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अध्याय 6 - B in  |  Audio book and podcasts

अध्याय 6 - B

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पुलिस और राजनीति के गठजोड़ कैसे देश को प्रभावित करता है सुनिए इस किताब में writer: मोहन मौर्य Voiceover Artist : RJ Nitin Author : Mohan Mourya
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हूँ उसी वक्त शहर के दूसरे हिस्से में है चमिया चलती है क्या नौ से बारह तू चीज बडी है मस्त मस्त एक जो माधु मुझ गोदार दे दें वो पच्चीस छब्बीस साल के दो नौजवान थे जो पालिका बाजार में खडे खडे आती जाती । लडकियों पर अश्लील कमेंट कर रहे थे और उन्हें छेड रहे थे । एक लडके ने ब्लैक कलर की जींस पहन रखी थी जो आज के फैशन के हिसाब से जगह जगह से फटी हुई थी । उसने ब्लैक कलर की ही खाओ बाजू की टी शर्ट पहन रखी थी । बाल उसने तेरे नाम मूवी के सलमान खान की तरह बना रखे थे । बना क्या रखे थे अपने आंखों पर काला चश्मा लगाए वो खुद को पूरा सलमान खान ही समझ रहा था । दूसरे लडके ने वरुण धवन की तरह पीले रंग की पेंट और लाल रंग की शर्ट पहन रखी थी जिसकी बाजुओं को उसने गौनियों तक फोन किया हुआ था । आंख पर उसने भी काला चश्मा लगा रखा था । काले चश्मे के अलावा अगर उनमें कोई और चीज कॉमन थी तो वो थे उनके गले से बाहर लौटते हुए लॉकेट जिस पर उर्दू में सात सौ छियासी लिखा हुआ था । पालिका बाजार राजनगर का साधारण दया एक शांति लगा था जहाँ से कभी कोई लडाई मारपीटकी या किसी दंगे फसाद की खबरें ना के बराबर ही आती थी । कौन है ये लोग जो इस तरह से इन बेचारी लडकियों को परेशान कर रहे हैं । पहले तो कभी नहीं देखा है लोगों को यहाँ इस एरिया में, पर भाइयों ये लोग इस तरह से लडकियों को कैसे परेशान कर सकते हैं । आओ हम लोग मिलकर इनको सबक सिखाया नहीं यहाँ रहने दो वो तो शकल से ही सडक क्या आप गुंडे नजर आ रहे हैं । देखो कपडे भी गुंडों जैसे ही पहन रखें आज में लडाई करने से क्या फायदा होगा? थोडी देर बाद ये लोग वैसे ही अपने आप यहाँ से चले जाएंगे । तो हम सही कह रहे हो भाई अगर आज हम इन गुंडों के मूल लगेंगे तो कल को ये हम तो तुम सही कह रहे हो भाई । अगर आज हम इन गुंडों के मूल लगेंगे तो कल को ये हम लोगों कोई परेशान करेंगे । दूसरों की वजह से हम अपने आप को खतरे में क्यों डालें? अपन लोगों को इनसे क्या है? लडकियों की प्रॉब्लम है वो जाने वहाँ के दो आजू बाजू के दुकानदार आपस में बात कर रहे थे । शायद ये बात बोलते हुए वो लोग इस बात को भूल गए कि कल को उनकी बहन बेटी को कोई गुंडा छोडेगा तो उन्हें बचाने भी कोई आगे नहीं आएगा क्योंकि वो लोग भी तो यही सोच रखते होंगे । उन लडकियों की प्रॉब्लम है हमें क्या? इधर ये दोनों जवान अपने ही रंग में आती जाती हुई लडकियों को छेडते मजे लिए जा रहे थे । आसमान बहुत है क्या माल जा रही है तभी एक नौजवान जोर से चिल्लाकर अभय कहाँ पर है जावे अबे साले डर डर क्या देख रहा है वो सामने की तरफ देख क्या कयामत आ रही है? ऐसा लगता