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Barah meel door Epi-16 in Hindi

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AuthorNitin Sharma
बारह मील दूर writer: जे.जे. नंदीग्राम Voiceover Artist : RJ Swati Author : J J Nandigram
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गुफा वाली कोठारी पर रात को हमला करने की तैयारियां पूरी हो गई । इतनी व्यस्तताओं के बीच भी सरदार मदारी और उसके दल के रहने की जगह का प्रबंध करना नहीं बोला । सरदार के निवास स्थान से कुछ दूर ही एक गोदाम खाली बना था, जिसमें ईंधन जमा किया जाता था । उस गोदाम को साफ करवा दिया गया और उन लोगों को रहने के लिए दे दिया गया । सरदार ने स्वयं गोदाम की जगह दिलवाई । दस्यु सरदार द्वारा प्रदर्शित इस विशेष कृपा के लिए मदारी ने सरदार के सामने झुककर अपनी कृतज्ञता जताई । अंत में उसने एक मांग और पेश की । उसने बताया कि मैदान से इधर पहाडों की तरफ आते वक्त लग जा सोने का एक हार पहने हुए थे । वो हार गुफा वाली कोठारी के आस पास का एक हो गया है । उसने हमला करने वाले दल के साथ वहाँ जाने की इच्छा व्यक्त की ताकि वह हुए हुए हार की खोज कर सके । सरदार को मदारी की ये मांग कुछ ठीक नहीं लगी । उसने लग जा की तरफ दृष्टि फेकी । लज्जा ने इसका उत्तर कटाक्ष से दिया । लग जा का पिता स्वयं ही वहाँ से हट ना चाह रहा था ताकि सरदार को खुलकर खेलने का अवसर मिल सके । सरदार ने उसे फौरन ही वहाँ से जाने की स्वीकृति दे दी थी । जांच अपने कमरे में चलाया और मसनद लगे । तख्त पर लेटकर आईने में अपना चेहरा देखने लगा । उसकी उम्र अभी भी चालीस के करीब थी और वो अभी भी काफी सुंदर था । सिर पर एक भी बार सफेद नहीं हुआ था । वैसे उसके चेहरे पर कुछ मोटी रेखाएं जरूर भराई थी । लेकिन सेहरा अभी भी आकर्षक और तेजस्वी था । लज्जा की जोडी के लिए वो किसी भी सूरत में अनुपयुक्त नहीं है । ऐसा सोचते हुए वो उठा और कपडे बदलने की तैयारी करने लगा । तभी दरवाजे पर किसी ने दस्तक दी । एक व्यक्ति भीतर आया और उसने झुककर अभिवादन किया । सरदार ने उसे पहचान लिया । ये वही व्यक्ति था जिसे इनाम वाले इस तरह देकर भेजा गया था । उन इश्तेहारों में पुलिस अवसर संदीप के भ्रष्टाचार के कारनामों का उल्लेख था । क्या तुमने पुलिस कैंप के इर्दगिर्द के गांवों में भी सभी पर से बात हैं? उसने पूछा हाँ सरदार, कुछ इस तरह हमने पेडों और मकानों की दीवारों पर भी लगा दिए और कुछ हमने गांव में बंटवा दिए । ठीक किसी गांव के प्रधान या किसी और आदमी ने इसमें अर्चन तूने डाली नई सरदार लेकिन हमें एक और इश्तेहार हर जगह छपा मिला । ये रहा वो उसके हाथ । उस व्यक्ति ने सरदार को कागज का वो पर्चा पकडा दिया जिस पर लिखा हुआ था । सभी में एक और शांतिप्रिय नागरिकों को चेतावनी दी जाती है कि करीब साठ वर्ष की उम्र का दुबला पतला, लंबा और दादी वाला एक व्यक्ति जो मदारी और सपेरे के बीच में घूमता हुआ देखा गया है । जहाँ कहीं भी नजर आए, तत्काल ही पास के थाने में इसकी रिपोर्ट भेज दी जाएगी । हस्ताक्षर आशुतोष संदीप डीएसटी स्पेशल ऍम सरदार ने इसे भारत को एक बार फिर पढा और एक तरफ रख दिया । इश्तिहार लाने वाला व्यक्ति कमरे से बाहर चला गया । सरदार कपडे बदलने लगा तो हमारा मदारी दोस्त पहले से ही पुलिस में लोग किये हैं । मुझ को हल्का सा कर रहते हुए सरदार सोचने लगा । ये इसे हार निकालते समय एसपी संदीप के दिमाग