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chapter 23 in Hindi

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AuthorNitin Sharma
अंतर्द्वंद्व जावेद अमर जॉन के पिछले उपन्यास ‘मास्टरमाइंड' का सीक्वल है। मास्टरमाइंड की कहानी अपने आप में सम्पूर्ण अवश्य थी पर उसकी विषय-वस्तु जो जटिलता लिये थी उसे न्याय देने के लिये एक वृहद कहानी की आवश्यकता थी और प्रस्तुत उपन्यास उसी आवश्यकता को पूर्ण करने हेतु लिखा गया है। writer: शुभानंद Author : Shubhanand Voiceover Artist : RJ Hemant
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वर्तमान समय नई दिल्ली जॉन और जावेद सीक्रेट सर्विस की दिल्ली ब्रांच के गेस्ट हाउस में अपने कमरे में शाम बिता रहे थे । जब जॉन को इल्यास का फोन आया बोलो लिया । फॅमिली के बारे में कुछ कुछ पता चला है । उसे दिल्ली में ही रिक्रूट किया गया था । उससे पहले वह पुरानी दिल्ली में उठाईगिरी चोरी चकारी क्या करता था । फिर उसने दो मर्डर किए जिससे आईएसआई काफी इम्प्रेस हुआ और फिर उसे रिक्रूट किया गया । वो कहाँ रहता था? काफी समय पुरानी दिल्ली में ही रहा था । एड्रेस मिलेगा, कोशिश करता हूँ उसको अच्छे से जानने वाला कोई और पता चले तो भी बताना जी जरूर । फोन रखकर जॉन बोला उम्मीद है जल्दी उसके बारे में कुछ सबूत मिल जाए । जावेद ने सहमती में सिर हिलाया । इस वक्त उसने लेपटॉप पर एक लिस्ट खोल रखी थी । क्या देख रहे हो फ्लाइट तीन सौ इक्कीस पैसेंजर लिस्ट इन सभी पैसेंजर्स के बारे में जानना जरूरी है क्योंकि इन्हीं में से कोई पैसेंजर इस हाईजैकिंग या विमान गायब होने की वजह हो सकता है । अब कोई एक पैसेंजर है या नहीं यह पता लगाने वाली बात है । जॉन भी लिस्ट देखने लगा तो ठीक कह रहे हो तो जो जांच पहले हुई थी, उसकी रिपोर्ट क्या कहती है? उस रिपोर्ट में सभी पैसेंजर्स के बारे में लिखा हुआ था । कोई भी ऐसा वीआईपी नहीं था जिसकी वजह से पूरा प्लेन हाईजैक कर लिया जाए । ज्यादातर राम नागरिक थे, कुछ बिजनेस मैन, तीन पॉलिटिशियंस के रिश्तेदार इत्यादि । और इनमें से कोई भी ऐसा है हम पर इन में से कोई भी ऐसा अहम इंसान नहीं था जिसकी वजह से कोई इतना बडा अभियान रखें । पॉलिटिशन के रिश्तेदार क्या तुमने देखा? कौनसे पॉलिटिशन थे? हाँ, मैंने देखा था । अलग अलग पॉलिटिशन थे । कोई बहुत बडा नहीं था । सब स्टेट लेवल तक के पॉलिटिशन थे । दो पैसेंजर्स अलग अलग नेताओं के बेटे थे और एक कि बीवी थी । तीनों ही पॉलिटिशियन सिया । उनके इन तीन रिश्तेदारों का आपस में दूर दूर तक कहीं कोई रिश्ता नहीं था । ऐसे भी कोई फिरौती नहीं मांगी गई थी । जॉन सोच में डूबता हुआ बोला, हाँ वही तो पर अब मेरा ध्यान उन पांच लोगों पर है जिन पर इस रिपोर्ट में खास तवज्जो नहीं दी गई । ऐसे पांच लोग जो ये फ्लाइट बोर्ड करने वाले थे और उन्होंने बोर्ड नहीं की, उनका रिजर्वेशन था । फिर भी उन्होंने फ्लाइट बोर्ड नहीं की । मेरा ध्यान उन पर हैं हो सकता है । आखिरी मौके पर प्लान चेंज हो गया हूँ । ऐसा अक्सर होता ही है तो लोग फ्लाइट कैंसिल भी नहीं करते क्योंकि पैसा तो उनका पूरा जाता है । तुम्हारी बात ठीक है । पर मुमकिन है कोई दूसरी वजह हो जो हमने जावेद की तरफ देखा और सहमती में सिर हिलाया । ऍम ये पांच लोग जॉन ने पूछा सोचू कि नामक धर्मगुरु और उसके चार शिष्य सूजूकी तीनों देश का वो धर्मगुरू जो तीनों देश से भागा हुआ और भारत ने उसे शरण दी हुई है । हाँ, वही उन के अलावा कोई और भी ऐसा पैसेंजर था जिसने फ्लाइट बोलने की नहीं, यही पांच दिखाई दे रहे हैं । जावेद ने कहा, जॉन स्क्रीन को घूरते हुए बोला इन्हें किस तरह कॉन्टैक्ट किया जा सकता है? मुझे नहीं लगता । उसके लिए कोई विशेष प्रोटोकॉल है । आखिर वो रिफ्यूजी हैं, कोई वीआईपी नहीं । हम लोग अपने मिशन के अंतर्गत आराम से उनसे मिल सकते हैं । ज्यादा दूर भी नहीं है । जॉन बोला हिमाचल में या नाइन का आश्रम का धर्मशाला चलना मिलने चलते हैं । पर ये लोग तो तीनों भाषा बोलते हैं । एक इंटरप्रेटर भी साथ ले जाना पडेगा । उसकी व्यवस्था चीफ करा देंगे । बढिया फिर दो तीन दिन में निकलते हैं । जोन उठते हुए बोला तब तक यहाँ जो काम फैलाया उसे निपटा लेते हैं । ऍम रजा मालिक इन तीनों के सिरे देखने हैं । कहाँ जाकर मिलते हैं?

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अंतर्द्वंद्व जावेद अमर जॉन के पिछले उपन्यास ‘मास्टरमाइंड' का सीक्वल है। मास्टरमाइंड की कहानी अपने आप में सम्पूर्ण अवश्य थी पर उसकी विषय-वस्तु जो जटिलता लिये थी उसे न्याय देने के लिये एक वृहद कहानी की आवश्यकता थी और प्रस्तुत उपन्यास उसी आवश्यकता को पूर्ण करने हेतु लिखा गया है। writer: शुभानंद Author : Shubhanand Voiceover Artist : RJ Hemant
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