है जैसे सीधे जन्नत से उतरकर कोई हूर चली आ रही है । जावेद ने सामने की तरफ अपने हाथ की उंगली से इशारा करते हुए उस्मान ने जावेद की उंगलियों का पीछा किया और उस तरफ देखते ही उसके मुंह से एक सिसकारी से निकली वहाँ हूँ और ब्यूटी एक बीस बाईस साल की निहायती खूबसूरत लडकी अपने ही हम उस लडके के साथ वहां से पैदल गुजर रहे थे । लडकी ने नीले रंग का सूट पहना हुआ था जिस पर उसने लाल रंग का दुपट्टा ओल्ड रखा था । उसके साथ वाले लडके ने जींस टीशर्ट पहनी हुई थी और वो दोनों हंस हंस कर बातें करते हुए जा रहे हैं चलाया उधर चलकर मजे करते हैं । जावेद ने उस्मान को आंख मारते हुए कहा और वो दोनों अपने वोटों से हल्की हल्की सी टी बजाते हुए उस तरफ को जल्दी जिधर से वह दोनों लडका लडकी आ रहे थे । दोनों ने अपने हाथ अपने जेन्स की पॉकेट में डाले हुए थे और ऐसा लग रहा था जैसे वह पूरी तरह से लापरवाह । जैसे ही वो लडका लडकी के नजदीक पहुंचे जावेद में अपने कंधे से उस लडकी के सीने पर जोर से टक्कर मार दी और साथ ही साथ टक्कर लगते ही वो जानबूझ कर उस लडकी को अपने साथ लेकर नीचे गिर पडे और उसकी कमर में अपनी उंगलियों से चिकोटी काट नहीं । इधर चुटकी काटता ही लडकी के मुंह से दर्द की वजह से हल्की सी आने के लिए उधर जावेद के मुँह से गुस्से में निकला । अब फॅमिली दिखाई नहीं देता । जावेद के मुझे गाली सुनते ही वो लडकी सकपका गए । एक तो वैसे ही गिरने की वजह से उसके हाथ में थोडी चोट लग गई थी । दूसरे खुद जावेद में उस की कमर पर चिकोटी काटी थी इसके बावजूद वो उसी पर इल्जाम लगा रहा था कि वह से आकर टकराई सुमन खडी हो जाएगा तो मेरा हाथ पकडा तो उसके साथ वाले लडके ने अपना हाथ उसकी तरफ बढाये । लडकी ने उसका हाथ पकडा और खडी हो खडे होकर उसमें जावेद की तरफ देखा जो पहले ही खडा हो चुका था और आपने दात निकाल कर उसकी तरफ गुस्से में देख रहा था । सौरी उसके चेहरे के भाव देखकर सुमन ने जावेद से धीरे से का ये सुनकर उसके साथ वाले लडके ने जवाब दिया तुम क्यों सॉरी बोल रही हूँ? सुमन गलती सरासर इस लडके किए ये तुम से जानबूझ कर आकर टकराया था । बहस साले अभी लडकी सौरी बोल रही है तो तेरे को क्या मिर्ची लग रही है । जब हो मान रही है कि वही भाई जाकर टकराई थी तो तेरे को इसमें क्या प्रॉब्लम है । साले लगता है तो इस को कुछ नहीं कर पाता इसलिए ये दूसरे लोगों के साथ टकराकर और अपने शरीर को उनके साथ रगडकर मजे लेती है । उस्मान ने हसते हुए उस लडकी का उसकी बात सुनकर जावेद भी इस पर पर ये सुनते हैं । उस लडके को एकदम से गुस्सा आ गया था और गुस्से में ही बहुत समान कि तरफ लपका और अपने दोनों हाथों से उसकी कमीज का कॉलर पकडते हुए अपने दांतों पर जोर देते हो । साले तमीज से बात कर यह मेरी बहन है । अब बहन है तो जल्दी से कोई अच्छा सा लडका देख कर उससे उसकी शादी करवाते हैं । कहीं ऐसा ना हो जाए अगर इसके शरीर की गर्मी सहन नहीं हुई तो किसी दिन ये घर छोडकर किसी लडके के साथ भाग जाए और तेरे माँ बाप की बदनामी हो जाए । और हाँ अगर शादी के लिए कोई