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Barah meel door Epi-4 in Hindi

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220 Listens
AuthorNitin Sharma
बारह मील दूर writer: जे.जे. नंदीग्राम Voiceover Artist : RJ Swati Author : J J Nandigram
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सूरज तेजी से धर रहा था । कम होती रोशनी में डॉक्टर हॉल घोडे पर तेजी से आगे बढे जा रहे थे । अब उनकी तेज रफ्तार के साथ एक कारण और जो किया था । ऑपरेशन के अलावा अब उन्हें उन दोनों महिलाओं की भी चिंता थी जो जात बंगले में फंसी पडी थी और अब जिनके लिए त्रिकोट से टैक्सी भिजवानी थी । डाकबंगले से किलोमीटर आगे चलकर उन्होंने बडी सडक छोड दी और त्रिकोट जाने वाले पहाडी रास्ते को पकड लिया । रास्ता सिर्फ जंगली पगडंडियों से बना हुआ था जिसपर आदमी और जानवर आया जाया करते थे । पहाडी नाले के करीब पहुंचकर उन्होंने घोडे की चाल धीमी करती तभी अचानक उन्हें अपने पीछे किसी दूसरे घोडे की तापी सुनाई पडने लगी । उन्होंने सिर घुमाकर पीछे देखा पीछे कोई नहीं था । इस पर उन्हें अच्छा नहीं हुआ क्योंकि वो जानते थे कि पहाडियों का चक्कर खाकर आते हुए रास्ते में अनेको मोड करते हैं । उन्होंने घोडे को पानी में आगे बढाया । पानी गहरा नहीं था । घोडे के घुटनों तक आ रहा था । नाला पार करके उन्होंने फिर सुनने की कोशिश की लेकिन नाले की तेजी से बहते हुए पानी के शोर में उन्हें कुछ भी सुनाई नहीं पडा । उन्होंने घोडे की रफ्तार तेज कर दी । करीब एक किलोमीटर आगे पहुंचकर उन्होंने घोडे की लगाम फिर से भी ले के और पीछे कम लगाकर सुनने की कोशिश की । आवाज साफ साफ आ रही थी । जरूर उसी रास्ते पर कोई दूसरा घर सवारा रहा था लेकिन वह भी दिखाई नहीं पड रहा था । डॉक्टर हॉल के पास इतना समय नहीं था कि वह पीछे आने वाले का इंतजार कर सकते । अस्पताल में ऑपरेशन था और उधर डाकबंगले में टैक्सी का इंतजार करती हुई महिलाएं । वो पीछे आने वाले गोल्ड सवार के बारे में कुछ ना सोच कर तेजी से आगे बढने लगे और अपने अस्पताल के गेट पर पहुंचकर ही दम लिया । अस्पताल में प्रवेश करते ही उन्होंने सबसे पहले त्रिकोट से टैक्सी मंगवाने के लिए अपने नौकर को भेज दिया । नौकर फौरन ही दूसरा घोडा लेकर रवाना हो गया । डाकबंगले में इंतजार करती हुई महिलाओं और उस नवयुवक के प्रति कर्तव्य पूरा करने के बाद वो निश्चित हो गए । उनके सहायक डॉक्टर गनी ने ऑपरेशन के लिए हर तैयारी कर रखी थी । सिर्फ मरीज को क्लोरोफॉर्म अभी नई सुनाया था । डॉक्टर हॉल फौरन अपने काम में जुट गए । ऑपरेशन मुश्किल नहीं था और उसे पूरा करने में मुश्किल से एक घंटा लगा । ऑपरेशन सफल रहा और मरीज को ऑपरेशन टेबल से वार्ड में भेज दिया गया । तभी उनके पास सन्देश आया कि बाहर बरामदे में एक आदमी उनका इंतजार कर रहा है । उस आदमी को आई अभी दस मिनट भी नहीं हुए थे लेकिन वो बहुत जल्दी मचा रहा था । डॉक्टर हॉल बरामदे में निकल गए । बाहर एक आदमी हाथ बांधे खडा हुआ था । उसके एक हाथ में हंटर था और मुँह में एक कोने पर शुरू दबा हुआ था । उसने आहाते में ठोकने के लिए जरूरत मुझ से बाहर निकाला । उसने ढीलीढाली पतलून पहन रखी