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जोर जोर की आवाजों में तरह तरह के अनुमान लगाए जा रहे थे और दरवाजा पीटा जा रहा था । अनुकूल बाबू भी नीचे से आ गए थे । सभी लोग बहुत उत्सुक दिखाई दे रहे थे क्योंकि अश्विनी बाबू को इतनी देर तक सोने की आदत नहीं थी और यदि सोच ही रहे थे तो क्या दरवाजे को इतना बढ बनाने पर भी उनकी नींद नहीं खुली थी? अतुल ने अनुगुल बाबू के पास जाकर कहा, देखिए हम लोग दरवाजा तोड देते हैं । मुझे दाल में कुछ काला दिखाई दे रहा है । अनुकूल बाबू ने हाँ में हाँ मिलाते हुए कहा हाँ हाँ और कोई चारा नहीं है । संभव है वे बेहोश हो अन्यथा क्यों नहीं दे रहे हैं । हमें अधिक देर नहीं करनी चाहिए तो रुपया सब मिलकर दरवाजा तोड डाली है । दरवाजा लकडी का था । मोटाई लगभग डेढ इनसे रही होगी और उसमें ये ताला लगा था । लेकिन जब अतुल के साथ साथ कई लोगों ने जोर का धक्का मारा तो ब्रिटिश टाला एक आवाज के साथ दरवाजे के साथ टूटकर गिर गया । दरवाजा गिरते ही जो द्रश्य हमारे सामने आया उसे देखकर भय और दहशत से हमारी सांसे थम गयी । अश्विनी बाबू कमरे के अंदर पीठ के बल लेटे हुए थे । उनका गला एक और से दूसरी ओर तक कटा हुआ था । खून की धार फर्ज पर उनके सिर के नीचे से होते हुए कंधे के नीचे जमकर लाल मखमल के टुकडे जैसे दिखाई दे रही थी तो उनके दाहिने हाथ की उंगलियों के नीचे खून से लतपत रेजर ब्लेड एक दूसरे की तरह हमारी नजरों का मजाक उडा रहा था । हम सब जगह गए जैसे उसी स्थान पर खडे रह गए । उसके बाद अतुल बाबू और अनुकूल बाबू दोनों ने एक साथ कमरे में प्रवेश किया । अनुकूल बाबू ने घृणा मिश्रित चिंता से लाज को देखा और रुखडी आवाज में बढ बढाए । वो बाबा के यहाँ भयानक अश्विनी बाबू ने अपना जीवन अपने आप ही ले लिया । लेकिन अतुल की दृष्टि लाश पर नहीं थी । उसकी नजर कमरे की प्रत्येक वस्तु और कमरे के हर एक कोने पर तेज कतार की तरह घूम रही थी । उसने पहले चार भाई को देखा । सडक पर खुलने वाली खिडकी से झांककर देखा और हम लोगों के पास आकर धीरे से कहा आत्महत्या नहीं हत्या है, एक जघन्य हत्या है । मैं पुलिस को बताने जा रहा हूँ । कृपा या कोई भी किसी चीज को हाथ में लगाए अनुकूल बाबू बोले क्या आप बात कर रहे हैं अतुल बाबू हत्या लेकिन दरवाजा तो अंदर से बंद था और फिर वहाँ देखिए । उन्होंने खून से लथपथ हथियार की और इशारा किया । अतुल ने सिर हिलाते हुए कहा यह जो भी हो लेकिन यह हत्या है । आप सब लोग यही रहे हैं । मैं अभी पुलिस को बुलाकर लाता हूँ । वह तेजी से बाहर चला गया । अनुकूल बाबू हाथों में अपना सिर पकडकर बैठ गए तो भगवान यहाँ सब मेरे ही घर में होना था । पुलिस ने हम सभी से पूछताछ की जिसमें नौकर और महाराज भी शामिल थे । लेकिन अश्विनी बाबू की मृत्यु पर किसी के बयान से यहाँ पता नहीं लग पाया कि उनकी हत्या क्यों हुई है । अश्विनी बाबू एक सीधे साधे सज्जन थे जिनके मैच तथा दफ्तर के अलावा और कोई दोस्त नहीं है । वे प्रत्येक शनिवार को अपने घर जाया करते थे । इस साप्ताहिक क्रम में