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भाग - 14 in Hindi

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AuthorAmit Khan
"फंस जाओ मेरे लिए" का दूसरा भाग जो रीटा सान्याल की खोल सकता है पोल। क्या हुआ जब वो हवेली पहुंच गई? आखिर मैडिकल साइंस, पोस्टमार्टम रिपोर्ट्स और पुलिस इन्वेस्टीगेशन को कैसे चकमा दिया उसने?
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अध्याय चौदह मीटर मार बीच का स्टीमर पहुँच । ये वो जगह थी जो समुद्र के बिल्कुल किनारे थी पर जहाँ से यात्रियों से लदे स्टीमर आते जाते थे । लेकिन क्योंकि जहाँ के समय यात्रियों का आवागमन भी कुछ बंद हो जाता था तो वह सारे स्टीमर भी वहीं पार पर डेरा डाल देते हैं । इस समय भी वहाँ ढेर सारे स्टीमर खडे थे । दूर दूर तक सन्नाटा था । समुद्र की सतह पर भी ऐसा काला आवरण छाया था जैसे समुद्र का सारा पानी हो गया । आगे कुछ मिनी हाउस भरे हुए थे जिनकी छते लाल ढलवा थी और जो स्पेनी स्टाइल से रिजाइन किए गए थे उन्हें मिनी हाउसिंग में वो सारे बोटमैन रहते थे जो दिन में स्टीमर चलाते लेकिन उस समय कीमत पर कोई नहीं था । सब अपने अपने घरों में बांध थे । वहीं स्टीमर पॉइंट के नजदीक एक बीएमडब्ल्यू कार खरीद थी । इस समय बीएमडब्ल्यू कार के तमाम खिडकी दरवाजे अंदर से कसकर बंद थे और उसमें रीता सान्याल तथा सचिनदेव ना बैठे थे । उनकी निगाहें विंडस्क्रीन पर जमीन थी जो मीठा मार बीच का दूर दूर तक नजारा कर रहे थे । क्या टाइम हुआ? रीता सान्याल बोली सचिन डेवलॅप स्क्रीन में से छनकर आती चांद की रोशनी में अपनी फॅमिली ग्यारह बजने में पांच मिनट बाकी हैं । फिर बोला तो आ जाना चाहिए था उन दोनों को । साला सिंधी बहुत ऍम का आदमी है । सचिन नहीं बढता है और ऊषा तो उससे भी ज्यादा हिलती औरत है । जरूर दोनों किसी और खुराफात को अंजाम देने में बिजी होंगे । ऍम खामोश बैठे नहीं गाडी की फ्रंट सीट पर ही इस समय दो साइकिल चीन पडी हुई नहीं । इसके अलावा उन दोनों की जेब में से दो जर्मन में पिस्टल की मुझे भी बाहर झांक रही थी । ध्यान रहे हैं हमारे पास पिस्टल जरूर है, लेकिन इसका इस्तेमाल हमने किसी हालत में नहीं करना । इमरजेंसी में सिर्फ खोल देने के लिए धमकी देने के लिए जानता हूँ । बैठ रहा हूँ । काम भी कुछ चलती निपटना चाहिए । जीरा सानिया तो नहीं कुछ ऐसा सिर्फ मेरे हमलोग जहाँ रहेंगे उतना ही किसी की निगाह में आने का खतरा है । आपने समझता हूँ पांच मिनट से ज्यादा नहीं लगना चाहिए । किरपाराम को तुमने संभालना फॅमिली उषा को मैं संभाल होगी । ठीक है गाडी के अंदर फिर नहीं रफ्तार व्याप्त हो गई । उन दोनों की उत्सुकता बढ रही थी । निगाहें बार बार विंडस्क्रीन की तरफ जाती और बीच पर दूर दूर तक हारे सन्नाटे में किसी को खोज में लगते हैं तभी उन्हें दूर से दो साई आती दिखाई पडे जरूर वही दोनों है सचिन डेवलॅप गाडी की हेडलाइट चला लेकिन जलाओ सचिन देवरानी हेडलाइट चला तत्काल हाईबीम का विलक्षण प्रकाश आधे से ज्यादा स्टाॅपर फैल गया । हाईबीम की रोशनी में वो दोनों साइड भी नहीं है । वही दोनों हैं । सचिन देवरानी कर रहा है । एक तो सालों को कैसे इत्मिनान के साथ रहते हुए आ रहे हैं । लेने दो ही नहीं पहुंच लाइट बंद कर दूँ । कल तो सचिन देवरा ने हेडलाइट बुझाती फिर बीच पर अंधकार गया हूँ । कुछ क्षण बाद में वो दोनों गाडी केमेस्ट्री का है । जैसे ही वो दोनों नजदीक आए तभी रीता सान्याल और सचिन देवरा ने भी गाडी के दरवाजे खोले तथा वो बडी अलर्ट पोजीशन में नीचे उतरकर फॅमिली किरपाराम चलानी रेट आसानी से संबोधित हुआ । नहीं आना की मौत मुबारक होनी आना