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chapter 23 in Hindi

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AuthorNitin Sharma
उल्लास से भरे सुहाने मौसम में कांटे की चुभन ने नमिता को उसका बीता हुआ कल याद दिला दिया , और नमिता अपने जीवन के बीते हुए पल में गोता लगाने लगी writer: ओमेश्वरी 'नूतन' Voiceover Artist : RJ Saloni Author : Omeshwari 'Nootan'
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चैप्टर, ट्वेंटी थ्री ये सब क्या हो रहा होता तो मैं इतना बडा निर्णय ले लिया और मुझसे बात करना उचित नहीं समझा । पूनम ने घर में प्रवेश करते ही कहा अब बैठे तो सही दीदी मैं आपको सब बताती हूँ क्या बताओ कि नमिता और क्यों सुनू में तुमने तो मुझे इतना पढाया कर दिया कि कल शादी है और आज खबर दे रही हूँ । आपने की बात तो सुनो दीदी नहीं सुनना है मुझे कुछ भी तो तुम ने इतना बडा निर्णय लेने से पहले अशोक के बारे में सोचा तक नहीं की । इसका उस पर क्या असर पडेगा? अरे कितना प्यार करता है वो तुमसे जी नहीं पायेगा तुम्हारे बिना अगले दो दिनों तक अशोक और जीजा जी दोनों बहुत व्यस्त है । दीदी और विवाह हो जाने के बाद अशोक भी कुछ नहीं कर पाएंगे । नमिता ने नजरें झुकाए ही कहा हो तो तुम्हें सारा प्लान सब के समय को जान समझकर बना है । सच कुछ तुम तो बहुत बडी हो गई हो ना मेरा वक्त सबसे खाते ते दी थी । हाँ वही तो बडी हो गई हो तो बातें भी बडी बडी करोगी । पूनम का गुस्सा ही नहीं रहा था । प्लीज दी थी । अब शांत हो जाएगी । बाबू जी के स्वास्थ्य के लिए कम से कम गुस्सा तो दीजिए । पर ऐसा फैसला क्यों? नमिता पूनम नमिता को गले से लगाकर रोते हुए कहा आपकी सांस की जिसके कारण ये सब जरूरी हो गया था की थी । अनूप ने हा करके हमारी मुश्किल आसान कर दिए दी थी और अशोक के लौटने से पहले तक का ही उनकी माने हमें समय दिया है ये बात तो आप जानते ही हैं । तो क्या ये सब तो मेरे लिए कर रही हो? नमिता हाँ दीदी! और तो मैं समझ लो नमिता की तुम्हारी अशोक के जीवन से दूर चले जाने से माँ मुझे बचपन की उलाना देना बंद कर देंगे । हाँ दीदी उन्होंने मुझसे वादा किया है और दुनिया वालों का वो कैसे बंद करेंगे भला मुझे दुनिया की परवानी दीदी अपने ही घर में आपको अपमान का धीमा जहर देते हुए नहीं देख सकते हैं । तुम नहीं सब ठीक नहीं । क्या नाम बता अपनी किस्मत का दुख हर किसी को सहना पडता है । तुम्हारी इस बलिदान से सिर्फ तुम्हारा नुकसान होगा । मेरी तकदीर नहीं बदल सकती तो मैं बाबू जी से बात कर लेंगे । लेकिन उससे पहले अशोक और किशोर को खबर करके मुझे ये विवाह रोकना होगा नहीं दीदी प्लीज ऐसा मत करो । मुझे किशोर से बात करनी ही होगी । नमिता कहकर पूनम अपने कमरे की ओर बढ गई और अशोक किशोर से बात करने की कोशिश करने लगी । हेलो हाल ही में क्या बातें हो ना तो मैं बार बार मैसेज कर रहा हूँ कि मैं मीटिंग में हूँ फिर भी तो फोन किये जा रही हूँ । सब ठीक है । ठीक है पर एक जरूरी बात करनी है । वही तो पूछ रहा हूँ क्या जरूरी बात है? किशोर ने पूछा नमिता के बारे में बताना है कि माँ के कहने पर हो? पूनम