Made with  in India

Buy PremiumDownload Kuku FM
अध्याय 7 - C in  | undefined undefined मे |  Audio book and podcasts

अध्याय 7 - C in Hindi

Share Kukufm
702 Listens
AuthorNitin Sharma
पुलिस और राजनीति के गठजोड़ कैसे देश को प्रभावित करता है सुनिए इस किताब में writer: मोहन मौर्य Voiceover Artist : RJ Nitin Author : Mohan Mourya
Read More
Transcript
View transcript

आखिर वो दिन आ गया जिसका वह तीनों तीनों नहीं चारों बडी बेसब्री से इंतजार कर रहे थे । अनिल के प्लैन के हिसाब से करतारसिंह ने जो जगह चुनी थी वो चौराहे से आगे लगभग तीन किलोमीटर दूर थी । जहाँ पर एक अंदाजा टर्न था वो आदमी जिसका नाम विकास अहीरवाल था, एक प्रॉपर्टी डीलर था जो रोज दोपहर लंच करने के लिए अपनी सैकेट्री के साथ अपनी आलीशान कार में जाता था और लंच करने के बाद अक्सर उस चौराहे से गुजरता था । वो अक्सर किसी ना किसी चौराहे पर ऐसे ही गाडी रोककर गरीब काम करने वालों के मजे लेता था । खास तौर पर उन गरीब मासूम बच्चों को चुनता था जो उसका कुछ भी बिगाड पाने में सक्षम नहीं थे । अपनी सैकेट्री के सामने ऐसे काम को करने में न जाने उसे किस आनंद की प्राप्ति होती थी । ऐसे ही मजा लेने के उसकी वजह से मासूम सोनू को घायल होना पडा था । नियत समय पर वो तीनों अपनी पोजिशन ले चुके थे । वो तीनों दोस्त थी । इस समय अधिकारी के बीच में थे और आने जाने वालों से भीख मांग रहे थे । हालांकि वह भीक मांगने के सख्त खिलाफ थे पर अपनी योजना को अमल में लाने के लिए उन्हें ऐसा करना पड रहा था अगर बिस्तर में सडक के मोड के दूसरे किनारे पर खडा था जहां से वह विकास अहीरवाल की गाडी को आते समय आसानी से देख सकता था । अनिल और अजित मोड के पास ही खडे थे अगर का एक काम था जैसे ही उसे विकास अहीरवाल की गाडी नजर आती उसे अनिल को एक खास इशारा कर के इस बारे में बता देना था । करतारसिंह इस समय कहीं पर नजर नहीं आ रहा था पर वो इन लोगों से ज्यादा दूर नहीं था और एक पेड के नीचे चाय की थडी पर हवलदार आज की ड्रेस पहने हुए खडा खडा चाय की चुस्कियां ले रहा था । उसने इस बात का भी पता लगा लिया था कि अमूमन उस समय वहां पर पुलिस का कोई सिपाही नहीं रहता था । पर फिर भी न जाने उसे इस बात का डर जरूर बता रहा था कि कहीं वहाँ पर एकदम से असली पुलिस का सिपाही ना आ जाए । वाहेगुरू खैर कर रहे हैं मैं नहीं मन अपने वाहेगुरु को याद करता हुआ । वह पुलिस के असली सिपाही की तरह ही व्यवहार कर रहा था । मतलब वो बिना पैसे दिए ही चाय की चुस्कियां लगा रहा था । गाडी आ रही है । सडक के दूसरे किनारे खडे अजगर ने पहले से निर्धारित खास अंदाज से अनिल को इच्छा रखी है । असगर का इशारा पाकर अनिल एकदम से चौकन्ना हो गया और एक मानते मांगते मोड की तरफ जाने लगा । गाडी बिलकुल पास आ चुकी थी अगर ने फिर एक दूसरा इशारा किया । दूसरा इशारा पाते