की रीटा सानिया ले का एक जहरीली नागिन की तरह आपका थी और अब तुम्हारी थी । उसी पल रीटर सानिया गाडी की फ्रंट सीट पर रखी साइकिल चीन की तरफ झपट पडी । सचिन नेहरा भी झगडा, किरपाराम, मूलचंदानी और अच्छा कुछ समझ पाते उससे पहले साइकिल छह उन दोनों के हाथ में आ गई । साइकिल चीन हाथ में आते ही वो मानशेर बन गए । ट्विटर सान्याल ने तो झपटकर साइकिल की चेन का भंडार ऊषा के गले में डाल दिया । सचिन देवरा भी किरपाराम की तरफ झपटा । पता नहीं ना पाल जी तस्मानियन आक्रांत करनी चाहिए । छोडना मत । किरपाराम और उषा दोनों की छक्के छूट है । वह अप्रत्याशित घटना उन दोनों की समझ के पढे थे । ऊषा ने अद्वितीय फूलती का प्रदर्शन करके अपने कलीम इसी साइकिल चीन का फंडा निकालना चाहा परंतु रीड आसानी उससे कहीं ज्यादा खूंखार थी । उसने तत्काल अपने घुटने की कटोरी का प्रचंड प्रहार ऊषा के पेट में क्या बाहर ही ऊषा उसे उबकाई आई और वो अपना पेट पकडकर दोहरी हो गई । उसी क्षण लीटर सानिया ने उसके गले में साइकिल चीन का बंदा अच्छी तरह कर दिया था । फिर अपनी संपूर्ण शक्ति से उस बंदे को खींचने लगी ऍम गिर पर हम उस समय खुद सुन करता था । सचिन देवा जैसी साइकिल छीन लेकर उसकी तरफ झपटा, वो भागा परन्तु सचिन देवरानी जम्प लगाकर उसे कब्जा लिया और फिर उसे अपनी बाहों में भरी भरी धडाम से नीचे नीचे गिरते सचिन मेहता ने उसके गले में भी साइकिल चीन का भंडा फिर होती है फिर बंदे को झटके के साथ जैसे खींचना चाहता भी किरपाराम चलानी नहीं चीन की तरह । जब लगाते हैं उसने उछल कर सिर्फ की भरपूर ठोकर सच्चा इलाके में ऊपर चढे सचिन देवरानी देखते हुए रेट पर कलावा सिखाई । चेन का भंडा के बरामदे गली में से निकल गया । ठंडा निकलते ही किरपाराम द्रुतगति से भागा । पीछे ऊषा रीटर सान्याल के शिकंजे में जब भी अभी भी छटपटा रही थी, उसकी आंखों में अब मौत मैच में लगी थी । दहशत के कारण उसकी जिसमें का एक एक रूम खडा हो गया था । वो पहले तो गला फाड फाडकर चिल्लाती रही लेकिन जब ठंडा उसके गले पर कुछ ज्यादा ही होगा तो उसके मुँह से आवाज निकल ने भी बंद हो गई । सिर्फ घूम उनकी आवाज से निकल नहीं । सचिन ऍम नानी को भागते देख कर रहा हॅू । सच नहीं । मैं अपनी संपूर्ण शक्ति से उसके पीछे पीछे लेकिन पर आम भागने के मामले में वाकई कुछ पीछे ही साबित हुआ । सचिनदेव को जब ये लगा कि वो उसे पता नहीं पाएगा तो फिर उसने के बारामूल चलाने के ऊपर एक सब दस छलांग लगा दी । इस बार भागते हुए के दौरान केदारी दम उसका उसने वही तंग कर साली तुरंत के पर हम औंधेमुंह नीचे क्या सचिन देवरा ने फिर उसके गले में साइकिल चीन का भरना डालना चाहते कि नीचे फॅमिली एकदम पर गया था और घूमते उसने घुसा सचिन देवरा के चेहरे पर है सचिन देवता चीख उसी पल के पर रामचंदानी नहीं उसके हाथ से साइकिल चेंज छीन ली तथा उसे दूर रेट पर उछाल दिया । उसके बाद फिर भाग टाॅल ऊषा को भेज कर चुकी थी । उसे ढेर करते ही वह सचिन देवडा की मदद की लेकिन बारामूल चलाने की तरफ छपी । तभी किरपाराम मूल चलना नहीं समुद्र में खडा हो कमान से छोटे तीन की तरह पानी हो । सचिन देवरा ने भी बेपनाह खुलती के साथ उसके पीछे पीछे समुद्र में छलांग लगानी चाहिए । पहले तो तभी ॅ ने पीछे से आकर उसका कंधा चाहिए । अब वहाँ नहीं आएगा लेकिन देख नहीं रहे हो । पानी में कितनी तेजी से कहता चला जा रहे हैं । सचिन देवरानी समुद्र की सतह पर नजर वाकई तब तक वो उसे दिखाई देना बंद हो गया था । वो पानी के नीचे ही नीचे पडी तेजी से बहता जा रहा था । ऊषा का क्या हुआ? उमर गए । सचिनदेव तुरंत स्थान पर पहुंचा जहां ऊषा का फोन से लगभग अच्छा पढा था । काला । बुरी तरह घुटने के कारण उसकी दोनों आंखें टोकरियों से बाहर निकल आई थी । जबान नीचे को लटक गई थी और उसके मुंह और नाक से ढेर सारा खून निकल कर उसके फैल गया था । इस समय उसके चेहरे की ऐसी भी बहुत हालत थी कि अगर रात के अंधेरे में कोई और उसे देख ले तो डर जाएगी । हम जल्दी चले । यहाँ से इलाज की हालत देखकर सचिन देवडा के ऊपर भी दहशत सवार हो गए । एक मिनट पहले बाकी और काम तो निपटान बाकी का क्या तुम्हें मालूम नहीं । साठ पीछे नाम का वो क्रिमनल किसी का इस तरह मौर्य करने के बाद उसका सारा कीमती साथ सामान लूट लेता है । वो फॅमिली और फिर वो बेहद आनंद आनंद । ऊषा के कानों से उसका टॉप्स तथा गले से उसकी सोने की चिंता नहीं लगी । फिर उसने उषा का पास देखो डाला और उसका सारा सामान निकाल कर रहा चारों तरफ फैला दिया । पांच में कुल तीन सौ पैंतीस रुपए थे । उसने वो रुपए भी अपने कब्जे में कहीं । अगले ही पल वो दोनों कार में बैठकर रात के अंधेरे में ही वहाँ से कूच करता है । वीडा, सान्याल और सचिनदेव रह हो दोनों उस समय कॉलेज में थे और बहुत दरेज हुए थे । उनके चेहरे पी ले जाते थे के फरामोश चलाने घटनास्थल से किस तरह फरार हुआ था । उसने उन दोनों को दहला डाला था । ये ठीक नहीं हुआ । सचिन ऍम पर पडता है ठीक नहीं हुआ । इस समय उसकी गर्दन धीरे धीरे इंकार की सूरत में हिल रहे थे । बहुत खुला हाथ जोडी थी । उस जोडी में से किसी कमर जाना तथा किसी एक का बस जाना उतना ही डेंजर है जैसे नाग नागिन की जोडी में से किसी का बच जाना तो देख लेना पर आ मूलचंदानी अब जरूर कुछ करेगा । वो खामोश बैठने वाला शख्स नहीं है । खास तौर पर घोषणा की मौत के बाद तो हर किस नहीं लेकिन अब वो क्या करेगा? सचिन देवता का शशक स्वरूपाराम क्या कहा जा सकता है? फॅमिली कुछ ऐसा आदमी हालत में जो कुछ भी कर दूसरे थोडा है कम है वहाँ तक कुछ और ज्यादा पड गया । कम पसंद के गले में मैंने फंडा डालने की हरचंद कोशिश की थी । सचिन देवरा अपने लिए भी रूकती का एक मैं आज का एक बनाता हूँ लेकिन वह पट्ठा को छलावा बना हुआ था । हाथ आप निकलता था उस समय उस की फुर्ती देखकर कौन कह सकता था कि वो आदमी अधेड हैं तो उसे दरअसल इसी एक पॉइंट पर गलती हुई । सच ऍम ऍम यही है कि तुम उसकी सही सही ताकत का अंदाजा लगाने में छूट गए और इसी एक बात का के परामणु चलाने में बखूबी फायदा उठाया । सचिन देवडा के चेहरे पर कडवाहट के भाव भरा है बारामूल चलानी बचकर भागने किया था वो इस बात के लिए खुद को पूरा पूरा दोषी मांग रहा था । उसने ऍम रात के पौने बारह बजे का समय होता था । रीता सान्याल को आ जाना । पैलेस में लौटने की वापस कोई जल्दी नहीं थे । जिस दिन से लेते आना । गंजाल जिसकी मृत्यु हुई तब से । बूटा राम ज्यादातर आपने क्वार्टर नहीं बंद रहता था । इसीलिए रीता सानिया अलाहाबाद आप हो गए थे तो कहाँ जाती थी? क्या करती है उस की उन गतिविधियों को चेक करने वाला? फिलहाल समय गुजरता रहा वो दोनों ही बस की कि आपने अपनी लाख खाली करके टेबल पर रह चुके थे । अभी एक घटना घटी, बाहर वाले कमरे में तडाक की आवाज हुई तथा फिर किसी चीज के खनखनाते पीस ले आए । दिखाने की आवाजाही ये क्या हुआ ऍम कुर्सी से उछालकर खडा हो गया । ऐसा लगा जैसे किसी ने बाहर वाली खिडकी का शीशा तोडा है । ट्वीटर सानिया का रहस्यपूर्ण स्वरूप क्या उसी क्षण धर्म से किसी के घुटने की आवाज, ॅ सीता सानिया आंधी कौनसी छोडकर खडी हो गई कुर्सी से खडी होती उसके हाथ में एक काम से पिस्टल भी नमूदार हुए । फिर वो दोनों अद्वितीय फूटती के साथ बाहर वाले कमरे की तरफ । हफ्ते इस बीच सचिन देवडा भी अपनी जेब से पिस्टल ने