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पुलिस इंस्पेक्टर के जाने की पश्चात माने अपनी बेटी लाली से कहा लाली ऐसा क्या किया है तो उन्हें की पुलिस तुझे अपनी गोद में उठाकर लाये और प्यार से तेरी माँ को सौंपकर तेरी बढाई कर रही थी । मेरी माँ मैंने कुछ पढा नहीं किया पर हाँ मैं वहाँ जाती तो उस घडी को ना देखती हूँ । और फिर पुलिस अंकल को ना बताती तो पता है क्या जाता मेरी माँ क्या हो जाता है, क्या हुआ? कुछ बताएगी भी बस ऐसे ही बोलती रहेगी । माम बताती हूँ बताती हूँ सभी कावडिये शिव जी के दर्शन करने जा रहे थे । मैंने सोचा मैं अपने कंधे पर काम नहीं लाये तो क्या हुआ? बम बम बोले तो मैंने भी बोला है । मैं भी बोली कि भगत हूँ कि नहीं । हाँ बाबा हाँ! टू बी बोले कि भगत है माने लाली का समर्थन करते हुए उस पर अपना मातृत्व बरसाते हुए कहा फिर में मंदिर में भोले के दर्शन क्यों नहीं कर सकती? बस इसीलिए मैं पुलिस से छिपकर अंदर की और भाग गई जहाँ सबलोग बोली को जलसे नहला रहे थे । लाली ने अपनी शरारत से माँ को हुए कष्ट के लिए सफाई देते हुए कहा लेकिन लाली के प्रति पुलिस इंस्पेक्टर के व्यवहार को देखकर लाली की शरारत को लेकर माँ की शिकायत का स्वतः निराकरण हो गया था । पुलिस इंस्पेक्टर आर्यन के कथन इसमें कई हजार लोगों की प्राण बचाए हैं तो सुनने के पश्चात से माँ का हफ्ते बार बार अपनी बेटी को देख कर गर्वित अनुभव कर रहा था । इसी गर्व की अनुभूति से उत्साहित माने पुनः हलाली से कहा अच्छा लाली ये तो बता तो कई हजार लोगों की जान कैसे बचाई? पुलिस वाला कह रहा था ना माँ की उत्सुकता देखकर लाली के होठ फैल गए पर श्वेत कमल सी उसके दंतपंक्ति जमा कोठी अपनी साहस और बुद्धिमता का प्रस्तुतिकरण करते हूँ । उसने कहना आरंभ क्या माँ मैं यहाँ खडी हुई पुलिस से बचकर अंदर तो चली गई थी पर आगे फिर पुलिस खडी थी उससे बचने के लिए मैं वहाँ पर रखे हुए कूडे के डिब्बे के पीछे छिपने लगी । जिम में कूडे के डिब्बे के पीछे बैठी तो उसके अंदर से मुझे घडी की टिक टिक की आवाज सुनाई दी । मैंने डी । पी के अंदर झांका और कूडा हटाकर देखा तो वहाँ मुझे कोई घडी नहीं दिखाई दी । फिर मैंने डिब्बे के नीचे देखा तो बडी घडी कहते कहते लाली शनिवर के लिए मौन हो गई । फिर माँ अभी आप करके बता रही हूँ एक पल कुछ मुझे सांस लेने दो । लाली ने कृतिम क्रोध प्रकट करके अगले क्षण पुनः बताना रहे । क्या मैंने एक दिन टेलीविजन में देखा था? बम फटने वाली गरीबी ऐसी थी वह बम खडी भी ऐसी एक्टिंग की आवाज कर रही थी । मैं समझ गई थी जरूरी या किसी ने बम लगाया है । टेलीविजन में बताया गया था किसी सार्वजनिक जगह पर ऐसी कोई चीज देखें तो तुरंत पुलिस को सूचना दी । बस बम घडी देखते ही मैंने वहाँ से दौड लगाई और जल्दी से पुलिस को बता दिया कि कूडे के डिब्बे के नीचे बम है । माँ तुझे बताएं । मैं इस बम के बारे में पुलिस को नहीं बताती तो यहाँ सब मर जाते । मैं भी और तुम भी । लाली ने अपनी बुद्धिमता और निर्णय पर गर्व करते हुए कहा । रानी ने भी बेटी की अपेक्षानुरूप भावमुद्रा में उसका समर्थन करते हुए उसके सिर पर हाथ फेरा और उसके ललाट को चूमते हुए कहा, भूख नहीं ले कि आज तुझे सारे दिन इधर से उधर और उधर से इधर भागती फिरती है । लगी है ना बहुत जोर से भूख लगी । पेट में चूहे दौड रहे हैं कह रहे हैं लाली खाना खिलाओ, खाना खिलाओ । कहते कहते लाली ने मां के आंचल से मुठ्ठीभर प्रसाद लिया और वहीं पर खडी होकर खाने लगी । माने लाली की बाहर पकडकर एक सुनिश्चित दिशा में लगभग धकियाते हुए कहा चल घर चलते सवेरे से अब तक दौडते भागते तेरी छोटे छोटे पांच थक गए होंगे । हरी माँ मेरी छोटी छोटी पानी तक के हैं । ये क्यों नहीं कहती कि तेरे बडे बडे पाठक गए हैं? लाली ने मुस्कुराकर कहा ठीक है मेरी माँ मेरे ही पांच थक गए हैं । अब घर चले माँ के उत्तर पर लाली खिलखिलाकर हंस पडी और माँ का हाथ पकडकर मंदिर से अपने घर की ओर बढ चली । महाशिवरात्रि का पर्व शांतिपूर्वक संपन्न होने के एक सप्ताह पश्चात लगभग ग्यारह बजे फ्राई और कि नीचे जहाँ डाली रहती थी, एक मोटर साइकिल आकर रुकी । रानी ने देखा उस मोटर साइकिल से उतरकर एक पुलिसमैन उनकी ओर बढा रहा है । ये देखकर रानी थोडी सशंकित हुई । उसकी बेटी लाली जोर से पीडित बेसुध लेटी थी । अतः रानी शीघ्रतापूर्वक चिंतित मुद्रा में लाली के पास पहुंची और उसे गोद में उठाकर वही मिश्रित आशंका से पुलिस मैन को देखने लगे । क्षण भर में ही रानी ने उसको पहचान लिया की वहीं पुलिस इंस्पेक्टर है जो महाशिवरात्रि के पर्व पर मंदिर में लाली को बडे इसमें से गोद में उठाए हुए था । अता रानी ने अपनी चिंता को व्यक्त अनुभव करके रानी को पुनः लिटा दिया और जीते हुए कहा आज लाली की तबियत बहुत ही खराब है इसलिए कोई बात नहीं कहते हुए पुलिस इंस्पेक्टर रानी के साथ हिलाली के पास खडा होकर उसको देखने लगा । टाइमिंग पुनः का आक्सी तब रही कल से बच्ची ने ना कुछ खाया है ना क्या है बेसुध पडी है । पुलिस इंस्पेक्टर ने मुस्कुराते हुए लाली की गर्दन की प्रचार को छूकर उसकी आंखों में झांककर कहा क्यों? क्या हाल है हमारे बहादुर जवान का? पुलिस इंस्पेक्टर का सर कानों में पढते ही लाली ने अपनी आंखें खोली और प्रतिक्रिया स्वरूप सूखे होटों से मुस्कुराकर पुनः आंखे बंद कर ली । पुलिस इंस्पेक्टर ने अनुभव किया कि अपनी सकारात्मक प्रतिक्रिया देने के लिए आंखे खोलने और मुस्कुराने में लाली कोपर्याप्त कष्ट उठाना पड रहा था । बच्ची को तेज फीवर है इसको तुरंत डॉक्टर के पास ले जाना होगा । पुलिस इंस्पेक्टर ने रानी से मुखातिब होकर कहा रानी चुप खडी रहेगी तभी वहां से एक रिक्शा गुजरात पुलिस इंस्पेक्टर ने रिक्शेवाले को पुकारा और