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अध्याय 6 - D in Hindi

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AuthorNitin Sharma
पुलिस और राजनीति के गठजोड़ कैसे देश को प्रभावित करता है सुनिए इस किताब में writer: मोहन मौर्य Voiceover Artist : RJ Nitin Author : Mohan Mourya
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था नेताजी उसका ठीक दो बजे फोन आ गया था । उसने सबूत देने के लिए तीन बजे शास्त्री फुटबॉल स्टेडियम के दक्षिणी दिशा वाले गेट की तरफ बुलाया है । गॉड नेताजी अगर आप चाहो तो मैं अभी भी उन लोगों को गिरफ्तार करवा सकता हूँ या उनका एनकाउंटर करवा सकता हूँ । नहीं तुम से एक बार कह दिया ना तो उनको कुछ नहीं करोगे तो हमारा काम अभी यहीं पर खत्म होगा । अब आगे जो भी करना है वो मेरे आदमी कर लेंगे । ठीक है नेताजी जैसी आपकी मर्जी कहते हुए पुलिस कमिश्नर ने फोन रख दिया, पर वह यह नहीं जानता था कि उसकी नेता जुबैर अंसारी से हो । ये तमाम की तमाम बातें उसके ऑफिस में लगे हुए गुप्त ट्रांसमीटर से किसी और ने भी सुन ली है । दोपहर के पौने तीन बजे शास्त्री फुटबॉल स्टेडियम के दक्षिणी दिशा वाले गेट के बाहर एक चाय की खडी थी, जो गर्मियों और शहर के स्कूल कॉलेज के मध्य होने वाले फुटबॉल टूर्नामेंट के समय खूब चलती थी । पर इस समय धनी पर सिर्फ दो ही ग्राहक थे जिसमें एक अनिल था, जो कि वहाँ एक बेंच पर बैठा हुआ चाय पी रहा था । इस समय उसके चेहरे पर हल्की हल्की दाडी थी । होटल के ऊपर एक पतली सी रेखा वाली लंबी मुझे थे । सर पर भूरे रंग बालों कि वेट पहन रखी थी । उसने ब्लैक कलर के हाथ, बाजू की टी शर्ट और ब्लैक कलर की ही किसी हुई जींस पहन रखी थी । उसके दाय बाजों पर शेर का टैटू बना हुआ था । धडी पर दूसरी बेंच पर बैठा हुआ जो दूसरा व्यक्ति था वो एक साधारण शक्लोसूरत का आदमी था जिसने इस समय सफेद शर्ट और ब्लैक पैंट पहनी हुई थी । सफेद शर्ट के गले पर उसने काले रंग की टाई पहन रखी थी । बेंच पर उसने अपनी साइड में एक ब्रीफकेस रखा हुआ था जिससे देखने में वो किसी कंपनी का एक सेल्स में नजर आ रहा था । वो इस समय सिगरेट पी रहा था और धीरे धीरे चाहेगी जिसकी हम आ रहा था । स्टेडियम के सामने की तरफ एक रोड बनी हुई थी । स्टेडियम की दीवारों के साथ पैदल चलती हुई वह रोड दोनों तरफ भी जहाँ पर खत्म हो रही थी वहाँ पर तिराहों वाली रोड मिल रही थी । मतलब रोड के दोनों तरफ आगे सीधे जाने के बजाय दाये बायें जाने के लिए रोटी स्टेडियम की वह दीवार लगभग चार सौ पाँच सौ मीटर लंबी थी और उसके दोनों सीटों पर भी चाय की थडियां बनी हुई थी । दोनों तरफ के बिल्कुल बीच में स्टेडियम कमेंट गया था जहाँ दो ही धनियाँ हो जिसमें एक तो वह चाय की थी जिसपर अनिल चाय पी रहा था और दूसरी तली अभी बंद थे । उसके दायें किनारे पर बनी हुई है थडी पराजित खडा खडा सिगरेट पी रहा था । वहीं दूसरे किनारे पर बनी हुई धडी पर अगर चाय पी रहा था एक नजर देखने में तो वह दोनों बडे लापरवाह नजर आ रहे थे पर उनकी नजर अपने सामने तिराहे वाली सडक पर ही थे जहाँ से गुजरकर किसी भी समय पुलिस का कोई वाहन अनिल की तरफ जाने वाला था । शास्त्री स्टेडियम कभी राज्य ही नहीं बल्कि देश का सबसे बेहतरीन फुटबॉल स्टेडियम हुआ करता था । वहाँ पर कभी भारत और फ्रांस का एक मैत्री फुटबॉल मैच का आयोजन किया गया था जिसको देखने के लिए भारत के प्रधानमंत्री खुद आये थे । तब ये लगा था राज्य और केंद्र सरकार के सहयोग से आने वाले दिनों में भारत भी अन्य देशों की तरह फुटबॉल की एक शक्ति बंकरों मिलेगा परंतु वक्त के साथ साथ सब कुछ बदल गया । कुछ तो राजनीति की वजह से और कुछ देश के युवाओं में क्रिकेट का ज्यादा ही बढता हुआ नशा धीरे धीरे फुटबॉल को सपने भुला दिया और वह स्टेडियम सिर्फ स्कूली बच्चों के खेलने का ही साधन बन कर रह गया था, जो सिर्फ या तो उनकी स्कूल की छुट्टियों में आबाद