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हाँ, तेरह मैं पूरे वापस आया । मेरी जेब माँ की वित्तीय मदद से भरी हुई थी । या यू कहूँ कि निखिल की मदद से मुझे यकीन था ये दान मुझे थोडे समय के लिए तो शांति से रहने में मदद करेगा । मेरा पूरा और अंतिम नौकरी निपटान पत्र दो महीने बाद आएगा । मैं आराम से था और कुछ हद तक खुश था । मैं घर में घुसा ही था । बिहू किसी चला रहे थे । उसे पता था कि मैं वापस आ गया था और उस उत्साह में लगभग वो मुझ पर गिर रही थी । उन्होंने उसे पीछे से पकडा और उसे घर वापस आने का आदेश दिया जिसके लिए मैं उसे पर्याप्त धन्यवाद नहीं दे सका । उस रात में लंबे समय के बाद आराम से सो गया था । अगले दिन में पीहू को ले जाने के बूझ के साथ जो कि मेरे हाथ में एक आवांछित काम था, स्कूल गया, मुझे कुछ दिनों के लिए इस कर्तव्य को निभाना पडा है । इसके अलावा एक कारण ये भी था कि स्कूल जल्द ही परीक्षा की तैयारियों के लिए बंद हो जाएगा । उत्कृष्ट उपलब्धियों की प्राप्ति हमेशा छोटे बलिदान के साथ शुरू होती है । अब मुझे बताने की आवश्यकता नहीं है कि क्या महान उपलब्धि । मैं बस इतना कहना चाहता हूँ कि मेरे दिमाग में कुछ खुराफात चल रही थी । मुख्यद्वार पर पीहू को छोडने के बाद मैं अपने रास्ते चलने लगी । पर मैंने खुद को अधिकतर शिक्षकों और विद्यार्थियों द्वारा अजीब तरह से देखते हुए मुझे समझ आ रहा था कि उनके दिमाग में क्या चल रहा था । मैं भी हूँ के साथ कैसे था, ऐसा प्रतीत होता है । पूरे स्कूल को पता था कि मेरे साथ क्या हूँ । अब वहाँ नफरत करने वालों द्वारा प्रचारित की जाती है जो बेवकूफों द्वारा घिरे हुए होते हैं । इसलिए मैं उस दिन सुर्खियों में था, लोगों की नजरें बता रही थी और पीहू के साथ घूमने से केवल आग और बढ की थी क्योंकि मुझे अलविदा कहने के लिए हाथ लहराते हुए बीहू की अतिरिक्त उज्वल मुस्कुराहट के कारण सब और सतर्क हो गए । हीरो का लाख लाख धन्यवाद मैंने इस बात को ज्यादा तूल नहीं दिया और खुद को समझाया कि ये बस और कुछ दिनों का मामला था और मैं अपने काम के बारे में सोचते हुए चला गया । समय बीतता है लेकिन कुछ चीजें कभी नहीं बदलती हैं । प्रारंभिक छुट्टी के लिए स्कूल पहले ही बंद कर दिया गया था । शनिवार की शाम थी और मैं थक गया था । खाना खाने के बाद मैं सोने के लिए तैयार था । मैंने सामने वाले दरवाजे के ताले को दोबारा जांचने का फैसला किया और बिना किसी दस तक के अंदर चला गया । लेकिन बहू को कौन रोक सकता है? जैसे ही मैं अपने बिस्तर में घुस रहा था, मैंने दरवाजे पर एक रैप सुना । मैं तुरंत समझ गया कि ये कौन था । शाम को देर हो चुकी थी और मैं स्कूल में गठित गलत वाक्यों से पहले ही निराश था । मुझे हूँ के साथ देखा जा रहा था तो मेरी छवि को और खराब कर रहा था । मैंने मन ही मन पीहू को श्राप दिया और दरवाजे की ओर चला गया । गुलाबी कैप्री के साथ बैंगनी रंग की टीशर्ट पहने तो थोडी सी फिट दिख