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बयान ग्यारवां क्रूर सिंह को बस एक यही फिक्र लगी हुई थी कि जिस तरह बने वीरेंद्र सिंह और तेज सिंह को मार डालना ही नहीं चाहिए बल्कि नौगढ कर राज्य ही गारत कर देना चाहिए । नाजीम को साथ लिए चुनारगढ पहुंचा और शिवदत्त के दरबार में हाजिर होकर नजर दिया । महाराज से बखूबी जानते थे इसलिए नजर लेकर हाल पूछा । क्रूड सिंह ने कहा महाराज जो कुछ हाल है मैं कांत में कहूंगा । दरबार बर्खास्त हुआ, शाम को तकलीफ एकांत में महाराज ने क्रूर को बुलाया और हाल पूछे । उसने जितनी शिकायत महाराज जयसिंह की करते बनी की और ये भी कहा लश्कर का इंतजाम आजकल बहुत खराब है । मुसलमान सब हमारे मेल में हैं । अगर आप चाहे तो इस समय विजयगढ को फताह कर लेना कोई मुश्किल बात नहीं है । चंद्रकांता महाराज जयसिंह की लडकी भी जो खूबसूरती में अपना कोई सानी नहीं रखती । आप ही के हाथ लगी ऐसी ऐसी बहुत सी बातें के है उसने महाराज शिवदत्त को उसने पूरे तौर से भडकाया । आखिर महाराज ने कहा हमको लडने की अभी कोई जरूरत नहीं है । पहले हम अपने यारो से कम लेंगे, फिर जैसा होगा देखा जाएगा । मेरे यहाँ छह तैयार हैं, जिनमें से चार तैयार हो के साथ पंडित जगन्नाथ ज्योतिषी को तुम्हारे साथ कर रहे थे । इन सभी को लेकर तुम जाओ देखो तो ये लोग क्या करते हैं पीछे जब मौका होगा हम भी लश्कर लेकर पहुंच जाएंगे । वो तैयार हो के नाम थे पंडित बद्रीनाथ, पन्ना लाल, रामनारायण, भगवान दक्ष और घसीटा । सिंह महाराज ने पंडित बद्रीनाथ, रामनारायण भगवान दर्ज पर घसीटा । सिंह इन चारों को जो मुनासिब था कहा और इन लोगों को क्रूर सिंह के हवाले किया । अब ये लोग बैठे ही थे कि चोपदार ने आकर और क्या महाराज डॅडी पर कई आदमी फरयादी खडे हैं । कहते हैं हमलोग रोडसिंह के रिश्तेदार हैं । इनके चुनारगढ जाने का हाल सुनकर महाराज जयसिंह ने घर बार लूट लिया और हम लोगों को निकाल दिया । उन लोगों के लिए क्या होता है ये सुनकर करोड सिंह के होश उड गए । महाराज शिवदत्त ने सभी को अंदर बुलाया और हाल पूछा जो कुछ हुआ था उन्होंने बयां किया । इसके बाद रोडसिंह और नाजीम की तरफ देख कर कहा अहमद भी तो आपके पास आया है । नाजीम ने पूछा अहमद वो कहा है यहाँ तो नहीं आया । सभी ने कहा वहाँ वहाँ तो घर पर गया था और ये कहकर चला गया कि मैं भी चुनारगढ जाता हूँ । नाजीम ने कहा बस मैं समझ गया वो जरूर तेजसिंह होगा । इसमें कोई शक नहीं । उसी ने महाराज को भी खबर पहुंचाई होगी । ये सब फसाद सीखा है । ये सुनकर क्रूर सिंह रोने लगा । महाराज शिवदत्त ने कहा जो होना था तो हो गया, सोच मत करो । देखो इसका बदला जयसिंह से मैं कैसे लेता हूँ तो मैं भी शहर में रहो । हम आम के सामने वाला मकान तुम्हें दिया जाता है । उसी में अपने कुटुम्ब होगा । रुपये की मदद सरकार से हो जाएंगे । जरूर सिंह ने महाराज के रूप में के मुताबिक उसी मकान में डेरा जमाए । कई दिन बाद दरबार में हाजिर होकर क्रूर सिंह ने महाराज से विजयगढ जाने के लिए और क्या सब इंतजाम हो ही चुका था । महाराज ने मैं चार तैयार और पंडित जगन्नाथ जो किसी के साथ क्रूर सिंह और नाजीम कोविद आ गया यार लोग भी अपने अपने सामान से लैस हो गए । कई तरह के कपडे लिए बटुआ तैयारी का अपने अपने कंधे से लटका लिया, खंजर बगल में लिया, ज्योतिषी जीने की पोथी, पतरा आदि और कुछ तैयारी का सामान ले लिया क्योंकि वह थोडी बहुत तैयारी भी जानते थे । अब ये शैतान का झुंड विजयगढ की तरफ रवाना हुआ । इन लोगों का इरादा नौगढ जाने का भी था । देखिए, कहाँ जाते हैं और क्या करते हैं ।
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