कहा चुका था और उसके चेहरे पर बडी खतरनाक भाव थे । उन दोनों ने धर धर आते हुए बाहर वाले कमरे का दरवाजा खोला तथा वांदर दाखिल हुए । सामने ही ग्लाॅस ढेर सारा कांच टूट कर नीचे लिखा हुआ था परंतु वहाँ कमरे में कोई नहीं था । लगता सचिनदेव अपनी पिस्टल चारों दिशाओं में घुमाता हुआ है । जो कोई भी है यहीं कहीं छिपा है । यही है तुम भी सही फॅमिली तो यही है तीसरा सान्याल और सचिन देवडा पिस्टल हाथ में लिए लिए कमरे में चारों तरफ खून गए तथा उसे ढूंढनी है । उन दोनों का दिल किसी अनजानी आशंका के कारण इस समय जोर जोर से धडक रहा था । आगे तो किरपाराम जन्मानि था । वो इस समय कमरे की परछत्ती पर छिपा बैठा था और वहीं से अपनी सुर सुर आंखों से उन दोनों को घूम रहा था । उसकी आंखों में खून उतारा था । उसके दिल दिमाग पर उस क्षण कुछ भी कर गुजरने वाली दहशत सवाल थे । इतना ही नहीं उसके हाथ में फाइनल के चौडे भाग वाला एक लंबा सा चाकू था जिसकी मुझे पीतल की बारह साल किरपाराम उल चलानी नहीं जैसे दूसरे कमरे से आपकी आवाज वो तुरंत झपट कर कमरे की परछत्ती पर चढ गया था । यहाँ तो कोई भी नहीं सचिन देखना कमरे में इधर उधर छाता हूँ । फिर उसने चारपाई के नीचे पीछा कहीं । ऐसा तो नहीं की जो भी आदमी अंदर है वो स्टोर में जा चुका हूँ ना? सानिया ने आशंका व्यक्त की ऐसा भी हो सकता है । मैं स्टोर खोल कर दी थी । कॅश हाथ में पिस्टल कुछ और ज्यादा सावधानी से पकडा तथा फिर बिल्कुल निशब्द ढंग से स्टोर का दरवाजा अंदर कोई नहीं था । फिर ॅ स्टोर के अंदर घुस गए । वहाँ उसमें एक एक चीज को उलट पलट कर देखा । वहाँ सचमुच कोई नहीं था क्या अंदर कोई है सचिन देखना होता नहीं है । कमाल है सचिन डेवलॅप न कमरे के अंदर कोई है और ना ही कोई स्टोर में है । बहुत में कहा हो गया जो लास्ट बन्दों का शीशा तोडकर अंदर घुसा था । काश इन दोनों में से किसी एक की भी परछत्ती की तरफ हो जाती तो तुरंत सीख उठते क्योंकि वहां बैठा किरपाराम मूलचंदानी अभी भी बडी खौफनाक निगाहों से उन्ही दोनों हो रहा था । रीता सान्याल और सचिन देवडा दोनों परेशान थे । नहीं वो बराबर वाले कमरे में तो नहीं चला गया । ऍम वहाँ कैसे जा सकता है । वहाँ से तो हम अभी आॅल फॅमिली में क्या हर्ज क्या पता हुई हूँ । ठीक है देखते हैं वीटर, सान्याल और सचिनदेव लाभ बडी सावधानी के साथ दूसरे कमरे की तरफ बढ गए । जैसे वो दोनों कमरे से बाहर निकले के बारा मूलचंदानी फिर हरकत में आ गया और वह एक वॉडरोब पर पहुँचकर नीचे उतर रहा है । उसी वॉडरोब के द्वारा वो बाल झड दी पर चढा भी था । नीचे कमरे में आते ही वो एक सोफे के पीछे घात लगाकर बैठ गया । उसकी मुद्रा ऐसी थी जैसे कोई जीता अपने शिकार पर झपटने के लिए तैयार बैठा है । उसके इरादे में एक नजर नहीं है यहाँ भी कोई नहीं । दूसरे ऍम ये आप में आखिर गया कहां मालूम नहीं कहा गया । ऐसा लगता है जैसे उसे धरती निकल गई हूँ । फॅस के बाहर देखता हूँ । ऍम शादी खिडकी के रास्ते बाहर चला गया । फिर सचिन देवरा तीस तीस दिनों से चलता हुआ वापस सबसे कमरे में आना जिसमें किरपाराम मूलचंदानी छिपा था । उस कमरे में आते ही वह तेजी से दरवाजे की तरफ पडा, लेकिन वहाँ भी दरवाजे तक पहुंच भी नहीं पाया था कि तभी एक का एक फायदा मूलचंदानी झटके के साथ सोफे के पीछे से बाहर निकल आया और इससे पहले कि सचिन देवता कि निकाह उसके ऊपर पडती, वो एकदम तीन की तरह उसके ऊपर छपता । तभी सचिन देवरानी भी उसे देखा । उसने फौरन बडी ही दहशत लाख ढंग से कला बाहर का चिल्लाना चाहा लेकिन के बारा मूलचंदानी में तुरंत उसके ऊपर अपना हाथ इस तरफ फिक्स कर दिया जैसे कुकर के ऊपर ढक्कन फिक्स हो