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41. Sahid Smarak in Hindi

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AuthorNitin
क्रन्तिकारी सुभाष Author:- शंकर सुल्तानपुरी Author : शंकर सुल्तानपुरी Voiceover Artist : Raj Shrivastava Producer : KUKU FM
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शहीद स्मारक उस दिन सिंगापुर में बहुत बडा आयोजन किया गया । आज आजाद हिंद फौज के शहीदों के स्मारक की नींव डाली जाने वाली है । हमारे के लिए समुद्र तट पर कनाट ड्राइव का स्थल चुना गया है । इसी कम ऑन ड्राइव पर सबसे पहले एक सभा में नेताजी सुभाषचंद्र बोस ने आजाद हिंद फौज के संगठन का प्रस्ताव रखा था । सिंगापुर में ही सबसे पहले आजाद हिंद सरकार की योजना का प्रयोग हुआ था । इसी स्थान पर हिन्दू मुसलमान और सिखों ने कंधे से कंधा मिलाकर आजादी के स्वर्ण देश की ओर चलने की कसम खाई थी । सिंगापुर ही आजाद हिंद फौज के लिए बहुत से जवान दिए थे और इसीलिए सिंगापुर को इस पुनीत आयोजन के लिए चुना गया है । कनान ड्राइव को जाने वाले तीन मुख्य राजमार्गों के दोनों और आजाद हिंद फौज के बहादुर सैनिक अपनी पोशाक पहने खडे हुए हैं । झांसी की रानी रेजिमेंट की स्वयं सेविकाएं कई फलांग आगे तक प्रतिष्ठित अतिथियों के स्वागत के लिए खडी है । सुबह से ही भारतीय नेशनल स्कूल की छुट्टी है । बच्चों की बाल सेना खूबसूरत खाकीवर्दी पर एक रेशमी तिरंगा स्कार्फ लगाकर छोटे छोटे झंडे लेकर जन गण मन गाते हुए कनाट राय की ओर पढी जा रही है । उनकी छोटी छोटी बहनें तिरंगी साडियो पहने घूम घूमकर तिरंगे फूलों की कुछ बेच रही है । लोग शहीदों की स्मृति में चढाने के लिए मुंहमांगे दामों में वे कुछ खरीद रहे हैं । मुख्यमंच को झांसी की रानी रेजिमेंट ने तीन ओर से घेर रखा है । उसके सामने सुंदर सा फाटक है, जिसके सामने बैंड बज रहा है । फाटक के सामने बाल सेना ने आकर दो कदारी बना रखी है । ठीक ग्यारह का समय है । नेता जी आ गए हैं । आज उन्होंने फौजी वर्दी नहीं पहनी है । एक महीन सफेद कुर्ता हूँ, सफेद होती है और टोपी पहन रखी है और बाहों पर एक काला रेशमी टुकडा बंदा है । नेताजी बहुत गंभीर है । जापानी अब सरन है, सलामी देते हैं । प्रत्युत्तर देने के पश्चात नेताजी झंडे की ओर पडते हैं । कर्नल डॉक्टर लक्ष्मीबाई अस्वस्थ है उनके स्थान पर कैप्टिन मैसेज तिवारी कमांडेंट फॅसने आगे बढकर झंडे की डोर । नेताजी के हाथ में समाधि । नेताजी ने झंडा फहराया । रिजर्व बैंक पर जय हो की ध्वनि गूंज उठी । बाल सेना मार्च करती आ रही है । वे कौमी नशा लहराए जा का गीत गा रही है । झंडे के पास अगर उनकी सेना रुक गई, उनका सरदार जो भी चौदह वर्ष का ही है, आगे बढता है और सुभाष कोई तिरंगा गुलदस्ता लेता है । सुभाष से हाथ मिलाकर मंच की ओर बढ गए हैं और माइक पर उनकी गंभीर आवाज गूंज उठती है । हम आज यहाँ शहीदों को श्रद्धांजलि देने आए हैं जिन्होंने भारत माता की आजादी के लिए अपने प्राणों की भेंट चढाई । चार फरवरी उन्नीस सौ चवालीस को हमने पहला सशस्त्र आक्रमण किया था । तब से आज तक सेना का हर कदम खून की पगडंडियों पर उठा है । हमने अपने खून के कतरों से माँ की आरती का थाल सजाया है । राज वो दिन है जब हम अपने खून के कतरों की आवाज को पत्थर के स्मारक पर लक्ष्य करने जा रही है । अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करने के बाद उन्होंने एक संगमर्मर का टुकडा नीट में रखा और लाउड स्पीकर पर अटेंशन की तेज पुकार हुई है और दो मिनट के लिए सारे मैदान में सन्नाटा छा गया । इस समय झंडा आधा झुका दिया गया है । नारों के साथ सभा समाप्त होती है । यु्द्धविराम भारत का दुर्भाग्य आजाद हिंद फौज का एक अधिकारी दुश्मन से