होता था या फिर उन सभी या फिर जब कभी स्कूल या कॉलेज के टूर्नामेंट होते थे तब आबाद होता था तो वहाँ तो हमारा गुजारा कैसे चल रहा है? अनिल ने समय काटने के उद्देश्य से चाय की धनी वाले से पूछा है क्या मतलब सब्जी मतलब ये प्यारे की तुम्हारी थोडी पर सिर्फ दो जन है और कोई तो है नहीं चाय पीने वाला फिर तुम्हारा गुजारा कैसे चलता है? बस साहब जी चली जाता है किसी तरह से सुबह सुबह यहाँ पर घूमने के लिए कुछ लोग आते जाते हैं, वो पी लेते हैं कभी कभी दिन के समय में स्कूल कॉलेज के लौंडे लौंडिया आते हैं एकांत तलाश करने के लिए वह भी चाय सिगरेट पीते हैं और फिर आप जैसे लोग तो है ही पीने वाले पर यार फिर भी कितना कमा लेते हो, दिन भर है बस खर्चे निकालकर यही कोई एक सौ पचास दो सौ रुपये साहब जी पर इतनी महंगाई में इतने कम पैसों में कैसे काम चलता है? तो अब साहब जी चली जाता है किसी तरह वैसे भी ये जगह छोडकर अब कहीं और तो जा नहीं सकते ना? क्यों भाई ऐसा क्यों? अब साहब जी माना अभी यहाँ लोग काम आते हैं पर गर्मियों के मौसम में और स्कूल कॉलेज के खेलों के टूर्नामेंट के टाइम यहाँ पर बहुत ज्यादा भीड जमा हो जाती है । तब साहब जी रोज की हजार पंद्रह सौ की कमाई हो जाती है । अब अगर अभी ये जगह छोड कर चले गए तो कल कोई दूसरा यहाँ आकर इस जगह पर कब्जा करने का । फिर तो उस कमाई से भी हाथ धोना पड जाएगा ही । बात तो ठीक कह रहे यार कहते हुए अनिल एकदम से चौंक पडा । उसकी दायीं जेब में रखा हुआ मोबाइल वाइब्रेट करने लग गया था । उसने जेब से मोबाइल निकाला । उसमें अजगर का ऐसे मैं आया हुआ था । एक पुलिस जीत इधर ही आ रही है । संदेश पढते हैं । वो खडी से उठा और अपनी जेब से सिगरेट का पैकेट निकाला और धडी पर एक डोर के सहारे बंदे हुए लाइटर की सहायता से वो सिगरेट सुलगाई और थोडी से थोडा दूर जाकर सिगरेट पीते पीते टहलने लगा । उसने देखा उसके दायां तरफ से एक पुलिस जीप उस की तरफ ही चली आ रही है । वो उसके अपने पास आने का इंतजार करने लगे । पुलिस की जीत वहाँ चाय की थडी पर आकर रुक गई । उसमें से राजनगर पुलिस की वर्दी में एक इंस्पेक्टर और एक हवलदार बाहर निकला । इंस्पेक्टर ने आकर चाय वाले से पूछा है । उससे बात करने के बाद इंस्पेक्टर ने फिर वहीं बेंच पर बैठे हुए सेल्स मेन टाइप के बंदे से कुछ बातें करने लग गया । आखिरकार उसने फिर सिगरेट पीते हुए अनिल की तरफ नजर दौडाई । इंस्पेक्टर से नजरें मिलते ही अनिल फॉरेन दूसरी तरफ देखने लगा । इंस्पेक्टर में कुछ सोचा और वह अनिल की तरफ चलना है । उसके पीछे पीछे उसका हवलदार भी आने लगा । ऍम मैं अनिल ने अपने सीने पर अंगूठे से ज्यादा करते हो । हाँ तो जीत कहीं तो मैं कमिश्नर साहब को फोन किया था । इंस्पेक्टर ने पूछा मैंने फोन और वो भी पुलिस कमिश्नर को नहीं नहीं । मैंने तो कोई फोन नहीं किया । आपको जरूर कोई गलत फहमी हुई है । मैं तो यहाँ सिर्फ चाय पीने के लिए आया था । आप प्लीज अनिल घबराने का शानदार अभिनय करते हुए अपनी गर्दन इंकार में हिलाते हुए लगातार बोलता है । बस बस जो हूँ कितना बोलो । इंस्पेक्टर ने उसे डांटते हुए कहा । फिर अपनी बात आगे बढाई । किसी ने भी फोन नहीं किया । लगता है फिर से कोई से कॉल करके पुलिस वाले को परेशान कर रहा था । आजकल ऐसी कॉल बहुत आने लग गई है । बट बढाते हुए इंस्पेक्टर ने अपना सर्व निराशा में लाया और फिर इधर उधर देखना उसे उन दोनों के अलावा दूसरी ओर कोई भी नजर नहीं आए । उसने अपनी कलाई घडी में टाइम देखा और वापस से अपनी जीत की तरफ जाने लगा । तभी पीछे से अनिल ने आवाज लगाई इंस्पेक्टर साहब फॅमिली सुनी । इंस्पेक्टर ने पीछे मुडकर देखा और वापस मिल के पास अगर पूछेगा हाँ बोलो मैं नहीं कमिश्नर साहब को फोन मिलाया था । पर जब थोडी देर पहले मैंने तुमसे पूछा था इस बारे में तब तो तुमने साफ मना कर दिया था । ऐसा क्यों किया तुमने? वो सर मैं सिर्फ ये देखना चाहता था कि कहीं पुलिस ने मेरे लिए कोई जानता नहीं बिछाया । अरे तो तुम्हारे लिए जाल क्यों बचाएंगे? मेरे भाई तुम कोई मुजरिम थोडी ना हो तो इस राज्य और देश की सेवा कर रही हूँ जो पुलिस को किसी वारदात का कोई सबूत देने जा रहा हूँ । क्या आपको नहीं पता है आपको किस चीज के सबूत चौपडा हूँ? कमिश्नर साहब ने आपको कुछ भी नहीं बताया गया था । नहीं भाई कमिश्नर नहीं तो हमें सिर्फ यही कहा था कि किसी अहम केस के लिए इस जगह पर पुलिस का कोई मुखबिर सबूत देने वाला है । अब कमिश्नर साहब से ये पूछने की हिम्मत केस में कि सबूत के इसके से रिलेटेड है और पुलिस का मुखबिर कौन है? जो सीधे सीधे पुलिस कमिश्नर से ही बात करता हूँ, वो तो है दो भाई क्या सोच रहा हूँ, जल्दी से सबूत निकालकर हमें दे दो ताकि तुम भी फिट हो जाओ और हम लोग भी जल्दी से सबूत लेकर कमिश्नर के पास चले जाएगा, देता हूँ । एक मिनट रुकिए कहते हुए उसने अपनी जीन्स के पीछे की पॉकेट में हार डाला । तभी उसे अपनी जीन्स की दायीं वाली पॉकेट में कम्पन होता हुआ महसूस हुआ जो कि दो दो की रिंग में तीन बार हुआ । अनिल तुरंत समझ गया कि अजीत यादगर किसी भी तरफ से पुलिस का एक और वाहन उसकी तरफ बढा चला । अनिल तुरंत समझ गया की अजित या अगर किसी भी तरह से पुलिस का एक और वाहन उसकी तरफ बढा चला रहा है । उसने एक नजर पहले दाई तरफ और फिर वही तरफ दौडाई । फिर कुछ समय गुजारने के मकसद से उसने पुलिस इंस्पेक्टर से पूछा अच्छा कमिश्नर साहब खुद क्यों नहीं है सबूत लेने के लिए? अरे भाई कमिश्नर साहब तो बहुत बडे ऑफिसर है । अब हर छोटे मोटे काम के लिए वह सब जगह जाने लग जाए तो फिर तो लिया कोई भी काम पर ये छोटा मोटा काम नहीं है सर, ये गहरी साजिश से वास्ता रखता हुआ सबूत हैं और साजिश के कर्ताधर्ता का नाम है । वो तो हमें पता है । अब तुम टाइम वेस्ट करने के बजाय जल्दी से ये सबूत हमारे हवाले करो । बस इस बार वो इंस्पेक्टर थोडा कडक स्वर में बोला क्या आपको पहले से पता है कि मैं किस साजिश की बात कर रहा हूँ । अरे भाई वो तो नहीं पता पर जिस हिसाब से खुद कमिश्नर साहब ने हम लोगों को यहाँ पर भेजा है कि तुम्हारे पास कोई सबूत हैं उस से हम लोगों को इतना तो अंदाजा हो ही गया है की जरूर किसी गहरी साजिश के सबूत तो हमें देने वाले हो । अब ज्यादा बातें ना बनाओ और जल्दी से सबूत निकालो कहते हुए वह झुंझला उठा था । वो अनिल ने गहरी सांस लेकर का उसने दायां तरफ अपनी नजर घुमाई तो उसे अपनी तरफ एक पुलिस जीप आती हुई दिखाई दे तो साला ये पुलिस जी पहले आ रही है और ये अजगर का बच्चा अभी तक वहीं पर खडा है क्या बात है । जबकि पुलिस जी को तो उसने पहले ही देख लिया था और मुझे रिंग भी कर दी थी । अनिल ने मन ही मन सोचा उधर इंस्पेक्टर नहीं । अनिल की नजरों का पीछा किया तो वो अपनी तरफ दूसरी पुलिस जी आते देखकर मुस्कुरा, पढाई और अनिल से बोला अरे भाई जल्दी से सबूत देवी दो इतनी देर से क्या सोच रहे हो हमें और भी बहुत से काम करने नेताओं देता हूँ । कहते हुए उसने अपनी जेब से लिफाफा निकाल लिया । तब तक वो पुलिस जी उनके काफी नजदीक आ चुके थे । अनिल ने अपना लिफाफे वाला हाथ इंस्पेक्टर की तरफ बढाया ही था कि तभी उस जीत की ड्राइविंग वाली सीट के पास बैठा हुआ पुलिस वाला आदमी जोर से चल रहा है । रुक जाओ उन्हें कुछ भी मत देना । वो असली पुलिस वाले नहीं है बल्कि पुलिस के बीच में कोई बहरूपिया है जैसे ही अनिल ने उसकी ये बात सुनिये उसके दिमाग को एक जोरदार झटका लगा । उसने तो सोचा था कि पुलिस उसे गिरफ्तार करने के लिए अपना जाल बिछा सकती है । पर यहाँ तो कहानी कुछ और ही निकल कर सामने आ रहे थे । आने वाली पुलिस जीप उसे पकडने के लिए नहीं बल्कि बचाने के लिए आ रही थी । उसने तुरंत इंस्पेक्टर की तरफ बढता हुआ अपना हाथ रोक लिया और लिफाफे को वापस से अपनी जीन्स की दायीं जेब में रख लिया । इंस्पेक्टर ने ये देखकर अनिल से गुस्से से कहा बेवकूफ उसकी बातों में मत आओ । जल्दी से वो सबूत वाला लिफाफा पेश करूँ । जरूर उन लोगों को इस बारे में पता चल गया होगा कि तुम पुलिस को उनके खिलाफ सबूत देने वाले हो । इसलिए या तो उसने इन लोगों को भेजा है । आप फिर ये खुद शाजिश करता है । अभी अनिल कुछ और डिसाइड कर पाता उससे पहले ही वह जीत उनके बिलकुल पास आकर रुक चुकी थी । जीत के रूप में ही आगे की सीट पर बैठा हुआ इंस्पेक्टर बैंक का आदमी कूदते हुए नीचे उतारा और अपनी जेब से रिवाल्वर निकालकर उस पहले वाले इंस्पेक्टर की तरफ तानते हुए अनिल ये सबूत इधर दो असली पुलिस वाले हम है नहीं, झूठ बोल रहा है । इस की बातों में आकर इसे वह सबूत मत दे देना । असली पुलिस वाले हमें पहले वाला इंस्पेक्टर चलना हो तो मैं अपनी जुबान बंद रखो, नहीं तो अभी यहीं पर शूट कर दूंगा । उसने अपनी रिवॉल्वर उसकी तरफ लहराई, फिर अनिल से बुला और तुम डरो मत । असली पुलिस । हमें पुलिस डिपार्टमेंट में जरूर किसी ने रिश्वत खाई है, जिसने ये बात बार लिखी है और कोई बहुत खतरनाक साजिश के खिलाफ पुलिस को सबूत देने वाला है कि कोई बहुत ही खतरनाक साजिश के खिलाफ पुलिस को सबूत देने वाला बहुत शुक्र है कि हम लोग सही समय पर पहुंच गए । वरना तुम तो अभी तक इनको वह सबूत देने भी वाले थे और फिर सबूत मिलते हैं । ये लोग तो मैं भी मार देते हैं । आपके पास क्या सबूत है कि आप ही असली पुलिस वाले हो? अनिल ने उसे इंस्पेक्टर से पूछा था नहीं ये देखो मेरा डैडी का मेरा नाम । इंस्पेक्टर मनोज उसने अपनी जेब से आईडी कार्ड निकालते हुए का अनिल ने कार्ड को देखा और सहमती से अपना से मिला है । अगर तुम पहले इसका भी आईकार्ड देख लेते हैं । धूम से ये गलती नहीं होती । इंस्पेक्टर मनोज नहीं अनिल से का आप सही कह रहे इंस्पेक्टर साहब वैसे मुझे इस बात का जरा भी अंदाजा नहीं था कि पुलिस कमिश्नर के ऑफिस तक में इस तरह की सेंधमारी होगी । कोई वहाँ की बातें भी बात कर सकता है । कहते हुए उस की निगाहें सडक के दोनों ओर भटके । उसने देखा की अजित अपनी बाइक पर उनके पास पहुंच नहीं वाला था और दूसरी तरफ से अगर भी लगभग वहाँ साथ ही पहुंच रहा था । इंस्पेक्टर मनोज ने उसकी निगाहों का अनुसरण किया । उधर अजीत चाय की ठंडी पर बैठा हुआ सिगरेट पी रहा था । देखने में वह बडा लापरवाह लग रहा था पर उसका सारा ध्यान सामने रोड पर ही लगा हुआ था कि वहाँ से कोई और जी पीया वाहन तो नहीं उस तरफ आ रहा है । साथ ही साथ वो बीच बीच में अनिल की दिशा में भी देख लेता था कि वहाँ सब ठीक चल रहा है नहीं । तभी उसने देखा कि उसके विपरीत दिशा से अगर की तरफ से एक पुलिस जीत अनिल की तरफ बढती चली आ रही थी । ये पुलिस जीत अजगर की तरफ से आ रहे थे । उम्मीद है उसने अनिल को सिग्नल भेज दिया होगा और वह खबरदार हो गया होगा । अभी तक आज कर वहाँ से रवाना क्यों नहीं हुआ? उसे तो तुरंत अपनी तरफ से पुलिस को आता हुआ देखकर उनसे भी पहले अनिल की तरफ रवाना हो जाना चाहिए था । लगता है वह किसी और ही प्रॉब्लम में फस गया है । अनिल खतरे में फस ले जा रहा है । मुझे तुरंत ही उसकी मदद को चल देना चाहिए । उसने सोचा और तुरंत अपनी आधी जली हुई सिगरेट को नीचे जमीन पर फेंका । उसे अपने जूतों की नोक से मसला और मोटर साइकिल स्टार्ट की और अनिल की तरफ रवाना हो गया । ये तो सामने से पुलिस जी चली आ रही है । मतलब अनेलका सोचना सही रहा कि कमिश्नर सिर्फ सबूत लेने के लिए ही अपने आदमी नहीं भेजेगा बल्कि वह सबूत देने वालों को भी गिरफ्त में लेने के लिए अपना जाल भी बिछाएगा । दूसरी तरफ चाय की थडी पर चाय पीते हुए अगर नहीं उस तरफ से आती हुई पुलिस जीत को देखते हुए सोचा उसने तुरंत सबसे पहले अपना मोबाइल निकाला और अनिल को पूर्व स्थापित विशेष अंदाज में रिंग दे और अपनी बाइक की तरफ लगता है । ऐसी स्थिति के लिए वो पहले से तैयार था । इसलिए चाय के पैसे वो पहले ही एडवांस में दे चुका था । पर इसका क्या करें कि एन वक्त पर उसकी बाइक ने उसे लगा दे