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78 - ग्रामीण सहरिया गर्भवती महिलाओं में स्वास्थ्य के प्रति जागरुकता में संचार की भूमिका in Hindi

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Authorडॉ निर्मला सिंह और ऋषि गौतम
“कस्तूरबाग्राम रूरल इंस्टीट्यूट, कस्तूरबाग्राम, इंदौर” में 15-16 जनवरी, 2016 को “ग्रामीण समाज और संचार: बदलते आयाम” विषय पर संपन्न “राष्ट्रीय संगोष्ठी( national seminar)” के तहत प्रस्तुत विद्वता-पूर्ण शोध लेखों का संग्रहणीय संकलन है यह पुस्तक। जो निश्चित रूप से एक पुस्तक के रूप में मीडिया-जगत के विद्यार्थियों एवं शोधार्थियों के साथ साथ विभिन्न विषयी अध्येताओं के लिए भी उपयोगी सिद्ध होगा। Voiceover Artist : RJ Manish Author : Dr. Nirmala Singh Author : Rishi Gautam Producer : Saransh Studios Voiceover Artist : Manish Singhal Author : Dr. Nirmala Singh & Rishi Gautam
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ग्रामीण सहरिया गर्भवती महिलाओं में स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता में संचार की भूमिका मध्य प्रदेश की सहरिया जनजाति के विशेष संदर्भ में शहर या प्राचीन आदिमजनजाति है जो मध्य प्रदेश के उत्तरपश्चिम भाग यानी ग्वालियर चंबल संभाग में सर्वाधिक पाई जाती है । चुकी इनकी सामाजिक आर्थिक स्थिति नियम है । पता है केन्द्र सरकार द्वारा ऐसे विशेष पिछडी जनजाति घोषित किया गया है । दो हजार एक की जनगणना के अनुसार यहाँ कुल चार लाख पचास हजार दो सौ सत्रह शहर या आबादी में ग्रामीण अंचलों में चार लाख पैंतीस हजार छह सौ तीस तथा शहरों में मात्र चौदह हजार पांच सौ पचासी आबादी पाई जाती है । दुर्गम ग्रामीण क्षेत्रों में निवास के कारण संचार के साधनों की पहुंच इन तक काम ही है । ये अंधविश्वास एवं जादू टोने में अधिक विश्वास करते हैं । स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का समाधान भी इनके द्वारा किसी प्रकार किया जा रहा है । संचार जागरूकता एवं अशिक्षा के कारण सरकार द्वारा इनके स्वास्थ्य विकास है तो चलाई जा रही योजनाएं एवं सुविधाएँ यहाँ तक नहीं पहुंच पा रही हैं । स्वास्थ्य जागरूकता है तो संचार साधनों तथा रेडियो, टेलीविजन, कंप्यूटर, मोबाइल, इंटरनेट आदि की भूमिका महत्वपूर्ण है क्योंकि इन साधनों की पहुंच शहर या ग्रामीण क्षेत्रों में न के बराबर है । अतः स्वास्थ्य के प्रति जागरूक नहीं है । अधिकांश शहर या भूमिहीन होते हैं वह इनकी आर्थिक स्थिति भी निम्न है । अतः पुरुषों के साथ महिलाएं भी मजदूरी कर दी है । यहाँ तक कि गर्भावस्था के अंतिम दिनों तक महिलाओं द्वारा कार्य किया जाता है । अजय इनके मात्र मृत्युदर केवल शिशु मृत्युदर मध्यप्रदेश में सबसे अधिक गर्भावस्था के दौरान शहर या मात्र मृत्युदर छब्बीस दशमलव छह प्रतिशत है जो मध्यप्रदेश में अधिक है । शिशु जन्म के एक सप्ताह बाद शिशु मृत्युदर दशमलव उन्यासी प्रतिशत है । ये हम मृत्युदर पच्चीस दशमलव साठ सत्तर प्रतिशत है क्योंकि चिंताजनक है । किन्तु वर्तमान में टेलीविजन