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Chapter 14 in Hindi

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AuthorNitin Sharma
उल्लास से भरे सुहाने मौसम में कांटे की चुभन ने नमिता को उसका बीता हुआ कल याद दिला दिया , और नमिता अपने जीवन के बीते हुए पल में गोता लगाने लगी writer: ओमेश्वरी 'नूतन' Voiceover Artist : RJ Saloni Author : Omeshwari 'Nootan'
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ऍम ट्रेन की रफ्तार के साथ साथ नमिता के दिल की धडकने भी बढती जा रही थी । परिस्थितियों ने अशोक से दूर जाने के लिए जरूर मजबूर कर दिया था । पर नमिता का मन जैसे अशोक के पास ही रह गया हो । कोई भी चीज से अच्छी नहीं लग रही थी । बेचैनी दूर करने के लिए किताब पढना चाहा पर पुस्तक खोलने पर उसमें भी सिर्फ अशोक का चेहरा ही नजर आ रहा था । दिल में अशोक के लिए असीम प्यार और उनकी माँ के व्यवहार से प्रदर्शित नाराजगी ने नमिता को बेचैन कर रखा था । आंखे बंद कर संयमित होने का प्रयास कर रहे थे कि किसी की जानी पहचानी आवाज उसके कानों से टकराई । हरी नमिता तो आवाज की ओर मुड कर देखते ही नमिता उछल पडे अनूप जी आप कहाँ से आ रहे हैं? मुंबई से लौट रहा हूँ । अनूप ने जवाब दिया, मुंबई कैसे गए थे? नंदिता ने पूछा इलाज के लिए अनूप के मुझसे अचानक ही सच निकल गया । क्या हुआ अब ठीक तो है ना खान? अमिताभ मैं ठीक हूँ । मैं रूटीन चेकअप के लिए चला गया था । अनुमति सफाई देते हुए कहा कोई बडी बात है क्या? जिसके लिए मुंबई जाना पडा नहीं कोई खास नहीं । साधारण तबियत खराब थी । अनूप ने कहा तो क्या हमारे अस्पताल और डॉक्टर्स की कमी है क्योंकि साधारण इलाज के लिए भी आपको मुंबई जाना पडा । नमिता ने जोर देकर कहा चोरी पकडा के देख अनूप हर बडा सा क्या फिर संभलते हुए कहा असल में मेरा एक दोस्त मुंबई में नौकरी करता है । उसने बुलाया था तो इलाज के बहाने मिलने चला गया था । नमिता और अनु किसी तरह इधर उधर की बातें कर ही रहे थे कि अचानक प्रताप प्रकट होते हुए बोला ये लडका कौन है? नमिता नमिता ने जवाब तो नहीं दिया पर हाँ मुंह फेर लिया । जैसे कह रही हूँ कि तुम मेरा पीछा क्यों कर रहे हो? कहीं लडका जबरदस्ती तुम्हारे गले तो नहीं पड रहा है? जवाब न मिलने पर प्रताप ने अनूप को घूरते हुए नमिता से कहा नहीं ऐसी कोई बात नहीं है । अब गलत समझ रहे हैं । ये मेरे बचपन के मित्र एवं पडोसी अनूप है । नंदिता ने झट से कहा वो तो अशोक की तरह ये भी मित्र हैं । प्रताप निपटाना मारते हुए कहा, आप से मुझे बात नहीं करनी प्लीज यहाँ से जाइए । नमिता ने हाथ जोडकर कहा कमाल करते हो यार, तुम भी सुनने आपने नमिता तुमसे बात करना नहीं चाहती है फिर भी ही रखते हुए हो । आपको यहाँ से जाने के लिए कहा गया है ना? अनूप ने कहा अच्छा तो तुम्हारे बचपन के दोस्त को तुम्हारी परवाह भी है । लगता है गहरी दोस्ती है । प्रताप ने किया । मैंने कहा ना कि आप यहाँ से जाइए । नमिता ने कहा कौन है ये नहीं था । तुम कहो तो रेलवे पुलिस को बुलाता हूँ । अनूप ने कहा