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6 minsग्रामीण लोगों की सामाजिक, राजनीतिक, सांस्कृतिक, आर्थिक, स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता में संचार की भूमिका । भारतीय अर्थव्यवस्था ग्रामीण है । भारत का हृदय गांवों में बसता है । यहाँ छह दशमलव लाख कम है तथा दशमलव चौरासी प्रतिशत जनसंख्या गांवों में निवास करती है । पिछले वर्षों में देश में संचार के क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन हुए हैं । सूचना प्रौद्योगिकी के विकास से आज आउटसोर्सिंग के लिए भारत बेहतर स्थिति में है । अब देश वस्तु अर्थव्यवस्था के क्षेत्र से निकलकर ज्ञान अर्थव्यवस्था की ओर तेजी से अग्रसर हैं । अब डेटाबैंक कंप्यूटर इंटरनेट सुविधाएं महत्वपूर्ण हो गई है । इन सुविधाओं ने ग्रामीण क्षेत्रों में नई कार्य, नई दायित्व चुनौतियों एवं अवसरों को जन्म दिया है । संचार साधन जो माध्यम है जिसके द्वारा सत्यों, सूचनाओं, विचारों, विकल्पों एवं निर्णयों का विभिन्न व्यक्तियों के मध्य आदान प्रदान होता है । संदेशों का आदान प्रदान लिखित, मौखिक एवं सांकेतिक हो सकता है । संचार के माध्यम बातचीत, विज्ञापन, रेडियो, टेलीविजन, समाचार पत्र, ईमेल, पत्राचार आदि है । उद्देश्य एक । ग्रामीण जनता में जागरूकता बढाना, उनका विकास करना दो । ग्रामीण जनता पर संचार माध्यमों के प्रभावों का अध्ययन करना, तीन ग्रामीण क्षेत्रों में संचार माध्यमों की कमियों का अध्ययन कर दूर करने के उपाय बताना, सामाजिक क्षेत्र, संचार सूचना, ग्रामीण समाज का एक हिस्सा है । यह ग्रामीण समूहों को भी गहराई से प्रभावित करती है । ग्रामीण जनता की सोच में भी काफी हद तक सकारात्मक परिवर्तन आया है । परंपराओं रूढिवादिता में कमी आई है । बाल विवाह, मृत्युभोज, अंधविश्वास आदि में कमी हुई है । इसका प्रमुख कारण शिक्षा का विस्तार हैं । अधिकांश ग्रामीण छात्र छात्राएं शहरों में पढाई के लिए आने लगे हैं । उनमें न केवल परंपरागत शिक्षा बल्कि करियर के लिए भी जागरूकता पडी है । वे भी एमफिल, पीएचडी कर रहे हैं । पीएसी बैंकिंग की परीक्षाओं में शामिल हो रहे हैं तथा सफलता प्राप्त कर रहे हैं । ग्रामीणों की जीवनशैली, मानदंड, मूल्यों आदि में मात्रात्मक एवं गुणात्मक दोनों रूपों में परिवर्तन आया है । जनसंख्या नियंत्रण के क्षेत्र में संचार साधनों की अहम भूमिका है । नए उत्पादों के बारे में जानकारी भी संचार साधनों के माध्यम से प्राप्त होती है । राजनीतिक क्षेत्र राजनैतिक क्षेत्र में भी ग्रामीणों का वर्चस्व बढा है । राजनैतिक क्षेत्र में भी संचार सुविधाओं के कारण उनकी सक्रिय भागीदारी बडी है । ग्रामीण जनता भी रेडियो, टेलीविजन, मोबाइल फोन, समाचार पत्र आदि के माध्यम से देश विदेश की जानकारियों से अवगत रहती है । उदाहरण के लिए रेडियो पर प्रसारित प्रधानमंत्री कि मन की बात ही क्यों ना हो । टेलीविजन पर आने वाले समाचार, मोबाइल फोन पर मैसेज, वो अच्छा पर आने वाले संदेश, जानकारी आदि ग्रामीणों को काफी हद तक प्रभावित कर रही है । इन संचार माध्यमों के द्वारा ग्रामीण अपने अधिकारों के प्रति जागरूक हुआ है । सांस्कृतिक शेत्र समाचार राष्ट्र की सामूहिक चेतना ही संस्कृति है । किसी राष्ट्रीय समाज विशेष के सामूहिक विश्वासों, मान्यताओं, परंपराओं एवं दृष्टिकोणों का स्वरूप ही संस्कृति है । ग्रामीण अंचल की अपनी विशिष्ट