मिल गया । उसने फौज की शक्ति, कमजोरी और स्थान आदि का पता बतला दिया है । फॅस को भयानक हवाईहमले का सामना करना पड रहा है । कमांडर बहुत जल्दी जल्दी अपने स्थान बदल रहे हैं । किंतु दुर्भाग्य वर्ष प्रकृति भी प्रतिकूल हो गई है । फौज के सामने विकट समस्या है । वे वर्षों की पूर्व इंफाल ले लेना चाहते थे तो इसी समय अमरीका ने मैं नीला पर आक्रमण कर दिया जिससे जापानी हवाई ताकत उधर चली है । साथ ही साथ जापानियों ने ठीक से साथ नहीं दिया । मित्रराष्ट्र की सेना नहीं पहुँच और हवाई ताकतों से अंग्रेजों ने कोहिमा और इंफाल पर पुनः अधिकार कर लिया । दूसरी और रसद की कमी के कारण आजाद हिंद फौज को अनेक दिक्कतों का सामना करना पडा । जापानी एकदम से पीछे हट गए । प्रशांत महासागर में अमेरिकनों का जोर पड गया । उन्नीस सौ चवालीस की समाप्ति बता रही थी की हवा का रुख बदल गया है । वर्मा की रक्षा करने के लिए आजाद हिंद फौज प्राण प्रेम से जुडी हुई हैं । इंडो जापानी साथ नहीं दे रहे हैं । नेताजी स्वयं रन क्षेत्र पर पहुंचे । शाहनवाज ने पोपा की परिस्थिति बतलाई । नेताजी स्वयं वहाँ जाना चाहते थे किंतु शाहनवाज ने सख्त विरोध किया । अंग्रेजों ने पिन बेन पर अधिकार कर लिया है और ऍम का था की तरफ बडे आ रहे हैं । मैं चला पुल पर बमबारी हो रही अंग्रेजों का मचाने का ब्रिगेट भी पहुंच गया है । शाहनवाज एक मार्च को नेताजी से फिर मिले और भावी योजना पर विचार विमर्श किया । प्रशांत महासागर में मैकऑर्थर एक के बाद दूसरा अंतरीप लेता जा रहा है । शाहनवाज खान यहाँ से रंगून गए और नंबर एक डिविजन का फिर से संगठन कर्नल सहगल ने बताया बैंकिंग से दुश्मन भाग रहे हैं और अपना अधिकार हो गया है । आजाद ब्रिगेड देखो बहादुरी दिखलाई दुश्मन कि कम से कम दो सौ सैनिक हताहत हुए जबकि आजाद हिंद फौज का एक सैनिक माॅक घायल हुए । पांच मार्च को मस्त इलाका पतन हो गया । ब्रिटिश हवाईजहाजों ने पोपा पर भारी गोलाबारी दुश्मन बढ रहे हैं । उनकी ताकत भी बढ गई है । बरमी फौजों ने जापानियों के खिलाफ बलवा कर दिया । अभी फिर गए किंतु कर्नल सेहगल की फौज और बागले निकला है । सिर्फ कर्नल सिंह की कंपनी भरी हुई है । मगर ऊपर ब्रिटिश बैंकों ने घुसकर अधिकार कर लिया । जापानी चले गए, केवल भारतीय रह गए । रंगून का रास्ता गिर गया है । कर्नल डॉक्टर लक्ष्मी सहगल, झेलन शाहनवाज और मेजर महिदास दुश्मन के पंजाब में फस गए । मान ले का पतन हो गया । रानी झांसी रेजिमेंट तथा अन्य रंगून से हट गए तो नेताजी बैंकॉक चले गए । जाते जाते अपना संदेश वर्मा के भारतीयों के नाम दिया । मैं बहुत भारी हिरदय से वर्मा छोड रहा हूँ । हम आजादी के संग्राम में पहले चक्कर में हार गए पर अभी और बहुत से चक्कर आएंगे । पहले चक्कर में हार जाने पर भी मैं कोई कारण नहीं देखता कि हम अपनी हिम्मत छोड दे । भारत आजाद होगा, आजाद होगी, रहेगा इन्कलाब जिंदाबाद, आजाद हिंद जिंदाबाद, जयहिन्द, आजादी के सिपाही और अफसरों के नाम नेताजी का हो । मैं जन्मजात आशावादी हूँ और किसी भी परिस्थिति में हार मानने वाला नहीं । मैं आपके हाथ हो अपना राष्ट्रीय झंडा, अपना सम्मान और भारतीय वीरों की परंपरा छोडे जा रहा हूँ । मैं आपसे कहता हूँ मेरी ही तरह आशावादी बनी और मेरी ही तरह विश्वास कीजिए । घोर अंधकार उषा की पूर्व सूचना है । भारत स्वाधीन होगा और बहुत शीघ्र ही भगवान आपका मंगल करें । इंकलाब जिंदाबाद, आजाद हिंद जिंदाबाद जयहिन्द सुभाष चंद्र बोस प्रधान सेनापति

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क्रन्तिकारी सुभाष Author:- शंकर सुल्तानपुरी Author : शंकर सुल्तानपुरी Voiceover Artist : Raj Shrivastava Producer : KUKU FM
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