लाली की माँ से विनम्रतापूर्वक आग्रह किया । बच्ची को लेकर आप रिक्शे में बैठ चाहिए ये आपको अस्पताल पहुंचा देगा । मैं कल सरकारी अस्पताल से लाली को दवाई दिलवा कर लाई थी । अभी थोडी देर पहले ही मैंने इसको दवाई दी है । रानी ने इंस्पेक्टर से बताया उस दवाई से बच्चे को कुछ फायदा नहीं हो रहा है । ना कल से बच्ची को जो दवाइयाँ दी हैं उनका पर्चा भी साथ ले लेना । डॉक्टर को दिखाने के लिए इंस्पेक्टर ने आत्मीयता और अधिकार भाव से कहा । इंस्पेक्टर का आदेश सुनकर रानी असमंजस में फंस गई की तीव्र जुर में तख्ती बच्ची को लेकर आगे बढकर रिक्शा में बैठ जाये या घर में बैठकर बेटी के स्वस्थ होने की ईश्वर से प्रार्थना करें । बेटी की गंभीर हालत को देखकर उसका मन कहता था कि ईश्वर ने ही इंस्पेक्टर को उसकी सहायता करने के लिए भेजा है । इसलिए बेटी का इलाज कराने के लिए इस्पेक्टर की सहायता ले लेनी चाहिए । लेकिन वो समाज में कुछ सा की इतने रूप देख चुकी थी कि किसी पर भी विश्वास करना उसके लिए सहज नहीं रह गया था । रानी अपनी दुविधा से बाहर भी नहीं आ पाई थी तभी उसके कानों में पुणे पुलिस इंस्पेक्टर का स्वर सुनाई पडा । इंस्पेक्टर रिक्शे वाले से पूछ रहा था किशोर दा हॉस्पिटल चलोगी जी बाबू जी जरूर चलेंगे । रिक्शे वाले ने चलने के लिए हाँ कहा तो इंस्पेक्टर पुनः रानी से मुखातिब होकर कहा जल्दी करो इस आत्मीयता, निमंत्रित, संरक्षण और देखभाल के लिए रानी बहुत पडती थी किन्तु उसके भाग्य ने कभी उस का साथ नहीं दिया । वो ऐसी बुलबुल थी जो जिस बगीचे की डाल पर बैठे वो बगीचा यूजड गया अंतर था वो इंस्पेक्टर के आदमी संरक्षण का लोग समझ नहीं कर सके और चुपचाप रिक्शे में जाकर बैठकें रानी के रिक्शे में बैठने के पश्चात स्पेक्टर निरीक्षी वाले को निर्देश दिया मैं तो में अस्पताल के गेट पर मिल होगा जल्दी पहुंचाना जी बाबूजी रिक्शा चालक ने विनम्रतापूर्वक उत्तर दिया और रिक्शा आगे बढा दी । जिस समय रिक्शा वाला लाली और उसकी माँ को लेकर अस्पताल के मुख्यद्वार पर पहुंचा उसने देखा इस्पेक्टर पहले से ही खडा हुआ उसकी प्रतीक्षा कर रहा था । बडी देर कर दी । यहाँ तक पहुंचने में इंस्पेक्टर ने रिक्शेवाले पर देर से आने का आरोप लगाकर अस्पताल के बाहरी लाली का स्वागत किया और अपने साथ आने का संकेत करते हुए अस्पताल भवन में प्रवेश कर गया । इंस्पेक्टर ने चिकित्सक के परामर्श से लाली की यथाआवश्यक एक्सरे, रक्त जांच आदि परीक्षण कराए । चिकित्सक के परामर्श अनुसार लाली के लिए सभी आवश्यक दवाइयां खरीदी और अंतिम में रानी को डॉक्टर के पर्चे के साथ दवाइयाँ देते हुए दवाई देने का समय और मात्रा बताकर कहा बच्ची को समय पर दवाइयाँ देना है । तीन दिन बाद दोबारा यहाँ कर इन्ही डॉक्टर साहब को दिखाना होगा । बीच में ये दिल लाली की तबीयत बिगड जाए तो भी तो यहीं आना है । रानी