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Chapter 13 in Hindi

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AuthorNitin Sharma
उल्लास से भरे सुहाने मौसम में कांटे की चुभन ने नमिता को उसका बीता हुआ कल याद दिला दिया , और नमिता अपने जीवन के बीते हुए पल में गोता लगाने लगी writer: ओमेश्वरी 'नूतन' Voiceover Artist : RJ Saloni Author : Omeshwari 'Nootan'
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चैप्टर थर्टी नमिता को छोडने के बाद मुझे एक मित्र के पास भी जाना है । भाभी मैं दो दिन बाद ही लौटूंगा । तब तक आपको अपना ख्याल रखना होगा । भावी अशोक ने कहा आप निश्चिंत होकर जाए, मुझे बना क्या होगा? फिर नमिता की ओर मुड कर पूनम ने आगे कहा, नमिता तो तुम पापा जी का ख्याल रखना और यहाँ हुई सभी बातों के बारे में बिल्कुल भी जिक्र नहीं करना । तुम तो जानती हूँ कि माँ के स्वर्गवास होने के बाद पिताजी के पास अब ज्यादा सहनशक्ति नहीं रही । वैसे अपने अपने हिस्से का सुख दुख हम सबको खुद ही सहन करना पडता है तो पापा जी का अच्छे से ख्याल रखना । ध्यान रहे उन्हें किसी भी प्रकार की टेंशन नहीं देनी है । ठीक है दीदी मैं अपनी ओर से पूरी कोशिश करूंगी कि पापा को कोई परेशानी ना हो । पर आप सिटी विनती है कि खुद पर कोई अन्याय मत होने देना और ऐसी ऐसी कोई बात हो तो मुझे जरूर बताना । माँ नहीं रही और पापा बीमार है तो क्या हुआ? हम दोनों है दूसरे के लिए तुम ठीक ऍम । अब मुझे भी तुम्हारे बारे में सोचना होगा । सही समय और परिस्थिति बनते ही अशोक के साथ तुम्हारे रिश्ते की बाद सासु माँ से कर होंगे तब तक तो मैं भी अपना ख्याल रखना होगा । ठीक है दीदी अब मैं चलती हूँ पर जाने से पहले भगवान से दुआ मांगती हूँ कि आपको सब दुखों से बचाने के लिए आपकी सोनी गोद में एक ग्यारह सौ फूल खिला दे । आपसे वादा चाहती हूँ दीदी नमिता ने कहा क्या है बोलना पूनम ने कहा आपने उस दिन मुझे बातों ही बातों में जीवन से मुक्ति पाने की बात कही थी । हो सकता है कि आप कहकर भूल गए होंगे लेकिन मेरा मन अभी घबरा रहा है । तो आज जाने से पहले वादा चाहती हूँ कि जीवन में चाहे जो भी परिस्थितियां जाएगा, कभी हार नहीं मानना और आत्महत्या जैसे कायराना काम कभी मत करना । और ये बात में आप के लिए नहीं बल्कि अपने स्वार्थ के कारण कह रही हूँ । क्योंकि आप तो जानते ही हूँ कि आप के अलावा मेरा और कोई सहारा नहीं है । अरे बदली है वो तो ऐसे ही मुंह से निकल गया था । किशोर के लिए भी तो मुझे हर हाल में जीतना ही होगा । और फिर तुम अशोक सब मेरे साथ । फिर मुझे किस बात की चिंता थोडे बहुत उतार चढाव तो जीवन में आते ही रहते हैं । उससे घबराना । अच्छा चल । अभी आॅल मेरे लिए ज्यादा परेशान होने की जरूरत नहीं है । मैं सब संभाल लुंगी देखो । पहली बार अशोक के साथ अकेले जा रही है । सब बातें भूलकर उसके साथ पूरे