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भाग - 02 in  |  Audio book and podcasts

भाग - 02

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"फंस जाओ मेरे लिए" का दूसरा भाग जो रीटा सान्याल की खोल सकता है पोल। क्या हुआ जब वो हवेली पहुंच गई? आखिर मैडिकल साइंस, पोस्टमार्टम रिपोर्ट्स और पुलिस इन्वेस्टीगेशन को कैसे चकमा दिया उसने?
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अध्याय दो आईएमएफ आलस में पार्टी समाप्त हो चुकी थी । पार्टी के दौरान जो शोरशराबे जैसा माहौल वहाँ बना था वो भी अब समाप्त हो गया था और इस समय पूरे पैलस में गहरा सन्नाटा व्याप्त था । नौकर बर्तनों के साथ सफाई में जुटे थे और बर्तनों की खनखनाहट भी कुछ कुछ वहाँ गूंज रही थी । लेडी आना गोंजाल्विस तथा लीटर सानिया था की हारी एक आकाश दान के सामने बैठी थी । पाकिस्तान में लकडियां पडी हुई थी जो चट चट करके चल रही थी । जब से तुम यहाँ से गए मेरी बच्ची समय बिलकुल अधूरी हो गए हैं । लुधियाना, पंजाब इसका बेहद भावुक ऍम जिंदगी में इतनी निराशा आ गई थी कि हर चीज बुरी लगती है । मैं तुम्हारी मनःस्थिति समझ सकती हूँ । आना डाॅॅ हूँ, लेकिन चिंता मत करो । अब मैं यहाँ आ गई हूँ । हमें सब ठीक कर दूंगी । तुम्हारी दवाइयों का चार्ट अपने अपने हाथ में ले । लुंगी और रोजाना बिल्कुल ठीक समय पर दवाई होंगे । तुम किसी बात की फिक्र मत करवाना । हाँ एक बात मैं तुमसे जरूर कहना चाहूंगी क्या? तो कितनी देर तक जाता मत कर देखो तुम्हारी आंखों के नीचे कैसे काले काले गड्ढे बढते जा रहे हैं । फॅमिली पर हाथ देखो खरीद वहाँ प्रे ये क्या है ये तो बहुत खतरनाक चीजें तो क्या हो गया चली गई थी ये ऍम इसका हाथ अपने हाथ में लेकर बोली तुम्हारे हाथों की नसे कुछ भी हुई दिखाई दे नहीं आना कल मैं तो मैं किसी अच्छे डॉक्टर के पास चेकअप के लिए ले चलेंगे नहीं बेटी तुम कैसी बात कर रही हूँ फॅमिली मुझे कुछ नहीं हुआ है बल्कि आप तो में और भी ज्यादा हो गई । इतना ये तो नहीं जानती हो ना । रीता सान्याल ने अपनी मौर्य प्लानिंग के पत्ते फैलाने शुरू करती है । कुछ बीमारियाँ ऐसी होती है जिनमें शुरू शुरू में कुछ भी पता नहीं चलता लेकिन बाद में वहीँ बीमारियाँ एका एक बडा खतरनाक रूप धारण कर लेते हैं । मुंबई के अंदर मेरी एक सहेली की मम्मी थी । वो देखने में बडी हल्दी नजर आती थी । हरदम बडी तरोताजा बनी रहती है । मालू एक दिन क्या हुआ? क्या हुआ उन्हें घर में बडे जोर से चक्कर आया था । वो धडाम से नीचे गिर पडी । मैंने उनसे कहा डॉक्टर के पास चलो लेकिन वो नहीं मानी । उन्होंने कहा कि ये मामूली चक करें । फिर इसी तरह उन्हें दो तीन बार चक्कर हो रहा है और जानती हूँ । रीता सानिया बेहद नाटकीय जैसे में