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मुग़ल स्ट्रीट कांड in Hindi

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1 K Listens
AuthorRahul Singh Rajput
इंसान के हाथों होने वाले अपराध की सच्‍ची कहानियों को बयां करता यह उपन्‍यास रहस्‍य और रोमांच से भरा है।
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मुगल स्ट्रेट रंगों में एक विशेष प्रकार की गोली से एक और की हत्या कर दी गई । अपराधी ही ओबामा में रहता था और उसके पास एक बंदूक बरामद हुई जिससे ठीक उसी प्रकार की गोली फायर की जा सकती थी । हत्या का उद्देश्य कोई ऐसा नहीं था कि इससे कोई आदमी किसी की कीमती जान लेने को तैयार हो जाए । सभी घटनाओं पर लहर से का करा पर्दा पडा हुआ था । सारा केस कुछ दवाइयों और उनसे निकाले गए निष्कर्षों पर टिका हुआ था । सारा मामला एक अनुभू पहली की तरह था । हत्यारे को किसी भी करवाने देखा नहीं था और वो इसे देख भी नहीं भी नहीं । सिर्फ एक व्यक्ति हत्यारे को जानता था और उसने उसे देखा भी था, लेकिन उस पर किसी को विश्वास नहीं था । ऐसी रहस्यमय स्थिति अदालतों के सामने कभी पैदा नहीं हुई थी । गणपत्ये के एक अमीर घराने में आम मीना का जन्म हुआ था । एक कट्टर परिवार की चारदीवारी के बीच उसका लालन पालन हुआ हूँ । किशोरावस्था में कदम रखते हैं । उसे बुर्का उडा दिया गया है । उसमें बाहर जाने की हिम्मत नहीं थी । िकांड अवसर पर जब वह कभी बाहर निकली थी तो उसका चेहरा बुर्के से ढका हुआ था । उसे सभी सामाजिक कायदे कानून सिखाए गए । अमीना को बताया गया की अपने खाविंद के सिवाय पर आॅर्ट से किसी प्रकार का भी संबंध रखना है । ऐसे ही परिवार के साझे में उसका चरित्र डालता गया । इस उलझे हुए हत्याकांड के रहस्य की गुत्थी सुलझाने में आमिना का आप संबंधी यही दृष्टिकोण और सम्मान की भावना सहायक हुई । उन्नीस सौ में आमिना की शादी कलकत्ता के अली ऍसे करती गई । उसका पति भी काफी मालदार था । इस तरह शादी बराबर की हैसियत वाले दो घरों में हुई थी । आर एफ एक उत्साही ही वो था । उसके विचार बहुत उदास है । वो विदेशी निवास पहनता था और बहुत से अंग्रेजी उसके साथ ही थी । एक बार वो इंग्लैंड भी हुआ आया था । वो प्रगतिशील विचारों का था और आपने जाती कि औरतों को पूरी आजादी देने के पक्ष में था । शादी के बाद उसने समाज के सामने एक आदर्श रखने की ठानी । उसके परिवार के स्त्रियों ने भी धीरे धीरे पर्दा छोड दिया था । इस संबंध में उसने भी पत्नी पर भी जो डाला और कुछ सीमा तक सफल भी हो गया । आमेना बिना पडने की बाहर जाने लगी लेकिन वो अपने पति को खुशल रखने के लिए ऐसा कर दी थी । इस बात से आरिफ और उसके साले दाउद पास में कुछ मनमुटाव पैदा हो गया । डाउन तो पुराने रीति रिवाजों को कट््टरता से मानने वाला आदमी था । उसके परिवार के लोग अभी तक इन्हीं बातों पर चल रहे थे । सार्वजनिक स्थानों पर आमिना को बिना वर्दी में देखकर उसे कॅाल शादी के आठ वर्षों में कोई महत्वपूर्ण घटना नहीं घटे हैं । इस बीच उनके यहाँ तीन बच्चे हुए हैं । ऍम चलेंगे वहाँ अपने चचेरे भाइयों के पास ऍम स्ट्रीट के लाल कोठी में रहने लगा हूँ । शहर के तीन और व्यस्त जीवन से सिर्फ जल्दी ही हो गया । देखे तो खुले मैदानों की आवाज के लिए उसका ऍम उन्होंने ये आवाम आ नामक देहात में एक मकान किराए पर ले लिया और वहीं रहने लगे । फिर अच्छा शिकारी था । उसके पास एक बंदूक भी थी । देहाती जिंदगी से उसे प्यार था लेकिन आमिना को भी ये पसंद था या नहीं इस विषय में कुछ कहा नहीं जा सकता । उसे अपने नजदीकी रिश्तेदारों के अलावा दूसरों से ज्यादा मिलना जुलना पसंद नहीं था । इसी कारण वो अकेले पड गई और यहाँ तक कि वहाँ कोई बात करने वाला भी नहीं मिला । वो अपने परिवार के लोगों के बीच शहर में ही रहना पसंद करती थी । ऐसे में मियां बीवी की अनबन होना सौभाग्य था । दोनों शुरू शुरू में बहुत खुश थे लेकिन शीघ्र ही अनुमान होने के आसार नजर आने लगी । वहाँ ऐसी एक बुरा सादे खराब रहता था । एक दिन झगडे के बीच शाम को अमीना इस बूढे के पास पति की शिकायत करने पहुंची । बात कुछ भी हो गई होगी वरना हम मीना जैसी पर्दा नशीन । औरत इस तरह किसी पराए मर्द के यहाँ ऐसे समय जाने की हिम्मत नहीं कर सकती थी । बात कुछ भी रही हो, सादे खानों