लडका नहीं मिल रहा है तो बंदा उस हम दो बंदे आते हैं । इसके शरीर की गर्मी को हो जाने के लिए । उस्मान ने अपने पीले दांत बाहर निकालकर उस लडके से कम पर ये कहते हुए वो भूल गया कि उस लडके के हाथ अभी तक उस की कमी की कॉल को पकडा है । उस की बात सुनते ही गुस्से में आकर उस लडके ने उसकी कॉलेज को छोडकर अपने दोनों हाथों से उसका गला था दिया और उसके गले पर अपने हाथों का दबाव बना उसकी इस हरकत को पहले तो उस मानने हवा में उडा दिया पर जैसे जैसे उसके गले पर उस लडके के हाथों का दबाव बढने लगा तो उसकी आंखें उखड में लगे हैं । उसके मुंह से खो खो की आवाजें आने लगी थी और आखिर लालू कर बाहर को आने को तत्पर थे । ये देखकर जावेद जैसे एकदम से बहुत बन गया था एक पल के लिए । उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह क्या करें । अबे साले खडा खडा क्या सोच रहा है बच्चा मुझे आराम से किसी तरह से उस मानने गले से लडखडाते हुई आवाज निकाली । उस की बात सुनते ही जैसे जावेद को एकदम से होश आया हूँ । वो तुरंत उनकी तरफ बढा और आगे बढकर उस लडके के हाथों को उसमान की गले से हटाने, अपने थोडे ही प्रयास से वो अपने काम में सफल गला आजाद होते ही उस्मान के जैसे जान में जान वापस आ गई हूँ । वो लम्बी सांसे लेने लगा और जब उसकी सांसे थोडी दूरस्त हुईं वो तुरंत आगे बढा । उस लडके के चेहरे पर एक जोरदार घूंसा मार दिया । वो लडका लडखडाया और नीचे सडक पर जाकर हो । तब तक उन लोगों का झगडा देखकर वहाँ पर भीड जमा हो गई थी । सौडियाल तो मैं जोर से लग गई । मेरी कोई गलती नहीं थी । मैं जानबूझकर आपकी बहन से नहीं तक लाया था । भीड को देखते ही जावेद के व्यवहार में एकदम से परिवर्तन आ गया था । वह शक्ल और अपने व्यवहार से अब कोई गुंडा बदमाश नहीं बल्कि शराफत की जीती जाती तस्वीर नजर आ रहा था । नहीं, तुम जान बूझ कर मेरी बहन से टकराए थे और आप मुझे ही मार रहे हो । वो लडका गुस्से से उठता हुआ बोला और आप लोग बस तमाशा देखिए ये गुंडे बदमाश यूपी दूसरों की बहन बेटियों को छेडते रहते हैं और आप लोग सिर्फ तमाशा देखते रहते हैं । अगर आज इनको सबक नहीं सिखाया गया तो कल को ये आप लोगों की भी बहन बेटी की यूरी सडक पर बेज्जती करेंगे । तब भी क्या आप लोग यहीं खडे खडे तमाशा देखते रहेंगे । वह भीड से मुखातिब होता हुआ पूरा यार ये तुम क्या बोल रहे हो भाई, जान बूझकर तुम्हारी बहन से नहीं टकराए थे और फिर इन्होंने तुमसे और तुम्हारी बहन से माफी भी मांग ली है । अब अगर फिर भी तुम्हारा गुस्सा शांत नहीं हो रहा है तो मैं भी तुम से हाथ जोडकर माफी मांगता हूं लोग । इस पर उस्मान ने भी हाथ जोडकर उस लडके से कहा ये सब इन की चाल है ताकि आप लोग ऐसे ही इन लोगों को छोड दो । और यहाँ से बचकर निकल जाए साले, ये मुसल्ले होते ही ऐसे झूठे और मक्कार वो लडका उनके गले में लटकते हुए सात सौ छियासी के ताबीज की ओर इशारा करता हुआ भीड से बोल ये बात तो सही कह रहे हो तो ये लोग ऐसे ही हम लोगों की बहन बेटियों को बहला फुसलाकर अपने प्यार के जाल में फंसा लेते