रही थी । उसने अपने आप में दो भारी किताबें ले रखी थी । बॅाल आप कैसे हैं? उसे देखकर ऐसा लग रहा था कि वह किताबों के वजन से नीचे गिर जाएगी और वहाँ मर जाएगी । मैंने किताबें उसके हाथों से ले लेंगे । क्या कोई बहुत जरूरी है? मैंने आराम से पूछा साल में गणित में बेहद कमजोर । क्या आप मुझे सिखा सकते हैं? उसने एक मासूम चेहरा बनाते हुए पूछे या विश्वसनीय था? क्या नंदीय वाला के साथ छात्रों के पास भी पहुंच गया था? क्या वो मुझसे मजाक कर रही थी? या तो मेरा मजाक उडा रही थी या फिर ये सिर्फ मेरा भाग्य था कि मेरे चारों ओर जो भी हो रहा था वो इतना जी वो गरीब था । मैं अनन्या भाग दो के लिए कोई गुंजाइश नहीं छोड सका । नहीं भी हूँ । मैंने दृढता से कहा क्यों सर, आपने अनन्या को तो ट्यूशन दिया था । ये सुनकर मेरे कान गुस्से से गर्म मोहरलाल हो गए । मुझे इस बात पर विश्वास नहीं हो रहा था । उसे अनन्या के बारे में क्या पता था । मैंने उसे बिना किसी भाव के देखा । मैंने किसी भी भाव को चेहरे पर नहीं आने दिया । ये सब सोचकर मैंने पूछा किसने कहा? उसने खुद कहा तो मुझे जानती हूँ । हम सहपाठी थे । मैं दसवीं कक्षा में फैल रही और अनन्या पास हो गए । मेरी नींद भाग गई थी । मैं दुआ कर रहा था की कार्य मैं खुद को मार सकता है । सब कुछ इतना गडबड हो गया था । दिल्ली में छुप खडा था और सोच रहा था कि इसे कैसे संभालना सबसे अच्छा है । यहाँ मैं इस पूरी श्रृंखला में अंडों को इस घर से दूर रखने की कोशिश कर रहा था और ये लडकी पीहू अनन्या की दोस्त बन गई थी । जब ये सभी विचार मेरे मस्तिष्क में चल रहे थे तो पीहू वहाँ एक निर्दोष चेहरे के साथ मुझे देख रही थी । मैंने उसे संदेह का लाभ दिया । शायद वह सारी स्थिति नहीं जानती थी । मैंने राहत की सांस ली और पूछा तुम की समस्या का सामना कर रही हो? मेज पर भारी किताबें रखने के लिए पलट गए तो बेहद उत्साहित होकर चलाई थी कि मैं किसी हद तक उसे पढाने को सहमत हो गया था । मेरे पास कोई खास समस्या नहीं है । सर, मैं संपूर्ण गणित में आपके मार्गदर्शन का अनुरोध करती हूँ । गणित एक बडा विषय है भी हूँ तो मैं मुझे बताने की जरूरत है की गणित का कौन सा हिस्सा तो मैं सबसे ज्यादा परेशान करता है । बीजगणित उसने बहुत विचार विमर्श के बाद का ठीक है । अच्छा ये बताओ तो मैं ऐसे हल करने में इतनी ॅ क्यूँ? एक्स के मूल्य को अंतिम रूप देने में मुझे वो कभी समझ नहीं आता । उस ने विजयी रूप से कहा । आखिर में उसकी शून्य से जो समस्या थी वो सुलझी । उसकी पेटेंट मुस्कान मुझे सबसे ज्यादा परेशान करती थीं । मैंने आर । एस । अग्रवाल की भारी तकरीबन आधा किलो की उन्नत गणित की किताबें मेज पर देगी । मुझे ऐसा लगा कि मैं किताबें उठाऊं और उन्हें अपने सिल पर देकर मारने का मन हुआ । फिर भी मैंने अपनी भावनाओं को नियंत्रित किया और का ऍम ज्ञान संख्या भी हूँ । इसका मूल्य नहीं होता है ।
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