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वर्तमान समय नई दिल्ली अभय कुमार ने फिलहाल अमर के लिए सीबीआई से और होम मिनिस्ट्री से बात कर के समय मांग लिया था । उसका यही कहना था की जब तक सीक्रेट सर्विस नेगी की इन्वेस्टिगेशन पूरी नहीं कर लेती है वो अमर को नहीं सौंप सकते । क्योंकि अमर खाली के मिशन में अहम एजेंट था इसलिए उसका इन्वेस्टिगेशन में होना अनिवार्य था । अभय के दिए इन तर्कों को सीबीआई मानना तो नहीं चाहती थी पर होम मिनिस्ट्री ने अनुमति दे दी और फिर भारत सरकार ने उसी हिसाब से लियोन को भी जवाब दिया यानी दो महीने इंतजार करने के लिए कह दिया गया । साथ ही अभय ने राज से इस बारे में भी बात की । जिंदगी के खिलाफ इन्वेस्टिगेशन के लिए सीक्रेट सर्विस के एजेंट सीबीआई ऑफिस आएंगे । पहले तो राज थोडा झिझका । उसने कहा कि इस की कोई जरूरत नहीं है क्योंकि वह पहले ही जांच पडताल कर चुके हैं और नेगी के खिलाफ यहाँ ऐसा कोई तथ्य मौजूद नहीं जिससे वो आतंकवादी साबित हो । पर अब मैंने कहा क्योंकि उसके खिलाफ सबूत एकत्रित करने का जिम्मा सीक्रेट सर्विस को है तो ये उन्हें करना ही होगा । राज ने फिर ज्यादा हुज्जत नहीं दिखाई, राजनीतिक ज्यादा हुज्जत नहीं दिखाई । जावेद और जॉन ने सीबीआई ऑफिस आने से पहले राज को फोन करके अनुमति ले ली थी । राज ने उन्हें सीबीआई के इंटरपोल विंग में पहुंचने को कहा जो कि सीबीआई की लोधी रोड स्थित ऑफिस के ब्लॉक नंबर पांच में हुआ करता था । वहाँ उन्हें मनोज रामचंद्रन से मिलने को कहा गया । उन्हें कुछ देर गेट पर इंतजार करना पडा । फिर मनोज ने गेट पर आकर उन्हें एस्कॉर्ट किया और एंट्री करवाने के बाद अंदर ले गया । देखिए, मैं आपको सीधे इंटरपोल ऑफिस ले चलता हूँ । कहते हुए वह राहदारी में तेजी से आगे बढता चला गया । कुछ देर बाद वो एक भव्य दरवाजे पर पहुंची जिसपर नेशनल सेंट्रल ब्यूरो इंडिया लिखा हुआ था । मनोज एक्सिस कार्ड के सहारे अंदर दाखिल हुआ । अंदर अच्छा खासा ऑफिस था । काफी सारे लोग काम कर रहे थे । वहाँ छोटा मीटिंग रूम था । उसने चाबी से उसका लॉक खोला । फिर अंदर आकर लाइट जला दी । अंदर कुछ कुर्सी, कम्प्यूटर, टेबल फोन, प्रिंटर आदि मौजूद थे । इसी कमरे में तीन साल पहले नहीं की काम क्या करता था? उसके साथ कौन काम क्या करता था? जो हमने पूछा वैसे तो वो ज्यादातर इंडिपेंडेंटली काम करता था पर कभी कभी मैं उसे असिस्ट करता था । आप किसी ऑफिस में पोस्टेड आम बतौर एनॉलिस्ट लेगी । इनमें से किसी सिस्टम पर काम क्या करता था था? जॉन वहाँ रखी कंप्यूटर देखते हुए बोला, नहीं, उसका खुद का लेपटॉप था तो उसी पर काम करता था । प्रिंटआउट वगैरह । उसके गायब होने पर हम ने सब कुछ किया था तो अपने पीछे कोई सुराग नहीं छोड दिया था । जॉन ने हामी भरी । ऑफिस में आप के अलावा और किसी से उसकी बातचीत होती थी । जावेद ने पूछा, नहीं मेरे से भी सिर्फ काम के काम । मतलब की बात वो करता था । कोई पर्सनल बाद उसने कभी नहीं वो रहता कहा था, सरकारी गैस था । उसमें वहाँ भी पूरी जांच की गई थी । वो अपने पीछे रत्तीभर किलो भी नहीं छोड गया था । तो उसके तीन साल अनाधिकृत रूप से गायब रहने के बारे में इंटरपोल क्या बोलता है? जावेद ने पूछा, क्या तीन साल किसी एजेंट के गायब रहने के बाद भी इंटरपोल उसे अपना एजेंट मानता है? लेकिन ये लियोन आउटलुक है । पर मैं समझ रहा हूँ आप क्या कहना चाहते हैं । अगर कोई इतने लम्बे अरसे गायब रहे तो उसे वैसे ही नौकरी से बर्खास्त माना जाना चाहिए । फिर उस दशा में इंटरपोल का इतने सवाल पूछने का अधिकारी नहीं बनता और मामला कोई आम नौकरी का हो तो फिर भी चल जाता । पर यहाँ आतंकवाद जैसे संगीन मामले उसकी गुमशुदगी के साथ गुत्थमगुत्था थे तो इंटरपोल अवश्य उससे हर जानकारी निकलवाता । उससे ये अंश और करता है कि उसने इंटरपोल की जानकारियों का कोई गलत प्रयोग तो नहीं की आदि । यानी वो मानते हैं कि नेगी का लिंक आतंकवादी गतिविधियों से था । जॉन ने आंखों में चमक के साथ कहा ये सवाल उसके कहने के अंदाज से लगा कि उसने मनोज से न करके खुद से किया हूँ । बिना सबूत के वो कुछ नहीं मानने वाले । उसे आखिरी बार कब और किसने देखा था? जावेद ने पूछा इस ऑफिस से तो देर रात निकलता था । गार्ड ने पुष्टि की थी कि निकलते वक्त उसके पास लेपटॉप बैग था और वहाँ से अपनी सरकारी कार में गैस्ट हाउस गया था और गेस्ट हाउस में फॅर पहुंचा जरूर था तो दूसरे दिन किसी को नहीं मिला । रात में वो कब निकला, कैसे निकला? किसी को खबर नहीं है । यानी वो हवा हो गया । उस वक्त उसे ढूंढने कोई लियोन से क्यों नहीं आया? जॉन ने पूछा आई देना पर यहाँ इन्वेस्टिगेशन से यही लगा कि वह भारत से लंदन वापस चला गया । वो तो उसकी यहाँ मौत के बाद अब सब को समझाया कि वह कभी भारत छोडकर गया ही नहीं था । आईसीसी कुछ देर और बात करने के बाद जॉन और अमर वहाँ से रुखसत हुए ।
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