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चपटा टीम तो ऐसा कैसे कह सकते और शोक तुम्हारी आदत पड गई है । मुझे तुम्हारी जरूरत है । मैं तुम्हारे बिना नहीं रहता होंगे । इस बीमारी में बाबू जी की देखभाल के लिए भी तो मुझे तुम्हारा साथ चाहिए । मुझे बहुत डर लग रहा । शोक कहते हुए नमिता अशोक के सीने पर सिर छुपाकर से सब पडी । मैं भी चाहता था नमिता कि विवाह करके हम दोनों साथ में मलेशिया जाए लेकिन माँ को राजी करने के लिए उनकी शिक्षा का भी सम्मान करना पडेगा । मैं समझती अशोक पर इतने करीब आने के बाद अब तुम से दूर रहना बहुत मुश्किल होगा । मैं दूर कहाँ जा रहा उन्होंने था मैं तो तुम्हारे दिल में बसता हूँ । ये सब तो कहने की बातें हैं तो और तुम्हें मुझसे दूर जाना ही था तो करीब आए ही क्योंकि नमिता ने कहा मेरी ओर देखो नमिता मेरी आंखों में झांक कर बताओ कि क्या तो मैं मुझ पर भरोसा नहीं है । भरोसे की बात नहीं हो वो तो मैं खुद से भी ज्यादा करती हूँ लेकिन पल पल बदलती अपनी किस्मत पर भरोसा नहीं है । मेरा मन बहुत घबरा रहा है । मुझे तुमसे दूर जाने का मन नहीं नमिता लेकिन मैं ये शादी माँ के आशीर्वाद के साथ करना चाहता हूँ और इसके लिए इस समय माँ की शिक्षा का सम्मान करना जरूरी है और फिर मेरे लिए तो यह सुनहरा मौका है खुद को साबित करने का । तो हमारे लिए भी मेरी कामयाबी फख्र का कारण बनेगी और इसी बहाने भैया भाभी को भी साथ रहने का मौका मिल जाएगा । वो सब तो ठीक है अशोक लेकिन अब कोई लेकिन लेकिन नहीं नमिता मुझसे वादा करो कि अब और आज तो नहीं बहु की बाबूजी का अभी भी पहले की तरह पूरे मन से ख्याल रखो की और एम । बी । ए । की साकरी सेमिस्टर में पढाई पर ध्यान दो की फिर शादी के बाद मेरे साथ मेरे काम में मेरा सहयोग करो की ठीक है । अशोक ने कहा ठीक है कहते हुए नमिता ने आंसू से भरी आंखों को नीचे झुका लिया । अशोक माँ को दिए हुए वचन के कारण नमिता से दूर तो जा रहा था पर उसका मन भी दुखी था । अपने मन को ये सोचकर मनाने की कोशिश में लगा रहा कि नमिता को जीवन भर साथ रखने के लिए इस समय से दूर जाना जरूरी है । हलो हाँ बेटा प्रताप मैं बोल रही हूँ । हाँ बोलिए सब ठीक है । इतनी रात को कैसे फोन किया? बात ही कुछ ऐसी बेटा और हमारे पास समय भी नहीं है । जो भी करना है जल्दी करना होगा । मैं समझा नहीं माँ की आपके संबंध में कह रही है । प्रताप ने पूछा अभी तो सबसे बडी समस्या नमिता ही है । बेटा मैं उसी की बात कर रही हूँ । नमिता ने फिर कोई नया बखेडा खडा कर दिया क्या नहीं देता इस बार मैं कामयाब हुई हूँ । अच्छा कैसे? प्रताप ने उत्सुकता से पूछा तुम्हारा शक सही निकला । बेटा की नमिता अशोक पर डोरे डाल रही थी । पूनम और नमिता ने तो बडी चालाकी से किशोर और अशोक को अपनी मीठी मीठी बातों के जाल में फंसा लिया था और पूनम के पिता जी की बीमारी का हवाला देते हुए किशोर ने नमिता और अशोक की शादी का प्रस्ताव भी रख दिया । ये बात है चौथे क्या कहाँ प्रताप ने पूछा कहना क्या था वहाँ का तो प्रश्न ही नहीं उठता । एक बांच की बहन को मैं भला कैसे आपकी बहु बना सकती हूँ । बडे अरमानों से मैं पूनम को भी बडी बहू बनाकर लाई थी और वो मेरे किशोर को एक संतान तक नहीं दे सकी । किशोर की आधुनिक सोच और पूनम के लिए उसके अंधे प्यार ने किशोर की सोचने समझने की शक्ति छीन ली है । पर मैं अपने बच्चे की भलाई ही सोचूंगी । अच्छा क्या माँ की आपने सीधे सीधे सृष्टि के लिए मना कर दिया? प्रताप ने उत्साहित होते हुए कहा यही तो समस्या है बेटा । समस्या मतलब प्रताप ने दोहराया । मैं तो अशोक की शादी नमिता से करने से मना कर रही थी, पर किशोर भी उनके प्यार की दुहाई देने लगा तो आखिर में मैंने यहाँ कर दी है आपने ये अच्छा नहीं क्या? माँ अरे सुनो तो सही अब क्या सुनना बाकी रह गया । हाँ पूनम को मैंने पसंद किया तो प्यार के नाम पर आपने उस की शादी किशोर से करा दी और अब नमिता से विवाह करना चाह रहा था तो फिर से कान खोलकर सुन लो । प्रताप की एक बांध औरत की बहन से ना तो मैं अशोक की शादी करने दूंगी और न ही तुम्हें । मैं तो आपका आज्ञाकारी बेटा हुआ तो आपकी शिक्षा के विरुद्ध कुछ भी नहीं करूंगा । लेकिन मैं समझ नहीं पा रहा हूँ की तरफ तो आप नमिता और अशोक के विवाह के लिए राजी होने की बात कह रही हैं और दूसरी तरफ यदि में अपनी जिद पर अड जाती कि नमिता को किसी भी हाल में अशोक लिए स्वीकार नहीं करूंगी तो अशोक के स्तर पर अभी प्यार का भूत सवार है । वो मेरा विरोध भी कर सकता था । इसलिए मैंने शर्त रखकर अशोक को मलेशिया भेज दिया है । अब तुम सब काम को अच्छे से करके वापस आ जाओ । हमें जल्दी ही कुछ ऐसा करना होगा कि अशोक के मलेशिया से लौटने से पहले नमिता की कहीं और शादी हो जाए । ठीक है हाँ मैं कल ही आ जाऊंगा । अच्छा मैं फोन रखती हूँ । किशोर भी इधर ही आ रहा है । किसी बात कर रही थी हाँ । किशोर ने पूछा । प्रताप से मैंने जवाब दिया उसका काम कैसा चल रहा है ना ही चल रहा बेटा । यहाँ मुझे उसकी जरूरत है तो मैंने से बुलाया है पर वो अभी अभी तो गए हैं तो क्या आप नहीं । किशोर ने पूछा हाँ प्रताप ने कहा है कि सबका मैनेजर को समझा करा जाएगा । फिर तो ठीक हुआ । मैं आपको ये बताने आ रहा था कि सप्ताह भर के लिए मुझे भी अशोक के पास जाना होगा । परन्तु असमंजस में था के समय शहर में प्रकाश और अशोक दोनों ही नहीं फिर कैसे जाता होगा तो निश्चिंत होकर जाओ किशोर तुम्हारे लौटने तक मैं प्रताप को रोक होंगे हूँ ।
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