Made with in India
बयान बारवा वीरेंद्र सिंह और तेजसिंह नौगढ की किले के बाहर निकल बहुत से आदमियों को साथ लिए चंद्रप्रभा नदी के किनारे बैठे शोभा देख रहे थे । एक तरफ से चंद्रप्रभा दूसरी तरफ से कर्मनाशा नदी बहती हुई आई है और किले के नीचे दोनों का संगम हो गया जहाँ कुमार और तीन सिंह बैठे हैं । नदी बहुत चौडी हैं और इस पर साखो का बडा भारी जंगल है जिसमें हजारों मोर तथा लंगूर अपनी अपनी बोलियों और किलकारियों से जंगल की शोभा बढा रहे हैं तो ओवर वीरेंद्र सिंह उदास बैठे हैं । चंद्रकांता की विरहा में मोहरों की आवाज तीर सी लगती है । लंगूरों की किलकारी वजह सी मालूम होती है । शाम की धीमी धीमी ठंडी हवा लू का काम करती है चुपचाप बैठे नदी की तरफ दे कुछ भी सांस ले रहे हैं इतने में एक साधु रामरज से रंगी हुई कफनी पहने रामनंदी तिलक लगाए हाथ में खंजरी लिए कुछ दूर नदी के किनारे बैठा ये गाता हुआ दिखाई पडा गए चुनारगढ क्रूर बहुरंगी लाए चार्चित तारी संगम में उनके पंडित देवता जो है सगुण विचारी इनसे रहना बहुत संभाल के रमल चलेहड थी का क्या बैठे हो तुम बेफिक्र हें, काम करो कोई भारी । ये आवास कान में पढते ही तेज सिंह ने गौर से उस तरफ देखा । वो साधु भी नहीं की तरफ होकर के गा रहा था । तेज सिंह को अपनी तरफ देखते दाद निकालकर दिखला दिए और उठ के चलता बना । वीरेंद्र सिंग अपनी चंद्रकांता के ध्यान में डूबे हैं । उनको इन सब बातों की कोई खबर नहीं । वे नहीं जानते कि कौन गा रहा है या किधर से आवाज आ रही है । एक तक नदी की तरफ देख रहे हैं । तेज सिंह ने बाजू पकडकर हिलाया । कुमार चौक पडे । तेज सिंह ने धीरे से पूछा कुछ सुना? कुमार ने कहा क्या? नहीं तो हूँ । तेज सिंह ने कहा होती है अपनी जगह पर चलिए जो कुछ कहना है वहीं एकांत में कहेंगे । वीरेंद्र सिंह संभल गए और उठ खडे हुए । दोनों आदमी धीरे धीरे किले में आया और अपने कमरे में जाकर बैठे । अभी कांत है सिवा इन दोनों के समय कमरे में कोई नहीं है । नरेंद्र सिंह ने तेजसिंह से पूछा कहूँ क्या कहने को थे? तेज सिंह ने कहा सुनिए ये तो आपको मालूम हो ही चुका है कि क्रूड सिंह महाराज शिवदत्त से मदद लेने चुनारगढ गया है । अब उसके बाहर जाने का क्या नतीजा निकला वह भी सुनी वहाँ से शिवदत्त ने चार और एक ज्योतिषी को उनके साथ कर दिया है । वह ज्योतिषी बहुत अच्छा रमल फेंकता है । नाजीम पहले से उसके साथ है । अब इन लोगों की मंडली भारी हो गई । ये लोग कम फसाद नहीं करेंगे इसलिए मैं आज करता होगी आप संभाल कर रही है । मैं आप काम की फिक्र में जाता हूँ । मुझे यकीन है कि उन्हें आरो में से कोई ना कोई जरूर इस तरफ भी आएगा और आपको फंसाने की कोशिश करेगा । आप होशियार रही है और किसी के साथ कहीं ना जाइएगा । ना किसी का दिया कुछ खाइएगा बल्कि इत्र, पूल वगैरह भी कुछ कोई देख तो ना सोंग रहेगा और इस बात का भी ख्याल रखिएगा कि मेरी सूरत बना के भी वे लोग आए तो ताजुब नहीं इस तरह मुझको पहचान लीजिएगा । देखिए मेरी आपके अंदर नीचे की तरफ एक दिल है जिसको कोई नहीं जानता । आज से लेकर दिन में चाहे जितनी बार जब भी मैं आपके पास आया करूंगा, इस तिलको छिपे तौर से दिखलाकर अपना परिचय आपको दिया करूंगा । अगर ये काम में ना करूँ समझ लीजिए गा की धोखा है और भी बहुत सी बातें तेज सिंह ने समझाए जिनको खूब गौर के साथ कुमार ने सुना और तब पूछा तो उन को कैसे मालूम हुआ कि चुनारगढ से इतनी मदद इसको मिली है । तेज सिंह ने कहा किसी तरह हमको मालूम हो गया उसका हाल भी कभी आप पर जाहिर हो जाएगा । अब मैं रुक्सत होता हूँ । राजा साहब या मेरे पिता मुझे पूछे तो जो मुनासिब हो तो कह दीजिएगा । पहर रात रहे तेजसिंह तैयारी के सामान से लैस होकर वहाँ से रवाना हो गए । जब ना बालादेवी के लिए मर्दाने