से वापस घर छोडने किया । उसने आपको बहुत समझाया और उससे वादा करा लिया कि वो अब कभी अपने बीबी से बुरा बर्ताव नहीं करेगा और न ही उसे भी ठेका । लेकिन सम्बन्ध भी कर चुकी थी और अब उनका सुधारना मुश्किल था । थोडे दिन बाद ही अमीना तारीख को या वामा में ही छोडकर रंगो लौटाएं, पति पर निर्दय मारता हूँ करने का आरोप लगाकर उसमें तेरह जुलाई को एक वक्त क्लीन से दो टिस जारी करवा दिया । लेकिन इससे कुछ हुआ नहीं । दो दिन बाद हुआ नहीं । आप गूगल स्टेट के मकान नंबर अठारह में एक ही रहने के लिए चली है । अब उसके चौथा बच्चा होने वाला था और एक तब भी उससे नहीं मिला है । जुलाई को कलकत्ता चला गया तो तलाक पूरा हो चुका था । अगस्त के दूसरे सप्ताह में अमीना के बच्चा पैदा हुआ । उस समय तीनों बच्चों की सेवा आमिना के साथ नौकर फकीर अहमद, नौकरानी जैसी और बाद आॅडी देख रहे थे । एक बावर्ची इन और भी थी, जो अलग अपने घर में सोचती थी । हत्या की रात प्यारी ना मतलब चौथी नौकरानी भी उसी घर में मौजूद थी । मुकदमे में तीनों नोकर फकीर अहमद जैसी और प्यारी के बयान बहुत महत्वपूर्ण थे, क्योंकि वे ही मामले के असली बात हैं । इनकी गवाहियां झूठी सिद्ध करने के लिए अपराधी ने ये बताने में कुछ जल्दबाजी के लिए कि उस समय उस घर में कोई नौकर नहीं था । खुद के चश्मदीद गवाहों को इस प्रकार अलग कर देने से अच्छा ठीक करने का आरोप गलत सिद्ध करने में आसानी हो जाते है । प्रतिवादी की दलील कमजोर थी । मेरा को बच्चा हुए उन्नीस हुए थे और एक बच्चा होने के बाद इतनी जल्दी नौकरों के बिना कैसे रह सकती है, जबकि उसके पास पर्याप्त धन हो । आमिना के पास आर्थिक सात लोगों की कोई कमी नहीं थी, इसलिए पैसे की कमी का कोई सवाल नहीं उठता था । वो आसानी से आधा दर्जन नौकरों को रख सकती थी और ऐसी हालत में उसे नौकरी की आवश्यकता थी । आपने शारीरिक अवस्था के कारण एक रात भी वो बिना नौकरियों की अकेली नहीं जा सकते थे । फिर सारा भेद किया था । अगस्त को इतवार के दिन अठारह मुगल स्ट्रीट में आरिफ देखा गया । बो वहाँ क्यों आया था ये कोई नहीं जानता । वो सारा दिन आमिना के साथ रात भी उसी के साथ गुजार रही । अगले दिन सुबह का नाश्ता लेकर वो थोडी देर के लिए बाहर चला गया । वो दोपहर को खाने के लिए वापस आया और दो बजे के करीब फिर बाहर चला गया और ठीक सात घंटे बाद आ मीना की हत्या कर देंगे । उससे दुर्भाग्यपूर्ण रात को खाने के बाद वो जल्दी ही सोने के लिए जल गई थी । उस दिन भी दूरी नहीं खाना था । नौकर भी अपना खाना खा चुके थे । मुख्यद्वार और दूसरे सभी दरवाजे बंद कर नौकर भी सोने के लिए चले गए हैं । नौ बजे के लगभग दरवाजे पर दस्तक हुई । दरवाजा खोलने के लिए कोई नौकर नहीं उठा । अभी ना खुद उठकर दरवाजा खोलने आएँ । टिकट में भी तरह गया आधा घंटा और मालकिन के बीच कुछ तनातनी की आवाजे नौकरी को भी सुबह पडे कुछ हल्का सा हंगामा भी हुआ और उसके बाद एक जोर का धमाका सुनाई पडा । तीनों ही नौकर वकील अहमद जैसी और बाहरी डर के मारे ही वहाँ से भाग निकले और अपने अपने घरों में जा चुके हैं । अगली सुबह जब लौटे तो उनकी माल के जीवित नहीं थी, उसकी लाश पडी थी । इसकी कुछ उपरांत आमिना के परिचित एक बुजुर्ग महिला महाबुद्धि नहीं है । अपने नौकर फकीर पक्ष को आ मिनट के स्वास्थ का हाल पूछने के लिए भेजा ॅ नहीं लौटाया और उसने बताया कि आ मीना का घर भीतर से बंद है और लगता है की वहाँ सब सुन रहे हैं । उसने ये भी बताया कि घर में एकदम खामोशी छाई हुई है । महाबुद्धि आमिना को बहुत चाहती थी उसका उस खोना स्वभाविक था आपने । बावर्ची और दूसरे लोगों के साथ वो जल्दी ही आ मीना की घर पहुंच गए । मुख्यद्वार बंद था लेकिन एक बच्चे की रोने की आवाज उठे सुनाई दे रहे हैं । उसने दरवाजा खटखटाया और कई बार आ मीना का नाम ले लेकर आवाजे लगाएँ । भीतर से अमीना के पांच वर्षीय लडकी का स्वर सुनाई दिया की माँ सो रही है और मेरा हाथ गुंडी तक नहीं पहुंचता । वे लोग पिछवाडे की तरफ चले गए । पीछे का दरवाजा खुला हुआ था । वे भीतर घुसे और सीढियां चढकर मुख्य कमरे में आ गए । एक बडे से पलंग पर अमीना लेटी हुई थी । छोटी बच्ची ने सच ही कहा था लेकिन उसे ये नहीं पता था कि उसकी माँ इस से अब कभी नहीं जाते । हेंगे कमरे में सबसे पहले एक डॉक्टर कैसा हूँ? अमीना