रेडियो द्वारा गर्भवती महिलाओं एवं शिशुओं के स्वास्थ्य ही तो कई कार्यक्रम प्रसारित किए जा रहे हैं जैसे वर्तमान में सामुदायिक रेडियो यानी ऐसी सामग्री का प्रसारण करना है जो स्थानीय या विशिष्ट श्रोताओं की मुख्य आवश्यकता है जिनकी अनदेखी वाणिज्यिक या सरकारी जान माध्यमिक प्रसारकों द्वारा की जा सकती है । इन स्टेशनों द्वारा मध्य प्रदेश की सहरिया जनजाति की महिला रामबती द्वारा रेडियो धडकन प्रसारण में महत्वपूर्ण कार्य किया है । वह हर रोज आस पास के गांवों तक पैदल चलकर जाती है क्योंकि इन गांवों तक पहुंचने है तो यातायात सुविधा भी उपलब्ध नहीं है और वहाँ के लोगों से बातचीत करती है जिससे बात में लोग वीडियोकाॅॅॅन पाते हैं । उनका मानना है कि जानकारियों एवं सूचना के अभाव में बदलाव संभव नहीं । इस प्रकार खून, वर्ड एवं पर्दे में छुट्टी महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए उन्होंने सार्थक पहल की है । वर्तमान में दो हजार ग्यारह की जनगणना के अनुसार शिशु मृत्युदर, सेवन पात्र मृत्युदर पर काफी हद तक काबू पाया जा सका है तो फिर भी मृत्युदर में संतोषजनक सुधार होने के कारण ग्रामीण क्षेत्रों में टीकाकरण का अभाव, कुपोषण, रक्ताल्पता है । कुपोषण के कारण महिलाओं की बीमारियों से लडने की क्षमता खत्म हो जाती है । सुप्रीम कोर्ट ऑर्डर के अनुसार सहरिया जनजाति के प्रतिशत बच्चे कुपोषित रहते हैं । उन्हें पौष्टिक भोजन नहीं मिलता । जिससे सत्तासी प्रतिशत लोग एनीमिया से पीडित हो जाते हैं । जिसका प्रमुख कारण शहर या जनजाति की महिलाओं का कम उम्र पैसे वहाँ जिससे कम उम्र में ही वे माँ बन जाती है । स्वास्थ्य केंद्र एवं अस्पताल की जगह घरों में ही बच्चों का जल्दी क्योंकि यहाँ की बुजुर्ग महिलाओं द्वारा करा दिया जाता है । जीवन जन के बाद आर्थिक समस्या के चलते शिशु का लालन पालन सही से नहीं हो पाता है । इनके भोजन में पोषक तत्वों की कमी होती है, जिससे मात्र एवं शिशु मृत्युदर सहरिया जनजाति में अन्य जनजातियों की अपेक्षा अधिक पाई जाती है । अतः ग्रामीण सहरिया गर्भवती महिलाएं स्वास्थ्य सुधार हेतु शासन द्वारा प्रदान की जा रही सुविधाओं से संचार साधनों एवं जागरूकता के अभाव में पूर्ण लाभान्वित नहीं हो रहे हैं ।

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Sound Engineer

“कस्तूरबाग्राम रूरल इंस्टीट्यूट, कस्तूरबाग्राम, इंदौर” में 15-16 जनवरी, 2016 को “ग्रामीण समाज और संचार: बदलते आयाम” विषय पर संपन्न “राष्ट्रीय संगोष्ठी( national seminar)” के तहत प्रस्तुत विद्वता-पूर्ण शोध लेखों का संग्रहणीय संकलन है यह पुस्तक। जो निश्चित रूप से एक पुस्तक के रूप में मीडिया-जगत के विद्यार्थियों एवं शोधार्थियों के साथ साथ विभिन्न विषयी अध्येताओं के लिए भी उपयोगी सिद्ध होगा। Voiceover Artist : RJ Manish Author : Dr. Nirmala Singh Author : Rishi Gautam Producer : Saransh Studios Voiceover Artist : Manish Singhal Author : Dr. Nirmala Singh & Rishi Gautam
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