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भाग - 01 in  |  Audio book and podcasts

भाग - 01

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"फंस जाओ मेरे लिए" का दूसरा भाग जो रीटा सान्याल की खोल सकता है पोल। क्या हुआ जब वो हवेली पहुंच गई? आखिर मैडिकल साइंस, पोस्टमार्टम रिपोर्ट्स और पुलिस इन्वेस्टीगेशन को कैसे चकमा दिया उसने?
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आप सुन रहे हैं कुछ फॅमिली अमित खान द्वारा लिखी किताब धस जाओ मेरे लिए का दूसरा और अंतिम भाग तो मरोगी मेरे हाथों और मैं हूँ पल्लवी भारतीय ऍम सुनी जन्मानि चाहे तो मरु जी मेरे हाथ हूँ अध्याय आना बैलेंस में आज किसी बडे जश्न जैसा माहौल है । नौकर चाकर इधर से उधर भागे भागे फिर रहे हैं सौ कमरों की उस अत्यंत विशालकाय आना पालस की दरो दीवार को खूब अच्छी तरह हम कहा गया है वहाँ लॉन की घास को वहाँ का मालिक मशीन से काफी तेजी के साथ दौड दौड कर का है । किचन में से झनझन करते पकवानों की सब गंदा रही है । मुख्य हॉल में लगे झाडफानूस के कांच को भी आज खूब अच्छी तरह से चमकाया गया है । उसमें रंग बिरंगे बाल लगे हैं और न जाने कितने सालों बार चला है आना । पालस के तमाम नौकरियों में गजब की इस थूकते हैं आखिर हा जसपाल इसकी शहजादे लौट रही है । जूलिया लौट रही हैं सबसे ज्यादा खुश मेरे आना गुन जानते हैं पचास साल के अधीन रूम सफेद शिफॉन की साडी में लिपटा शरीर बिल्कुल दूध जैसा गौरवपूर्ण । पंद्रह साल पंद्रह साल । उसने अपनी बेटी का इंतजार किया था । लेडी आना गुलजार दे । जिस समय पूरे बहस नहीं इधर से उधर भागी भागी फैल रही है । एक एक चीज को चेक करती हूँ । अपनी बेटी के आगमन से पहले वो कहीं कोई कमी नहीं छोडना चाहते हैं । बूटा राम भूराराम, लुधियाना, पंजाब इसकी करुँगा रहवास पूरे बाल इसमें गूंज रही थी और ये आसाना फौरन बूटा राम भागा भागा नहीं आॅफिस हमने पहुँचा हूँ पूरा राम बयालीस पैंतालीस साल का था काला भूरा चेहरा मोटे होट छोटी हाँ । कुल मिलाकर बूटा राम एक बदसूरत आदमी था लेकिन जितना बदसूरत था उतना ही दिल का साफ खास तौर पर आना । गोंजाल्विस का बेहद वफादार है तो मैं मिसी बाबा का कमरा तो ठीक कर दिया ना? बूटा राम फॅसा ना अपुन ने उसे एकदम फिनिश कर दिया । फॅमिली फिनिश फिनिश, वाई फाई और मैं पापा का गिटार का तार टूट गया था । क्या तुमने उसे भी छोड दिया? ऐसा ना गिटार का तार भी जोड दिया और बीच में से टूट गया था । इसलिए मैं सुबह म्यूजिकल शॉप से जाकर उसमें नया तार दाल भला घट । इतना ही नहीं बैडमिंटन कोर्ट में नया नेट भी कर दिया है । स्विमिंग पूल का सारा पानी बदला जा चुका है और मिस्त्री बाबा के लिए नई बीएमडब्ल्यू का ऑर्डर दिया जा चुका है । बस थोडी देर में यहां पहुंचने वाली होगी । ऍम मैं बाबा की जितनी आपको फिक्र आना उतनी मुझे भी है । मैं जानती हूँ मीडिया ना गुंजाल जिसकी आवाज जज्बाती होती थी । मैं जानती हूँ आखिर बचपन में वो तुम्हारी और में तो खेली है । उसके सुख दुख का ख्याल तुम्हें ही तो रखा है फिर भी मेरे मन में बडा अजीब सा विचार बार बार जान ले रहा है ना सब कैसा विचार मुझे न जाने क्यों ऐसा लग रहा है कि उसमें कुछ गडबड होने वाली है कैसी घर पर अब मुझे ऐसे शब्द अपनी जबान से निकलने तो नहीं देनी चाहिए आना । बूटा राम थोडा सकुचाते हुए बोला लेकिन फिर भी मैं अपनी भावनाएं प्रकट करने से खुद को नहीं रोक पाना । जब मैं बाबा यहाँ जाए तो आप उन्हें सबसे पहले खूब अच्छी तरह शेख करना ठीक नहीं । चेक चेक वाइॅन् लेकिन इससे बाबा कुछ कहने की क्या जरूरत है? लुधियाना पंजाब इसका विस्मित सौ रुपया ये भी तो हो सकता है ना बूट आराम बहुत धीमी आवाज में पहुँचता है कि मैं ऐसी बाबा के बीच में कोई और यहाँ जाना क्या पता हूँ कोई बेहरू क्या लडकी हो तो पागल हो गया बता रहा हूँ आॅलआउट मैं उससे अच्छी तरह जानते हैं । वो मेरी ही बेटी है । मुझे इस मामले में कोई धोखा नहीं हो रहा है । उसकी लेटर मेरे पास आते हैं । उसकी फोटो मेरे पास है । भला कोई और लडकी आकर मुझे धोखा कैसे दे सकती है? दुनिया बहुत खतरनाक हो गई आना । बूटा राम की आवाज अब हद दर्जे तक सस्पेंस फल हो गए । ऐसा भी तो हो सकता है । किसी में हमारी मासी बाबा का कितना आप करते क्या हो और अब उसकी जगह कोई दूसरी लडकी मेकअप करके यहाँ आ रही हूँ । तेरह तो जासूसी उपन्यास पढ पढ के दिमाग खराब हो गया बॅूद इसकी आवाज हो गई जब देखो शक करता रहता है और हजार बार कहा इन फिजूल के बकवास पन्यास को मत बढाकर लेकिन ठीक है ऐसी बाबा कहाँ देते हैं मैं तुझे ही मिस्सी बाबा को चेक करने का मौका दूंगी लेकिन ले हरियाना पंजाब नहीं जानती थी और वो बूटा राम भी नहीं जानता था कि कैसे शातिर दिमाग से उनकी टक्कर होने वाली है । बेटा सान्याल ने पहले जूलिया से खूब खोद खोदकर आना पालस के बारे में सब कुछ पता लगा लिया था । एक एक आदमी के स्वभाव के बारे में उसका पता लगा लिया था और रीता सान्याल उन सब से निपटने की रणनीति कि बकायदा तैयारी कर चुकी थी । तभी सफेद रंग की एक नई बीएमडब्ल्यू कार भी वहाँ गए । दोपहर के उस समय तीन बज रहे थे जब एक टैक्सी आना पहले उसकी विशाल ध्यान कि नीचे आप कर चुकी है और उसमें से चाहते हुई वीटर सान्याल बाहर निकली हूँ, ले लिया लुधियाना पंजाब इसका चेहरा रहता सान्याल को देखते ही खेल उठा तेजी से उसकी तरफ हफ्ते ऍम तो आना । ऍसे भी प्रसन्नतादायक सिसकारी छूट