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नमस्कार मैं वो शिवांग और आप सुन रहे हैं तो कोई ऍम सुने जो मन चाहे है और ये है इस कहानी का बीसवां एपिसोड । तो चलिए शुरुआत करते हैं बहुत देर तक घोषाल बाबू को कुछ समझ में ही नहीं आ रहा था कि वह क्या करें । वहाँ इधर से उधर टहलते हुए सोचने लगे । खून के मन में एक प्लान उभरा । वह जानते थे कि इंडिया का उसकी बूढी मां और नन में बच्चे के अलावा कोई और नहीं है । दोनों स्थिति में नहीं है कि उसकी सही प्रकार से खोज कर सकें आपने प्लान के मुताबिक उन्होंने अपने ताकि याद में लगे हरसिंगार के पास बडी पत्थर की बैंच हटाकर वहाँ इंडिया की लाश को दफना दिया । उसके बाद वहाँ बेंच वापस उसी जगह पर रख दी । फर्श पर पहले खून को साफ किया । बिंदिया के मोबाइल से उसका सिमकार्ड निकालकर नष्ट कर दिया । उसके मोबाइल को टुकडों में तोडकर जला दिया । यह सब करते हुए सुबह पांच बजकर थक कर वहाँ कुछ घंटों के लिए हो गए । अगले दिन हुआ दिल्ली चले गए । वहाँ से फ्लाइट पकडकर रांची चले गए । अपने घर पहुंचकर भी घोशाल बाबू के दिल पर बिंदिया की मौत का खौफ छाया रहा इंडिया की मौत एक हादसा थी किन्तु उस हादसे की वजह वह स्वयं थे । रात दिन इंडिया का चेहरा उनकी आंखों में नाश्ता रहता था । बहुत परेशान थे । इस समय उन्हें किसी अपने के साथ की जरूरत महसूस हो रही थी । बेटी से सुलह के सारे रास्ते उन्होंने खुद ही बंद कर दिए थे । अब ऑस्ट्रेलिया में रह रहा उन का भाई था जिससे वहाँ कुछ उम्मीद कर सकते थे । घोशाल बाबू ने ऑस्ट्रेलिया अपने भाई को फोन किया । उसने स्वयं उनके पास आने में असमर्थता जताई तो उन्हें वहाँ आने का न्योता दिया । उन्होंने वहाँ जाने का मन बना लिया । लेकिन वहाँ जाने से पहले भुवन विला से छुटकारा पाना चाहते थे । उन्होंने मनसुख नाम के एक प्रॉपर्टी डीलर को यह काम सौंप दिया । उसे बताया कि वह अपना सबकुछ बेचकर ऑस्ट्रेलिया अपने भाई के पास जा रहे हैं । इसलिए जो जल्दी और एक साथ पैसे देने को तैयार हो उसे काम पर भी प्रॉपर्टी बेच देंगे । मनसुख ने चेतन को भवन मिला दिखाया । उसे वहाँ बहुत पसंद आया और उसने भूपन मिला खरीद लिया तो दोस्त हूँ अभी के लिए इतना ही बाकी की बातें करेंगे । अगले एपिसोड में आप सुनते रहे तो फॅस सुने जो मंचा है मैं वो शिवांक लेता हूँ । विदा
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Voice Artist