थी जिसकी मोहनियां रेशमी धागों से बनी हुई थी । ऊपर एक चुस्त लाल रंग की जैकेट थी जिसकी जेबों पर काम दानी का काम किया हुआ था । कर रहा पकडे और मुडी हुई ज्योतियां आहाते में एक ऐसा हुआ घोडा खडा था जो उसी का लगता था । डॉक्टर हॉल ने महसूस किया कि शायद ये वही हो रहा है जिसके टापों की आवाज उन्हें डाकबंगले से आते हुए अपने पीछे रास्ते में सुनाई दी थी । डॉक्टर हॉल के आते ही वो आदमी तेजी से पीछे मुडा उसका शरीर खिलाडियों जैसा था । डीलडौल भारी भरकम होते हुए थी । उसमें बेहद होती थी । उसका चेहरा रूप से झुलसा और तांबे की रंगत का था और उस पर बडी बडी मूंछें उसके चेहरे को कठोर बना रही थी । ऍम उसका कठोर और सुनाई दिया । मैं बहुत देर से यहाँ इंतजार कर रहा हूँ लेकिन आपका नौकर है की अब तक मेरा संदेश ही नहीं पहुंचा रहा है । और उधर मेरे मालिक का लडका मौत के मुंह में हैं । बहुत अफसोस है मुझे । जनाब मैं एक ऑपरेशन में व्यवस्था आपके मालिक कौन है? वे कहा रहते हैं मेरे मालिक महेंद्र श्री बस अनसेंड बहादुर हैं । अबुल घट के आसपास उनसे बडा जमींदारा दूसरा कोई नहीं है । वह सरदार के नाम से मशहूर हैं । मैं उनका नौकर हूँ । मैं यहाँ पहले पहुंच जाता लेकिन रास्ते में तूफान आ गया और मुझे श्रावक डाकबंगले में रुकना पड गया । सावन डाकबंगले में टाॅप में अपनी नजर पहले उस आदमी पर और थे उसके गोडे पर डाली । दरअसल उन्होंने इस बदामी रंग के अरबी घोडे को डाकबंगले के अस्तबल में देखा था और हो सकता है कि ये वही आदमी हो जो बारामदे में बाहर खम्बे के सहारे खडा था और जिस पर उनकी निगाह कमरे से बाहर निकलते समय पडी थी । तूफान के दौरान तो मैं भी वही था । डॉक्टर ने कहा और मेरा ख्याल है कि मैंने आपको और आपकी घोडे को वहाँ देखा था । जरूर देखा होगा । वहाँ काफी लोगों ने शरण ली थी । हो सकता है कि मैंने भी आपको देखा हूँ, लेकिन मुझे खयाल नहीं आया होगा । क्या वही डॉक्टर है जिनकी मुझे तलाश है? डॉक्टर साहब फौरन चलिए । मेरे मालिक के लडके की हालत बहुत खराब है । तूफान और अच्छी तरह रास्ता नजर नहीं की वजह से पहले ही मुझे बहुत देर हो चुकी है । अब हमें फौरन चल देना चाहिए । कहाँ जाना है? अमूल घट यहाँ से सिर्फ अठारह किलोमीटर दूर है । माननीय सीखा का नाम सुना है लेकिन वहाँ मैं कभी गया नहीं हूँ । उत्तर में कहीं घने जंगलों के इलाके में है शायद? जी हाँ, इलाका काफी घने जंगलों का है । अठारह किलोमीटर दूर मर्दा पुलिस कैंप जाने और आने में मेरा घोडा बुरी तरह थक चुका है । ये शायद किलोमीटर का सफर और फिर वापस लौटने की मार नहीं रह सकेगा । जरूरी नहीं है कि अठारह किलोमीटर का ही रास्ता पडे उस आदमी ने कहा हम छोटे रास्ते से चलेंगे । घोडे को पहले तीन किलोमीटर ही चलना पडेगा । आगे का रास्ता इतनी खाली चलाएगा है कि घोडे चल ही नहीं सकते । उससे आगे हमें पालकी में जाना होगा बल्कि का इंतजाम हो गया है और बाहर वहाँ खडे हमारा इंतजार कर रहे हैं । जब तक वापस नहीं आएंगे उसी जगह पर आपकी घोडे की अच्छी तरह देखभाल की जाएगी । पालकी में ही वापस लौटेंगे मेरे मालिक यहाँ पैसे की कमी नहीं है । इतनी सारी तकलीफ फुटाने के लिए आपको भरपूर फीसदी जाएगी । दोस्त फीस कि इतनी