नहीं पुलिस नहीं ये मेरे जीजा जी के भाई लगते हैं । मुझे देवी का ख्याल है वरना मैं ही से सबक सिखा देती । नमिता ने कहा अच्छा क्या नमिता की तुमने अपने इस मित्र को बता दिया कि मेरी अहमियत किया है, लेकिन ये तो मेरे साथ सरासर नाइंसाफी है । प्रताप ने कहा अब क्या हो गया? नमिता ने झल्लाते हुए कहा देखो तो मैं स्टेशन है । हमारे घर तक छोडना चाहा तो अशोक बीच में आ गया और सफर में बात करने का प्लान किया तो तुम्हारा ये दूसरा मित्र टांग अडा रहा है । लगता है तुम्हारे दोस्तों की लिस्ट लंबी है । प्रताप ने वो किया यही तो परेशानी आपके की सबको आप अपनी तरह समझाते हैं । मैंने कहा ना क्या ना ऊपर मैं हम साथ ही खेलते पढते बडे हुए हैं । इसका मतलब ये है कि इससे अशोक वाली दोस्ती नहीं है । चलो अच्छा हुआ, एक प्रतिद्वंदी तो कम हुआ । प्रताप ने कहा कैसे गन्दी सोच है आप की? नमिता ने कहा तो मुझे जो चाहे कह सकती हूँ नमिता मुझे तुम्हारे कोई भी बातें बुरी नहीं लगती है । पर हाँ मुझे तुमसे शिकायत है कि तुमने मुझे अकेले में मिलने का मौका नहीं दिया । प्रताप ने कहा और ऐसा कभी संभव होगा भी नहीं । नमिता ने कहा क्यों भला तो आपने कहा क्योंकि मैं तुम जैसे लोगों से मिलना तो दूर बात करना भी पसंद नहीं करती । नमिता ने कहा यही यही तुम्हारी जिद है तो ये भी जान लो कि मैं तुम से भी ज्यादा जिद्दी हूँ । पूनम को मैंने पहले देखा और पसंद किया तो किशोर से अपने प्रेम जाल में फंसा लिया । पर आप किसी भी हालत में मैं अशोक को हम दोनों के बीच नहीं आने दूंगा । ये बात तुम कांट मान कर रखना । नमिता और अनूपजी तुम भी सुन लो । बचपन की दोस्ती को बचपन के साथ ही अलविदा कहता हूँ । नमिता जैसे लडकी तुम जैसे फकीर के साथ ट्रेन के दूसरे दर्जे में धक्के खाने के लिए पैदा नहीं हुई है । इन्हें तो हम हवा में उडाते हुए सफर कराएंगे । प्रताप ने अपनी दौलत और ताकत की ठोस दिखाई तो फिर आप भी उडन खटोले में ही जाइए । यहाँ क्या कर रहे हैं? नमिता ने कहा अब ये भी बताना पडेगा क्या कि यहाँ तो हम तो भारी ले धक्के खा रहे हैं । प्रताप ने कहा अब आप हद से गुजर रहे हैं । ललिता ने कहा देशर में की भी कोई हद होती है । कहते हुए अनूप खडा हो गया तो प्रताप ने कहा क्या करेगा मुझे फाइटिंग करके हीरोगीरी दिखाना चाहता है क्या? ललिता ने अनूप का हाथ पकडकर बिठाते हुए कहा चलो इसके मूल मतलब को और प्रताप में आपसे हाथ जोडकर विनती करती हूँ कि आपके हासिल चाहिए । ललिता ने कहा ठीक है । नमिता तो कहती हूँ तो चला जाता हूँ पर तुम्हें भी मेरी भावनाओं को समझना चाहिए । कहते हुए प्रताप आगे बढ गया । किसी अशोक का जिक्र हो रहा था ये कौन है? नमिता अनूप ने पूछा अशोक पूनम दीदी का देवर है और हम दोनों एक दूसरे को पसंद करते हैं । क्यों प्रताप की तरह तो मैं भी जलन हो रही है क्या? नमिता ने मुस्कुराते हुए कहा अरे नहीं, मुझे जलन होगी । मैं तुम्हारे बचपन का दोस्त हो, कोई आशिक नहीं हूँ कि किसी से बैर करूँ । अनूप ने स्पष्ट किया हाँ, इतना जरूर कहूंगा कि अशोक किस्मत वाला है । तुमने