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अध्याय 7 - B in Hindi

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787 Listens
AuthorNitin Sharma
पुलिस और राजनीति के गठजोड़ कैसे देश को प्रभावित करता है सुनिए इस किताब में writer: मोहन मौर्य Voiceover Artist : RJ Nitin Author : Mohan Mourya
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अच्छा तीन चार दिन गुजर गए । लालबत्ती होने पर चौराहे पर उस दिन वाली ही चमचमाती हुई लाल कार आकर रुकी । अनिल ने उसका आपको देखा और उस की तरफ जाने को हुआ । पर कुछ सोच कर वो वहीं रुक गया । तभी कार की ड्राइविंग सीट का शीशा नीचे हुआ और ड्राइविंग सीट पर बैठे हुए उस दिन वाले आदमी ने अनिल को अपने हाथ का इशारा करते हुए अपने पास बुलाया । अनिल उसके पास गया था तो उस आदमी ने कहा क्या बात है? मैं आज कार साफ नहीं करेगा क्या जल जल्दी से कार साहब कल अनिल उसकी बात सुनकर चुपचाप उसकी कार साफ करने लग गया । जब कार साफ हो गई तो अनिल उसकी ड्राइविंग फीट के पास वाली खिडकी पर खडा हो गया । उस आदमी ने वापस से अपने पर से सौ का नोट निकाला और अनिल की तरफ लहराने लगा । नोट लहराते हुए ही वो ड्राइविंग सीट की बगल की सीट पर बैठी हुई । उस दिन वाली युवती को देखकर मुस्कुराया साहब, चिंता मत करिए, आज मेरे पास छूटता है । आपके सौ की नोट का सौ का नोट देखते ही अनिल ने मुस्कुराते हुए कहा । अनिल के इतना कहते ही उस आदमी के पास बैठी हुई युवती जोर से हंस पडेगी । एक तो अनेलका इस तरह से मुस्कुराते हुए बोलना और दूसरा अपने साथ बैठी हुई उस युवती का हसना । उस आदमी को वह सब अपने गाल पर एक तमाचा सा लगा । शर्म और अपमान के मारे वो उससे मैं चिल्लाते हुए अनिल से बोला साले हराम, भिखारी की औलाद तो आपने गंदे कपडे से मेरी कार का शीशा खराब कर दिया और ऊपर से सफाई के पैसे भी मांग आएगी क्या नहीं देता था मैं आपसे कोई भीख नहीं मांग रहा हूँ बल्कि अपनी मेहनत का पैसा मांग रहा हूँ । वैसे भी आज मैं आपकी कार का शीशा साफ करने नहीं आया था बल्कि खोदा आपने बुलाया था अपनी कार का शीशा साफ करने के लिए । अनिल ने उसे जवाब दिया साले तो गाडी को गंदा करता है और ऊपर से मुझसे जुबान भी लगा रहा है । साला हरामी की औलाद । उस आदमी ने गुस्से से कहा साहब गाली मत दो । अनिल ने गुस्से से का एक बार नहीं सौ बार दूंगा तो मेरा क्या कर लेगा? अबे साले गंदी नाली के कीडे साहब अनिल ने गुस्से में इधर उधर देखा । उस की नजर सडक के एक किनारे पडे हुए पत्थर पर पडी । उसने तुरंत उस पत्थर को उठाया और उस आदमी की कार पर मार नहीं वाला था । तभी पीछे से उसे अजित ने पकड लिया । नई आज ऐसे गुस्सा मत करो ये बडी बडी गाडियों में चलने वाले लोगों का दिल बहुत ही छोटा होता है । ये हम जैसे गरीबों का खून चूस चूस कर रही तीन में बैठने लायक बने रइसों से अमीर है पर दिल के बहुत गरीब जो गरीब का हक मारकर खा रहे हैं । अजीत अनिल को समझाते हुए बोले क्या बोला मैं साले? तो वो आदमी अभी गुस्से में और कुछ बोलने जा रहा था कि तभी उसके पास कार में बैठी हुई युवती ने उस आदमी से कहा फॅालो यहाँ से क्यों इनके मूल लगते हूँ हम लोग लेट हो रहे हैं तो मैं कह रही हो डार्लिंग इसीलिए से छोड रहा हूँ आज वरना तो साले को अपनी बात अधूरी छोडते हुए उस आदमी ने अपनी कार्य स्टार्ट की, गैर में डाला और वहाँ से चला गया । पीछे से अनिल को बहुत गुस्सा आ रहा था और अजीत उसे समझाने में लगा हुआ था । इसी तरह से कुछ दिन और गुजर करें । अब जब भी उसकी गाडी उस चौराहे पर रोकती, कोई भी लडका उसकी गाडी को साफ करने नहीं जाता था । अनिल और अजीत ने सब कोई बात समझा दी थी कि कोई भी उस गाडी को साफ नहीं करें । एक दिन वही कार फिर से उस चौराहे पर आकर रुकी स्टार्मिंग अब कोई फायदा नहीं है । यहाँ सब लोग तो मैं जान गए अब कोई भी नहीं आएगा तुम्हारे झांसे में और तुम्हारी कार को साफ करने के लिए । कार में बैठे हुए लडकी ने मुस्कुराते हुए उससे कहा स्वाॅट कोई कार साफ करने नहीं आएगा । इसका मतलब ये तो नहीं किया मजे भी नहीं ले सकते । तुम बस देखते जाओ । मुझे कहते हुए उसने कार को लालबत्ती के पार करके आगे की ओर ले गया और सडक के किनारे ले जाकर गाडी खडी कर दी । फिर ड्राइविंग सीट से नीचे उतारा और उस तरफ चल पडा जहाँ छांव में दो चार लोगों ने जूते पॉलिश करने के आपने ठीक लगा रखे थे । तो उन तीनो में से क्या मासूम असगर का भी था । उस आदमी ने पहले एक नजर सब जूते पॉलिश करने वालों पर दौडाई और फिर सबसे छोटे देखने वाले अजगर की थी ये बन गया । उसने अपने दाये पैर को आगे बढाकर अजगर के जूते साफ करने वाले बॉक्स पर रखा और उसे अपने जूते पॉलिश करने के लिए बोला । थोडी देर में अगर नहीं है उसके दोनों जूते पॉलिश करने । उस आदमी ने अपनी पैंट की जेब से अपना पर्स निकाला और एक बार पीछे अपनी गाडी की तरफ मुड कर देखा और उसमें बैठे हुए लडकी को देख कर मुस्कुरा । वो लडकी भी उसे देख कर मुस्कुरा दिए । फिर उस आदमी ने अपने पर से सौ का चमचमाता हुआ नोट निकले साहब छुट्टा दो रुपये दीजिए ना अगर ने उसके हाथ में सौ का नोट देख कर का वो बच्चे छोटे तो नहीं है मेरे पास । उस ने मुस्कुराते हुए कहा साहब ऐसा मत कहिए, आप ऐसा करिए अगर आपके पास दस बीस का लोड हो, वो दे दीजिए, मैं उसके छुट्टी दे दूंगा । अगर ने का और देखो मेरे पास दस बीस का कोई भी नोट नहीं । उसने अपना सौ के नोटों से खचाखच भरा हुआ पाँच दिखाते हुए ठीक है साहब आफिॅस दे दीजिए, मैं भी पडोस से कहीं इसके छोटे करा के ले आता हूँ । अरे वाह! मैं तुझे चौकन् और देखो और अगर तू कहीं नोट लेकर भाग गया तो उसने मजाक उडाते हुए कहा साहब आप मुझ पर भरोसा कीजिए, मैं अभी थोडी देर में कहीं से छोटे वैसे करा कर ले आऊंगा नहीं मुझे तो सरकारी पर कोई भरोसा नहीं है । ऐसा करो अभी तो मेरे पास छोटे नहीं है की तोर पे तो माँ अगली बार ले लेंगे साहब ऐसा मत करिए आपके खुलने पैसे मैं भी ले आता हूँ । हाँ बेटा ये मुझ पर पहले दौर पे का भरोसा नहीं है और तो चाहता है कि मैं तुझ पर सौ रुपए का भरोसा कर नहीं ऐसा नहीं होगा समझा ये दौर पे फिर कभी ले लेना । कहता हुआ वो आदमी पालक कर अपनी कार में जाकर लाइट और वहाँ से चला गया । पीछे से अपना पिटा हुआ मूल्य हुए अगर से देखता रहेंगे । उधर जब अनिल ने देखा कि उस कार्य वाले ने चौराहे से आगे जाकर अपनी गाडी रोकी है तो उसका दिमाग जोर से घंटे दे दिया । उसने देखा की वो आदमी गाडी से नीचे उतरकर उस तरफ जा रहा है जहाँ पर अगर में जूते कॉलेज कर दिया लगा रखा था तो जैसे वो सब