ टूट गए और पुलिस को सब बता दिया । लाश को गाडने और सबूतों को मिटाने के लिए उन्हें सजा सुनाई गई । चेतन और सारे का मोहन को डॉक्टर ब्रह्मानंद के पास ले गए । डॉक्टर हम आनंद ने इंडिया की आत्मा की शांति के लिए मोहन के हाथ उसका तरपन कराया । मोहन के आने के बाद सारे का अपने दुःख को पूरी तरह से भूल गई । उस हादसे के बाद सारे का और चेतन के जीवन में जो एक रिक्तता आ गई थी, उसे मोहन ने बखूबी भर दिया था । उनके अधूरे परिवार को पूरा कर दिया था । तो दोस्तों ये थी वो किताब जिसका नाम था धूप मिला । किस किताब को लिखा है आशीष कुमार त्रिवेदी ने । उम्मीद करता हूँ की आपको ये कहानी बेहद पसंद आई होगी । तो चलिए आप सुनते रहे को काॅल सुने जो मंचा है मैं वो शिवांक लेता हूँ था
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Voice Artist