दिया । उसने बाइक स्टार्ट करनी चाहिए पर वो स्टार्ट नहीं हुई और जब तक वो स्टार्ट होती तब तक पुलिस जीत उस को पीछे छोडकर अनिल की तरफ घूम चुकी थी । इस बाइक को भी अभी खराब होना था । वो मनी मन झल्लाया । उसने जल्दी से बाइक का प्लग खोला । उसमें कचरा फसा हुआ था । उसने तुरंत एक कपडे से वो कचरा साफ किया और फिर बाइक स्टार्ट करने की कोशिश करने लगा । इस बार दो तीन की एक नहीं बाइक स्टार्ट हो गयी । वो तुरंत स्टेडियम की तरफ रवाना हो गया । क्या हुआ भाई, इतनी देर से क्या सोच रही हूँ । जिस काम के लिए आये फटाफट वो काम करो । हमें और भी काम है । फॅार्म मनोज ने अनिल से कहा अनिल ने अपनी जेन्स की भाई पॉकेट में हाथ डालकर एक लिफाफा बाहर निकाला और और इंस्पेक्टर की तरफ उसे देने के लिए बढाया । जब तक अजित वहाँ पर पहुंच चुका था और अजगर भी पहुंच नहीं वाला था । दूसरी पुलिस जीप को देखकर उन्होंने ये इरादा बनाया हुआ था की वह स्मोक बम फोडकर अनिल को वहाँ से निकालने जाएंगे । पर जब उन्होंने ये पाया की दूसरी वाली पुलिस पार्टी ने पहली वाली पुलिस पार्टी को अपनी बंदूक की हद में कवर किया हुआ है तो वो असमंजस में पड गए । उनको ये बात समझ नहीं आई कि आखिर वहाँ पर चल कह रहा है वो ये भी डिसाइड नहीं कर पाया था कि स्मोक बम फोडकर अनिल को वहाँ से निकालने चले । उन दोनों को वहाँ आया हुआ देखकर अनिल ने अपने लिफाफे वाला हाथ वही रोक दिया था । सब ठीक तो आया नहीं है । जितने अनिल से पूछा, हाँ सब ठीक है । पहले आए हुए पुलिस के लोग नकली पुलिस वाले थे । ये लोग तुम्हारे साथ है । इंस्पेक्टर मनोज ने अनिल से पूछे जी आइए मेरे मित्र हो मित्र हैं, दोस्त हैं, वह क्या दोस्ती है? एक मित्र को संकट में देखा तो बाकी मित्र तुरंत उसके पीछे पीछे आ गए । यही सोच कर आए थे ना कि दोस्त मुसीबत में तो उसे बचा लेंगे । ये कहते हुए इंस्पेक्टर मनोज ने जोरदार ठाक लगा है फॅार । मनोज को इस तरह से हस्ता हुआ देखकर वह तीनों एकदम से सकपका गए । आखिर अनिल से नहीं रहा गया और उसने इंस्पेक्टर मनोज से पूछा इसमें आज नहीं की क्या बात ऍम ये लोग अब ये पूछ रहा इसमें आज नहीं की क्या बात है । कहते हुए उसने पहले वाले इंस्पेक्टर की तरफ देखकर आंख मारे है । ये देखकर वो और उसका साथी भी ढाका मारकर हसने लगा । उनको कवर किए हुए हवलदार नहीं अपनी बंदूक नीचे की और वह भी उनकी हँसी में उन का साथ देने लगे । उन सबको इस तरह से हस्ता हुआ देखकर वह तीनों जैसे सब समझ गए । अब तो तुम लोग सामाजिक हो गए कि मैं क्यों हो रहा था । ये लोग मेरे ही जाती है । हाँ सब समझ गए । वैसे मुझे ये थोडा बहुत अंदाजा तो था कि कमिश्नर साहब हम लोगों को गिरफ्तार करने की कोई कोशिश जरूर करेंगे । पर इस बात का बिल्कुल भी अंदाजा नहीं था कि वह इस तरह से पुलिस की दो पार्टियां भेज कर हम लोगों के लिए जाना चाहिए । पुलिस कमिश्नर का जाल खबर हम कोई पुलिस पुलिस नहीं है । हम सब तो नेताजी के आदमी है । जो पहले इंस्पेक्टर बन कराया था ना वो रफाकत है उसके साथ वो हवलदार है । वो रफीक ये सुलेमान और मैं । मैं इंस्पेक्टर मनोज नहीं बल्कि मुश्ताक इंस्पेक्टर मुश्ताक नहीं सिर्फ और सिर्फ मुश्ताक पुलिस इंस्पेक्टर बनने मुश्ताक ने मुस्कुराते हुए हो अनिल के मुझसे गहरी साफ हाँ, नेताजी को ये पूरा यकीन था कि तुम लोग एक से ज्यादा हो सकते हो इसीलिए उन्होंने ये दो पुलिस पार्टियाँ वाला प्लान बनाया था । हमारा इरादा तुम लोगों को अपनी गिरफ्त में लेने का या फिर मार गिराने का था । पर नेताजी को मालूम था कि तुम लोग इस बात पर जरूर शक करोगे कि सबूत लेते समय पुलिस तो मैं पूछताछ के लिए अपनी हिरासत में ना ले । इसीलिए तुम लोग कभी भी पुलिस के सामने एक साथ नहीं आओगे । इसलिए उन्होंने पहले एक पार्टी को नकली पुलिस वाला बनाकर तुम्हारे पास भेजा और उसके पीछे पीछे दूसरी पार्टी को तो मैं खबरदार करने वाली असली पुलिस बनाकर भेजा ताकि वह तो मैं