हैं और फिर उन्हें घर से भगाकर ले जाते हैं । आज ऐसे बहुत से किस्से अखबारों में पडने और सुनने को मिलते हैं । भीड में से किसी ने कहा क्या सही कह रहा है मैं जरा सी बात का बतंगड बना रहा है । इन दोनों ने माफी मांग ली है और दोनों की इस बात को कहाँ से कहा ले जा रहे हो भीड में से किसी दूसरे निकाह साले तुम तो बोलोगे ही ऐसे तुम भी तो इनके ही मतलब के हो साले खाते हिंदुस्तान की ओर गाते कहीं और कइयों देर राज ठाकुरजी सही बोलते हैं इन लोगों के लिए इन लोगों को तो पाकिस्तान भेज देना चाहिए । ये लोग किसी के काबिल है । भीड में से पहले वाले ने कहा तो मैं बात को कहाँ से कहा ले जा रहे हो । इस देश की आजादी में जितनी कुर्बानियां हिंदुओं ने दी है, उतनी है मुसलमानों ने भी दी है । पर तुम्हारे देवराज जैसे टटपूंजिये नेता हर बार हमारी देशभक्ति पर शक करते हैं और हम लोगों के मजहब के लिए काफी भला बुरा कहते हैं और हम लोग हर बार चुप रह जाते हैं । पर अब ऐसा नहीं होगा । हम तो मैं इस बात का करारा जवाब देंगे । क्या कर लोगे में तो साले बढ गए साले तुम लोगों के नेता की जो रूको तो अल्लाह के पास पहुंचाई दिया है और अब तुम लोगों का भी यही हाल करेंगे । ये ले कहते हुए उसने सामने वाले के चेहरे पर एक जोरदार हो सामान साले देवराज जी के घर पर छुपकर हमला करने को तुम अपनी बहादुरी कहते हैं । हम हैं तो सामने से वार करो । वैसे उसने भी उसे पलट कर उसके ऊपर एक घुसा मारते हुए जवाब दे रहे हमारे मतलब के आदमी को मार दिया रहे ये हमारी बहन बेटियों को छेड रहे । बारह इंसानों को ये वही लोग हैं जो दिन रात हमारे मतलब पर उंगली उठाते रहते हैं । मारो ना राम के चलो । उन्होंने हमारे प्यारे नेता जी के घर पर हमला किया है । मारो सालों और फिर थोडी देर में ही उनके बीच बिना किसी मतलब के मारा मारी शुरू हो गए । यह देखकर किसी समझदार व्यक्ति ने अपनी जेब से मोबाइल फोन निकाला और पास के पुलिस स्टेशन में फोन मिलाया । फोन की घंटी बजती रही और फिर बजकर बंद हो पर किसी ने भी फोन नहीं उठाया । उसने डायल करने के लिए मोबाइल का बटन दबाया था । तभी कहीं से उडता हुआ । एक पत्थर आया और उसके सिर पर जोर से अलग है । पत्थर लगाते ही वह नीचे सडक पर गिर पडा और उसका मोबाइल भी उसके साथ ही गलत है । मोबाइल फोन से पुलिस स्टेशन रिंग जाती रही पर किसी ने फोन तो नहीं उठाया । इधर मोबाइल बजना बंद हुआ । उधर उस आदमी की आंखे बंद हो गई और वह बेहोशी की नींद में चला गया । हाथों से शुरू हुई ये लडाई जल्दी ही हथियारों में तब्दील हूँ । लोग लाठियां, तलवारें लेकर एक दूसरे पर टूट पडे । थोडी देर में वो इलाका युद्ध का मैदान बन गया । अब तक और मार्क आज शुरू हो गई । दंगाई दुकानें चलाने लग गए और जब काफी जानमाल का नुकसान हो गया तो हमेशा की तरह सरकार द्वारा उस एरिया में करती लगा दिया गया । जिन लोगों की वजह से ये सब शुरू हुआ था वो वहाँ से कई किलोमीटर दूर अपने सफलता ऍम मजा आ गया । सही बोल रहा गया आज तो वाकई मजाक का बहुत कोई होंगे वो तो ठीक है साले पर