बोले तीन दिन पहले क्या हुआ? तीन दिन पहले वो चालीस बासी क्या मेरियाना गोंजाल्विस का मुंह खुला का खुला रहेगा? अगर कुछ दिन पहले कोई उससे इस बात को कहता था तो बहुत खुश होती क्योंकि वो मारना चाहती थी । लेकिन अगले रियाना गोंजाल्विस की जीने की इच्छा थी । एक ही दिन के अंदर उसमें बडा भारी परिवर्तन आ चुका था । इसके अलावा एक और बडी खतरनाक बात हुई आना । वीटा सालों से कुछ ऑर्डर आते हुए बोली क्या मेरी सहेली की मम्मी थी मेरी सहेली की जब मम्मी थी उनके हाथों की नसें भी इसी तरह नीली नहीं हो गई थी । अब ये मालूम नहीं कि उनकी न से मिली नहीं ली क्यों हुई थी लेडी आना कुंवर ज्यादा खबरा उठे वो आयु के कारण नीली होती जा रही नस ऊपर धीरे धीरे अपना हाथ फिर मिलेगी । चलो छोडो इन सब फॅमिली अब चल कर लेता हूँ । वैसे भी काफी रात हो चुकी है लेडी आना । गोंजाल्विस धीरे से कुर्सी ऍम फिर आहिस्ता आहिस्ता कदमों से चलते हुए अपने मेट्रो में पहुंचे और बिस्तर पर लेट गई । रिटर्सं न्यायालयों ने कम्बल बढा दिया और हाँ जी तरसाने और कुछ विचार कर बोली तो मेरा रात के समय आवाज तो सुनाई नहीं देती । नहीं है ना ऍम कुछ भयंकर बीमारी ऐसी भी होती है । पेशेंट को रात के समय आवाजें सुनाई देने लगती है और नहीं नहीं हरियाणा गुंजाल ने हर बढाकर का मुझे रात के समय कोई आवाज सुनाई नहीं दी थी । अच्छी बात है लेकिन अगर कभी इस तरह की आवाजें सुनाई दे आना तो मुझे बता देना जरूरी है । अब आप सोच रहे हो आना गुंजार बजने आंखे बंद कर ली कहीं वो गोवा के मीटर मार बीच पर ये बनाए छोटा सा कॉटेज था जैसे सचिन देवडा ने किराये पर था वो शांत रिबेरो नामक एक गुवानी औरत का काम था । शांत राॅकी उम्र मुश्किल से चालीस बयालीस साल थी लेकिन वो अपनी अप्सरा जैसी कहा को इतना संभाल कर रखे हुए थी । इतना निकल पॉलिश करके रखी हुई थी कि कोई भी उसे पैंतीस से ज्यादा नहीं कह सकता था । ऊपर से सितम ये कि वह भरी पूरी दुनिया में अकेली थी । कुछ साल पहले ये उसने अपने पति से तलाक ले लिया था और आज की तारीख में वो गुलछर्रे उडाते भरती थी । अपनी जिंदगी में वो कितने लडकों को खाना खराब कर चुकी थी इसकी आखिरी डिटेल खुद शांत रे बैंकों के पास थी शांत अरे ब्रो ने आगे बढकर ऍफ का दरवाजा खोला तथा फिर सचिन देवडा के साथ अंदर हुई ये तो आम तौर पर मैं प्रॉपर्टी किराये पर देना मुनासिब नहीं समझते । शांत राॅक बोली लेकिन तो मुझे शकल सूरत से शरीफ आदमी लगते हूँ इसीलिए मैंने ये रिस्क उठा लिया । अनाज तक मेरे पास दर्जनों किराय जा रहा है किराये की बडी बडी रखने ऑफ लेकिन मैं किसी को घास नहीं जाती टाइम क्यूँ? सचिन देवरा ने अपने हाथ में मौजूद भरी अटैची अंदर ले जाकर रखी । ॅ कोई बात नहीं, शांत जगह होली वो लोग मुझे नहीं जमीन ॅ नहीं किया तो मुझे जमा हूँ इसलिए दे दिया तो अब ये तो वक्त बताएगा कि मेरा फैसला सही है या गलत । बेफिक्र रहिए हमारे सचिन देखना बोला मैं आपके अकेले को ठेस नहीं पहुंचने दूंगा । अच्छी बात है मुझे खुशी होगी फॅार घुसते हैं वह काफी बडे हॉल में पहुंच स्कॉट इसमें कुलजमा तीन कमरें हैं शांत जगह होली एक कमरा तो यही है जिसमें इस वक्त तुम खडे हूँ । ऐसे तो ड्रॉइंग हॉल के तौर पर इस्तेमाल कर सकते हैं । इसके अलावा दो कमरे और है वो भी तो मैं नहीं खाती हूँ । शांत बैठो उस हॉल के कमरे का पहला दरवाजा बाहर करके बाहर निकले तो कॉलेज का बाकी हिस्सा नजर आ रहा है । ऍम देवडा को बाकी दो कमरे में नहीं आएगा । वो भी काफी बडे बडे कमरे थे और खूब हवादार थे । मैं समझती हूँ आॅटो में पसंद होगा उन्होंने बहुत अच्छा है । यहाँ की आबोहवा बेहद शानदार है । शांत राॅकी खोलते हुए थे तो देख सामने समुद्र की लहरों से टकरा टकराकर शीतल हवा के झोंके अंदर आते हैं । कभी मैंने फॅमिली बहुत दिल से खरीदा था लेकिन गृह जिंदगी के हालात बदलेंगे और हालात बदले तो मेरा इस्काॅन भी ना रहा जो पहले था हूँ । मैं क्या बातें नहीं थी । प्रशांत अखबारों ने उसे बाथरूम देखा है । शौचालय देखा । ठंडे गर्म पानी का सिस्टम उसे समझाया । शावक चालू करके दिखा सारे क्यों ब्लाॅक यहाँ सारा इंतजाम मौजूद हैं । शांत फॅमिली तो कुछ करने की जरूरत नहीं । सजन देगा काफी इम्प्रेस हुआ वहाँ सच मत सुख सुविधा के सारे साधन मौजूद है । टोमॅटो अकेले ही रहो, शांत है ब्रो उसकी तरफ घूमकर बोली वहाँ बिल्कुल अकेला खतम में शादी नहीं की । मैं अच्छी बात है । मैं भी अकेली हूँ । क्या आपने वे शादी नहीं की? नहीं शादी तो मैंने की शांति फॅमिली लेकिन मेरा अपने पति से भी पहुँच गया साढे इसमें साडी जैसी कोई बात नि शांत राॅय मेरे अपनी इच्छा से हुआ हूँ । मैं उससे नफरत करनी थी । हाँ, अगर वो ज्यादा दिन मेरे साथ रहता तो शायद मैं अच्छा आपको से उसका कलाकार डाल दिया । ऍम तो पक्का ऍम था हूॅं उसका ऍम बॅाक्स के मामले में बिल्कुल कुत्ते की साथ एक और अब से कभी मार्च का दिल नहीं था । खासतौर पर अगर वो और और बीवी हो तो ऐसी ही नहीं ऐसा ही वो था हमेशा पराई स्त्री के साथ सेक्स को एक छह रहता था । जहाँ कहीं भी वो अकेली अकेली औरत को देखता हूँ तो उधर उसके लाख घुटनों घुटनों तक तब तक नहीं लगती । बेटे का तो उसकी निगाह में कोई भी बायना था क्योंकि बीडी तो उसे हरदम हासिल थी । बीवी के साथ जिस्मानी रिश्तेदारी कायम करके बीवी के साथ सेक्स करके उसे अपने उस मतदान की का एहसास नहीं होता था जो किसी पडोस की औरत का मान मर्दन करके उसे अपनी मर्दानगी का एहसास होता था । जब किसी अकेली अकेली औरत को दबोचकर अट्ठाईस करती है, पांच जा करके है वो अपने