भेज में शहर से बाहर नहीं आधी रात बीत गई थी । साफ छिटकी हुई चांदनी पीके का एक जी में आया की नौगढ चलूँ और तेज सिंह से मुलाकात करूँ । इसी ख्याल से कदम बढाए नौगढ की तरफ चलिए उधर तेजसिंह अपनी असली सूरत में आरी के समान से सजे हुए विजयगढ की तरफ चले आ रहा था । इत्तेफाक से दोनों की रास्ते में ही मुलाकात हो गयी । चपला ने पहचान लिया और नजदीक जाकर अपनी असली पोली में पूछा कहीं आप कहाँ जा रहे हैं? तेज सिंह ने बोली से चपला को पहचान और कहा वहाँ हुआ क्या? मौके पर मिल गई नहीं तो मुझे बडी मेहनत तुमसे मिलने के लिए करनी पडती क्योंकि बहुत ही जरूरी बातें कहनी थी आओ जगह बैठो । एक साफ पत्थर की चट्टान पर दोनों बैठ गए । चपला ने कहा हूँ वो कौनसी बाते हैं । तेज सिंह ने कहा सुनो ये कदम जानती हूँ की क्रूर चुनारगढ गया है । अब वहाँ का हाल सुनाओ । चार और एक पंडित जगन्नाथ ज्योतिषी को महाराज शिवदत्त ने मदद के लिए उसके संग कर दिया है और वे लोग यहाँ पहुंच गए हैं । उनकी मंडलिया भारी हो गई और इधर हम तुम दो ही है इसलिए अब हम दोनों को बडी होशियारी करनी पडेगी । वे आर लोग महाराणा जयसिंह को भी पकडने जाए तो ताजुब नहीं चंद्रकांता के वास्ते तो आएगी है । इन्हीं सब बातों से तुम्हें होशियार करने मैं चला था । चपला ने पूछा फिर अब क्या करना चाहिए? तेज सिंह ने कहा एक काम करो । मैं हरदयालसिंह नए दीवान को पकडता हूँ और उसकी सूरत बनाकर दीवान का काम करूंगा । ऐसा करने से फॅार सब नौकर हमारे हुकमा में रहेंगे और मैं बहुत कुछ कर सकूंगा । तुम भी महल में होशियारी के साथ रहा करना और जहाँ तक हो सके एक बार मुझसे मिला करना । दीवान तो बना रहूंगा ही मिलना कुछ मुश्किल होगा बराबर असली सूरत में मेरे घर था हरदयालसिंह के यहाँ मिला करना मैं उसके घर में भी उसी की तरह रहा कर होगा । इसके अलावा और भी बहुत सी बातें तेज सिंह ने चपला को समझाएँ । थोडी देर तक चहल रही । इसके बाद चपला अपने महल की तरफ रुखसत भी तेज सिंह ने बाकी रात उसे जंगल में काटी और सुबह होते ही अपनी सूरत एक गंधी की बना कई ही क्षेत्र को कमर और दो एक हाथ में ले विजयगढ की गलियों में घूमने लगे । तीन भारी धरोधर फिरते रहे । शाम के वक्त मौका देख हरदियाल सिंह के मकान पर पहुंचे । देखा दीवान साहब लेते हुए हैं और दो चार दोस्त सामने बैठे कपडे उडा रहे हैं । बाहर भी डर खूब सन्नाटा है । तेजसिंह इत्र की शीशियां लिए सामने पहुंचे और सलाम कर बैठ गए । तब कहा लखनऊ का रहने वाला गंदी हूँ । आप का नाम सुनकर आप ही के लायक अच्छे अच्छे इतने लाया हूँ । ये कह शीशी खोल वहाँ बनाने लगे । हरदयालसिंह बहुत राहम दिल आदमी थे । इधर सुनने लगे और वहाँ सोंग सोंग अपने दोस्तों को भी देने लगे । थोडी देर में हरदयालसिंह और उसके सब दोस्त बेहोश होकर जमीन पर लेट गए । तेज सिंह ने सभी को उसी तरह छोड हरदयालसिंह की कंट्री बांध पीठ पर लादे और मुंह पर कपडा हो नौगढ का रास्ता लिया । रह में अगर कोई मिला भी तो धोबी समझकर ना बोला । शहर के बाहर निकल गए और बहुत तेजी के साथ चल कर उसको हमें पहुंचे जहां अहमद को कैद किया था । किवाड खोलकर अंदर गए और दीवान साहब को उसी तरह बेहोश वहाँ रख मोहर की । उनकी अंगूठी उंगली से निकली कपडे भी उतार लिए और बाहर चले गए । बेड डालने और होश में लाने की कोई जरूरत ना समझे । तुरंत लॉट विजय गढाकर हरदयालसिंह कि सूरत बनाकर उसके घर पहुंचे । इधर दीवान साहब के भोजन करने का वक्ता पहुंचा । लांडी बुलाने आई देखा की दिवार साहब तो है नहीं । उनके चार पांच दोस्त गाफिल पडे हैं । उसे बडा ताजुब हुआ और एकाएक चिल्ला उठी उसकी चिल्लाहट से नौ करोड रुपया दिया पहुंचे तथा ये तमाशा देख हैरान हो गए । दीवान साहब को इधर उधर ढूंडा मगर कहीं पता नहीं लगा
Voice Artist