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37-मुट्ठी भर धूप -वीर और मीरा in Hindi

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151 Listens
AuthorSaransh Broadways
वीर की नजर जब पहली बार मीरा पर पड़ी, तो जबरदस्त आकर्षण के जादू ने उसे अपने वश में कर लिया। मीरा को भी कुछ-कुछ महसूस हुआ। देखते-ही-देखते यही उनकी जिंदगी बन गई। दोनों को एक-दूसरे की तरफ खींचनेवाली ताकत ही मानो एकमात्र सच्चाई थी, जिसे बयां नहीं किया जा सकता। हालांकि यही प्‍यार उन्‍हें एक-दूसरे से अलग कर देता है। अचानक एक तबाही उन पर हमला करती है और उनके सपनों को झकझोर देती है। कुछ बाकी रह जाती है तो सिर्फ नफरत, जो उनके प्यार के जितनी ही ताकतवर है। बरसों बाद, किस्मत एक और चाल चलती है और दोनों को आमने-सामने ला खड़ा करती है। एक बार फिर। इस बार फैसला उन्हें करना हैः अपनी नफरत के हाथों बरबाद हो जाएं या प्यार को एक और मौका दें। Voiceover Artist: Ashish Jain Script Writer: Vikram Bhatt
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और मीरा बुधवार, गुरुवार भी । इनवरनेस में क्या है? कविता ने पूछा, जब मैं सूटकेस में एक हफ्ते की जरूरत के मुताबिक सामान पैक कर रहा था, विज्ञापन पर एक सेमिनार है और भी कुछ कुछ है । मैंने बडबडाते हुए कहा, क्योंकि मैं कविता से आंखें नहीं मिला पा रहा था और वो उम्मीद बचने वाले जवाब से परेशान हो रही थी । इस कुछ कुछ से तुम्हारा क्या मतलब है? तो मैं पता भी नहीं और तुम पूरा देश पार कर ऍफ करने वाले हो । कविता मुझे कुछ वक्त के लिए लंदन से बाहर जाना है । मैं नहीं रह सकता है, ऑफिस नहीं जा सकता । यहाँ सब कुछ मुझे शाजिया की याद दिलाता है । प्लीज मैंने से जितनी ईमानदारी से संभव था, कहा और देखा । कविता पर इसका असर पैसा हुआ । सब मैं चाहता था तो देख रही थी कि मैं बहुत दुखी था लेकिन मैं तुम्हारे साथ क्यों नहीं चल सकती है? क्या कभी मुझे अपने दर्द की दुनिया में आने और से काम करने में मदद करने शुरू नहीं देते? हर किसी का दर्द से उबरने का एक अलग तरीका होता है, करता हूँ, अकेला ही पला बडा हूँ और हमेशा खुद ही अपने दर्द से निपटता रहा हूँ तो चलता हूँ कि मुझे से शेयर करने सीखना चाहिए । लेकिन अभी सीखने का वक्त नहीं है । प्लीज मतलब दूर नहीं कर रहा हूँ । मैं सिर्फ वही कर रहा हूँ । तो मुझे लगता है कि अपने तरफ को कम करने के लिए करना चाहिए । मुद्दा मत बनाओ । प्लीस मैंने जानबूझ कर उसकी आंखों में देखते हुए कहा है और लगा कि वह थोडा सहज हो गई है । उधर करीब आई और मुझे प्यार सब बहुत भर लिया हूँ । माफ करना कि मैंने सपना मुद्दा बना लिया । खुश होकर और मुस्कुराते हैं मेरे पास लौटाना मैं हम दोनों को लंबे आईने में देख रहा था । टू ड्रैसर के किनारे रखा था तेल