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सुनीराम बहुत तेरह । जब वे ध्वनि उठने लगी एवं अग्नि से सुगंधित द्रव्यों का सुवासित दुआ उठने लगा तो राॅबिन डालने के लिए आने लगे । जो भी आता राम उस पर अपने बडो की वर्ष कर देते थे । जो भाग जाते हैं ये बच जाते हैं । जो नहीं भागते थे ये मर जाते थे । पहले दिन तो कुछ विशेष घटना नहीं हुई । उस राक्षस मारे गए, चेस भाग गई । रात के समय जब सब विश्राम करने के लिए तैयार हुए तो राम ने पूछ लिया गुरु जी आपका यज्ञ तो किसी प्रकार से भी यहाँ के रात हो कस्ट नहीं देता । इस पर भी ये बार बार इसमें विभिन्न डालने क्यों आते हैं? विश्व मित्र ने इसका कारण बताते हुए कहा सादा से यह नीति चली आ रही है कि दुर्जन लोग श्रेष्ठ दलों के श्रेष्ठ कार्यों में बाधा उत्पन्न करते हैं । टेस्ट लोगों के कारण उनके दूराचार उजागर होते हैं । वो उन का सार्वजनिक बहिष्कार होता है । इससे उनमें हीन भावना उत्त्पन्न होती है । इसका निराकरण करने के लिए वेस्ट वेस्ट जनों को ही मारने को तत्पर हो जाते हैं । आज लंकापति रावण जो यहाँ से चार सौ योजन के अंतर पर लंका पर राज्य करता है, सभी दुर्गुणों का प्रतीक है । उसने छल और बल से अपने भाई से लंका का राज्य हथियार तो अच्छा चल से देव लोग को विजयकर देवताओं से भी कर लेता है । उसने आर्यव्रत निवासी भार्इयों पर भी आक्रमण कर दिया था । वह आर्य राजाओं को राजीव नहीं कर सका । एक बार वह सेना लेकर विन्ध्याचल प्रदेश में जा पहुंचा । वह राज्य को विजय कर वहाँ अपना राज्य स्थापित करना चाहता था । इंडिया चल प्रदेश के राजा अर्जुन ने उसे सहजीव बंदी बना लिया । पीछे संधि हुई तो रावण को समझ आ गया कि वह आदिया राजाओं को पराजित नहीं कर सकेगा । अतः उसने आर्यव्रत को विजय करने का ढंग बदल लिया है । शस्त्रों से आक्रमण कर विजय न कर सकने पर उसने इस देश को विजय करने का एक दूसरा उपाय करना आरंभ कर दिया है । उसने ऍम यहाँ भेजे हुए हैं । वे गांव के गांव लूटकर बर्बाद करते जाते हैं । वो किसी से जमकर युद्ध नहीं करते हैं, छापे मारते हैं और आर्यो को लूट मारकर अकेले मिलने वालों को खाकर विन्ध्याचल के दक्षिण के वालों में जान सकते हैं । इस प्रकार पूर्ण विन्ध्याचल प्रदेश के गांव गुजर रहे हैं । लोग अपने घरों को छोड छोड कर भाग रहे हैं और जब कोई गांव अथवा नगर जान सुननी हो जाता है तब धीरे धीरे वहाँ वन बन जाता है । ये लोग तब वहाँ पशुओं को एकत्रित कर अपने खाने पीने का प्रबंध करते हैं और वहीं अपना निवास स्थान बना लेते हैं । मध्यप्रदेश अघोषित रूप से राक्षस प्रदेश बन जाता है । इस प्रकार वे अपनी संस्कृति को धीरे धीरे उत्तर की ओर बढा रहे हैं । इस वन के समेत बसे गांव को भी रावण के राक्षसों ने मारीज के नेतृत्व में उजाडा है और अब वे हमे भी खदेडना चाहते हैं जिससे यह वनस्थली भी सगन वन में परिवर्तित हो जाए । इस प्रकार इनकी राक्षस संस्कृति विस्तार बार रही है । यह है इसके मन में हमारे प्रति इनके व्यवहार का कारण । मारीज को जब अपनी माँ के मारे जाने की सूचना मिली तो वह अपने साथियों के साथ इस वन में आतंका । वह एक मुसल योग था । उसे जब पता चला कि उसकी माँ को मारने वाले दो युवक राजऋषि विश्वामित्र के आश्रम में है तो मैं उनसे युद्ध करने सलाया और युद्ध हुआ । दोनों ओर से डटकर मुकाबला हुआ । अत्याधिक राक्षसों का जन्म हुआ और मारीज घायल हुआ तो उसके साथ ही उसे उठा दम ले गए । इस पर यहाँ घूमने डालने वाले भागने लगे और यह चलता गया । शीघ्र ही सिद्धाश्रम का भवन राक्षसों से मुक्त हो गया और जैसी विश्वामित्र के यह की रक्षा में सफलता के साथ साथ राम लक्ष्मण का व्यवहार एक प्रकार से दोनों भाइयों की परीक्षा थी जिसमें वे दोनों सफल रहे । अब रावण के विरुद्ध युद्ध के लिए राम को तैयार करना था । भविष्य होने वाले राम और राक्षसराज रावण के युद्ध का संतुलन बनाने के लिए देशी विश्वामित्र को अपने दिव्यास्त्रों के लिए सुपात्र मिल गए थे । उनकी शिक्षा रामगढ लक्ष्मण को मिल लेते हैं ।
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