ने आभार की मुद्रा में सिर हिलाकर इस्पेक्टर के हाथ से दवाइयाँ ले ली । इसके पश्चात इंस्पेक्टर ने अपनी जेब से सौ रुपए का एक नोट निकालकर रानी की ओर बढाते हुए कहा अचानक तबीयत बिगडने पर आना पडे तो ये रिक्शे वाले को देने के लिए रख लो । डॉक्टर से मैंने इसके बारे में बात कर ली है तो फीस देने की कोई जरूरत नहीं होगी । दवाइयों की जरूरत पडेगी तो मेडिकल स्टोर पर इस पर्चे को दिखा देना जो मैंने अभी तुम्हें दिया है । बिना पेमेंट के तुम्हें दवाइयाँ मिल जाएंगे । ये कहकर इंस्पेक्टर ने एक रिक्शेवाले को पुकारा और उससे गंतव्य स्थान बताकर उसकी पारिश्रमिक का भुगतान करके लाली और उसकी माँ रानी को रिक्शे में बैठने का संकेत क्या रानी ने अपने हाथ में इंस्पेक्टर के हाथ से सौ रुपये का नोट नहीं पकडा? उसके मन में अभी भी बार बार भय आशंका के बादल उमड घुमड रहे थे कि कहीं वो किसी दलदल में तो फसलें नहीं जा रही है । अपनी ही बूक प्रश्न के उत्तर में एक सौ उसके हृदय में उभर रहा था । उस दिन ही छोटी सी बच्ची ने अपनी समझ से हजारों लोगों की जान बचाई थी । आज इस की तबियत खराब है तो एक अच्छे डॉक्टर से इलाज करवाकर पुलिस अपना फर्ज पूरा कर रही है । उसी दिन दूसरा सर उसके मस्तिष्क से उभर रहा था । दुनिया के इतनी रंग देखने के बाद भी तो अभी किसी पर कैसे भरोसा कर सकती है । जानी की भाव भंगिमा को बढकर इंस्पेक्टर ने उसके अंतकरण में उठने वाले प्रश्नों का कुछ अनुमान करके कहा । उस दिन इस बच्ची ने अपनी समझ और साहस से जो काम किया था, उसके लिए हमारे साहब स्वतंत्रता दिवस पर लाली को इनाम देना चाहते हैं ताकि छोटी सी बच्ची से प्रेरणा लेकर देश के सभी लोग अपने देश, समाज के प्रति अपने कर्तव्य को समझ सकें । इनाम की घोषणा करने से पहले साहब एक बार लाली से और आपसे मिलना चाहते हैं । आज साहब ने मिलने के लिए लाली को और आपको ऑफिस में बुलवाया था । लाली की तबियत बहुत खराब है । ऐसे में साहब से मिलवाना ठीक नहीं होगा इसलिए डॉक्टर को दिखाना जरूरी था । इस्पेक्टर की भाव भंगिमा देखकर उसके शब्दों पर लाली की माँ को थोडा विश्वास हो रहा था की तो भय और आशंका का क्षीरसागर अस्तित्व अपने मूल रूप में अभी भी उसके हृदय में बना हुआ था । फ्लाईओवर के नीचे अपने निवास स्थान पर वापस लौट कर रानी ने लाली को दवाई दी और अगले तीन दिनों तक चिकित्सक के परामर्श अनुसार समय पर सारी दवाइयाँ खिलाती नहीं । इन तीन दिनों में लाली के स्वास्थ्य में आशा से अधिक सुधार हुआ था । चौथे दिन दोपहर ग्यारह बजे इंस्पेक्टर का पुनः आगमन हुआ । चुकी रानी ने लाली को बता दिया था कि उसके स्वास्थ्य लाभ के लिए इस्पेक्टर ने बहुत अच्छे अस्पताल में उसका इलाज कराया है और उसको उसकी बुद्धिमता और साहसपूर्ण कार्य के लिए इनाम मिलने वाला है । इसलिए लाली अपने घर पर आए हुए इंस्पेक्टर को देखते ही मुस्कुराती हुई अपनी चारपाई से उठी और दौड कर इंस्पेक्टर के पास आकर मित्रवत खडी हो गई । लाली की बालसुलभ निश्चल मुस्कुराहट और चेहरे पर दमकते आत्मविश्वास में इतना अधिक आकर्षण था कि इंस्पेक्टर में अनायास ही आत्मीयता और वात्सल्य का शोध फूट पडा । इंस्पेक्टर ने इसने के भाव वेट में लाली को गोद में उठा लिया और उसकी पीठ थपथपाते हुए कहा तुम्हें तुम्हारी बहादुरी के लिए पुलिस की वर्दी पहन करे, नाम लेना है इनाम लेने के लिए हमारे साथ चलोगे ना था चलूंगी । लाली ने उत्साहित होकर चलने की स्वीकृति तो दे दी किन्तु अगले ही स्टेशन अपनी माँ की आर्थिक दरिद्रता पर दुखी होकर बोली पर मेरे पास पुलिस के कपडे नहीं । इस्पेक्टर ने उसके उत्साह को बनाये रखने के लिए आश्वस्त करते हुए कहा अरे तुम जैसे बहादुर जवानों को इनाम में ही पुलिस के कपडे भी मिलते हैं । समझी तू इंस्पेक्टर का आश्वासन मिलते ही लाली के चेहरे पर प्रसन्नता लौटाई । तीन दिन प्रशाद इंस्पेक्टर ने पूर्व कि भारतीय फॅमिली को पुनः अस्पताल ले जाकर डॉक्टर से उसकी जांच कराई और इसको शीघ्र स्वस्थ होने के लिए आवश्यक दवाइयां दिलवाई । अपनी योजना के अनुसार दवाइयाँ दिलवाकर लाली को उसकी महारानी के साथ ऐसे चीजों से मिलवाने के लिए लाया गया । लाली से कुछ ही मिनट बातें करके उसके आत्मविश्वास और ज्ञान रहता ने ऐसे चोको प्रयाप्त प्रभावित किया । अब लाली के साथ बात करने में सोचूँ की रुचि बढ रही थी । सोचे नहीं । लाली से पूछा याद करके बता तुमने किसी व्यक्ति को वहाँ पर बंद लगाते हुए देखा था या ऐसे किसी संदिग्ध व्यक्ति को कूडेदान के आसपास देखा था जिस पर जाकर तुम्हारी संदेह कि सोई रूम चाहिए । लाली ने उनकी प्रश्न के उत्तर में बताया, हाँ मुझे याद है जब मैं पुलिस अंकल के जैसी खोने के डिब्बे के पीछे छिपने जा रही थी । एक आदमी ने मुझे वहाँ से भाग जाने के लिए डाटा था । मैंने उससे कहा कि वहाँ से जाऊंगी तो पुलिस मच्छी पाक कर लेगी । तब उसने पुलिस को बहुत गंदी गंदी गाली दी थी और जब मैं टिक टिक टिक सुनकर कूडे के डिब्बे के नीचे झांक रही थी तब उसने मुझे कहा था कि मैं वहाँ से नहीं भागी तो वो मुझे जान से मार देंगे । उसमें पुलिस के कपडे नहीं पहने थे । इसीलिए मुझे इस इस जरा सा भी डर नहीं लगा । अच्छा ये बताओ तो उसको पहचान सकती हूँ । हाँ मैं तो उसको आंखे बंद करके भी पहचान सकती हूँ । उसकी आवाज सुनकर पहचान सकती हूँ । अच्छी बात है एसोचैम लाली को शाबाशी देने की शैली में कहा बातचीत संपन्न होने के पश्चात सोचो ने समाज के प्रति लाली के स्पष्ट द्रष्टि को और एक जागरूक नागरिक के रूप में उसकी कर्तव्य निष्ठा से इतने प्रभावित हुए कि उसी समय सब इंस्पेक्टर आरएन को आदेश देकर कहा इस केस में अपराधी की पहचान करने के लिए ये हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण कडी । इनकी