कुछ समझ वो समझ गया था कि जब उस कार्य वाले का उन पर लोड नहीं चल पा रहा है तो वो अपने मनोरंजन के लिए अगर को अपना निशाना बनाने वाला है वो तुरंत उसकी तरफ जाना हैं । तभी चौराहे पर उसी समय आकर रुकी गाडी वाले ने उसे आवाज लगाई । मजबूरन उसे अपने बढते हुए कदम रोकने पडे और वो उसकी गाडी साफ करने लगे । पर बीच बीच में उसकी नजरें अगर की तरफ की जा रहे थे उसने कहा साफ करने वाले सभी लडकों को समझा दिया था कोई उसके कार को साफ नहीं करेगा । पर उसके न ने से दिमाग में ये बात नहीं आई थी कि वो आदमी अब इस तरह की घटिया हरकत जूते पॉलिश करने वालों के साथ भी कर सकता है । इसीलिए उसने उन घटनाओं का जिक्र आज घर से या घर पर करतारसिंह से नहीं किया था । पर अब उसे अपनी गलती पर पछतावा होने लगा । उसने दूर से देखा कि अगर रोज आदमी के साथ कुछ बहस कर रहा है वो इतनी दूर से कुछ सुनते नहीं पा रहा था । पानी इतना तो वो समझ चुका था कि वो आदमी जरूर उस की तरह ही अजगर को सौ का नोट देकर उसके खुलने मांग रहा हूँ । और खोलने पैसे नहीं होने पर अगर का मजाक उडाकर पैसे नहीं दे रहा है उसे जल्दी जल्दी से वो गाडी साहब वो गाडी वाला कोई भला उसने उसे एक रुपये का सिक्का । अनिल ने उसे थैंक्स बोला और चौराहे पर चल रही लालबत्ती की तरफ निराशा भरी नजर दौडाई और उसके सेकंड राउंड करने जैसे ही काउंट जीरों पर पहुंचा और उसकी तरफ की बत्ती हरी हुई । वो तुरंत तेजी से आज घर की तरफ भागने और जब तक वो अजगर के पास पहुंचता तब तक वो आदमी अपनी कार में बैठकर वहां से जा चुका था और उसके पीछे अगर चुपचाप उदास का उस आदमी ने तो मैं पैसे नहीं भी अनागत जूते पॉलिश कराने के बाद ऍम कर सकते हैं । था तो मैं कैसे पता अगर ने आॅल उसने तो मैं जरूर सौ का बडा नोट दिया होगा । हाँ उसने सौ का ही नोट दिया था और दूर काटकर बाकी पैसे मांगे थे तो मैं कैसे बताया । वैसे तुम उसे सौ के खुलने पैसे दे पाए क्या क्या यार तुम भी मजाक कर रहे हैं । जूते पॉलिश कर के दिन भर में मैं मुश्किल से तीस चालीस रुपए कमा पाता हूँ और तुम सौ रुपए के खुलने पैसे की बात कर रहे हो पर तुमने अभी तक नहीं बताया कि तुम्हें ये सब कैसे पता चला । नहीं मेरे भाई मैं तुमसे कोई मजाक नहीं कर रहा हूँ । मुझे सब इसलिए बताया क्योंकि दो बार उसने भी चौराहे पर मुझ से अपनी कार साफ करवाई थी और पचास पैसा एक रुपया देने के बदले मुझे यूरी सौ का नोट दिखाया था और खुलने पैसे ना होने की वजह से उसने मेरे वो पैसे भी नहीं दिए थे । वैसे सुना है ये कई जगह ट्राई करता है । ऐसा करके उसे हमारी गरीबी और बेबसी का मजाक उडाने में शायद खुशी मिलती है । क्या कहा वो ऐसा तुम्हारे साथ दो बार कर चुका है तो मैं मुझे पहले क्यों नहीं बताया? अगर ने शिकायत ऍम यार मुझे लगा वो यहाँ नहीं आएगा । वहाँ चौराहे पर तो गाडी साफ करने वाले सभी लडकों को पता है उसके बारे में आप कोई भी उसकी गाडी साफ नहीं करता है । वैसे अब तुम नहीं कभी वो आए तो उसके जूते साफ मत कर । ऐसे लोगों के मूल अपना ठीक नहीं है । ऐसे ऐसे कैसे छोड दिया । हमारे अलावा न जाने ये कितनों के साथ ऐसा कर चुका है । और अगर इसे सबका नहीं दिखाया गया तो न जाने आगे ऐसा और लोगों के साथ कितनी बार करेगा । फिर अपने मजे के लिए ऐसा करने वाले को हम ऐसे कैसे