कोई फिल्मी जोर से कमर में चिकोटी काटता है क्या? वो लडकी जिसका नाम संबंधाें नकली क्या करूँ यार मेरी कमर है क्योंकि कितना भी अपने आप को समझाओ पर ये है कि मेरी बात सुन भी नहीं बस बस चल जाते हैं कहते हुए ऍम काले अपने आप को इस्तेमाल कर रहे हैं हम अगर उन्होंने मेरी बहन को छूने की कोशिश की तो हाथ तोड कर अलग कर दूंगा । वो लडका जो उसका भाई था उसे ऍम तो मन में जो मेरे हाथ में बंदा था उसे फॅमिली नहीं उस्मान हसते हुए बोला उस की इस हसी में जावेद सुमन और अमर ने क्या किया? आज सुबह इंडियन राष्ट्रवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री देवराज ठाकुर की पत्नी रीमा ठाकुर की उनके घर पर हुई सनसनीखेज हत्या के बाद उनके समर्थक उग्र होते हैं और उन्होंने शहर में तो बहुत शुरू कर दी है । जवाब में विरोधी पक्ष के लोगों ने भी हथियारों का इस्तेमाल शुरू कर दिया है जिससे शहर में कई जगह हिंसा भडक होती है और काफी जानमाल का नुकसान पहुंचा है । हालांकि सुबह सुबह ही नेता देवराज ठाकुर में अपने समर्थकों को शांत रहने की अपील की तैयारी की थी और प्रशासन और पुलिस ने शहर में कडा पहरा भी लगा दिया था । शहर के संवेदनशील इलाकों में हर स्थिति से निपटने के लिए पुलिस की गश्त भी लगाई जा रही है पर शायद ना तो देवराज की अपील का उनके समर्थकों पर कोई असर पड रहा है और ना ही पुलिस के इंतजाम कुछ कर पाएंगे । वैसे ये हिंसा उन इलाकों में भर्ती है जो आम तौर पर काफी शांत माने जाते हैं और शायद इसलिए प्रशासन ने उन इलाकों पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया और जिनका फायदा इन दंगाइयों ने उठा लिया । शहर में हुई इस हिंसा में अपना कुल तीन लोगों की मौत हुई है और करीब पचास लोगों को गंभीर रूप और गरीब पचास लोगों को गंभीर घायल अवस्था में शहर के विभिन्न अस्पतालों में भर्ती कराया गया है । एहतियात के तौर पर पुलिस की गश्त बढा दी गई है और कल दोपहर तक शहर के दंगाग्रस्त इलाकों में कर्फ्यू लगा दिया गया है । हम नेता देवराज द्वारा की गई अपील को आपसे फिर दोहराना चाहते हैं और आप से शांति बनाए रखने की उम्मीद करते हैं । टाइम टाइम की रिपोर्ट के साथ मैं आपका साथ ही सुनील उपाध्याय अब आपसे विदा लेता हूँ । अभी आप देख रहे थे सुनील उपाध्याय कि देवराज ठाकुर के घर पर हुए हमले की पत्नी रीमा ठाकुर के सनसनीखेज हत्याकांड की स्पेशल रिपोर्ट । अब हम आपको सीधा पुलिस मुख्यालय ले चलते हैं । यहाँ पर शहर के पुलिस कमिश्नर श्री बीएस खन्ना जी प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रहे हैं । टीवी पर लाइव टेलीकास् संभाले एन करने दीवार पर लगी हुई बिग स्क्रीन की तरफ इशारा करते हुए कहा यहाँ पर पुलिस मुख्यालय का दृश्य दिखाया जा रहा था । वो छोटा सा हॉल था जहाँ ऊपर की तरफ एक स्टेट सा बना हुआ था । वहाँ कुर्सियों पर राजनगर पुलिस कमिश्नर खंड आपने तीन चार सीनियर पुलिस अधिकारियों के साथ बैठे हुए थे । नीचे की तरफ लाइन से कुर्सियां लगी हुई थी जिसपर टीवी और प्रिंट मीडिया के पत्रकार