गया । सचिन देवरा के मुझसे कोई हूँ की आवाज से निकल नहीं लगी । किरपा मूलचंदानी ने दूसरा हाथ उसके सीने के आगे से घुमाकर बगल में डाला तथा फिर उसे बेदर्दी के साथ घसीटता हुआ सोफे के पीछे लेगा । फॅमिली तुम को छोडना नहीं, पर आ मूलचंदानी ने ग्रुप में गुणगान करे अपने घुटने का एक मछली का हार उसके पेट में क्या फॅमिली लेकिन फॅमिली वाला हाथ सीधा करने का प्रयास किया । आपने मुझसे आवाज निकालने की कोशिश की लेकिन पर हम मूलचंदानी नेता काल अपने घुटने का एक और वजह त्यौहार उसके पेट में क्या दूसरे हाथ का प्रचंड घुसा, उसकी पिस्टल वाले हाथ पर चाहिए । सचिन देवरा के हाथ से पिस्टल छूट गई । किरपाराम ओ चलानी नहीं उस सिस्टर को तुरंत अपने अब से मिली नहीं तुम ने उस को मार डाला । परामणु चलाने का चेहरा था । टक्कर ज्वालामुखी बन गया थोडी मेरी जान से भी प्यारी ऊषा को मार डाला तुमने अब गाना कीत औरत मैं तुम्हारी होगी ना मेरी जब मेरी ऊॅचाई तो मैंने अभी रोकडे को चौक में मध्य मारना नहीं किरपाराम चलाने का चाकू एका एक हवा में बिजली की तरह मतलब पाया तथा फिर उसका सीना चीज डालने के लिए उसकी तरफ छापता । तभी सचिन देवरा आतंकी वशीभूत होकर पलटी खा गया । परंतु फिर भी वह चौडे फल वाला चाहते । उसके बाजु कुछ खेलता चला गया । उसी क्षण के पर आपके हाथ की पकड भी उसके ऊपर ढीली पडी । सचिनदेव फौरन गला भाग का चल रहा था । साॅस के चीखने की आवाज सुनकर दौडी दौडी वहाॅं तभी हो उससे मैं बंधे हुए किरपाराम चलाने का चाकू वाला हाथ फिर हवा में तेज बिजली की तरह लगाया तथा फिर उसके पेट की तरफ सकता । तब तक सचिन देवरानी अपने आप को काफी काबू में कर लिया था । पर हम मूलचंदानी का चाहते उसके पेट को भागने में सफल होता । तब ही सचिन देवरा ने अपनी दोनों तांगों की अडंगी सोफे के नीचे फंसाई तथा फिर पीठ का सहारा लेकर कुछ उसका सिर के पलामू चलाने के चेहरे पर पडा तो फौरन के पर आ मूलचंदानी के शिकंजे से आजाद हो गया और आजाद हो गए भागा आपके फरामोश चलाने में पिस्टल था । सच कमरे में दाखिल ऍम ढाई ढाई दो वो लिया था उसी क्षण जीता सानिया ने सचिन दिला के ऊपर छलांग लगा दी तथा वो से लेकर धाम सके । दोनों गोलियाँ उसके सिर के ऊपर से किस रही । गोलियों के गुजरती वो दोनों फिर खडे हुए तथा दूसरे कमरे की तरफ भागे । ऍम तुम दोनों की कैरॅल चलना नहीं सपूर्ण ढंग से कराता हूँ पीछे पीछे झगडा बडी आज मैंने तुम दोनों को चीर ऍम सचिन देवरा के साथ ॅ गोली सीधे जाकर किरपाराम चलाने की टांग मिलेगी । वो बाहर और बाहर हो गया परन्तु के पडा मूलचंदानी इतना खतरनाक बना हुआ था कि नीचे गिरने के बावजूद उसने वही रखे स्लाॅट उठा उठाकर उनकी तरफ से उसने धुआधार ॅ रूप से इतना आतंकित हुए की वो तुरंत सबसे आखिर वाले कमरे में जाकर घुस करें । वहाँ घुसते ही उन्होंने दरवाजा अंदर से बंद कर लिया । रीता, सानिया और सचिन देवता के सांसे भी सेकेंडों में इस तरह फूल गए जैसे वो कोई लंबी इमारत हाँ ड्रेस जीत करा रहे हैं । सचिन देखना तो सिर्फ नहीं चढाने के बाद दरवाजे से ही चिपक कर जोर जोर से हाथ में लगा था । उसके ऊपर कितना राम चलाने की बी पनाह दहशत हावी थी और उसके बाद उसे निकल निकल कर होना भी भी बह रहा था हूँ । पूछा की मौत ही से धंदा बना दिया । सचिन देवरा विक्षिप्तों की भारतीय होगा या कुछ भी कर सकता है । कुछ भी हाँ जिससे दौलत की भी परवाह नहीं है तुम्हारी पाॅकेट में कितनी गोलियां थी पीता? सानिया ने पूछा दस वो उसमें से छह गोलियां चला चुका है । फॅमिली अगर वो बाकी बचे चार गोलियां और चलाते तो हमारा काम काफी आसान हो सकता है लेकिन उसके पास चाकू है । सचिन काफी