पीठ के बल बिस्तर पर लेटी हुई थी और उसकी ऍम मुद्दा शरीर पर लापरवाही से एक कपडा डाल दिया गया था । वो मर चुकी थी और उसे मरे हुए कई घंटे बीत चुके थे । चादर पर काफी मात्रा में खून बहा हुआ था । चादर पर सिलवटे नहीं थी । गोली छाती के पार हो गई थी और वहाँ एक सुराह दिख रहा था । छाती में गांव की जगह पर गोली के नीचे की तरफ झुका । उससे पता चलता था की हत्या देने गोली खडे होकर मारी थी और वह बैठी हुई थी । गांव के चारों तरफ कार्बन के निशान नहीं थे । सत्ता, हत्यारा, गोली, इरादे समय कुछ फासले पर खडा था । पीछे की तरफ दरवाजे के शीर्ष इनमें से गोली बार निकल जाने से एक छेद बन गया था । कुछ तांबे के सिक्के खून से सने बिस्तर पर पडे थे । आमनाथ के अंगूठे पर भी एक गांव था । गोली उसके शरीर से बाहर निकल कर दरवाजे की सीसी से टकराई थी और दरवाजे ऐसी स्थिति में थे की साफ पता चलता था की गोली लगाते समय आमिना बिस्तर पर नहीं थे । जहाँ तक अंगूठे की गांव का सवाल है ये था उस समय लगा होगा जब त्यारी ने उसे मारने के लिए बंदूक उठाई होगी और उसने बचाव के लिए अपना हाथ आगे क्या होगा । घटना कुछ ऐसी तेजी से घटी थी कि उससे बचकर निकल भागने ये सहायता के लिए शोर मचाने का भी मौका नहीं मिला था । हत्या के बाद हत्यारे में उसकी लाश को जमीन से उठाकर बिस्तर पर लेटा दिया । उस पर एक कपडा फेककर वो बात किया । इससे हत्या की खोज के लिए इंस्पेक्टर ब्राउन नियुक्त किए गए । कमरी का सूक्ष्म निरीक्षण करने के बाद उन्होंने वहाँ बहुत सी चीजें बिजली पाई । इससे पता चलता था की हत्या के बाद हत्यारे ने भागने में काफी जल्दी की थी । बिस्तर के बीच एक सिर्फ पर दो भरे हुए स्कूल कारतूस मिले बिस्तर के नीचे एक खाली का तो उस पडा हुआ था । कार्टून्स का निचला पीतल का हिस्सा लाश की टांगों के बीच पाया गया । काम भी जो व्यक्ति बाहर से आया था अब बंदूक अपने साथ ही लाया था । वहाँ घर में कोई बंदूक नहीं मिलेगी । हत्यारा बंदूक अपने साथ भी गया था । बिस्तर से जो चला हुआ कारतूस मिला था उस पर जांच करने पर पता चला की वो एक विशेष से प्रकार की बंदूक से चलाया गया था । वो बंदूक पैराडॉक्स सिस्टम की थी । ऐसी बन्दों के सारे वर्मा में कुछ लोगों के पास ही थी । अमीना की हत्या इस प्रकार के पैराडॉक्स बंदूक से एक की गई थी । हत्यारा दुर्घटना के समय बहुत भयभीत हो गया था । अगर ऐसा होता तो अपने पीछे एक भी सूत्र छोडना । ऐसे ही सूत्रों से पुलिस को अपराधी का पता लगाने में बहुत सहायता में इंस्पेक्टर बहुत बडी कुशलता और चतुराई से मामले की छानबीन कि उन दिनों विज्ञान इतना उन्नत नहीं था जिससे अपराधी की खोजबीन में आसानी होती है । मनोविज्ञान का जानकार और अनुभवी भी खोजबीन करके अपराध की गुत्थी सुलझा सकता था । ब्राउन में ये सभी योग्यताएं थी । दो महीने पहले ही आमिना और आपके संबंधों के आधार पर ब्राउन का संदेह ऍफ हुआ नहीं तो कोई चीज चोरी की गई थी और ना किसी प्रकार की कोशिश के निशान नहीं मिले थे । आमिना की हत्या करने में तारीख का कोई उद्देश्य हो सकता था । ग्राउंड को और भी कई ऐसे सबूत मेरे जिससे उसका संदेह ऍफ पर बढ गया । वो ठीक है रात के लिए या वहां पहुंचा ऍसे काफी पूछताछ की और उसकी बंदूक अपने कब्जे में लेकर जांच करवाएं । साथ ही हत्या वाले कमरे में से मिले कारतूसों की भी जांच के लिए भेजा गया । बंदूको और कारतूसों की जांच करने के बाद उसका संदेह और पता हो गया । हत्या के अपराध में आरिफ को गिरफ्तार कर लिया गया । आमीन ना की हत्या से वर्मा के मुसलमानों में काफी हलचल मची हुई थी और इसकी गिरफ्तारी पर एक हंगामा समझ गया । कलकत्ता से बहुत बडे बडे आदमी आ पहुंचे । गवाहों को बिगाडने के लिए वो जी जान से जुट हैं । हजार रुपये के लालच ॅ सारे मुसलमान दो दल में बढ गए । एक दल ऍफ के हाथ में था और दूसरा उसके विरोध में । अदालत में मुकदमा चलने से पहले ही दोनों दलों में बडी गर्मागर्मी शुरू हो गई थी । गवाहों को अपनी तरफ मिलने के लिए हर तरह से दबाव डाले जा रहे थे । तहकीकात में भी अनेक अडचनें डाली जाने लगी । ब्राउन की ईमानदारी और योग्यता के कारण ही तहकीकात किसी तरह पूरी हुई । मुकदमा हाईकोर्ट में आ गया । सारा मुस्लिम समाज आमीन है या आर एफ से किसी ना किसी प्रकार संबंधित था । इन सब बातों