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79 - ग्रामीण समाज में संचार की भूमिका 'विकास साधन के रूप में ' in Hindi

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Authorडॉ निर्मला सिंह और ऋषि गौतम
“कस्तूरबाग्राम रूरल इंस्टीट्यूट, कस्तूरबाग्राम, इंदौर” में 15-16 जनवरी, 2016 को “ग्रामीण समाज और संचार: बदलते आयाम” विषय पर संपन्न “राष्ट्रीय संगोष्ठी( national seminar)” के तहत प्रस्तुत विद्वता-पूर्ण शोध लेखों का संग्रहणीय संकलन है यह पुस्तक। जो निश्चित रूप से एक पुस्तक के रूप में मीडिया-जगत के विद्यार्थियों एवं शोधार्थियों के साथ साथ विभिन्न विषयी अध्येताओं के लिए भी उपयोगी सिद्ध होगा। Voiceover Artist : RJ Manish Author : Dr. Nirmala Singh Author : Rishi Gautam Producer : Saransh Studios Voiceover Artist : Manish Singhal Author : Dr. Nirmala Singh & Rishi Gautam
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ग्रामीण समाज में संचार की भूमिका विकास साधन के रूप में प्रस्ताव हो । समाज निरंतर परिवर्तनशील है । परिवर्तन पहले की अवस्था या स्थिति में अंतर आ जाने का सूचक है । इस दृष्टि से आदिकाल से अब तक समाज की अवस्थाओं में अनेक परिवर्तन हुए जो निरंतर जारी है । दरअसल समाज में दो तरह की प्रक्रिया सत्रह चलती रहती है तो समाज को बनाये रखने के लिए सामाजिक रन, सामाजिक नियंत्रन जैसी प्रक्रियाएं काम करती हैं, वहीं दूसरी ओर परिवर्तन की प्रक्रिया में साथ साथ चल रही हैं । परिवर्तन के कारण और परिस्थितियां समाज में परिवर्तन की दिशा को तय करती है । विज्ञान के अविष्कारों ने परिवर्तनों को और अधिक बढाया और अब समूचे दुनिया में विज्ञान और प्रौद्योगिकी तीव्र सामाजिक परिवर्तन के लिए उत्तरदायी कारक के रूप में उभर रही है । प्रस्तुत शोधपत्र में ग्रामीण समाज में संचार की भूमिका विकास साधन के रूप में का अध्ययन किया गया है । ग्रामीण विकास का ग्रामीण विकास में दो अवधारणाएं समाहित है । एक ग्राम और दूसरी विकास, ग्राम प्रकृति पर निर्भर सर्कल । सामाजिक संबंधों के ताने बाने में बंदा ऐसा समुदाय है, जहाँ परंपरा, प्रधान जीवन शैली, कमजोर आधारभूत संरचना, लैंगिक असामानता जैसी समस्याएं विद्यमान है । विकास किसी भी समाज में गुणात्मक परिवर्तन का द्योतक है । लोगों के जीवन स्तर में बदलाव आया । रोजगार के साथ नौ की प्रचुरता, सामाजिक न्याय, समानता, आधारभूत सुविधाओं का विकास आती विकास के महत्वपूर्ण घटक है । ग्रामीण विकास गांव में इन्हीं बिंदुओं पर कार्य करते हुए गांव को एक पूर्ण आत्मनिर्भर इकाई के रूप में बनाने के साथ ग्रामीण व्यक्तियों के जीवन स्तर में बदलाव लाने, सोच में परिवर्तन लाने की एक प्रक्रिया है । ग्रामीण विकास के उद्देश्य क्योंकि ग्रामीण विकास को ग्रामीण क्षेत्रों में निवास कर रही जनसंख्या के जीवन स्तर में अपेक्षित सुधार कर रहा है । क्या आवश्यक है की ग्रामीण जनता को आर्थिक विकास की धारा से जोडकर ग्रामीण जनता के लिए उनकी इच्छाओं का जरूरतों के अनुरूप सुविधाजनक वातावरण तैयार किया जाए ताकि वे अपना विकास कर सके । किस प्रकार ग्रामीण विकास के निम्नलिखित उद्देश्य स्पष्ट होते हैं, एक । ग्रामों को आत्मनिर्भर बनाया । दो । ग्रामीण जनता के जीवन स्तर में अपेक्षित सुधार करना, ये मत सोच में बदलाव लाना । तीन । शिक्षा, स्वास्थ्य, संचार, रोजगार, आवास इत्यादि सुविधाओं में वृद्धि करना । क्या ग्रामीण क्षेत्रों में वित्तीय सुविधाएं वहाँ सुरक्षा मुहैया कराना । पांच । कृषि एवं स्थानीय उद्योगों को बढावा देकर उत्पादन में वृद्धि करना । छह । प्राकृतिक संसाधनों का अनुरक्षण कर सतत विकास की प्रक्रिया पर बल देना । ग्रामीण समाज में संचार की भूमिका विकास के साधन के रूप में ग्रामीण क्षेत्रों में प्राकृतिक संसाधनों की प्रचुरता होती है, किंतु अकुशल मानवीय संसाधन आर्थिक विकास के लक्ष्य को पूरा नहीं कर सकता । यदि प्राकृतिक और मानवीय संसाधनों का समुचित दोहन हो तो विकास के लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है । सामाजिक परिवर्तन के नवीन तब स्त्रोतों में संचार की नई तकनीक मैं त्वपूर्ण