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Chapter 17 in Hindi

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3 K Listens
AuthorRaj Shrivastava
Chandrakanta Producer : Kuku FM Author : Devaki Nandan Khatri Voiceover Artist : Raj Shrivastava
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बयान सत्रह चपला कोई साधारण और अपना दी खूबसूरती और नजाकत के अलावा उसमें ताकत भी थी । दो चार आदमियों से लड जाना या उनको गिरफ्तार कर लेना उसके लिए एक अपना का काम था । शस्त्रविद्या को पूरे तौर पर जानती थी । तैयारी के फन के अलावा और भी कई उसमें थे । गाने और बजाने में उस्ताद नाचने में कार्यकर आतिशबाजी बनाने का बडा शौक कहाँ तक लिखें कोई फॅसा ना था जिसको चपलाना जानती हूँ रंग उसका गोरा बादल हर जगह स्टॉल नाजुक हाथ पाँव की तरफ ख्याल करने से यही जाहिर होता था कि इससे एक फूल से मारना खून करना है । उसको जब कहीं बाहर जाने की जरूरत पडती थी तो अपनी खूबसूरती जानबूझ कर बिगाड डाल दी थी या भेष बदल ली थी । अब इस वक्त शाम हो गई बल्कि कुछ रात भी जा चुकी है । चंद्रमा अपनी पूरी किरणों से निकला हुआ है । चपला अपनी असली सूरत में चली जा रही है । तैयारी का बटुआ बगल में लटकाए कमंड कमर में कैसे और खंजर भी लगाए हुए जंगल ही जंगल कदम बढाए जा रही है । तेज सिंह की याद में उसको ऐसा बेकल कर दिया है कि आपने पदन की भी खबर नहीं । उसको ये मालूम नहीं कि वह किस काम के लिए बाहर निकली है, क्या कहाँ जा रही है । उसके आगे क्या है पत्थर या गठ्ठा नदी है या नाला खली? पैर बढाए जाना ही यही उसका काम है । आंखों से आंसू की बूंदें गिर रही है । सारा कपडा भी गया है तो थोडी थोडी दूर होकर खाती है । उंगलियों से खून गिर रहा है मगर उसको इसका कुछ ख्याल नहीं । आगे एक नाला आया जिसपर चपला ने कुछ ध्यान नदी और हमने से उस नाले में गिर पडी । सिर फट गया । खून निकलने लगा । कपडे बदन के सब भी गए । अब उस को इस बात का ख्याल हुआ की तेज सिंह को छोडा नहीं खोजने चली है । उसके मुँह से झट से बात नहीं । हाय प्यारे मैं तुमको बिल्कुल भूल गई तुम्हारे छुडाने की फिक्र मुझको जरा भी नही उसी की ये सजा मिली । अब चपला संभल गई और सोचने लगी कि वह किसने कहा है । खूब गौर करने पर उसे मालूम हुआ कि रास्ता बिल्कुल भूल गई है और एक भयानक जंगल में आपसी है । कुछ क्षण के लिए तो वह बहुत डर गई । मगर फिर दिल को संभाला उस खतरनाक नाले से पीछे फ्री और सोचने लगी । इसमें तो कोई शक नहीं कि तेजसिंह को महाराज शिवदत्त के यारो ने पकड लिया है तो जरूर चुनारगढ ही ले गए होंगे । पहले वही खोज करनी चाहिए । जब ना मिलेंगे तो दूसरी जगह पता लगा होंगे । ये विचार कर चुनारगढ का रास्ता ढूँढने लगी । हजार खराबी से आधी रात गुजर जाने के बाद रास्ता मिल गया । अब सीधे चुनारगढ की तरफ पहाड ही पहाड चलने के लिए जब सुबह करीब हुई उसने अपनी सूरत एक मार्ग सिपाही किसी बना ली । नहाने धोने, खाने पीने की कुछ फिक्र नहीं सिर्फ रास्ता तय करने की । उसको धुन थी । आखिर भूखी प्यासी शाम होते चुनारगढ पहुंची । दिल में ठान लिया था कि जब तक तेज सिंह का पता नहीं लगेगा, अन्य जलग्रहण न करूंगी । कहीं आराम न लिया इधर उधर ढूंढने और तलाश करने लगी । एकाएक उसे कुछ चालाकी सूची उसने अपनी पूरी सूरत पन्ना लाल की बनाली और घसीटा । सिंह ए आर के डेरे पर पहुंची । हम पहले लिख चुके हैं कि छह यारों में से चार यार विजय बढ गए हैं और घसीटा सिंह और चुन्नीलाल चुनारगढ में ही रह गए हैं । घसीटा सिंह पन्नालाल को देखकर उठ खडे हुए और साहब सलामत के बाद पूछा खाओ पन्ना लाल अबकी बार किसको लाए? घसीटा । सिंह ने कहा, पन्नालाल ने कहा इस बार लाये तो किसी को नहीं । सिर्फ इतना पूछने आए हैं कि नाजिम यहाँ है नहीं, उसका पता नहीं लगता । घसीटा सिंह ने कहा यहाँ तो नहीं आया । पन्नालाल ने फिर कहा फिर उसको पकडा किसने? वहाँ तो आप कोई तैयार नहीं है । घसीटा । सिंह ने कहा ये तो मैं नहीं कह सकता कि वहाँ और कोई भी तैयार है या नहीं । सिर्फ तेज सिंह का नाम तो मशहूर था तो कैद हो गए । इस वक्त किले में बंद पडे होते होंगे । पन्नालाल कहता है है कोई हर्ज नहीं पता लग ही जाएगा । अब जाता हूँ रोक नहीं सकता । ये कहे नकली पन्नालाल वहाँ से रवाना हुए । अब चपला का जी ठिकाने हुआ ये सोचकर की तेज सिंह का पता लग गया और वह यही मौजूद हैं । कोई हर्ज नहीं । जिस तरह होगा छोडा लेगी वो मैदान में निकल गई और गंगा जी के किनारे बहत अपने बटुए में से कुछ मेवा निकाल के खाया गंगाजल पीके निश्चिंत हुई और तब अपनी सूरत गाने वाली औरत की बनाई चपला को खूबसूरत बनाने की कोई जरूरत नहीं थी । वो खुद ऐसी थी कि हजार खूब सूरतों का मुकाबला करें । मगर इस सब आपसे कोई पहचान ले उसको अपनी सूरत बदलनी पडेगी । जब हर तरह से लैस हो गई एक बंशी हाथ में ले राज महल के पिछवाडे की तरफ चाहे एक साफ जगह एक बैठ गई और चढी आवाज में बिरहा गाने लगी एक बार फिर स्वयं लगाकर । फिर उसी गीत को बंजी पर बजाती रात आधी से ज्यादा बीत चुकी थी । राज महल में शिवदत्त महल की छत पर मायारानी के साथ मीठी मीठी बातें कर रहे थे । एक आए गाने की आवाज उनके कानों में गए और महारानी ने भी सुनी । दोनों ने बातें करना छोड दिया और कान लगाकर कौर से सुनने लगे । थोडी देर बाद बंशी की आवाज आने लगी जिसका बहुल साफ मालूम पडता था महाराज की तबियत बेचैन हो गयी । छत लॉंड्री को बुलाकर हुक्म दिया । किसी को कहूँ अब उजागर उसको इस महल के नीचे ले आए जिसके गाने की आवाज आ रही है । उपमा पाते ही पहरेदार दौड गए । देखा कि एक नाजुक बदन बैठी गा रही है । उसकी सूरत देकर लोगों के होशोहवास ठिकाने ना रहे । बहुत देर के बाद बोले महाराज ने महल के करीब आपको बुलाया है और आपका गाना सुनने के लिए बहुत बेचैन है । जब लाने को जिनका करना क्या उन लोगों के साथ साथ महल के नीचे चली आई और गाने लगी । उसके गाने ने महाराज को बेताब कर दिया । दिल को रोकना सकें, हुक्म दिया कि उसको दीवानखाने में ले जाकर बैठाया जाए और रोशनी का बंदोबस्त हो । हम भी आते हैं । महारानी ने कहा आवासी औरत मालूम होती है क्या हर्ज है अगर महल में बुला ली जाए । महाराज ने कहा पहले उसको देख समझ ले तो फिर जैसा होगा किया जाएगा । अगर यहाँ लायक होगी तो तुम्हारी भी खातिर कर दी जाएगी तो क्योंकि दी थी सब सामान लैस हो गया । महाराज दीवानखाने में जाओ राज बीबी चपला नहीं होकर सलाम किया । महाराज ने देखा कि एक और न्यायिक हस्ती रंग गोरा सुरमय रंग की साडी और धानी बूटेदार चोली दक्षिणी ढंग पर पहने पीछे से लांग बांधी । खुलासा गडारी दार जोडा कांटे से बांधे जिस पर एक छोटा सा सोने का फूल माथे पर एक बडा सरोली का टीका लगाए, कानों में सोने की निहायत खूबसूरत जडाऊ बालिया पहने, नाक में सरजा की न एक टीका सोने का और घुंगरू दार पटरी गुंथन के गले में पहने, हाथ में बिना घुंडी का कडा वच्छ डेली जिसके ऊपर कालीन चूडियां, कमर में लच्छेदार करधनी और पैर में सांकडा पहने आज अब आनबान से सामने खडी है कहना तो मुक्तसर ही है मगर बदन की कढाई और सढौली पर इतना ही आफत हो रहा है । गौर से निकाह करने पर एक छोटा सा छुट्टी के बगल में देखा जो चेहरे को और भी रोनक दे रहा था । महाराज की खोज जाते रहे । अपनी महारानी साहब को भूल गया । जिसपर विजय हुए थे, छठ मुंह से निकल पडा । वहाँ क्या कहना है ट्रैक्टर की बन गई । महाराज ने कहा आओ यहाँ बैठो बीबी चपला कमर को बाल देती हुई अॅगुलियों के साथ कुछ नजदीक जा सलाम करना महाराज उसके हाँ उसने के रूप में आ गए । ज्यादा कुछ नहीं कह सके । एक तक सूरत देखने लगे । फिर पूछा भारा मकान कहा है कांड हो क्या काम है तुम्हारी जैसी औरत का के लिए राज के समय घूमना ताज्जुब में डालता है । उसने जवाब दिया मैं ग्वालियर की रहने वाली पतलापन कत्थक की लडकी हूँ । रंभा मेरा नाम है । मेरा बाप भारी गवैया था । एक आदमी पर मेरा जी आ गया । बाद की बात में वह मुझ से गुस्सा हो के चला गया । उसी की तलाश में मारी मारी फिरती हूँ क्या करूँ अक्सर दरबारों में जाती हूँ कि शायद कहीं मिल जाए क्योंकि वह भी बडा भारी गवैया है । सुनता जब नहीं किसी दरबार में हूँ । इस वक्त तबियत की उदासी में योगी कुछ गा रही थी की सरकार ने याद किया हासिल हुई महाराज ने कहा तुम्हारी आवाज बहुत भली है, कुछ गांव तो अच्छी तरह से हूँ । चपला ने कहा महाराज ने स्नान चीज पर बडी मेहरबानी की जो नजदीक बुलाकर बैठाया और लांडी को इज्जत दी । अगर आप मेरा गाना सुनना चाहते हैं तो अपने मुलाजिम सफर दारू साज बजाने वालों को तलब करें । वे लोग साथ दी तो कुछ गाने का लुत्फ पाए । पैसे तो मैं हर तरह से गाने को तैयार हूँ । ये सुन महाराज बहुत खुश हुए और उसमें दिया सब पर्दा हाजर किया जाए । प्यारी दौड गए और सुप्रभाव का सरकारी उतना सुनाया । वे सब हैरान हो गए कि तीन पहर रात गुजरे महाराज को क्या सूझी है । मगर लाचार होकर आना ही पडा आकर जब एक चांद के टुकडे को सामने देखा तो तबियत खुश हो गई । कूढे हुए आए थे । मगर अब खेल गए छट साज मिला । करीने से बैठे चपला ने गाना शुरू किया । अब क्या था साजोसामान के साथ गाना पिछली रात का सवा महाराज को बूत बना दिया । सफलता भी दंग रहे गए । तमाम मिल में आज खर्च करना पडा । बेवक् की महफिल थी । इस पर भी बहुत से आदमी जमा हो गए । दो चीज दरबारी की कराई थी कि सुबह हो गई । फिर भैरवी गाने के बाद सपना ने बंद करके और क्या महाराज अब सुबह हो गई । मैं भी कल की ढकी हूँ क्योंकि दूर से आई थी अब हो तो रख सकता हूँ । चपला की बात सुनकर महाराज चौक बडे देखा तो सचमुच सवेरा हो गया है । अपने गले से मोती की माला उतारकर इनाम में दे दी और बोले अभी हमारा जी तुम्हारे गाने से बिल्कुल नहीं भरा है । कुछ रोज यहाँ टैरो फिर जाना । रंभा ने कहा अगर महाराज कितनी मेहरवानी लॉंड्री के हाल पर है तो मुझको कोई हर्ज रहने में नहीं । महाराज ने