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नमस्कार मैं वो शिवांक और आप सुन रहे हैं तो कोई ऍम सुने जो मन चाहे है और ये है इस कहानी का ऍर तो चलिए स्टार्ट करते हैं । इंडिया पर जो भी थी उसे सुनकर हॉल में मौजूद सभी लोग भावुक थे । पर सारे का की आंखों से लगातार आंसू बह रहे थे । आप लोग मेरे मोहन को अपना लीजिए । अब इंडिया की विनती सुनकर सारिका बोली मैं तुम्हारे दुख को समझ सकती हूँ । हम मोहन को कानूनी तौर पर गोद लेंगे तो निश्चित रहो । सारिका ने चेतन की तरफ देख कर उसकी राय जानी चाहिए । उसने तरीका का सिर्फ अपने सीने से लगाकर उसकी बात का समर्थन किया । उन लोगों ने बिंदिया से उस अनाथालय का पता ले लिया जहां मोहन रह रहा था । उन लोगों ने इंडिया को भरोसा दिया कि वह जल्द से जल्द अनाथालय पहुंचकर मोहन से मिलेंगे । डॉक्टर हम आनंद ने बिंदिया से कहा इंडिया अपनी ममता से तुमने यमदूत को भी नियम के विरूद्ध जाकर तो मैं अपने बच्चे की सहायता करने का अवसर देने को विवश कर दिया । तुम अपने बेटे को सारे का और चेतन के सुरक्षित हाथों में देने में कामयाब दे रही है । लेकिन अब जब या दोनों मोहन को गोद ले लें तो तुम फिर मोह में मत पडना । श्वेतकेतु को बुलाकर प्रेत लोग चले जाना । तभी तो मैं एक नए जीवन में प्रवेश करती होगी । इंडिया मोहन के पास चली गई । डॉक्टर धर्मानंद अपने सहायक अशोक के साथ वापस चले गए । दो दिन बाद ही चेतन और सारे का मोहन को को देने के लिए अनाथालय पहुंच गए । सारे का अपने साथ ढेर सारे खिलौने लेकर आई थी । मोहन खिलोने देख कर खुश हुआ, लेकिन अपनी मम्मी की जगह किसी और को देखकर उदास हो गया । सारिका ने बिहार से उसे गोद में लेकर कहा, ये सारे खिलौने तुम्हारी मम्मी ने भेजे हैं । अब तुम्हारे पास नहीं आ सकती । उन्हें भगवान ने अपने पास बुला लिया है । अपनी मम्मी के भगवान के पास चले जाने की बात सुनकर मोहन उदास हो गया । सारिका ने प्यार से उसके स्तर पर हाथ फेरकर कहा, तुम्हारी मम्मी ने मुझे तुम्हारे पास भेजा है । वह चाहती थी कि अब तो मेरे और अंकल के साथ रहो । सारिका ने चेतन को अपने पास बुलाया । चेतन भी सारिका की बगल में बैठ गया । सारिका ने मोहन से पूछा, चलो हमारे साथ मोहन सारिका की गोद से उतर कर नीचे खडा हो गया । सारे का और चेतन कुछ समझ नहीं पाए । चेतन ने पूछा क्या हुआ बेटा अंकल, आंटी अच्छे नहीं लगे । सारिका ने भी समझाने का प्रयास किया । बेटा, हम तो बहुत प्यार करेंगे । खूब सारे खिलोने दिलाएंगे । मोहन कुछ नहीं बोला वहाँ । बस चुप चाप उन लोगों को देखता रहा । बेटा तुम्हारी मम्मी भी यही चाहते थे । उसी समय वहाँ मौजूद बिंदिया ने मोहन के सर पर हाथ रखा । मोहन कई दिनों से स्पर्श को महसूस कर रहा था । जब भी दिन दिया उसे स्पष्ट करती थी । मोहन को उसकी उपस्थिति का एहसास होता था । इस समय भी उसे लगा जैसे कि उसकी मम्मी भी यही चाहती हैं कि वहाँ इन लोगों के साथ चला जाए । बोलो बेटा चलो हमारे साथ । इस बार मोहन ने धीरे से सर हिलाकर हाँ कर दी । चेतन और सारिका ने अनाथालय के प्रबन्धक से बात कर मोहन को गोद देने की इच्छा जताई । जल्द ही उन लोगों ने आवश्यक कानूनी प्रक्रियाएं पूरी कर मोहन को कानून गोल ले लिया । वह लोग मोहन को अपने साथ धवन मिला लिया है । चेतन और सारिका से मिले प्यार के कारण मोहन जल्द ही उनके साथ घुल मिल गया । बिन्दिया या सब देखकर बहुत खुश थी । अब उसके पास जाने का समय नजदीक आ रहा था । बिन्दिया समझ गई कि अब अपने आपको मुझसे अलग करना ही उसके हित में हैं । एक दिन रात के समय जब चेतन सारे का और मोहन सो रहे थे, तब इंडिया उनके कमरे में कहीं उसने सोये हुए मोहन के माथे को यहाँ से सहलाया । उसे नजर भर का देखा । उसके बाद वहाँ बाकी आज मैं हरसिंगार के पेड के पास गई, जहाँ घोषाल बाबू ने उसके शरीर को दफन किया था । उसने तीन बार श्वेतकेतु का नाम लेकर पुकारा । कुछ ही पलों के बाद श्वेतकेतु उसके सामने प्रकट हुआ । उसने अपना हाथ उसकी तरफ बढाया । बिंदिया ने उसके हाथ को थाम लिया । दोनों धीरे धीरे ऊपर उठने लगे । फोडते हुए दोनों बाकियों के पास कहीं गायब हो गए तो दोस्तों अभी के लिए इतना ही बाकी की बातें करेंगे । अगले एपिसोड में आप सुनते रहे तो फॅस सुने जो मंचा है मैं वो शिवांक लेता हूँ । विदा
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