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कॅश क्रिसमस के समय शायद ही कोई ऐसा आदमी हो का जिसके मन में क्रिसमस के समय हर्षोल्लास ना हो । जिस के मन में बीते साल के क्रिसमस के समय की कुछ खुशनुमा यादव ना हूँ । कुछ लोग तो ऐसे भी होंगे जो ये भी कहते नजर आ जाएंगे कि अब क्रिसमस के तलवार में वो बात नहीं रही जो पिछले सालों में हुआ करती थी । आने वाले सालों में कुछ आशाएं जो पिछले सालों में जकी थी छेड यह बंद हो गई हैं । अब ये है कि वर्तमान में उनके पास केवल अच्छी यादें और काम आए ही रह गई थी । उनको याद आ रही थी जब वो अपने खस्ताहाल खब्ती दोस्तों को बडे दिन पर खाना खिलाते थे और आप वही लोग इस तंग हाली के दिनों में उन से नजरें चुराते हैं । इस तरह के बस खयालों पर ध्यान नहीं देना चाहिए । इस दुनिया में कुछ ही ऐसे आदमी होंगे जो साल के किसी भी दिन ऐसे खयालों का सामना नहीं करते थे । वो उस साल के तीन सौ पैंसठ दिनों में या मस्ती में दूसरे दिनों को याद नहीं करते थे । परन्तु अपनी कुर्सी, फायर प्लेस यानी आदिश दान जहाँ आग जल रही होती थी, वहाँ पर खींच कर ले आते हैं । आपने गिलास को भी भर लेते हैं और घर में चारों ओर गीतिका थे । बिछडने लगने और यदि आप का गिलास पंचमेल शराब से मैं कर रहा था इसके बजाय की चमकती हुई वा इनके तब भी आप अपने चेहरे पर खुशियां सजोए रखिए और उसको जल्दी से खाली करके दूसरा ग्लास भर लीजिए और जो आपको पुराने गाने, क्रिसमस के रोगी आदि याद हूँ उन्हें गाना शुरू कर दीजिए और ईश्वर को धन्यवाद दीजिए कि इससे कम स्तर या बहत्तर कोई सूरत नहीं पैदा हुई । अपने बच्चों के यदि आप के घर में हूँ तो उनके खुशनुमा चेहरे देखिए जब वो आगे गिर गेट बैठे हैं । हो सकता है की एक छोटी सी सीट खाली हो जो कि पिता के चेहरे पर खुशी ला देती थी और माँ माता की झांकी गर्व से फूल जाती थी और वो अब वहाँ नहीं हूँ । आपने पीते हुए दिनों को याद करिए । उस छोटे से बच्चे के बारे में सोचिए जो पिछले साल धूल मिट्टी में खेल रहा था । वो अब बडा होकर आपके सामने छोटी सी कुर्सी पर बैठा उसे इधर उधर घूम आ रहा है जिसके बच्चों के तरह गुलाबी गाल है और उसी खुशी भरी आंखों में बालसुलभ भोलापन हो ईश्वर प्रदाय आपने प्रदानों को गिनी जो हर आदमी के पास कम वेश होते हैं ना कि आप अपने दुर्भाग्य बारे दिनों को याद करें । खुश कुमार चेहरे और संतोषपुर दिल से आप अपने गिराज को फिर से भर लीजिए । मैं शर्त लगा सकता हूँ कि आपका क्रिसमस बहुत ही हर्षोउल्लास से बारा होगा और नववर्ष तो और भी खुशनुमा होगा । कौन ऐसा आदमी होगा जो इस समय वातावरण में व्याप्त हँसी खुशी के माहौल के प्रति उदासीन हो सकता है? क्रिसमस के एक पारिवारिक पार्टी हम जानते हैं कि इससे ज्यादा आनंद भूति कोई अन्य चीज नहीं प्रदान कर सकती । क्रिसमस के मौसम में एक जादू सा हैं । आपस की छोटी मोटी लडाइयां सब लोग भूल जाते हैं । वो छोटी मोटी एशिया की चीजें नहीं की । वो अपने भीतर दिलों में छुपाए थे । सामाजिक और मिलने जुलने की भावनाएं उभरकर ऊपर आती है । बाप बेटे और भाई बहनें जो कुछ समय पहले एक दूसरे से नजरें चुरा रहे थे या इस तरह से देखते थे, जैसे उन्हें कभी जानते ही ना हूँ । इससे बाहर के मौसम में आपने दुश्मनी भुलाकर एक दूसरे से प्यार से गाली मिल रहे