मन से रहना और उसे समझने की कोशिश करना ठीक है । दीदी चलती हूँ, वहां पहुंचकर फोन जरूर कर देना । पूनम ने कहा बात रहे तुम बहनों की बात है जो खत्म ही नहीं हो रही । तुम्हारा इंतजार करते करते मुझे तो नींद आने लगी है । अशोक निकाल का दरवाजा खोलते हुए आगे कहा जा रहा है भावी ऑफिस के काम से मुझे भी कहीं जाना है तो दो दिन बाद लौटूंगा । ठीक है कहते हुए पूनम ने हाथ हिला दिया । सडक की छाती को रोती हुई कार तो आगे बढ रही थी लेकिन अशोक और नमिता के दिल की धडकन उससे भी तेज चल रही थी । पहली बार दोनों अकेले चल रहे थे । दिल में उमंगे हैं । आकार प्यार है । कहने के लिए भी बहुत कुछ है परंतु जुबान हैं की साथ ही नहीं दे रही है । इस तरह दोनों खामोश है । इधर नमिता एवं अशोक के जाने के बाद घर में अकेली पड गई । पूना दरवाजे पर ही कुछ देर खडी रही और फिर से अकेलापन उसे डरा रहा था । पर वो ये भी जानती है पर वो ये भी जानती है कि दरवाजे पर खडे रहकर भी कुछ मिलने वाला नहीं है । अच्छा मैं सचमुच धन हो गया भाभी की आप मेरे स्वागत के लिए दरवाजे पर खडी हैं । कार से उतरते हुए प्रताप ने कहा बिना किसी जवाब के पूर्ण अंदर जाने लगी तो प्रताप भी उनके पीछे पीछे जाते हुए कहने लगा आप मुझसे नफरत क्यों करती है? भावी इतना बुरा तो नहीं हूँ । मैं कैसे आना हुआ? पूनम ने आगे बढते हुए ही पूछा ये मेरा अपना घर है तो मैं समझता हूँ कि यहाँ आने के लिए मुझे करन की जरूरत नहीं है । पर हाँ अभी मैं अकारण भी नहीं आया हूँ । आपकी बहन नमिता से मिलने की इच्छा हुई तो चलाया । प्रताप ने कहा आपने देर कर दी देवर जी नमिता तो अशोक के साथ चली गई । पूनम ने कहा कहाँ चली गई और वो भी अशोक के साथ? अकेले गांव के लिए ट्रेन तक छोडने के लिए गया है । अशोक पूनम ने कहा, मैंने तो कल नमिता से कहा था कि उसे मैं उसके घर तक छोड आऊंगा । फिर भी आपने उसे अशोक के साथ जाने दिया । ये आपने ठीक नहीं किया भी नहीं । मुझे किसी से कोई खबर नहीं मिली है । उन्होंने कहा, तो आपने जो आपसे कहने जा रहा हूँ उसे ध्यान से सुनो और समझ लो कि मैंने मन से नमिता को अपना मान लिया है । मुझे नमिता पसंद है और जल्द ही मैं वहाँ से भी इस संबंध में बात करने वाला हूँ कि अपने संबंध में नमिता से बात की है । पूनम परेशान हो गई, उस से भी बात कर लूंगा लेकिन आपको हमारे रिश्ते के लिए हाफ करनी ही होगी । जिस तरह से अशोक का हमारे बीच में लाने की कोशिश कर रही हूँ ये बिल्कुल भी अच्छी बात नहीं है । प्रताप में दबाव बनाते हुए कहा मुझे बिना वजह ही डाट रहे हैं, ये बात अच्छी नहीं है । पूनम ने कहा, आपसे बहस करने के लिए समय नहीं है मेरे पास फिलहाल तो मुझे जाना होगा । मैं आपकी तरह नमिता को अशोक के साथ अकेले नहीं छोड सकता । हम आके आते ही उन्हें मेरे घर भेज देना कहकर प्रताप वहाँ से चला गया । कहते हैं प्रेम ईश्वर का वरदान होता है और वो जिनके हृदय में