अपने विश्वास में ले सकें और अगर तुम्हारा कोई और साथ ही तो में बचाने के लिए कहीं छुपा हुआ भी हो तो वो भी खतरा खत्म समझकर सामने आ जाए । हे राम तुम लोगों को एक साथ अपनी गिरफ्त में ले सकें और तुम लोगों का किस्सा ही खत्म कर सकें ही काफी अच्छा प्लान बनाया है । हमारे नेता जी वो तो तुम देख रहे हो । कितना अच्छा प्लान है । तुम लोग इसमें पूरी तरह से फस चुके हो । तुम जो चार से बोले पापा मेरी तरफ बढा दो और तुम दोनों अपनी अपनी मोटर साइकिल से उतरकर चुपचाप यहाँ मेरे सामने आकर हाथ ऊपर करके खडे हो जाओ । मतलब कमिश्नर नहीं है । हम लोगों को धोखा दिया था और पूरी की पूरी पुलिसफोर्स ही तुम अपराधियों से मिली हुई है । अनिल ने गहरी सांस लेकर का तो तुम क्या समझते हो? हम लोगों को कोई सपना आया था की तुम लोग यहाँ पर पुलिस को किसी चीज का कोई सबूत सौंपने आए । ऐसे शहर की क्या इस पूरे राज्य की पुलिस हमारे नेता जी की जेब में तुम सही कह रहे हो? वैसे इस राज्य की क्या बात करें? पूरे देश में ही पुलिस किसी ना किसी नेता की जेब में ही तो पडी हुई है । अब दस साल है । बहुत हो गई तरी बकवास । अब ज्यादा लेक्चर मत दें और जल्दी सही लिफाफा इधर मेरी तरफ पडा । इंस्पेक्टर मनोज उर्फ मुश्ताक कर्कश स्वर में बोले इतने भी क्या जल्दी है पे आ रहे हैं एक बार जरा इधर भी तो अपनी नजरे दौडा कर देख लोग सभी वहाँ एक नई आवाज गूंज उठी । उन सबकी नजरे आवाज की तरफ गई तो पाया कि वह चाय की थडी वाला और वह सेल्स मेन से नजर आने वाला युवक । उन दोनों ने उनकी तरफ अपनी अपनी रिवॉल्वर तान रखी थी । तुम लोग कौन? पूछताछ के मुझसे आशा है । बडी आवाज निकाले हम है इसलिए पुलिस वाले समझे मियां मुश्ताक उस सेल्स मैंने मुश्ताक से का, फिर अनिल को संबोधित करते हुए और तुम सारे इंडिया के पुलिस वालों के बारे में कुछ ज्यादा ही बोल रहे हैं । अभी भी ऐसे बहुत से पुलिस वाले हैं जो फर्स्ट के लिए अपनी जान की बाजी लगा देते हैं । फायदा ये नेता जी कौन है और इस लिफाफे मैं ऐसा कौन सा सबूत है? तो तुम लोग पुलिस को देने वाले थे और ये लोग तुमसे लेने आ गए । अब तुम पुलिस वाले हो तो तुम्हें पता होना चाहिए कि नेताजी कौन है और इस लिफाफे में क्या है? अनिल ने एक बार अजित और अजगर की तरफ देख करो सेल्समैन से कहा, वो तीनों ही अब काफी हद तक समझ चुके थे और किसी भी परिस्थिति के लिए तैयार थे । हमें सिर्फ लिफाफा लाने के लिए बोला गया है, उसके अंदर क्या है और ये नेताजी कौन है जिससे हमें कोई मतलब नहीं । हमें तुमसे भी कोई मतलब नहीं है तो मैं आप जल्दी से लिफाफा मुझे सौंप दो जल्दी करो । अनिल ने अब अपना लिफाफे वाला हाथ उसे ऍम की तरफ बढाया । उसने लिफाफे को हाथ में लिया था कि सभी ढाई से गोली चलने की आवाज आई और उस सेल्स मेन के हाथ से उसके नीचे गिर पडे । साथ ही साथ उसके हाथों से वह सबूत वाला लिफाफा भी नीचे गिर । मुश्ताक अनिल से बात करने के चक्कर में उसे इस्माइल कोई ध्यान ही नहीं रहा कि वहाँ पर उनके अलावा नकली पुलिस के तीन आदमी और भी और मौका मिलते ही उनमें से एक ने अपनी पिस्टल से उसके लिए बॉलीवुड वाले हाथ को अपना निशाना बनाना । उधर गोली लगते ही उसके हाथ से बंदूक उधर मौका बातें अगर में अपने बैग से एक मोव बम निकाला और उसे फोडते हुए चलाया । अनिल जल्दी करो अजित के साथ बैठो जल्दी अनिल अवगत की आवाज सुनते ही तुरंत अजीत की मोटर साइकिल की तरफ तो अगर के पडे हुए स्मोक बम से वहाँ तो वहाँ फैलने लगा था । अभी दो तीन गोलियां चलने की आवाजाही और साथ ही अजित की मोटर साइकिल पर बैठकर बैठते अनिल के मुंह से एक जोरदार ठीक निकल पडे । क्या हुआ अनिल तुम ठीक हो ना? अजीत के मोरसिंह आम मैं बिल्कुल ठीक हूँ । तुम जल्दी निकलो यहाँ से अनिल ने जवाब दिया, पर तुम लाए थे अजित ने अपनी मोटर साइकिल को दे देते हैं कुछ नहीं । बस वो एक गोली बाजू को रगडते हुए गुजर गई थी । वाट अजित के मुँह से निकला । साथ ही साथ बैलेंस बिगडने की वजह से उसकी मोटर साइकिल लडखडाई । अरे तुम बाइक चलाने में ध्यान दो, मुझे कुछ नहीं हुआ है । बस गोली बाजू को रगड देते हुए निकली थोडा सा जब मैं जल्दी ठीक हो जाएगा । वैसे अब ऐसा ना हो गोली से तो मेरा कुछ नहीं बिगडा पर अगर तो मैं ऐसे ही बाइक चलाओगे तो जरूर किसी एक्सीडेंट में अपना राम नाम सत्य हो जाएगा । अनिल ने मुस्कुराते हुए हैं और यूशर अब तुम चुपचाप बैठे रहो । हम अभी घर पहुंचते हैं । अब है इसी चोरी की बाइक पर घर चलो क्या मुझे क्या अजगर जैसा समझ रखा है जो ये काम करूँगा? तो तुम्हारे कहने का मतलब है अगर चोरी की बाइक से ही घर पर पहुंचेगा । अनिल ने उसे छेडते हुए यार तुम भी ना तुम भी चुप रहो तो अच्छा है वरना कहीं ऐसा ना हो कि मैं वास्तव में ही कोई एक्सीडेंट ना करवा बैठूं । अजीत ने झुंझलाते हुए करेंगे उसकी सरकार पर अनिल बरबस मुस्कुरा और अगले ही पल उसके शरीर में दर्द की एक लहर उठ के जिसे उसने बडी मुश्किल से दबा दिया था । ये क्या हुआ इससे इतना खून कैसे निकल रहा है? अनिल को देखते ही करतारसिंह के मुझसे निकला कुछ नहीं । बाबा बस थोडा सा घाव लगाए अनिल ने जवाब थोडा सा था हवाई से गोली लगी गोली अजीत ने तेज स्वर में लगभग चलाते हुए क्या कहा इसे गोली लगी । करतारसिंह घबराते हुए बोलते हैं आबामा इसके बाजू में गोली धंसी हुई है और देखो तो कमीना रस्ते भर मुझे कह रहा था कि बस गोलीबाजी को छूते हुए निकले । साला कमीना ऐसा दोस्त है जो उसको झूठ बोलता है । अजीत ने गुस्से में कहा अबे नाराज क्यों होता है? वैसे भी अगर मैं तुझे उस टाइम में बता देता है कि मुझे गोली लग गई है तो मुझे उस समय तो कुछ नहीं हुआ था पर दो जरूर बाइक का एक्सीडेंट करवा बैठ और मेरे साथ साथ फिर तेरी भी खैर नहीं थी । कहते हुए अनिल के शरीर में दर्द की जोरदार लहर उठी जिसे छुपाते हुए वह मुस्कुराओ अनिल सही कह रहा है । अजित अनिल ने उस वक्त की नजाकत को अनिल ने उस वक्त की नजाकत को समझाते हुए सही कहा था । अगर नहीं तो चुप कर साले बीच में बोलने के लिए किसने कहा बढा है? इसकी हिमायत करने वाले अजीत नाराज होते हैं । तुम लोग अपना झगडा बाद में करते हैं । पहले से किसी डॉक्टर के पास ले जाओ । करतारसिंह चिंतित सफर में नहीं, बाबा डॉक्टर के पास नहीं । हम लोग उन्हें कैसे बताएंगे कि मुझे गोली कैसे लगी है? मेरी गोली यहीं पर निकालनी होगी । अनिल दर्द से कराहते हुए बोला । अनिल ठीक कह रहा बाबा पहले रसोई में जाकर पानी गरम करें और एक साफ चाकू को गर्म करके और एक साफ चाकू को गर्म करके लेकर आएंगे । अगर तुम जल्दी से साफ सफेद पट्टी और रोटी का इंतजाम कर और अनिल तुम ज्यादा हीरो बनने की कोशिश मत करो । चुप चाप मेरे साथ चलो और अपने बिस्तर पर जाकर लेट जाओ । अजित निकले जो हुक्मों में गया होगा । अनिल ने मुस्कुराते हुए जवाब अन्य लज्जित का हाथ पकडकर अपने बिस्तर तक आया और उस पर लेट गया । थोडी देर में करतारसिंह पानी और चाकू कदम करके ले आए और अगर भी रूही और सफेद पट्टी ले आया, अजित ने गर्म चाकू को पकडा और बडी ही सावधानी से अनिल के बाजू में धंसी हुई गोली निकले । अनिल के मुझसे सिसकारी से निकले अजीत ने फिर उसके घाव को गर्म पानी और उसी से साफ किया और फिर उस पर पट्टी बांध । मैंने कहा था ना इतना खतरा मोल मत लिया करो और तुम लोग हो कि मेरी सुनता ही नहीं हूँ । अभी सोचा है कि अगर तुम लोगों को कुछ हो गया तो बुड्ढा कहाँ जाएगा? इस बुढापे में गुडा करतारसिंह गुस्से से अरे बाबा, मुझे कुछ नहीं हुआ है । अजीत ने गोली निकाल दी है और अब देखो अब तो मैं बिल्कुल ठीक हूँ । अनिल लेगा पर तो मैं ये गोली लगी कैसे? करतारसिंह जवाब में अनिल ने सारा किस्सा कहते हैं । सारी बात सुनकर करतारसिंह ने का जरूर पुलिस कमिश्नर ऑफिस में उस नेता का कोई भेज दिया है जिसने ये सारी बात उस नेता तक पहुंचाई नहीं । बाबा कमिश्नर के ऑफिस में कोई भेदिया नहीं है बल्कि वह