ही अनिल एकदम से मोड पर आकर सडक पार करने लगा । जैसे ही वो सडक के मध्य पहुंचा विकाश अहीरवाल की कार से उसे जोरदार टक्कर लगी और वह चीख मारता हुआ उछल कर दूर जा गिरा । अनिल अजित जोर से चिल्लाया विकास अहीरवाल अपनी शानदार लाल कलर की ऐसी कार को बगल में बैठी हुई अपनी सेक्रेटरी के साथ मस्ती करता हुआ बडी लापरवाही से ड्राइव कर रहा था । वहाँ आज भी गुब्बारे बेचने वाले लडके को बेवकूफ बनाकर उसे एक बार ले आया था । गुब्बारे को लडकी ने पकडा हुआ था और कार की खिडकी खोलकर उसे हवा में उडा रही थी । विकास को इस बात की कोई परवाह नहीं थी की खुली खिडकी में ऐसी नहीं चलाना चाहिए । वह तो गाडी चलाते चलाते बीच बीच में उस लडकी की कमर पर कभी चिकोटी काट रहा था । कभी उसे गुदगुदी कर रहा था जिस पर वह खिलखिलाकर हंस पडती थी । तभी हसते हुए एकदम से उस लडकी को सामने रोड पर अनिल सडक को पार करता हुआ नजर आया । उसे देखकर वह घबराकर जोर से चिल्लाई डॅाल कर वो सामने देखो । उसकी आवाज सुनकर जैसे ही विकास ने सामने देखा उसने पाया कि एक लडका रोड क्रॉस कर रहा है । उसने तेजी से अपनी गाडी को ब्रेक मारे पर ब्रेक मारते मारते भी गाडी उस लडके से टकरा गई थी । वो लडका गाडी की टक्कर पढते ही उछलकर दूर जा गिरा था और गिरते ही उसके मुँह से दर्द भरी चीजे निकली । जैसे ही अनिल के मुझसे की की आवाज आई अजीत भी उसके साथ जोर से चिल्लाया । अनिल चक्कर लगाते ही विकास एक बाल के लिए हक्का बक्का रह गया था । तभी उसके पास बैठी हुई लडकी ने उसे जिन जोडा और उसे होश आया और उसे वहां से भागने में ही अपनी भलाई नजर आई । उसने अपनी कार को बैक लेकर उसे बगाना चाहा पर तभी प्लैन के मुताबिक उसकी कार के आ गया । जीत आ गया और जोर जोर से चिल्लाने लगा था । हाँ इस आदमी ने मेरे भाई को मार डाला । कोई तो आकर बचाओ मेरे भाई को उधर चाय पीते हुए करतारसिंह की नजरें भी बार बार उधर ही जा रही थी । उसने जैसे ही अनिल को कार से टकराते हुए देखा और अनिल अजित के चिल्लाने की आवाज सुनी । तुरंत उसने अपनी चाय का कप नीचे फेंका और उस की तरफ दौड पडा । लगता है भयंकर एक्सीडेंट हुआ है । चाय की थडी पर चाय पीते हुए लोग बोले और वह भी पुलिस सिपाही की वर्दी पहने हुए करतारसिंह के पीछे पीछे दौड पडे । वहां पहुंचकर जब करतारसिंह ने अनिल को देखा तो एक पल के लिए उसके दिल में एक होक सी उठी । रूसी पाल एक पल के लिए उसकी अनिल से नजरे मिलीं । अनिल ने उस पल में ही यहाँ के इशारे से उसे आश्वस्त किया कि वो बिलकुल ठीक है । ये देख कर उसकी जान में जान वापस आई । अनिल का वो इशारा अजीत ने भी देख लिया था और अजगर ने भी देख लिया था जो अभी अभी वहां पहुंचा था । तब तक विकास की कार को चारों तरफ से कुछ लोगों ने घेर लिया था और उसे कार से बाहर निकालने के लिए बोल रहे थे । कार से बाहर निकल साले जल्दी सिपाही की ड्रेस पहने हुए करतारसिंह ने