पडे तो दोनों हाथ फैलाकर तेजी से हरियाणा गोंजाल्विस की तरफ छपटी और पालक झपकते ही वही दूसरे की बाहों में समाज नहीं फॅस का खुशी से बुरा हाल था । वो रीता सान्याल के बेतहाशा चुम्बन लेती चली गई । अक्षय कमजोर हो गई है ना रिकाॅल बेहद गौर से आना गुंजाते इसको देखते हुए बोले बुढापा मेरी बच्ची कमजोरी तो आएगी हूँ आना गुंजाल जिसमें उसकी माथे पर पूरा नाम बना क्या? लेकिन अब तो वहाँ गयी इस आॅउट हो गई सचमुच कितनी बडी हो गई है तो फॅसे पंद्रह साल आज पंद्रह साल बाद मुझे देखती हूँ और मुझे भी तो आपको देखे हुए इतना ही समय हो गया है ना वो दोनों भावावेश ने पुनः एक दूसरे से लिपट गई । तभी एक नौकर ने आगे बढकर टैक्सी में से उसकी अटैची निकली थी । तत्काल तापसी सराटे के साथ वहाँ से निकल गए । यही वह क्षण था जब बूटा राम भी वहाँ गया बॅाल बूटा राम को देखते ही पहचान गए । आखिर वो जूलिया से बूढा राम के बारे में सब कुछ मालूम कर चुकी थी । बॅाल बुधाराम को देखते ही चाहे थी कैसे हो तुम अपनी इसमें से बाबा को भूल तो नहीं गए । दूदाराम घबरा गया चाॅस को छोडकर तेजी से मोटा राम की तरह पर हैं ऍम ऍम अपनी इस आदत को अभी तक छोडा नहीं । फॅस के काफी नजदीक पहुंच कर ली अंग्रेजी बोलती हूँ लेकिन हमेशा गलत बोलते शब्द को तोड मरोडकर बोलते हूँ मोटर हम सकता है और ये देखो मैं तुम्हारे लिए कितने अच्छे अच्छे जासूसी उपन्यास लाऊँ । रीता सानिया ने अपना ॅ खुलकर उसमें से तीन चार जासूसी उपन्यास निकले । जासूसी उपन्यास क्यों? तो क्या समझ रहे थे मैं पंद्रह सालों में सब कुछ भूल चुकी हूँ क्या मैं तो मैं नहीं जानती कि तू जासूसी उपन्यासों की कितने बडे शौकीन हूँ और कैसे शक्ति में जांच हो तो में काम करो । बता रहा हूँ क्या? ये देखो ये आमिर खान का बिल्कुल लेवॅल इस नॉवल में मेकप चेक करने की एक से एक भी दी हुई है तुम में काम करूँ इसमें ओवर में दी हुई विधियों को पढ पढ कर सबसे पहले मेरा मेकप चक्कर डालो । हो सकता है मैं कोई बहरूपिया लडकी हूँ तो तुम्हारी चूलिया बेबी का मेकअप करके यहाँ आ गई है और जो तुम कैसी बातें करती हूँ मासी बाबा बूटा नाम के छक्के छूट गए तो वही हो तो मैं तो मैं अच्छी तरह पहचानता हूँ । हाँ मैं वही हूं ऍम मेरी बचपन केयर करते थे तो नहीं आती होंगी बूटा रहा हूँ एक बार मेरे तो मजा चखाने के लिए बिजली का लगातार तुम्हारी पीठ से लगा दिया था । मुझे खूब अच्छी तरह याद है । पूरा राम शशिकुमार में बोला फिर भी तो मेरे चेहरे पर केमिकल लगा करते कि लोग बता रहा हूँ क्या पता में वहाँ कई कोई बाहरी रुपया लडकी हूँ तो मैं क्या हो गया? मेरी बच्ची मेरी आना गॅाड को फिर अपनी बाहों में समय क्या तुम जैसी भी हो मेरी बेटी हूँ मेरी जो लिया हूँ इस बूटा राम की तरफ ध्यान मत हो ये तो जासूसी उपन्यास पढ बढकर पागल हो चुका है । रेडर सानिया लेने आना गोंजाल्वेस तथा तमाम नौकर चाकरों के साथ आना पालस के अंदर पहुंची सच मुझको बेहद भारतीय पाला था पूरे गोवा में उस जैसा कोई दूसरा पहले मिलना मुश्किल था । दीवारों पर बडी बडी तीन और पेंटिंग्स लगी थी फर्ज पर ईरानी कालीन बिछे थे और सामने हो के बीचोंबीच काफी चौडा जीना था उस जीने की सीढियों पर भी सुर्ख ना अच्छा था फॅमिली मैं तुम्हें तुम्हारा कमरा दिखा दिया नहीं आना । ट्विटर सानिया तुरंत बोली मैं खुद अपने कमरे तक चली जाऊंगी हूँ । यानी आज पंद्रह साल बाद भी तुम्हें आधे की बचपन में तुम्हारा कौन सा कमरा हुआ करता था आना गुंजाल उसकी आंखों में चमक कौन थी? बिल्कुल आ गया है ना ऐसी बातें भी कभी कभी बूटा बूटा राम की आंखों में उत्सुकता के भाव दिखाई देने लगी ठीक है तो फिर बताओ तुम्हारा कौन सा कमरा था आना गुंजाल दस बोली पहली मंजिल पर मुझे अच्छा काम रहा है रीडर सानिया ने वहीँ खडे खडे कमरे की तरफ उंगली उठाई ॅ की सचमुच तुम्हारी आकाश त् कमाने भी ट्वीटर्स आने वाला तेजी से सीढियां फॅमिली गए उसके पीछे पीछे सब अलग के शीघ्र ही रीता सान्याल पहली मंजिल पर बने । उस कमरे का दरवाजा खोलकर अंदर घुसकर अंदर एशोआराम के हर वस्तु मौजूद थी । वहाँ आधे से ज्यादा कमरा खिलोनों से भरा पडा था । उस कमरे की भव्यता देखकर खून रीता सान्याल की कनपटी पर जोर जोर से ठोकरे मारने लगा । जो लिया का बचपन जहाँ इतनी ऐशो आराम से गुजरा था, वही उसके बचपन में दुःखी दुःख नहीं, संकट ही संकट नहीं । रीटर सान्याल ने अपनी भावनाओं को नियंत्रित किया । अब वो हर खुशी को जबरदस्ती हासिल कहेगी और दुनिया की हर चीज पर उसका कब्जा होगा । तो उनमें से बाबा बूटा राम आगे बढकर बोला मैंने पिछले पंद्रह सालों में तुम्हारे इस कमरे को बिल्कुल वैसे का वैसा ही रखा है । कहीं कोई बदलाव नहीं किया । वहाँ नहीं ऍसे मुद्रा के अंदर कमरे में चारों तरफ होगी । कहीं भी कुछ भी नहीं बदला, कुछ भी नहीं । फिर उसी सौंपने, उसे मुद्रा में आगे बढकर रीता सानिया ने कोने में रखा गिटार था लिया । मालूम है बेटी लिलियाना गोंजालवेज ने पूछा तो मैं ये गिटार किसने किया था? मालूम है ना डाॅॅ खोले खुले ऐसे में बोली मुझे सब मालूम है किसने पसंद किया था मुझे किताब डाॅट किया था मेरे ऍम बिल्कुल सही । इतना ही नहीं मुझे भी आधे की दारी का म्यूजिक से बेपनाह प्यार था । उन्होंने मुझे गिटार बजाना सिखाया था और मैं इसके तहत ऍम की धर्म जहाँ करती थी हूँ वहाँ नहीं तुम कुछ भी नहीं बोली में से बाबा उस क्षण बूटा राम भी बेहद जज्बाती होता था । कुछ भी नहीं फॅालो उस कमरे