उसे पसंद किया है । यही सच तो यह है नोट की मैं बडी किस्मत वाले हूँ कि जिससे अशोक का प्यार मिला है । नमिता ने कहा तुम्हारे प्यार तो बोलना भी सिखा दिया है वरना मैं तो उस नमिता को जानता हूँ जिसके मुंबई तो जुबानी नहीं थी और तुम से किए गए हर सवाल का जवाब बुलंदिया करती थी । तुम सही कह रही हूँ की कभी दीदी मेरी जुबान हुआ करती थी पर अब दीदी बेजुबान हो गई है । नमिता गंभीर हो गई क्या वह नमिता तो परेशान लग रही हूँ और पूनम को बेजुबान होने की बात तो बिलकुल ऐसी बात है जैसे चन्द्रमा ने शीतलता को त्याग दिया हूँ । अनूप ने आश्चर्य से कहा तो सच कह रहा हूँ पर ऐसा ही हुआ है । नारी शक्ति का प्रतीक माने जाने वाली दीदी जीजाजी के प्यार पर इतनी यौछावर हैं कि उन्हें खुद कोई होश नहीं रहा । कोई भी बातें उन्हें दुखी है, उत्तेजित नहीं करती हैं । हर बात पर स्वयं को छोटा बनाकर समझौता कर लेती है । नमिता ने कहा ऐसी क्या बात हो गई है? नमिता जिसने पूनम को इतना बदल दिया । अनूप ने पूछा प्रेम नहीं मैंने अभी तक सिर्फ किताबों में पढा था की प्रेम में बडी ताकत होती है । पर पहली बार देखती हूँ कि सचमुच प्रेम में समर्पण इतना गहरा होता है कि इंसान खुद को भूल जाता है । नमिता ने कहा सच कैरॅल त्रिम इश्वर के द्वारा बनाई गई वो रचना है जिसके सामने साल ईश्वर भी नतमस्तक हो जाते हैं । अनूप ने कहा हो लगता है तो मैं भी किसी से प्रेम हो गया है । नमिता ने छेडते हुए कहा हाँ और मैं उस से इतना प्रेम करता हूँ की मौत का भी डर नहीं । अनूप ने कहा मतलब ललिता ने कहा ट्रेन के स्टेशन से अनूप यहाँ की दुनिया से निकलकर अपने प्यार की दुनिया में हो गया । जहां से प्यार ही प्यार है वहां विचरण करने लगा । बचपन के साथी कब दिल में आपसी अनूप को पता ही नहीं चला । बहुत कोशिश के बाद ही नमिता के लिए अपने प्रेम को पाने की जिद को नकार नहीं पाया और फिर मन बना लिया कि मौका मिलते ही अपने दिल की बात नमिता को बता ही देखा । अनूप की चाहत रंग लाई और जल्द ही अब सभी मिल गया हूँ । अनूप ने तय किया कि आपने जनधन में दोस्तों के साथ पार्टी करके फिर अंत में नमिता को उसके घर छोडते समय दिल की बात कह देगा । ईश्वर ने अनूप के मन को वो पवन मंदिर तो बना दिया जहाँ सिर्फ प्यार ही प्यार बचता है । लेकिन अनूप प्रेम का वो पुजारी बनकर रह गया जिसे पूजा करने का अधिकार तो मिल जाता है पर मोरक् पर कोई अधिकार नहीं होता है । हुआ ये कि जनम दिन से एक दिन पहले ही अनूप अचानक ही बेहोश होकर गिर पडा और उसे अस्पताल में भर्ती कराना पडा । जांच के बाद पता चला कि बचपन में लगे चोट के कारण मस्तिष्क में खून का थक्का जम गया है जिसके कारण अनूप अचानक ही बेहोश हो गया था । क्या हुआ नहीं तो तुम हम सभी दोस्तों को पार्टी लेने वाले थे । लगता है पार्टी देनी ना पडे इसलिए अस्पताल में भर्ती हो गए हो । नमिता ने अनूप को फूलों का गुलदस्ता भेंट करते हुए कहा धन्यवाद नमिता । अनूप ने कहा अरे हमारे बीच धन्यवाद कब से आ गया बचपन से तुम्हारे जन्मदिन पर साथ रहते आई हूँ । अच्छा ये बताओ कि