परवाह नहीं है । मैं फीस नहीं मांगता जो जितनी चाहे दे दे लेकिन कोई अगर इस समय अच्छी फीस दे दे तो बहुत अच्छा रहेगा क्योंकि स्टाफ का वेतन दिए हुए काफी दिन हो गए हैं इसके बारे में हमें पता है । डॉक्टर साहब हम जानते हैं कि आप पैसे के लिए काम नहीं करते बल्कि इंसान की सेवा और अच्छाई की भावना से करते हैं । इसलिए मेरे मालिक ने आपको बुलाने के लिए भेजा है । पहले भी कुछ डॉक्टर बुलाए गए थे । रास्ते में पेडों की बडी बडी डालें । घनी कटीली झाडियां और भारी तने बिल्कुल बीच में आकर रास्ते की रुकावट बने हुए थे । चलना एकदम रुक जाता । गोडे खडे हो जाते हैं लेकिन तभी डॉक्टर हॉल का डाइड कोई न कोई रास्ता निकाल लेता । ऐसा लगता था कि वो आदमी वहाँ के चप्पे चप्पे से परिचित था । डॉक्टर हाल में इस बात को कहा कि उत्तर में वो आदमी बोला, जी हाँ मैं यहाँ का चप्पा चप्पा जानता हूँ । मैं अक्सर इस रास्ते से आता जाता रहता हूँ । ये रास्ता थोडा मुश्किल जरूर है लेकिन स्वागत वाले लंबे रास्ते से काफी छोटा पडता है । अचानक उन दोनों सवारों ने अपने घोडों की लगाम खींचे । रास्ते में कोई चीज पडी थी डुबती रोशनी में वो बडी बच्चा कल और भयानक लग रहे थे । वो चीज इंसानी शरीर जैसी थी । खाकी कपडों में लिपटी और मुडी तुडी हालत में बेजान डॉक्टर हॉट आपने गोरे से नीचे उतर पडे और लाश की जांच करने लगे । शरीर में जीवन का कोई चिंता नहीं था था की कपडों पर खून के दाग पडे हुए थे । सिर्फ बुरी तरह कुछ ला हुआ था और चेहरा तथा बाल खून में लिखने हुए थे । खाकी पोशाक तेज कर उस आदमी का धंधा आसानी से पहचाना जा सकता था । वो लाश किसी सिपाही की थी । ये कहाँ से आया? जवाब साफ था डाकुओं के हाथों जहाँ पे खडे थे वहाँ से एक चट्टान सीधी चालीस मीटर की ऊंचाई तक चली गई थी । सिपाही को छोटी से सीधा नीचे लुढका दिया गया होगा । पुलिस और डाकुओं में खुली लडाई छिडी हुई है । किसी तरह ये सिपाही डाकुओं के हाथ टकरा गया होगा । उन्होंने अपना पूरा गुस्सा इस बिचारे पर निकाल दिया । डॉक्टर हॉल घोडे पर चले और खामोशी से आगे बडने लगे । ये दृश्य इस बात का जीता जागता सबूत था कि डाकुओं के बारे में फैलाई अफवाहें सही हैं । लगता था कि वे उसी इलाकों से भरे इलाके के करीब पहुंच रहे थे । डाॅ । जंगल ऍम गांव वालों के बीच बेखटके एक गांव से दूसरे गांव घूमते रहे थे लेकिन उन्हें कभी कोई डाकू नहीं मिला । वैसे डाकुओं की करतूतों के बारे में अक्सर सुना था । डॉक्टर हॉल्ट अपने साथी से बोले मेरा ख्याल है हम खतरनाक इलाके से गुजर रहे हैं क्या मूल घट में डाकू काफी उत्पात मचाते हैं? हाँ कभी कभी तो ऐसा लगने लगता है जैसे हम उन के बीच में ही रह रहे हैं । इधर के उजार् पहाडी इलाके डाकुओं के लिए अच्छी पनाहगाहें साबित होती हैं । अबूल घट में हर आदमी के पास हथियार हैं । हर घर को एक छोटा मोटा किला ही समझ जिसकी हिफाजत घर के लोग हथियारों से करते हैं । औरतो को भी बंदूक वगैरह चलाना सिखाना पडता है क्योंकि हमला किसी भी वक्त हो सकता है और अगर उस समय घर में आदमी न हो तो ऐसे हमले का मुकाबला कर सकती हैं । अच्छी मुसीबत में जान रहती होगी डॉक्टर हॉल बोले डाकुओं के आतंक से हर वक्त करते रहना अपने आप