पिछले दस बारह वर्षों से कभी चूक नहीं हुई थी । पिछले कुछ समय से वे डायबिटीज रोग से ग्रस्त थे । ऐसी कुछ ही बातों का पता चल पाया । डॉक्टर ने अपना बयान दिया । जो कुछ उसने कहा उसने अश्विनी बाबू की मृत्यु को और गूड बना दिया । अश्विनी बाबू मेरे मैच में पिछले बारह वर्षों से रह रहे थे । उनका घर बर्दवान जिले के हरिहरपुर ग्राम है । वे एक मर्केंटाइल फर्म में नौकरी करते थे, जहाँ उनका वेतन एक सौ तीस रुपया था । इतनी कम आए मैं कलकत्ता में सब परिवार रहना संभव नहीं था, इसलिए वे अकेले ही मैच में रहते थे । जहाँ तक मैं जानता हूँ, अश्विनी बाबू एक सीधे साधे और जिम्मेदार से जन थे । वे उधार लेने पर विश्वास नहीं करते थे, इसलिए उन पर कोई कर्ज वगैरा नहीं था । जहाँ तक मैं जानता हूँ, उनमें नशे आदि का कोई अब नहीं था । इस मैच का हर व्यक्ति इस बात की सस्ती कर सकता है । उनके पूरे प्रवास में मैंने उन में कभी कोई संदिग्ध आचरण नहीं पाया । पिछले कुछ महीनों से उन्हें डायबिटीज की शिकायत थी, इसलिए मैं उनका उपचार कर रहा था । लेकिन मैंने कभी उनमें कोई मानसिक विकार का संकेत नहीं पाया । कल पहली बार मैंने उनका व्यवहार कुछ असामान्य पाया । कल सुबह लगभग नौ बज कर पैंतालीस मिनट पर मैं अपने कमरे में बैठा था । जब एक का एक अश्विनी बाबू अंदर आए और बोले, डॉक्टर मैं प्राइवेट में आपसे कुछ विमर्श करना चाहता हूँ । मैंने कुछ आश्चर्य से उन्हें देखा । वे काफी परेशान दिखाई दे रहे थे । मैंने पूछा क्या बात है? उन्होंने चारों तरफ देखा और आहिस्ता से बोले, अभी नहीं । फिर कभी और जल्दबाजी में अपने दफ्तर के लिए निकल गए । शाम को अजीत बाबू, अतुल बाबू और मैं बात कर रहे थे । दब । अजीत बाबू ने पीछे मुडकर देखा कि अश्विनी बाबू दरवाजे के पीछे छुपकर हमारी बातें सुन रहे हैं । जब हमने उन्हें पुकारा तो कुछ बहाना बनाते हुए तेजी से चले गए । हम सभी आश्चर्यचकित देगी । उन्हें क्या हुआ है तो लगभग दस बजे हुए मैंने कमरे में आए । उनके चेहरे से यह स्पष्ट हो रहा था कि उनके दिमाग में कुछ उथल पुथल हो रही है । उन्होंने घुसते ही दरवाजा बंद कर लिया और कुछ देर तक बढाते रहे । पहले तो बोले कि उन्हें भयंकर सपने आ रहे हैं और फिर बोले उन्हें कुछ भयानक रहस्यों का पता लगा है । मैंने उन्हें शांत करने के लिए प्रयास किया किन्तु में उत्तेजना में बोलते गए । आखिरकार मैंने उन्हें सोने की दवा देकर कहा कि आज की रात वैसे खाकर सो जाए । मैं कल सुबह आपकी बातें सुनूंगा । वे दवा लेकर ऊपर अपने कमरे में चले गए । यह अंतिम बार था जब मैंने उन्हें देखा था और फिर सुबह या हो गया । मुझे उनके मानसिक संतुलन के बारे में शक जरूर हुआ था । हिंदू मैंने सपने में भी नहीं सोचा था कि यहाँ क्षणिक व्याकुलता उन्हें अपना ही जीवन लेने पर मजबूर कर देगी । जब अनुकूल ने अपना बयान समाप्त कर दिया, तब इंस्पेक्टर ने पूछा, तो आपका मैं दिया है कि यहाँ आत्महत्या है? अनुकूल बाबू ने उत्तर दिया और क्या हो सकता है? फिर वे अतुल बाबू का कहना है कि यहाँ आत्महत्या नहीं है । यहाँ कुछ और है । इस विषय पर शायद वे मुझसे ज्यादा जानते हैं । वे ही बताएंगे अपने विचार । इंस्पेक्टर ने अतुल बाबू की ओर मुड कर कहा, अतुल बाबू, आप भी आना । आपकी आवाज कोई कारण है, जिसके आधार पर आपकी धारणा है कि यहाँ आत्महत्या नहीं है । जिया कोई भी व्यक्ति अपना गला इतने विभत्स तरीके से नहीं कर सकता । आपने इलाज देखिए, जरा सोचिए यहाँ असंभव है । इंस्पेक्टर कुछ चढ सोचता रहा हूँ । फिर उसने प्रश्न किया, आपको कोई आईडिया है कि हत्यारा कौन हो सकता है? नहीं । क्या हो सकता है की हत्या के पीछे उद्देश्य क्या हो सकता है? अतुल ने खिडकी की तरफ इशारा करते हुए कहा, यह खिडकी ही हत्या का कारण है । इंस्पेक्टर में एक का एक चौकर पूछा । खिडकी हत्या का कारण है आपका मतलब? हत्यारा इस खिडकी से अंदर आया नहीं । हत्यारा तो दरवाजे से ही अंदर घुसा । इंस्पेक्टर ने अपनी हंसी रोकते हुए कहा चाहे आपको याद नहीं है कि दरवाजा अंदर से बंद था । मुझे याद है तो थोडा मजाकिया अंदाज में इंस्पेक्टर बोला हो गया । अश्विनी बाबू ने हत्या के बाद दरवाजा बंद कर दिया । जी नहीं, हत्यारे ने हत्या के बाद कमरे से बाहर आकर दरवाजा लॉक कर दिया । यह कैसे संभव है? अतुल बाबू मुस्कुराकर बोले, बडा आसान है जरा तसल्ली से सोचिए तो आपको समझ में आ जाएगा । इस सबके बीच अनुकूल बाबू ने दरवाजे को आगे पीछे देखा और बोले, यह सही है, बिल्कुल सही है । दरवाजा आसानी से अंदर और बाहर दोनों और से बंद हो सकता है । हम लोगों ने ध्यान नहीं दिया । देखिए या इसमें ये लॉक लगा है । अतुल ने कहा दरवाजे में लॉक लग जाता है । यह दिया । बाहर से लॉक लगा दें । दब अंदर से खोले बिना खुल नहीं सकता । इंस्पेक्टर अनुभवी व्यक्ति था । गहन सोच में अपनी थोडी को अगली से ठोकते हुए बोला यहाँ हम उनकी नहीं लेकिन एक बात अभी भी उलझी हुई है । क्या इसका कोई सबूत है? कि अश्विनी बाबू ने राहत को दरवाजा खुला ही छोड दिया था । अतुल बोला, नहीं सच्चाई यह है कि उन्होंने दरवाजा लॉक कर दिया था । इसका सबूत है । मैंने इस बात के सबूत के रूप में कहा यह सही है क्योंकि मैंने दरवाजा बंद करने की आवाज सुनी थी । इंस्पेक्टर बोला तो ठीक है । तब यहाँ मुझे नहीं लगता कि अश्विनी बाबू उठकर अपने हत्यारे के लिए दरवाजा खोलेंगे क्या नहीं? अतुल ने कहा नहीं लेकिन संभव है आपको याद हो कि अश्विनी बाबू पिछले कुछ महीनों से एक बीमारी से ध्वस्त थे । बीमारी तो अब भी कह रहे हैं । अतुल बाबू यह बात तो मेरे दिमाग से निकली गई और फिर बडे इत्मिनान से इंस्पेक्टर उसकी ओर मुड कर बोला मैं देख रहा हूँ आप काफी बुद्धिमान व्यक्ति है । क्यों नहीं पुलिस में भर्ती हो जाते हैं । पुलिस में आप काफी आगे बढ जाएंगे लेकिन मामला भी उलझा पडा है और वो लगता ही जा रहा है यह यह वास्तव में हत्या ही है । तो अब यह स्पष्ट है कि हत्यारा बहुत ही शातिर है । क्या आप लोगों को यहाँ किसी पर संदेह है? उसने सभी को बारी बारी से देखना शुरू कर दिया । हम सभी ने अपनी गर्दन हिलाकर इंकार कर दिया । अनुकूल