इन सब बातों के लिए समय नहीं है मेरे पास उन दोनों बहनों को और माँ को जो करना है करो पर प्लीज कल तक परेशान मत करो । मेरी बात तो सुन लीजिए ऍम मीटिंग में चले गए हैं । मोबाइल मुझे दे गए हैं । किशोर केपीए ने कहा उन दिनों को याद करके पुलम की आपको सियासतों कीधारा धर्म नहीं रही थी कि एक समय वो भी था जब उनकी एक आवास पर किशोर सात समंदर पार कर क्या जाया करते थे और खाना पीना छोड कर घंटों बात किया करते थे । एक एक मैसेज का जवाब ऐसे देते थे कीमत प्रेम के सागर में डूब चाय करता था और पूनम को लगता था कि मैं चाहे जितना भी समर्पण एवं प्यार करूँ पर किशोर के प्यार का मुकाबला नहीं कर सकती । लेकिन वक्त के साथ साथ किशोर के लिए पूनम का प्यार और तरफ तो लगातार बढता गया पर किशोर का समय घरिया पुनम की जगह काम दफ्तर और मीटिंग में ज्यादा व्यतीत होने लगा । पूनम द्वारा प्यार या शिकायत किए जाने पर या पांच बनके उलाहना दिए जाने पर किशोर खींच से जाते और सलाह देते हैं कि फालतू बातों पर ध्यान देने से अच्छा है कि काम में व्यस्त हूँ और खुश रहूँ । भयानक अकेलेपन और चारों तरफ फैले घनघोर अंधेरे के बीच पूनम ने महसूस किया निसंतान होना सचमुच बहुत कष्ट बताई है और ये तब और बढ जाता है जब जिनकी आन बान और शान के लिए बिना गुनाह किए हम गुनाहगार बनने को तैयार हो जाते हैं और वही एक दिन हमें कटघरे में खडा कर देते हैं । क्या हुआ दीदी आप अभी तक सोई नहीं और रो रही हूँ । नहीं कोई बात नहीं । नमिता जी जी से बात हुई क्या दे दी? बात करने की कोशिश की थी पर हो नहीं पाई जरूरी मीटिंग में फंसे हुए थे । अशोक कभी मोबाइल बंद आ रहा था । चलो अच्छा हुआ । आप भी बात करने का प्रयास कर के संतुष्ट हो गए और उन्हें कुछ जानकारी भी नहीं मिल पाई । नमिता ने गहरी सांस लेते हुए कहा पर मैं तुम्हारे भविष्य को लेकर चिंतित होना मिलता हूँ । हम सब अपनी अपनी जगह सही है दीदी मुझे लगता है कि जीवन के दिन के नहीं । बाबू जी हम आपकी खुशी के लिए शादी जरूरी है जबकि मेरी और अशोक की खुशियाँ जाने वाली । आपको लगता है कि ये शादी नहीं होनी चाहिए । मैंने तो अब सब कुछ भगवान के भरोसे छोड दिया है । वो कहते हैं ना दीदी की जब स्थितियां अपने कामों से बाहर हो तो सब कुछ उस सबसे बडे खिलाडी पर ही छोड देना चाहिए जिसके इशारों पर सारी दुनिया का खेल चल रहा है । चलो नमिता रात बहुत हो चुकी है तो जाते हैं । अशोक को खुद से दूर करने के लिए मैंने जो योजना बनाई उसमें सफल भी होने जा रही हूँ । पर क्या में अशोक की दूरी सहता होंगी । अशोक को सब कुछ पता चलने पर मेरे इस निर्णय के लिए मुझे माफ कर पाएंगे ऐसी कुछ सवालों के बोझ तले नमिता क्या आप काम लग गए, पता ही नहीं चला । जबकि पूनम को तो ये रात कई युगों से भी भरी थी । उम्मीद नहीं थी कि शायद किशोर का फोन आ जाए, लेकिन रात तो खत्म हो गई । पर फोन नाम का इंतजार खत्म नहीं हुआ और वह मजबूरन मंदिर जाने के लिए तैयार होने नहीं । तभी फोन की घंटी बजी और पूनम की उम्मीदों को पर लग गए हैं । मोबाइल उठाकर देखा तो अशोक का नंबर था । चलो खाना भी कैसी है आप मैं ठीक हूँ । कल शाम तक फोन लगा रहे