का ये असर हुआ कि जो भी गवाह अदालत में पेश हुआ उसने या तो एकदम सफेद छूट बोला या सच्चाई को बुरी तरह उलझाकर पेश किया । पचास के लगभग गवाहों की पेशी हुई लेकिन किसी की गवाही सच्ची नहीं थी । अनुमान के आधार पर रहस्य की गुत्थी जल्द ही सुलझा सकते हैं । अभियक्त की ओर से भारत और वर्मा के नामी वकीलों ने केस लडा, फॅमिली दुखारी और आज हम जैसे बेरिस्टर आने को बचाने की कोशिश कर रहे हैं । दूसरी तरफ सरकारी वकील के साथ काम मासी जी, कोर्ट मैन और ऍम मुकदमे की पैरवी कर रहे थे । वर्मा के मुख्य अदालत के चीफ जस्टिस ऍम करने की सुनवाई कर रहे थे । हत्या का एक ही चश्मदीद के बाद वो थी आमिना की बेटे । उसकी पांच वर्षीय लडकी ने गवाही दी की उसके पिता नहीं उसकी माँ पर गोली चलाई नहीं । उम्र के लिहाज से लडकी काफी समझदार है । दिसंबर कि सर्दियों की उस जिसने उस से छोटी कोरिया को अदालत में देखा था । वो आसानी से उसकी माँ की खूबसूरती का अनुमान लगा सकता था । बच्ची ने अपनी माँ को खून भरे बिस्तर पर देखा था लेकिन दुर्घटना की गंभीरता उसके छोटे से दिमाग में नहीं आई थी । उसने सोचा कि माँ सो रही है । उस बच्ची का मौत से कोई परचेज नहीं था । मैं तो शरीर का ठंडा इस वर्ष उसके लिए अनजान था । हत्या के बाद अमीना की घरवाले उस बच्चे को अपने यहाँ लिख रहे थे । बच्चे अपनी माँ को बहुत प्यार करती थी । पिता को तो उसने काम ही देखा था । बच्ची के नाजुक दिल पर चोट ना पहुंचने के ख्याल से उन्होंने बताया कि उसकी बात जिंदा है और अस्पताल में रह रही है । उन्होंने बच्चे पर जोर डाला कि अगर वो अपनी माँ से मिलना चाहती है तो अपने पिता के बारे में उसे हर चीज बतानी पडेगी । बच्चे सीमा से मिलने को तरस रही थी । अभिभावक उस पर जो डाल रहे थे कि उसे अपने पिता के बारे में सारी बातें कहनी पडेंगे । उस दिन अदालत का कमरा खचाखच भरा हुआ था । उदास बच्चे गवाही के लिए कमरे में दाखिल हुए । हर चीज में बता चुकने के बाद वो फूट फूटकर रोने लगी । अब्बा के बारे में सब बातें तो बता दी । अब तुम मेरी अम्मी को कब छोड रहे हो । सारा वहाँ कुमार में था जैसे माँ से मिलने के लिए वो बच्ची दडब रही थी । उसको ये बता देना कितना दुखद था कि वो अपनी माँ से कभी नहीं मिल सकेंगे । उसे पता नहीं था कि उसकी माँ को क्या हो गया है । उसकी गवाही से उसके पिता का क्या होगा ये भी उस बच्ची को नहीं पता था । बच्चे की गवाही सुनकर जज ने कहा कि जो कुछ बच्ची ने बताया वो उस की समस्या बाहर की चीज है । इससे बिचारि लडकी के दिमाग में ये सब बातें नहीं आ सकती । सारी बातें इसको हटाई गई हैं । उसमें इतनी समझ नहीं थी कि जो कुछ उसने देखा और जो कुछ उसे बाद में रखवाया गया उन दोनों के बीच में कोई अंतर मालूम कर सके । उस पर उसकी अभिभावकों का दबाव रहा । उसे वो गंभीर हटा दिया गया जो उस की लडकी की सदस्य बाहर है । बच्चे को इस प्रकार सिखा देने से उसकी गवाही पर एक प्रकार का संदेह बढ जाता है । अगर अभिभावकों और अभियुक्त के बीच दुश्मनी हो तो ये बात और भी खतरनाक सिद्ध हो सकती हैं । बच्चे झूठ और सच में अंतर नहीं कर सकते हैं । इस मुकदमे में तो ये संभव भी था की बच्ची ऍम इन आधारों पर बच्चे की गवाही पर कोई और नहीं किया गया । घर के नौकर में से सबसे पहले वकील अहमद की पेशी हुई । इससे छोकरी को अमीना ने नौकर पर रखा था । वो वहाँ से अधिक परिचित नहीं था । आमिना के घर में ही उसने आरिफ को इतवार और सोमवार की सुबह देखा था । सोमवार की शाम जब हत्यारे ने दरवाजा खटखटाया उस समय वो अपनी चारपाई पर लेटा हुआ था । उसने बताया कि किसी ने बाहर की सीढियों का दरवाजा खटखटाया और किसी ने उठकर खोल दिया । जैसी और प्यारी भी उसी कमरे में थी जिसमें वो सो रहा था । इसलिए दरवाजा उसकी माल की नहीं । चुनाव का दरवाजा खुलने के बाद मालकिन और आठ घंटे के बातचीत की भनक उसके कानों में पडी थी । वो आगंतुक असर नहीं पहचान पाया लेकिन उसे वो स्वर्ण थोडा थोडा आराम से मिलता जुलता अवश्य लगता था । फिर दरवाजा बंद हो गया था । उसके अपने कमरे का दरवाजा खुला हुआ था जिसका रुख मालकिन के कमरे की तरफ था । उस कमरे की चौखट तक वो आदमी चला आया । थोडी देर रुककर वो फिर मालकिन के कमरे में चला गया । दरवाजे पर खडे आदमी की एक झलक ही उसने देखी थी । उस आदमी ने कोट