मानमर्दन अपने जीवन में किसी और को धोखा देने वाले होते हैं । उनमें और ईमानदार मर्दों में ज्यादा फर्क नहीं दिखता । फिर भी मैं जानता था इस बार ये सबसे अच्छा है । झूठ की इस लंबी स्वर्ण के अंत में हो सकता है की तेज रोशनी है और सबसे सुख खुश हो जाएंगे ही । तुरंत नहीं । लेकिन लंबी समय में तो निश्चित पार था । मेरा तो मेरे लिए चपाती को । छोटे छोटे टुकडों में तो मैंने फिर से पूछा । मैं देख रही थी कि उसे अपने पांच से तोडने में दिक्कत हो रही है तो नहीं । ऍम हाथ के लिए अच्छी कैसा है । शायद उसके बाद तो उन्हें हाथों से काम करने वाला आज भी बन जाऊंगा । उसने खुद को चपाती निवेश कर लिया और ऍम करेंगे । कुछ रखता है भारतीय खाने की डिमांड ऍम बढ गई है मेरा ऍम सिर्फ एक हफ्ते बाद ऍम मुझे रखता है । हमारे फॅमिली काफी बढ गई है । अखिल में खाने के बीच में ही पूछा मैंने कहा कह दिया लेकिन कोई जवाब नहीं दिया । घर पहुंचने के बाद मैंने अपने आपसे बस इतना कहा था कि सही कह रहा था और अखिल को किसी की तलाश करने देना ही ठीक होगा जो से उतना ही प्यार करें जितना मैं से करते हैं । क्योंकि हर किसी को खुश रहने का अधिकार है और अगर मैं खुश नहीं रही तो अखिल को कभी सच्ची घोषित दे ही नहीं सकते और इस बात पर सच्चाई थी । इस बात में भी शायद कुछ सच्चाई थी कि मैं हमेशा बच्चे पैदा करने को लेकर अखिल के साथ एक परिवार की शुरुआत को लेकर ही रहती हूँ । इसका कारण ये था मैंने कभी फिर इसका नहीं समझा । मैंने तय कर लिया था कि मैं अखिल को चिट्ठी में क्या नहीं होंगे । मैंने आधा मन बना लिया था कि मैं छुट्टी होगी और चलता हूँ । मैंने ऐसा नहीं करने का फैसला कर लिया था क्योंकि शायद दूर जाना और चिट्ठी लिखने के लिए समय लेना ही सबसे अच्छा होगा । तो सोच रही थी कि जब ऍफ को पता चलेगा तो क्या कहेंगे । वो मुझसे नफरत करने लगेंगे । इतनी समय वो अखिल को प्यार करने लगे थे और मॉम तो उससे ज्यादा बातें अखिल से करने लगी थी । नहीं उनके लिए एक झटका मुझे लगा कि मेरे दिल की धडकनें एक बार फिर से तेज हो गई और फिर मुझे खुद से ये कहकर श्रीशांत करना होगा की भी सही था और इसी में सबकी भलाई है । मैं आशा पर निर्देशक बीच फंसी थी । मेरे लिए इसके धोनी रात के कुछ कर रही है और सुबह होने तक का इंतजार मुश्किल हो रहा था । मेरे लिए इसे और बर्दाश्त करना बहुत मुश्किल था । मुझे पता भी नहीं चला कि मैंने इतनी सोर से सांस ली थी क्या हुआ हूँ । मुझे खुश भी नहीं था कि अखिल मुझे लगातार देखे जा रहा था हूँ था । मैंने किसी तरह मुस्कराते हुए कहा ऐसे लगता है फिर से माइग्रेन मुझे बताने लगा है । मैंने छूट बोला ऍम फिर तो मैं दवा लेकर हो जाना चाहिए । ऍम अखिल का इस तरह चिंता करना मेरे दिल को छू है । मैं फिर से गहरी सांस की आप को शांत किया । इस सब के