संस्कृति है । उनकी अपनी मान्यताएं भाषा में पेश पूछा है । खुशी व दुख व्यक्त करने का तरीका हो । यहाँ रीति रिवाज, संचार साधनों के माध्यम से उनकी संस्कृति में भी सरकारात्मक परिवर्तन आया है । संचार साधनों से विभिन्न संस्कृतियां एक दूसरे के करीब आती है तथा प्रभावित करती हैं । आर्थिक क्षेत्र ग्रामीण क्षेत्रों का प्रमुख व्यवसाय कृषि है । संचार साधनों के माध्यम से कृषि में नई तकनीकी का विस्तार हुआ । सरकार के द्वारा कृषकों को दी जाने वाली सुविधाओं की जानकारी रेडियो, टेलीविजन, मोबाइल फोन, समाचार पत्रों के माध्यम से प्राप्त होती है । पशुधन रोजगार कार्यक्रम की भी जानकारी दी जाती है । लघु एवं कुटीर उद्योगों के लिए सरकारों द्वारा दी जाने वाली ऋण सुविधाएं एवं सहायता की जानकारी भी संचार माध्यमों से प्राप्त होती है । सरकार के द्वारा चलाई जा रही महात्मा गांधी रोजगार गारंटी कार्यक्रम अन्य रोजगार से जुडी जानकारी भी संचार माध्यमों से प्राप्त होती है तथा इसका लाभ ग्रामीण जनता को प्राप्त होता है । स्वास्थ्य के क्षेत्र में वर्तमान में न केवल शहरी क्षेत्रों में बल्कि गांवों में भी विभिन्न प्रकार की बीमारियाँ तेजी से बढ रही हैं । संचार साधनों के माध्यम से इन बीमारियों के कारणों को जाना जा सकता है । साथ ही उनसे बचने के तरीकों को भी समझा जा सकता है । इसमें मुख्य भूमिका रेडियो टेलीविजन समाचार पत्र पत्रिकाओं की है । इसमें संदेशों को बहुत सरल स्थानीय भाषा में समझाया जाता है क्योंकि ग्रामीणों को अच्छे से समझ में आ जाता है । संचार माध्यमों से ग्रामीणों में जागरूकता पडी है । ग्रामीण क्षेत्रों में संचार साधनों की कमियाँ यद्यपि ग्रामीण क्षेत्रों में संचार सुविधाओं का विस्तार हुआ है लेकिन अभी भी कुछ कमियाँ व्याप्त है । ग्रामीण लोगों में साक्षरता कम है । अतः है इन संचार साधनों का पूरा उपयोग नहीं कर पाते हैं । दो ग्रामीण क्षेत्रों में आधारभूत सुविधाओं की अभी भी कमी है । विद्युत की कमी के कारण ग्रामीण जनता संचार साधनों, टेलीविजन आदि नहीं देख पाते हैं । तीन संचार साधनों में यांत्रिकी खराबी के कारण भी रूकावटें आती हैं तो ये सुविधाएं अर्थहीन हो जाती हैं । चार संदेश देने वाले तथा संदेश प्राप्तकर्ता के बीच की दूरी भी समस्याएं उत्पन्न करती है । पांच । ग्रामीण जनता की अनभिज्ञता के कारण भी वे संचार साधनों से लाभ नहीं उठा पाते हैं । निष्कर्ष गांवों के विकास पर देश का विकास निर्भर है । यदि ग्रामीण जनता के सामाजिक दृष्टिकोण में परिवर्तन आता है, वो मैं रूढिवादिता और अंधविश्वास के प्रति अपना नजरिया बदलते हैं । भाग्य के भरोसे नहीं बैठते हैं तो निश्चित रूप से गांवों की स्थिति में मूलभूत परिवर्तन आएगा । इससे ना केवल सामाजिक प्रगति होगी बल्कि आर्थिक क्षेत्र में भी पे आगे बढेंगे और इसमें संचार साधनों और उनके द्वारा दिए गए संदेशों एवं जानकारियों की सक्रिय भूमिका रहेगी । उनमें राजनीतिक जागरूकता भी बढेगी । वे अपने मताधिकार का सही उपयोग करेंगे तथा अपने अधिकारों के प्रति जागरूक रहेंगे । रेडियो, टेलीविजन, समाचार पत्र पत्रिकाओं के माध्यम से ग्रामीणों को अच्छे स्वास्थ्य के बारे में जानकारी प्राप्त होती है । पता ही अनिश्चितता पूर्वक कहा जा सकता है कि संचार माध्यमों का ग्रामीणों पर सकारात्मक प्रभाव पडा है तो
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