जमा हुए थे जो कि कमिश्नर खंड द्वारा बुलाई गई प्रेस कॉन्फ्रेंस को कवर करने के लिए वहाँ पर एकत्र हुए थे । सर शाम को इस समय ये पुलिस कॉन्फ्रेंस बुलाने का क्या औचित्य है? सर क्या देवराज ठाकुर की पत्नी रीमा ठाकुर के हत्यारे का कुछ पता चला या पुलिस अभी तक सिर्फ हवा में ही हाथ पैर मार रही है । जब इस बात की पहले से ही आशंका थी कि रीमा ठाकुर की हत्या के बाद शहर में दंगा फसाद फैल सकता है तो फिर पुलिस प्रशासन ने इसे रोकने के लिए पूरे इंतजाम क्यों नहीं किए । जो शहर में कई जगह दंगा फसाद फैलने की खबरें आ रही हैं जिसमें कई लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पडा है और सार्वजनिक संपत्ति का भी नुकसान हुआ है । साथ ही उन इलाकों में कर्फ्यू भी लगाना पड रहा है । आखिर प्रशासन की कुंभकर्णी नींद कब खुलेगी? जब सारा शहर इस आग में जल जाएगा तब आकर क्या आप ही आप बुझाएंगे? इधर पत्रकार कमिश्नर मिश्रा के ऊपर एक के बाद एक सवालों की बौछार किए जा रहे थे । उधर कमिश्नर चुपचाप उनके सवालों को सुन रहा था । आखिरकार जब उसके सब्र का पैमाना छलक पडा तो उसने अपना एक हाथ ऊपर क्या और पत्रकारों की टोली को शांत रहने का इशारा करते हुए देखिए आप लोग इस तरह से शोर मत ना चाहिए । आप एक एक कर गए । अपने सवाल पूछे आपको आपके आर सवाल का जवाब मिलेगा । आप के सबसे पहले सवाल का जवाब ही यही है कि हमने ये प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाई ही इसलिए है ताकि मिसेज देवराज ठाकुर हत्याकांड की वजह से जनता के मन में जो सवालात उठ रहे हैं उनका जवाब आप लोगों के माध्यम से उन तक पहुंचाया जा सके । कहते हुए उसने अपनी वाणी को विश्राम दिया और फिर आगे कहा, और जो गुस्से की आग में लोग भडक रहे हैं, उन्हें शांत करने का काम किया जा सके । कमिश्नर की बात सुनते ही सारे पत्रकार एकदम से शांत हो गए । अब आप लोग एक एक करके अपने सवाल फिर से पूछ सकते हैं । कमिश्नर ने उन्हें शांत होता देखकर कहा, सर हेमा ठाकुर के हत्यारे के बारे में कुछ पता चला गया । एक पत्रकार में पूछा, हमारी तलाश जारी है और मैं आप लोगों को यकीन दिलाता हूँ कि हम जल्द ही हत्यारे को गिरफ्तार कर लेंगे । ये तो पुलिस का हमेशा का डायलॉग असर चाहे हत्यारे को पुलिस कई महीने तक गिरफ्तार मैं कर पाए पर हमेशा डाटा बताया । एक ही जवाब आता है कि हम हत्यारे को जल्दी गिरफ्तार कर लेंगे । कहते हुए दूसरा पत्रकार हंस पडा । ये देखकर बाकी के पत्रकार बीएस पडेगी । यस ने की बात नहीं है । पत्रकार महोदय, हम या एक सीरियस मैटर को लेकर ये प्रेस वार्ता आयोजित कर रहे हैं और आप लोगों को अधिसूचना है शर्म आनी चाहिए आप लोगों को शहर में लोग जल मर रहे हैं और आप उस पर भद्दे मजाक बना रहे पुलिस कमिश्नर थोडे से गुस्से में बोला उस को गुस्से में देखकर एक पत्रकार ने कहा सॉरी सर, हम इस मेटर पर नहीं रहे बल्कि पुलिस का वही रटा रटाया जवाब सुनकर हम लोगों को हसी आ गई । अच्छा आप ये बताइए कि आप लोगों को कातिल का कुछ सुराग मिला है या फिर यू ही हवा में