स्वामी बोला उसकी कोई भरवाने चाकू को समझाना जा सकता है । तुम्हारा साथ कैसा है? ठीक है रीता सानिया ने सचिनदेव ना के जख्म पर दृष्टिपात क्या वाकई किरपाराम ने उसके बाजू को बडी बेदर्दी के साथ ही डाला था? अगर कहीं बच्चा को उसके बाजू में घुसने की बजाए उसके अनंत अंतडियों में घुस गया होता तो उस समय सचिन देवरा की लाश उस कॉलेज में पडी होती । कभी बाहर से के बारामूल चलाने के कदमों के आवास यहाँ नहीं फॅार । सचिन देवरानी दरवाजे की छुट्टी में से बाहर का दृश्य देखा । किरपाराम मूलचंदानी लड खाता हुआ तथा हिस् सहित की आवाज करता हुआ वहाँ घूम रहा था । उसकी टांग में से बडी बुरी तरह खून बह रहा था । लेकिन उसे उसकी परवाह थी । परवाह कहना थी उसके चेहरे से तो ऐसा जाहिर हो रहा था जैसे उसे अपने उस जख्म का पता भी ना उस हमले में उसे और ज्यादा खूंखार बनाता रहा था । उसके हाथ में चाकू था । दूसरे हाथ में पिस्टल । वो लंगडाता हुआ, कुछ देर इधर से उधर घूमता रहा और फिर खिडकी के नजदीक पहुंच गए । उसे जोर जोर से भर बढाने लगा । दोनों आतंकी तो थे वो । वो खिडकी तोडने की कोशिश कर रहा हूँ । सचिन देवरा आक्रांत स्वर्ण बोला वो खिडकी के रास्ते अंदर आने की कोशिश कर रहा है । पिछले ऍम तो नहीं है जिससे वो आसानी से तो डालेगा । इस खिडकी को तोडने के लिए काफी दमखम की जरूरत है । इस समय मैं कुछ भी कर सकता हूँ । रीता सानिया भी उस समय भयभीत थे कि पर आ मूलचंदानी वाकई बहुत जोर जोर से खिडकी पर प्रचंड प्रहार कर रहा था । उसके हर प्रहार पर फिर की पूरी तरह झनझना थी । हर बार ऐसा लगता जैसे चिटकनी चौखट की पुष्टि से उखडकर नीचे गिरेगी । खिडकी की खस्ताहालत देकर सचिनदेव ला के शरीर में कुछ और झुरझुरी दौड गए । वो लगभग कर खिडकी के नजदीक जा पहुंचा और उसने खिडकी के दोनों पल्लों को अंदर से कसकर थाम लिया । किरपाराम मूलचंदानी सचमुच ऍम वहाँ बार उसकी आंखों की गयी अपनी मंशा का चेहरा चक्कर काट था । ऊषा का चेहरा चक्कर काटता तो और अधिक खूंखार होता । फिर से अपने उस बच्चे क्या थी तो ऊषा के पेट में पल रहा था । उस बच्चे की याद आते ही वो और पागल हो जाता है । वो इस समय खिडकी पर अपनी संपूर्ण शक्ति से हम ले कर रहा था । लेकिन जल्दी उसे एहसास हो गया कि वह खिडकी टूटने वाली नहीं है । आप पीछे हट गया, फिर दरवाजे के सामने पहुंचा । तभी उसे का एक न जाने क्या सूझा कि वो गुस्से में वहीं रखी कुर्सियों तथा स्टूल उठा उठाकर दरवाजे पर महान नहीं लगा । फिर उसने इधर उठाते गा । उस कमरे में घुसने का कोई और आसान था । जब उसे कुछ नहीं सूझा तो वहाँ जितना भी कीमती सामान रखा था उसने वह सारा सामान तो शुरू हो । उसके बुरी तरह कीमती सामान होने की आवाजें रीता सान्याल और सचिन देवता को अंदर तक सुनाई दे रही थी । हूँ अच्छा कि हम में पागल हो गया है सचिन देवडा के शरीर में झुरझुरी दौडेगा जब उसे कुछ और नहीं हो रहा तो वह सामान्य तोड रहा । उसे तो कुछ नहीं तो उसके अंदर जो गुस्से का गुबार भरा कहीं ना कहीं तो निकलेगा ना? बेटा सान्याल बिस्तर पर जाकर बैठे । सचिनदेव राबिया खिडकी किसान ने से हट गया था । काफी देर तक सामान तोडने कि वहाँ से होते रहे । फिर का एक आवाज आनी बंद हो गई । उसके बाद आधा घंटा बडी खामोशी के साथ कुछ रहा । पूर्ण खामोशी कोई हलचल नहीं हुई । आवास नहीं एक हाँ एक वहाँ ऐसी तीक्षण नीरवता व्याप्त हो गई थी जैसे वहाँ कोई नहीं है । ये खामोश कैसे हो गया? ट्वीटर सान्याल आश्चर्य वर्ष पूरी मालूम नहीं कैसे खामोश हो गया । सचिन देवता के स्वर में भी हैरानी थी । कहीं ऐसा तो नहीं था खाकर वापस चला गया हूँ । मैं ठीक हूँ । रीटर सान्याल