से निकल कर राजस्थान वाले एक दूसरे कमरे में जाकर वो पीटर का काम रहा था । सामने दीवार पर ही पीटर तथा लेते आना गुंजाल इसका काफी बडा फोटो लगा था । पीटर का फोटो देखते ही मीडिया सान्याल की आंखों में पुनः फोन उठा रहा है । आंखों में नफरत का सैलाब सिंगाडे मारने लगा वही था । वहीं था वो बरसात इंसान जिसके कारण उसकी तथा उसकी माँ शारदा सान्याल की जिंदगी बर्बाद जिसने दौलत की हवस में अंधा होकर उसे ठुकरा दिया, उसकी माँ को ठुकरा दिया और गोवा की उस बडी बिजनेस टाइकून लुधियाना पंजाब से शादी कर ली । सीट आसानी से उस बारे में जितना सोचा उतना ही उसकी नफरत का कुमार बढा । अब सारी दौलत उसकी होगी । लिलियाना गोंजाल्विस की सारी दौलत पर अब उसका कब्जा होगा जिसके लिए कभी उस दुष्ट पीटर में उसकी माँ शारदा आसानी गुड ठोकर मारती थी क्या सोच रहे हम भी आॅल के कंधे पर हाथ रखा क्या? कुछ नहीं कुछ नहीं । फिर भी कुछ तो बिहारी की तस्वीरें देखकर कुछ पुरानी यादें ताजा हो गई थी । वहाँ गए यहाँ ताल इसमें कुछ भी तो नहीं बदला है ना ऍम कमरे में चारों तरफ नजर दौडाती हुई बोली सही कहा तो हरियाणा गोंजालवेज ने ठंडी सांस भरी है । सच में यहाँ कुछ भी नहीं पता है । ये भी कुछ चीजें ऐसी हैं जो पंद्रह सालों में बहुत पीछे छूट गई हैं और जिनका लौटाना भी अब उन की नहीं । आपने ठीक कहा डीटा सानिया की आवाज भारी हो गए । नहीं कुछ चीजें हम बहुत पीछे छूट चुकी हैं । बहुत पीछे फॅसने पूरे आना काना । इसका एक चक्कर आ रहा था । वहाँ की एक एक चीज घूमी थी । उस साल इसमें ऐसी एक भी जगह नहीं थी जिसके बारे में जूलिया ने उसे पहले ही नहीं बता दिया था । उसी शाम आना बाल इसमें जूलिया के आने की खुशी में बडी भाग्य पार्टी का भी आयोजन किया गया । वो पार्टी रीता सान्याल के लिए काफी यादगार पार्टी रहें और उस पार्टी के द्वारा रीता सान्याल को ये भी मालूम हुआ कि लेडी आना गुंजाल कितने रसूख वाली औरत थी और गोवा के कॉन्फ्रेंस जगत में उसकी कितनी इस सकती । पार्टी में गोवा शहर के मैं से लेकर पुलिस कमिश्नर नागल फ्रांस कई मिनिस्टर जांच तथा बडे बडे बिजनेस टाइकून मौजूद थे । बेटा सान्याल ने उस पार्टी में एक बडी खास पैसों की चमकदार ड्रेस पहनी हुई थी । उसमें स्लीवलेस टॉप पहन रखा था और वह काफी लंबी स्कर्ट पहले थी जो एक साइड में से करती थी और इसी कारण उसमें से उसकी केले कि तनी जैसी चिकनी एक दम बिल्कुल साफ साफ नुमाया हो रही थी । उस वक्त उस पार्टी की रौनक उसी के दम पर थे । वहाँ जितने भी आदमी आ रहे थे वो बडे प्यार से उसे गले लगाते, उससे हाथ मिलाते या फिर उसे आशीर्वाद देते थे । पुलिस कमिश्नर माॅस् के बेहद खास दोस्तों में से था । नागमंडल फ्रांस ने बडे गर्व के साथ बीता सान्याल को गले लगाया हाॅल पहले मैं तुम्हारा अंकल हूँ । फिर वो उसके दोनों कंधे पकडकर मुस्कुराता हुआ बोला ना ॅ! लेकिन तो मुझे सिर्फ फ्रांस्वा अंकल ही कह सकती हूँ ऍम अस ऍम सांकर । फ्रांस के मुस्कान कुछ और गहरी हो गई नागूलाल फ्रांसो । चालीस पैंतालीस साल का तंदरुस्त गुवानी था । उसका शरीर साधारण गाडियों से कुछ लंबा था और रंग साफ था । इसके अलावा उसके चेहरे पर बडी बडी मूछे थी जो उसकी पर्सनालिटी कौर रोबीला बना रहे थे । लेवॅल भी उस क्षण रही थी । यहाँ आने के बाद क्या तुम अभी हुआ? घूमी हो या नहीं? फॅसने पूछा नहीं पीता । सानिया की गर्दन इंकार नहीं । हाँ तो फॅमिली से फुर्सत नहीं इसमें कोई शक नहीं नागुलाल फ्रांसो, ठठाकर हसा यहाँ आना । पालस में भी घूमने के लिए काफी कुछ । अभी मैं तुमसे बात जरूर करूँगा क्या जवाना पारस को अच्छी तरह देख लो तो फिर पूरे गोवा को घूम डालना । अब तो मैं यही रहना । इसलिए एक बार पूरा वो अच्छी तरह घूम लो की तो फिर तो मैं यहां के कल्चर को समझने में तथा उसके अंदर ढलने में काफी सहूलियत रहेगी । मैं भी यही समझती हूँ ऍम इसे पूरा हुआ घूम लेना चाहिए । एक दो दिन के अंदर ही मैं ऐसे शहर के लिए लेकर नहीं होगी । ये तो और भी अच्छा होगा । आना नागुलाल फ्रांस बोला तभी एक वेटर वहाँ सॉफ्ट ड्रिंक के ग्लासों से भरी ट्रे ले कर आ गया । रीता सानिया ले खुद एक ग्लास उठा करना गोल शाम को साफ किया ऍम नागोल शाम से बोला रेजा सानिया के चेहरे पर बडे प्यारे भाग है । इसके अलावा मैं तुमसे एक और बात कहना चाहूंगा मैं अच्छा है ऍफ करता हूँ क्या इस गोवा शहर के अंदर कैसे भी कोई प्रॉब्लम तो बेहिचक मुझसे कहना क्यों नहीं? रीडर सानिया दूरी अगर आपको अपनी प्रॉब्लम नहीं बताउंगी अलशाम सांग तो फिर किसी बताउंगी ऍम उसी क्षण पार्टी में कुछ और लोग ध्यान है आॅडिटर सान्याल अब उनकी तरफ बढते पार्टी में मेहमानों के साथ जितनी भी लडकियां आईं हुई थी, उन सब की इच्छा हो रही थी कि वह लीटर सान्याल से दोस्ती करें । उसे अपनी रनबनाए कुल मिलाकर आना । पैलेस में कदम रखते ही रीता सान्याल बहुत खास बहुत स्पेशल रुतबा हासिल कर चुकी नहीं । कहानी आगे बढे उससे पहले आइए अब हम चंद पलों के लिए जो जैसा कि आप सभी जानते हैं तो मरोगी मेरे हाथों नामक जिस उपन्यास को आप इस समय सुन रहे हैं ये उपन्यास फस जाओ मेरे लिए नामक उपन्यास का दूसरा और आखिरी हिस्सा है । आशा है आपने फस जाऊ, मेरे लिए सुन लिया होगा । अगर फस जाऊ मेरे लिए नहीं सुना तो इस उपन्यास को यही बंद करके रख दीजिए और पहले फस जाऊ । मेरे लिए सुनिए ये एक मारा मिस्ट्री उपन्यास है । इसमें पेचीदा घटनाक्रम और हालातों से अपने आप पैदा हुए