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नमस्कार मैं वो शिवांग और आप सुन रहे हैं तो कोई ऍम सुने जो मंचा है और ये है इस कहानी का चौदह वां एपिसोड । तो चलिए शुरुआत करते हैं अपने बच्चे को लेकर । चेतन ने भी कई तरह के सपने देखे थे, लेकिन एक ही झटके में सब टूट गया । सारे का इस गम में कुछ हो गई । अपने काम को भुलाकर चेतन सारिका को उसके दुःख से बाहर निकालने में जुट गया । उसकी कोशिशों ने रन दिखाया । सारे का फिर से समान्य हो गई । आपको से खुश करने के लिए चेतन ने धोवन बिल्ला खरीदा । अभी वह तरीका के सपने को पूरा कर पाने की खुशी भी नहीं मना पाया था कि अचानक सारिका के साथ अजीबो गरीब घटनाएं होने लगी । आपने बैठ कर लेता । चेतन सोच रहा था कि उसके खुशहाल जीवन को न जाने किसकी नजर लग गई । क्यों सारिका को भवन मिला? मैं किसी लडकी के कैद होने की अनुभूति होती है । परसों उसे लगा कि झूले पर बैठा कोई उसे हिला रहा है । उसके नोटबुक पर खून से कुछ लिखा है । जबकि मारिया को न तो झूले पर कोई दिखाई दिया और ना ही उसकी नोटबुक पर खून से लिखा कोई संदेश मिला । वहाँ भी धवन जिला में रहता है किन्तु उसे भी सारिका की तरह कोई अनुभव नहीं हुआ । तो क्या डॉक्टर मुडवाने की बात सच है कि सारे का अभी तक आपने दुख से पूरी तरह बाहर नहीं आ पाई । पर इधर तो कई महीनों से तरीका को रेगुलर स्टेशन के लिए भी ले जा रहा था । वो ठीक हो गई थी । दोबारा ऑफिस जाने के लिए तैयारी कर रहे थे । फिर अचानक न जाने ये सब कैसे हो गया । उसने बगल में सोई हुई सारिका की तरफ देखा । डॉक्टर मोटवानी ने कुछ नई दवाई लिखी थी । उन्हें खाकर वह गहरी नींद में सोई हुई थी । लेकिन चेतन को नींद नहीं आ रही थी । वहां बैठ से उठकर खिडकी के पास आया पर्दा खोलकर बाहर देखने लगा । बाहर अंधेरे में सब कुछ अजीब तरह से शांत दिखाई पड रहा था । वह किसी से बात करना चाहता था । हालांकि रात के सवा दस बजे थे । पर वहाँ सीढियां चढकर मारिया के कमरे में गया । उसने दरवाजा खटखटाया । मारिया ने दरवाजा खोला सर आप कुछ चाहिए था । सॉरी देररात दरवाजा खटखटाया । दरअसल मुझे तुमसे कुछ बात करने हैं । तो आइए अंदर बैठे नहीं तुम नीचे हॉल में आ जाओ । सराब चलिए, मैं तो लोड करती हूँ । मुझे ठंड लग रही है । कुछ देर बाद मारिया हॉल में आ गई । चेतन को परेशान देखकर बोली क्या बात है सर, परेशान दिख रहे हो । चेतन अपने दोनों पर सोफे पर चढाकर बैठ गया और गंभीर स्वर में बोला मारिया! सारिका की स्थिति को लेकर मैं बहुत परेशान हूँ । जब भी लगता है कि सब ठीक हो रहा है तब कुछ ना कुछ गडबड हो जाती है । कुछ समझ नहीं आ रहा है कि सारिका को अचानक क्या हो जाता है । सर, आपकी बात सही है । मुझे भी लग रहा था कि मैं ठीक हो गई है । किन्तु परसों जो कुछ हुआ मुझे समझ नहीं आया । मारिया उस दिन मैं तो बाद में आया था पर क्या तुमने भी झूले पर किसी के होने का एहसास किया था? नहीं सर, मैंने खुद देखा था । मुझे न तो झूले पर किसी के होने का एहसास हुआ और ना ही नोटबुक में खून से लिखा हुआ कुछ दिखा । मारिया की बात सुनकर चेतन फिर से गंभीर हो गया । हॉल में शांति छाई हुई थी, तभी मारिया का शॉल फिसलकर नीचे गिर गया । शॉल को ठीक से लपेट लो मारिया नहीं तो ठंडक जाएगी । सर ठीक से लपेटा था पर ना जाने कैसे फिसल गया । मारिया ने शोल उठाकर कसकर लपेट लिया । अपनी जगह पर बैठकर बोली सर क्यों ना आप मैं उनको किसी और मनोचिकित्सक को दिखाएँ । वैसे डॉक्टर मोटवानी भी अच्छे डॉक्टर हैं, पर देखता हूँ कि यदि किसी और से भी सलाह ली जा सके तो चेतन अपनी बात कर रहा था । तभी अचानक एक विचित्र घटना घटी । कस करोडी गए । मारिया के शॉल हवा में उछालकर दूर जा गिरी । ऐसा लगा जैसे किसी ने झटके से उसे उतारकर दूर फेक दिया हो । चेतन और मारिया घबरा गए । भय के मारे मारिया जोर जोर से चीखने लगी । सर, सारिका मैडम ठीक कहती है इस घर में कोई आत्मा है । चेतन को भी ऐसा हो रहा था कि भले कोई दिखाई नहीं दे रहा हूँ, पर हॉल में उन दोनों के अलावा भी कोई है । वह भी डरा हुआ था । पर खुद को संभालते हुए बोला शांत रहो मारिया डंडे से काम नहीं चलेगा । धैर्य से काम लेना होगा । मारिया डर से काम रही थी । डरते हुए बोली सर वो जो भी है, यहीं कहीं है । मुझे बहुत डर लग रहा है । डर चेतन को भी लग रहा था, लेकिन वहाँ वहाँ मौजूद आत्मा से जानना चाहता था क्यों उसने उनके जीवन में उथल पुथल मचा रखी है । वहाँ चाहता था कि जो भी हो, सामने आए । चेतन को अचानक न जाने क्या सूझा कि वहाँ हॉल से उठकर मेरे रूम में गया । दरवाजा खोलकर ब्रॅान्ज में चला गया । वहाँ जाकर झूले पर बैठ गया । कुछ मिनटों तक बहुत चुपचाप उस पर बैठा रहा तो उसे किसी के भी होने का अनुभव नहीं हुआ । उसके भीतर न जाने कौन सी शक्ति आ गयी । वहाँ उस आत्मा को ललकारने लगा । कौन हो तुम? हम से क्या चाहती हो? सामने क्यों नहीं आती हो? हमें परेशान करना बंद करो । बहुत तेज ना में उस अनदेखी शक्ति को सामने आने के लिए जोर जोर से ललकार रहा था । उसकी आवाज सुनकर गहरी नींद में सोई सारे का भी चाहते हैं । चेतन को यू चिल्लाते देखकर वह परेशान हो गई । सुबह उठकर चेतन के पास गई । क्या हुआ चेतन, क्या तुम ने भी किसी को देखा? मैं कह रही थी ना कोई है । चेतन ने उसकी तरफ देखकर कहा, तुम सही थी । हमारे घर पर किसी का साया है । मारिया भी उठकर बेडरूम में आ गई । सर, प्लीज आप अंदर आ जाइए । मुझे बहुत डर लग रहा है । चेतन भीतर आ गया दरवाजा बंद कर खिडकी का पर्दा भी डाल दिया । सारिका परेशान से खडी थी । उसने कहा मुझे प्लीज सारी बात बताओ । चेतन ने उसे मारिया और अपने साथ घटी घटना विस्तार से बता दी । सब सुनकर सारिका ने कहा, मैं कहती थी कि ये मेरा बहन नहीं है । कोई आत्मा हमारे घर पर रह रही है । न जाने वह क्या चाहती है पर इतना तय है कि वो हमें नुकसान नहीं पहुंचाना चाहती । हम से कुछ कहना चाहती है । सारिका की बात सुनकर मारिया बोली जो भी हो मेरे साथ जो कुछ भी हुआ उससे मैं बहुत डर गयी हूँ । अब मैं और इस घर में नहीं रहूंगी । सुबह होते ही मैं गोवा में अपने गांव चली जाऊंगी । मुझे माफ कीजियेगा । मारिया की बात सुनकर चेतन ने कहा, ये क्या कह रही हो? मारिया सारिका के तबियत ठीक नहीं है । उसे देखभाल की जरूरत है । सॉरी सर, पर मेरी हिम्मत जवाब दे गई है । अब मैं आप लोगों के साथ नहीं रह सकती । मेरी राय तो ये है कि आपको भइया ना रहे । जैसे मारिया ने कहा था । अगली सुबह उन लोगों से विदा लेकर अपने गांव चले गए । चेतन ने भी यही उच्च समझा क्या और वहाँ आ रहा जाए । वह दोनों कुछ दिनों के लिए नंदनी के घर रहने चले गए । उसके बाद चेतन ने अपनी पुरानी सोसाइटी में एक फ्लैट किराए पर ले लिया । दोनों वहीं रहने लगे । सारिका की देखभाल के लिए नंदिनी ने सुशीला को फिर से उनके घर काम पर लगा दिया । तो दोस्त हूँ अभी के लिए इतना ही बाकी की बातें करेंगे । अगले एपिसोड में आप सुनते रहे तो फॅस सुने जो मंचा है मैं वो शिवांग लेता हूँ विदा
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