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chapter 21 in Hindi

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AuthorNitin Sharma
उल्लास से भरे सुहाने मौसम में कांटे की चुभन ने नमिता को उसका बीता हुआ कल याद दिला दिया , और नमिता अपने जीवन के बीते हुए पल में गोता लगाने लगी writer: ओमेश्वरी 'नूतन' Voiceover Artist : RJ Saloni Author : Omeshwari 'Nootan'
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ऍम क्या बात है? बाबू जी आपने मुझे बुलाया क्या? हाँ मेरे पास बैठी हूँ । मुझे तुमसे कुछ बात करनी है । जी वापसी कहीं अनूप की माँ मुझसे मिलने आई थी बेटी वो चाहती है कि तुम्हारी शादी अनु के साथ हो तो तुम्हारी क्या एक शाही भी थी । नमिता से बाबू जी ने सपाट शब्दों में पूछा आप जो निर्णय लेंगे मैं वहीं करोंगे । बाबू जी देखो बेटा शादी बिहा का मामला कोई गुड्डे गुडियों का खेल नहीं होता है । जीवन भर साथ निभाने का एक वादा होता है । साथ ही दो परिवारों का एक ऐसा मिला होता है जिसमें जिम्मेदारी और वफादारी का होना भी बहुत जरूरी होता है । जहाँ तक निरीक्षा का सवाल है तो अनूप जैसा लडका और परिवार का मिलना तो हमारे लिए सौभाग्य की बात होगी । मैं आपकी बातों से सहमत हूँ बापूजी लेकिन क्या? तो मनोहर उसके परिवार के साथ ईमानदार रहता हूँ की बेटी क्या आपको मुझ पर भरोसा नहीं है? बाबू जी नमिता ने गंभीरतापूर्वक कहा अपनी बेटी पर तो भरोसा कर सकता हूँ । नमिता पर अशोक से प्रेम करने वाली जिस लडकी को मैं जानता हूँ उस पर यकीन करना मेरे लिए आसान नहीं है । मैं आज के इस दौर को जानता हूँ, जो भावनाओं में बहकर मुश्किल निर्णय लेते लेते हैं । लेकिन जब धरातल पर पांव पडता है तो महसूस करते हैं कि नीचे जमीन ही नहीं है । अब सही कह रहे बाबू जी मैं शायद अशोक को कभी भूल नहीं पाऊंगी । अनूप जैसे सच्चे और अच्छे दोस्त के साथ मैं कभी धोखा नहीं करूंगी । अशोक सिर्फ मेरा तीन बनकर ही रहेगा । तो फिर ठीक है बेटी अनूप की माँ के प्रस्ताव को मैं सोमवार के शुभ मूरत में ही साधारण समारोह में विवाह संपन्न करवा देता हूँ । अब बडे लोग जैसा उचित समझे ऐसा कीजिए । बाबू जी तुम तो जानती ही हूँ कि नमिता के विवाह समारोह की भव्यता के लिए ना मेरे पास साधन है और ना ही संबंधता । जबकि अनूप की माँ तो जितना जल्दी हो सके अपने घर ले जाना चाहती है । इसलिए मैंने बाबू जी आप ही सब बातें मुझे बता रहे हैं । मैंने कहा ना कि मैं विवाह के लिए जब जैसे कहेंगे मैं तैयार हूँ । फिर ठीक है मैं पूनम को बुलवा लेता हूँ । तुम दोनों बहनें अपने हिसाब से कुछ खरीदारी कर लेना नहीं । बाबू जी दीदी को भी थी जल्दी क्यों बुलाया? एक दिन पहले ही उन्हें भी खबर करेंगे । तो ठीक रहेगा क्यों? नमिता ये तो पूनम के साथ अन्याय होगा? नहीं बाबू जी कोई अन्याय नहीं होगा लेकिन ऐसा क्यों? नमिता इसलिए बाबू जी की दीदी को