अब तबियत कैसी है, क्या हुआ है तो उन्हें नमिता ने पूछा अब ठीक हूँ लेकिन कुछ जांच होनी है जिसके कारण दो चार दिन अस्पताल में ही रहना पडेगा । अनूप ने जवाब दिया, कोई बात नहीं, हम लोग पार्टी चार दिन बात कर लेंगे और हाँ तुम ठीक हो जाओ । फिर इस बात तुम्हारे जन्मदिन की पार्टी मेरी ओर से रहेगी । ललिता ने कहा जरूर पार्टी तो मैं तो तेलंगाना में था । आपने कहा पार्टी तो बाद में होती रहेगी पर तुम ने कहा था कि आज तो मुझे कुछ विशेष बात बताने वाले हो । वो तो कम से कम बता दो, मैं सुनने के लिए उत्सुक हो । नमिता ने कहा अनूप ने मन ही मन कहा तुमसे ज्यादा उत्सुक तो मैं स्थानों में था अपने प्यार का इजहार करने के लिए । लेकिन हमने तुम्हारे सामने कभी भी अपने प्रेम को बता नहीं पाऊंगा । ब्रेन ट्यूमर मेरी जिंदगी तो छीन सकता है, लेकिन जीवन भर तुम्हें प्यार करते रहने से मुझे कोई नहीं रोक पाएगा । मरने के बाद भी मेरी आंखें तुम्हारे दीदार के लिए खुले रहेंगे । क्या हुआ लोग कहाँ हो गए? नवी था की आवाज में जैसे अनूप को नींद से जगा दिया । हाँ मैं कह रहा था कि अभी नहीं विशेष बात को तो विशेष समय में ही बताया जाएगा । अनूप ने कहा ये तो गलत बात है । तो पिछले एक सप्ताह से जब से तुम ने बताया था कि अपने जन्मदिन पर कोई विशेष बात बताने वाली हूँ, तब से मैं उस दिन का इंतजार कर रही थी । अरे तुम तो नाराज हो गई । ऐसे मुंह मतभेदों? नमिता तुम्हारा बदकिस्मत दो बिचारा तो पहले से ही बीमार है तो तुम्हारी नाराजगी कहीं जान पर न बन जाए । कैसी बातें कर रहा हूँ । दोस्त साथ निभाने के लिए होते हैं, जान लेने के लिए नहीं । और फिर मैं तुमसे नाराज कैसे हो सकती हूँ? बोला मैंने तो यही तो उसे बात बुलवाने की कोशिश की थी । नमिता ने कहा तो ठीक है नमिता आज एक दोस्त का दूसरे दोस्त से वादा है कि जीवन भर अपने मित्र से ऐसे ही मित्रता निभाने की कोशिश करूंगा कि लोग हमारे दोस्ती की मिसाल देंगे और सही समय आने पर तो मैं वह बात भी बताऊंगा जो आज कहने वाला था । ठीक है मुझे उस दिन का इंतजार रहेगा । ललिता ने कहा मुझे दुख है नमिता कि तुम्हारा इंतजार शायद खत्म ही ना हो । अनूप ने कहा ये तो क्या कह रहा हूँ मैं कब से तो मैं स्नैक्स खाने के लिए कह रही है और तुम ऊके इंतजार खत्म होने की बात कह रहे हो । सीधा सीधा कहो ना कि नहीं खाना है । नमिता तुमने मुझसे कुछ कहा । नमिता द्वारा झिंझोडने पर बीते हुए पल से वापस आते ही अनूप ने कहा हाँ वही मैं तुमसे बात कर रही हूँ पर तुम हो के न जाने कहाँ कोई हुए हो । सौरी नाम था अब सॉरी सॉरी छोडो और चलो हमारा शहर आ गया । ट्रेन स्टेशन पर पहुंच गई है हूँ ।

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Sound Engineer

उल्लास से भरे सुहाने मौसम में कांटे की चुभन ने नमिता को उसका बीता हुआ कल याद दिला दिया , और नमिता अपने जीवन के बीते हुए पल में गोता लगाने लगी writer: ओमेश्वरी 'नूतन' Voiceover Artist : RJ Saloni Author : Omeshwari 'Nootan'
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