सुरक्षा का दायित्व आपका है । इतना ध्यान रहे यथाषीघ्र इनके लिए किसी सुरक्षित निवास की व्यवस्था करनी होगी । जी सर सब इंस्पेक्टर आर्यन ने सिल लूटमार कर आदेश स्वीकार किया । सर क्या नया आवास की व्यवस्था होने तक इन्हें इनके पूर्व निवास स्थान पर पहुंचाया जाए? यही पर रखा जाए इस्पेक्टर आर्डेन इनकी सुरक्षा को ध्यान में रखकर ये निर्णय आप कीजिए जी सर! कई हजार शिवभक्तों को हताहत करने के लिए मंदिर में बम धमाका करने के प्रयास में संलिप्त अपराधियों को पकडने के लिए पुलिस पूर्णता गंभीर सक्रिय थी । बम धमाके के प्रयास में विफल एक व्यक्ति की पहचान की कडी के रूप में प्रत्यक्षदर्शी लाली थी जिसे सुरक्षा प्रदान करना अत्यंत आवश्यक था । किन्तु एसएचओ के निर्देश के बावजूद उसको तुरंत सुरक्षा उपलब्ध कराने के बजाय उसको उसी फ्लाईओवर के नीचे पहुंचा दिया गया जहाँ वो पहले से रह रही थी । दो दिन पश्चात थाना परिसर ने स्वतंत्रता दिवस के राष्ट्रीय पर्व का आयोजन होना था । जिले की शांति व्यवस्था और संवैधानिक कर्तव्य के प्रति नागरिक जागरूकता में योगदान देने वाले कुछ नागरिकों को सम्मानित और पुरस्कृत करने की योजना भी पुलिस स्टेशन के शीर्ष अधिकारियों द्वारा बनाई गई थी । सम्मान और पुरस्कार पाने वाले सम्मानीय नागरिकों की सूची में फॅमिली सबसे कम आयु की थी और उसका नाम सबसे ऊपर था । चौदह अगस्त की सुबह थाना परिसर में स्वतंत्रता दिवस समारोह की तैयारियाँ चल रही थी । इससे जो ने वहाँ पर उपस् थित पुलिस कर्मियों पर गरजते हुए कहा ये खबर किस मिली की है की बच्ची बम धमाके की कोशिश करने वालों की चश्मदीद गवाह है । एसएचओ का प्रश्न सुनते ही सभी पुलिस कर्मियों ने एक स्वर में विषय से अनभिज्ञता प्रकट करते हुए अपनी दृष्टि नीचे कर ली । एक पुलिस कर्मी ने ढीठता से पूछा क्या हुआ लो जी कर लो इनसे बात ये भी नहीं मैं बताऊंगा कि शहर में क्या हुआ, क्या होने जा रहा है और ये बनेंगे दरोगा यही होता है जब सरकार रिजर्वेशन कोटे से भर्ती करती सोचो व्यंग्यबाण छोडा । उसी समय थाना परिसर में सब इंस्पेक्टर आर इनकी जीतने प्रवेश किया । जीप से आर एम के साथ लाली को तरते देखकर फॅसने राहत की सांस की लेकिन इंस्पेक्टर आर्यन बहुत बुझे हुए प्रतीत हो रहे थे । एसोचैम द्वारा यह पूछे जाने पर कि क्या स्वास्थ्य ठीक नहीं है, इंस्पेक्टर आर एन के आंखों से आंसू की धारा बहने की कुछ दिनोपरांत विरोधी गले से बोला सॉरी सर, सबकुछ मेरी गलती से हुआ है । एमपीवी वेरी सॉरी सर । मुझे किसी दूसरे पर इन की सुरक्षा का भार नहीं छोडना चाहिए था । मेरे कारण ही इस बच्ची ने अपनी माँ को खो दिया है । आज गिलानी में डूबे स्पेक्टर आर्यन ने सोचो को बताया सर ये मात्र दुर्घटना नहीं थी । प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया है कि जिस गाडी ने लाली की माँ को कुछ हुआ था उसका लक्ष्य बच्ची थी । ईश्वर की कृपा से बच्ची सकुशल है । दो युवकों को उठा लिया गया है । उस से ज्ञात हुआ है कि बम धमाका करने में विफल होने के समय से वे लोग इस बच्ची की तलाश में थे । क्योंकि एक तो इस बच्ची ने बम की सूचना देकर हजारों लोगों की जान बचाकर उनके उत्साह पर पानी डालने का काम किया है । दूसरे वहाँ पर बम लगाने वाले को इस बच्ची ने प्रत्यक्ष अता देखा है । पच्चीस को पहचानती है सोच के मन में ये जानने की उत्सुकता थी कि अखिल हत्यारों के निशाने पर होने के बावजूद बच्चे अपनी किस बुद्धि चतुरी के बल पर ट्रेन की रक्षा करने में सफल हुई । इंस्पेक्टर ने सोचे से कहा सर ये बच्ची का बुद्धिचातुर्य नहीं चमत्कार है, प्रभु की कृपा का फल है । इस बच्ची को खत्म करने के लिए उन्होंने इस को कुचलने की योजना बनाई और रात के अंधेरे में उस जगह को गाडी से रॉन डाला जहाँ पर लाली अपनी माँ के साथ सोती थी । लेकिन वे लोगे नहीं जानते थे कि कल रात लाली नंदू चंदू के साथ चली गई थी और देर होने पर वही हो गई थी । सर लाली की माँ के मृत शरीर को देखकर ऐसा प्रतीत हो रहा है कि उनके शरीर में कोई सांस शेख ना बची रह जाए इसलिए उसको कई बार गाडी से रौंदा गया है । उसका शरीर इतनी बुरी तरह कुचला गया है की पहचान कर पाना कठिन है । इंस्पेक्टर की सारी बातें सुनने के प्रशाद सोचो । कुछ क्षणों तक चिंतन मनन की मुद्रा में शांत बैठे रहे । कुछ शन उपरांत उन्होंने इंस्पेक्टर आर्यन से कहा इस बच्ची को इसकी समझ बूझ और साहस के लिए पुरस्कार देने की अपेक्षा इसको सुरक्षा देना अधिक आवश्यक है । जी सर स्पेक्टर आरेंज सहमती प्रकट की इसकी माँ की हत्या के बाद उसकी अनुपस् थिति में इस बच्ची को सुरक्षा देना हमारे लिए एक बहुत बडी चुनौती बन गई । इंस्पेक्टर हम चाहते हैं कि इस को सुरक्षा तो दी जाएगी । बम धमाके में संलिप्त अपराधियों के प्रत्यक्षदर्शियों में इस लडकी का नाम गुप्त रखा जाए और जहाँ तक संभव हो ये भी प्रकाश में न आये की माँ के साथ हुई दुर्घटना में ये बच्ची सकुशल बच गई । ऐसा करने पर अपराधियों का ध्यान इस की ओर से डायवर्ट होने की संभावना बढेगी । जी सर इंस्पेक्टर आर्यन ने पुन आदेश का पालन करने की मुद्रा में अपनी सहमती प्रकट की । इंस्पेक्टर आर एन अब किसी परिवार में बच्ची के रहने की व्यवस्था कर सकते हैं । ऐसे परिवार में जहाँ इस बच्ची का जीवन सहजता से व्यतीत हो सके और अपराधियों की पहुंच से पारी हूँ, सर्कल बताओ तो चलेगा और आज आज कहाँ रखा जाएगा इस बच्ची को सर आप अनुमति दे तो मैं इसको अपने घर ऍम का प्रस्ताव सुनकर सोचो ना केवल संतुष्ट हुए बल्कि बहुत प्रसन्न भी हुई क्योंकि एक और उनके कंधों पर उसकी सुरक्षा करता विभार था तो दूसरी और उनका मन मस्तिष्क भी । बच्ची की सुरक्षित सहत जीवन के लिए चिंतित और बेचैन था ।
Writer
Sound Engineer