में क्या बाद काम कर रही थी? बेशक मदारी पुराना पाती है और उसकी बेटी पेशेवर घुटने । आखिरकार कमबख्त ने अपनी आपको मेरे रास्ते से हटाने का कैसा कोटेल ढंग अपनाया? सरदार मन ही मन मुस्कराया । निमंत्रण एकदम खुला है, अच्छा तो खराब बुड्ढे ठीक है । मैं भी खुशी से यह निमंत्रण स्वीकार करता हूँ । आज रात ही तेरी बेटी से मैंने बदलूंगा डॉक्टर हॉल बच्चे के कमरे के बराबर वाले कमरे में थे । उस समय कमरे में सुबह टिकी हुई थी । शाम का समय था । पुलिस के कब्जे में आई गुफा वाली कोठारी पर हमला करने के लिए उग्र के नेतृत्व में डाकुओं का दल जा चुका था । इस समय वहाँ एकदम शांति थी । डॉक्टर हॉट दिनभर घायलों की मरहमपट्टी करते रहे थे । उन्होंने कई बार सोचा कि वो इनको ठीक करके क्या डाकुओं की सहायता नहीं कर रहे हैं ताकि वे ठीक होकर थोडा के डाल सकें । अपनी बातों से वो घायल डाकुओं पर कोई प्रभाव नहीं डाल सके थे । वैसे उन्हें खुद ही इस बात का शव था कि उनकी बातों का कोई असर होगा । वो जानते थे कि इस तरह की बातें व्यक्ति के मन के भीतर से शुरू होनी चाहिए । बाहर की बातें मन की बातों को केवल उकसा ही सकती हैं जैसे वो अपनी असफलता पर निराश नहीं हुए थे । अवकाश प्राप्त सैनिक के मामले में अपनी आंशिक सफलता से वो काफी संतुष्ट थे । चोरों के बीच भी ईमानदारी होती है लेकिन इस डाकू में तो वो भी नहीं । वो किसी भी समय दस्यु सरदार को उनसे हुई बातें बता सकता है । वैसे उन्हें डाकुओं से हुई बातचीत से डकैती की तरफ प्रेरित करने वाले कारणों का आवश्यक पता चल गया । घायल लाखों से बातचीत का उन्हें केवल इतना ही लाभ हुआ । तभी दरवाजे पर किसी ने दस्तक दी । इससे पहले की वह दरवाजा खोलने के लिए उठते दरवाजा एक धक्के से खुल गया और कमरे में सुबिया ने प्रवेश किया । वो डॉक्टर साहब आते ही सुबह कहने लगे ने बडी मुसीबत में पड गई हूँ । वो काफी उकरी हुई और परेशान नजर आ रही थी । उसके बाद और कपडे अस्त व्यस्त थे । उस की बडी बडी कालियां रहेंगी ली थी जैसे वो कराई हो । उसका स्वभाव ना की तीव्रता से कम रहा था । क्या बात हो गया? मैं कोई मदद कर सकता हूँ । क्या बच्चा फिर से बीमार हो गया? नहीं नहीं मेरा बच्चा एकदम ठीक है । मैंने की तरह हो गया हुआ है । उसकी वजह से मुझे कोई परेशानी नहीं है । बात ये हैं डॉक्टर साहब मेरे साथ आइए । मैं आपको सब कुछ दिखा देती हूँ । आज सब कुछ अपनी आंखों से देख सकते हैं । आइए उसने डॉक्टर हॉल का हाथ पकडा और उन्हें दरवाजे की तरफ खींचती हुई बढी । अच्छा अच्छा में चलता हूँ । बेटी मुझे इस तरह मत की जो मेरे आने चलो । मैं तुम्हारे पीछे पीछे आता हूँ । लेकिन सुबिया ने डॉक्टर हॉल्ट का हाथ नहीं छोडा । उन्हें खींचते हुए बच्चे के कमरे में से गुजरकर मकान के पिछवाडे ले गई । मकान के गिर्द पहाड की चट्टानों से काटी । सीढियों से उतरकर वे जंगल में प्रवेश हुए । सारा वातावरण डूबते सूरज की सुनहरी रोशनी में डूबा हुआ था । शाम बहुत सोमानी थी लेकिन रूमानी तबियत के लोगों के लिए बिचारी । डॉक्टर हर्ट बरसों पहले रोमांस को अलविदा कराए थे और वो युवा स्वीट मानसिक तौर पर इतनी अस्तव्यस्त थी कि वातावरण के सौंदर्य को निहार ना सके । लेकिन झाडियों के बीच से दिखाई न देने वाले जोडे के लिए ऐसी कोई बात नहीं थी । जंगल के बीच घास वाली एक भूखंड पर से दोनों बैठे हुए थे । देखने वालों की तरफ उनकी पीठ थी फिर भी डॉक्टर हॉट को डाकू के सरदार भी । राज