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46 - सूचना प्रोधोगिकी : स्मार्ट गाँव योजना ग्रामीण क्षेत्रों में विकास की संभावना in  | undefined undefined मे |  Audio book and podcasts

46 - सूचना प्रोधोगिकी : स्मार्ट गाँव योजना ग्रामीण क्षेत्रों में विकास की संभावना in Hindi

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Authorडॉ निर्मला सिंह और ऋषि गौतम
“कस्तूरबाग्राम रूरल इंस्टीट्यूट, कस्तूरबाग्राम, इंदौर” में 15-16 जनवरी, 2016 को “ग्रामीण समाज और संचार: बदलते आयाम” विषय पर संपन्न “राष्ट्रीय संगोष्ठी( national seminar)” के तहत प्रस्तुत विद्वता-पूर्ण शोध लेखों का संग्रहणीय संकलन है यह पुस्तक। जो निश्चित रूप से एक पुस्तक के रूप में मीडिया-जगत के विद्यार्थियों एवं शोधार्थियों के साथ साथ विभिन्न विषयी अध्येताओं के लिए भी उपयोगी सिद्ध होगा। Voiceover Artist : RJ Manish Author : Dr. Nirmala Singh Author : Rishi Gautam Producer : Saransh Studios Voiceover Artist : Manish Singhal Author : Dr. Nirmala Singh & Rishi Gautam
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सूचना प्रौद्योगिकी, स्मार्ट गांव योजना, ग्रामीण क्षेत्रों में विकास की संभावना भारत सरकार ने देर से ही सही लेकिन गांव की सुध ली है । स्मार्ट सिटी की तर्ज पर स्मार्ट गांव विकसित करने का केंद्र सरकार का निर्णय सराहनीय है । श्यामा प्रसाद मुखर्जी ग्रामीण मिशन के तहत गांवों के उत्थान के लिए पांच हजार एक सौ बयालीस करोड रुपए खर्च किए जाएंगे । सरकार के इस महत्वपूर्ण निर्णय के पीछे की संभावना जान लेना भी जरूरी है । लंबे समय से ग्राम विकास के लिए अपने स्तर पर समाज के सहयोग से प्रयास कर रहा है । सरकार का स्पष्ट मत है कि केवल शहरों को स्मार्ट बनाकर भारत का विकास संभव नहीं है । ग्राम विकास की भी चिंता सरकार को करनी चाहिए । महात्मा गांधी ने भी लगभग यही कहा था कि गांव की अनदेखी करके देश को विकास के पथ पर आगे नहीं बढाया जा सकता । भारत के संदर्भ में जब विकास की अवधारणा पर विचार करते हैं तो यह सुनिश्चित करना चाहिए कि इसमें गांव और ग्रामीण जीवन प्राथमिक हो । अब तक भारत को विकास के जस्ट बात पर आगे बढाया जा रहा था । उस पद पर कहीं भी गांव नहीं आते थे । सिर्फ शहरों को चमकाकर भारत की उजली तस्वीर नहीं बनाई जा सकती । गांवों की अनदेखी से शहर भी आशानुरूप व्यवस्था नहीं हो सकते । हम जितनी आबादी को ध्यान में रखकर शहर की सुविधाओं का विस्तार करते हैं, वे तब काम पर जाती हैं, जब आस पास के ग्राम बाजी, रोजगार, शिक्षा और स्वास्थ्य की खोज में शहर आ जाते हैं । कृषि क्षेत्र में उत्पादन वृद्धि के लिए प्रौद्योगिकी हस्तांतरण महत्वपूर्ण है और इस क्षेत्र में सूचना प्रौद्योगिकी की महत्वपूर्ण भूमिका है । सूचना प्रौद्योगिकी न केवल प्रौद्योगिकी के तेजी से विस्तार के लिए आवश्यक है, बल्कि इसके उपयोग से विभिन्न कृषि कार्यों को जल्दी से पर आसान तरीके से किया जा सकता है । विश्व बैंक और अन्य शोध संस्थानों के अनुसंधानों ने क्या जिद्द कर दिया है कि ऑनलाइन शिक्षा, रेडियो उपग्रह और दूरदर्शन जैसे आधुनिक संचार माध्यमों द्वारा कृषि प्रौद्योगिकी का विस्तार करके किसानों की जागरूकता, दक्षता तथा उत्पादकता में कई गुना वृद्धि की जा सकती है । आज सूचना प्रौद्योगिकी ने कृषि के हर काम को आसान बना दिया है । किसान अपने घर बैठे किसान कॉल सेंटर में एक पांच, पांच एक या एक एक पांच पांच पर निशुल्क फोन करके अपनी कृषि समस्या का समाधान पा सकता है । हमारे देश के अधिकतर कृषि व बागवानी विश्वविद्यालयों ने अपने क्षेत्र विशेष के फलों व अन्य फसलों के उत्पादन से संबंधित सभी जानकारियां आपने वेब साइट पर डाल रखी