साक्षियों के काफी योगदान है । इसलिए अगर आप प्रथम भाग को सुने या पढे बिना प्रस्तुत उपन्यास को सुनेंगे तो कहानी की पेश आपको समझ नहीं आएंगे और इसलिए आपका उचित मनोरंजन भी नहीं हो सकेगा । जो पाठक गण जो श्रोतागण है, भर जाओ मेरे लिए सुन चुके हैं । आइये संक्षिप्त रूप में कथासागर गुनाह दोहरा ली जिससे उनकी आ रही ताजा हो सके । हस जाओ मेरे ये रीता सान्याल नामक एक ऐसे दोस्त दांत अपराधी की कहानी है जिसने बचपन से ही दुःखी दुःख देखे । मुंबई शहर की मुश्किलों के बीच उसका सामना गरीबी से हुआ भूख से हुआ । रीता सान्याल की माँ का नाम था शारदा आसानियां । चार दासानिया की जिंदगी भी बस दुखों का तपता हुआ रेगिस्तान थी । उसने मुंबई शहर के लोगों की जेब काट काट कर अपनी बेटी मीडिया सान्याल की परवरिश डॅाल बडी हुई तो वह भी अपनी माँ की तरह ही मुंबई शहर में लोगों की जेब काटने की लेकिन लेता सान्याल के सपने ऊंची थे । अपना पेट भरना ही उसका लक्ष्य नहीं था बल्कि वह ढेर सारी दौलत कमाना चाहती थी । नई आजादियों की तरह जिंदगी को जानना चाहती थी आपने उन सपनों को साकार करने के लिए । तब रीता सान्याल ने कुछ छोटी मोटी डकैतियां भी डालें जिसमें वो कामयाब रहे । उन डकैतियों में काफी बडी बडी रख में भी नहीं जा सानिया के हाथ लगी । इस बीच रीता सानिया और कई बार पकडे भी गए । फिर उसनें मोटी मोटी सुपारी लेकर कई हत्याएं भी और ऍम की जिंदगी में सचिनदेव रह गया । डॉक्टर सचिन ऍम मुंबई के जसलोक हॉस्पिटल का मशहूर प्लास्टिक साझे लेकिन डॉक्टर सचिन देवडा की जिंदगी की दास्तान भी कुछ काम हंगामा के इतना थी ये काम बडे आश्चर्य की बात नहीं थी कि जो डॉक्टर कभी न सिर्फ मुंबई शहर का बल्कि भारत वर्ष का भी मशहूर प्लास्टिक सर्जन हुआ करता था वहीं आज खतरनाक क्रिमनल बन चुका था । वही आज मुंबई पुलिस में वहाँ था । कभी डॉक्टर सचिन देवडा अमेरिका से प्लास्टिक सर्जरी का चार साल का स्पेशल कोर्स करके भारत आया था और भारत आते ही उसने प्लास्टिक सर्जरी की दुनिया में तहलका मचा दिया । डॉक्टर सचिन देवडा के बारे में मशहूर था कि वो किसी भी आदमी का प्लास्टिक सर्जरी के द्वारा न सिर्फ चेहरा बदल सकता है बल्कि प्लास्टिक सर्जरी के द्वारा ही किसी भी आदमी के चेहरे पर किसी भी दूसरे आदमी के चेहरे का पाॅइंट में का भी कर सकता है । नहीं संदेह प्लास्टिक सोचने के किसी डॉक्टर को ऐसी महारत हासिल होना बहुत बडी बात है और सचिन देवता को अपने पेशे में ऐसी ही महारत हासिल थे । उसके पास दुनिया की हर खुशी थी सिवाय एक चीज को छोड कर । उसके पास अच्छी बीती नहीं थी और अपनी बीवी की वजह से ही उसकी जिंदगी में वह सारा हंगामा हुआ । सचिन देवडा के बीच भी बहुत खुद से प्रसूतियां रहते हैं । वो हरदम उससे लडती रहती थी । चीख चीखकर सारा घर सिर पर उठाए रखती थी । बीवी से तंग आकर ही डॉक्टर सचिन देवडा के घर में एक और बडा हंगामा न जाने कैसे सचिन देवता कि बीवी को उसके न स्वाले अफेयर के बारे में पता चल गया । उस रात दोनों पति पत्नी के बीच जमकर युद्ध हुआ । उस युद्ध का परिणाम भी भयंकर नहीं चाहते । उस रात सचिन देवडा गुस्से में इतना बेकाबू हो गया जितना पहले कभी नहीं हुआ था । उसने वही रखा, एक सब्जी काटने वाला चाकू उठाया तथा फिर आक्रोश में अपनी पत्नी के पेट में जोर जोर से अच्छा आपको घोपता चला गया । उसे जब तक पूछा है तब तक उसकी पत्नी लाश में बदल चुकी थी । तब सचिन देवडा के छोटे छोटे वो जानता था किसी की हत्या करने का क्या अंजाम होता है । फिर उसकी बीवी के साथ कितने खराब संबंधी ये बात भी सबको मालूम थी । जैसे ही लोगों को ये पता चलता है कि उसकी बीवी की हत्या हो गई, फौरन ही सब कुछ कर इस नतीजे पर भी पहुंच जाने वाले थे कि ये काम उसी ने किया है । सचिन देवडा के आंखों के सामने फांसी का फंदा झूठ नहीं लगा । जल्द ही डॉक्टर सचिन देवरानी उस आफत से छुटकारा पाने का एक हल्दी खोज निकाला । उसने उसके कदकाठी और रंग सबकुछ उसके बीवी से हूँ हूँ मिलता जुलता था । बस सचिन ने अपने करामाती हाथों का कमाल दिखाया और प्लास्टिक सच्ची द्वारा उसमें उसका चेहरा बिल्कुल अपनी पत्नी के चेहरे में बदल दिया । अब कोई भी उसे देखता तो यही समझता की वह मिसेज सचिनदेव रहा है । फिर सचिन ने एक और दहला देने वाला कारनामा अंजाम दिया । उसने अपने मृत पत्नी के शरीर की बोटी बोटी का डाली । इतना ही नहीं उसने उसके शरीर की सभी हड्डियों के जोड भी खोल डाले । वो क्योंकि डॉक्टर था इसलिए इस काम को करने में उसे आसानी हुई उसके बाद सचिन देवरा ने अपनी पत्नी के जिस्म की तमाम मोटी और हड्डियों को तेजाब के अंदर अच्छी तरह चलाया तथा फिर उन सब को थोडा थोडा करके मुंबई शहर के लालू गंदे गटरों और समुद्रों में भेज दिया । इस तरह उसने अपनी बीवी की लाश बडी चतुराई से ठिकाने लगती अपने मंत्री हुए । दिमाग सेवा अपराध करने के बाद डॉक्टर सचिन देवडा ये सोच रहा था कि अब कानून उसे कभी नहीं पकडता आएगा लेकिन फिर भी हंगामा हो गया । दुनिया की नजरों में उसकी बीवी तो जिंदा थी लेकिन ना खराब हो चुकी थी । इससे नाराज के परिवार के बीच चिंता की लहर दौड के बडे पैमाने पर न उसकी ढूंढ मच्छी सबसे बडी आपत्ति आई की न्याज की जो माँ ही उसने अपनी गुमशुदा बेटी के वियोग में चारपाई पकड ली और उसकी हालत मरने जैसी हो गए । नस अपनी माँ की ऐसी हालत नहीं देख सकी । वो सचिन देवता को बिना बताए चुपचाप अपनी माँ से मिलने हॉस्पिटल जा पहुंची और