पुलिसी अंदाज में कार का गेट आपने डंडे से खटखटाते हुए कहा । विकास उसकी आवाज सुनकर अंदर तक का आप उठा था साहब देखिए इसमें मेरे भाई को टक्कर मार दी । इससे जल्दी अस्पताल ने चलिए नहीं तो ये मर जाएगा । मेरे भाई को बचा लीजिए । प्लीज अजीत करतारसिंह के पैरों से लिपटकर रोते रोते कहने लगा एक मासूम बच्चे को इस तरह से रोता हुआ सुनकर वहाँ जमा हुए लोगों का दिल पिघल ने लगा था साहब इस आदमी को पकडकर इसे कडी से कडी सजा दिलवाई है । किसी आदमी ने कहा पहले आपने बात की सडक समझ कर कार्य कैसे दौडाते हैं जैसे हवाई जहाज चला रहा हूँ, किसी दूसरे आदमी नहीं है । हाँ साहब, मेरे भाई को बचा लीजिए । इस कार्य वाले को पकड लीजिए जिसने मेरे भाई को टक्कर मारी है । असगर भी उनकी देखा देखी बोलने लग गया था । अगले साल बाहर निकल जल्दी है वरना अभी तेरी गाडी को इस डंडे से तोड ता हूँ । करतारसिंह ने इस बार उसकी कार के शीशे पर आपने पुलिसिया डंडा लहराते हुए कहा निकलता हूँ विकास के मुझसे बडी मुश्किल से आवाज निकल रही थी । बाहर निकलकर उसने जब अनिल अजित और अजगर को देखा तो उसके मुंह से निकल पडा ये तो वही बच्चे चौराहे वाले तो जानता है इसको । करतार सिंह ने कर्कश स्वर में पूछा सब ये वो आदमी है जो गांधी सर्कल पर हम से अपनी गाडी साफ करवाता था और उसके पैसे भी नहीं देता था । आज हम यहाँ भीक मांगने आ गए तो यहाँ तो मेरे भाई की जान ही ले ली । उसके कुछ कहने से पहले ही अजित नहीं होते हुए जवाब दिया सब मेरे भाई को इसकी गाडी में बैठाकर जल्दी से हॉस्पिटल ले चलिए । कहीं देर हो गई तो मेरा भाई असगर की आंखों से आंसू की धार बहने के लिए चालीस से उधार अपनी गाडी में बैठाकर अस्पताल में ले । जल्दी । करतारसिंह ने गुस्से से कहा साहब वो कुछ ले देकर विकास ने कहना चाहा पर करतारसिंह की गुस्से भरी आंखों को देखकर चुप हो गया । फिर कुछ लोगों की सहायता से करदार सिंह और विकास ने घायल और अर्धमूर्छित अनिल को सडक से उठाया और बडी सावधानी से पीछे की सीट पर लिटा दिया । करतारसिंह भी अनिल को लिटाकर पीछे की सीट पर बैठे हैं साहब, हम भी अपने भाई के साथ चलेंगे । अजीत ने कहा हाँ साहब, हमें भी गाडी में बैठा लीजिए । हमारे भाई के साथ अगर ने भी उसकी हाँ में हाँ मिलाई । मेरे को कार में इतनी जगह नहीं है कि तुम दोनों भी इसमें बैठ सको । ऐसा करो तुम अपना नाम पता मुझे लिखवा तो मैं तुम्हारे भाई को अस्पताल में भर्ती करवाकर तुम लोगों को इसकी खबर भिजवा दूंगा । ठीक है ना । करतारसिंह ने उन दोनों से कहा ठीक है साहब पर हॉस्पिटल पहुंचते हैं । हमें खबर जरूर भिजवा दीजिए । गा । कहते हुए आज इतने करतारसिंह कोई काल्पनिक पता लिखवाया फॅर लेकर चलो । करतार सिंह ने कहा । उसकी बात सुनकर विकास में कार को स्टार्ट किया और वहाँ से रवाना हो उसकी बगल की सीट पर बैठे हुए युवती को जैसे साफ हो गया था । इस दौरान उसके मुंह