पानी के लिए मैंने सबसे कहा भी । मैंने अपनी घडी पर नजर दौडाई । सुबह ठीक दस बज रहे थे । मैंने मीरा को ये बताने के लिए मैं किया था कि मैं अपनी कार में तुम्हारा इंतजार कर रहा हूँ और मैंने उसके ऑफिस की बिल्डिंग से कुछ मीटर की दूरी पर अपनी कार खडी कर रखी है । उसने जवाब दिया कि वो रास्ते में ही है मेरी आंखों ऍम । पांच मिनट बाद वो बाहर निकले तो पीछे पीछे ऍम वहीं ऊपर खींचती आ रही थी । आपका हो ही गया मीरा मैं अपनी जिंदगी साथ साथ शुरू करने जा रहे हैं । नौ साल की देरी हो गई लेकिन मुझे इससे कोई शिकायत नहीं आए । उसने चिंताओं से भरी मुस्कान के साथ कहा क्योंकि उसके लिए आसान बिल्कुल नहीं रहा होगा । मैं उसके मन की हालत को समझ सकता हूँ । कार से बाहर मत नहीं तो मैं नहीं चाहती कि कोई तो देखिए । उसने कहा मेरे मान लिया ऍम कार की पिछली सीट पर ठेका और छठ ऍम पर बैठी और ऍम लिया । चलो बीस ऍसे टूट जाने लगा । जल्दी मैं सुबह में लंदन के फॅमिली और पढ रहा था । हमें ड्राइव शुरू किया । तब से लेकर अब तक ही रहने की पार्टी मेरी तरफ मुड कर नहीं देखा था । मैं देख रहा था कि वो बीच बीच में के हिसाब से ले रही नहीं । सांप तौर पर वो दहशत में मैंने उसके हाल पर छोड देना ही बेहतर ऍम कुछ भी करना यह कहना नहीं चाहता था जिससे ऍम मैं जानता था । पर हम लंदन से दूर चले जाएंगे तो उन्हें शांत हो जाएगी और देहाती इलाकों के बीच से सफर के दौरान उसका मन हो जाएगा । आपके संस्कार के साथ ही बडे बडे हैं । सामाजिक व्यवहार और नैतिकता ऍम इतना आसान नहीं ऍम फुल कराना था । मैंने ऍम पहले बने रहने के करीब एक पेट्रोल पंप के और गाडी को मोड दिया । ऍम ऍम जल्दी अपने रास्ते पर होंगे । मैंने बाहर निकलने से पहले पूरी होने में कहा । उसने मुस्कराते हुए कह दिया ऍम उसमें डाल दिया । मैं मशीन पर ऍम के नंबर को भागते देख रहा था । डाॅन मीरा ने मुझसे पूछा । मैंने बताया कि ये सिगरेट लाइनर वाले कम्पार्टमेंट में हैं तो मैंने उसे कहते सुना ऍम ऍसे देखा क्या हुआ हूँ । मैंने पूछा फॅमिली करा देखा मैंने ऍम उसके चेहरे पर भाषण नहीं, कोई बात नहीं । मेरा तो उसके अकाउंट से पैसे नहीं चुकाने वाली हूँ और एक फोन करके दूसरी चलता नहीं लेगा । अरे मैं मैं इस तरह की चेक लेकर नहीं जा सकते हैं । नहीं ऍम एक या दो दिन तक कैसे काम चलाएगा? मेरे में अपनी चिंता पर काबू पाने की महत्वपूर्ण कोई नहीं और बात सिर्फ एक जगह की नहीं थी लेकिन मैं देख रहा था की मुझे समझ नहीं रही थी । फिर आप तो उस बात को लेकर नाॅक की तो बात है तो काम चलेगा । ऍम शिखर जाना होगा और ऍम नहीं जा सकती । प्लीज तेरह हाॅट जाने का रास्ता नहीं है । अगर हम लौटे तो सब कुछ खत्म हो जाएगा और हमें ऐसा करने की मतलब कभी नहीं पडेगी । बीस । मैं नहीं हूँ तो मैं लगता था कि मैं ऐसा