उसने अपनी माँ के सामने सारा राज खोल दिया । बस यही से सचिन देवडा की बर्बादी की शुरुआत हो गए । उस समय हॉस्पिटल के उस वार्ड में सादी वर्दी के अंदर एक सब इंस्पेक्टर भी मौजूद था । उसने वह सारी कहानी सुनी । तुरंत वो क्लास को पकडने के लिए उसकी तरफ झपटा न वहाँ से भाग इसी भागा दौडी में वो ना उस काफी ऊपर वाली सीढियों से नीचे गिर पडी तथा फिर लुढकती चली गई । नीचे पहुंचते पहुंचते उसका सिर फट गया । सारा भेजा बाहर निकल आया और वह तत्काल ऑन द स्पॉट मर गए । फिर बोली सचिन देवता को गिरफ्तार करने उसके घर बच्चे । लेकिन तब तक सचिन देवरा को भी ये मालूम हो चुका था की तमाम चालाकियों के बावजूद उसका रास्ता खो चुका है । इसलिए पुलिस के पहुंचने से पहले ही वो भी अपना घर छोडकर भाग खडा हुआ । ये थी सचिन देवडा की बर्बादी की दास्तान बहुत आसान जिसने उसे अपराध की डगर पर धकेल दिया । उसी अपराध्कि नगर पर उस की रीटा आसानी से मुलाकात हुई और फिर उन्होंने एक साथ मिलकर कई अपराध किए । यहाँ तक कि एक बिलकुल ही आरपार का गेम खेलने के लिए उन दोनों ने एक सशस्त्र बैंक डकैती की प्लानिंग बना डाली जिसमें इत्तेफाक से वो असफल रहे और उस दान डकैती के दौरान वो दोनों ही मुंबई पुलिस द्वारा गिरफ्तार होते होते बचे उसी दौरान रीता सानिया की जिंदगी में एक बडा प्रचंड तूफान आये । ऐसा तूफान जिसने रीटा सान्याल के जीवन की धारा ही बदलती है और उसे तूफान के कारण इस महागाथा की नींव पडी । शारदा सान्याल के पेट में कैंसर का बडा क्यों मर यानी थोडा था । एक दिन वो ट्यूमर फट गया और शारदा सान्याल मौत की दहलीज पर जा खडी हुई । उस दिन मरने से पहले शारदा सान्याल ने कई राहत से उद्घाटन किए । जैसे उस ने सबसे बडा रहस्योद्घाटन तो रीता सानिया के सामने यही किया कि उसे उसके बाप का नाम बताया । पढना रीता सान्याल उस दिन तक किसी बात से अनजान थी कि उसका बात कौन हैं? शारदा सानिया ने बताया उसके पिता का नाम पीता था । पीटर एक गुवानी नौजवान था । कभी ज्यादा सानिया गोवा में ही रहती थी और पीछे से महोब्बत करती थी लेकिन पीटर ने उसके साथ धोखा किया था । पीटर की जिंदगी में लीड आना गोंजाल्वेज नाम की बहुत बडी बिजनेस टायॅलेट दिया गई तो पीटर ने शारदा सान्याल को अपनी जिंदगी से मक्खी की तरह निकाल कर फेंक दिया और लेते आना गुंजाल से शादी कर ली । उस समय रीता शादा सान्याल कि पेट में थी । उसे जब पीटर के लेते आना । गोंजाल्वेस के साथ शादी करने का समाचार मिला तो पहाड सा टूट करके ना शारदा सान्याल के ऊपर वो रोती बिलखती हुई लेते आना गुलडागर के विशाल नहर जैसे पालस में पहुंची । वहाँ उसने फूट फूटकर रोते हुए पीटर को ये बताया कि वो उसके बच्चे की माँ बनने वाली है । लेकिन उस दुष्ट पीटर ने इस बात को मानने से ही इंकार कर दिया कि उसके कभी शारदा सान्याल के साथ संबंध भी रहे थे । इतना ही नहीं लेते आना गुंजाल ने भी उसे अपने नौकरों से उठवाकर पालस से बाहर भिजवा दिया । शारदा, सानिया और हुआ छोडकर मुंबई आ कहीं वहीं उसने अपनी बेटी को जन्म दिया और उसका नाम रखा था रीता सानिया हाँ शारदा सा न्यायालयों से अपना ही सानी दिया । पीटर की छाया भी वो अपनी बेटी पर नहीं पडने देना चाहती थी । उधर बीटर भी लेते आना गुंडागर्दी के साथ कभी सुखी नहीं रहा । उन दोनों के बीच अक्सर झगडे होते रहते थे । शायद शारदा सानिया का शाप लग गया था । उन दोनों की खुश हूँ । लेडी आना गोंजाल्वेस चाहे बहुत रहीस औरत थी, वहीं पीटर कुछ भी था । उधर शादी के बाद आना भी एक लडकी हुई जिसका नाम उसने जूलिया रखा । फॅस के पास इतना समय भी नहीं था तो वो अपनी बेटी को पाल भेज सकती । वो हमेशा बिजनेस में बिजी रहती थी । यही वजह है जूलिया का सारा पालन पोषण पीटर नहीं । क्या पीटर जल्दी अपनी पत्नी के सामने खुद को काफी हीन अनुभव करने लगा था । जो लिया अब सात साल की काफी समझता लडकी बन चुकी थी आना और पीटर के बीच अब छोटी छोटी बातों पर झगडे होने लगे थे । तंग आकर पीटर नहीं लेते आना गुंजाल जिसका बाल छोड दिया जो लिया भी चुकी अपने बाप के साथ ही ज्यादा घुली मिली थी इसलिए उसने भी उसी का साथ दिया । वो दोनों आना पालस छोडकर मुंबई आता है आना गोलवाल समझती थी । पीटर जूलिया को लेकर बहुत जल्द उसके पास हुआ लौटाएगा । लेकिन पीटर जिद्दी स्वभाव का नहीं किया । उसने मुंबई में ही नौकरी कर ली और फिर जो लिया के साथ अपनी सारी जिंदगी के साथ नहीं । मरने से पहले शारदा सान्याल अपनी बेटी रीता सान्याल को बताती है कि दो साल ते हैं । पीटर की उसी मुंबई शहर में मौत हो चुकी है जबकि जूलिया कस्तूरबा गर्ल्स हॉस्टल में रहती है तथा एक स्टेनो कम टाइपिस्ट की नौकरी करके अपना पेट भरती है । शारदा सान्याल रीता को ये भी बताती है कि झोलियां अपनी माँ लेते आना गुंजाल से सख्त नफरत है । जो लिया समझते हैं उसके बाद के तमाम दुखों का कारण आना है । लेडी आॅफिसर जूलिया को लेता है । लिखती है कि वो उसके पास हुआ लौटाएं लेकिन जो लिया पर उसकी उन चिट्ठियों का भी असर नहीं होता । शारदा सानिया जोर जोर से हफ्ते हुए कहती है बेटी उन्होंने पीटर तो जीवित रहा नहीं है लेकिन मेरे दिल में पतले की हाँ अभी भी धधक रही है पीटर ने और लेवॅल मेरा जो अपमान किया मैं उस अपमान को आज तक नहीं भूल ऍम इसके लिए फिर फॅस की जिस दौलत के लिए मुझे ॅ तो उन्हें उसी ऍसे बदला लेना है तो उसकी सारी दौलत हासिल करनी है । नहीं अच्छा! अगर पीटर की एक बेटी गोहाना की दौलत