से एक शब्द नहीं निकला था । हाँ, तो वो क्या कह रहे थे तो वहाँ पर कुछ ले देकर गाडी को चलते हुए अभी मुश्किल से कुछ सेकंड हुए होंगे कि करतार सिंह ने रास्ते में विकास से पूछा वो मैं विकास ने कहना चाहते हो मत, यहाँ पर तुम्हारे और मेरे अलावा और कोई भी नहीं सुनने वाला । इसलिए तो मैंने उसके भाइयों को भी साथ में नहीं बिठाया था । बोलो क्या कह रहे थे तो हवलदार साहब वो इसे यही रास्ते में कहीं पटक देते हैं । अगर अस्पताल पहुंचते पहुंचते मर गया तो मुझे बहुत बडी प्रॉब्लम हो जाएगी । इसके बदले आप जो भी मांग हो गई मैं देने को तैयार हूँ । कह तो तुम ठीक रहेगा । अगर ये कहीं मर गया तो फिर तुम पर गैरइरादतन हत्या का केस चलेगा और तुम्हें जेल की सजा भी होगी । तुम बताओ तुम जेल से बचने के लिए क्या देने के लिए तैयार हूँ सब मेरे पास । अभी लगभग दस हजार रुपये मैं तो सारे आपको दे दी अगर आप और मांगों के तो वह भी मैं आपको बाद में लाकर दे दूंगा और मुझे इस मुसीबत से बचा लो । ठीक है पहले तुम गाडी को साइड मेरो को फिर अपना पर्स मेरे हवाले कर ये सुनते ही विकास नहीं गाडी । एक तरफ लोगों की जहाँ पर ट्रैफिक थोडा काम था फिर अपनी जेब से अपना पर्स निकाला जो नोटों से खचाखच भरा हुआ था । उसने वह सारे नोट निकालकर करतारसिंह के हवाले करती । सिर्फ छोटे नहीं बल्कि नोटों के साथ साथ साथ जैसे कभी मेरे हवाले करूँ करतारसिंह लेकर साहब, इतने नोट लेने के बाद भी आप चिल्लर का क्या करोगी? विकास ने आश्चर्य पूछा है । पहले को जितना कहा है तो सिर्फ उतना कर साले ज्यादा सवाल मत कर । कहते हुए करतारसिंह बुलाया । विकास ने पर से सारे सिक्के भी निकालकर करतारसिंह के हवाले कर दिए । तेरी बेटी के गले में जो सोने का हार नजर आ रहा है तो बढाई खूबसूरत लगता है । उसे भी निकाल कर मेरे हवाले कर देंगे । करतारसिंह ने उसकी सैकेट्री की तरफ देखते हुए कहा ये मेरी बेटी नहीं है । विकास ने कहा वो बेटी नहीं है, लगता है बीवी है । करतार सिंह ने पूछा फिर अपने आप ही उसका सिर ना में हिलने लग गया ना शक्ल से तो ये बीवी तो नहीं लग रही है । इसको देखकर तो ऐसा लग रहा है जैसे कोई ऍम सही कहा ना मैंने ऍम इतनी देर से खामोश बैठी हुई वो लडकी अपने लिए रखेल शब्द सुनते ही गुस्से में आ गई थी । ये देखकर करतारसिंह बोलता हूँ । वो लगता है सच्चाई सुनकर मैडम को गुस्सा आ गया । एक शादीशुदा मर्द वो भी उम्र में दोगुना उसके साथ अगर कोई दूसरी औरत इस तरह से रहती है जिस तरह से तुम रह रही हो तो उसे रख ली बोलते हैं कोई सती सावित्री नहीं बोलता । खैर चलो तुम जो भी हो मुझे उससे क्या मतलब मुझे तो तुम्हारे सोने के हार से मतलब जल्दी से बाहर निकालकर । मुझे तो वैसे भी इसे पहनने की तुम्हारी औकात नहीं लगती है । डार्लिंग देख कोई क्या बोल रहे हैं उस युवती ने विकास का वो जो भी कह रहा है तुम सिर्फ वो कर आर तो मैं तो