प्रेम लगता है उस पर अपनी कृपा दृष्टि भी बनाए रखता है । जैसे हम सहयोग कहते हैं और ऐसा ही संयोग आज नमिता और अशोक के साथ भी हुआ । नमिता की ट्रेन तीन घंटे लेट हो गई । अब तुम जाओ अशोक तो मैं काम भी है । मैं ट्रेन आने पर चली जाऊंगी । नमिता ने कहा क्या तुम सचमुच चाहती हो? नमिता की मैं चला जाऊँ? अशोक ने पूछा मेरे चाहने से क्या होगा शोक मेरा मन तो तुम से एक पल के लिए भी दूरी नहीं चाहता है । तो फिर चलो इन तीन घंटों को हम अपने लिए वरदान बना ले । आओ कहीं चलते हैं । अशोक ने कहा । जवाब में नमिता ने मुस्कुराकर मौन स्वीकृति दे दी पिछले चार सालों से मैं तो मैं जानता हूँ और प्रेम भी करता हूँ इस विश्वास के साथ कि तुम्हारे दिल में भी मेरे लिए वही भावना है जो प्यार तो भारी लिए मेरे दिल में है । छत्तीस घंटे पहले जब से हमारे बीच भावनाओं का आदान प्रदान हुआ है तब से ऐसा लग रहा जैसे सारी दुनिया बदल गई है । ऐसा लगता है कि वक्त की रफ्तार थम जाएगा और तुम मुझसे एक पल के लिए भी दूर न जाओ । मैं तुमसे कुछ कहता रहा हूँ और तुम सुनती रहूँ या तुम कहते रहो और मैं सुनता हूँ बिल्कुल ऐसे ही मेरी भी हालत । शोक तो उनसे दूर जाने का मन नहीं है । नमिता ने कहा तो फिर क्यों जारी हो कुछ दिन और रुक जाओ ना? अशोक ने कहा रुक तो जाती लेकिन जानते तो पिताजी की तबीयत ठीक नहीं रहती और उनकी देखभाल के लिए कोई नहीं है । आखिर तुम अपनी मीठी मीठी बातों का जाल बिछाकर नमिता को फंसाने की कोशिश में लगे हुए हैं । शोक कॉफी हाउस में बैठे नमिता एवं अशोक के टेबल के पास कुर्सी खींचकर बैठे हुए प्रताप ने कहा, तुम यहाँ अशोक में काफी अधूरी छोडकर उठते हुए कहा क्यों? तो मैं कॉफी हाउस को खरीद रखा है क्या? जहाँ पर भी मुझे तुमसे अनुमति लेनी होगी तो ठीक है आप यहाँ आराम से बैठे हम लोग चले जाते हैं । चलो क्या कर नमिता उठकर जाने लगी । नमिता सुनो तो सही प्रताप की उनके पीछे हो लिया । देखो प्रताप इस समय में तुम से उलझना नहीं चाहता तो हमें अकेला छोड दो । अशोक ने कहा ताकि तुम अपना काम छोडकर उस मनहूस की बहन के साथ इस तरह आवारागर्दी करते । फिर ओ अशोक की माने पीछे से आते हुए कहा माँ आप भी यहाँ अशोक को अश्चर्य हुआ तो अभी मेरे साथ चलो शोक नमिता को रेलवे स्टेशन छोडना था तो वो तो तुम कर ही चुके हो । नमिता ट्रेन आ जाएगा, फिर चलते हैं तब तक अभी रुकिए । अशोक ने कहा नहीं तो मैं अभी मेरे साथ चलना होगा । ट्रेन आने पर नमिता चली जाएगी । इसके लिए क्यों रुकना? तो वे अपने काम की परवाह नहीं है । क्या माने डांटते हुए कहा ये ठीक नहीं । आपको ऐसी बातें नहीं करनी चाहिए । मैं नमिता को ट्रेन में बिठाकर ही जाऊंगा । अशोक ने कहा क्या अच्छा है क्या बुरा है अब तो मुझे खाओगे ये तुम नहीं । अशोक इस लडकी की संगती बोल रही है । एक तो नाम क्या काम मेरे घर की सुख शांति को बर्बाद करने के लिए जो नमिता के भी बहकावे