नहीं मिली तो उसकी दूसरी बेटी झूले को भी है ना कि तमाम दौलत नहीं मिलनी चाहिए । शारदा साना को खून का बडी बडी क्या होती है, उसकी सांसे जोर जोर से चलने लगती है । वो महीने से पहले रेट आसानी से वचन लेती है कि वह डिगियाना गुंजाल जैसे बदला नहीं, उसकी उस दौलत को हासिल करके दिखाई कि जिसके लिए कभी उस दुष्ट बीटर ने अपनी मोहब्बत को ठुकरा दिया था, अपनी बेटी को ठुकरा दिया था । वीडा सान्याल उसे वचन देती है कि वह आना से बदला लेकिन उसी क्षण शारदा आसानी को खून की और बडी बडी उल्टियाँ हैं हूँ मैं जाती है । अब रीता सान्याल की जिंदगी का एक ही मकसद रह गया था बदला लेडी आना । गोंजाल्विस से बदला किसी भी तरह उसकी तमाम दौलत हासिल कर रहे हैं । सचिन देवडा भी उस खतरनाक मिशन में पूरी तरह उसका साथ देता है । रीता साने और सबसे पहले जूलिया को मार डालने की एक प्लानिंग बनाते हैं । बडी जबरदस्त प्लानिंग मौर्य की एक ऐसी हैरतंगेज प्लानिंग जो दुनिया की कोई भी अदालत उस माता को मार डाॅॅ न दे सकें बल्कि कानून की नजर में वो स्वाभाविक मृत्यु का ही मामला हो । षडयन्त्र के धागों को अपने दिमाग में खूब अच्छी तरह कसकर रीता, सानिया और कस्तूरबा गौर हॉस्टल में जा पहुंचती है । वहाँ हॉस्टल के वॉर्डन रेणुका चौहान को वो अपना परिचय रीता शर्मा के नाम से देती है और वो उनको बताती है कि वह एक्ट्रेस है तथा आजकल फिल्मों तथा टीवी सीरियल में काम पाने के लिए स्ट्रगल कर रही है । पंद्रह सौ रुपए महीने पर उसे हॉस्टल के अंदर एक कमरा मिल जाता है । कस्तूरबा आगाज हॉस्टल की वॉर्डन रेणुका चौहाण बेहद प्लेन वाली औरत थी और उसकी डिसिप्लिन के चर्चे न सिर्फ उस हॉस्टल के अंदर बल्कि पूरे मुंबई शहर में थे । बहरहाल शीघ्र ही रीता सान्याल उस हॉस्टर के अंदर जूलिया को खोज निकालती हैं जो लिया कमरा नंबर दो सौ तीन में एक अन्य लडकी के साथ रहती थी । जूलिया एक बेहद भोली भाली मासूम सी लडकी थी । लेकिन जो दूसरी लडकी कमरा नंबर दो सौ तीन में जूलिया के साथ रहती थी उसका नाम रसिया था और वह बेहद चालाक तथा शातिर किस्म की लडकी थी । ऍफ में कहीं नौकरी करती थी लेकिन कहाँ नौकरी करती थी ये किसी को कुछ मालूम था । जैसा पूरी तरह कॅाल सी लडकी थी । उसे नॉनवेज जोक् सुनने का भी शौक था और वो जो लिया को अक्सर बडे बडे असली जोक सुनाती रहती थी । रिकाॅल अपने प्रयासों से उसी कमरा नंबर दो सौ तीन में शिफ्ट हो जाती है तथा जूलिया और जसिया के साथ रहने लगती है । एक दिन वो रसिया का रात के समय पीछा करती है तो उसे मालूम होता है कि रजिया ऑफिस में काम करने वाली कोई कामकाजी लडकी नहीं थी बल्कि वास्तव में कोई खाई प्राइस्ट कॉलगर्ल् थी और मुंबई के एक बेहद बदनाम इलाके ऍम रोड पर धंदा करती थी । उसके बाद रजिया के बारे में एक और बडा सफर दस्त राज रीता सानिया को पता चलता है । दरअसल लेडी आना गुंजाल देख अपने बेटी जूलिया को गोवा से जो लेटर भेज दी थी उन लेट इसके साथ बडी बडी मोटी रकम ओके चेक होते थे । लेकिन जूलिया ने उनमें से किसी चक को कभी जांच नहीं कर रहा । बल्कि सच्चाई तो यह है कि वह आना की चिट्ठी भी सही ढंग से खुलकर नहीं पडती थी । नफरत ही इस कदर थी उसे आना से लेकिन इसी कारण रजिया की लॉटरी लगी हुई थी । उसने पंजाब नेशनल बैंक में जूलिया के फर्जी नाम से अपना एक बैंक अकाउंट खुलवा रखा था । वो अक्सर लेडी आना गोंजाल्विस के चेक चुराकर अपने उस अकाउंट में जमा करा देती थी और इस तरह वो रकम उसे हासिल हो जाती है । कुल मिलाकर रजिया जूलिया को अपनी विश्वासपात्र सहेली बनाकर खोते उस तरह से उसे मून रही थी । जब सचिन देवता को रजिया के बारे में वो सारी बातें पता चलती हैं तो वो रीता सान्याल को अलर्ट करता है तथा उसे समझाता है कि वह शातिर लडकी आने वाले वक्त में जूरिया की मौत प्लानिंग के अंदर कोई बडा अडंगा पैदा कर सकती है । इसलिए अगर जूलिया को प्रॉफिट मारा करना है तो पहले इस रजिया का कोई ना कोई इंतजाम सोचना होगा । बात रीता सान्याल की समझ में आती हैं । अब वह रजिया को भी अपने साथ जूलिया की मौत वाली ट्रेनिंग में शामिल करने का प्लान बनाते हैं । वो जब राजिया से इस बारे में बात करती है तो रसिया पहले चौक हैं फिर मना करते हैं । मगर जब रीता सान्याल उसे ये समझाती है कि जूलिया की हत्या करने के बाद उसके हाथ लेते आना गोंजाल्विस की कितनी बडी दौलत लगेगी तो तैयार हो जाती है । आखिर खुद भी दौलत की कोई काम दुखी नहीं थी । इस तरह रेटा सान्याल, सचिन देवडा और रजिया वो तीनों उस मौत अपनाने में साझेदार बन चुके थे । फिर जूलिया का मोहरा करने के लिए एक बडी जबरदस्त प्लानिंग के पत्ते फैलाए जाते हैं । बॅाल एकदिन जूलिया को बातों ही बातों में बताती है कि मुंबई फिल्म इंडस्ट्री के सबसे बडे शोमैन सुभाष चोपडा जी जल्द ही ड्रग्स के ऊपर एक फिल्म बनाने वाले हैं । उस फिल्म में एक ब्लाॅक लडकी का ऐसा पावरफुल रोल है कि जो भी लडकी उस रोल को करेगी वो रातोरात फिल्म इंडस्ट्री के आकाश पर छा जाएगी । पूरे हिंदुस्तान के सिनेमाहॉल उसाक रिस्की तारीख में तालियों की गडगडाहट से गूंज उठेंगे । ऍम जूलिया को सलाह देती है अगर वो चाहे तो उसे मिल सकता है । क्योंकि सुबह शुक्ला जी को स्कूल के लिए जिस लडकी की जरूरत है उसके चेहरे पर थोडी मासूमियत होनी जरूरी है और वह मासूमियत इत्तेफाक से उसके चेहरे पर है जो लिया कहती है । लेकिन मैं तो एक्टिंग की एबीसीडी भी नहीं जानती तो क्या हुआ । फॅमिली सिखा