पतलून पहन रखी थी लेकिन उसकी सूरत हो नहीं देख पाया । होने की कमरे में मालकिन से बातचीत करता हुआ आदमी का स्वर्ण सुनाई दे रहा था । उनमें क्या बातें हो रही थी ये उसे कुछ भी सुनाई नहीं पडा । आदमी के सर में गुस्सा भरा हुआ था एक वहाँ के उसे सुनाई दिया तो होगी या नहीं? अमीर नहीं जवाब दिया मैं बहुत कमजोर हो गई हूँ । अभी तो बच्चा हुआ है चल फिर नहीं सकती हैं आप । मैंने गुस्से में अपने पवन जमीन पर पटके, अचानक आमिना का सरगुजा खुदा खुदा फिर एक जोरदार धमाका हुआ । डर बुक वगेरह मतलब पैसे कम कर गुड बढा जैसी और प्यारी के साथ वो पिछली सीढियों से उतरकर भाग गया । वो मैं तीसरी काली में भाग गया और अपने दोस्त के घर गया और मौलवी क्यों? वो सारा किस्सा ॅ । अगले सुबह वो घर की तरफ आया । वहाँ बहुत से लोगों को देखकर वो वापस लौट गया । इससे गवाह नहीं जज के सामने अपराधी की कपडे पहचानने की हमें भरी थी । लेकिन इराक करने पर वो इन सब बातों से मुकर गया । उसने बताया कि ये समाप्ति उसने दाऊद परिवार के दबाव में कहीं । वो दाऊद परिवार में कई दिन रहा और उनसे ये बातें वही सिखाई गए । उसे ऐसा कहने के लिए धमकाया भी गया था तो रहने के बाद एक जैसी की बारी आई । वो एक अधेड उम्र कि ईसाई जरूरत थी और आया का काम करती थी । मिसेस इनमें केंद्र हैं । आमिना की बच्चे की देखभाल के लिए उसे नौकर रखा गया था । अदालत में उसने फकीर अहमद की कहानी को दोहराया । लेकिन जो ही जीरा शुरू हुई इस औरत ने एक विचित्र बात कहकर सबको आश्चर्य में डाल दिया । जैसे ने कहा, जिस रात हत्या हुई थी, मैं आमिना के घर में नहीं थी । सोमवार को शाम पांच बजे मैं छुट्टी लेकर चली गई थी । अगले दिन सुबह तक मैं नहीं छोडती नहीं । ये औरत एकदम सफेद झूठ बोल गयी । बेवकूफ को ये पता नहीं था कि उसके इस तरह मुकर जाने से मामला नहीं निपट सकता हूँ । सरकारी वकील के बराबर पूछने पर वो एकदम ढीली पड गई और फिर से फकीर अहमद कि बताए हुए कहानी को दोहराने लगें । वो इस बात पर फिर छुट्टी नहीं कि दुर्घटना सोमवार को नहीं, इतवार को घडी थे । इससे बेवकूफ और से जिला करना था । आर । एफ । अन्य संदेह सोमवार को सुबह वहीं था और इतवार का पूरा दिन भी । वो आमिना के साथ ज्यादा धमाका और बाद में इसका बाहर निकलना शुक्रवार के दिन नहीं हुआ था । फिर भी सर भारत की गवाही से किसी ना किसी केस के बहुत से पहलू प्रकाश में आ गए हैं । इसके बाद मौके पर उपस्थित अंतिम गवाही प्यारी को पेश किया गया । उसने फकीर अहमद कि बताए भी कहानी दोहराएं । उसने बताया कि आखिर कमजोर होने की वजह से वो उस आदमी को नहीं पहचान सके थे । उसे सिर्फ और सिर्फ एक टोपी नजर आई थी । उस रात जैसी भी उसके साथ थे । बावर्ची दूरी समानता अपने मकान में अलग रहती थी । वो हत्या के बारे में कुछ नहीं बता सकती थी । लेकिन उसकी गवाही से हत्या वाले दिन आरेख के मूड के बारे में पता चला । मोदी ने बताया कि मिया बीबी में समझौता हो गया था और आरिफ ने इतवार का । सारा दिन मालकिन के साथ ही गुजरा था । दो महीने के कडवे अनुभव के बाद आर एफ आमिना के बाद से क्यों लौट आया था । कारण अज्ञात था नूरी ने बिस्कुट बेचने वाले के साथ हुई घटना भी बताएँ । इससे आरएफके चिडचिडे स्वभाव का पता चलता हूँ । उन्होंने बताया कि सोमवार की सुबह खाने का वोट बिगडा हुआ था । उसने बिना वजह एबॅट बेचने वाले को लाते मारकर बाहर ढकेल दिया था । वहाँ से क्या हासिल करना चाहता था हत्या वाले दिन की सुबह को उसे इतना क्रोध क्यों चढा हुआ था । रेलवे के अंग्रेज कर्मचारी मिस्टर विलीज ने सोमवार की रात को नौ बजे आपको रंगून स्टेशन पर उतरते देखा था । उसने उससे कुछ बातें भी की थी और इसके साथ बंदूक बन नाम और एक बंडल उठाए एक दरबार भी था । उसने मंगलवार की सुबह आठ बजे इन जिनसे लडते हुए आरिफ को गाडी पर चलते हुए भी देखा था । बाद में जिला के बीच में फॅमिली ने बताया कि मिस्टर शेर मिलनेर से गवाही बदलने के लिए पैसे का लालच छोड दिया था । ऍफ को सोमवार की रात उस गाडी से सफर करते हुए देखा था । उसने बताया कि फॅसे आठ बजकर सैंतालीस मिनट पर गाडी में सवार हुआ था । अगला गवाह टिकट बाबू मिस्टर बार्टन था । तहकीकात के दौरान उसने जो बयान दिया था अदालत में आकर वो उससे मुकर गया । जज के समय उसने बताया कि उसने अपराधी को