आप को सूरमा समझता था । चाहे वो मेरी क्यों ना धोहनी क्यों ना चाहे वो कितना बडा गंदगी का नहीं लेकिन आई हंडिया पराई इंडिया आई इंडिया में चम्मच मारना और फिर अपनी बदले थपथपाना मारते की फितरत है । ऐसा था आपका वो मनाए सचिन देगा । हैरत से शांत रिबैरो को देखने लगा तो मैंने उसे समझाने की कोशिश नहीं की । सच नहीं होगा । बोला कि वो अपनी शहादत को छोड देते हो । समझाने की कोशिश की लेकिन वो मारने वाला कहा था । फिर मैं भी हरकत तरफ कराएं कि कैसे हर करता हूँ ऍम था उसी की तर्ज पर मैं होर बन गई । वो शब्द शांत रिबेरो ने इतनी सैलेरी से कहे कि सचिन नहीं थोडा भी अचंभित रह गया दे । इस तरह से किसी पढाई औरत का महान मर्दन करने में अपनी मर्दानगी का एहसास होता था । उसी तरह मैं भी दूसरे मर्दों के साथ जिस्मानी रिश्तेदारी करने में आत्मिक संतोष महसूस करने लगी । फिर तो बहुत हंगामा हुआ होगा । होना था हंगामा लेकिन फिर भी मुझे परवाह नहीं थी । शांत फॅमिली कम से कम मर्द इस मामले में बेवकूफ होता है वो नहीं जानता हूँ और जब तक फरमाबरदार बीवी होती है तब तक उससे बडी सती सावित्री कोई नहीं लेकिन अगर वही औरत एक बार फिसलना शुरू हो जाए तो उससे बडी छिनाल कोई नहीं । उससे बडी बेगैरत कोई नहीं और मैं उसी की देखा देखी छिनाल बन चुकी थी । जब मैं घर की मलाई छोडकर नुक्कड की जूठन चाट सकता है तो एक कम औरत क्यों नहीं कर सकती? और अकबरी क्यों बन दर्शक? बहरहाल मैंने हॅारर सारा झंझट ही खत्म कर दिया तो अपने यहाँ मैं अपने था चाहे तो कुछ कर चाहे मैं कुछ करूँ । दोनों खुश तो नौ हजार रोजाना । किल किल की बात है सचिन देवदास तब खडा रहा हूँ । एक बार वो पहले ही मुलाकात में खूब अच्छी तरह समझ गया कि शांत रहे । पहले बहुत आजाद खयाल और थी । जिंदगी से उसने बहुत तजुर्बा हासिल किया था और उसके रंग ढंग बता रहे थे कि आज की तारीख में वो अपनी सेक्स अपील को खूब जमकर के आज कर रही थी । कॅश ये सब जिंदगी के बच्चे हैं । शानदार इव रोहासी चाहे जितनी उधर दे रहा हूँ । ऍम खत्म होने वाली नहीं तो तुम अपनी बताओ तो गोवा में रह कर क्या करेंगे हम अभी तो कुछ सोचा नहीं सचिनदेव खुला अभी तो बेरोजगारी ॅ क्या करती है? अगर कभी मेरी मदद की जरूरत पेश आए तो मुझे हिचक शांत ॅ जरूर मदद कैसी भी हूँ शांत रिवेरो ने बडे प्रभाव से उसकी आंखों में झांका हिचकिचाना सचिन देवडा सकता हूँ मैं तुम्हारे लिए चौबीस घंटे तैयार नहीं होंगे । सचिन देवरा फिर याद रहे हैं चौबीस ऍम हम कुछ पूछना तो नहीं नहीं नहीं ठीक है तो फिर मैं चलती हूँ अपने कूल्हों में काम पैदा करती हुई बडी स्टाइल के साथ दरवाजे की तरफ बढ गए । सचिन देवडा का कलेजा उछल उछल कर हालत में आने लगा ।

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