दूंगी रीटर सानिया बताते हैं, पंद्रह दिन बाद सुभाष चोपडा जी इस रोल के लिए स्क्रीन टेस्ट लेंगे । इन पंद्रह दिन के अंदर अगर तुम चाहो तो फॅमिली बडी लाजवाब एक्टिंग सीख सकती हूँ । रजिया भी उसके ऊपर प्रेशर डालती है कि वो उस को हासिल करने का प्रयास करेंगे । जूलिया तैयार हो जाती है । रेडर सान्याल भी उसी दिन से उसे आठ दिन की ट्रेनिंग देने लगती है । दरअसल रीता सानिया कितना जानेंगे थी कि वह एक्टिंग की ट्रेनिंग देने के नाम पर जूलिया को धीरे धीरे सच में दो हजार एक बनाते हैं और एक दिन वो ट्रक का शिकार होकर मार चाहे । रीता सान्याल एक सिगरेट के अंदर से उसका सारा तंबाकू निकालकर उसे ब्राउनशुगर भर देती है । जबकि यूलिया को ये बताती है कि वह चॉकलेट का पाउडर है । फिर वो जो लिया से कहती है कि चॉकलेट के पास जैसे भरी उस सिगरेट को ये सोचकर कष्ट लगा है कि उसमें ब्राउनशुगर भारी है । इससे ब्लॅक लडकी थी । एकदम राॅकी जूलिया सिगरेट का कश लगती हैं । इस तरह रेता सानिया जूलिया को धीरे धीरे ड्राॅप बनाने लगती है । उधर सचिन देवडा के साथ ये घटना पेश आती है । वो कांदे वाले की जिस बैठी चौक में रहता था उसी के सामने एक और बैठ चौथी उसमें किरपाराम मूलचंदानी नाम का एक सिंधी आदमी अपनी बीवी के साथ रहता था । किरपाराम मूलचंदानी की बीवी का नाम रोशन था । उन्होंने कि बडी अद्भुत जोडी थी किरपाराम मूलचंदानी । जहाँ अधेड उम्र का पका हुआ आदमी था, वहीं ऊषा ऐसी कडक जवान औरत थी क्यों से देखते ही मारता का जबडा खुले का खुला रह जाए और वह तत्काल उसके साथ फिटिंग का सपना देखने लगे । कभी उषा पारस रोड पर धरना करती थी । फिर एक दिन होगा ही । किरपाराम मूलचंदानी की निगाह में चढ गई और ऐसी चढी कि उसने उसे कोठे से उठाकर अपने घर की अपने दिल की जीनत बना लिया था । लेकिन वह अपने हराम पंथियों से फिर भी बात नहीं आए थे । खासतौर पर किरपाराम मूलचंदानी तो इतना बडा हरामी था कि उस जैसा कोई दूसरा हरामी पूरे हरामी ओके ट्रेड में भी मिलना मुश्किल था । फिर दोबारा मूलचंदानी ने कभी अपनी जिंदगी के अंदर सीधे ढंग से पैसा कमाना नहीं सीखा था । हमेशा आडे तिरछे ढंग से पैसा कमाता था । जैसे वह मुंबई शहर के अंदर पहले किसी अच्छे खासे मोटे ताजे बकरी की तलाश करता था । फिर ऊषा उसे अपने घुसने के फंदे में खूब कसकर जा करती थी और तभी के बारा मूलचंदानी सिंह नाजुक से मौके पर पहुंचकर ऐसा बडा बबाल खडा करता था कि बकरा अपनी सारी जेबे झाडकर भागने में ही अपनी भलाई समझता मानो बडा सस्ते में छोटा हूँ और अब किरपाराम मूलचंदानी तथा शिक्षा की निगाहें सचिन डेवलॅप । वो रीता सानिया को रात के समय वहाँ आती जाती देखती थी । उन्हें साफ साफ लगता है कि वो लोग जरूर किसी बडे फेर है तो उनकी जमकर निगरानी करने लगते हैं । उधर रजिया एक जूडो कराटे क्लब की मेंबर है तथा जूडो कराटे के अच्छे खासी जानते भी हैं । उस जूडो कराटे क्लब का मेंबर बनने से पहले फॉर्म पर सिग्नेचर करने पडते हैं । उस क्लब के नियम है कि अगर फाइट प्रैक्टिस के दौरान कभी किसी मेम्बर की डेथ हो जाए तो उसके लिए कोई भी जिम्मेदार नहीं होगा । इसीलिए पहले ही हर मेंबर से उस काम पर सिंह ने चक्रवाल ये जाते हैं । रीता सान्याल रजिया से कहकर उस क्लब की मेंबर भी बन जाती है और वहाँ जूडो कराटे सीखने लगती है । वो अपने प्लानिंग के तार बडी कुशलता से फैला दी जा रही थी । इस बीच रीता, सानिया और जूलिया को खूब सबर दस्त ऍम बना चुकी है जबकि वह बेवकूफ यही समझती है कि वह सिर्फ एक्टिंग कर रही है । रेट आसानी से कई मर्तबा रॉयल सलूट बाहर में भी ले जाती है जो अंधेरी वेस्ट के इलाके में बना था और नशेडियों का पक्का आता था । उस बार के मालिक का नाम छत्रपति राहुल था और वो इत्तेफाक से जूलिया की शक्ल अपनी बेटी से मिलती बात था जो मर चुकी थी । इसी कारण उसे जूलिया से हमदर्दी हो जाती है और छत्रपति रहा हूँ । यूरिया को ये सलाह दे रहता है कि वह ट्राॅले ये बुरी चीज है । छत्रपति रहा उन्हें अपनी अपनी जिंदगी में किसी को पहली बार वो सलाह दी थी । जूलिया छत्रपति नाव की बात हंसी में उडा देती है क्योंकि वह तो ये समझ रही थी कि वह तो ले ही नहीं रहे हैं । रेटर सान्याल इस बीच दिल्ली ने आना गुंजाल इसको भी जूलिया के फर्जी नाम से चिट्ठी लिखती है और वह पत्र लिखते समय सबसे बडी चालाकी ये दिखाती है कि उस पत्र के साथ रसिया का एक फोटो भेज देती है । फोटो देखकर लेडी आना गुंजाल जैसी अनुमान लगाते हैं कि वो उसकी बेटी जो लिया है । आखिर पूरे पंद्रह साल हो अपनी बेटी की फोटो देख रही थी । इस तरह रीता सान्याल लेते आना गोंजाल्विस की निगाह में रजिया को उसकी बेटी साबित कर देती है । उधर ऊषा सचिन देवता को आप अपने प्रेमजाल में फांसने लगती है जबकि किरपाराम मूलचंदानी ये पता लगाने का प्रयास करता है कि वास्तव में सचिन देवडा कौन है । जल्दी वो ये राज पता लगा लेता है कि सचिन देवराय डॉक्टर है और कभी वह जसलोक हॉस्पिटल में एक बडा मशहूर प्लास्टिक सर्जन हुआ करता था । इतना ही नहीं किलपारा मूलचंदानी रीता सान्याल के बारे में भी सब कुछ पता लगाने में सफल हो जाता है कि वह एक बडी दूर तांत मुस्लिम है और उसके ऊपर छह माता तथा एक सशस्त्र बैंक डकैती का भी योग है । फिर एक दिन वो उनका वार्तालाप भी सुन लेते हैं जिससे उन्हें पता चलता है कि डॉक्टर सचिनदेव ना और रीता सान्याल लेते आना । गोंजाल्वेस की दौलत हडपने के लिए वो सारा षडयंत्र रच