बाबू ने कहा, देखिए सर आप शायद जानते होंगे । इस इलाके में आए दिन हत्या होना बडी बात नहीं है । अभी परसों ही एक हत्या इस घर के ठीक सामने हुई थी । मेरा मानना है कि यहाँ सारी हत्याए एक दूसरे से जुडी है । यदि एक पता लग जाए तो सभी का रहस्य उजागर हो जाएगा और यहाँ तभी हो सकता है जब हम वास्तव में अश्विनी बाबू की मृत्यु को हत्या मानकर चले । इंस्पेक्टर ने कहा, या बात तो सही है लेकिन यदि हम इसके साथ दूसरे हत्याओं को सुलझाना चाहेंगे तो मुझे लगता है यह जांच कभी खत्म ही नहीं होगी । अतुल बोला, यदि आप इस हत्या की तरह में जाना चाहते हैं तो केवल इस खिडकी पर ध्यान केंद्रित कीजिए । थके शब्दों में इंस्पेक्टर ने उत्तर दिया, हमें एक नहीं सभी पहलुओं पर विचार करना होगा तो तू मुझे अब आप लोगों के कमरों की तलाशी लेनी है । सभी ऊपर नीचे के कमरों की पूरी छानबीन की गई किंतु कहीं से हत्या की गुत्थी सुलझाने का कोई सुराग नहीं मिल पाया । अश्विनी बाबू के कमरे की भी जांच हुई किन्तु उसमें भी कुछ साधारण पत्रों के अलावा कुछ नहीं मिला । रेजर की खाली डिबिया पलंग के नीचे पडी मिली । हम सभी लोग जानते थे कि अश्विनी बाबू अपनी दाढी स्वयं बनाते थे और इसलिए इसे उस दिव्या को पहचानने में मुश्किल नहीं हुई । लाज को पहले ही उठा लिया गया था । इसके बाद उनके रूम को बंद करके सील कर दिया गया । अपना काम करके इंस्पेक्टर दोपहर लगभग डेढ बजे चला गया । अश्विनी बाबू के परिवार को तार द्वारा खबर कर दी गई । शाम तक उनका बेटा निकट संबंधियों सहित आ गया । वे सभी इस दुर्घटना से हतप्रभ थे । यह तभी हम लोगों का अश्विनी बाबू से कोई रिश्ता नहीं था । फिर भी हमने से प्रत्येक सदस्य इस घटना से शोक संतप्त था । इसके अतिरिक्त हम लोग भी जान के खतरे से सहमे हुए थे । यदि यहाँ घटना हमारे साथ ही के साथ हो गए है तो हमारे साथ भी हो सकती है । पूरा दिन इसी उधेडबुन में व्यतीत हो गया । राहत में सोने से पहले मैं डॉक्टर के पास गया । उनके चेहरे पर अब भी गंभीरता छाई हुई थी । पूरे दिन की घटनाओं से उनके शांत और स्थिर चेहरे पर क्लांति और चिंता की रेखाएं उभर आई थी । मैं उनके पास बैठ गया हूँ और बोला, मेरे ख्याल से प्रत्येक सदस्य किसी दूसरी जगह जाने के बारे में सोच रहा है । अनुकूल बाबू ने एक हारी मुस्कान के साथ कहा, इन का इसमें क्या दोष है? अजीब बाबू कौन चाहेगा? ऐसी जगह रहना जहाँ ऐसी दुर्घटना होती हो । लेकिन मैं अब तक यही सोच रहा हूँ कि यहाँ वास्तव में हत्या है या नहीं । क्योंकि यहाँ ते बात है कि कोई बाहर का व्यक्ति तो यह कर नहीं सकता । जो कुछ हुआ है उसको देखकर तो यही लगता है क्योंकि हत्यारा प्रथम तल तक पहुंचेगा । कैसे? आप सभी जानते हैं कि मैच का दरवाजा रात को अंदर से बंद कर दिया जाता है । इसलिए बाहर का आदमी अंदर आकर सीरिया नहीं चढ सकता हूँ । फिर अगर मान भी लिया जाए कि हत्यारा असंभव को संभव बनाने में सफल हो भी गया तो उसे अश्विनी बाबू के कमरे में रेजर ब्लेड कैसे मिल गया? क्या ऐसा नहीं लगता है की संभावनाओं को ज्यादा ही महत्व दिया जा रहा है? यहाँ सब साबित करता है कि अपराध में बाहरी व्यक्ति का हाथ नहीं है । ऐसी स्थिति में यहाँ का मैच में रहने वालों को छोडकर और किसका हो सकता है? हम लोगों में से कौन हो सकता है जो अश्विनी बाबू की जान लेना चाहेगा । अलवत्ता अतुल बाबू जरूर नये हैं जिनके बारे में हम लोग ज्यादा जानते नहीं है । मैं चौंक गया और मुंह से निकल गया । अब्दुल अरे नहीं नहीं यह उनकी नहीं भला अब्दुल बाबू क्यों अश्विनी बाबू की जान लेंगे? डॉक्टर ने कहा जहीर तो आपकी प्रतिक्रिया से और भी स्पष्ट हो जाता है कि यहाँ का मैच के किसी व्यक्ति का नहीं हो सकता तो केवल ये की संभावना बचती है कि उन्होंने स्वयं में अपनी जान ले ली हो है ना, लेकिन आत्महत्या का भी तो कोई कारण होना चाहिए । मैं यहाँ सोचता रहा हूँ आपको याद है मैंने कुछ दिन पहले आपसे कहा था कि इस इलाके में कोकेन स्मगलिंग का कोई गुप्त अड्डा है । कोई नहीं जानता है कि उसका मुखिया कौन है । डॉक्टर में आहिस्ता से कहा अब सोचिए की अश्विनी बाबू दे के मुखिया थे । मैंने आश्चर्यमिश्रित उदासी से कहा क्या यह कैसे हो सकता है? डॉक्टर ने उत्तर दिया, दुनिया में कुछ भी असंभव नहीं है । इसके विपरीत इस संदेह में मेरा विश्वास और गहन हो जाता है । यदि मैं अश्विनी बाबू की बातों पर ध्यान देता हूँ, जो कल रहा तो वे मुझसे कर रहे थे । वो अपने से ही घबराये हुए लग रहे थे । जब व्यक्ति खुद ही दहशत में होता है तो अक्सर अपना मानसिक संतुलन खो देता है । यहाँ पता इस सब के कारण उन्होंने आत्महत्या कर ली । जरा सोचने का प्रयास कीजिए यहाँ यहाँ सब कारण का स्पष्टीकरण नहीं करती । मेरा मस्तिष्क इन दलीलों को सुन सुनकर चकरा गया था । इसलिए मैंने कहा मैं नहीं जानता अनुकूल बाबू, मैं इन सब बातों से कुछ भी समझ नहीं पा रहा हूँ । मेरे विचार से आपको अपने संदेह की चर्चा पुलिस से करनी चाहिए । डॉक्टर उठकर बोले मैं कल करूंगा । जब तक मामला सुलझ नहीं जाता, मुझे चाय नहीं मिलेगा । उसके बाद दो तीन दिन गुजर गए । इस दौरान बार बार पुलिस और सीआईडी के विभिन्न अवसरों के आने और बार बार पूछताछ करने से हम लोगों के पहले इसे चल रहे परेशान दिनों ने जीवन है दूबर कर दिया मैं इसका प्रत्येक सदस्य जल्द से जल्द अपने सामान के साथ मैं छोडने के लिए तैयार बैठा था लेकिन पहल करने से डर रहा था । यहाँ सभी के मन में था कि मैच को जल्दी छोडना पुलिस की नजर में शंका पैदा कर सकता था । अब तक यहाँ स्पष्ट होता जा रहा था कि संदेह की सुई मैच के एक व्यक्ति की और झुक रही थी । लेकिन हम लोगों को यह नाज नहीं हो पा रहा था की वहाँ व्यक्ति कौन हो सकता है । कभी कभी सैनिक भय से दिल की धडकने तेज हो जाती थी कि कहीं वहाँ व्यक्ति मैं तो नहीं हूँ । एक दिन सुबह मैं और अतुल डॉक्टर दफ्तर में अखबार पढ रहे थे । अनुकूल बाबू के लिए कुछ दवाएं एक बडे पैकेट में आई थी तो वे उन्हें खोलकर बडे यतन से आपने सेल्स पर लगा रहे थे । पैकेट में अमेरिकन स्टैम्प लगे थे । डॉक्टर कभी देशी दवाओं का प्रयोग नहीं