करूंगी । कभी भी फिर भी मैं तुम्हारे साथ आई आई की नहीं लेकिन मिस्टर नहीं जा सकती । मुझे चलते लौटानी होगी, फॅस ॅ होंगी और इतनी जल्दी लौट होंगे कि तुम्हें पता भी नहीं चलेगा । मुझे करना है फिर प्लीज उसमें मुस्लिम मतलब करने की नजरों से देखा । मैं उसे देखकर वाकई हराम था । अब दोनों ही जिंदगी के चौराहे पर गए थे । ऍफ से कुछ ही मीटर की दूरी पर है । हम इनकी आवाज से बंद हो गया । टाइम हो चुका था मीरा मैंने वीर को सडक से कुछ दूर ही रुकने को कहा तो मैं नहीं चाहती थी कि अखिल मुझे कार से उतरता देंगे । ऍम क्या वीरे मेरी तरफ नहीं देखा । उसने दूसरी तरफ देखते हुए हाँ कहा मैंने अपना बहुत उठाया और कार से कूद पडे । मुझे अखिल घर से निकला नहीं होगा नहीं तो मुझे कुछ ऑफिस पहुँचाना होगा । मैं जब गेट खोलकर दाखिल हुई तो उसकी कहाँ नहीं और मुझे देखकर राहत मिली की वो अभी घर पर ही था । मैंने अपने पास मौजूद चाबी से घर का दरवाजा खोला हुआ अखिल अपनी स्टडी में था और फिर ठीक वाले हादसे दराज में कुछ ढूंढ रहा था । उसके ऊपर देखा तो मुझे देखकर हैरान हो गया । तुम लौटाई कुछ गडबड हो गई । उसके चेहरे पर ऍम तो फॅमिली से मैं अपने पास में ले गई थी । मैंने चेक को उसके सामने उसकी स्टडी टेबल पर रखती है । ऍम भगवान का लाख लाख शुक्र है । मैं राजनीति से ढूंढ रहा था । क्या फिट के मिल जाने से आपको बहुत राहत महसूस कर रहा था? अच्छा हमें चलती हूँ मैं पीछे बडी और उससे पहले की फूल मुझसे पांच चीज शुरू करता फॅमिली । इससे पहले इंडस्ट्री से बाहर निकलती ऍम और देने पलट कर अखिल को देखा तो वहाँ से जब पर साइन कैसे करोगे मैंने वाजिब गंभीर तक सांप अच्छा पता नहीं । उसने मुस्कराते हुए कहा हुई मीरा को गए । पूरे तीस मिनट हो चुके थे । मैं बिना बल्कि चाॅकलेट की तरफ देखता जा रहा था । डर रहा था कि अगर नजरे वहाँ से हटी तो कुछ गलत हो जाएगा । एक तक देखते रहने के बावजूद देख रही से । लेकिन निश्चित तौर पर एक्टर मुझे सुनने लगा । पकडनी से डालने की भरपूर और खुद से कहता रहा कि अगर आज सुबह मेरे लिए अपने आॅप्टिकल करती है तो वो एक बार फिर आएंगे । अब करीब एक घंटा होने वाला था । पर मेरे मन में कुछ राम ने ख्याल आने लगे थे । असल का हमारे बारे में पता चल गया था और उसमें मिला के मर्जी के खिलाफ उसे अपने साथ रहने पर मजबूर कर दिया था । जब ही सब कुछ बता दिया था और अखिल टूट गया था और अब मुझे नहीं छोड सकेंगे । चाय अखिलेश के माता पिता का इस्तेमाल किया और मुंबई फोन कर दिया । अब पर इतना दबाव था कि वो उस से डिपोर्ट नहीं पा रही थी । कॅश पांच मिनट तब तक एक घंटा नहीं सकता जब तक कि को मुश्किल खडी हो गई हूँ । एक महिला दो बच्चों को स्कूल से लेकर घर लौट रही थी । वो उनकी माँ नहीं बल्कि नौकरानी लग रही थी, पहुंच रहे थे और से किसी घटना के