पहले कभी नहीं देखा और न ही मंगलवार के सुबह गाडी में यात्रा करते हुए देखा था । इन सब दवाइयों के खिलाफ अपराधी ने अपने बचाव में जो होता प्रतिरोध किया । उसने कहा, मैं अपनी बीवी के बाद से गया ही नहीं था । मैं उसे कैसे मार सकता था । जिस दिन उसकी हत्या की मैं उससे देने या वामा में था । दाऊद परिवार ने अपने दुश्मनी निकालने के लिए सारी गवाहियां बनाई है । इसमें इंस्पेक्टर ब्राउन का भी आता है । पैसे के जोर से और सरकारी दबाव में गवाहों से झूठी गवाहियां दिलवाई गई हैं । अपने बचाव के लिए अपराधी में चाहता वह अदालत के सामने पेश की । इनमें से दो अंग्रेज मिस्टर और मिसेज शेरविन, एक मुसलमान फॅमिली और एक गर्मी तो की गई थी । अगर अदालत ये स्वीकार कर लेती कि अपराधी हत्या के दिन या वामा में था तो उस पर हत्या का आरोप सिद्ध करना होता है । अगर हत्या के समय वो या बामा में था तो उसी समय वोट अंगूर में अठारह मुगल स्ट्रीट में कैसे हो सकता था या वामा से रंगों तक ट्रेन से पहुंचने में एक सौ सैंतीस से मिनट लगते थे और इनसी स्टेशन से आरिफ का घर का भी दूर था और एक भैया बाबा से एट अनुकूल किस तरह पहुँच सकता था । फिर फोन से निकला हुआ अफसर था । पहले वो कलकत्ता में अस्सी रुपये महीने पर मेसर्स लेकिन तो ब्लॅड कंपनी में नौकरी करता था । बाद में आरएएफ की साझेदारी में एक व्यापार चलाने के लिए आ गया । ऍफ का ख्याल लेके डेरी फोन खोलने का था । मिस्टर शेरविन उसके मैनेजर बने और सारा रुपये आ रहने लग गया । वो हत्या से ठीक नौ दिन पहले बीस अगस्त के दिन अपने परिवार के साथ रंगों चलाया था और या वावा में आरएफके घर में ही रह रहा था । शेरविन ने अपनी के बारे में बताया कि ये उनकी या बामा आने की पहली रात को डिनर के लिए आरएफ ने दो बोल क्या आपने बंदूक से मात कर लाया था? हालांकि जब जिससे जो शेरविन अपनी गवाही दे रही थी वो मुर्गियों के शिकार के बारे में बताना भूल गई थी । लेकिन इस बात का मुकदमे में बहुत हुआ था । इकतीस अगस्त को मिस्टर श्रवण ने अपराधी की बंदूक अपने कब्जे में ले ली थी । बंदों की उस हालत के बारे में अपराधी से जवाब तलब खुद करना था । शिव इनके इंसान बन्दूक की दोनों बैरलों से फाइल किया गया था और दो मुर्गियों का शिकार किया गया था । शेरविन ने बताया कि अट्ठाईस अगस्त की शाम वो आर एफ के साथ रंग बनाया था और आपने आपने भी भी और बच्चों के लिए कुछ तो खरीदे रात को वो तो वापस से या वामा लौट गया और आर एफ अठारह गूगल स्ट्रीट मेरे रहेंगे । ऍफ ने उससे कुछ कपडे लेकर अगली सुबह आने के लिए कह दिया था । सोमवार की सुबह वो कपडे लेकर अठारह नंबर भुगतान सीट में आ गया । वहाँ देखने अमीना से उसका परिचय करवाया । दोपहर की एक या दो के बीच वो और आर्इफोन क्या वामा लौट हैं? शेरविन नहीं ये आबामा में गुजारे गई । उस शाम का एक मिनट के बारे में बयान दिया या वामा लौटने पर उन्होंने चाहे पी चाय पर कुछ दोस्त और फिट हैं । उनके चले जाने पर फॅमिली डिनर के लिए ठहर गए थे । साढे सात बजे डिनर शुरू हुआ । खाने की मेज पर वो आधे घंटे तक फॅार के बाद वे सीधे नीचे ड्राइंग रूम में गपशप के लिए चले गए । शेरविन बीच में बोल उठा था लेकिन थोडी देर बाद फिर अलग है । यहाँ के बीच मिसेज शेरविन ने बच्चे के साथ ऊपर की कमरे में चलेंगे । वे काफी राहत तक बातें करते रहे और फिर सोने के लिए चले गए । वो अकेला ही सीढियाँ चढ कराया । थोडी देर बीबी के पास बैठे बातें करता रहा और सिगरेट की तरह फिर सोने के लिए चला गया । फिर से अलग होते समय उसने घडी नहीं देखी थी । लेकिन उस वक्त नौ बज कर ऍम ट्रेन की घडघडाहट उसने अवश्य सुनी थी । मिस्र शेरविन ने बताया कि उनका पति दस बजे ऊपर आया था । कमरे में लगी हुई खडी ने उस समय दस बजे ऍम प्रति के ऊपर आ जाने के बाद भी नीचे आरएफके खास ने की आवाज सुनी थी । फॅमिली आर एस से कितने बजे अलग हुई हूँ ये ठीक ठाक नहीं बता सका । उसने कहा कि डिनर के बाद रात काफी हो गई थी । उसका नौकरी तो गई लालटेन लेकर उसे घर ले जाने के लिए आया । जब वो अपने घर पहुंचा उस समय उसने जेल की नजर को दस बजे से था ऍसे शेरविन उन्होंने अपने बयान में कहा कि उस टाॅपर नीचे कमरे में ही सोया था । पहले वो अपने ऊपर वाले कमरे में होता था लेकिन मिसेज शेरविन के बच्चे के लगातार तोडने