को पहचानने में कोई कठिनाई नहीं हुई । उसने देश में अंग रखा और पजामा पहन रखा था और कीमती हीरो के गहने पहने हुए थे । डाकुओं का सरदार इस समय बडा सजीला जवान लग रहा था । लडकी खानाबदोशों की पोशाक पहने हुए थे । वो पास पास बैठे बातें कर रहे थे । पुरूष की लडकी पर पडती हुई प्यारभरी नजर से उसकी मन की हालत का पता चलता था । लडकी अटखेलियां कर रही थी और पुरुष की ज्यादतियों का हल्का हल्का विरोध कर रही थी । इन सब हरकतों से पुरुष उस की ओर अधिक आकर्षित हो रहा था । सूफिया ने झाडी के पीछे डॉक्टर को एक तरफ खींच लिया । वहाँ से वे स्वयं दिखाई दिए बिना प्रेम प्रेरणा में रत उस जोडे को आसानी से देख सकते थे । तभी अपने प्रेमी के आग्रह पर जिप्सी बाला के गले से गीत फूट पडा । वातावरण में गीत की मधुर स्वर लहरी लहराने लगी । शाम की सुनहरी रोशनी, हल्की हवा के झोंकों से झूमती हरी झाडियों और जंगली फूलों के ताजा मीठी गंध ने गीत की मादकता को और गहरा कर दिया । लडकी के पास बैठे पुरुष पर जैसी जादू सा हो गया, वो उस सुंदर गाएगा का हाथ था । मैं उठ खडा हुआ, एक दूसरे का हाथ थामें दोनों नाचने लगे । डॉक्टर हॉल्ट ने महसूस किया कि उनके पास खडी सोबिया का शरीर बन गया है । नाचते जोडे को देखकर उसकी मुट्ठियां कस गए हैं और दादा जोरों से भेज गए हैं । उसकी काली आंखों में चमक पैदा हो गयी है और सांस रुक रुक कर आ रही थी । उन्हें लगा कि अब किसी भी शरण भावनाओं का ज्वालामुखी तेजी से फट सकता है । तभी उधर नास्ता हुआ जोडा रोका और भावातिरेक पुरुष ने लडकी के शरीर को आलिंगन में कस लिया । लडकियाँ आलिंगन से निकलने के लिए छत बताई लेकिन पुरुष ने उसे और भी जोर से कस लिया । अगले ही शरण डॉक्टर हॉल को आभास होने से पहले ही उनके पास खडी सुबिया झाडियों को तेजी से करती हुई जुडे की तरफ लपकी सुबिया कि अचानक प्रकट हो जाने से दोनों चौक कर अलग हो गए । तेजी से आगे बढते हुए सुबिया ने एक जोरदार तमाचा उस लडकी के गाल पर जमा दिया । लडकी अपने आप को बचाने के लिए चीखकर सरदार के पीछे हो गयी । प्रतिशोध की आग में जलती हुई सुबह उसकी ओर लपकी दोनों और तेज ही राजकीय परिक्रमा से कर रही थी सुबिया सुबिया, बंद करो ये सब फिर उसने अपनी पत्नी के दोनों हाथ पर कर लिए । लडकी अवसर पाते ही भाग निकले और पेडों के पीछे गायब हो गई । सुबिया ने लडकी का पीछा करने के लिए हाथ छुडाने की कोशिश की तभी अचानक उसका शरीर ढीला पड गया और वो अभी बेहोशी की हालत में अपने पति की बाहों में गिर पडी । डॉक्टर ऑर्थो झाडियों के पीछे से निकलकर सामने आ गए ये डॉक्टर साहब अभी मौके पर इधर आ निकले । जरा देखें से क्या हो गया । डॉक्टर फॅसने सुबिया के नाम पर हाथ रखा । फिर सरदार से कहा की चिंता की कोई बात नहीं था । इसे उत्तेजना दिलाई जाए । दिनभर के आराम और किसी तरह की चिंता से मुक्त होने पर ये ठीक हो जाएगी । तीन । आज नहीं सुबिया को अपनी बाहों में उठा लिया और घर की तरफ से चला । उसने कमरे में पहुंचकर उसे बिस्तर पर लेटा दिया । डॉक्टर हॉल ने सुबिया को नींद की दवा दे दी और वो धीरे धीरे नींद में डूब गई । धीराज वहाँ से हट गया । डॉक्टर हॉल भी अपने कमरे में चले आए हूँ थी ।

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Sound Engineer

बारह मील दूर writer: जे.जे. नंदीग्राम Voiceover Artist : RJ Swati Author : J J Nandigram
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