रोक दिया कि रंभा के रहने का पूरा बंदोबस्त हो और आज रात को आम महफिल का सामान किया जाए । उपमा पाते ही सब सरंजाम हो गया । एक सुंदर मकान में रम्मा का डेरा पड गया । नौकर मौजूद सब तैनात कर दिए गए । आज की रात आज की महफिल थी । अच्छे आदमी सब इकट्ठे हुए । रंभा भी हाजिर हुई । सलाम करके बैठ गई । महफिल में कोई ऐसा नहीं था जिसकी निगाह रंभा कि तरफ ना हो जिसको देखों लम्बी साल से भर रहा है । आपस में सब यही कहते हैं कि वहाँ क्या भोली सूरत है क्या हूँ कभी आज तक ऐसी हसीना तुमने देखी थी रंभाने का आना शुरू किया अब जिसको देखिए मिट्टी की मूरत हो रहा है । एक गीत गाकर चपला नहीं किया महाराज एक बार नौ गार्ड में राजस्व सिंह की महफिल मेलॉडी ने गाया था । वैसा गाना आज तक मेरा फिरना जमा वर्ष ये थी कि उनके दिवान के लडके तेज सिंह ने मेरी आवाज के साथ मिलकर बीन बजाई थी । हाय मुझको वो महफिल कभी ना भूले दो चार रोज हुआ । मैं फिर नौगढ गई थी । मालूम हुआ कि वह गायब हो गया । तब मैं भी वहाँ लठैहरी तुरंत वापस चली आई । इतना कहकर रम्बा अटक गई । महाराष्ट्र उसपर दिलोजान दिए बैठे थे । बोले आजकल तो वो मेरे यहाँ कैद है और मुश्किल तो ये है कि मैं उस को छोडना नहीं और कैद की हालत में वह कभी बीनना बजाएगा । रंभा ने कहा जब मेरे नाम सुनेगा तो जरूर इस बात को कबूल करेगा मगर उसको एक तरीके से बुलाया जाए । वह अलबत्ता मेरा संघ देगा, नहीं तो मेरी भी न सुनेगा क्योंकि वो बडा जिद्दी है । महाराज ने पूछा वो कौन सा तरीका है? रंभाने कहा एक तो उसको बुलाने के लिए ब्राॅन जाए और वो उम्र में बीस वर्ष से ज्यादा न हो । दूसरे जब उसको लाभ भी दूसरा कोई संगना हो । अगर भागने का खौफ हो तो बीडी उसके पैर में पडी रहे । इसका कोई मुझे का आपत्ती नहीं । तीसरा ये कि बीन कोई उम्दा होनी चाहिए । महाराज ने कहा ये कौन सी बडी बात है । इधर उधर देखा तो एक ब्राह्मण का लडका चेतराम नामी उस उम्र का नजर आया । उसे हो कमा दिया कि तू जाकर तेज सिंह को लिया । मीर मुझे ने कहा तुम जाकर पहले वालों को समझा । दो की तेज सिंह के आने में कोई रोक टोक ना करें । हाँ, एक बेटी उसके पैर में जरूर पडी रहे । खुद पांच चेताराम तेजसिंह को लेने गया और मीर मुंशी ने भी पहले वालों को महाराज का हुक्म सुनाया । उन लोगों को क्या हाल था तेज सिंह को अकेले रवाना कर दिया । तेजसिंह तुरंत समझ गए कि कोई दोस्त जरूर यहाँ पहुंचा है । तभी तो उसने ऐसी चालाकी की शर्त से मुझ को बुलाया है । खुशी खुशी चेताराम के साथ रवाना हुए । जब मैं फिल्में आयें । अजब तमाशा नजर आया । देखा कि एक बहुत ही खूबसूरत औरत बैठी है और सब उसी की तरफ देख रहे हैं जब तेजसिंह महफिल के बीच में पहुंचेगा । रंभाने आवाज थी आओ आओ तेजसिंह रंभ कब से आप की राह देख रही है । भला वह बीन का भूलेगी जो आपने नौ गार्ड में बजाई थी । ये कहते हुए रंभाने तेज सिंह की तरफ देखकर बाई आंख बंद की । तेजसिंह समझ गए कि ये सपना है । बोले रम्बा तो आ गई । अगर मौत भी सामने नजर आती हो तो भी तेरे साथ बीन बजा के मरूंगा क्योंकि तेरे जैसे गाने वाली भला कहाँ मिलेगी? तेज सिंह और रंभा कि बात शंकर महाराज को बडा ताजुब हुआ मगर धुन तो ये थी कि कब तीन बजे और कब ड्रम भाग का एक बहुत उमडी । बीन तेजसिंह के सामने रखी गई और उन्होंने