थे पर लगातार तुम्हारा फोन गेस्ट बता रहा था । हाँ, भावी कल शाम से मैं लगातार नमिता से बात करने की कोशिश कर रहा हूँ । लेकिन वो कुछ जवाब नहीं दे रही है । आपकी मायके में सब ठीक है । बाबू जी की तबियत अभी कैसी है । मैं भी मायके में ये हुआ हो और यहाँ पर कुछ भी ठीक नहीं चल रहा है । कहते हुए पूनम रो पडी । आप हो रही है तो क्या हुआ? भाभी जल्दी बताइए मुझे बहुत घबराहट हो रही है क्या बताओ कहाँ से शुरू करूँ? कुछ समझ में नहीं आ रहा है । ऐसी क्या बात हो गयी । भाभी मुझे तो पहले से ही शक था ऊपर से आपका ये होना मुझे बहुत परेशान कर रहा है । हो सके तो तुम तुरंत चले आओ । अशोक बुलंद से सकते हुए कहा आप मुझे बताइए तो सही कि हुआ क्या है? आज नमिता की शादी होने वाली है तो क्या फिर वो भाभी ऐसा कैसे हो सकता है? मिला होनी ही होने वाली है । किसी विवाह कर रही ऍम अशोक ने आवेश से कहा हमारे पडोसी और अपने बचपन के दोस्त अनूप से । उन्होंने कहा लेकिन नमिता ऐसा क्यों कर रही है? भाभी सासु माँ के कहने पर माँ के कहने पर अशोक ने दोहराया भाषाओ तुम दोनों के जाने के बाद सासु माँ बाबू जी के पास नमिता और तुम्हारी शादी करने की बात करने नहीं बल्कि रिश्ता तोडने आई थी और मेरे बांझपन होने के कारण बताकर बाबूजी से साफ शब्दों में कह दिया कि यदि अशोक का रिश्ता करने के लिए अशोक के माध्यम से फिर से दबाव बनाया गया तो मुझे भी घर से निकाल दिया जाएगा । बाबू जी को जब पता चला कि मुझे निःसंतान होने के कारण ससुराल में अपमान मिलता रहा है तो उन्हें दूसरा और बडा हार्ट अटैक आया था । इतनी बडी बात हो गई और आपका नमिता ने मुझे कुछ बताया नहीं । अशोक ने कहा बाबू जी जब जीवन और मृत्यु के बीच झूल रहे थे तो मैंने किशोर तुमसे बात करने की कोशिश की थी पर हो नहीं पाई हूँ और जैसे ही बाबू जी के खतरे से बाहर होने की खबर आई वहाँ पर उपस् थित सासु माँ ने हम दोनों बहनों को इस घटना की जानकारी तुम दोनों भाइयों को ना देने की धमकी देते हुए आगे कहा कि किसी भी हाल में उन्हें नमिता बहु के रूप में स्वीकार नहीं है फिर चाहे इसके लिए उन्हें कुछ भी करना पडे । पर नमिता को अलग से इस बात की सख्त धमकी दी गई थी कि यदि उसने तुमसे शादी की जिद नहीं छोडी तो मुझे भी मायके में बैठा दिया जाएगा । माने धमकी दी और आप दोनों बहनें डर गए, वहाँ भी नहीं अशोक मैं स्वार्थी नहीं हूँ कि अपना घर बचाने के लिए अपनी बहन को प्यार से अलग कर तो फिर ये शादी क्यों भाभी इस विवाह की योजना से पाबूजी और नविता ने मुझे भी दूर रखा और कल जब मुझे पता चला तो मैंने नमिता को समझाने की बहुत कोशिश की पर वो नहीं मानी । जबकि बाबू जी की तबियत ऐसी है कि मैं उनके निर्णय के खिलाफ ज्यादा कुछ कह भी नहीं सकते हैं । क्या ये बात भैया को मालूम है? वहाँ भी नहीं । अपने भैया को भी अब तक नहीं बताया है । अशोक को आश्चर्य हुआ हूँ । कल शाम से जब से मुझे मालूम हुआ है मैं उनसे बात करने की कोशिश कर रही हूँ और उनके पास हमारे लिए समय ही नहीं । तुम तो जानते ही हूँ कि कम के समय तो किसी की नहीं सुनते हैं । ठीक हैं अभी आप नमिता को मोबाइल नीचे से बात करता हूँ । ठीक