हैं जिन्हें किसान इंटरनेट के माध्यम से घर बैठे अपने कंप्यूटर पर प्राप्त कर सकते हैं । इन विश्वविद्यालयों के इन वेबसाइटों पर भविष्य में कृषि कार्यों की जानकारी तथा मौसम की जानकारी भी समय समय पर किसानों को नियमित रूप से दी जाती है । सूचना प्रौद्योगिकी का सबसे बडा उपयोग किसान अपने विभिन्न कृषि कार्यों को करने में कर सकते हैं । आज कंप्यूटर द्वारा नियंत्रित मशीनों द्वारा बडे बडे खेतों की जुताई उन्हें समतल करना, बोवाई करना, निराई गुडाई करना, खाद देना, सिंचाई करना, कीटनाशियों रोक राशि, रसायनों के छिडकाव जैसे कार्य सफलतापूर्वक किए जा रहे हैं । इसके साथ कंप्यूटर कृषि उत्पादों को डिब्बाबंद करने, बेचने के लिए उपयुक्त मंडियों का चयन करने और मूल्यों का निर्धारण करने में भी सहायता करते हैं । कंप्यूटर नियंत्रित मशीनों का सब्जियों, फूलों, फलों की पॉलीहाउस के अंदर होने वाली संरक्षित खेती में महत्वपूर्ण योगदान है । संरक्षित खेती में जहाँ फसलों को पानी, खाद और नमी इत्यादि की मात्रा और समय कंप्यूटर ही निर्धारित करता है, इस दिशा में स्पेन, हॅाल, तुर्की, फ्रांस और अमेरिका जैसे देशों में उल्लेखनीय कार्य हुआ है । इन देशों में कंप्यूटर द्वारा नियंत्रित मशीनों से किए गए कार्य से संरक्षित खेती में फसलों से तीन से चार गुना अधिक उत्पादन प्राप्त किया जा रहा है । इस तरह के स्वचालित यंत्रों की मदद से कोई भी किसान तीन सौ पचास एकड भूमि की आसानी से सिंचाई कर सकता है । कंप्यूटर नियंत्रित मशीनों का उपयोग फसल उत्पाद के सही ढंग से डिब्बा बंदी में भी किया जाता है । वालों पर सब्जियों के डिब पाबन्दी करते समय कंप्यूटर की सहायता से फलों को कैसे और कितनी संख्या में रखने संबंधी जानकारी प्राप्त होती है । इस तरह फल सब्जियाँ रगड लगने से बच जाते हैं जिससे ढुलाई वाइॅन् के समय कम नुकसान होता है । इस तरह के कंप्यूटर नियंत्रित कार्यों से सिंचाई में पानी, खाद पर दूसरे जीव राशि तथा अन्य रसायनों की कम खपत होती है और इनके सही समय पर निर्धारित उपयोग से अधिक उत्पादन भी मिलता है । यद्यपि भारत सरकार का ग्रामीण विकास मंत्रालय देश के प्रत्येक गांव में ऐसे सार्वजनिक व सामुदायिक सूचना केंद्र स्थापित कर रहा है जहाँ कंप्यूटर में इंटरनेट जैसी सुविधाएं मौजूद होंगी लेकिन फिर भी यह कार्य तेजी से होना चाहिए । इन सूचना केंद्रों को कृषि विश्वविद्यालयों तथा जिला की सूचना केंद्रों से भी जोडा जाना चाहिए जिससे प्रौद्योगिकी और सूचनाओं का प्रसार तेजी से हो । देश के कृषि व बागवानी विश्वविद्यालयों को सूचना प्रौद्योगिकी का अधिक से अधिक उपयोग करने के लिए विशेष आर्थिक सहायता दी जानी चाहिए । सूचना और संचार क्रांति का कृषि में अधिक से अधिक उपयोग करके हम कृषि को नई दिशा दे सकते हैं जिससे देश में अन्य और दूसरे कृषि पशुधन से प्राप्त उत्पादनों का उत्पादन बढेगा और किसानों की वित्तीय स्थिति और मजबूत होगी ।

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Sound Engineer

“कस्तूरबाग्राम रूरल इंस्टीट्यूट, कस्तूरबाग्राम, इंदौर” में 15-16 जनवरी, 2016 को “ग्रामीण समाज और संचार: बदलते आयाम” विषय पर संपन्न “राष्ट्रीय संगोष्ठी( national seminar)” के तहत प्रस्तुत विद्वता-पूर्ण शोध लेखों का संग्रहणीय संकलन है यह पुस्तक। जो निश्चित रूप से एक पुस्तक के रूप में मीडिया-जगत के विद्यार्थियों एवं शोधार्थियों के साथ साथ विभिन्न विषयी अध्येताओं के लिए भी उपयोगी सिद्ध होगा। Voiceover Artist : RJ Manish Author : Dr. Nirmala Singh Author : Rishi Gautam Producer : Saransh Studios Voiceover Artist : Manish Singhal Author : Dr. Nirmala Singh & Rishi Gautam
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