मैं और दिलवा दूंगा । पहले इस मुसीबत से तो बाहर निकले विकास के मुझसे ये सुनकर उस युवती ने अपने गले से बाहर निकाला और करतारसिंह होती है । पर ऐसा करते हुए ऐसा लग रहा था जैसे उसकी जान ही जा रही है । पैसे और हार को करतारसिंह ने बडी ही सावधानी से अपनी जेब में रख लिया । फिर वो बोला आप गाडी को ऐसी जगह ले चलो जहाँ पर हम लोग इसे बाहर फेंक सके । अगर ये वहाँ से बच गया तो इसकी किस्मत होगी वरना मरने दो साले को कचरे में, पर बाद में अगर इसके भाइयों ने इसके बारे में पूछा तो क्या करोगे? विकास ने पूछा तो उसकी चिंता मत कर आप तुम से पैसे लिए है तो तुम्हारी मुसीबत मेरी है और मैं इसे आराम से हैंडल कर दूंगा । करतारसिंह ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया । उसकी बात सुनकर विकास ने गाडी को आगे बढाया और ऐसी जगह पर ले जाकर गाडी रोकी जहाँ पर कचरे का ढेर लगा हुआ था और आसपास देखने वाला कोई नहीं था । करतारसिंह ने बडी सावधानी से अनिल के शरीर को कार से निकालकर उस कचरे के ढेर में फेंक दिया । अनिल के बाहर गिरते ही विकास ने अपनी गाडी स्टार्ट की और वहाँ से रवाना हो गया । जैसे ही उसकी गाडी थोडी दूर पर पहुंची होगी अनिल झट से अपनी आँख खोली और उठ खडा हो और अपने कपडे घाट नहीं लगा । उसको ज्यादा चोट नहीं आई थी थोडा बहुत हथेलियों पर रगड के निशान बन गए थे और थोडा बहुत उसके घुटने चल गए थे । विकास की गाडी जैसे ही उसे टकराई थी उसके साथ ही वह दूर जा गिरा था । उसके दूर गिरने में गाडी से टक्कर का काम बल्कि उस उछल का ज्यादा हाथ था जिसकी वो कई दिनों से प्रैक्टिस कर रहा था । नीचे गिरते समय उसने अपने शरीर का सारा भार अपने दोनों हाथों की हथेलियों पर ले लिया था जिससे वो गहरी चोट खाने से बच गया था । इतनी देर से वो सिर्फ बेहोश होने का नाटक कर रहा था । वहाँ से वो सीधा अपने घर की तरफ रवाना हो गया । यहाँ पराजित अजगर और करतारसिंह तीनों उस का बडी बेसब्री से इंतजार कर रहे थे । हेलो बेटा तुम्हारे इस मिशन की सारी कमाएँ कहते हुए करतारसिंह ने विकास से हासिल करें हुए दस हजार रुपए दस बारह रुपये के चैनल और सोने का हार निकाल कर रख दिया । पर मुझे एक बात समझ नहीं आई तो मुझे ये क्यों कहा था कि उसके पास अगर खुल्ले पैसे भी हूँ वो भी ले लेना । करतारसिंह ने आशा जैसे पूछा हो क्योंकि बाबा ये मेरी एक गनर सोनू की मेहनत की कमाई थी । हमने उसकी गाडी साफ करके उसके जूते कॉलेज करके कमाई थी और उस पर उधार छोड कर रखी हुई थी । और ये क्यों बोला था कि उस लडकी के गले में पहना हुआ हार भी ले लेना क्योंकि वह भी उस आदमी के साथ हमारी गरीबी का मजाक उडाने में शामिल थी । उसे भी हमारी बेबसी को देख कर बहुत मजा आता था, सोचता था और अब के दिल में दया होती है पर उसके दिल में तो तुम कह रहे हो बेटा इस जमाने में ऐसे बहुत से लोग हैं जो दूसरों को दुख पहुंचा करे । अपना