में एक भयानक बात है । बहुत ही भयानक हो सकता है कोई हम पर इस समय ही हमला कर दें । हमें पता चलने से पहले ही वो हम पर झपट सकते हैं और मेरे पास कुछ पैसा भी है । मेरे पास तो कुछ भी नहीं है । मेरे संडे के के इसमें सिर्फ मेरे सर्जरी के हजार हैं और इसका ले बस में दवाइयों की कुछ शीशियां इसलिए मुझे तो कोई डर नहीं है । वो हमारी सरकार सो रही है । जो आदमी बडे दुख भरे स्वर में बोला सरकार हमसे भारी टेक्स वसूल करती है लेकिन डाकुओं से हमारे बचाव के लिए कुछ नहीं करती । सरकार डाकुओं का सफाया करने की पूरी कोशिश कर रही है । डॉक्टर हॉल कहने लगे इसी काम के लिए मतदाता में हथियारबंद पुलिस की एक पूरी रेजिमेंट तैनात है लेकिन यहाँ के लोग सहयोग नहीं कर रहे हैं । सुप्रीटेंडेंट संदीप से मैं सुबह मिला था वो भी यही बात कहता था की पुलिस की मदद करने के बजाय गांव वाले डाकुओं की मदद करते हैं । गांव वालों पर इल्जाम लगाने से कोई फायदा नहीं । वो क्या करें । अगर पुलिस की मदद करते है तो डाकू उनसे बडा भयंकर बदला लेते हैं । बाकी तो हमेशा हर जगह उनके पास ही रहते हैं । जबकि पुलिस दूर होती है नहीं । नहीं नहीं ये बात नहीं है । वे डाकुओं के डर से पुलिस की मदद करने से नहीं जाते । बल्कि कहा ये जाता है कि डाकू उन्हें पैसा देते हैं । ये बात भी कुछ हद तक सही है । लेकिन शायद आप ये नहीं जानते की सिर्फ गांव वाले ही नहीं पुलिस भी पैसा खाती है । ये अफवाह काफी फैली हुई है । हम हाल है । डॉक्टर आश्चर्य से बोले लेकिन ये बात सच हो सकते हैं । अब कैसे कह सकते हैं कौन जानता है कि सच क्या है? अब तो यहाँ तक कहा जा रहा है कि सुप्रीटेंडेंट संदीप को भी धीराज पैसे भी रहता है । एकदम बकवास । पिछले हफ्ते ही उसने धीराज की पत्नी को पकडा है । मैंने खुद से देखा है । देखा ही नहीं बातें भी की हैं । अब जैसे कह सकते हैं ये कि वह धीराज की पत्नी है । हो सकता है कि इस अवसर में अपने से ऊंचे अवसरों को चकमा देने के लिए पैसे देकर उस औरत को ये नाटक रचने के लिए तैयार किया हूँ । डॉक्टर साहब, आप तो सीधे ज्यादे आदमी है आपको तो इस इंसान की बुराइयों के बारे में जरा भी नहीं पता । तो उस आदमी की बात सुनकर डॉक्टर हॉल्ट हैरान रह गए । उन्होंने स्थिति को कभी इस दृष्टि से नहीं देखा था । डॉक्टर साहब पर अपनी बातों का असर होते देखकर उस आदमी ने अपनी बात आगे बढाई । फॅसा हब लेकिन मेरे पास सरकार के ऐसे बहुत से अवसरों की भी मिसाले हैं । फॅर अपराधियों को दबाने के लिए भेजा जाता है असर डाकुओं और अपराधियों का पैसा खाते हैं । कभी उन्हें लोट में हिस्सा मिलता है । कभी औरते और कभी दोनों चीजें । कुछ साल पहले की बात है । इसी इलाके में पुलिस अवसर को गांव वालों की हिफाजत के लिए भेजा गया था । वो अफसर नौजवान था और उसकी आप हमेशा किसी सुंदरी की तलाश में रहती थी । एक दिन उसके पास भारी घूंघट निकले और कपडों में लिपटी एक औरत आई । उस औरत के साथ बूढा नौकर भी था । उसने आकर अवसर को अपनी विपदा सुनाई कि एक रिश्तेदार के घर से लौटते हुए रास्ते में डाकुओं ने उसके गहने और पैसे लूट लिए हैं । ये सब कुछ सुनाते हुए बीच बीच में वो अपना गूगल भी उठा देती थी जिससे उसकी खूबसूरती की