बारे में बता रहे थे जो स्कूल में हुई थी । मुझे गुजर रहे थे तो मैंने उन्हें देखा । चौहान से तो बाहर हो चुकी थी और जीरा का कुछ पता नहीं है । मैं घर को अब और नहीं झेल सकता । मैं पूरी तरह खेल चुका था । क्या मुझे उसके घर जाना चाहिए? घंटी बजानी चाहिए और कहना चाहिए कि वो मेरे साथ चलेंगे कैसे वो मुश्किल में पड जाएगी । अगर वह नहीं कहा । अब तक ढाई घंटे हो चुके थे । मैंने फोन उठाया और उसका नंबर पर कॉल की । मैं लगातार बस्ती उस भावशून्य रिंग को सुन रहा है । उसने फोन नहीं उठाया मैंने ऍम इस बार मुझे उसका फोन स्विच ऑफ मिला । उस ने मुझे मना कर दिया । था मेरा मुझे पर फिर अपनी जिंदगी से अलग कर दिया था । मुझे ऍम पहले वाला जब वीरसिंहपुर जा रही है फिर चली नहीं और मैं कुछ नहीं कर सकता था । फिर वही रुलाई तो इतने समय से मेरे गले में कहीं करेंगे । उसे बाहर निकलने का मौका मिल गया । मेरे ऊपर जुलाई का हमला हुआ जिसमें बाॅलिंग फील कर चुका होने लगा । ये किसी फॅार्म बंदगी भरी लडाई नहीं बल्कि एक फॅमिली ठीक थी । नहीं ऍम फॅमिली लेकिन दोनों ही पर उसने उसे कमा दिया उसके है विद्यालय के लिए कितनी तरह की वो आप को तबाह कर के नाॅट था । उस दिन मैंने जाना कि जिन लोगों को कहते प्यार का एहसास हुआ वो दो बार नहीं । पहली बार जब ऍम दोबारा चाॅस हूँ उसको बाहर मैंने अपने क्या कोई नहीं भी दर्द भरी मांग मार देने का बच्चा तो फॅमिली उस पल के बाद मेरी जान लिया कि झीना संभव नहीं हूँ, मजबूत रहेगा मेरा । मैं अखिल के नीचे लिखा । फिर मैंने उसके लिए थोडा लंच बनाया । उसके बाद उसके हाथ का बैंडेज बदलाव । मैं अब समय पर नजर डाला नहीं चाहती थी । मैं नहीं जानना चाहती थी कि बच्चों को पांच मिनट में आने की बात कहकर आई थी । तब से लेकर अबतक कितना बहुत हो चुका था । मैं जब अखिल के नाम को साफ कर रही थी तब साधारण सब्जी पार्ट वन में आएगी । कोई भी क्या कामयाब नहीं हो सकता हूँ । अपनी दुनिया टूटे हुए दिलों पर बनाएगा नहीं रहा । मैं जब युवा थे तभी था । हमारी कोई जिम्मेदारी नहीं नहीं लेकिन अब हमें दूसरों के दिलों का भी ख्याल रखना हूँ । मेरे पास अखिल का उसके पास कविता करता था और हम उन्हें नहीं तोड सकते थे । अगर वो व्यक्ति बन जाती जो अखिल कर फिर इतनी आसानी से तोड देते तो एक दिन भी का दिल भी आसानी से तोड सकती थी । कॅश सिर्फ एक बार आपने अगर धोखा देना सीख लिया कैसे कभी भूल नहीं सकते और फिर भी आदत बन जाएगी । अगर आप एक बार अनैतिक हो गए तो आपको लगेगा कि बार बार अनैतिक होने में कोई बुराई नहीं है । अब लेकिन फॅमिली नहीं । अगर मैं वैसे भी जाती हूँ तो टूर जाऊंगी और फिर से बीस फिर कभी प्यार नहीं कर सकता हूँ । अगर मैं ऐसी बन गई तो मेरा नहीं रह जाओगे और भी उसके उसके साथ क्या करेगा जिसकी मीरा नहीं रह गई हूँ । सारी