पुलिस कमिश्नर खुद उस नेता का पालतू कुत्ता बना हुआ है । मैं पुलिस को उस जगह पर सबूत सौंपने वाला हो । ये बात उस पुलिस कमिश्नर ने खुद उस नेता को बताई थी । अनिल ने कहा, ये तुम क्या कह रहे हो? बेटा भलाई पुलिस कमिश्नर ऐसा कैसे कर सकता है? करतारसिंह के मुझे आश्चर्य से नहीं कर सकता है । बाबा जरूर कर सकता है और कोई शैतान, किसी मुर्दे के जिसमें कब तक नोट्स । जब कोई शैतान किसी मुर्दे के जिस्म से कब तक हो सकता है तो ऐसा धोखा करना तो उसके लिए बहुत ही मामूली बात है । अनिल के मौसम गुस्से से निकला तुम क्या कह रही बेटा मुझे कुछ भी समझ नहीं आ रहा हैं । आप नहीं समझे बाबा मैं समझता हूँ मैं उस दिन टीवी पर जब कमिश्नर मैंने उस दिन टीवी पर जब कमिश्नर को पहली बार देखा था तो मैंने कहा था ना मैंने इसे कहीं पर देखा हुआ है । हाँ तुमने कहा तो था उस दिन तो मुझे याद नहीं आया । मैंने उसे कब और कहाँ देखा था । आखिर बरसों पुरानी बात हो गई थी और वह शक्ल भी मुझे धुंधली धुंधली से याद थी और उस की आज के हरकत से मुझे सब याद आ गया है कि वह कमिश्नर कौन है और मैंने उसे कब और कहाँ देखा था । कब देखा था अजित के मुंह से निकला है । कहाँ देखा था अगर ने पूछा ये कमिश्नर वही होता है जिसमें मेरी माँ के इलाज से उसके गहने होते थे । ये वही कमीना है जिसने मेरे मरे हुए बाप का बटुआ चोट आया था और उनके आपसे घडी और उंगली से सोने की अंगूठी उतारी थी । क्या अजित, अजगर और करतारसिंह तीनों के मुँह से एक साथ हाँ समय ये शायद इंस्पेक्टर था और आज नेताओं के चौखट चार चार राजनगर का पुलिस कमिश्नर बन बैठा है । उस समय मुरता जिसमें से कब तक चुरा लेता था और आज पैसों के लालच में इस शहर को शमशान बनाने पर तुला हुआ? हाँ मिलने नफरत से का हम सच कह रहे हो? क्या ये वही पुलिस वाला है? ऐसा तो नहीं कि तुम से कोई गलतफहमी हुई हूँ? नहीं हार मुझे कोई गलत फहमी नहीं हुई है, हवाई होता है । वैसे भी मेरी आंखें वो सूरत कभी नहीं भूल सकती जिसने इनके सामने मेरे माँ बाप की लाश को नोचा था । अनिल ने गुस्से से कहा अनिल अगर तुम सच कह रहे हो तो फिर हमें पुलिस में अनिल अगर तुम सच कह रहे हो तो फिर आ मैं पुलिस से मदद की बिल्कुल भी उम्मीद नहीं रखनी चाहिए तो उल्टा टांकों को खजाने की पहरेदारी सौंपने वाली बात हो गई । तुम साइट तो मसाई कह रहे यार, हकीम के कंधों पर शहर और राज्य की रखवाली की जिम्मेदारी हो, अगर वो खुद ही शहर को लूटने लग जाए, फिर उसका लाये मालिक है । अगर हम तो से सबूत सौंपने गए थे पर वो तो हमारी जान का सौदा उस नेता की हालत से कर बैठा था । तो हमारी किस्मत अच्छी थी । जो पता नहीं कहाँ से वह पुलिस की एक और पार्टी आ गई और हमारी जान बच गई । पढना उन कमीनों ने तो हमें जहन्नम पहुंचाने में तो कोई कसर बाकी नहीं छोडी थी । अगर में पुलिस की तरफ देखते हैं जहाँ तो बच गई है आप और हम वो चिट्ठी । वह सबूत वहीं पर गवा बैठेंगे । अब हम उस नेता के खिलाफ कुछ भी नहीं कर सकते हैं । अनिल ने कह रही साफ नहीं करेगा, सबूत थे तब भी तो हम लोगों ने क्या कर दिया या ज्यादा टेंशन मत लोग करने का पर्व सबूत कौन सी पार्टी के हाथ में लगे होंगे और वह सबूत कौन सी पार्टी के हाथ में लगे होंगे । हमें अपने जाल में फंसाने वाली पुलिस पार्टी के या फिर चाय वाले के भेद में हम को बचाने वाली पुलिस पार्टी अजित ने पूछा अरे कौन हो सकते हैं वो लोग जो अपने आप को असली पुलिस वाले बता रहे थे और हमको आॅफर बचाने के लिए वहाँ पर आ गए । आखिर उन्होंने कैसे पता चला होगा कि हमें फंसाने के लिए वहाँ पर कोई जाल बिछाया जा रहा है । अजीत ने भी पूछा ।

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पुलिस और राजनीति के गठजोड़ कैसे देश को प्रभावित करता है सुनिए इस किताब में writer: मोहन मौर्य Voiceover Artist : RJ Nitin Author : Mohan Mourya
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