झलक नजर आ जाती थी । आखिर में उसने अपना पूरा घूम मत उठा दिया । चेहरा इतना खूबसूरत था की निगाहें नहीं देखती थी । हमारे बहादुर नौजवान असर फौरन उस औरत के साथ इस स्थान की ओर चल पडा जहाँ वो लूटी गई थी । उस ट्रेन में उसने कोई डाकू नहीं पकडा लेकिन उस औरत नहीं अवसर के दिल और दिमाग को पूरी तरह पकड लिया । अवसर अब अक्सर उस औरत थी, घर जाने लगा ऍम के सरदार की रखी थी और खुद डाकुओं का सरदार उसका बूढा नौकर बना हुआ था । पहले तो उनकी योजना थी कि अवसर को फंसाकर मार डाला जाए लेकिन बाद में इससे बेहतर योजना बनी । उस भारत में अवसर को बुरी तरह से अपने जाल में फंसा लिया और अवसर आखिर में इस बात के लिए राजी हो गया कि वो दाखिले के उस दल को कुछ नहीं करेगा और लूट का आधा हिस्सा लेकर हमारी सरकार चोर डाकुओं से हमारी हिफाजत इस तरह करती है । नहीं जानता हूँ कि सरकारी अफसरों में भ्रष्टाचार फैला हुआ है । फॅमिली लेकिन हर अवसर एक जैसा नहीं होता । उनमें कुछ ईमानदार और मेहनती भी होते हैं । जहाँ तक एसपी संदीप का सवाल है, मैं उसे बेईमान मानने को तैयार नहीं । मैं उसे अच्छी तरह जानता हूँ । वहाँ राज्य से मैं देश गाहों बातें भी कर चुका हूँ । उसके बारे में मुझे पूरा यकीन है कि वो मशहूर डाकू धीराज की पत्नी ही है । हुई किराए पर लाई गई औरत नहीं है । ये बात मैं एक बार नहीं हजार बाल दे सकता हूँ । उसकी बातों में झूठ की जरा भी अलग ने इतना अच्छा भी नहीं । कोई नहीं कर सकता है कि वो सच्चाई पर ही पर्दा डाल दे । हाँ, गांव वाले जरूरी मारने के लिए तैयार हो जाएंगे कि संदीप डाकुओं से रूपये लेता है क्योंकि वो डाकुओं को खत्म नहीं कर सका । लेकिन मेरा ख्याल है कि उसकी असफलता के लिए सिर्फ उसी को दोष नहीं दिया जा सकता । आपको खयाल आपके लिए सही हो सकता है । इस आदमी ने जवाब दिया, लेकिन अब तो समय ही बताएगा कि आपका ख्याल सही है या मेरा । मेरा भी पत्थर ख्याल है कि या तो संदीप डाकुओं से मिला हुआ है या डाकू ही बहुत समझदार हो गए हैं । सैकडों तरह के वेश बनाकर वे अपना काम कर रहे हैं । कभी व्यापारी, कभी महाजन, कभी गाडीवान, कभी लकडहारा, सभी भिखारी, कभी पुजारी या साधु वगैरह कुछ हो तो धार्मिक प्रवृत्ति के हैं । लूटमार पर जाने से पहले मंदिर में पूजा करते हैं, ढाबे चढाते हैं और मुहिम से वापस आने पर फिर मंदिर में जाते हैं के साथ धर्म है । लूट में से एक हिस्सा ईश्वर को भेंट करने का वादा करके लूटमार और चोरी करना कहा धर्म है डॉक्टर और कहने लगे ये डाकू तो प्राचीन ठगों के वंशज मालूम होते हैं जो ठगी और हत्या करने से पहले और बाद में देवी का पूजन किया करते थे । लेकिन इन्हें भी दोष देने से क्या फायदा दूसरे लोग ही क्यों बेहतर है अंतिम गोवा के कहते हुए उन्हें तथाकथित सभ्य लोगों के कारनामें याद आ गए थे । जो कभी अपनी जीत और दुश्मन की बर्बादी के लिए ईश्वर से प्रार्थना करते थे, वो आदमी बोला वैसे धार्मिक प्रवृत्ति के ही नहीं बल्कि उनमें से कुछ खुले दिल के दानी भी हैं । वो गांव वालों की बहुत मदद करते हैं, जरूरतमंदों को रूपया पैसा देते हैं, गरीब लडकियों के लिए दहेज का प्रबंध करते हैं, लोगों की आपसी झगडे निपटवा देते हैं और कुछ वगैरह खुलवा