में आ रहे हो । माने आवेश में कहा यहाँ इस तरह बवाल खडा मत करो ना । अब प्रताप के साथ घर जाइए, घर पर आराम से बात करेंगे । अशोक ने कहा नहीं अशोक मैं तुम्हें लेने आई हूँ और लेकर ही जाऊंगी । इसके साथ अकेले नहीं छोड सकती । बोनम की मीठी मीठी बातों में आकर एक धोखा खा चुकी हूँ । अब नमिता की ओर तुझे बढने नहीं होंगी । मान ने अपने मन की बात कहती तो ठीक है । आइये वहां बैठ कर बात करते हैं । कहकर अशोक एक पेड की ओर बढ गया । माँ प्रताप और नमिता भी उसके पीछे हो लिए । ये क्या तरीका है शोक माँ की बात मानने की जगह तुम उन्हें अपने पीछे पीछे घुमा रहे हो । प्रताप ने कहा तुम तो चुकी रोक लेता हूँ और एक बात सुन लो माँ को अपने पीछे मैं नहीं घुमा रहा हूँ बल्कि तुम लेकर आए हो मेरे पीछे इस तरह तमाशा करने के लिए । अशोक ने कहा इस लडकी के लिए तुम दोनों भाई क्यों लड रहे हो? ये तो यही चाहती है कि हमारे घर में कोहराम मचा रहे और पूनम के बाल बचपन से हमारा ध्यान हट जाए । ऐसी लडकी किसी की नहीं हो सकती है इसलिए तो मुझे पसंद नहीं । मैंने कहा आप तो भाभी को भी छोटे घर आने की लडकी कहकर किशोर भैया की उनसे शादी करने के लिए मना कर रही थी । हाँ और आज देखिए भावी के आने के बाद भैया की उन्नति दिन दोगुनी रात चौगुनी होती गई । अशोक ने कहा तो क्या कहना चाहते हो शुक मैंने पूछा वही माँ जो आप समझ रही हैं । मैं नमिता को पसंद करता हूँ और शादी भी करना चाहूंगा । अशोक ने मन की बात कहती ऐसा कभी नहीं होगा । मैं होने ही नहीं दूंगी । माने दृढतापूर्वक कहा क्यों नहीं हो सकता? अशोक ने पूछा क्योंकि पूनम बांध है और उसकी बहन को अपने घर की दूसरी बहू बनाने का जोखिम मैं नहीं ले सकती । माँ के स्वर से आवेश लग रहा था फिर वही बात माँ हाँ अशोक एक बार नहीं बल्कि हजार बार अपने को दोहराऊंगी की पूनम में मेरे घर को कुलदीपक न देकर अंधेरा कर दिया है । उम्मीद की किरण तुमसे दिखाई दे रही है । उसी में इतनी नहीं होंगी । माननी गंभीरतापूर्वक कहा अब कहना क्या चाह रही हुमा अशोक याकुल हो गया । मेरा मतलब साफ है बेटा की मुझे डर है कि नमिता भी कहीं पूनम की तरह बांचना हो । मैंने कहा ट्रेन का समय हो रहा है । शोक मैं चलती हूँ । नमिता ने अशोक को टोकते हुए कहा ठीक है नमिता चलो मैं तुम्हारे साथ प्लेटफॉर्म तक चलता हूँ । कहते हुए अशोगी नमिता के पीछे चला गया और प्रताप एवं माँ देखते ही रह गए । मैं क्या कह रही थी चलते चलते नमिता ने पूछा कुछ खास नहीं । अशोक ने कहा मुझसे तो में कुछ नहीं छुपाना चाहिए । अशोक नमिता ने कहा मैं तुम से कुछ भी नहीं छू पाऊंगा ना । मैं कहा पर अभी तो आराम से जाओ । मन में कोई बात मत रखो । समय आने पर सब कुछ बता दूंगा । मुझे डर लग रहा शोक नमिता ने कहा तुम परेशान मत दोनों में था । मैं होना सब संभालूंगा । ठीक है मैं चलती हूँ है ।

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