सुखचैन तलाश करते हैं । साले लोग अपने सुख में सुखी नहीं होते । दूसरों के दुख में अपनी खुशी तलाश करते हैं । करतारसिंह ने गहरी सांस लेकर का अब हम इतने पैसे का क्या करेंगे आप? अजीत और अजगर ने एक साथ पूछा हम इससे कुछ पैसे सोनू को देंगे ताकि वो अपना और अपनी मम्मी का किसी अच्छे अस्पताल में इलाज करवा सके । ऐसे बाबा बाकी पैसे आप अपने पास रखे हैं क्योंकि आप हमारा मकसद है ऐसा स्कूल खोलना जहाँ पर सोनू जैसे बच्चे स्कूल जा सके और पडने कल अच्छे नागरिक बनकर देश की सेवा कर सकें और उसके लिए तो बहुत बडी रकम होनी चाहिए । तो बाबा हम लाएंगे ना वो रकम आज के बाद हम उस गाडी वाले आदमी जैसे लोगों से आपने आपका पैसा लेकर इस काम को आगे बढाएंगे । क्यों दोस्तो धो गे ना इसमें कम में मेरे साथ मिलने अजीत और अजगर से पूछता हूँ क्यों नहीं दोस्त आज से हम लोगों का यही मिशन है और इस मिशन को पूरा करने के लिए हम से जो बन पडेगा वो हम करेंगे । ये हुई ना बाद दोस्तों वाले कहते हुए अनिल उन दोनों के गले लग गया । पर यार तुम भी एक वादा करूँ क्या आगे से ऐसे खतरे वाले काम तो मैं अकेले नहीं करोगे जैसे ही वह कार तुम से टकराई थी मेरे होश उड गए थे । अजित सही कह रहा है वहां सडक पर नीचे तुम गिरे पडे थे, चोट तो नहीं लगी थी और दर्द हमें हो रहा था । अरे यहाँ पर यहाँ ये बताओ तुम्हारी चोट कैसी है? बेटा करतार सिंह ने चिंतित स्वर में पहुंॅच देखो मैं बिल्कुल फिट आपके सामने खडा हूँ, खडा हूँ कि नहीं । वैसे छोटी मोटी खरोंच आई है तो एक दो दिन में ठीक हो जाएगी । अगले हफ्ते हुए का उसकी बात सुनकर करतारसिंह को थोडा चयन आया । फिर उसने दस हजार रुपए में से एक हजार रुपये निकले और अनिल की तरफ बढाते हुए बोला ये पैसे तुम लोग रख लो बाबा ये पैसे किस लिए? अभी आपको कहा तो था कि इन पैसों से हमें एक स्कूल खोलना है, इतनी जल्दी भूल गए । मैं कुछ नहीं बोला हूँ । स्कूल जब खोलना होगा खुल जाएगा ऍम ये पैसे फिलहाल तुम लोग रखूँ । इन पैसों से नए कपडे खरीद लेना और किसी अच्छे से होटल में जाकर खाना खा लेना । काफी दिन हो गए तो उन को कुछ अच्छा पहने और घायल हुए करतार सिंह ने कहा ये सुनकर वो तीनों कुछ जवाब देने हैं ये सुनकर वो तीनों को जवाब देने जा रहे थे । उस से पहले ही करतारसिंह बहुत बडा ध्यान आना । मैं तुम लोगों की कुछ भी नहीं सुनूंगा । हम लोगों को मेरी इतनी सी बात तो माननी पडेगी । आखिर इतना तो मैं तुम लोगों पर रखता हूँ क्यों रखता हूँ कि नहीं बाबा आपका हम पर पूरा हक है । आप तो हमारी माँ हमारे बात हो और माँ बाप को अपने बच्चों पर पूरा पूरा होता है । तो ये थी कहानी तीनों के बचपन की

Details

Sound Engineer

पुलिस और राजनीति के गठजोड़ कैसे देश को प्रभावित करता है सुनिए इस किताब में writer: मोहन मौर्य Voiceover Artist : RJ Nitin Author : Mohan Mourya
share-icon

00:00
00:00