होते थे । वो कृपालु और नया लो दिल जो एक दूसरे से मिलना तो चाहते थे पर एशिया वर्ष एक दूसरे से खींचे खींचे रहते थे । वो आप एक दूसरे से पुना जुड गए हैं । क्या ऐसा क्रिसमस साल भर चल सकता था? और क्या पूर्वग्रह और भावावेश जो हमारे अच्छे स्वभाव को तबाह कर रखते हैं, वो उन सब लोगों के प्रति फिर कभी ओवर उभरकर ऊपर नहीं आएंगे जिनके लिए वो हमेशा से अजनबी बन जाएंगे । क्रिसमस पार्टी जिसका हम यहाँ जिक्र कर रहे हैं वो साल में एक बार केवल सब रिश्तेदारों का एक समय में घर में इकट्ठा होने ही मात्र नहीं है, जो कि एक या दो हफ्ते के नोटिस पर एक मात्र हुए होंगे जिनका पहले से कोई रिवाज नहीं था या पिछले साल नहीं मनाया गया था और अगले साल होने की भी संभावना नहीं नहीं । इस साल में सारे रिश्तेदार जिन तक पहुंचा जा सकता था, चाहे वह जवान हूँ, वृद्ध अमीर हो या गरीब और सारे बच्चे किसी दिन का लगभग दो माह पहले से इंतजार करने लगते थे । पहले ये मिलन दादा दादी के घर होता था, पर अब दादा दादी जी बूढे हो गए हैं और दादी भी बोर ही और निर्मल हो गई हैं तो उन्होंने इस पार्टी की जिम्मेदारी अंकल जॉर्ज पर छोड दी थी और अब स्वयं भी जॉर्ज चाचा के घर पर भ्रष्ट बनाने के लिए गए थे । पर दादी जी इस मौके के लिए तरह तरह के व्यंजन बनाकर चाचा जॉर्ज के जहाँ भेज देते थे राजा जी खुद भी लडकी से पढ सकते हैं । घर से काफी दूर न्यूगेट मार्केट जाते थे जहाँ से वो एक्टर की खरीदते थे और फिर एक गोली उसे जॉर्ज अंकल के घर पहुंचाता था । घर पर वह विजय मुद्रा में पहुंचते थे तथा इस बात पर जोर देते थे कि उसे पोर्टर को एक गिलास शराब पिलाकर के ही विदा किया जाए और अंकल जॉर्ज तथा परिवार के अन्य सदस्यों को खासकर मेरी और जॉर्ज को क्रिसमस कहकर विदा करें । जहाँ तक दादी माँ का सवाल था वो बहुत गुप चुप तरीके से पर इस बात की तनख्वा तो फैल ही जाती थी कि उन्होंने सारे नौकरों के लिए एक नई टोपी खरीदी थी जिसमें गुलाबी रंग का राॅबिन बना था और सब बच्चों के लिए छोटी मोटी चीजें जैसे पेंसिल बॉक्स, किताबें, पैन नई आधी उपहार में देने के लिए खरीदे थे और साथ ही वह पेस्ट्री बनाने वाले को अपने पुराने ऑर्डर के अलावा डिनर के लिए धार जिलों में पाए और एक बडा साथ नाम के बच्चों के लिए बनवा दी थी । क्रिसमस की पूर्व संध्या पर ताजिमा हमेशा ही बहुत खुश और जोश खरोश में रहती थी और सब बच्चों की तरह तरह की एक्टिविटी यह कामों में उलझाए रखती थी जैसे कि क्लम आलोचकों को इकट्ठा करना तथा शाम को इस बात पर जोर देती थी कि शाम को जॉर्ज अंकल कोर्ट उतारकर किचन में आए और आधे घंटे तक चूल्हे पर पक रही बोर्डिंग को अवश्य काम से चला दे रहे हैं जो कि अंकल जॉर्ज बहुत खुशी खुशी करते थे और बच्चे तथा नौकरों को इस में बडा मजा आता था । शाम का खाना पीना और फिर आंखमिचोली के खेल से अंत होता था जिसमें दादा दादी इस बात का ख्याल रखते थे कि वह जल्दी से पकडा लीजिए जाए जिसमें उन्हें अपने हाथ की सफाई दिखाने का मौका मिल सके । दूसरे दिन सुबह वो वृद्ध दंपत्ति, दादा दादी तमाम बच्चों को साथ लेकर चर्च जाते थे और ऍफ जॉर्ज को घर पर पीछे साफ सफाई करने के लिए छोड देते थे और अंकल जॉर्ज बोतलों को डाइनिंग रूम में ले जाए और सबसे कॉप्स क्यूकि धुलवाया करते थे तो सब लोगों के