करते थे । जब कभी उन्हें जरूरत होती वे अमेरिका या जर्मनी से मंगाते थे । लगभग हर माँ उनके लिए पानी के जहाज से दवा के पैकेट आते थे । अतुल ने अखबार पढ कर रख दिया और बोला अनुकूल बाबू! आप दवाएं विदेशों से ही क्यों मंगवाते हैं? क्या देशी दवाएं अच्छी नहीं होती? उसने शुगर मिल के की एक बडी बोतल उठाकर दवा निर्माता का नाम पढा मैरीकाॅम फल क्या यह मार्केट में सर्वोत्कृष्ट है? हाँ अच्छा बताया । क्या होमियोपैथी वहाँ कई बीमारी का इलाज करती है? मुझे कुछ संदेह होता है । कैसे पानी की एक बूंद इलाज कर सकती है । डॉक्टर में मुस्कुराते हुए कहा तो क्या मैं समझो कि ये सब लोग जो दवा लेने आते हैं, बीमारी का नाटक करते हैं? अतुल ने उत्तर दिया, संभवतः इलाज प्राकृतिक रूप से होता है किंतु उसका श्रेय दवा को दिया जाता है । विश्वास अपने आप में ही इलाज है । डॉक्टर केवल मुस्कुराकर रहे गए । उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया । कुछ देर बाद उन्होंने प्रश्न किया, अखबार में हमारे इस घर का कहीं नाम आया है । नाम है । मैंने जोर से पढना शुरू किया । श्री अश्विनी चौधरी की दुर्भाग्यपूर्ण हत्या का रहस्य अभी तक पता नहीं लग पाया है । अब सीआईडी ने केस को अपने जिम में ले लिया है । बताया जाता है कि कुछ तथ्यों का पता चला है । अनुमान है कि अपराधी को जल्दी ही पकड लिया जाएगा । मेरी जूती, यहाँ लोग जब तक चाहे उम्मीद की आज लगाए बैठे रहे हैं । डॉक्टर ने मूल कर देखा और बोले तो इंस्पेक्टर साहब, इंस्पेक्टर ने कमरे में प्रवेश किया । पीछे पीछे दो सिपाही थे । वही पुराना इंस्पेक्टर था । बिना किसी बातचीत के । वहाँ सीधे अतुल के पास गया और बोला आपके नाम वारंट है । आपको हमारे साथ पुलिसचौकी चलना होगा तो पाया कोई व्यवधान नहीं डाले हैं । कोई भी प्रयास व्यर्थ होगा । राम नहीं फॅमिली लगाओ । एक सिपाही आगे बढा और उसने अपने काम को बडी दक्षता से पूरा कर दिया । हम सभी भय और आतंक से खडे हो गए । अतुल चिल्लाया क्या है यह सब? इंस्पेक्टर ने कहा यह तो चंद्र मित्र को अश्विनी चौधरी के हत्या के अपराध के लिए गिरफ्तार किया जाता है । क्या दोनों पहचान सकते हैं कि अतुलचंद्र मित्र यही सज्जन है । दहशत से त्रस्त हमने उन्होंने अपना सिर हिला दिया । अतुल ने थोडा हस्कर कहा तो आपका संदेह अंतर मेरे ऊपर ही हुआ तो ठीक है । मैं आपके साथ पुलिसथाने चलता हूँ । अजीत घबराना नहीं, मैं निर्दोष हूं । एक पुलिस वैन आकर मैच के दरवाजे पर रुक गई । सिपाही लोगों ने अतुल को ले जाकर वैन में बैठाया और चले गए । डॉक्टर के दहशत से हुए पीले चेहरे से निकला तो वह दम बाबू निकले । कितना अजीब है चेहरा देखकर किसी की प्रकृति का पता लगाना असंभव है । मेरे जैसे शब्द ही हो गए थे । अब्दुल हत्यारा । इतने दिन साथ रहते हुए मेरे अतुल से संबंधों में एक लगाव हो गया था । उसके मृदुल स्वभाव से मैं काफी प्रभावित था और वही अतुल एक हत्यारा मुझे सच में बडा झटका लगा था । अनुकूल बाबू ने अपनी बात आगे बढाते हुए कहा, इसीलिए यहाँ कहा जाता