देते हैं । इस तरह के सैकडों काम करते हैं । ये सच माना जा सकता है । डॉक्टर हॉल बोले हर जाती और हर काल में इस तरह के समाजसेवी अपराधी होती आए हैं । आप की बात समझ में नहीं आई डॉक्टर साहब उस आदमी ने कुछ हैरान होते हुए कहा मेरे देश में तभी बहुत बडा डाकू सरदार रहता था । उसका नाम था रॉबिनहुड । वो गरीबों का दोस्त और अमीरों का दुश्मन था । हो सकता है यहाँ हिंदुस्तान में भी रसेडा को हो हो सकता है नहीं साहब ऐसे ही यहाँ है । वो अमीरों को लूट कर गरीबों को देते हैं । वे दम बुरे आदमी नहीं है, उनमें अच्छाइयाँ भी है और बुराइयाँ भी । यही तो मुसीबत है । अच्छाई और बुराई साथ साथ रहती है । अगर इंसानों में सिर्फ बुराई ही बुराई होती तो वो खुद ही नष्ट हो जाते हैं और अगर उनमें से भलाई ही भलाई होती तो दुनिया स्वर्ग बन जाती है । लेकिन ऐसा है नहीं । भलाई बुराई सदियों से साथ चलती आ रही है । दोनों में संघर्ष छिडा हुआ है । कभी भलाई बुराई पर हाँ भी हो जाती है तो कभी बुराई भलाई पर अंत में जीत भलाई की ही होगी । लेकिन डॉक्टर साहब सारे डा । को एक जैसे नहीं है । वो आदमी बोला कुछ तो एकदम बुराई के पुतले हैं । वे स्वयं को अच्छे कामों में नहीं लगाते । वे ना तो गरीबों की मदद करते हैं और ना ही मंदिर में कोई भी चढाते हैं । लेकिन अच्छे और बुरे दोनों तरह के डाकू अमीरों को लूटते हैं । अमीरों पर हर तरफ से दबाव डाला जा रहा है । अमीरों को सब लूट रहे हैं । जहाँ तक की सरकार भी सरकार भी अमीरों पर दबाव डालकर गरीबों की मदद करना चाहती है । पुराने समय में इसका उल्टा था । मगर अब अमीरों को देना पडता है और गरीबों को मिलता है । अब गरीबों के दिन आ गए हैं ऍम इसका मतलब ये हुआ कि डाकुओं के हाथों अमीरों को लूटने को आप उचित ठहराते हैं । आतंकियों से डॉक्टर की तरफ देखते हुए उस आदमी ने पूछा, मुझे गलत मत समझो । ने कहा किसी भी ऐसे काम को जो बेमाने से किया जाए, हिंसात्मक हो या अपने लोगों को नुकसान पहुंचाता हो या न्यायपूर्ण हो या कानून के खिलाफ हो, मैं ठीक में समझता, डाका डालना भी हिंसा, अन्याय और बेईमानी से भरा गैरकानूनी कम है । वो दिन बडा अच्छा होगा जिस दिन हिन्दुस्तान से डाकुओं का नामोनिशान मिट जाएगा । जिस आदमी को तुम बता रहे हो, जो डाके डालकर गरीबों की मदद करता है, मेरी निगाह में वो अच्छा ही नहीं है । डकैत एक बहुत बडी बुराई है किसी अमीर बनने की । तिजोरी से रूपये पुराना भी उतना ही बडा पाप है जितना कि किसी गरीब किसान की जाए । चलाना चलते चलते रास्ता लगातार ऊपर उसका जा रहा था और अंत में एक जगह ऐसी आ गई जहां से आगे नहीं बढा जा सकता था । पूछी ऊंची पहाडियों की चोटियां सी भी खडी थी । बस गोले पर यही तक आया जा सकता है । अपने घोडे से उतरते हुए उस आदमी ने कहा इससे आगे और पालकी में चलना होगा । उसके सामने एक खतरनाक चट्टान खडी थी । हुआ आदमी एक ऊंचे से पत्थर प्रचार किया और फिर पांच जमा जमा कर ऊपर रहने लगा । आखिर में एक ही जगह पर पहुंचकर उसने अपने हाथों को मौके चारों तरफ गोल करके क्यूँकि आवाज निकाली । आवास पहाडियों में घूमती हुई देर तक चले गए । एक मिनट वो खामोशी से सुनने की कोशिश करता रहा । फिर वो नीचे की तरफ फिसलता हुआ होने लगा । डॉक्टर साहब, आपकी पार्टी अभी थोडी देर में यहाँ पहुँच जाएगी । इसे आते ही वो बोला चतम, मेरे साथ नहीं हो गए । डॉक्टर हाल नहीं पूछा मैं आपसे बाद में जा मिलूंगा । मुझे वापस जाना है । सरदार ने मुझे कुछ काम बताए थे । वे पूरे करने हैं । पहाडियों की तलहटी में खडे हुए वे दोनों पालकी का इंतजार कर रहे थे । बाई तरफ की पहाडियों के पीछे सूरज डूबने ही वाला था । सूरज की रोशनी तेजी से घटती जा रही थी और वातावरण में एक अजीब तरह की कठोरता उभर रही थी । उनके एक और मुझे बताने खडी थी और बाकी तीन दिशाओं में गुजारा । पहाडी आपसे जो सूरज की रोशनी में चमक रही थी, हवा दम बनी थी । सारे वातावरण में एक अजीब तरह के घुटन थी । सभी इंसानों की बस्तियों से वे अब कोसो दूर थे । इन गुजार इलाकों में कौन रहता होगा और कैसे रहता होगा जंगली जानवर, फॅमिली आदमी या दोनों की? लेकिन इस समय न कोई जानवर होना ही आदमी वहाँ नजर आ रहा था । उस गुजार इलाके में बस जीजू चीजों के नाम पर ये दोनों या उन दोनों के घोडे थे । अचानक डॉक्टर को लगा उनके लाये और कुछ हरकत हो रही है । कुछ मनुष्य आकृतियाँ उस गुजार में अचानक प्रकट हो गई थी जैसे मैं उनके पीछे खडे पहाड में से निकल आई हूँ । छह आदमी थे और कुछ उठाए लिए जा रहे थे । जिस पालकी गाजी इंतजार कर रहे थे वहाँ गई थी । डॉक्टर हॉल के साथ जो आदमी आया था उसमें भरी और ऊंची आवाज में कुछ कहा । कहारों नेपाल की डॉक्टर हॉल के सामने जमीन पर रखती एक आदमी ने आगे बढकर उनका घोडा धाम लिया । आपने गायब के कहने पर डॉक्टर हॉल पालकी में बैठ गए । उनकी दवाइयों का काला बस और हजारों का डिब्बा उनके पास ही रख दिया गया । अच्छा डॉक्टर साहब, मैं चलता हूँ । उस आदमी ने विदा लेते हुए कहा एक घंटे का सफर है आपका पीछे से आपके होने की अच्छी तरह से देखभाल की जाएगी और आपकी वापस आने डर ये बिलकुल तैयार मिलेगा । बाहर आपको तेजी से ले आएंगे । रास्ते की कठिनाइयों का आपको जरा भी पता नहीं चलेगा । ये कहकर उस आदमी ने झुककर सलाम किया और अपने घोडे पर चल क्या इसका हारने आगे बढकर पालती का दरवाजा बंद कर दिया । अगले शरण भीतर बैठे डॉक्टर हॉल ने महसूस किया कि पाल के कंधों पर उठा ली गई है । किसी ने करदार आवाज में हुक्म दिया और पालकी के हिलने से डॉक्टर हॉल में महसूस किया कि अनजान इलाके की उनकी यह यात्रा शुरू हो गई है । जिस मरीज को देखने के लिए डॉक्टर हॉल को बुलाया गया था वो एक साल की उम्र का छोटा सा बच्चा था । मरीज के घर तक पहुंचने में पालकी को पूरा एक घंटा लगा था । डॉक्टर हॉल के लिए पार्टी में सफर करने का ये पहला मौका था । ये नहीं कहा जा सकता कि ये नया अनुभव उन्हें सुखद ला का क्या नहीं । पालकी चारों ओर से बंद थी और ये सफर एकांत कारावास की तरह था । पार्टी का हिलाना और झूले की तरह बोलना शुरू शुरू में तो उन्हें अच्छा लगा लेकिन थोडी देर के बाद उससे वो शुरू हो गए । लगभग आधे घंटे के सुब आने वाले सफर के बाद उन्होंने पालकी के दरवाजे पर दस्तक दी । दरवाजा बाहर से बंद था । पहले तो उनकी दस तक पर किसी का ध्यान नहीं गया । लेकिन जब उन्होंने और जोर जोर से दस तक देना शुरू किया तो आखिर में बाहर रूम गए और पालकी का दरवाजा