माफ कर दें । अगर नहीं उससे मिका जाने दे । आज ऐसे लोग दुनिया में भरे पडे हम किस किस से लडेंगे । वैसे भी हम अभी छोटे बच्चे ही तो है । आखिर हम कर ही कह सकते हैं अनिल ने निराशा भरे स्वर्ण का राम आगे ऐसे लोगों से सावधान तो नहीं सकते हैं तो हम सही कह रहे हो । अनिल अगर नहीं उसकी हमें हामिद लगभग बीस पच्चीस दिन गुजर गए । फुटपाथ पर काम करने वाले सब बच्चे उस आदमी की चाल समझ चुके थे । वो आदमी फिर मजे लेने के लिए उनसे काम करवाता था । अनिल अजगर में भी अपने साथ काम करने वाले बच्चों को उसके बारे में खबर दाद कर दिया था । देने से ही गुजर गए और फिर कुछ दिनों के बाद एक राजू क्या बात है । आज सोनू कहीं नजर नहीं आ रहा हैं । क्या वो भी बीमार चल रहा है? अनिल ने चौराहे पर उसके साथ गाडी साफ करने वाले एक लडकी से पूछा । सोनू भी उसी की उम्र का लडका जिसके बाद शराब के नशे में गाडी के नीचे आकर मर चुका था और वो अपनी विधवा मां और दो छोटे छोटे दो तीन साल आएगी । उसके भाई बहनों के साथ एक कच्ची झोपडी में रहते हैं । गरीबी और मानसिक सदमे की वजह से उसकी माँ ज्यादातर बीमार रहने लगी थी और कुछ भी काम कर पाने में असमर्थ थे जिसके कारण वो भी अन्य बच्चों के साथ फुटपाथ पर गाडियों के कान साफ क्या करने का काम करता था और वही की फुटपाथ पर काम करने वाले ज्यादातर बच्चों की यही दास्तान नहीं जो गरीबी के दलदल में रहते हुए, भीक मांगने का, गाडियाँ साफ करने का, जूते पॉलिश करने का जैसे छोटे मोटे काम करके अपना और अपने परिवार का पेट भर रहे थे । उसका तो एक्सीडेंट हो गया है यार । राजू ने जवाब दिया क्या कैसे? अनिल ने चौकर पूछा क्या बताऊं आज बस इतना जान लो किए उसी गाने वाले की वजह से हुआ है जो मजे लेने के लिए गाडी के शीशे साफ करवाता था । अपने पर से सौ का नोट लहराता था पर वैसे कभी नहीं देता था । राजू ने कहा अरे पर हुआ कैसे? आज मुझे तो कुछ नहीं पता होगा । तुम लोग तो डेंगू की वजह से तीन चार दिन तक घर से बाहर ही नहीं निकले थे । अभी इतने दिनों के बाद कल फिर से वो गाडी वाला चौराहे पर आया था और गाडी साफ करने के लिए बोला था पर हम में से कोई भी उसकी गाडी साफ करने नहीं गया । कहते हुए वह रोका फिर अपनी बात पूरी की । सेवाएं सोनू के पर क्यों तुम लोगों ने सोनू को उसकी कार साफ करने से मना नहीं किया था क्या हम लोगों ने उसे खूब मना किया था । वही नहीं माना । कहने लगा उसकी माँ बहुत बीमार है उसके लिए दवाई लेकर जानी है । फिर वो कार्य वाले नहीं । इस बार दस का नोट ही दिखाया था तो सोनू समझा कि दस के खुलने पैसे तो वह लौटा देगा इसलिए वो उसकी गाडी साफ करने चला गया । पर जैसा कि हमेशा होता था गाडी साहब गाडी साहब हो चुकने के बाद उसने जो दस का नोट दूर से दिखलाया था वो नकली वो नकली निकला । उस आदमी ने फिर सोनू को सौ का नोट देख लाया तो बहुत रोया गिडगिडाया उसकी माँ की बीमारी का वास्ता दिया और उस आदमी का दिल बिल्कुल भी नहीं पिघला । सोनू को पता नहीं फिर अचानक से क्या हुआ । उसने एकदम से जब पट्टा मारकर उस आदमी के हाथ से वह सौ का नोट खेल लिया । वह गाडी वाला गुस्से से अपनी गाडी से नीचे उतारा और पहले तो उसने गाल पर एक जोरदार थप्पड मारा और फिर उससे और फिर उसे तेज धक्का दे दिया । उसके धक्के से वह सडक