रास्ते में आते जाते रहते थे । जब छाछ पार्टी लंच के समय घर लौट दी थी तब लाख जी अपनी जेब से मिस लांटों की एक नहीं अपनी जीव निकालते थे और बच्चों से कहते थे कि वो उसके नीचे से गुजरें और अपनी छोटी कजिन सिस्टर्स को किस करें । ये एक ऐसी कार्रवाई थी जिसे दादी माँ पसंद नहीं करते हैं । पर इससे दादा जी को बहुत संतोष मिलता था और उन्होंने बताया कि जब वो तेरह साल तीन महीने के थे तो उन्होंने ऐसे ही एक फॅमिली के नीचे उन्होंने दादी को पहली बार किस किया था । जिस बात पर बच्चे खुश होकर जोर जोर से तालियां बजाते थे और अंकल जॉर्ज भी खूब मदद होते थे और दादी माँ भी बहुत खुश होती थी और बताती थी कि दादा जी एक बहुत ही ढेड कुत्ते की तरह थे जिस पर बच्चे जोर जोर से हंस कर तालियां बजाते थे तथा दादा जी नहीं उसमें खुशी खुशी पूरे जोर से शामिल हो जाते थे । पर ये सब तो कुछ भी नहीं था । इसकी तुलना में जब दादी माँ अपने इस लिट्टी रंग के गांव पहले और ऊंची टोपी लगाए तथा दादा जी अपने सुन्दर से फील वाली कमीज पहने हैं और तमाम छोटे मोटे बच्चों और उनके कजन्स के साथ आग के सामने बैठकर आने वाले मेहमानों का इंतजार कर रहे होते थे । अचानक एक भी दरवाजे के सामने आकर रूकती है तथा अंकल जॉइंट जो खिडकी पर खडे हो कर उन की राह देख रहे होते थे वो खुशी से चिल्ला उठते हैं । ये देखो बच्चे आ गई और सब बच्चे खुशी से चिल्लाते, सीढियों से आपाधापी करते हुए नीचे दरवाजे की और भागते और चाचा रॉबर्ट वह चीन को सब लोग ऊपर लेकर आते । उनके साथ उनका छोटा बेटा, उनके साथ उनका छोटा सा बच्चा और उसकी आया भी होती थी । सब बच्चे उस छोटे से शिशु को देखकर बोलते । अरे कितना संदर है और बाहर बार मना करने के बाद भी सारे बच्चे उसका गाल चूम रहे थे या छू रहे थे तथा दादी माँ अपनी बेटी का चुंबन लेती हैं । और अभी पहले आंगतुक का स्वागत समारोह और शोरगुल समाप्त भी नहीं हुआ था कि कुछ और चाचा चाची या तथा भतीजी भतीजियां आना शुरू हो जाते हैं । जवान भतीजे भतीजियां एक दूसरे से फ्लर्ट करना शुरू कर देते हैं और उनकी देखा देगी छोटे काॅल्स लडके लडकियां आपस में ही हंसी मजाक करना शुरू कर देते हैं और उसके बाद सब कुछ हंसी शोरशराबे और भूल कडाहों की आवाज में गुम हो जाता है और जब शोर में थोडी सी कमी आती है तो बाहर साहब पर खुलने वाले दरवाजे पर हल्के से दस्तक दो बार खटखट सुनाई पडती है । सबलोग निगाहें उठाकर दरवाजे की ओर देखते हैं कि आप कौन आया? दो बच्चे जो खिडकी पर खडे बाहर देख रहे थे उन्होंने बनाया ये तो बेचारी मार्ग्रेट आंटी हैं । इसके बाद जॉर्ज अंकल उठकर नीचे उनका स्वागत करने दरवाजे पर गए । अब दादी माने उठकर अपने ड्रेस को ठीक ठाक किया तथा आपसी पर कडा रुख अख्तियार कर दिया क्योंकि मार्गरेटा ने एक गरीब लडकी सिर्फ दादी की आज्ञा के बगैर शादी कर ली थी । और जैसे कि गरीबी अपने आप में एक बडी सजा नहीं थी, उसके घनिष्ठ रिश्तेदार और दोस्तों ने उसका बहिष्कार ही कर दिया था और उस से मिलना जुलना बिल्कुल बंद कर दिया था । पर क्रिसमस जैसे तेहार के समय इस तरह की कडवी भावनाएं ऐसे पिघल गई जैसे कि नदी या झील के ऊपर जमी बर्फ की परत सूरज की किरणें पढते ही पिघल जाती हैं । एक माता पिता के लिए अपने भी और अनुशासनहीन या आज्ञापालन ना करने वाले बच्चों को कुछ समय तो उसकी गृह जनता के लिए सजा के तौर पे अकेले कमरे में उन्हें बंदूक कर सकते हैं पर हमेशा के लिए दो उसे छोडा नहीं जा सकता । उसे इस प्रकार से जो बच्चा एक घर में पला बढा है और आतिश दार या फायर प्लेस के सामने बैठ कर सब के साथ आग से की हैं और कक्षक तथा हँसी मजाक किया है उसे हमेशा के लिए अपने परिवार से कैसे अलग कर सकते हैं । वो लडकी जो हमारे ही घर में पली बढी है और फिर युवा हुई तथा विवाह करके चाहे अपनी मर्जी से ही किया हूँ, अचानक चली गई । उसे हम एकदम से कैसे भुला सकते हैं तो उसे मृत महिला इस प्रकार से कडा और बेरुखा व्यवहार की अपेक्षा नहीं की जा सकती थी । पर फिर भी वो बेड हुई से वहाँ बैठे रहे । वो लडकी अपनी बहनों द्वारा जिस वक्त अंदर लाई गई वो अपेक्षा और कृपालु व्यवहार से उसका चेहरा पीला पड गया था । वो लडकी अपनी बहन से अपना हाथ छुडाकर भागती हुई अपनी माँ के पास दोनों कर गई और उसके गले में आठ डालकर और वक्ष स्थल पर अपना मूड छुपाकर जोर जोर से रोने लगी । एक छड के बाद उसके पिता उठे और उसके पति का आठ पकडकर उसका अभिनंदन किया । इससे वहाँ पर एक खुशी का माहौल बन गया । सब लोगों ने उन्हें बधाइयां दी तथा बच्चों ने तालियाँ बजाई । जहाँ तक के डिनर का सवाल था वो बहुत ही लजीज और स्वादिष्ट था और उसने मौके के अनुकूल तरह तरह के व्यंजन भी थे तथा सभी आदमी और थे और बच्चे उल्लासित एवं प्रसन्न मुद्रा में थे । दादा जी ने बताया कि वो किस प्रकार से बाजार से टर्की लेकर आए थे और फिर कुछ बहते हुए उन्होंने इस तरह से बयान किया जिसके दादी माने बहुत सूक्ष्मता से पुष्टि की । जॉर्ज कहानियाँ सुनाते हुए उस चिडिया तरकी को काटते और मदिरा पीते हुए बच्चों के साथ हँसी मजाक करते हैं और उनका जिसको आंख मारते हैं जो एक दूसरे से प्रेम का इजहार कर रहे थे या यूं समझिए कि फ्लैट कर रहे थे, वह अपने मजाकिया स्वभाव से सबको हंसाते आस आते रहते हैं तथा अपने अतिथि सत्कार से भी । इसके बाद जब एक मोटा नाटा नौकर भारी सी पोर्टिंग लेकर आता है जिसके ऊपर एक होली पेड की टहनी रखी हुई होती थी । तब सब लोग जोर जोर से हसने चिल्लाने और तालियाँ बजाने लगते थे । छोटे छोटे बच्चे अपने गुबरेले हाथों से और आपने मोटे मोटे पैरों को उछालते हुए इतनी उत्साहित और जोरों से तालियाँ पीटने लगते हैं कि उन की बराबरी अन्य लोग अतिथियों की करतल ध्वनि से तभी की जा सकती थी जब उन लोगों द्वारा ऍम वहाँ क्या बाॅंटी डालते वक्त होती थी । उसके बाद डिस्ट्रिक्ट, फिर वाइन, फिर हंसी मजाक और गुलगुला मार्ग्रेट के पति बहुत सुन्दर सुन्दर भाषण देते हैं और खूब सुंदर सुंदर गाने गाते हैं । और भी इतने अच्छे आदमी साबित होते हैं और वन्स मोर वन्स मोर एक बार और एक बार सुंदर चिल्लाते हैं । तभी दादाजी एक नया गाना जो पहले कभी किसी ने नहीं सुना था की बाल दादी और एक दूरदराज की कदर के लिए गाते हैं जिसको सुनकर सब लोग हस्ते हस्ते लोट पोट हो जाते हैं । ये सब से हाथ प्रदाय कौन सा गाना था जो उन लोगों ने इससे पहले कभी भी नहीं सुना था । इस तरह से यह क्रिसमस की संध्या क्या रात हसी खुशी से बीत जाती है और सब लोग एक दूसरे को शुभकामनाएं देते हैं । गले मिलते झूलते जमाते वहाँ सुविधा हो जाते हैं और अगले साल फिर मिलने के वादे के साथ
Sound Engineer
Producer