तेजी से खिडकी के नजदीक पहुंची । फिर उसने बिल्कुल निशब्द ढंग से सिर्फ करने नीचे गिराए तथा फिर खिडकी के दोनों पर लोगों के बीच बेहद मामूली से छह पैदा कर के बाहर झांका । वहाँ कोई नहीं था । फिर रीता सान्याल खिडकी में थोडी और बिजली पैदा की तथा कुछ और बाहर झांका । वहाँ से फिर भी कोई नजर ना ट्वीटर सान्याल ने हम अपनी गर्दन वापस खींच तथा फिर खिडकी की सिर्फ नहीं वापस लगा दी । मालूम नहीं क्या चक्कर है? फॅमिली हुए । उसके बाद वो पडी असमंजसपूर्ण स्थिति में दरवाजे की तरफ बढी तथा फिर उसने दरवाजे किसी करेंगे । ऐसे ही नीचे गिर आनी चाहिए वो तुरंत चौक्का पीछे आ गए । दरवाजे और वर्ष के बीच मामूली छेडती थी । उसमें से बहकर कोई तरल पदार्थ अंदर कमरे में आ रहा था । दो बारी सीट ऍम सचिन देवरा भी लगभग कर दरवाजे के नजदीक का लेकिन वह क्या चीज अंदर डाल रहे । सचिन का पार्टी पार्टी नेत्रों से उस तरल पदार्थ को देखते हुए बोला जब काफी मात्रा में अंदर आ चुका था रीता सान्याल ने नीचे झुककर उस पदार्थ को सुनाता था । उसे उंगली से छुआ ऍम का बेहद आतंकी हो जाता । ऍम तो इस कमरे में आग लगाकर हमें जिंदा जला डालना चाहता हूँ । पेट्रोल धर्जा उठा सचिनदेव थी लेकिन उसके पास पेट्रोल कहाँ जरूर हमारी गाडी के अंदर से पेट्रोल निकालकर लाया है । उसी क्षण बाहर मौजूद के फरामोश अंदानी ने एक और खतरनाक कदम उठाया । उसमें उस पेट्रोल देख लिया । सलाह दिखाते तुरंत जैसे आपका कोई भीषण दरियाल । अपना फायदा वांदर की तरफ जाता । वहाँ और सचिनदेव रचना भागो । यहां से बडा आॅस्कर मरने में हमें ज्यादा वक्त लगेगा । जीता सानिया भी दरवाजे किसी की तरफ सकती । उसने सिटकनी खोली और अगले ही क्षण वो आपके धरिया को फलांग कर बाहर हो गई । तुरंत सचिनदेव भी उसके पीछे पीछे दौडता हुआ कमरे से बाहर निकला । सामने ही अपने संपूर्ण मुँह में पारा मूलचंदानी घर था । उसी इसी पल का इंतजार था । वह यही चाहता था जैसे वो दोनों ने के लिए उसने पिस्टल से उन्होंने ऊपर धुआधार गोलियां बरसानी है । लेकिन रीटा सान्याल और सचिन देव का भी कोई काम चलाते थे । बाहर निकलते वो दोनों फर्श पर ढेर हो गए । सारी गोलियां उनके ऊपर से निकल गए तथा आपके दरिये में से होकर कमरे के अंदर न जाने कहाँ कहाँ ऐसी किरपाराम झलानी ने कुछ और गोलियां चलाने चाहे ऍम उसमें आप गोलियाँ खत्म हो चुकी थी । सचिन देवडा ये देखते ही शेर होगा । वो एकदम से जम्प लेकर उठा और उठने के दौरान ही उसने रीता सान्याल के हाथ से उसकी पिस्टल भी छीन फिर फॅमिली की पर आ मूलचंदानी ने गोलियों से बचने का अथक प्रयास किया लेकिन वो दोनों गोलियां उसके सीने में जाकर था । सी तुरंत उसके सीने से खून के दो ऐसे फव्वारे छोटे जैसे किसी ने न खोल दिया । वो अच्छी खासी और फिर कश् खाकर नीचे गया । नीचे गिरते ही वो ढेर हो गया । शीतू में क्या किया था सान्याल सचिनदेव ना की तरह तुम ऍम सबकी । मैंने तुमसे कहा था कि पिस्टल का इस्तेमाल किसी हालत में नहीं करना । पिस्टल का इस्तेमाल सिर्फ खून देने के लिए लेकिन अगर मैं ऐसे नहीं माता तो ये हमें महादान सचिनदेव मैंने अपने आप को काबू किया । वो बुरी तरह हफ्ता हुआ । बोला खान दोनों को मार डाला था फिर भी तुम है । इस तरह आनन फानन हत्या नहीं करनी थी जो पिस्टल से इससे नहीं मानना था । अभी उन दोनों के बीच को गरमा गरम बातचीत हुई रही थी कि तभी पता मूलचंदानी की बहुत धीरे धीरे कराहने की आवास सकता या अभी भी जिंदा साॅस के नजदीक पहुंचे । उसी क्षण फोन से लगभग के भरा मूलचंदानी ने एक आईभक्ति आंखे खोलते । उस समय उसकी आंखों में खून होता था । उसका चेहरा बेहद डरावना नजर आ रहा