बजाना शुरू किया । रंभा भी गाने लगे । अब जो समा बंधा उसकी क्या तारीफ की जाए? महाराज सकती किसी हालत में हो गए और उनकी कैफियत दूसरी हो गई । एक ही गीत का साथ नहीं करती । सिंह ने तीन हादसे रख दी । महाराज ने कहा क्यों और बचाव तेज सिंह ने कहा बस मैं रोज में एक ही की क्या बोल बजाता हूँ इससे ज्यादा नहीं । अगर आपको सुनने का ज्यादा शौक हो तो कल फिर सुन लीजिए गा रंभाने भी कहा का महाराज यही तो इनमें एम है । राजस् रेंद्र सिंह जिनकी नौकर थे, कहते कहते थक गए । मगर इन्होंने एक न मानी । एक ही बोल बजा कर रहे गए क्या हर्ज है कल फिर सुन लीजिए गा महाराज सोचने लगे कि आज अब आदमी है भला इसमें इसमें क्या फायदा? सोचा है अफसोस मेरे दरबार में ये ना हुआ । रंभा ने भी बहुत कुछ खर्च करके गाना माँ खूब क्या, सभी के दिल में हसरत बनी रहे गई । महाराज ने आपको उसके साथ मजलिस बर्खास्त की और तेज सिंह फिर उसी चेताराम रामन के साथ जेल भेज दिए गए । महाराज को तो अब इसको हो गया कि तेजसिंह केबीन के साथ साथ रंभा का गाना सुने । फिर दूसरे रोज महफिल हुई और उसी चेताराम रामन को भेजकर तेजसिंह बुलाए गए । उस रोज भी एक बोल बजाकर उन्होंने तीन रन महाराज का दिल ना भरा । हुक्म दिया कि कल पूरी महफिल हो । दूसरे दिन फिर महफिल का सामान हुआ । सब कोई आकर पहले ही से जमा हो गए । मगर रंभा महफिल में जाने के वक्त से घंटे भर पहले डालूँ बचा चेतराम की सूरत बना कैदखाने में पहुंचेगी । पहले वाले जानते ही थे कि चेतराम अकेला तेज सिंह को ले जाएगा । महाराज का उप नहीं ऐसा है । उन्होंने ताला खोलकर तेज सिंह को निकाला और पैर में पीडित डाल सीतराम के हवाले कर दिया । सीतराम यानी कि चपलाना उन को लेकर चलते बने । थोडी दूर जाकर चेतराम ने तेज सिंह की बेटी खोल दिए । आप किया था । दोनों ने जंगल का रास्ता लिया । कुछ दूर जाकर चपला ने अपनी सूरत बदल ली और असली सूरत में हो गई । अब तेज सिंह उसकी तारीफ करने लगे । चपला ने कहा आप मुझ को शर्मिंदा ना करें क्योंकि मैं अपने को इतना चालाक नहीं समझती जितनी आप तारीफ कर रहे हैं । फिर मुझको आपको छुडाने की कोई गरज पीना थी । सिर्फ चंद्रकांता की बेमुरव्वत से मैंने ये काम किया । तेज सिंह ने कहा ठीक है तुमको मेरी गरज का है को होगी गंजू तो मैं कह रहा कि तुम्हारे साथ सफलता बना जो काम बाप दारू रहना किया था तो करना पडा ये सुन चपला हस पडी और बोली फस माफ कीजिए ऐसी बात करिए । तेज सिंह ने कहा हुआ माफ क्या करना मैं बगैर मजदूरी लिए नहीं छोडूंगा । जब मैंने कहा मेरे पास क्या है जो मैं तो उन्होंने कहा जो कुछ तुम्हारे पास है वही मेरे लिए बहुत है । चपला ने कहा है इन बातों को जाने दीजिए और ये नहीं है कि यहाँ से खाली ही चलिएगा या महाराज शिवदत्त को कुछ हाथ भी दिखाइएगा । तेज सिंह ने कहा इरादा तो मेरा यही था आगे तुम जैसा का हो । चपला ने कहा जरूर कुछ करना चाहिए । बहुत देर तक आपस में सोच विचारकर तो उन्होंने एक चालाकी ठहराई जिससे करने के लिए ये दोनों उस जगह से दूसरे घने जंगल में चले गए ।

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Chandrakanta Producer : Kuku FM Author : Devaki Nandan Khatri Voiceover Artist : Raj Shrivastava
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