है कि किसी अजनबी को शरण देते समय दो बार सोचना चाहिए । लेकिन कौन कह सकता था की वहाँ व्यक्ति इतना मेरा मन बहुत अशांत हो रहा था । मैं तुरंत कुर्सी से उठकर अपने रूम में गया और जोर से दरवाजा बंद करके लेट गया । मेरा मन नहाने या खाने को नहीं हुआ । अतुल की चीजें दूसरी तरफ रखी हुई थी । उन्हें देखकर मेरी आंखों में आंसू आ गए । यह अहसास था कि वह कितना मेरे नजदीक आ गया था । जाते समय वहाँ बोला था कि वह निर्दोष है । क्या पुलिस से गलती हुई है? मैं उठ कर बैठ गया और अश्विनी बाबू की हत्या की रात से एक एक घटना को विस्तार से सोचने लगा । अतुल फर्ज में लेटकर अश्विनी बाबू और डॉक्टर की बातचीत सुन रहा था । वहाँ यहाँ क्यों कर रहा था? उसका क्या प्रयोजन था? यह सोचते सोचते लगभग ग्यारह बजे मैं हो गया था और मेरी आज सुबह खुली थी । क्या बता इसी अवधि में अतुल ने लेकिन वहाँ अतुल था जो शुरू से ही यह कहता रहा कि यह हत्या है न कि आत्महत्या । यदि हत्या उसी ने की थी तो क्या वहाँ ऐसा कहकर खुद ही अपने गले में फंदा लगता और क्या यह संभव है कि उसने अपने को संदेह से दूर रखने के लिए जानबूझकर या कहाँ हो और पुलिस यहाँ सोचे कि क्योंकि उसने खुद ही हत्या के बाद पर जोर दिया है इसलिए हत्यारा वहाँ नहीं हो सकता । मैं अपने बिस्तर पर करवटें बदल बदलकर अपने मस्तिष्क को हर तरह से दौडाता रहा । उठकर तेज कदमों से इधर उधर चलकर विचारों में मग्न रहा । अब दोपहर हो गयी । घडी ने तीन बजाये मुझे विचार सूझा क्यों ना मैं किसी वकील से राय लूँ । मैं समझ नहीं पा रहा था कि ऐसी परिस्थिति में क्या किया जाए? नहीं मैं किसी वकील को जानता था । जो भी हो मैंने सोचा कि वकील को ढूंढना उतरा मुश्किल नहीं है । मैं कपडे बदलने लगा । इतने में दरवाजे पर आहट सुनाई दी । कोई बुला रहा था । मैंने दरवाजा खोला तो देखा अतुल खडा है । अब्दुल दोनों मैंने खुशी से उसे बाहों में भर लिया । सारी दुविधाएं की वहाँ अपराधी है या नहीं सब मेरे दिमाग से हट गई । जैसे कभी आई ना हूँ । उसके बाल उल जय है और चेहरे पर थकान थी । वह मुस्कुराकर बोला हाँ जी तो मैं हूँ अतुल । उन्होंने मुझे बडा हैरान किया । बडी मुश्किल से मुझे एक सज्जन मिले जिन्होंने मेरीबेल कराई । नेता आज मुझे जेल जाना पडता । तुम गए जा रहे के लिए निकल रहे थे जरा संकू से मैं बोला तो वकील के पास अतुल ने मेरे हाथों को प्यार से दवा कर कहा मेरे लिए यदि ऐसा है तो अब आवश्यकता नहीं है । जो भी हो इसके लिए धन्यवाद । मुझे फिलहाल स्थाई बेल मिल गई है । हम लोग वापस कमरे में आकर बैठ गए । अपनी कमीज उतारते हुए अतुल बोला वो मेरा सिर चकरा रहा है । मैंने दिनभर से कुछ नहीं खाया है । लगता है तुम ने भी नहीं खाया है तो चलो जल्दी से नहा लें और चल कर खाना खाएँ । मेरे पेट में चूहे कूद रहे हैं । मैं अपने संदेह को समाप्त करना चाहता था इसलिए मुंह से निकल गया । अतुल तुमने किया तुमने क्या अश्विनी बाबू की हत्या की है? नहीं । अतुल फॅार बोला
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