से इस की टीम ने खनन पड रहा था इसलिए वो मैच चुकी कमरे में सोने के लिए चला गया । अगले सुबह शेरविन की तीन काफी जल्दी खुल गए थे । नीचे बात हो जाते समय सीढियों में ही से उसकी भेंट हो गई थी । समय कोई साढे छह कर रहा होगा । मिस्र ऍफ से सात बजे मिली थी । ये सारे गवा यह सिद्ध करने पर तुले हुए थे कि सोमवार को दो बजे से लेकर रात के दस बजे तक आ रहे हो या वहाँ वाले अपने घर में उनके साथ ही रह रहा था । ऐसी स्थिति में आठ बज कर पच्चीस मिनट की गाडी से वो रंगून नहीं जा सकता था । दूसरे मंगलवार के स्वच्छ, स्वच्छ और साथ के बीच भी फिर दिन दंपत्ति ने आर एफ को वही देखा था । इसलिए रन से आठ बजे की गाडी से लौट का हुआ आॅफ कैसे देखा जा सकता था । दोनों तरफ की गवाहियां एक दूसरे के विरुद्ध थी । कौन सा पक्षी सच बोल रहा था? सारे मुकदमे का दारोमदार किसी निर्णय पर टिका हुआ था । बचाव पक्ष के गवाह आरएफके मित्र हैं । वहाँ से दो गवाह तो हत्या के समय उसी घर में रह रहे हैं । तो की गई आरएफके पुराने दोस्त अगर नहीं था । आलेख को बचाने में इन सबका स्वार्थ था । शेरविन दंपत्ति को तो इसके पीछे विशेष प्रार्थना । आरएसी उनको कलकत्ता से यहाँ लाया था और वे आरिफ की मेहमाननवाजी पर रह रहे थे । वो सरकारी पक्ष के जिनको आपको नहीं सिर्फ रंगों में देखा था । उन का कोई भी स्वार्थ आने से नहीं था । मुकदमे का फैसला किसी के भी हाथ में हो इसमें उनकी कोई दिलचस्पी नहीं थे । अगर बचाव पक्ष की गवाही को उच्च सीमा तक सच भी मान लिया जाए तभी तारीख की रात को डिनर के बाद आरिफ को रंगून पहुंचने में कोई मुश्किल नहीं थी । डिनर के समय को साढे सात के बजाय सात बजे का देने से सब कुछ संभव हो सकता था । आपके पास साढे आठ बजे रंगों जाने वाली गाडी पकडने के लिए एक घंटा बचता था । फिर जिन गवाहों ने नौ बजकर चार मिनट पर आपको रंगों ने स्टेशन पर गाडी से उतरते हुए देखा था वे भी सच नहीं जा सकते थे । मुकदमे में अपने पक्ष में वजन लाने के लिए सरकारी पक्ष में हथियार विशेषज्ञ की रिपोर्ट भी पेश पायर नामक विशेषज्ञ ने बंदूक की जांच की थी । अदालत में उसने बताया कि बंधु की हाल ही में सफाई की गई है फिर भी कर डाइट के कुछ निशान देख जा सकते हैं । बंदूके जांच के लिए और मेरी साॅस के पास भेजेगी । उसने भी इस बात की पुष्टि की कि बंदूक हाल ही में साफ की गई है । बंदूके फॅमिली में ही कार्य डाइट के निशान है । सफाई करने के बाद में कर डाइट के दर्शन मद्दू के दिल्ली में छह सात दिन तक बने रहते हैं । उसने बताया कि दो तीन दिन पहले इस्तेमाल की गई बन्दों को साफ करने पर भी ये दिशा रह जाते हैं । इससे गवाही से पता चला कि आरे की बन्दों से दो तीन दिन पहले ॅ फाइल की गए थे लेकिन काम और का इसके लिए आरएफ शेरविन सफाई पेश की । शुक्रवार को दोनों नलियों से फायर करके मुर्गियों का शिकार किया गया था । लेकिन विशेषज्ञ की रिपोर्ट बता दी थी कि एक ही दिल्ली में थी कॅश डाइट के निशान मिलते हैं । दूसरी नली में कार डेट का एक भी निशान नहीं है इसलिए रिपोर्ट से दोनों की सच्चाई झूठ सिद्ध हो गई । एक ही नहीं से किए गए पैसे दो मुर्गियां मारी गई लेकिन उसके बाद भी एक का दो उँगलियों से और फायर किया गया था । इस संबंध में आप अपने बचाव के लिए कोई सबूत पेश नहीं कर सका । आपके पास जो बंदूक थी, मैं ऐसे बंदो पूरी वर्मा में गिने चुने व्यक्तियों की बात हुई थी । रंगून और हनी दावा हड्डी में इस प्रकार की तीन ही बंदूके थी । ये पैराडॉक्स बंधु की कहलाती है । पीतल के स्थिति वाले का तो उस ऐसी है बन्दों को में इस्तेमाल किया जाता है । इस प्रकार की गवाहियों से मुकदमे में एक विचित्र सी सनसनी फैल गई । दोनों पक्षों की दवाइयाँ एकदम संजीवी और एक दूसरे के विरुद्ध थी । तीनों नौकर और रेलवे कर्मचारियों की गवाहियां विरोधी पक्ष के चार गवाहों से कट जाती थी । लेकिन बन्दूक की एक ही दिल्ली में कार डाइट के तीन निशान एक ऐसा सबूत था जिनसे आधे का अपराध साफ सिद्ध होता था । आमिर की मृत्यु एक गोली में हो गई थी । अच्छा की रात बंद दरवाजे पर दस्तक देने वाला व्यक्ति कौन था? दरवाजे पर खडे होकर सामना नहीं किस से बात की थी । बिना किसी विरोध के अमीर आॅन कक्ष में घुस जाने वाला व्यक्ति कौन हो सकता था? इन सवालों का जवाब मिला के बासी थे