जवाब दे रहे हैं । देखिए हम यही हवा में जवाब नहीं दे रहे हैं बल्कि हमें कातिल के कुछ सीसीटीवी फुटेज मिले जिसके बेस पर एम कातिल को तलाश कर रहे हैं । ऐसे क्या फुटेज मिले सर हमें बताइए हम अपने चैनल के माध्यम से जनता को जागरूक करेंगे जिनसे आपको कातिल को जल्दी से जल्दी गिरफ्तार करने में मदद मिल सके । देखिए आपकी बात सही है पर इस तरह से अगर हम इन फुटेज को वितरित कर देंगे तो उससे कातिल भी सावधान हो सकता है और वो पुलिस की गिरफ्त में आने से बचकर निकल सकता है । इसलिए फिलहाल अभी के लिए ये फुटेज हम आपको नहीं दे सकते हैं । इन फुटेज की सहायता से पुलिस टीम अपनी तलाश करेगी । पर फिर भी हम आपके चैनल के माध्यम से लोगों से ये अपील जरूर करना चाहते हैं कि रीमा ठाकुर हत्याकांड के बारे में अगर कोई भी कुछ भी कैसा भी जानता है तो उसे पुलिस को जरूर बताएगा । इसके लिए पुलिस ने एक विशेष हेल्पलाइन जारी की है । जो ऍम खोली है उस पर आने वाली हर कॉल की डिटेल सीधे मुझ तक पहुंचाई जाएंगे । जरूरत महसूस हुई तो मैं कमिश्नर खोज कॉल करने वाली से बात करूंगा । आप लोग इस नंबर पर अपनी बात पहुंचा सकते कहते हुए कमिश्नर एक नंबर बता देंगे सर ये तो वही कातिल की बात है । अब आप ये बताइए कि बीमा ठाकुर की हत्या के बाद शहर की कानून व्यवस्था इतनी बिगड हो गई । जब इस बात का पहले से ही अंदेशा था कि शहर में दंगा फसाद हो सकते हैं तो उसे रोकने के लिए पुलिस ने पूरे इंतजाम क्यों नहीं किए । शहर के कई इलाकों में दंगा फैलाने की खबरें आ रही है और जगह जगह नहीं हो रही है । इन सब को रोकने और दंगाइयों को पकडने के बजाय प्रशासन द्वारा अंत में सिर्फ कर्फ्यू लगाकर इतिश्री कर ली जाती है । ऐसी बात नहीं है । हम नहीं शहर में कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए शहर के लिए पुलिस का पूरा इंतजाम किया हुआ है । फॅमिली पोलिसी काफी नहीं है । शहर में शांति बनाए रखने के लिए इसके लिए जनता को भी जागरूक होना पडेगा और उन्हें आ गया ना होगा । आप खुद देख लीजिए । कई इलाकों में दंगा फैलाने की कोशिश को जनता की सहायता से पुलिस ने नाकाम नहीं किया है और कई मुझे दोनों को गिरफ्तार भी किया है । पुलिस कमिश्नर मिश्रा ने जवाब पर फिर भी क्या पुलिस को और ज्यादा मुस्तैद नहीं रहना चाहिए । चिंता मत कीजिए । पुलिस पूरी तरह से मुस्तैद है और हर परिस्थिति के लिए तैयार है । याद कीजिए पिछले साल जब पडोसी राज्य में दंगे हुये थे तो वहाँ के प्रशासन को स्थिति संभालने में सात दिन से ज्यादा समय लग गए थे । जबकि हमने तो एक ही घंटे में परिस्थितियों को कंट्रोल कर लिया है । बस जनता को धैर्य बनाए रखना चाहिए । बास इससे ज्यादा हम और कुछ नहीं कहना चाहते हैं । रहने वाले हैं हूँ

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पुलिस और राजनीति के गठजोड़ कैसे देश को प्रभावित करता है सुनिए इस किताब में writer: मोहन मौर्य Voiceover Artist : RJ Nitin Author : Mohan Mourya
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