खुला । एक लंबी सी दाढी वाले आदमी ने, जिसके सिर पर पगडी बंधी हुई थी, दरवाजे से भी डर झाकर पूछा कि उन्हें क्या चाहिए ताजा हवा डॉक्टर हॉल बोले और मैं अपने हाथ पाँव भी फैलाना चाहता हूँ । इस दम घोट सवारी में मेरा जोर जोडा कर गया है । दादी वाले आदमी ने जवाब दिया कि उन्हें होक मिला है कि वे डॉक्टर साहब को मालिक के घर तक जितना तेज ले जा सकते हो ले जाए और इस बात का भी ध्यान रखें कि डॉक्टर साहब को कहीं रात की ठंडी हवा ना लग जाए । अरे रात की ठंडी हवा की फिक्र मत करो । डॉक्टर हॉल ने उसकी बात करते हुए कहा वैसे वो बहुत ही शांत स्वभाव के आदमी थे लेकिन मौका पडने पर कडा रूकती अपना सकते थे । मैं बाहर निकलकर पांच मिनट पैदल चलना चाहता हूँ । इससे ज्यादा देर नहीं होगी । और हाँ इसके बाद बाकी सफर में मैं चाहता हूँ की खिडकियां खुली रखी जाएगी वरना में आगे का सफर नहीं करूंगा । लेकिन हमें कडा हुक्म दिया गया है । डॉक्टर साहब वो आदमी सख्ती से बोला । जवाब में डॉक्टर भी पीछे सर में बोल उठे लेकिन तुम्हारा माले किए हो । मैं कैसे दे सकता है कि डॉक्टर साहब को जंगली जानवर की तरह पिंजरे में बंद कर के उठा कर लो । उस आदमी ने अपनी दादी को थोडा सा खोज लाया और कहने लगा डॉक्टर साहब आप जोर ही देते हैं तो हम मजबूर हैं । आप अपने मन की कर सकते हैं । लेकिन अगर हमारे मालिक को पता चल गया कि हमने उनका हॉकी में थोडा है तो सारा कसूर आपको अपने सिर पर लेना पडेगा और हमें मालिक की गुस्से से बचाना होगा । दोस्तों डरो मत अगर तुम्हारा मालिक इस बात पर नाराज हुआ कि तुमने उस डॉक्टर को जिससे उसके बेटे के इलाज के लिए लाया जा रहा था, ताजा हवा क्यों खाने दी तो सारा इल्जाम में अपने सर ले लूंगा । ठीक है बल्कि जमीन पर रख दी गई । डॉक्टर हॉल बाहर निकल आए और इधर उधर टहलने लगे । उन्हें लगा कि कहारों को भी उनकी ये बात अच्छी लगी है । जमीन पर बैठे सुस्ताते हुए बीडियां पी रहे थे, रात हो चुकी थी, आसमान में होगा । चंद्रमा ठीक उनके ऊपर आ गया था । चांद की रोशनी मध्यम थी और डॉक्टर हॉल सारे वातावरण को साथ साफ नहीं देख पा रहे थे । फिर भी उन्होंने महसूस किया कि वे एक गहरे नाले में खडे हैं, जिसके दोनों तरफ अंधेरी खाइयों की ढलानों पर घने जंगल लगे हुए हैं । ये इलाका पिछले उस इलाके से भी अधिक गुजार और निर्जन था, जिसे अपने गाइड के साथ उन्होंने घोडे पर तय किया था । अपनी कही हुई बात के अनुसार डॉक्टर हर पांच मिनट के बाद पालकी के करीब आ गए और फिर पालकी नहीं जाकर बैठ गए । कहारों नेपाल की उठाई और सफर फिर से शुरू हो गया । पालकी का दरवाजा खुला रहा । दरवाजे के साथ दो आदमी हाथों में जल्दी हुई मशाले लिए आगे बढ रहे थे । जल्दी तेल की गंध और धुआँ पालकी के भीतर भी आ रहा था । इससे डॉक्टर हॉल को काफी परेशानी हो रही थी लेकिन डॉक्टर हॉल खामोश रहे । उन्हें लग रहा था कि उनका सफर अब खत्म होने वाला है । अंत में मरीज के मकान की सीढियों पर पालकी रख दी गई ।

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बारह मील दूर writer: जे.जे. नंदीग्राम Voiceover Artist : RJ Swati Author : J J Nandigram
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