परन्तु बढ चुकी थी । लेकिन उसका चरित्र जिंदा था और उसकी चालित नहीं विशेषताएँ आसानी से अध्यात्मिक नाम बता रहे थे । वो सारे मुकदमे के दौरान किसी भी करवाने, उसके चरित्र पर एक भी छोटा उडाने की कोशिश नहीं की थी । उसका सतीत्व भीड था । लेकिन डर को बचाव पक्ष के वकील ने पकडा और कहा है जहाँ तक मेरा ख्याल है कि वो व्यक्ति इस और का प्रेमी रहा होगा । लेकिन गवाहों के बयान में इस प्रकार की कोई संकेत नहीं थी । इसलिए बचाव पक्ष के वकील का ये तर्क डिनर थक समझा गया हूँ । इतनी रात के एक दृढ चरित्र वाली स्त्री अपने पति के सिवा किसी और को अपने शयन कक्ष में घुसने नहीं दे सकते हैं । किसी प्रेमिका हो ना किसी तरह सिद्ध नहीं किया जा सकता हूँ । समझता सरकारी वकील की इस दलील में बहुत जोर था । अमीना पाक चरित्र की इस तरी थी । अंतिम घडियों में भी वो अपने चरित्र पर कायम रहे हैं । उसके भाई और अभियुक्त की गवाहियों में उसके चरित्र पर जरा भी संदेह जाए नहीं किया गया था । इसलिए उसके चरित्र पर किसी तरह के आरोप लगाना मूर्खता के अतिरिक्त कुछ नहीं था । वो जब तक जिंदा रही, एक आदर्श ग्रहण की तरह अपने सतीत्व पर कायम रहेगा, इसमें कोई संदेह नहीं था । इसलिए उस रात उसने अपने पति के लिए ही दरवाजा खोला था । तीन नौकर उस समय पास के कमरे में मौजूद थे वो ये जानती थी इसलिए उसकी तरफ से बिना किसी तरह का प्रतिवाद किए हुए शहर कच्छ में घुस जाने वाला व्यक्ति पति ही हो सकता था हूँ । अमीना एक ऐसे परिवार में पली थी जिसमें होते कडी पर्दे के भीतर रहती थी । इसलिए उससे ये आशा नहीं की जा सकती कि वह दरवाजे पर खडे हो कर इस तरह किसी अजनबी से बातें करेंगे और फिर उसे अपने शहर कक्ष में घुस रहे थे । अगर अगर तुम को उसका प्रेमी भी मान लिया जाए तो उस प्रेमी के पास उसके पति जैसे बंदूक भी होनी चाहिए थी । प्रेमिका सर उसके पति से इतना मिलता जुलता होना चाहिए था जिससे आमिना के नौकर उसकी आवाज सकते हैं । लेकिन एक भी अपनी प्रेमिका की हत्या क्यों करता था? आमिना प्रसूति कल के बाद अस्वस्थ्य अवस्था में नहीं । ऐसी हालत में कोई प्रेमी चाहे कितना भी कुछ तेजित हो, अपनी प्रेमिका की हत्या नहीं कर सकता था । किसी प्रेमी की कल्पना करना अपने आप में एक झूठी और निरर्थक बात थी । अपने पक्ष को मजबूत बनाने के लिए ही बचाव पक्ष के वकील ने ऐसी थी दलीली थी । सारे मामले का सार ये निकला कि आगंतुको उसके शयन कक्ष में दाखिल होने का अधिकार हासिल था और वो उसका पति हारी थी । हो सकता था आमेना के चरित्र में ही अपराधी का नाम घोषित पत्तियाँ जूरी के सदस्य शीघ्र ही निर्णय पर पहुंच गए और एक मत से फैसला दिया कि ऍफ नहीं आपने बदलने की हत्या की है जिसने आरिफ को फांसी की सजा का समर्थन दे दिया । तारीख को फांसी की सजा दे दिए । लेकिन हत्या का उद्देश्य क्या था? आप बिना ने अपने वकील इनसे आरिफ को नोटिस दिलवाया था लेकिन बाद में दोनों में समझौता हो गया था । बुधवार को वो अपने पति से मिली थी और दोनों एक रात साथ गुजारे भी थी । इसलिए पहले दोनों में जो झगडे हुए थे उन्हें हत्या का कारण नहीं माना जा सकता है । है ना इतवार की रात इन दोनों में कुछ ऐसी बात हुई जिससे आपको क्रोध आ गया और इसी बिगडे हुए बोर्ड में उसने उसकी हत्या करते हैं । आर्थिक कठिनाइयां भी हत्या का कारण नहीं हो सकती । आरएफ की आर्थिक स्थिति उस समय भी बहुत अच्छे थे । वो आप बिना को तलाक भी नहीं देना चाहता था । उसने अपने बीबी से अपने साथ चलने को कहा जैसा कि एक नौकर ने सुना था । इसका मतलब ये भी था की वो हत्या के इरादे से नहीं आया था । लेकिन फिर बंदूक उसके पास कहाँ से आ गई ये अब तक रहस्य बना हुआ है । मामले पर गौर करने से ऐसा प्रतीत होता है कि आप सिर्फ अपनी इच्छा के अनुसार जिंदगी बिताने वाला मनचला नौजवान था । जब उसकी बीबी ने या वहाँ वापस से चलने से इनकार किया होगा तो आपे से बाहर हो गया होगा । इसी अंधे क्रोध में उसने अभी बीबी पर गोली चला दी होगी । इससे हत्या के बारे में यही दलील दी जा सकती है हूँ ।

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इंसान के हाथों होने वाले अपराध की सच्‍ची कहानियों को बयां करता यह उपन्‍यास रहस्‍य और रोमांच से भरा है।
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