किनारे लगे हुए खम्बे से जा टकराया जिसकी वजह से उसका सिर फट गया और हाथ में फ्रैक्चर आ गया था । ये भगवान और ठीक तो है ना । अनिल ने पूछा हाँ तो वो ठीक है । किसी तरह से हम लोगों ने उसे सरकारी अस्पताल में भर्ती करवाया था और डॉक्टर ने उसके सर पर चार पांच ताकि लगाए थे और हाथ में कच्चा प्लास्टर बांदिया था । अभी कहाँ पर हूँ? अस्पताल नहीं हम फुटपाथ वालों को इतने दिन तक अस्पताल में कौन रखता है । हम उसे तो उसी समय अस्पताल से लेकर आ गए थे । अभी तो वो अपनी झोपडी में ही है । बिचारा बार बार तो मैं याद कर रहा था । कह रहा था अगर अनिल भैया इस समय साथ में होते तो मेरे साथ कभी भी ऐसा नहीं होता । शायद पर होनी को कौन टाल सकता है । अनिल ने दुख भरे स्वर में कहा वैसे मैं भी उसके घर उसे मिलने जा रहा हूँ । आवाज इत सोनू के घर चलते हैं । अनिल ने अजित से कहा और वह दोनों वहां से रवाना हो गए । चलते चलते उन्होंने अजगर को भी अपने साथ ले लिया था । भैया देखो उस कार वाले ने मेरा क्या हाल कर दिया है । सोनू ने अनिल अजित और अजगर को अपने घर में देखकर होते हुए कहा घर क्या वो छोटे से कमरे की एक छोटी सी झोपडी थी जो राजनगर कि रेलवे लाइन के सहारे बसी हुई कच्ची बस्ती में बनी हुई थी । वहाँ तक पहुंचते हुए उन्हें न जाने कितनी गंदी नालियों को पार करना पडा था । पूरे रास्ते गरीब घरों के आधे नंगे बच्चे उन्हें देखने को मिलेंगे जिनको देखकर यही लगता था कि शायद ही जिंदगी में कभी उन्हें पूरे कपडे नसीब हुए होंगे और शायद ही कभी उन लोगों ने पेट भर कर खाना खाया होगा । उस रास्ते पर चलते हुए नन्ने अनिल के निर्णय से मस्तिष्क में विचारों की एक बाढ सी आई हुई थी । सारे रास्ते भर वो एक शब्द भी नहीं बोला था जबकि इस दौरान आयोजित और अगर न जाने कितने सवाल उससे कर चुके थे । सोनू का घर इस समय खुला हुआ ही था । ऐसे भी उस झोपडी में ऐसा कुछ था नहीं जिसे चुराया जा सके । घर में प्रवेश करके उन्होंने देखा सामान के नाम पर ले देकर वहाँ पर एक टूटी हुई घट थीं । जिस पर इस वक्त सोनू अपने टूटे हुए हाथ को लेकर लेटा हुआ था । उसके माथे पर गंदी सी पट्टी बंधी हुई थी । खाट के सहारे ही नीचे एक फटा गद्दा बिछा हुआ था जिस पर उसके दोनों छोटे भाई बहन हो रहे थे । उसकी माँ थोडा बहुत ठीक हो चुकी थी और शायद काम पर गए । मैं जानता हूँ तुम्हारे साथ क्या हुआ है । पर मेरे इतना मना करने के बाद भी तुम उसकी कार साफ करने के हो गए थे । बोलो नहीं या फिर क्या करता हूँ । मैं बहुत ज्यादा बीमार थी और घर में खाने को कुछ भी नहीं था इसलिए मुझे ये गलती हो गई । मुझे माफ कर दो भैया पर अगर आप उस समय होते तो मैं कभी भी उसकी कार साफ करने नहीं जाता है । आप क्यों नहीं आए थे? थोडे दिन तक बोलिए भैया सोनू हम तीनों को भी बुखार हो रखा था जो संक्रामक था और बाकी बच्चों में भी फैल सकता था । इसलिए हम लोग दवाई लेकर घर पर ही आराम कर रहे थे । कल जाकर हमारा बुखार उतरा था तो हम लोग आज काम पर आ गए । वहाँ जाकर ही पता चला कि तुम्हारे साथ ये हादसा हो गया है । वैसे आप तो बिलकुल भी चिंता मत करो, तुम जल्दी ठीक हो जा हुए भैया अब आप आ गए हो तो मुझे चिंता करने की क्या जरूरत है? और भैया एक बात बताइए क्या हमेशा ऐसा चलता रहेगा? ये पैसे वाले क्या ऐसे ही हमेशा हम लोगों की गरीबी का मजाक उडाते रहेंगे और हमारे बार यूनि चोट खाकर अपने पैर तो अगर घर पर चुपचाप बाजार बैठे रह जाएंगे क्या हम लोग कुछ भी नहीं कर सकते? तो उन्होंने मुझे हुए स्वर में कहा है नहीं तो तुम उदास मत हो । ऐसा बिल्कुल भी नहीं होगा । आप कभी कोई आमिर किसी गरीब का ऐसे मजाक नहीं उडा पाएगा । आज के बाद कोई गरीब बच्चा यू चौराहे पर गालियाँ साफ नहीं करेगा । नहीं कोई बच्चा जूते पॉलिश क्या करेगा? धूम सब लोग भी अच्छे स्कूल में पढाई कर हो गए और एक दिन उनसे भी बडे आदमी बनो । अनिल ने अपनी नन्ने नन्ने हाथों की मुठ्ठियां भेजते हुए कहा सच भैया क्या ऐसा संभव है? क्या मैं भी स्कूल जा पाऊंगा और मेरे छोटे भाई बहन भी पढ पाएंगे । बिलकुल सच पैसे सोनू पहले तो मेरी एक बात का जवाब दो । क्या भैया बडा आदमी बन कर कहीं तुम्हें बदल तो नहीं जाओगे । उस गाडी वाले की तरह दूसरे घडी बच्चों को परेशान तो नहीं करने लग । अनिल ने पूछा ही नहीं है क्या मुझे देखकर आपको ऐसा लगता है? मैं ऐसा कर सकता हूँ । सोनू ने कहा अरे तू तो जवाब देने के बजाय उल्टा सवाल करने लग गया । अनिल ने हसते हुए हो तो वो तो यार अभी से बडा आदमी बन गया पैसे मुझे तुम पर पूरा यकीन है मेरे भाई तो हमेशा ऐसे ही प्यारे से सोनू रहोगे । अच्छा अभी दम चलते हैं तो बिल्कुल भी चिंता मत करना और आराम करना । आंटी को भी बोलना । अभी जब तक वह पूरी तरह से ठीक नहीं हो जाती तब तक वो काम पर ना जाए । घर पर रहकर यह आराम कर रहे हैं । हूँ नाना अभी तुम कुछ मत बोलो तो मुझे भैया बोलते हो ना । ये थोडी बहुत मेरी जिम्मेदारी है कि अपने छोटे भाई और माँ का खयाल लघु वैसे ये थोडा सा सामान लाए तो मैं डेली इसे बिना कुछ कहे चुपचाप रख लिया । उसने अगर और अजीत को इशारा किया उन दोनों ने अपने साथ लाया हुआ सामान रख दिया । फिर अनिल ने अपनी जेब से पचास रुपए निकले और सोनू को देते हुए बोलते हैं, ये कुछ पैसे भी रख लो, काम आएंगे अच्छा । अभी तो हम चलते हैं । बहुत सारा काम करना है तो बिल्कुल भी चिंता मत करना है । अपना और अपने परिवार का ख्याल रखना है । भाई कहता हुआ अनिल वहाँ से जाने को होगा । जाते हुए उसकी आंखों से आंसू बहने हैं । उसकी आंखों से इस तरह से आंसू बहता हुआ देखकर अजीत और अगर दोनों बहुत चकित उन्होंने कई दिनों के बाद अनिल को इस तरह से होता हुआ देखा नहीं । उन्होंने कुछ कहना चाहा पर उसने इशारे से उन दोनों को चुप कर दिया । उधर पीछे सोनू के होठों पर एक मुस्कान होगी । साथ ही साथ आंखों में आंसू झिलमिला उठे । क्या बाद है राज? कई दिनों के बाद इस तरह से तुम्हारी आंखों से आंसू बहते हुए देखें । रास्ते में चलते चलते हैं आज कल मगर सोनू की वजह से दुखी हो तो चिंता मत कर वो कुछ ही दिनों में ठीक हो जाएगा । अजीत ने कहा, मैं सोनू की वजह से दुखी नहीं या सोनू ठीक हो ही जाएगा । मैं कुछ और सोच रहा हूँ । अनिल ने जवाब दिया, ऐसा क्या सोच रहे हो? हमें भी तो बताओ जरा दोनों ने एक साथ पूजा पहले घर तो चल रहा है वहीं बताऊंगा मैं क्या सोचता हूँ वैसे भी घर पर बाबा से भी बात कर रहे हैं । अनिल ने जवाब दिया और फिर वो खामोश हो गया । सारे रास्ते वो कुछ सोचता जा रहा था । बाबा अपने सच ही कहा था ये दुनिया बडी ही थाली में यहाँ पर मांगने