कारक है । संचार क्रांति कृषि क्रांति की दिशा में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है । संचार के क्षेत्र में ढाई प्रयोग इस प्रकार है एक । किसान कॉल सेंटर सरकार की ओर से किसान कॉल सेंटर खोले गए हैं, जहां फोन करके किसान अपनी समस्या का समाधान पा सकते हैं । किसान कॉल सेंटरों की शुरुआत वर्ष दो हजार चार में हो । आज भारत में करीब एक सौ पैंतालीस के साथ कॉल सेंटर कार्य कर रहे हैं । पहले इनका संचालन सिर्फ आठ महानगरों में किया गया था, लेकिन बाद में इसकी उपयोगिता को देखते हुए इसका विस्तार कर दिया गया । यह सेंटर किसानों को विभिन्न फसलों की देखरेख के साथ ही मौसम आधारित बीमारियों से निपटने की जानकारी भी दे रहे हैं । देश का कोई भी किसान एक पांच एक पांच नंबर पर डायल करके अपनी समस्या का हल पा सकता है । इसके लिए उसे किसी तरह के बिल का भुगतान नहीं करना पडता है । दो चौदह भारत के किसानों के लिए जून दो हजार से चौपाल का भी आयोजन किया जा रहा है । इस परियोजना का संचालन उत्तर प्रदेश, राजस्थान, कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, हरियाणा एवं उत्तराखंड में क्या जा रहा है । देश में करीब चालीस हजार से अधिक गांव की उस से जुड चुके हैं । किसान इनकी उसके जरिए अपनी समस्या का समाधान पा रहे हैं । इसके अलावा जाग्रति की सेवा, जनमत, ग्राम दोस्त, ज्ञान, दो लोग, पानी, लोग, मित्र, आकाशगंगा आदि योजनाएं अलग अलग राज्यों में ही सेवाएं प्रदान कर रही है । तीन शैक्षणिक संचार माध्यम सुदूरवर्ती ग्रामीण इलाकों में महिलाओं, विकलांगों और गरीब पिछडे हुए बच्चों को दूरदर्शन के माध्यम से शैक्षणिक प्रसारण किया जाता है । ज्ञानदर्शन चैनल वहाँ एफएम रेडियो से ज्ञानवाणी के माध्यम से विद्यार्थी लाभान्वित हो रहे हैं । क्या वेबसाइट्स जनसंपर्क में सहायता आज प्रत्येक व्यवसायिक संगठन के लिए यह आवश्यक है कि वह ग्रामीण समाज में अपना स्थान बनाए । निगम, अर्थशास्त्री, संस्थान क्या उपक्रम उद्योग में जनसंपर्क के महत्व को देखा जा रहा है? हम समझा जा रहा है । आज जनसंपर्क कार्यकर्ता प्रत्येक विभागों में देखे जा सकते हैं । स्पष्ट है कि संचार साधन इस है तो महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है । संचार का महत्व बैंकिंग, बीमा, परिवहन, पढता इत्यादि व्यवसायों में अत्यधिक गया क्योंकि संचार के अभाव में इस प्रकार के व्यवसाय एक्शन भी नहीं चल सकते हैं । संचार साधनों से कृषि, बैंकिंग, फसल, दुधारू पशुओं का बीमा इत्यादि आसानी से हो पाते हैं । पांच ग्रामीण ऍम ग्रामीण समाज पर संचार साधन ना केवल आर्थिक, शैक्षणिक, स्वास्थ्य सुविधा की दृष्टि से महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है बल्कि ग्रामीण जान के मनोवैज्ञानिक सामाजिक पक्षों को भी संभाल रहा है । ग्रामीण युवक युवती के विवाह के लिए विभिन्न वेबसाइट्स हैं जो उनके बायोडेटा उपलब्ध करा दिया । इस शिक्षित ग्रामीण कन्याओं को भी सामाजिक जीवन में आगे बढने का अवसर हो रहा है । निष्कर्ष ग्रामीण समाज के संचार की भूमिका विकास के साधन के रूप में अत्यंत ही महत्वपूर्ण है । यह ग्रामीण चंद के पत्ते पक्षों में अपनी भागीदारी प्रदान कर रहा है । जान जान की है बुखार, संचार साधन हमारा उपहार ग्रामीण समाज में लाना है, जाग्रति अपनानी होगी । हमें संचार क्रांति

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“कस्तूरबाग्राम रूरल इंस्टीट्यूट, कस्तूरबाग्राम, इंदौर” में 15-16 जनवरी, 2016 को “ग्रामीण समाज और संचार: बदलते आयाम” विषय पर संपन्न “राष्ट्रीय संगोष्ठी( national seminar)” के तहत प्रस्तुत विद्वता-पूर्ण शोध लेखों का संग्रहणीय संकलन है यह पुस्तक। जो निश्चित रूप से एक पुस्तक के रूप में मीडिया-जगत के विद्यार्थियों एवं शोधार्थियों के साथ साथ विभिन्न विषयी अध्येताओं के लिए भी उपयोगी सिद्ध होगा। Voiceover Artist : RJ Manish Author : Dr. Nirmala Singh Author : Rishi Gautam Producer : Saransh Studios Voiceover Artist : Manish Singhal Author : Dr. Nirmala Singh & Rishi Gautam
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