था । आंखे खोलते हैं उसने कहर बरपाती निगाहों से रीता सान्याल और सचिन दिव्या को पूरा तथा फिर एकदम जख्मी शेर की तरह सचिनदेव ना के ऊपर छलांग लगाते सचिनदेव दहशत से चिल्ला उठा उसने फिर पर हम चलाने के शिकंजे से आजाद होना चाहिए, परंतु उसका शिकंजा लोहे जैसा सकता था । बारामूल चंदा नहीं, उसकी गर्दन कब जाना है ऍम तभी किसनाराम मूलचंदानी में आपने पीतल की उठाने चाहूँगा । मछली त्यौहार सचिन देवता कि पेट में सचिन ऍसे की तरह डकरा उठा । उसकी पीठ से खून का भाव द्वारा छोटा ॅ सचिन देवरा ने भीषण आर्तनाद किया था । ऍम उस दृश्य को देखकर रीता के होश भी फना होता है । उसने फौरन तीर की तरह सच देवता का हाथ पकडा तथा फिर उसे जबरदस्ती के फॅमिली बनाने के शिकंजे से बाहर खींच लेना चाहा, लेकिन की पर हम फॅमिली बडी मजबूती की स्वच्छता लिया । था ऍम अस भी ना कर सके अंदर कमरे में दूध घूम कर आओ चल रही थी और जो बढती जा रही थी कभी किरपाराम मूलचंदानी ने बडे जुनून में आकर फिर उसके पेट में चाकू का वजन बाहर क्या सचिन देखना फिर टकराया अफ्रीका सान्याल ने देखा के आराम से आसानी से छोडने वाला नहीं है तो उसने वहीं पडी लोहे की एक छड उठा ली तथा फिर वो छत बहुत जोर जोर से के फरामोश चलाने के ऊपर बचाने शुरू कर दी । लेकिन किलपारा मूलचंदानी के ऊपर इस तरह का कोई प्रभाव ना हुआ । तब ही किरपाराम मूलचंदानी ने एक और खतरनाक काम किया । उसने लम्बे फल वाले चाकू से सचिनदेव की गर्दन का डाॅॅ सचिन देवता कि बेहद मार्च तक ऍम चली गई और फिर आपके बारामूल चलाने के ऊपर ही भेज हो गया । उसकी गर्दन से थुलथुल करके निकलता खून किरपाराम के खून में एकाकार होने लगा । उसी क्षण किरपाराम मूलचंदानी भी पीछे जा गया । वो भी ढेर होगा । सीधा सानिया असम में रह गए । चंद सेकंड में ही सचिन देवराम मर चुका था । उसके सामने ही मर चुका था और वो कुछ भी ना कर सकें । उसने गुस्से से एक बार फिर बहुत जोर से वो चाय किरपाराम मूल चलाने के ऊपर खींचकर मारे तथा उसके बाद उस छड को दाई तरफ उछाल दिया । सीट सान्याल की आंखें भर रहा है । सचिन देवडा जो उसकी जिंदगी का इकलौता सहारा था । उसकी जिंदगी की एकलौती किरण थी आज वो भी खत्म हो गया । सब खाती है रेटा सान्याल काफी देर तक नमकीन मुद्रा में खडी नहीं । फिर उसने धीरे धीरे उस कॉलेज में अपनी उपस् थिति की जितने भी सबूत थे वो सारे मिटाने शुरू की । तमाम चीजों के ऊपर से अपने फिंगरप्रिंट मिठाई जब रीता सान्याल इस बात से पूरी तरह आश्वस्त हो गए कि अब वहाँ उसकी उपस् थिति का कैसा भी कोई भी चीज निःशेष नहीं तो खामोशी के साथ कॉटेज से बाहर निकाला है । आग काफी बढ चुकी है । वो उस कमरे से निकल कर अब दूसरे कमरों में भी फैलती जा रही थी । लेकिन ऍफ का बढती हुई आप की कोई परवाह थी उसकी काॅल्स के दिलोदिमाग पर पूरी तरह सचिन देवरा की मौत का काम था । वो कहाँ लेकर फिर ऍम चाहकर फरामोश चलाने और पूछा ठहरे हुए हैं वहाँ पहुंच करेटा सानिया ने वो सारे फुटबाॅलर तथा ऑडियो कैसे खोज निकाले । उसके तमाम काले कारनामों का खुला दस्तावेज थे फिर उसने उन सभी वस्तुओं को जला डाला तथा उनकी रात को वहीं नाली के रास्ते बहा दिया । इस तरह ब्लैकमेलिंग का वो खतरनाक सिलसिला जो आगे चलकर कोई खतरनाक मोड लेता, उसका वही पटाक्षेप हो गया ।

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"फंस जाओ मेरे लिए" का दूसरा भाग जो रीटा सान्याल की खोल सकता है पोल। क्या हुआ जब वो हवेली पहुंच गई? आखिर मैडिकल साइंस, पोस्टमार्टम रिपोर्ट्स और पुलिस इन्वेस्टीगेशन को कैसे चकमा दिया उसने?
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