से हक नहीं मिलता है बल्कि अपना हक दुनिया से खेल कर लेना पडता है । घर पर पहुंचते ही अनिल ने करतारसिंह से कहा मेरे बच्चे आज ऐसा क्या हो गया तो मैं ऐसा बोल रहे हूँ । करतारसिंह ने आश्चर्य से पूछा बाबा वो स्कार वाले आदमी ने सोनू के साथ कहते हुए अनिल ने उन्हें सारी घटना बताइए । साथ में उससे पहले अपने साथ और अजगर के साथ जो कुछ हुआ नहीं । उस घटना का भी जिक्र कर उसकी बात सुनकर करतारसिंह सोच में डूब गया । आखिर थोडी देर बाद उसने अपनी चुप्पी तोडकर अनिल से पहुंचा तो तुम क्या करना चाहते हो आप मैं उस कार वाले से सोलह को उसका हक दिलाना चाहता हूँ । अपना और अजगर का हक चाहता हूँ पर सीधी राह पर चलकर तो तो मैं ऐसा नहीं करता हूँ । तो क्या तुम गलत राह अपना हूँ? बाबा मैं भी जानता हूँ कि सीधे रास्ते पर चलकर हमें ऐसा नहीं कर पाएंगे और मुझे सीधी रापर अब चलना भी नहीं । मैं समझ चुका हूँ के अपना पाने के लिए कुछ गलत करना भी गलत नहीं है । वैसे भी वो कहावत तो आपने सुनी होगी ये अगर सहयोगी से नहीं निकलता तो उंगली को थोडा ढेडा करना पडता है । बस अब मैं भी अपनी उंगली को थोडा करूंगा और उससे अपना हक नहीं कर रहा हूँ । तो मैं अकेले ये सब कैसे करता हूँ ये सब करने के लिए । अभी वैसे ही तुम बहुत छोटे अब मैं अकेला कहाँ हूँ मेरे साथ मेरे दो दोस्ती क्यों ये सही कह रहा है करतार सिंह ने । अजीत ऍम हाँ बाबा, हम दोनों सादा इसके साथ ही नहीं बल्कि है क्या जो करेंगे साथ करेंगे पर तुम दोनों भी तो बच्चे ही हो । आखिर तुम लोग क्या कर सकती हूँ । बाबा हम सब कर देंगे । बारह । मैं आपकी मदद की जरूरत पडेगी । अनिल ने कहा वो तो लगता है तुम पहले से ही सब कुछ सोच कर बैठे हुए हैं । बोलो तुम क्या करने जा रहे हैं और उसमें मेरी क्या मदद चाहिए तो मैं बाबा मेरा ये प्लान है कहते हुए मैंने अनिल ने अपना बनाया हुआ बहन करतारसिंह को सुनाया । नहीं मेरे बच्चे मैं तो मैं ये बिल्कुल नहीं करने दे सकता हूँ । इसमें तो तो मैं घातक चोट भी लग सकती है । तुम्हारी ज्ञान भी जा सकते नहीं । बाबा मुझे कुछ नहीं होगा । मेरा विश्वास करूँ पर ऍम काफी अच्छा पर इसकी जगह नए वो काम करूँ अगर नहीं तो बेटा तुम दोनों ही मैं क्यों नहीं कर सकता है काम जीतने का बाबा ये कहा मैं करूंगा नहीं । आरोप मैं तुम्हारे जज्बात समझता हूँ पर ये काम मैं ही करूंगा । वैसे भी अब हम दुनिया के अमीरों से अभी इस तरह से हम अपने हिस्से का आज चीन कर गरीबों को लौटा रहे । आगे बहुत से मौके आएंगे तो मैं ऐसा काम करने के लिए । अनिल ने कहा अबे साले तो सारे रास्ते तो यही सोचता रहा था । क्यों सारा प्लान अकेले अकेले बना लिया? क्या हमें अपना दोस्त नहीं समझता गया? बिहार फिर कभी ऐसा बोल कर भी मत कहना तो दोनों ही तो जिसके लिए मैं जिंदा हूँ वरना मैं तो कब का मर गया होता । एक साल ऐसा क्यों बोल रहा है? मारे अपने दुश्मन कहता हुआ अजित उसके गले ही बन गया । आज तो ये बात बोल दी है आज के बाद फिर मत बोलना वरना हम दोनों मिलकर तो ये तब तक छोडेंगे आवाजे अगर ने उन दोनों को अपनी बाहों में लेने की कोशिश करते हुए सही बोल रहा यार तो अगर सकता है आज अनिल मार खाने के मूड में है यार वो जितना चाहे मार लेना पर मेरा ये साथ कभी भी मत छोडना नहीं कभी नहीं मरते दम तक