पता चलते ही वो अशोक और जीजा जी को तुरंत सब कुछ बता देंगे जिससे बेकार में तमाशा खडा होगा । इसलिए मैं चाहती हूँ कि हम अशोक को किसी प्रकार के सवाल जवाब के लिए समय ही ना दें वरना मेरी मुश्किलें बढ जाएंगे । ठीक है बेटा तुम ने जैसा सोचा है वैसा ही होगा तो भारी फोन की घंटे लगातार बज रही है । किसका फोन? बेटा उठा क्यों नहीं रही हो? अशोक का है बाबू जी तो बात कर लो । बेटा क्या कहूँ बाबू जी देखो बेटा बातें करनी ही होगी और क्या बात करनी है ये भी तुम्हें ही तय करना होगा । ठीके बाबू जी मैं बाहर जाकर बात कर लेती हूँ । स्थलों ऍफ तुमने फोन उठाया तो सही सब ठीक तो ऍम हाँ वो सब ठीक है । आप बताइए कैसे हैं क्या हुआ? नमिता तभी अचानक आप जैसे भारी भरकम संबोधन क्यों दे रहे हो मुझे वो हुआ शोक तुम से तो बात करना भी मुश्किल है । बाल की खाल निकालने लग जाते हो ऐसी कोई बात नहीं है । बाबू जी को दवाई देने का समय हो रहा है । मैं आपसे बाद में बात करती हूँ । ठीक है लेकिन बात करना जरूर । नमिता आजकल तो मुझे फोन भी नहीं करती हूँ । ऐसा लगता है कि मुझ से किसी बात पर तो नाराज हो । ठीक है समय निकालकर बात करेंगे । कहते हैं ममता ने फोन काट दिया । क्या हुआ शो तुम परेशान लग रहा हूँ । किशोर कुछा कुछ नहीं भैया । लेकिन पिछले एक सप्ताह से मैं महसूस कर रहा हूँ कि नमिता मुझ से कुछ उखडी उखडी से है । पता नहीं क्यूँ मुझे बेचैनी सी हो रही है । ऐसा लगता है जैसे सब कुछ ठीक नहीं है । तुम नमिता से अत्यधिक प्रेम करते हो और उसे कई दिनों से दूर भी हो तो जहाँ अधिक प्रेम होता है वहाँ कभी कभी घबराहट होना स्वाभाविक है । मैं मानता हूँ प्रेम का होना जीवन के लिए बहुत मायने रखता है लेकिन सिर्फ प्रेम के साथ जीवन यापन संभव नहीं होता है । जीने के लिए साधन भी चाहिए होता है । जबकि साधन पाने के लिए अपने काम पर ध्यान देना भी जरूरी होता है । इसी फोन की सुविधा उपलब्ध है । आपस में बातचीत करके मन की शंकाओं को दूर कर लो और काम पर ध्यान दो । कुछ परेशानी होगी तो नमिता तो मैं जरूर बताऊँगी और फिर एक सप्ताह के ही तो बात है । फिर स्वयं जाकर नमिता से बात कर लेना । अब ठीक रहे भैया लेकिन लेकिन लेकिन कुछ नहीं है तो चलो आज का प्रजेंटेशन बहुत महत्वपूर्ण है । उस पर फोकस करो । मुझे देखो मैं भी अपनी पत्नी को छोडकर आया हूँ । घर परिवार जरूरी है पर परिवार को चलाने के लिए काम को भी महत्व देना जरूरी होता है । ठीक है नहीं । अपना नेशनल कीजिए तब तक मैं भी तैयार हो जाता हूँ ।

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उल्लास से भरे सुहाने मौसम में कांटे की चुभन ने नमिता को उसका बीता हुआ कल याद दिला दिया , और नमिता अपने जीवन के बीते हुए पल में गोता लगाने लगी writer: ओमेश्वरी 'नूतन' Voiceover Artist : RJ Saloni Author : Omeshwari 'Nootan'
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