है नहीं दीदी मुझे किसी से कोई बात नहीं करनी है । नमिता ने कहा बात तो करनी ही होगी । नमिता अभी या विवाह के बाद यही बस तुम्हें तय करना है । पूनम ने डाटते हुए कहा मैंने आपसे पहले भी कहा था दीदी की सब कुछ भगवान पर छोड चुकी हूँ । मेरे साथ जो भी होगा उसे मैं ईश्वर का प्रसाद मानकर स्वीकार कर लूंगी तो अपने साथ ही अन्याय नहीं कर सकती । नमिता कौन रोकेगा मुझे दीदी आप जिसने पति से आपार प्रेम के नाम पर सारी दुनिया के सामने उन की कमी को खुद का गुनाह बनाकर जीवन भर के लिए बचपन का कलंक आपने सेफर्ड होने का निर्णय लेकर अपनी मनमानी कर सकती हूँ तो मैं भी तो आपकी ही बहन हूँ । ये तो क्या कैरियो नमिता पूनम ने आश्चर्य से पूछा बनो मत दीदी । मैं सब जानती हूँ कि तुम्हारा निःसंतान रहने का कारण आप नहीं बल्कि जीजा जी है और आप उनका बोझ अपने सिर पर लिए उनके बोझ तले अपनी सारी खुशियों को दबाए बैठी हूँ । जीजा जी तो खुद को बिजनेस में डुबोकर अपनी खुशियों की राहत ढूंढ रहे हैं और आप के लिए छोड दिए हैं अकेले पन एवं बस समिता अब किशोर के खिलाफ एक शब्द भी नहीं फलो फलु हर्षो! लेकिन अमिताभ कोई बात नहीं । भाभी आप परेशान मत हो । मैं आप लोगों की बातें सुन रहा था । मुझे तुरंत आना होगा, लेकिन भावी मुझे पहुंचने में सात घंटे लग जाएंगे । तब तक किसी हाल में आपको ही शादी रोकनी होगी थी कि अशोक मैं कोशिश करती हूँ । मुझे भगवान पर भरोसा है कि उनके घर देर भले ही हो, पर अंधेर नहीं हो सकती । अशोक आ रहा है और कम से कम उसके आने तक तो तुम इस विवाह को स्थगित कर सकती हो ना में था । मैं ये शादी अपनी मर्जी से अपनी खुशी के लिए कर रही हूँ । फिर अशोक की परवाह क्यों करो? दीदी? क्योंकि वो तुम्हारा मंगेतर है, ये आप कह रही थी जबकि उनकी माने आपके सामने ही सारे रिश्ते तोड दिए । पर तुम्हें शादी कितनी जल्दी की । वही नमिता और वो भी अनूप से ही क्यों तुमने इस बात पर गौर किया है कि अनूप कितना बीमार एवं कमजोर दिख रहा है? हाँ दीदी, अनूप बीमार है और ये शादी जल्दी नहीं हुई तो मुझसे शादी करने वाला ही शायद ला रहे । इसलिए जल्दी है क्या मतलब है तुम्हारा? पूनम ने नमिता को जिन जोडते हुए पूछा हाँ दीदी, आप सही समझ रही है । अनूप फूलों की माला लिये मौत का इंतजार कर रहा है जो किसी समय भी दस्तक दे सकती है । क्या ये बात बाबूजी को मालूम है । नहीं तो मैं बताउंगी बाबू जी को की जान बूझ कर तो नहीं दी थी अभी नहीं । विवाह हो जाने दीजिए । फिर कुछ ही दिनों में तो सब को सब कुछ पता ही चल जाएगा । हम चाहकर भी नहीं चुका पाएंगे । मतलब लोगों के पास सिर्फ कुछ ही दिनों का ही समय डॉक्टर्स का तो यही कहना है । नमिता ने नजरिये झुकाते हुए आगे कहा दीदी मैं ये विवाह सिर्फ अशोक से दूर होने के लिए ही नहीं कर रही हूँ और तुम आपकी बहन, अपने मित्र और अपने बाबूजी की खुशी के लिए खुद को जल्दी हुई चेतावनी झोपडी होना में था और तो कहती हूँ कि हम हाथ पर हाथ धरे चुपचाप बैठे रहे और तुम कहती हो हम हाथ पर हाथ धरे चुपचाप बैठे रहे । दरवाजे पर खडे बाबू जी की छडी लडखडाने पर हाथ से गिरने पर नमिता एवं पूनम का ध्यान उस ओर गया