नहीं तीनों की आंखें चल चला उन्हें उन्हें इस तरह से देखकर करतारसिंह की आंखे भी आंसू से भी गई । दान के मुताबिक हम को सबसे पहले वह जगह फाइनल करनी है जहाँ पर हमें इस घटना को अंजाम देना है । उसके लिए हमें उस कार्य वाले का पीछा करना पडेगा, वो कहाँ से आता है और कहाँ पर जाता है और उसी हिसाब से जगह की पहचान करनी पडेगी । अनिल ने कहा पर हम उस कार वाले का पीछा कैसे करेंगे आप हमारे पास तो पीछा करने का कोई साधन ही नहीं और ना ही था मारता है । अगर ने का ये काम हम नहीं करेंगे ये काम बाबा को करना पडेगा उस चढाए से जहाँ पर हम काम करते हैं उससे पहले जिधर से वो आता है यहाँ पर उसके आगे यहाँ पर वो जाता है बाबा आपको अपने रिक्शे से उसका पीछा करके ये काम करना पडेगा । वैसे मैं जानता हूँ कि रिक्शे से काम करना बहुत ज्यादा मुश्किल है पर बाबा ये काम आपको करना ही पडेगा चाहे इस काम में थोडा सा समय लग जाए पर वो जगह उस चौराहे से चार पांच किलोमीटर के अंदर के दायरे में तो पर वो जगह चौराहे के चार पांच किलोमीटर के अंदर के दायरे में हो तो हमारे लिए बहुत ही अच्छा रहेगा । जगह ऐसी होनी चाहिए जहाँ पर लोगों की भीड कम से कम हो और अगर वहाँ पर कोई पुलिस को बुलाना भी चाहे तो पुलिस को आने में थोडा सा समय लग जाएगा । वैसे तो मैं जानता हूँ कि किसी को भी पुलिस को बुलाने की कोई जरूरत नहीं पडने वाली क्योंकि वहाँ पर पुलिस का एक हवलदार पहले से ही मौजूद होगा । क्यों बाबा अनिल ने करतारसिंह की तरफ देखते हुए कहा चिंता मत करो, दोनों काम हो जाएंगे । तुम्हारी पसंद की जगह भी उसका पीछा करके मैं किसी तरह से ढूंढ लूंगा । पुलिस का एक सिपाही भी घटनास्थल पर मौजूद रहेगा पर कहते हुए करतारसिंह दूकान पर क्या बाबा आपको मेरी आप लाइन में कुछ डाउट लग रहा गया? अनिल ने पूछा नहीं मुझे तुम्हारे प्लैन पर कोई डाउट नहीं । मैं तो ये कह रहा हूँ कि तुम्हारे छोटे से दिमाग में अभी इतना बडा आइडी आ रहा है तो बडे होने पर तो तुम ॅ होगे । करतारसिंह ने जवाब है बाबा, एक दिन वो भी आएगा । अब से हमारा यही काम होगा कि कोई आमिर किसी गरीब का हटना छीन पाए । वैसे ये तब तो बहुत ही बात की बात है । अभी तो हमें इस प्लैन पर ही ध्यान देना है । अनिल ने कहा फिर अजीत और अजगर को संबोधित करते हुए आगे का आगे का प्लान तो तुम दोनों को पता ही है । क्या करना है? वैसे भी तो मैं सिर्फ सपोर्ट देना, असली काम तो उस समय बाबा ही अंजान देंगे । फिलहाल जब तक बाबा पहले अपना ये काम पूरा कर नहीं लेते हैं तब तक मैं भी इस बात की प्रैक्टिस कर लेता हूँ कि इस काम के दौरान मुझे चोट ना लगे यार मुझे बडा डर लगता है कहीं तो मैं कुछ हो ना जाए । अ जितने चिंतित भरे स्वर में कहते हैं तो हम चिंता मत करो, मुझे कुछ नहीं होगा । वैसे भी जब तक तुम लोग मेरे साथ हो, मुझे कुछ हो ही नहीं सकता । अभी तो कमीने से अपनी मेहनत का एक एक पैसा वसूल करना है । मुझे कहते हुए अनिल की नहीं नहीं बुझाएं, बडा कोठी हूँ ।

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पुलिस और राजनीति के गठजोड़ कैसे देश को प्रभावित करता है सुनिए इस किताब में writer: मोहन मौर्य Voiceover Artist : RJ Nitin Author : Mohan Mourya
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