बातें माइंड कर माइग्रेन के साथ मन में आ रही थी । मुझे अपने पेट्रोल भी जाना पडा पडती खींचने पडे और खुद को रोशनी से बचाना पडा । फिर मैं जब पढते हटा रही थी तब कारणों से बैठे देखा जो तो मेरा इंतजार कर रहा था । दो घंटे का समय हो चुका था और अब भी मेरा इंतजार कर रहा था । मुझे सीखना चाहती थी और चाहती थी कि कहते कि जाओ चले जाओ भगवान के लिए । वो मेरे जैसे किसी के लिए इंतजार क्यों कर रहा था? अरे मैं उसके कातिल नहीं प्लीज चाहो । प्लीज लेकिन नहीं गया । फॅमिली ऍफ करते और ऍम उसने मेरे घर के सामने का करवा सकते । बिल्कुल धीरे से बोला और ऍम क्या चाहता था कि मैं झूठ नहीं बोलते कि मैंने अपना बैग कहाँ छोड दिया था आपने तेरे हिसाब दर्द के बीच वो मेरे बारे में सोच रहा था । बीच जैसे लोगों की वजह से ही प्यार क्या इतने महान है यानी होता है अगर अगर मेरे फॅमिली तोड देने वाली ईमानदारी से इतना महान नहीं बनाया होता हूँ नहीं देख रही थी । कमरे चुके हैं, सिर्फ भी चुका हूँ वो प्रकार की तरह जा रहा है इतनी तुम्ही से उसका दुख मुझ तक पहुंच रहा था तो मेरी जिंदगी थी और मेरी संसदीय पूछे बहुत दूर जा रही थी । मैं लडकी के पास खडी होकर से और नहीं देख सकते हैं । वहाँ से पीछे हट गई और अपने स्तर पर बैठ गई । ॅ हूँ वो वीर की आखिरी तस्वीर थी जिसमें मैंने उसे जाते देखा । वो दस बार बार तरह दिमाग में घूम रही थी । इतना तड ॅ नहीं किया था । फॅस नहीं ले पा रही थी । कॅश थी मैं किस तरह खडी हुई और आदत के कारण स्टडी में चली जाएगी क्योंकि मुझे कुछ नजर नहीं आ रहा था । अखिल में जब मेरी तरफ देखा तो उसके चेहरे का रंग उड गया । मेरा मेरा क्या हो गया? आप से कोई जवाब नहीं दे सकता हूँ । मेरी नजर ऍम मुझे कुछ दिखाई नहीं पडा है । कुछ सुनाई नहीं पडा हूँ । कुछ महसूस भी नहीं हुआ ।

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Sound Engineer

Voice Artist

वीर की नजर जब पहली बार मीरा पर पड़ी, तो जबरदस्त आकर्षण के जादू ने उसे अपने वश में कर लिया। मीरा को भी कुछ-कुछ महसूस हुआ। देखते-ही-देखते यही उनकी जिंदगी बन गई। दोनों को एक-दूसरे की तरफ खींचनेवाली ताकत ही मानो एकमात्र सच्चाई थी, जिसे बयां नहीं किया जा सकता। हालांकि यही प्‍यार उन्‍हें एक-दूसरे से अलग कर देता है। अचानक एक तबाही उन पर हमला करती है और उनके सपनों को झकझोर देती है। कुछ बाकी रह जाती है तो सिर्फ नफरत, जो उनके प्यार के जितनी ही ताकतवर है। बरसों बाद, किस्मत एक और चाल चलती है और दोनों को आमने-सामने ला खड़ा करती है। एक बार फिर। इस बार फैसला उन्हें करना हैः अपनी नफरत के हाथों बरबाद हो जाएं या प्यार को एक और मौका दें। Voiceover Artist: Ashish Jain Script Writer: Vikram Bhatt
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