बाबू जी आप नमिता तडप उठी सचमुच नमिता तो बहुत बडी हो गयी । वो बेटी मैं तो बेकार में ही तो मैं भूत की बच्ची समझकर तुम्हारी चिंता करता रहा । बाकी हादसे सीने को दबाते हुए बाबू जी ने कहा पानी पी जे बाबू जी आप बात मत कीजिए । कहते हुए पूनम बाबू जी को पानी पिलाने की कोशिश करने लगी जबकि कराते हुए बाबूजी पसीने से तरबतर हो रहे थे और अचानक उनकी तबीयत तेजी से रहने लगी और वो जमीन पर गिर पडे । नहीं मैंने अस्पताल में फोन कर दिया है । एम्बुलेंस पांच मिनट में पहुंचाएगी । सौरी अस्पताल पहुंचने से पहले ही तुम्हारे बाप जी की मृत्यु हो चुकी थी । डॉक्टर ने कहा नहीं डॉक्टर साहब ऐसा नहीं हो सकता । प्लीज डॉक्टर साहब एक बार और चक्कर के देखिए । पूनम ने रोते हुए कहा धीरज से कम लोग बोलूँ देखो बेटा पुणा, तुम बडी हो तो भी नमिता को भी संभालना होगा । लाओ मुझे किशोर का नंबर तो मैं उसे खबर कर देती हूँ । वे लोग यहाँ के लिए निकल चुके हैं । डॉक्टर अंकल ठीक है, मैं डिस्चार्ज की औपचारिकताएं पूरी कर देता हूँ । धूल अनमनी नमिता पिता के पार्थिव शरीर के मिलने का इंतजार करते अस्पताल परिसर में पूनम के साथ बैठी थी । तभी धोनी के साथ एक एम्बुलेंस के रुकते ही तभी ध्वनि के साथ एक एम्बुलेंस के रुकते तत्पर्ता से जिस मरीज को इमरजेंसी वार्ड की तरफ ले जाया जा रहा था उसे देख नमिता के होश उड गए । स्ट्रेचर पर ले जाते हुए अनूप के पीछे पीछे आंसू बहाते उसकी माँ से पूनम ने पूछा क्या हुआ है आपको? पता नहीं बेटा तुम्हारे बापू जी के बारे में सुनकर तुम लोगों से मिलने अस्पताल के लिए आने की तैयारी कर रहे थे लेकिन जब बहुत देर तक अपने कमरे से नहीं निकला तो बुलाने के लिए मैं उसके कमरे तक गए तो वहाँ बेहोश पडा था । पता नहीं ये सब क्या हो रहा है । न जाने ईश्वर को क्या मंजूर है । अनूप की माने रोते हुए कहा अनूप कीमा की बातें सुनकर नमिता तो जैसे बुद्ध बन गई । दीवार परसेंट इकाई चुप चाप ऑपरेशन थिएटर की ओर ऐसे टकटकी लगाए देख रही थी जैसे कह रही हूँ कि मेरी उम्मीद की आखिरी किरण तो भी हुआ हूँ । तो मेरे लिए ठीक होना ही होगा । हेलो मोबाइल पर अशोक का नाम देखते ही तुरंत उठाते हुए पूनम ने कहा हाँ भाभी, मैं निकल चुका हूँ । साथ में भैया भी है । आप बताइए वहाँ क्या चल रहा? भाभी सब कुछ खत्म हो गया । अशोक सब कुछ कहकर पूनम फूट फूटकर रो पडे । क्या हुआ भाभी अशोक भी घबरा गया । बाबू जी हमें छोड कर चले गए तो हमें अनाथ करके चले गए । ये भगवान ये क्या हो गया? लेकिन अचानक कैसे भाभी दिल का दौरा पडा और वह दुनिया के झंझटों से मुक्त हो गए । शोक भावी सम्भालो अपने आप को । आप इस तरह हिम्मत हर जाएंगे तो नमिता को कौन संभालेगा? हम लोग भी चलती ही पहुंच रहे हैं ।

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Sound Engineer

उल्लास से भरे सुहाने मौसम में कांटे की चुभन ने नमिता को उसका बीता हुआ कल याद दिला दिया , और नमिता अपने जीवन के बीते हुए पल में गोता लगाने लगी writer: ओमेश्वरी 'नूतन' Voiceover Artist : RJ Saloni Author : Omeshwari 'Nootan'
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