रहे हैं । जबकि रीता सान्याल जूलिया को डाॅक् बनाने के साथ साथ उससे कहना पारस के बारे में भी काफी जानकारी इकट्ठी कर चुकी है । उसके बाद रीता सानिया और कस्तूरबा गर्ल्स हॉस्टल में भी अफवाह फैला देती है कि जूलिया ब्लॅक बन चुकी है और फिर एक नया नाटक और रचती है । वो जूलिया तथा रजिया के साथ ये कहकर हॉस्टल छोड देती है कि जिस हॉस्टल में रहते हुए उसकी इतनी प्यारी सहेली ड्राॅप बनी अब वो हॉस्टल में नहीं रहना चाहती । हॉस्टल छोडने से एक रात पहले ही डेटा सान्याल रजिया के साथ मिलकर कस्तूरबा गौर हॉस्टल की रजिस्टर से वो पन्ने भी भार डालती है । जिम पन्नों पर उन तीनों लडकियों की डीटेल्स लिखी थी और जिन डिटेल्स की वजह से उन्हें फ्यूचर में नुकसान उठाना पड सकता था । हॉस्टल छोडकर वो तीनों सहेलियां एक होटल में आ जाती हैं । अभी तक सब कुछ रीता सान्याल की प्लानिंग के अनुसार चल रहा था । एक एक कदम वो बडे प्रीप्लांड ढंग से उठा रही थी । होटल में पहुंचकर रीता सान्याल जूलिया को हीरोइन की बडी हैवी डोज दे देती है जिससे वह बेहोश हो जाती है तथा आप उसे चौबीस घंटे पहले होश नहीं आना था । जूलिया के भी होश होते ही रीता सान्याल और रसिया तुरंत उसे टैक्सी में लाटकर । सचिन देवता कि बैठे चौल में ले जाती है । जहाँ सचिन देवडा बेहोशी की हालत में ही जूलिया के चेहरे की प्लास्टिक सर्जरी करके उसका चेहरा बदल देता है, उसकी भूल ही गायब कर देता है । आंख ना किसी बदल चाहता है कुल मिलाकर जल्द ही जूलिया के चेहरे की हालत ऐसी हो जाती है कि अगर कोई भी उसे देखिए तो कम से कम जूलिया के रूप में न पहचान सकें । इससे पहले एक घटना और घटी है रीता सानिया को उषा पर शक हो जाता है कि वह सचिन देवता को अपने प्रेमजाल में फांसने का प्रयास कर रही है और सचिन बेवडा भी काफी कुछ । उसकी महक पत्नी की रफ्तार है । इससे रेटा सान्याल के दिल को ठेस पहुंचती है क्योंकि सचिनदेव से उसे भी मोहम्मद थी । उसे अपनी वीरान जिंदगी में बस एक ही अपना नजर आता था सचिन देवडा तब सचिन देवडा की भी आंखें होती हैं । उसे इस बात का भी कुछ कुछ शक होता है कि कहीं ऊषा उनकी मौत प्लानिंग को महा आपने के लिए तो वो सारा नाटक नहीं रच रही है । वो तुरंत ऊषा से कन्नी का ही लगता है । रोशा को इस बात का एहसास हो जाता है कि सचिन देवराव उसके ऊपर शक कर रहा है । वो ये बात किरपाराम मूलचंदानी को बताते हैं । किरपाराम मूलचंदानी भाग जाता है की आप ऊषा का सचिन देवरा के साथ मेलजोल उचित नहीं । वो उसी दिन उषा के साथ अपनी बैठी चौल में ताला लगाकर वहाँ से चला जाता है । जबकि हकीकत में वहाँ से जाता नहीं बल्कि सचिन देवरा के सामने मैं शुरू करता है । जैसे चला गया सच्चा ये थी वो दोनों पिछले रास्ते से वापस अपनी बैठे चोर के अंदर आ जाते हैं और पहले की ही तरह सचिन देख रहा तथा रीता सान्याल की गतिविधियों पर बारी तीसरे नजर रखते हैं । इतना ही नहीं जब सचिन बेवडा जूलिया के चेहरे की प्लास्टिक सर्जरी करता है तो किरपाराम मूलचंदानी उसकी फोटो भी खींचता है । तथा तेल में उनका आपस का वहाँ तालाब भी रिकॉर्ड करता है । उसके बाद रीता सान्याल और रसिया जूलिया को रोयल सलूट बार में ले जाकर हाई डोसे मार डालती हैं । इस तरह लेडी आना गोंजाल्विस की बेटी और करोडों की ओनर जूलिया एक लावारिस मौत मरती है । उसका चुकी चेहरा बदला जा चुका था इसलिए उसे कोई नहीं पहचान पाता कि वह जो लिया है उसे लावारिसों की तरह ईसाइयों के कब्रिस्तान में दफना दिया जाता है । फिर रीता, सानिया और रजा का भी बडी नाटक के अंदाज में माँ ऑर्डर कर डालते हैं । वो एक दिन हंसी हंसी में रजिया के चेहरे पर अपना मायका करती है और अपने चेहरे पर रजिया का । फिर वो रजिया के साथ जूडो कराटे क्लब जाती है और वहाँ फाइव प्रैक्टिस के दौरान रजिया की मर्मस्थल पर एक ऐसी ताइक्वोंडो के मारती है कि रसिया की तुरंत ऍम विस्फोट टैब हो जाती हैं । उस समय क्योंकि रजिया के चेहरे पर रीता सानिया का मेकप होता है तो सब यही समझाते हैं कि रीटा सान्याल मुंबई की पुलिस भी रीता सानिया को मरा समझकर केस फाइल बंद कर देती है तथा उसके ऊपर छह हत्या हूँ तथा एक सशस्त्र बैंक डकैती का जो अभियोग था वो हमेशा हमेशा के लिए समय के गर्भ में दख में हो जाता है । इस तरह रीता सान्याल आपने तेज दिमाग की बदौलत अपने सारे गुनाहों को धो डालती है । फिर वो एक नई चार चलती है सबसे बाडी चार वो सचिन देवडा से अपने चेहरे पर रजिया का प्रॉमिनेंट में कब करवाती हैं । और फिर खुद जूलिया के नाम से लेडी आना गुंजाल जिसके पास फोन करती है कि वह कल गुफा रही है । जबकि रीता सानिया यान अब बडे खतरनाक के रातों के साथ हुआ रवाना हो जाती है । अब उसने लेडी आना गुंजाल उसकी हत्या करनी थी । इस तरह हत्या करनी थी जो कानून की नजर में हत्या ही ना कॅाल अपने मकसद में कामयाब हो सकते हैं उससे एक बार फिर प्लानिंग के कैसे कैसे पत्ते बिछाए क्या क्या चालीस चली लेडी आना गोंजाल्विस की हत्या किस तरह हूँ, कोई भी या नहीं ये सब जानने के लिए सुनी इस उपन्यास का दूसरा और अंतिम भाग तो मरु जी मेरे हाथ

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"फंस जाओ मेरे लिए" का दूसरा भाग जो रीटा सान्याल की खोल सकता है पोल। क्या हुआ जब वो हवेली पहुंच गई? आखिर मैडिकल साइंस, पोस्टमार्टम रिपोर्ट्स और पुलिस इन्वेस्टीगेशन को कैसे चकमा दिया उसने?
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